कनाडा-छत्तीसगढ़ का मैच अब नहीं होगा फ्लड लाइट में
राजधानी के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में लगातार दो दिनों तक लाइट को जलाकर रखने के बाद लाइट के बंद होने की समस्या से तो मुक्ति मिल गई, लेकिन कीड़ों के कारण अंतत: मैच को डे-नाइट के स्थान पर दिन का करने पर छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को मंजबूर होना पड़ा। अब विश्व कप क्रिकेट में खेलने वाली कनाडा की टीम का छत्तीसगढ़ के साथ २१ और २३ नवंबर का मैच दिन में ही होगा।
स्टेडियम में आज दूसरे दिन भी फ्लड लाइट को जलाकर रखा गया और जांच की गई कि लाइट बंद तो नहीं हो रही है। लाइट को कल ही विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने ठीक किया है। इसके पहले लाइट लगातार परेशान कर रही थी। एक लाइट को जलाते ही दूसरी बंद हो जा रही थी। लेकिन अब परेशानी नहीं हो रही है। लाइट के बंद होने की परेशानी से तो निजात मिल गई है, लेकिन दो दिनों तक लाइट जलाकर रखने के बाद एक सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई कि कीड़े बहुत ज्यादा हो रहे हैं। स्टेडियम के चारों तरफ खेत हैं जिसके कारण कीड़ों की समस्या सामने आई है। कीड़े इतने ज्यादा है कि रात में मैच खेल पाना संभव नहीं है। ऐसे में छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों ने शुक्रवार की शाम को बैठक करके यह तय किया कि अब मैच डे-नाइट के स्थान पर दिन का किया जाएगा। संघ के विजय शाह ने बताया कि पहला वनडे २१ नवंबर को सुबह ९ बजे प्रारंभ होगा। पहला सत्र १२.३० तक चलेगा। दूसरा सत्र १.१० बजे से ४.४० तक होगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि २३ नवंबर का मैच भी दिन का होगा। श्री शाह ने कहा कि कनाडा की टीम को विश्व कप में खेलना है, ऐसे में डे-नाइट मैच के मोह में किसी खिलाड़ी को कीड़ों के कारण नुकसान हो गया तो परेशानी होगी।
कनाडा की टीम का जोशीला स्वागत
विश्व कप क्रिकेट में खेलने वाली कनाडा की क्रिकेट टीम शुक्रवार की रात को दिल्ली से विमान द्वारा रायपुर पहुंची। माना विमानतल पर छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों ने टीम का जोशीला स्वागत किया। टीम शनिवार को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में अभ्यास करने के बाद २१ नवंबर को छत्तीसगढ़ की टीम के साथ पहला वनडे मैच खेलेगी।
कनाडा की टीम दिल्ली से किंगफिशर के विमान से करीब डेढ़ करीब विलंब से रायपुर पहुंची। माना विमान तल पर टीम के खिलाडिय़ों का छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के विजय शाह, राजय सिंह परिहार, अवधेश गुप्ता, मनजीत सिंह, विनय बजाज, राजेश दवे सहित कई पदाधिकारियों से जोशीला स्वागत किया। खिलाड़ी माना से सीधे होटल के लिए रवाना हो गए। खिलाड़ी अब कल सुबह अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में अभ्यास करेंगे। शनिवार को मेजबान छत्तीसगढ़ की टीम भी अभ्यास करेगी।
राजतंत्र में देखे उत्कृष्ट खिलाड़ी निराश, नौकरी की नहीं आश
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शनिवार, 20 नवंबर 2010
शनिवार, 29 मई 2010
नौकरी कब मिलेगी सरकार
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में राज्य के करीब एक दर्जन उत्कृष्ट खिलाड़ी पहुंचे और उनसे कहा कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के चार माह बाद भी वे लोग भटक रहे हैं और उनको नौकरी नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों की व्यथा सुनने के बाद खेल सचिव से इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करने कहा है। राज्य सरकार ने ्रराज्य के ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके उनको नौकरी के लिए पात्र माना है।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार भाजपा सरकार की पहल पर राज्य के खिलाडिय़ों को नौकरी देने की पहल करते हुए उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का नियम बनाया गया। इस नियम के बनने के काफी लंबे समय बाद अंतत: पिछले साल राज्य के ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया और इन खिलाडिय़ों को इस साल के प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों ही उत्कृष्ट खिलाड़ी होने के प्रमाणपत्र दिलवाए गए। प्रमाणपत्र मिलने के बाद खिलाडिय़ों को लगा था कि अब उनकी बेरोजगारी के दिन गए और उनके हाथ में अब जल्द ही नौकरी होगी। लेकिन खिलाडिय़ों को यह भ्रम टूट गया है। प्रमाणपत्र मिलने के करीब चार माह बाद भी खिलाड़ी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। खिलाड़ी हर रोज खेल विभाग के साथ मीडिया में पत्रकारों को फोन करके पूछते हैं आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। कई बार खिलाडिय़ों की व्यथा को प्रकाशित किया जा चुका है, पर खिलाडिय़ों का भला नहीं हो रहा है।
इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य प्रशासन में खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियम अंतिम चरण में हंै। लेकिन इस बात को भी एक माह से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन नियमों का अब तक अता-पता नहीं है। ऐेसे में हताश खिलाडिय़ों ने अंतत: राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में जाकर फरियाद करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री के दरबार में रीना साहू, इशरत जहां, सुनीता टोपो, डी. राजु, विनिता, इम्तियाद, इशरत अंजुम, साइमा अंजुम सहित करीब एक दर्जन खिलाड़ी गए और उनके सामने अपनी व्यथा रखी। खेल और खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा अच्छा सोचने वाले मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों से विस्तार से बात की और उनको आश्वासन दिया कि राज्य के खिलाडिय़ों को सरकार जल्द ही नौकरी देने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्य के खेल सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आश्वासन के बाद खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि उनका अब नौकरी जल्द मिल जाएगी। खिलाड़ी कहते हैं कि सामान्य प्रशासन को नियमों को जारी करने में विलंब नहीं करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार भाजपा सरकार की पहल पर राज्य के खिलाडिय़ों को नौकरी देने की पहल करते हुए उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का नियम बनाया गया। इस नियम के बनने के काफी लंबे समय बाद अंतत: पिछले साल राज्य के ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया और इन खिलाडिय़ों को इस साल के प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों ही उत्कृष्ट खिलाड़ी होने के प्रमाणपत्र दिलवाए गए। प्रमाणपत्र मिलने के बाद खिलाडिय़ों को लगा था कि अब उनकी बेरोजगारी के दिन गए और उनके हाथ में अब जल्द ही नौकरी होगी। लेकिन खिलाडिय़ों को यह भ्रम टूट गया है। प्रमाणपत्र मिलने के करीब चार माह बाद भी खिलाड़ी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। खिलाड़ी हर रोज खेल विभाग के साथ मीडिया में पत्रकारों को फोन करके पूछते हैं आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। कई बार खिलाडिय़ों की व्यथा को प्रकाशित किया जा चुका है, पर खिलाडिय़ों का भला नहीं हो रहा है।
इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य प्रशासन में खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियम अंतिम चरण में हंै। लेकिन इस बात को भी एक माह से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन नियमों का अब तक अता-पता नहीं है। ऐेसे में हताश खिलाडिय़ों ने अंतत: राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में जाकर फरियाद करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री के दरबार में रीना साहू, इशरत जहां, सुनीता टोपो, डी. राजु, विनिता, इम्तियाद, इशरत अंजुम, साइमा अंजुम सहित करीब एक दर्जन खिलाड़ी गए और उनके सामने अपनी व्यथा रखी। खेल और खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा अच्छा सोचने वाले मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों से विस्तार से बात की और उनको आश्वासन दिया कि राज्य के खिलाडिय़ों को सरकार जल्द ही नौकरी देने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्य के खेल सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आश्वासन के बाद खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि उनका अब नौकरी जल्द मिल जाएगी। खिलाड़ी कहते हैं कि सामान्य प्रशासन को नियमों को जारी करने में विलंब नहीं करना चाहिए।
सोमवार, 19 अप्रैल 2010
नौकरी के लिए अभी इंतजार
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सामान्य प्रशासन विभाग इसके लिए नियम बनाने में लगा हुआ है। नियम बनने के बाद है जिन विभागों में पद खाली होंगे उन विभागों में इनकी भर्ती की जाएगी। खेल विभाग ने अपने विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की भर्ती करने की मांग शासन के सामने रखी है। इस समय खेल विभाग में कई पद खाली हैं।
प्रदेश सरकार ने राज्य के ७० खिलाडिय़ों को करीब पांच माह पहले उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के बाद खिलाडिय़ों को उम्मीद थी कि अब उनको नौकरी मिल जाएगी और उनका लंबा इंतजार समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और खिलाड़ी लगातार खेल विभाग में फोन करके यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। खिलाड़ी मीडिया से भी लगातार पूछ रहे हैं कि उनकी नौकरी का क्या हुआ। कई खिलाड़ी निरंतर जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनको नौकरी कब मिलेगी। ऐसे में जब इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा विभाग तो लगातार इस प्रयास में है कि खिलाडिय़ों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए। इसके लिए विभाग सामान्य प्रशासन के साथ मिलकर नौकरी के नियम बनाने में लगा है। विभाग चाहता है कि एक बार ऐसे नियम बन जाए जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन में नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि नियम बनते ही सारे जिलों के जिलाधीशों को इसकी जानकारी भेजी जाएगी और उनके पूछा जाएगा कि कौन से विभाग में पद खाली हैं। खेल संचालक ने बताया कि सभी उत्कृष्ट खिलाड़ी की पहली प्र्राथमिकता अपने जिले में नौकरी करना है। ऐसे में जिलों के बारे में जानकारी देने का जिम्मा जिलाधीशों को दिया जाएगा।
खेल विभाग में भर्ती हो
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक तो खिलाड़ी भी चाहते हैं कि उनकी भर्ती खेल विभाग में हो विभाग भी चाहता है कि खिलाडिय़ों की भर्ती इस विभाग में हो। इस समय खेल विभाग ही ऐसा विभाग है जिसमें सबसे कम स्टाप है। ऐसे में विभाग ने शासन को इस विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भर्ती करने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और आदिम जाति और कल्याण विभाग में भी खिलाडिय़ों को भर्ती करने की मांग रखी गई है। उन्होंने बताया कि तृतीय वर्ग के लिए हर विभाग में भर्ती होगी, लेकिन द्वितीय वर्ग के लिए कुछ चुने गए विभाग ही रखे गए हैं। इसी के साथ इसके लिए पीएससी से भी अनुमति लेनी पड़ेगी।
प्रदेश सरकार ने राज्य के ७० खिलाडिय़ों को करीब पांच माह पहले उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के बाद खिलाडिय़ों को उम्मीद थी कि अब उनको नौकरी मिल जाएगी और उनका लंबा इंतजार समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और खिलाड़ी लगातार खेल विभाग में फोन करके यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। खिलाड़ी मीडिया से भी लगातार पूछ रहे हैं कि उनकी नौकरी का क्या हुआ। कई खिलाड़ी निरंतर जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनको नौकरी कब मिलेगी। ऐसे में जब इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा विभाग तो लगातार इस प्रयास में है कि खिलाडिय़ों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए। इसके लिए विभाग सामान्य प्रशासन के साथ मिलकर नौकरी के नियम बनाने में लगा है। विभाग चाहता है कि एक बार ऐसे नियम बन जाए जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन में नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि नियम बनते ही सारे जिलों के जिलाधीशों को इसकी जानकारी भेजी जाएगी और उनके पूछा जाएगा कि कौन से विभाग में पद खाली हैं। खेल संचालक ने बताया कि सभी उत्कृष्ट खिलाड़ी की पहली प्र्राथमिकता अपने जिले में नौकरी करना है। ऐसे में जिलों के बारे में जानकारी देने का जिम्मा जिलाधीशों को दिया जाएगा।
खेल विभाग में भर्ती हो
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक तो खिलाड़ी भी चाहते हैं कि उनकी भर्ती खेल विभाग में हो विभाग भी चाहता है कि खिलाडिय़ों की भर्ती इस विभाग में हो। इस समय खेल विभाग ही ऐसा विभाग है जिसमें सबसे कम स्टाप है। ऐसे में विभाग ने शासन को इस विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भर्ती करने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और आदिम जाति और कल्याण विभाग में भी खिलाडिय़ों को भर्ती करने की मांग रखी गई है। उन्होंने बताया कि तृतीय वर्ग के लिए हर विभाग में भर्ती होगी, लेकिन द्वितीय वर्ग के लिए कुछ चुने गए विभाग ही रखे गए हैं। इसी के साथ इसके लिए पीएससी से भी अनुमति लेनी पड़ेगी।
बुधवार, 17 मार्च 2010
नौकरी कब मिलेगी?
