मंगलवार, 31 मार्च 2009
चेन्नई की जीत में प्रशांत चमके
रविवार, 29 मार्च 2009
बेंगलूर की जीत में चेलुराज का शतक

आईपीएल में खेलकर ही भारतीय टीम निखरी

शनिवार, 28 मार्च 2009
रोहन के बल्ले से निकली जीत

बेंगलूर:- एम. मुकेश का. नंदी बो सान्याल ०० (०७), वी. चेलुराज नाबाद ९४ (१४७), सौहेल मैनेजर का रोहन बो केएच मंडल ४६ (७०), सीके अक्षय का एस. अहमद बो मंडल ०१ (०२), एसपी मंजूनाथ पगबाधा बो सान्याल १० (११), एसके जैन पगबाधा बो मंडल ०५ (०५), पीपी कुलकर्णी बो एस पाकरे ०१ (०९), नागराज का ए. चक्रवर्ती बो ए. नंदी १० (२९), संदीप एच नाबाद २३ (१५), अतिरिक्त ३१। कुल- ८ विकेट पर २२३ रन। विकेट पतन- १-०, २-११५, ३-११७, ४-१३१, ५-१४३, ६-१४८, ७-१५३, ८-१७५। गेंदबाजी- संजीब सान्याल १०-२-३९-२, एनके दास ९-१-४०-०, एस. सिल ३-०-१७-०, एस. पाकरे १०-०-३२-१, केएच मंडल १०-१-४०-४, ए. नंदी ८-१-४३-१। कोलकाता:- ए. चक्रवर्ती पगबाधा बो एसके जैन ७३ (९५), एस. सिल का. चेलुराज बो एम. नागराज १३ (२५), रोहन बनर्जी नाबाद १०० (१२३), केएच मंडल का. चेलुराज बो सौहेल २८ (३५), ए. नंदी नाबाद ०७ (१०), अतिरिक्त ०३। कुल- ४८ ओवरों में तीन विकेट पर २२४ रन। विकेट पतन- १-२९, २-१५९, ३-२१४। गेंदबाजी- मनोज ७-१-३२-१, नागराज ६-०-३३-१, संदीप ५-०-२१-०, सौहेल ७-१-३०-१, सीके अक्षय ८-०-४३-०, पी. कुलकर्णी १०-०-४३-०, एसके जैन ५-०-२२-१।
शुक्रवार, 27 मार्च 2009
आईपीएल का खेल -भारत में फेल

