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बुधवार, 13 जुलाई 2011

थांग ता में हुए रोमांचक मुकाबले

राजधानी में पहली बार आयोजित जिला स्तरीय थांग ता में 80 खिलाड़ियों के बीच रोमांचक मुकाबले हुए। सब जूनियर के साथ जूनियर और सीनियर वर्ग में खिलाड़ियों ने अपने जौहर दिखाएं।
जिला संघ के सचिव कौशिक साहू ने बताया कि रायपुर में पहली बार आयोजित स्पर्धा में खिलाड़ियों ने उत्साह से भाग लिया। मुकाबलों में इन खिलाड़ियों को सफलता मिली। सब जूनियर वर्ग के 29 किलो प्रथम याचना भगत। 33 किलो प्रथम पिंकी जंघेल। 37 किलो प्रथम रीना जंघेल। जूनियर वर्ग के 41 किलो प्रथम कामिनी साहू। 44 किलो प्रथम पूजा कुशवाहा। 48 किलो प्रथम सरिता जोशी। 52 किलो प्रथम राधा कुमार। 56 किलो प्रथम धानेश्वरी पांडे। सीनियर वर्ग 50 किलो प्रथम मनीषा गजभिये। 66 किलो प्रथम प्राची रावत।
बालक वर्ग 25 किलो प्रथम त्रिदेव ध्रुव। 33 किलो प्रथम सूर्यकांत निषाद। 41 किलो प्रथम जयराम साहू। 45 किलो प्रथम वैभव साहू। जूनियर वर्ग 41 किलो प्रथम ओमप्रकाश जंघेल। 44 किलो प्रथम मन्नु जंघेल। 48 किलो प्रथम कृष्णा चेलक। 52 किलो प्रथम गौतम जंघेल। 56 किलो प्रथम संतोष भलावी। सीनियर 56 किलो प्रथम रामनारायण जंघेल। 60 किलो प्रथम पंकज यादव। 65 किलो प्रथम अब्दुल करीम। 80 किलो प्रथम बादल कुमार। 85 किलो प्रथम मनीष श्रीवास्तव और 90 किलो में प्रथम कौशिक कुमार साहू रहे।

सोमवार, 27 जुलाई 2009

थांग ता-जाएगा छा


छत्तीसगढ़ में एक और नए खेल थांग ता ने दस्तक दी है। इस खेल के गुर सिखाने के लिए प्रदेश के खिलाडिय़ों को राजधानी में एकत्रित किया गया है। करीब १५० खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय फेडेरशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंग दो प्रशिक्षकों के साथ राजधानी में हैं। वे यहां पर खिलाडिय़ों को इस खेल की बारीकियों की जानकारी देकर जाएंगे, ताकि यह खेल छत्तीसगढ़ में भी छा जाए। वैसे यह खेल देश के २७ राज्यों में खेला जा रहा है। यह खेल मुख्यत: मणिपुर का पारंपरिक खेल है।


प्रदेश के थांग ता संघ ने मार्शल आर्ट ने इस नए खेल से छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों को जोडऩे की पहल की है। इस खेल की जानकारी देने के लिए रविशंकर विवि के पास एक हॉल में चार दिनों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है। इस शिविर में प्रदेश के पांच जिलों रायपुर सहित बिलासपुर, भिलाई, महासमुन्द, दुर्ग और कोरबा के १५० खिलाड़ी प्रशिक्षण लेने आए हैं। इन खिलाडिय़ों में ३० महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इस नए खेल के बारे में प्रदेश संघ के सचिव गोविंद रावत ने बताया कि यह मुख्यत: मणिपुर का पारंपरिक खेल हैं। इस खेल में खिलाडिय़ों के हाथ में लकड़ी का बना तलवार नुमा हथियार होता है। इस हथियार को चइवी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रशिक्षक खिलाडिय़ों को २९ जुलाई तक प्रशिक्षण देंगे। इसके बाद जो खिलाड़ी यहां से प्रशिक्षण लेकर जाएंगे, वे अपने-अपने जिलों में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण शिविर रोज सुबह को ७ से १० बजे और शाम को ४ से ६ बजे तक दिया जाएगा। प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन आज शिविर का उद् घाटन कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने किया। इसके बाद शाम के सत्र में खिलाडिय़ों को खेल के बारे में जानकारी दी गई।

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