प्रदेश के ७० खिलाडिय़ों को नौकरी का पात्र मानते हुए सरकार ने उत्कृष्ट खिलाड़ी तो घोषित कर दिए हंै, पर किसी भी खिलाड़ी को अब तक नौकरी नहीं दी गई है। हर खिलाड़ी बस एक ही सवाल कर रहा है कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का मामला अब विधानसभा में भी गूंजने वाला है।
प्रदेश के खिलाडिय़ों को लंबे इंतजार के बाद अंतत: पिछले साल १६ नवंबर को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र दे कर उनको नौकरी का पात्र घोषित कर दिया गया है। खिलाडिय़ों को खेल विभाग ने एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रमाणपत्र दिलवाए थे। प्रमाणपत्र पाकर खिलाडिय़ों के चेहरे खिल उठे थे कि चलो अब उनकी बेरोजगारी के दिन दूर हो गए हैं। लेकिन उनका भ्रम बहुत जल्दी ही टूट गया। आज करीब चार माह बाद भी किसी खिलाड़ी को नौकरी नहीं मिल पाई है। खिलाडिय़ों का एक स्वर में कहना है कि आखिर हमें कब नौकरी दी जाएगी। इनका कहना है कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने के बाद सरकार को तत्काल नौकरी देने की दिशा में काम करना था।
इधर जानकार कहते हैं कि खेल विभाग तो इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन नौकरी देने का काम सामान्य प्रशासन विभाग के हाथों में है ऐसे में खेल विभाग की दाल नहीं गल रही है। खेल विभाग में भी रोज उत्कृष्ट खिलाड़ी फोन करके वहां के अधिकारियों से सवाल करते हैं कि सर हमें नौकरी कब मिलेगी? कब होंगे हमारे बेरोजगारी के दिन दूर। खेल विभाग के अधिकारी भी इस बात से परेशान हैं कि आखिर वे करें तो क्या करें। उनके हाथ में बस इतना है कि वे खिलाडिय़ों की व्यथा को सामान्य प्रशासन विभाग तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
खेल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियमों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इसके पूर्ण होने पर ही बात आगे बढ़ेगी। खिलाडिय़ों को कब तक नौकरी मिलेगी, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
विधानसभा में भी लगा है सवाल
उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने अपने व्यथा से अपने-अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवाया है। ऐसे में विधानसभा में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की नौकरी का मामला गूंजने वाला है। एक प्रश्न वहां लगाया गया है जिसका जवाब तैयार करने का काम खेल विभाग में किया जा रहा है।
नए आवदेन भी मंगवाए गए हैं
एक तरफ जहां प्रदेश के जिन ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया है, वे नौकरी की राह देख रहे हैं तो दूसरी तरफ खेल विभाग ने २००९-१० के लिए खिलाडिय़ों से आवेदन मंगवाएं हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि को अब ३१ मार्च तक बढ़ा भी दिया गया है। यहां पर खेलों से जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पहले चरण के खिलाडिय़ों को ही नौकरी नहीं दी गई है तो फिर दूसरे चरण के लिए आवेदन मंगाने का क्या मतलब है।
प्रदेश के खिलाडिय़ों को लंबे इंतजार के बाद अंतत: पिछले साल १६ नवंबर को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र दे कर उनको नौकरी का पात्र घोषित कर दिया गया है। खिलाडिय़ों को खेल विभाग ने एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रमाणपत्र दिलवाए थे। प्रमाणपत्र पाकर खिलाडिय़ों के चेहरे खिल उठे थे कि चलो अब उनकी बेरोजगारी के दिन दूर हो गए हैं। लेकिन उनका भ्रम बहुत जल्दी ही टूट गया। आज करीब चार माह बाद भी किसी खिलाड़ी को नौकरी नहीं मिल पाई है। खिलाडिय़ों का एक स्वर में कहना है कि आखिर हमें कब नौकरी दी जाएगी। इनका कहना है कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने के बाद सरकार को तत्काल नौकरी देने की दिशा में काम करना था।
इधर जानकार कहते हैं कि खेल विभाग तो इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन नौकरी देने का काम सामान्य प्रशासन विभाग के हाथों में है ऐसे में खेल विभाग की दाल नहीं गल रही है। खेल विभाग में भी रोज उत्कृष्ट खिलाड़ी फोन करके वहां के अधिकारियों से सवाल करते हैं कि सर हमें नौकरी कब मिलेगी? कब होंगे हमारे बेरोजगारी के दिन दूर। खेल विभाग के अधिकारी भी इस बात से परेशान हैं कि आखिर वे करें तो क्या करें। उनके हाथ में बस इतना है कि वे खिलाडिय़ों की व्यथा को सामान्य प्रशासन विभाग तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
खेल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियमों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इसके पूर्ण होने पर ही बात आगे बढ़ेगी। खिलाडिय़ों को कब तक नौकरी मिलेगी, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
विधानसभा में भी लगा है सवाल
उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने अपने व्यथा से अपने-अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवाया है। ऐसे में विधानसभा में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की नौकरी का मामला गूंजने वाला है। एक प्रश्न वहां लगाया गया है जिसका जवाब तैयार करने का काम खेल विभाग में किया जा रहा है।
नए आवदेन भी मंगवाए गए हैं
एक तरफ जहां प्रदेश के जिन ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया है, वे नौकरी की राह देख रहे हैं तो दूसरी तरफ खेल विभाग ने २००९-१० के लिए खिलाडिय़ों से आवेदन मंगवाएं हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि को अब ३१ मार्च तक बढ़ा भी दिया गया है। यहां पर खेलों से जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पहले चरण के खिलाडिय़ों को ही नौकरी नहीं दी गई है तो फिर दूसरे चरण के लिए आवेदन मंगाने का क्या मतलब है।
गुरुवार, 21 जनवरी 2010
पंकज विक्रम पुरस्कार वाले भी बनेंगे उत्कृष्ट खिलाड़ी
मुख्यमंत्री की घोषणा की डेढ़ साल बाद याद आई खेल विभाग को
प्रदेश के खेल पुरस्कार पंकज विक्रम से सम्मानित खिलाडिय़ों के लिए एक बड़ी खबर यह है कि अब वे भी उत्कृष्ट खिलाड़ी बनने के पात्र हो गए हैं। वैसे तो उनको मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के बाद से ही उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जानी थी, पर खेल विभाग ने इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया और जब इस मामले में हरिभूमि ने खेल विभाग से जानकारी चाही तो बताया गया कि सामान्य प्रसाशन को एक पत्र भेजा जा रहा है कि पंकज विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी के पात्र होंगे। वैसे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियम के हिसाब से पंकज विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी के पात्र हैं, पर इसके बारे में स्थिति को स्पष्ट करना ही शेष है।