आईपीएल के पहले संस्करण के जोरदार सफल होने के बाद आईपीएल के दूसरे संस्करण का जब आयोजन करने का फैसला आयोजकों ने किया था तब उनको नहीं मालूम था कि इस आयोजन से पहले ऐसा कुछ हो जाएगा जिससे उनका यह आयोजन भारत में खटाई में पड़ जाएगा। संभवत: ऐसा होता भी नहीं। लेकिन एक तो भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव ने आईपीएल का रास्ता रोका, फिर सवाल यह खड़ा हुआ कि क्या लोकसभा चुनाव के समय खिलाडिय़ों को वैसी सुरक्षा दी जा सकती है जैसी जरूरी है। खिलाडिय़ों को ज्यादा सुरक्षा देने की जरूरत इसलिए आन पड़ी क्योंकि आईपीएल के आयोजन से ठीक पहले पाकिस्तान में जिस तरह से लंकाई खिलाडिय़ों पर आतंकी हमला हुआ उस हमले के बाद यह बात तय हो गई कि आईपीएल का आयोजन बिना कड़ी सुरक्षा के संभव नहीं है। ऐसे में आयोजकों ने पूरा प्रयास किया कि सरकार उनको सुरक्षा देने का काम करे। केन्द्रीय गृहमंत्रालय के कहने पर आयोजकों ने दो बार कार्यक्रम में फेरबदल किया, लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में आयोजकों ने मजबूरी में इसका आयोजन द. अफ्रीका या फिर इंग्लैंड में करने का फैसला किया। आईपीएल के प्रस्ताव पर द. अफ्रीका ने मेजबानी में बाजी मार ली। काफी कम समय में अफ्रीका ने आयोजन का जिम्मा ले लिया। जब आईपीएल को देश के बाहर ले जाने का फैसला किया गया था, उस समय ऐसा माना जा रहा था कि आयोजक सरकार को डराने का काम कर रहे हैं और सरकार को अंत में इसलिए झूकना पड़ेगा क्योंकि आगे लोकसभा चुनाव हैं और ऐसे में क्रिकेट को सुरक्षा न दे पाने का एक मुद्दा भाजपा को मिल जाएगा। भाजपा के नेताओं ने इस बात को जोर-शोर से उछालने का काम भी किया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो केन्द्र सरकार को कोसते हुए खिलाडिय़ों को सुरक्षा देने की गांरटी लेने की बात कह दी। अब यह बात अलग है कि मोदी जी अपने राज्य में आतंकी हमलों को नहीं रोक पाए थे और वे खिलाडिय़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कह रहे हैं। ऐसी खोखली राजनीति किस काम की। क्या वास्तव में श्री मोदी ऐसी कोई ठोस बात कह सके जिससे उनकी बात पर भरोसा किया जाता। श्री मोदी को देश से ज्यादा क्रिकेट की इतनी ही चिंता थी तो उनको आईपीएल का सारा आयोजन गुजरात में करवाने के लिए आईपीएल के आयोजकों को तैयार कर लेना था। वैसे देखा जाए तो आईपीएल को लेकर भाजपा ने राजनीति करने का कोई मौका नहीं गंवाया। भाजपा नेताओं ने अपने पासे फेंककर केन्द्र सरकार को बोल्ड करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन तारीफ करनी होगी गृहमंत्री पी. चिंदबरम की जिन्होंने देश से ज्यादा महत्व क्रिकेट को नहीं दिया। माना कि भारत में क्रिकेट को पूजने की हद तक चाहा जाता है और लोग यहां पर सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी की मूर्ति लगाकर मंदिर बना लेते हैं, लेकिन इन सब बातों के कारण सुरक्षा को तो ताक पर नहीं रखा जा सकता है न। अगर खिलाडिय़ों को कम सुरक्षा देकर आयोजन को मंजूरी दे दी जाती और पाकिस्तान जैसी घटना हो जाती तो इसका जवाबदार कौन होता? तब आज वहीं लोग सरकार को कोसने का काम करते जो आयोजन के लिए सुरक्षा न देने पर सवाल उठा रहे हैं। यह अपने आप में समझने वाली बात है कि जब विश्व के सबसे बड़े लोकतांंत्रिक देश में चुनाव हो रहे हैं तो उस चुनाव के लिए सुरक्षा के इंतजाम ज्यादा जरूरी है या फिर क्रिकेट के लिए सुरक्षा देना ज्यादा जरूरी है। और वो भी एक ऐसे क्रिकेट के आयोजन के लिए जो तीन घंटे के सी क्लास के सिनेमा से ज्यादा कुछ नहीं है। अगर यहां पर कोई विश्व कप की बात होती को एक बात समझ आती की विश्व कप तो पहले से तय था ऐसे में उसके लिए सुरक्षा के इंतजाम जरूरी है। लेकिन आईपीएल को कोई मजबूरी नहीं है। अगर वास्तव में गंभीरता से देखा जाए तो आईपीएल के आयोजन से खेल का क्या भला हो रहा है। इस आयोजन से आयोजन करने वालों के साथ खिलाडिय़ों पर ही पैसे बरसे रहे हैं। आम जनों की तो जेबें खाली हो रही हैं। आईपीएल के पहले संस्करण में यह बात का खुलकर सामने आई कि क्रिकेट में फिल्मी सितारों की घुसपैठ के कारण क्रिकेट एक तरह से बर्बादी की तरफ जा रहा है। मैचों के आयोजन के बीच में कम कपड़ों वाली चियर्स गल्र्स को रखकर आयोजक दर्शकों को कौन का खेल दिखाना चाहते हैं यह तो वहीं बता सकते हैं। ऐसे सिनेमा को अगर वास्तव में अगर गृह मंत्रालय में सुरक्षा के लिहाज से मंजूरी न देने का काम किया गया है तो इसके लिए गृह मंत्रालय साधुवाद का पात्र है। हो सकता है कि यह बात क्रिकेट के चाहने वालों को अच्छी न लगे। लेकिन क्रिकेट के चाहने वाले भी भारत के नागरिक पहले हैं। ऐसे में उनको पहले देश हित का ध्यान रखना चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं कि किसी भी देश के लिए चुनाव ज्यादा जरूरी होते हैं न की क्रिकेट जैसा कोई आयोजन। क्रिकेट को साल भर चलते रहता है और चलता रहेगा, लेकिन चुनाव तो पांच साल में एक बार होने हैं और जनता को अपना मत देना है।
आईपीएल के भारत में न होने से जरूर दर्शकों में निराशा होगी लेकिन देश के नागरिक यह बात अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अगर सुरक्षा के अभाव में उनके किसी चहेते क्रिकेटर को कुछ हो जाता तो क्या होता। इसमें कोई दो मत नहीं कि आतंकवाद को लगातार बढ़ावा देने वाला अपना पड़ोसी देश भी इस ताक में रहा होगा कि आईपीएल का आयोजन कम सुरक्षा के बीच भारत में हो और उस पर आतंकी हमला कर दिया जाए। ऐसा होने की कल्पना करके ही क्रिकेट प्रेमी समझ सकते हैं कि आईपीएल को भारत में मंजूरी न देना एक अच्छा फैसला रहा है। गृह मंत्रालय ने एक तरह से पाक के मंसूबों पर भी पानी फेरा है।
कोलकाता की दूसरी जीत

