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शनिवार, 30 जनवरी 2010

महिला खिलाडिय़ों को आगे लाने जागरूकता जरूरी

भारत में कहने को भले आज महिला खिलाड़ी हर खेल में अपने जौहार दिखा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी स्थिति यह है कि महिलाएं खेलों में काफी पीछे हैं। अपने देश में खिलाडिय़ों के साथ प्रशिक्षकों को मिलने वाले खेल पुरस्कार भी यह बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पुरस्कार ज्यादा मिलते हैं। भारत में महिला खिलाडिय़ों को आगे लाने के लिए आज भी जागरूकता की जरूरत है। इधर विदेशों में महिला खिलाडिय़ों के साथ पक्षपात होता है। विश्व के सबसे लोकप्रिय माने जाने वाले खेल लॉन टेनिस में ही जो ग्रैंड स्लैम स्पर्धाएं होती हैं, उनमें इनामी राशि को देखने से मालूम होता है कि इसमें कितना अंतर है।
ये बातें यहां पर खेलकूद में महिलाओं की भूमिका पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में निकल कर सामने आर्इं। इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्व डीन डॉ। एमएल कमलेश ने बताया कि उन्होंने भारत में मिलने वाले अर्जुन पुरस्कार के बारे में जानकारी एकत्रित की है, इस जानकारी पर एक नजर डालने से मालूम होता है कि अगर ४०० अर्जुन पुरस्कार दिए गए हैं तो इनमें से ३२० पुरुष खिलाडिय़ों को मिले हैं। इसी तरह से प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले पुरस्कार द्रोणाचार्य की बात की जाए तो अगर ये १०० पुरस्कार दिए गए हैं तो ९६ पुरुष प्रशिक्षकों को मिले हैं। उन्होंने कहा कि विदेश की तुलना में भारत में महिला खिलाड़ी खेलों में आगे नहीं आती हैं। आज भी भारत में महिला खिलाडिय़ों का टोटा है। उन्होंने कहा कि जागरूकता के बिना महिला खिलाड़ी सामने आने वाली नहीं है।

उन्होंने विदेशों के बारे में कहा कि विदेशों में भले महिला खिलाड़ी हर खेल में आगे हैं, पर वहां भी खिलाडिय़ों को पक्षपात का सामना करना पड़ता है। लॉन टेनिस में विम्बलडन की बात हो या फिर किसी भी स्पर्धा की हर स्पर्धा में पुरुष खिलाडिय़ों को ज्यादा इनामी राशि मिलती है। वैसे यह बात भी है कि अब पहले की तुलना में काफी बदलाव आया है, वरना पहले ओलंपिक में महिलाएं केवल तालियां बजाने के लिए होती थीं।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. रीता वेणु गोपाल ने व्यायाम के प्रभाव के बारे में जानकारी दी। एलएनआईपी के केके वर्मा ने बताया कि महिलाओं से शारीरिक शिक्षा को पहले डांस के रूप में अपनाया इसके बाद महिलाएं खेलों से जुड़ीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा खेलों से जोडऩे का काम करना चाहिए। डॉ. शीला तिवारी ने बताया कि आज महिलाएं मैराथन के साथ एथलेटिक्स की हर विधा में पुरुषों के साथ भागीदारी कर रही हैं, पहले महिलाएं बॉस कूद और तिहरी कूद में भाग नहीं लेती थीं। वर्षा सिंग ने बताया कि व्यायाम से कैसे लंबाई बढ़ाने के साथ वजन को कम करने का काम किया जा सकता है। इसके पहले संगोष्ठी का उद्घाटन शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने किया।

गुरुवार, 28 जनवरी 2010

खेलों में महिलाओं की भूमिका पर आज से राष्ट्रीय संगोष्ठी

खेलकूद में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से तथा इसमें आने वाली चुनौतियों को लक्ष्य में रखकर दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में कल से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ। अरविन्द गिरोलकर ने बताया कि यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शारीरिक शिक्षा विभाग के सहयोग से की जा रही है। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में लोक निर्माण व पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल व विशिष्ट अतिथि खेल व समाज कल्याण मंत्री लता उसेंडी और रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एस के पांडेय शामिल होंगे। इस संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. एमएल कमलेश उपस्थित रहेंगे। वहीं संगोष्ठी के समापन समारोह में सांसद रमेश बैस शामिल होंगे।

इस संगोष्ठी में देश के शारीरिक शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ। एम कमलेश भूतपूर्व डीन एलएनआईपी तिरूवनतपुरम, डॉ. केके वर्मा पूर्व डीन, डॉ. अखिलेश शर्मा, डॉ. एसके यादव, डॉ. सूरज सिंह, डॉ. बीके भारद्वाज, डॉ. अर्जून सिंह, डॉ. आशीष निगम, डॉ. राजेश त्रिपाठी, डॉ. आलोक मिश्रा, डॉ. तपन दत्ता, डॉ. रेड्डी सहित महत्तवपूर्ण हस्तियां इस संगोष्ठी में भाग लेंगे।

श्री गिरोलकर ने बताया कि इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नीता डुमरे(हॉकी), सबा अंजुम(हॉकी) एवं किरण अग्रवाल (शतरंज) उपस्थित रहेंगी। इस संगोष्ठी में शारीरिक शिक्षा तथा खेलकूद से संबंधित विभिन्न आयामों पर विद्वान विशेषज्ञों द्वारा पेपर पढ़े जाएंगे। इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा एक सोविनियर का भी प्रकाशन किया जा रहा है।

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