प्रदेश के खेल पुरस्कारों से खिलाडिय़ों को सम्मानित करने के लिए २९ अगस्त २००८ को जब रविशंकर शुक्ल सभागृह में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था तो इस समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घोषणा की थी कि राज्य के पंकज विक्रम पुरस्कार से सम्मानित होने वाले खिलाडिय़ों को भी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जाएगा। जिस समय मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी, उस समय इस घोषणा पर यह कहते हुए खेल विभाग ने अमल नहीं किया था कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन मंगवाएं जा चुके थे, ऐेसे में कुछ नहीं हो सकता था। लेकिन अब जबकि खेल विभाग ने फिर से उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं तो इस बार भी इसमें इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी बन सकते हैं। इस बारे में कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने जब ध्यान दिलाया तो इस दिशा में पहल करते हुए सारे मामले के बारे में जानने के लिए खेल संचालक जीपी सिंह से संपर्क किया। उन्होंने पहले तो यह कहा कि उनकी जानकारी में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की ऐेसी कोई घोषणा नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कोई घोषणा करते हैं तो उनकी जानकारी जिले के जिलाधीश रखते हैं और उसके लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाता है। जब खेल संलाचक से कहा गया कि मुख्यमंत्री के राजधानी के कार्यक्रमों में तो जिलाधीश नहीं रहते हैं, ऐसे में जबकि खेल विभाग के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी तो क्या खेल विभाग ने इस बारे में कोई पत्र नहीं लिखा है। ऐसे में खेल संचालक ने कहा कि उनके पास तो इस संबंध में कोई जानकारी इसलिए भी नहीं है कि जब मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा अगर की भी थी तो वे उस समय वे खेल संचालक नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उप खेल संचालक ओपी शर्मा ही कुछ बता सकते हैं।
सामान्य प्रशासन को पत्र भेज रहे हैं
मुख्यमंत्री की घोषणा के बारे में जब उप खेल संचालक ओपी शर्मा से जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि ऐसी घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी, लेकिन उस समय इस घोषणा पर अमल इसलिए संभव नहीं था क्योंकि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में इसका पालन अगले सत्र में होना था इसलिए इस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया। अब सामान्य प्रशासन को पत्र भेजा जा रहा है। इस पत्र में बस यही लिखा जा रहा है कि पंकज विक्रम पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए पात्र होंगे। श्री शर्मा ने स्पष्ट करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियमों में किसी बदलाव की जरूरत नहीं थी इसी वजह से तत्काल इस दिशा में पहल जरूरी नहीं थी। उन्होंने बताया कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के जो नियम बने हैं उन नियमों में यह बात पहले से है कि जिन भी खिलाडिय़ों को सीनियर वर्ग के लिए राज्य का पुरस्कार मिलेगा, वे खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए के लिए पात्र होंगे। पंकज विक्रम पुरस्कार भी सीनियर वर्ग के खिलाडिय़ों के लिए है।
आवेदन से पहले स्थिति स्पष्ट करनी थी
इधर खेल संघों से जुड़े लोगों का कहना है कि खेल विभाग ने इस बार जब उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन मंगवाएं हैं तो इसमें इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले भी पात्र हैं। प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष और प्रदेश वालीबॉल संघ के महासचिव मो। अकरम खान का कहना है कि जिन खिलाडिय़ों के सामने स्थिति स्पष्ट नहीं है वे कैसे आवेदन कर सकते हंै। उन्होंने बताया कि हमारे खेल के दो खिलाडिय़ों को पंकज विक्रम पुरस्कार मिला है, हमने तो इन खिलाडिय़ों के आवेदन मुख्यमंत्री की घोषणा का हवाले देते हुए भरवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन सभी खिलाडिय़ों को आवेदन करने चाहिए जिनको पंकज विक्रम पुरस्कार मिले हैं।
खिलाड़ी आवेदन करें: सिंह
खेल संचालक जीपी सिंह से जब उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के आवेदन में इस बात का उल्लेख न होने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि भले आवेदन के लिए दिए गए विज्ञापन में स्पष्ट नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले आवेदन कर सकते हैं, लेकिन जब नियमों में ऐसा लिखा है कि राज्य के सीनियर वर्ग के पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी पात्र होंगे तो खिलाड़ी आवेदन करें उनके आवेदन मान्य होंगे।
प्रदेश के खेल पुरस्कार पंकज विक्रम से सम्मानित खिलाडिय़ों के लिए एक बड़ी खबर यह है कि अब वे भी उत्कृष्ट खिलाड़ी बनने के पात्र हो गए हैं। वैसे तो उनको मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के बाद से ही उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जानी थी, पर खेल विभाग ने इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया और जब इस मामले में हरिभूमि ने खेल विभाग से जानकारी चाही तो बताया गया कि सामान्य प्रसाशन को एक पत्र भेजा जा रहा है कि पंकज विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी के पात्र होंगे। वैसे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियम के हिसाब से पंकज विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी के पात्र हैं, पर इसके बारे में स्थिति को स्पष्ट करना ही शेष है।