डब्ल्यूआरएस के रेलवे मैदान में पहले खेलने उतरी पटियाला की टीम के बल्लेबाज पहले मैच की तरह ही नहीं जम पाए और एक-एक करके आउट होते गए। इस मैच में पटियाला के बल्लेबाजों ने सिर्फ इतना किया कि ३५वें ओवर तक मैदान में डटे रहे, लेकिन रन महज ७७ ही बना सके। दो बल्लेबाज रवि चावला (१४) और संजय कुमार (१९) ही दहाई के आंकड़े तक पहुंचे। रवि ने तो ८० गेंदों का सामना किया। संजय ने १९ रन बनाने के लिए ३१ गेंदें खेलीं। कोलकाता के लिए केएच मंडल ने ३.२ ओवरों में ९ रन देकर चार विकेट लिए और मैन ऑफ मैच रहे। एस. पाकरे ने भी विकेट लिए और १५ रन खर्च किए।
७८ रनों के आसान से लक्ष्य के सामने कोलकाता की पारी का आगाज ए. चक्रवर्ती और ए. नंदी ने किया। इस सलामी जोड़ी ने ३७ मिनट में ५० गेंदों का सामना करके ४४ रन जोड़े। इस जोड़ी को तोडऩे का काम ए. चक्रवर्ती का विकेट लेकर नरेन्द्र ने किया। इसके बाद ए. नंदी ने ए. सिकदर का साथ लेकर अपनी टीम को १३वें ओवर में ही जीत दिला दी। ए. नंदी ने ४० गेंदों पर ८ चौकों की मदद से ४१ रन बनाए। ए. सिकदर ने पांच रन बनाए। मैच के अंपायर वासुदेव प्रसाद, विजय प्रसाद और मैच रेफरी एमवीआर कुमार नायडु तथा स्कोरर सचिन टांक और अभिषेक जैन थे।
चैंपियनशिप में रोज मैन ऑफ मैच को जहां एक चांदी का स्मृित चिंह दिया जा रहा है, वहीं पांच सौ रुपए की नगद राशि ही भी दी जा रही है। इसके अलावा एक टी-शर्ट भी दी जा रही है। मैन ऑफ मैच के सारे पुरस्कार के प्रायोजक क्रिकेट खिलाड़ी प्रवीण सुराना और राजीव सोनी हैं।
पटियाला:- इन्द्रजीत बो एनके दास ०९ (०६), शिवशंकर प्रसाद बो संजीब सान्याल ०५ (११), रवि चावला बो. एस पाकरे १४ (८०), दिलीप यादव का. ए. सिकद बो एस. पाकरे ०४ (१३), संजय कुमार का ए. चक्रवर्ती बो एस. पाकरे १९ (३१), जसपाल सिंग पगबाधा बो केएच मंडल ०३ (३२), रौशन लाल पगबाधा बो केएच मंडल ०७ (१६), किरण कुमार (रन आउट-रोहन), ०५ (०८), नरेन्द्र का एनकेदा बो केएच मंडल ०० (०४), अकबर खान का. संजीब बो केएच मंडल ०४ (०२), सुखविंदर नाबाद ०१ (०३), अतिरिक्त ०३। कुल ३४.२ ओवरों में ७७ रन।
विकेट पतन- १-९, २-१६, ३-३१, ४-५५, ५-५७, ६-६१, ७-६७, ८-७०, ९-७५, १०-७७।
गेंदबाजी- केएच मंडल ३.२-०-०९-०४, संजीब सान्याल ६-३-१९-१, एनकेदास ५-०-६-१, एस. पाकरे १०-३-१५-३।
कोलकाता :- ए. चक्रवर्ती क जसविंदर बो नरेन्द्र २६ (२३), ए. नंदी नाबाद ४१ (४०), ए. सिकदर नाबाद ०५ (०९)। कुल १२.३ ओवरों में एक विकेट पर ८० रन। विकेट पतन- १-४४। गेंदबाजी- किरण कुमार ४-१-२९-०, सुखविंदर ३-०-७-०, रौशन लाल २-०-९-०, नरेन्द्र २.३-०-३४-१, दिलीप यादव १-०-१-०।
पवन धनगर ने दो स्वर्ण पदक जीते
छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी भारतीय टीम से खेलेंगे
मंगलवार, 24 मार्च 2009
आईपीएल के बाहर जाने से भारत के दर्शक निराश होंगे