प्रदेश के खेल पुरस्कारों से खिलाडिय़ों को सम्मानित करने के लिए २९ अगस्त २००८ को जब रविशंकर शुक्ल सभागृह में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था तो इस समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घोषणा की थी कि राज्य के पंकज विक्रम पुरस्कार से सम्मानित होने वाले खिलाडिय़ों को भी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जाएगा। जिस समय मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी, उस समय इस घोषणा पर यह कहते हुए खेल विभाग ने अमल नहीं किया था कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन मंगवाएं जा चुके थे, ऐेसे में कुछ नहीं हो सकता था। लेकिन अब जबकि खेल विभाग ने फिर से उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं तो इस बार भी इसमें इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी बन सकते हैं। इस बारे में कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने जब ध्यान दिलाया तो इस दिशा में पहल करते हुए सारे मामले के बारे में जानने के लिए खेल संचालक जीपी सिंह से संपर्क किया। उन्होंने पहले तो यह कहा कि उनकी जानकारी में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की ऐेसी कोई घोषणा नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कोई घोषणा करते हैं तो उनकी जानकारी जिले के जिलाधीश रखते हैं और उसके लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाता है। जब खेल संलाचक से कहा गया कि मुख्यमंत्री के राजधानी के कार्यक्रमों में तो जिलाधीश नहीं रहते हैं, ऐसे में जबकि खेल विभाग के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी तो क्या खेल विभाग ने इस बारे में कोई पत्र नहीं लिखा है। ऐसे में खेल संचालक ने कहा कि उनके पास तो इस संबंध में कोई जानकारी इसलिए भी नहीं है कि जब मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा अगर की भी थी तो वे उस समय वे खेल संचालक नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उप खेल संचालक ओपी शर्मा ही कुछ बता सकते हैं।
सामान्य प्रशासन को पत्र भेज रहे हैं
मुख्यमंत्री की घोषणा के बारे में जब उप खेल संचालक ओपी शर्मा से जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि ऐसी घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी, लेकिन उस समय इस घोषणा पर अमल इसलिए संभव नहीं था क्योंकि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में इसका पालन अगले सत्र में होना था इसलिए इस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया। अब सामान्य प्रशासन को पत्र भेजा जा रहा है। इस पत्र में बस यही लिखा जा रहा है कि पंकज विक्रम पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए पात्र होंगे। श्री शर्मा ने स्पष्ट करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियमों में किसी बदलाव की जरूरत नहीं थी इसी वजह से तत्काल इस दिशा में पहल जरूरी नहीं थी। उन्होंने बताया कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के जो नियम बने हैं उन नियमों में यह बात पहले से है कि जिन भी खिलाडिय़ों को सीनियर वर्ग के लिए राज्य का पुरस्कार मिलेगा, वे खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए के लिए पात्र होंगे। पंकज विक्रम पुरस्कार भी सीनियर वर्ग के खिलाडिय़ों के लिए है।
आवेदन से पहले स्थिति स्पष्ट करनी थी
इधर खेल संघों से जुड़े लोगों का कहना है कि खेल विभाग ने इस बार जब उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए आवेदन मंगवाएं हैं तो इसमें इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले भी पात्र हैं। प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष और प्रदेश वालीबॉल संघ के महासचिव मो। अकरम खान का कहना है कि जिन खिलाडिय़ों के सामने स्थिति स्पष्ट नहीं है वे कैसे आवेदन कर सकते हंै। उन्होंने बताया कि हमारे खेल के दो खिलाडिय़ों को पंकज विक्रम पुरस्कार मिला है, हमने तो इन खिलाडिय़ों के आवेदन मुख्यमंत्री की घोषणा का हवाले देते हुए भरवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन सभी खिलाडिय़ों को आवेदन करने चाहिए जिनको पंकज विक्रम पुरस्कार मिले हैं।
खिलाड़ी आवेदन करें: सिंह
खेल संचालक जीपी सिंह से जब उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के आवेदन में इस बात का उल्लेख न होने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि भले आवेदन के लिए दिए गए विज्ञापन में स्पष्ट नहीं है कि पंकज विक्रम पुरस्कार वाले आवेदन कर सकते हैं, लेकिन जब नियमों में ऐसा लिखा है कि राज्य के सीनियर वर्ग के पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी पात्र होंगे तो खिलाड़ी आवेदन करें उनके आवेदन मान्य होंगे।
सोमवार, 7 सितंबर 2009
नौकरी वाले खिलाडिय़ों को भी नौकरी का आफर
प्रदेश सरकार द्वारा जारी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में करीब दो दर्जन खिलाड़ी ऐसे हैं जो रेलवे में नौकरी करते हैं। स्पष्ट नियमों के अभाव के कारण जहां ऐसे खिलाडिय़ों के आवेदन खेल विभाग ने स्वीकार कर लिए थे, वहीं उनको अब उत्कृष्ट खिलाड़ी भी घोषित कर दिया गया है। लेकिन ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र देने से पहले उनसे यह जान लेने की बात की जा रही है कि वे राज्य सरकार की नौकरी करने के इच्छुक हैं नहीं।
प्रदेश में जबसे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची जारी हुई है, इसको लेकर तरह-तरह से सवाल खिलाड़ी और खेल संघों से जुड़े लोग उठा रहे हैं। नियमों को लेकर खेल संघ संतुष्ट नहीं हैं। इसी तरह से उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने से वंचित रहने वाले खिलाडिय़ों के साथ कई खेल संघों से जुड़े लोग यह सवाल करने लगे हैं कि आखिर क्यों कर ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का काम किया गया है जो खिलाड़ी पहले से नौकरी में हैं। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के करीब दो दर्जन खिलाड़ी रेलवे में काफी समय से कार्यरत हैं। इसी के साथ कुछ खिलाड़ी प्रदेश के पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। राज्य में कार्य करने वाले खिलाडिय़ों के साथ तो दिक्कत नहीं है क्योंकि वे यहां काम कर रहे हैं, लेकिन खेल बिरादरी का सवाल है कि क्या रेलवे के खिलाड़ी नौकरी छोड़कर राज्य शासन की नौकरी करने को तैयार होंगे।
कई खिलाड़ी कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र देने से पहले उनसे पूछ लेना चाहिए। अगर वे राज्य सरकार की नौकरी करने तैयार होते हैं तभी उनको प्रमाणपत्र देना चाहिए।
नियमों की खामियां दूर की जाएंगी
खेल संचालक जीपी सिंह ने इस बात को माना है कि नियमों में कुछ कमियां हैं जिसके कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि नियमों में यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से रेलवे या फिर और फिर किसी संस्थान में कार्यरत हैं वे आवेदन कर सकते हैं या नहीं। ऐसे में सभी ने आवेदन किए और पात्रता रखने के कारण उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में शामिल हो गए। भविष्य में नियमों में आवश्यकता अनुसार बदलाव किया जाएगा ताकि कोई भी ऐसी गलती न हो। वैसे नियमों के अनुसार पात्रता में जो खिलाड़ी खरे उतरे हैं उनको ही उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में रखा गया है।