रणजी में भी हो ट्वंटी-20

जयपुर की जीत में शैलेन्द्र चमके

आईपीएल जरूरी है देश के बाहर कराना मजबूरी है

मेट्रो कोलकाता ने चेन्नई को ६१ रनों से हराया

सोमवार, 23 मार्च 2009
टूटी आस- सब निराश
केन्द्र सरकार पुर्नविचार करे: भाटिया:- छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया का कहना है कि महज सुरक्षा के कारण इंडियन प्रीमियर लीग का भारत में न होना निराशाजनक है। इसके लिए केन्द्र सरकार को एक बार फिर से सोचना चाहिए। आईपीएल क्योंकि भारत का प्रारंभ किया गया आयोजन है और इसमें ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी ही खेलते हैं तो ऐसे में यह आयोजन भारत में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोजन के बाहर जाने से जहां भारतीय खेल प्रेमियों में निराशा है, वहीं देश के राजस्व में भी हानि होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मैच न होने से हर कोई निराश है। उन्होंने कहा कि आगे आईपीएल की भरपाई के लिए हमारा संघ जरूर बीसीसीआई के कोई वनडे मैच या फिर टेस्ट मैच की मेजबानी मांगेगा। उन्होंने कहा कि यह बात तो तय थी कि अगर आईपीएल का आयोजन भारत में होता तो रायपुर में जरूर मैच होते। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई की कमेटी ने रायपुर के स्टेडियम को वैसे भी मैचों के लायक माना था। उन्होंने कहा कि अब चंूकि हमारा संघ अंतरराष्ट्रीय मैचों को लेकर काफी गंभीर है ऐसे में जहां भी आईपीएल का आयोजन होगा वहां छत्तीसगढ़ संघ का एक प्रतिनिधि मंडल जरूर जाएगा ताकि देखा जाए कि अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए क्या जरूरी होता है। सारी बातों की जानकारी होने पर भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मैच लेने में परेशानी नहीं होगी।
रविवार, 22 मार्च 2009
नए स्टेडियम में आईपीएल के मैचों के लिए बन रहीं हैं तीन पिचें

फुटबॉल के गुर सीखने १० से जुटेंगे खिलाड़ी

शनिवार, 21 मार्च 2009
रायपुर का स्टेडियम एशिया में नंबर दो


गुरुवार, 19 मार्च 2009
ओलंपियन को भी पुरस्कार के लायक नहीं समझता छत्तीसगढ़ का खेल विभाग

बुधवार, 18 मार्च 2009
कमियां होने लगीं दूर- मैच मिलेगा जरूर
रायपुर में होंगे आईपीएल के मैच
प्रदेश के स्कूली खेलों में सब गोल माल
ग्रामीण फुटबॉलरों को भी निखार रहा है प्रदेश फुटबॉल संघ