प्रदेश में जबसे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची जारी हुई है, इसको लेकर तरह-तरह से सवाल खिलाड़ी और खेल संघों से जुड़े लोग उठा रहे हैं। नियमों को लेकर खेल संघ संतुष्ट नहीं हैं। इसी तरह से उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने से वंचित रहने वाले खिलाडिय़ों के साथ कई खेल संघों से जुड़े लोग यह सवाल करने लगे हैं कि आखिर क्यों कर ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का काम किया गया है जो खिलाड़ी पहले से नौकरी में हैं। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के करीब दो दर्जन खिलाड़ी रेलवे में काफी समय से कार्यरत हैं। इसी के साथ कुछ खिलाड़ी प्रदेश के पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। राज्य में कार्य करने वाले खिलाडिय़ों के साथ तो दिक्कत नहीं है क्योंकि वे यहां काम कर रहे हैं, लेकिन खेल बिरादरी का सवाल है कि क्या रेलवे के खिलाड़ी नौकरी छोड़कर राज्य शासन की नौकरी करने को तैयार होंगे।
कई खिलाड़ी कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र देने से पहले उनसे पूछ लेना चाहिए। अगर वे राज्य सरकार की नौकरी करने तैयार होते हैं तभी उनको प्रमाणपत्र देना चाहिए।
नियमों की खामियां दूर की जाएंगी
खेल संचालक जीपी सिंह ने इस बात को माना है कि नियमों में कुछ कमियां हैं जिसके कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि नियमों में यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से रेलवे या फिर और फिर किसी संस्थान में कार्यरत हैं वे आवेदन कर सकते हैं या नहीं। ऐसे में सभी ने आवेदन किए और पात्रता रखने के कारण उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में शामिल हो गए। भविष्य में नियमों में आवश्यकता अनुसार बदलाव किया जाएगा ताकि कोई भी ऐसी गलती न हो। वैसे नियमों के अनुसार पात्रता में जो खिलाड़ी खरे उतरे हैं उनको ही उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में रखा गया है।
लेबल:
उत्कृष्ट खिलाड़ी,
नौकरी
रविवार, 6 सितंबर 2009
उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियम बदलेंगे
छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने लिए तय किए गए नियमों पर उठ रहे सवालिया निशान को देखते हुए खेल विभाग ने पहले ही तय कर लिया है कि इसके नियमों में संशोधन किया जाएगा। खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि विभाग कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है नियमों में जिन बदलावों की जरूरत होगी, वो बदलाव किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश सरकार ने पहली बार ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। अब इन खिलाडिय़ों को नौकरी दी जाएगी। इस सूची के जारी होने के बाद एक बार फिर से खेल बिरादरी में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसमें बहुत ज्यादा कमियां हैं। इन कमियों के कारण जहां कई अपात्र खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं, वहीं कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो राज्य के लिए कुछ साल भी नहीं खेल पाएंगे ऐसे खिलाडिय़ों को नौकरी देने का क्या मतलब रहेगा। अपात्र खिलाडिय़ों के बारे में खुलासा करते हुए जानकार बताते हंै कि टीम खेलों के कई खेल ऐसे होते हैं जो टीमों में तो रहते हैं, पर खेलते नहीं हैं। ऐसे अतिरिक्त खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं। पहली सूची में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो दो साल भी प्रदेश के लिए नहीं खेल पाएंगे। जानकार कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को ही उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करना चाहिए जो कम से कम पांच साल तो प्रदेश के लिए खेल सकें।
प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष मो. अकरम खान कहते हैं कि देश में सबसे अच्छा नियम मप्र का रहा है जिसमें खेल संघों द्वारा तय किए गए खिलाडिय़ों को ही सरकार उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करती रही है। उनका कहना है कि खिलाडिय़ों की क्षमता और प्रतिभा के बारे में खेल संघ ही ज्यादा अच्छा जानते हैं। इसी के साथ मप्र में यह नियम है कि जो खिलाड़ी लगातार तीन साल राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं उनको उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जाता है। श्री अकरम ने बताया कि वे पहले ही खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी और खेल संचालक जीपी सिंह को नियमों में संशोधन करने के लिए लिखित में दे चुके हैं।
मप्र के नियम की ही वकालत करते हुए फुटबॉल संघ के मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं छत्तीसगढ़ के नियम के अनुसार तो कभी भी राष्ट्रीय खेल हॉकी सहित फुटबॉल, वालीबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और लॉन टनिस के साथ कई खेलों के खिलाड़ी कभी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित ही नहीं हो सकेंगे क्योंकि इन खेलों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक मिलना एक तरह से असंभव है। ऐसे में मप्र का नियम ही ठीक लगता है।
ज्यादा खेलों को फायदे देने वाले नियम तय होंगे: संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का इस बारे में कहना है कि उनके पास कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने इस बात को रखा है कि नियमों में कई कमियां हैं। हमारा विभाग मप्र सहित कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है। नियमों में जो कमियां हैं उनको दूर किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जा सके और उनको रोजगार मिल सके। विभाग का मसकद ही प्रदेश में हर खेल और खिलाड़ी का विकास करना है।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश सरकार ने पहली बार ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। अब इन खिलाडिय़ों को नौकरी दी जाएगी। इस सूची के जारी होने के बाद एक बार फिर से खेल बिरादरी में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसमें बहुत ज्यादा कमियां हैं। इन कमियों के कारण जहां कई अपात्र खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं, वहीं कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो राज्य के लिए कुछ साल भी नहीं खेल पाएंगे ऐसे खिलाडिय़ों को नौकरी देने का क्या मतलब रहेगा। अपात्र खिलाडिय़ों के बारे में खुलासा करते हुए जानकार बताते हंै कि टीम खेलों के कई खेल ऐसे होते हैं जो टीमों में तो रहते हैं, पर खेलते नहीं हैं। ऐसे अतिरिक्त खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं। पहली सूची में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो दो साल भी प्रदेश के लिए नहीं खेल पाएंगे। जानकार कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को ही उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करना चाहिए जो कम से कम पांच साल तो प्रदेश के लिए खेल सकें।