प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेलों में फुटबॉल का नाम भी है। वैसे तो कबड्डी और वालीबॉल का खेल सबसे ज्यादा खेला जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में फुटबॉल खेलने वाले खिलाडिय़ों की भी कमी नहीं है। इधर ग्रामीण खिलाडिय़ों को भरपूर मौका देने का काम प्रदेश का फुटबॉल संघ भी कर रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के जोनल सचिव मुश्ताक अली प्रधान के साथ कोषाध्यक्ष दिवाकर थिटे ने बताया कि प्रदेश में फुटबाल संघ का गठन २००१ में किया गया। इसके बाद से ही प्रदेश में सभी १८ जिले सक्रिय हैं। इसके पहले जब १६ जिले थे तो शुरू से ही यहां पर जिला संघ बना दिए गए थे, इसके बाद दो और जिले बने तो वहां भी संघों का गठन कर दिया गया। इन्होंने बताया कि हर जिले में फुटबॉल के एक दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। संघ के पास प्रदेश के ४०० से ज्यादा फुटबॉल क्लबों का पंजीयन है। इन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा क्लब आदिवासी जिलों कोरिया, सरगुजा, बस्तर में हैं। कोरिया और सरगुजा जिलों में तीन-तीन दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। इसी तरह से कोरबा, दुर्ग, रायपुर कांकेर में कम से कम २०-२० क्लब हैं। इन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में फुटबॉल आज आगे है तो इसके पीछे यहां पर फैला क्लब का जाल है। क्लब कल्चर से ही फुटबॉल क्या किसी भी खेल को आगे बढ़ाया जा सकता है। बंगाल में फुटबॉल का दबदबा रहता है तो इसके पीछे भी क्लब कच्लर ही है। हर वर्ग की होती है चैंपियनशिप:- चैंपियनशिप का जहां तक सवाल है तो हर आयु वर्ग की चैंपियनशिप का आयोजन प्रदेश संघ राज्य स्तर के साथ जिला स्तर पर करता है। फुटबॉल ही एक ऐसा खेल है जिसमें अंडर बालिका वर्ग में अंडर १४, १७ एवं १९ साल की चैंपियनशिप के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। बालक वर्ग में अंडर १४, १६, १९ और २१ साल के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। इन सभी वर्गों की राज्य चैंपियनशिप के बाद राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने जाने से पहले टीमों का प्रशिक्षण शिविर अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। प्रदेश की कोई भी टीम २१ दिनों के प्रशिक्षण शिविर के बिना बाहर खेलने नहीं जाती है। आज यही वजह है कि प्रदेश की टीमों को लगातार सफलता मिल रही है। टीम अभी तक भले राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक नहीं सकी है, लेकिन बालिका वर्ग में सब जूनियर टीम सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रही है। खेल विभाग की मदद से निखर रहा है खेल:- मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश में फुटबॉल का खेल विभाग की मदद के कारण निखर रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग जहां सब जूनियर के साथ जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है, वहीं जिला टीमों को आने-जाने का खर्च मिलने के कारण ही अब जिलों से ग्रामीण अंचल के खिलाड़ी खेलने आने लगे हैं। ग्रामीण खिलाडिय़ों के चैंपियनशिप में आने के कारण प्रदेश की टीम में स्थान बनाने के लिए मुकाबाल कड़ा हो जाता है। ग्रामीण खिलाडिय़ों के फिटनेस के आगे बाकी खिलाड़ी ठहर नहीं पाते हैं। मैदान और अकादमी जरूरी है:- श्री प्रधान ने बताया कि प्रदेश संघ के पास अपना मैदान न होने के कारण भारी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि इसी के साथ यह भी जरूरी है कि प्रदेश की टीमों को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाने के लिए अकादमी बनानी चाहिए। इस दिशा में प्रदेश संघ पहल भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि वैसे दूसरे राज्यों की तुलना में यहां पर सुविधाओं की कमी जरूरी है। लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के खिलाड़ी अपनी मेहनत से सफलता पाने में सफल हो रहे हैं।
मंगलवार, 17 मार्च 2009
मैदान संवार देंगे - मैच जरूर लेंगे