प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष मो. अकरम खान कहते हैं कि देश में सबसे अच्छा नियम मप्र का रहा है जिसमें खेल संघों द्वारा तय किए गए खिलाडिय़ों को ही सरकार उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करती रही है। उनका कहना है कि खिलाडिय़ों की क्षमता और प्रतिभा के बारे में खेल संघ ही ज्यादा अच्छा जानते हैं। इसी के साथ मप्र में यह नियम है कि जो खिलाड़ी लगातार तीन साल राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं उनको उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जाता है। श्री अकरम ने बताया कि वे पहले ही खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी और खेल संचालक जीपी सिंह को नियमों में संशोधन करने के लिए लिखित में दे चुके हैं।
मप्र के नियम की ही वकालत करते हुए फुटबॉल संघ के मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं छत्तीसगढ़ के नियम के अनुसार तो कभी भी राष्ट्रीय खेल हॉकी सहित फुटबॉल, वालीबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और लॉन टनिस के साथ कई खेलों के खिलाड़ी कभी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित ही नहीं हो सकेंगे क्योंकि इन खेलों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक मिलना एक तरह से असंभव है। ऐसे में मप्र का नियम ही ठीक लगता है।
ज्यादा खेलों को फायदे देने वाले नियम तय होंगे: संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का इस बारे में कहना है कि उनके पास कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने इस बात को रखा है कि नियमों में कई कमियां हैं। हमारा विभाग मप्र सहित कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है। नियमों में जो कमियां हैं उनको दूर किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जा सके और उनको रोजगार मिल सके। विभाग का मसकद ही प्रदेश में हर खेल और खिलाड़ी का विकास करना है।
लेबल:
उत्कृष्ट खिलाड़ी,
छत्तीसगढ़
मंगलवार, 1 सितंबर 2009
उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची मंत्रालय में लटकी
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची करीब ८ माह से मंत्रालय में लटकी हुई है। खेल विभाग ने तो अपने हिस्से का काम करके सूची को अंतिम रूप देकर मंत्रालय में सामान्य प्रशासन के पास भेज दिया है, पर वहां से ८ माह में सूची जारी नहीं हो सकी है। सूची के लंबे समय से लटकने के कारण खिलाडिय़ों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के ओलंपिक संघ ने इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलने का फैसला भी किया है। संघ का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से सितंबर के प्रथम सप्ताह में मिलने जाएगा।
प्रदेश सरकार ने करीब दो साल पहले राज्य के खिलाडिय़ों को रोजगार देने के लिए उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद नियम बनाकर खेल विभाग को आवेदन मांगने का जिम्मा दिया गया। खेल विभाग ने आवेदन मंगाने के साथ पात्र खिलाडिय़ों की एक सूची बनाकर सामान्य प्रशासन को करीब ८ माह पहले ही जारी करने के लिए भेज दी है। लेकिन यह सूची आज तक जारी नहीं हो सकी है। खेल संचालक से बार-बार खिलाड़ी एक ही सवाल करते हैं कि आखिर यह सूची कब जारी होगी। लोकसभा चुनाव के पहले इसको जारी करने की पूरी तैयार कर ली गई थी। जब मुख्यमंत्री ने एक मार्च को सभी खिलाडिय़ों को अपने निवास पर भोज पर आमंत्रित किया था, तब कहा गया था कि आज सूची जारी हो जाएगी। लेकिन सूची जारी नहीं हो सकी और आज मार्च के बाद छह माह हो चुके हैं पर सूची जारी नहीं हो सकी है। जानकारों की माने तो इस सूची पर मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के अनुमोदन की भी मुहर लग चुकी है, पर न जाने क्यों सामान्य प्रशासन से यह सूची जारी नहीं हो रही है।
इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि हमने अपने हिस्से का काम कर दिया है और हमने सूची सामान्य प्रशासन को भेज दी है। सूची जारी करने का अधिकार हमारा नहीं है, ऐसे में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हमने भी सामान्य प्रशासन से लगातार आग्रह किया है कि सूची जारी कर दी जाए क्योंकि खिलाड़ी खेल विभाग में लगातार फोन करके इसकी जानकारी मांग रहे हैं। पहली सूची जारी होने के बाद ही दूसरी सूची के लिए विज्ञापन दिया जाएगा।
इधर उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची जारी करने में हो रहे विलंब को देखते हुए ही अब प्रदेश ओलंपिक संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से इस संबंध में बात करने का फैसला किया है। प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान कहते हैं कि इस सूची की आश में प्रदेश के सभी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाड़ी बैठे हैं कि कब सूची जारी हो और कब उनके लिए नौकरी के रास्ते खुले। लेकिन खिलाडिय़ों का इंतजार है कि समाप्त ही नहीं हो रहा है। खिलाड़ी खेल विभाग में भी लगातार इस बात की जानकारी लेने जाते हैं। वहां से उनको जवाब मिलता है हमने तो सूची भेज दी है। श्री खान ने बताया कि संघ के पास भी खिलाड़ी लगातार यह जानकारी लेने आते हैं कि सूची क्यों जारी नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री से दखल देकर सूची को जल्द करने का आग्रह किया जाएगा ताकि खिलाडिय़ों को रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि एक ही सूची जारी नहीं हुई है तो फिर आगे खेल विभाग कैसे दूसरे साल की सूची जारी करने के लिए खिलाडिय़ों से आवेदन मांगेगा। श्री खान ने कहा कि एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से अब सितंबर के पहले सप्ताह में समय लेकर मिलने जल्द जाएगा।
प्रदेश सरकार ने करीब दो साल पहले राज्य के खिलाडिय़ों को रोजगार देने के लिए उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद नियम बनाकर खेल विभाग को आवेदन मांगने का जिम्मा दिया गया। खेल विभाग ने आवेदन मंगाने के साथ पात्र खिलाडिय़ों की एक सूची बनाकर सामान्य प्रशासन को करीब ८ माह पहले ही जारी करने के लिए भेज दी है। लेकिन यह सूची आज तक जारी नहीं हो सकी है। खेल संचालक से बार-बार खिलाड़ी एक ही सवाल करते हैं कि आखिर यह सूची कब जारी होगी। लोकसभा चुनाव के पहले इसको जारी करने की पूरी तैयार कर ली गई थी। जब मुख्यमंत्री ने एक मार्च को सभी खिलाडिय़ों को अपने निवास पर भोज पर आमंत्रित किया था, तब कहा गया था कि आज सूची जारी हो जाएगी। लेकिन सूची जारी नहीं हो सकी और आज मार्च के बाद छह माह हो चुके हैं पर सूची जारी नहीं हो सकी है। जानकारों की माने तो इस सूची पर मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के अनुमोदन की भी मुहर लग चुकी है, पर न जाने क्यों सामान्य प्रशासन से यह सूची जारी नहीं हो रही है।
इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि हमने अपने हिस्से का काम कर दिया है और हमने सूची सामान्य प्रशासन को भेज दी है। सूची जारी करने का अधिकार हमारा नहीं है, ऐसे में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हमने भी सामान्य प्रशासन से लगातार आग्रह किया है कि सूची जारी कर दी जाए क्योंकि खिलाड़ी खेल विभाग में लगातार फोन करके इसकी जानकारी मांग रहे हैं। पहली सूची जारी होने के बाद ही दूसरी सूची के लिए विज्ञापन दिया जाएगा।
इधर उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची जारी करने में हो रहे विलंब को देखते हुए ही अब प्रदेश ओलंपिक संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से इस संबंध में बात करने का फैसला किया है। प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान कहते हैं कि इस सूची की आश में प्रदेश के सभी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाड़ी बैठे हैं कि कब सूची जारी हो और कब उनके लिए नौकरी के रास्ते खुले। लेकिन खिलाडिय़ों का इंतजार है कि समाप्त ही नहीं हो रहा है। खिलाड़ी खेल विभाग में भी लगातार इस बात की जानकारी लेने जाते हैं। वहां से उनको जवाब मिलता है हमने तो सूची भेज दी है। श्री खान ने बताया कि संघ के पास भी खिलाड़ी लगातार यह जानकारी लेने आते हैं कि सूची क्यों जारी नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री से दखल देकर सूची को जल्द करने का आग्रह किया जाएगा ताकि खिलाडिय़ों को रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि एक ही सूची जारी नहीं हुई है तो फिर आगे खेल विभाग कैसे दूसरे साल की सूची जारी करने के लिए खिलाडिय़ों से आवेदन मांगेगा। श्री खान ने कहा कि एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से अब सितंबर के पहले सप्ताह में समय लेकर मिलने जल्द जाएगा।
लेबल:
उत्कृष्ट खिलाड़ी,
मंत्रालय
शुक्रवार, 5 जून 2009
उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के जारी होंगे नाम- मिलेगा काम
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को अब तक अपने नाम जारी होने के साथ नौकरी का भी इंतजार है। खेल विभाग में जिन खिलाडिय़ों ने उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के लिए आवेदन दिए थे, उन सबके नाम सामान्य प्रशासन को भेज दिए गए हैं। सामान्य प्रशासन द्वारा खिलाडिय़ों के नाम की सूची जारी होने के बाद ही उनको काम मिलेगा।
प्रदेश सरकार ने खिलाडिय़ों को रोजगार देने के लिए उनको उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके नौकरी देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत ही ऐसे पात्र खिलाडिय़ों के आवेदन खेल विभाग ने मंगाए थे जो उत्कृष्ट खिलाड़ी बन सकते हैं। प्रदेश के करीब २५० खिलाडिय़ों ने उत्कृष्ट खिलाड़ी होने का दावा करते हुए अपने फार्म करीब ६ माह पहले ही जमा कर दिए थे। पहले विधानसभा चुनाव और बाद में लोकसभा चुनाव के कारण खिलाडिय़ों की सूची ही जारी नहीं हो सकी। मार्च में लोकसभा के लिए आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के निवास में एक मार्च में खिलाडिय़ों के सम्मान समारोह में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूजी जारी होने की बात की जा रही थी, पर यह सूची जारी नहीं हो सकी। उस समय खेल मंत्री लता उसेंडी ने कहा भी था कि सूची बन गई है और उसे जल्द जारी कर दिया जाएगा। लेकिन अब तक सूची जारी नहीं हो सकी है। खेल विभाग में सूची के बारे में जानकारी लेने पर संचालक जीपी सिंह ने बताया कि अब इस मामले में उनके विभाग की तरफ से कोई काम बाकी नहीं है। हमारे विभाग का काम सिर्फ इतना था कि आवेदन मंगाकर उनको सामान्य प्रशासन के पास भेजना है। उन्होंने बताया कि जो भी पात्र खिलाड़ी हैं उनके सहित उन सभी नामों को सामान्य प्रशासन के पास भेज दिया गया है जो उत्कृष्ट खिलाड़ी होने का दावा करते हैं। उन्होंने बताया कि अब सूची जारी करने का काम सामान्य प्रशासन का है। उन्होंने बताया कि वैसे वे भी बीच-बीच में सामान्य प्रशासन से इस संदर्भ में बात करते रहते हैं क्योंकि उनके पास भी लगातार खिलाड़ी जानकारी के लिए आते रहते हैं।
कुल मिलाकर अब खिलाडिय़ों को नौकरी मिलने का मामला सामान्य प्रशासन के पास है और वहां से सूची जारी होने के बाद ही खिलाडिय़ों को काम मिल सकेगा। खिलाडिय़ों को सूची के जारी होने का बेताबी से इंतजार है। एक जानकारी के अनुसार पहले चरण में करीब ८० खिलाडिय़ों के नाम जारी होने वाले हैं।
प्रदेश सरकार ने खिलाडिय़ों को रोजगार देने के लिए उनको उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके नौकरी देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत ही ऐसे पात्र खिलाडिय़ों के आवेदन खेल विभाग ने मंगाए थे जो उत्कृष्ट खिलाड़ी बन सकते हैं। प्रदेश के करीब २५० खिलाडिय़ों ने उत्कृष्ट खिलाड़ी होने का दावा करते हुए अपने फार्म करीब ६ माह पहले ही जमा कर दिए थे। पहले विधानसभा चुनाव और बाद में लोकसभा चुनाव के कारण खिलाडिय़ों की सूची ही जारी नहीं हो सकी। मार्च में लोकसभा के लिए आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के निवास में एक मार्च में खिलाडिय़ों के सम्मान समारोह में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूजी जारी होने की बात की जा रही थी, पर यह सूची जारी नहीं हो सकी। उस समय खेल मंत्री लता उसेंडी ने कहा भी था कि सूची बन गई है और उसे जल्द जारी कर दिया जाएगा। लेकिन अब तक सूची जारी नहीं हो सकी है। खेल विभाग में सूची के बारे में जानकारी लेने पर संचालक जीपी सिंह ने बताया कि अब इस मामले में उनके विभाग की तरफ से कोई काम बाकी नहीं है। हमारे विभाग का काम सिर्फ इतना था कि आवेदन मंगाकर उनको सामान्य प्रशासन के पास भेजना है। उन्होंने बताया कि जो भी पात्र खिलाड़ी हैं उनके सहित उन सभी नामों को सामान्य प्रशासन के पास भेज दिया गया है जो उत्कृष्ट खिलाड़ी होने का दावा करते हैं। उन्होंने बताया कि अब सूची जारी करने का काम सामान्य प्रशासन का है। उन्होंने बताया कि वैसे वे भी बीच-बीच में सामान्य प्रशासन से इस संदर्भ में बात करते रहते हैं क्योंकि उनके पास भी लगातार खिलाड़ी जानकारी के लिए आते रहते हैं।
कुल मिलाकर अब खिलाडिय़ों को नौकरी मिलने का मामला सामान्य प्रशासन के पास है और वहां से सूची जारी होने के बाद ही खिलाडिय़ों को काम मिल सकेगा। खिलाडिय़ों को सूची के जारी होने का बेताबी से इंतजार है। एक जानकारी के अनुसार पहले चरण में करीब ८० खिलाडिय़ों के नाम जारी होने वाले हैं।
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