सोमवार, 16 मार्च 2009
खेल संघों को सक्रिय करे ओलंपिक संघ

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने जिलों के खेल संघों को सक्रिय करने के लिए प्रदेश ओलंपिक संघ को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि ओलंपिक संघ यह देखे कि जिले के खेल संघ महज कागजों में ही न चलें। जिला संघों को सक्रिय करके खेलों को पंचायत स्तर तक ले जाने की बात कही गई है। खेल विभाग वर्तमान में सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है। आगे विभाग की सीनियर वर्ग में भी चैंपियनशिप करवाने की योजना है। प्रदेश के खेल विभाग ने पहली बार जिला संघों को गंभीरता से लेते हुए इनको सक्रिय करने की पहल की है। यह पहल तब हुई है जब विभाग में नए संचातक जीपी सिंह आए हैं। नए संचालक ने खेल संघों तो पूरी तरह से सक्रिय करने की योजना बनाई है ताकि खेलों को पंचायत स्तर तक ले जाया जा सके। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि जहां प्रदेश की खेल नीति में खेलों को पंचायत स्तर से ही सक्रिय करने की बात है, वहीं हाल ही में केन्द्र सरकार की एक नई योजना पाइका में भी खेलों को पंचायत स्तर से प्रारंभ करने की योजना है। इस योजना में देश के हर राज्य के 10 प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ने की योजना है। ऐसे में खेल विभाग ने अब इस दिशा में काफी गंभीरता से ध्यान देने का मन बनाया है। खेल विभाग वर्तमान में मान्यता प्राप्त दो दर्जन से ज्यादा खेलों की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन दो वर्गों में सब जूनियर और जूनियर वर्ग में कर रहा है। ऐसे में जिन खेलों की चैंपियनशिप होती है उन खेलों में पूरे 18 जिलों की टीमें नहीं आ पाती हैं। खेल संचालक श्री सिंह का ऐसा मानना है कि किसी भी चैंपियनशिप में हर जिले की भागदारी होनी चाहिए। इसी के साथ जिन जिलॊ की टीम खेलने आती हैं उन टीमों उन जिलॊ के एक स्थान के नबीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा विकासखंड़ों के खिलाड़ी शामिल होने चाहिए। ऐसे में उन्होंने एक योजना के तहत ही प्रदेश के खेल संघों के मुखिया प्रदेश ओलंपिक संघ को ही अपने सभी खेलों के जिला खेल संघों को सक्रिय करने के लिए पत्र लिखा है। अब यह जिम्मेदारी ओलंपिक संघ की है कि वह किस तरह से खेल संघों को सक्रिय करता है। जिलों में भी होनी चाहिए चैंपियनशिप:- खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि जब विभाग हर जिले के खेल संघों को अनुदान दे रहा है तो यह जिला संघों का दायित्व है कि वे जिला स्तर पर उन सभी खेलों की जिला चैंपियनशिप का आयोजन करें जिन खेलों की राज्य चैंपियनशिप खेल विभाग करता है, अभी होता यह है कि ज्यादातर खेलों में जिला खेल संघ अपनी मर्जी से टीम बनाकर ले आते हैं। ऐसे में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों को खेलने का मौका ही नहीं मिल पाता है। खेल अधिकारी कहते हैं कि कम से कम जिला संघों को चैंपियनशिप नहीं तो चयन ट्रायल का आयोजन तो करना ही चाहिए। चयन ट्रायल में ही विकासखंड़ों के खिलाड़ियों को बुलाया जाए तो उनको खेलने का मौका मिलेगा। पहले कदम पर अगर यह पहल हो गई तो आगे जरूर जिला चैंपियनशिप का आयोजन हो जाएगा। एक बार शुरुआत हो गई तो ग्रामीण खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलने लगेगा और प्रदेश की खेल नीति पर अमल भी हो जाएगा। खेल अधिकारी कहते हैं कि किसी भी जिला संघ को अपने जेब से खर्च करने की जरूरत ही नहीं है, सारा खर्च जब खेल विभाग कर रहा है तो फिर आयोजन करने में क्या परेशानी है। अच्छी पहल है, मदद करेंगे: बशीर:- प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने इस बारे में संपर्क करने पर कहा कि खेल विभाग की यह अच्छी पहल है। खेल विभाग ने ओलंपिक संघ को जो जिम्मा सौंपा है उस पर हमारा संघ खरा उतरेगा और जो भी मदद होगी हम करेंगे। हम भी चाहते हैं कि हर खेल में जिला संघ सक्रिय हों ताकि खेलों को पंचायत स्तर से प्रारंभ किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि ग्रामीण अंचल में बहुत प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। उन्हॊने कहा कि ओलंपिक संघ प्रदेश के सभी खेलों के जिला संघों को खेल विभाग की भावना से अवगत करवाते हुए उनसे सक्रिय होने के लिए उनको पत्र लिखने का काम करेगा।