मंगलवार, 30 अगस्त 2011
पहला मैच बीएसएस माना ने जीता
सप्रे स्कूल में सोमवार से प्रारंभ हुई स्पर्धा में पहला मैच बीएसएस माना और संत ज्ञानेश्वर स्कूल के बीच खेला गया। मैच पूरी तरह से एकतरफा रहा। मैच में प्रारंभ से ही माना के खिलाड़ियों का दबदबा रहा। मैच का पहला गोल सचिन ने खेल के 15वें मिनट में किया। दूसरा गोल भी सचिन ने ही किया, यह गोल खेल के 45वें मिनट में हुआ।
दूसरा मैच पूर्णिमा स्कूल और मॉर्डन स्कूल के बीच खेला गया। इसमें मार्डन स्कूल ने 2-0 से जीत दर्ज की। पहला गोल सोम द्विवेदी ने 14वें और दूसरा राकेश ने 56वें मिनट में किया। इसके पहले स्पर्धा का उद्घाटन विधायक कुलदीप जुनेजा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदरचंद धाड़ीवाल ने की।
आयोजक शेरा क्रीड़ा समिति के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि 15 सितंबर तक चलने वाली स्पर्धा में 4 सितंबर तक स्कूल वर्ग के नाकआउट मुकाबले होंगे। 5 सितंबर से कॉलेज वर्ग के मुकाबले प्रारंभ होंगे।
शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
अंतर कॉलेज फुटबॉल की तैयारी जोरों पर
कॉलेजों में खेलों की शुरुआत फुटबॉल से होने जा रही है। रायपुर सेक्टर के कॉलेजों के बीच होने वाली स्पर्धा की विप्र कॉलेज में जोरदार तैयारी चल रही है। मैदान बनाने का काम गुरुवार से प्रारंभ किया गया।
मेजबान विप्र कॉलेज के प्राचार्य मेघेष तिवारी ने बताया कि हमारा कॉलेज ही लगातार फुटबॉल की मेजबानी ले रहा है। कॉलेज के पास फुटबॉल का एक बड़ा मैदान है। मैदान को ठीक करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है। बारिश की वजह से तैयारियों में बाधा आई है जिसके कारण अब स्पर्धा का आयोजन 23 के स्थान पर 25 अगस्त से किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले साल हमारे कॉलेज ने खिताब जीता था। स्पर्धा में विप्र कॉलेज के साथ छत्तीसगढ़, दुर्गा, पैलोटी, प्रगति, मंहत अग्रसेन कॉलेज की टीमों से खेलने की मंजूरी दी है। श्री तिवारी ने बताया कि कॉलेजों में फुटबॉल को लोकप्रिय करने के मकसद से ही विजेता टीमों के लिए ट्रॉफी का इंजताम हमारा कॉलेज करता है, वैसे विश्व विद्यालय की तरफ से किसी भी तरह से इनाम नहीं दिया जाता है।
सेवन-ए-साइड पर चर्चा करेंगे
श्री तिवारी ने बताया कि ज्यादातर कॉलेजों में मैदानों की कमी के कारण ही टीमें नहीं बन पाती हैं। अगली बार जब विश्व विद्यालय में क्रीड़ा समिति की बैठक होगी तो उसमें यह बात रखी जाएगी, कि क्यों न कॉलेजों में फुटबॉल को लोकप्रिय करने के लिए सेवन-ए-साइड स्पर्धा कराई जाए। किसी भी कॉलेज के लिए सात खिलाड़ी जुटाना आसान होगा।बुधवार, 20 जुलाई 2011
60 फुटबॉलर तराशे जाएंगे आज से
क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने पिछले साल से रायपुर के खिलाड़ियों को निखारने के लिए डे-बोर्डिंग स्कूल प्रारंभ किया है। इसमें पिछले साल 55 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया। इन खिलाड़ियों में से करीब एक दर्जन खिलाड़ी साई सेंटर के लिए चुन लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल के 35 खिलाड़ी नियमित रुप से प्रशिक्षण लेंगे। इन खिलाड़ियों के साथ इस साल के ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर से चुने गए 25 खिलाड़ियों को शामिल किया जाएगा। इस साल के शिविर में 200 से ज्यादा खिलाड़ी आए थे, जिनमें से 25 खिलाड़ी चुने गए हैं। उन्होंने बताया कि शिविर का समापन अब 28 जुलाई को स्वर्गीय वीके चौबे स्मृति अंतर शालेय फुटबॉल स्पर्धा के उद्घाटन अवसर पर किया जाएगा। श्री प्रधान ने बताया कि डे-बोर्डिंग में खिलाड़ियों को डाइट क्लब द्वारा दी जाती है। खिलाड़ियों को तराशने के लिए क्लब बाहर से भी प्रशिक्षकों को बुलाता है।
शनिवार, 28 मई 2011
मैचों से निखारा जा रहा है खेल
सप्रे स्कूल में शेरा क्रीड़ा समिति ने प्रदेश का सबसे लंबा 82 दिनों का फुटबॉल का प्रशिक्षण शिविर लगाया है। इस शिविर में 176 खिलाड़ियों ने पंजीयन करवाया था। शिविर में 125 से ज्यादा खिलाड़ी आ भी रहे हैं। कई इस समय प्रशिक्षण शिविर में सुबह और शाम के सत्र में हर वर्ग यानी सब जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्ग के खिलाड़ियों का जमावड़ा लग रहा है। खिलाड़ियोें को प्रशिक्षण देने वाले कोच मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि रविवार का दिन खिलाड़ियों को दिए गए प्रशिक्षण को परखने वाला होता है। इस दिन 6 टीमें बनाकर मैच करवाए जाते हैं। एक टीम में दो सीनियर, दो जूनियर और दो सब जूनियर खिलाड़ी रखे जाते हैं। इनके बीच होने वाले मैचों की विजेता टीम को सांत्वना के तौर पर 150 रुपए का नगद इनाम दिया जाता है। इसी तरह से उपविजेता टीम को 100 रुपए का इनाम दिया जाता है। श्री प्रधान ने बताया कि मैच होने से खेल में निखार आता है। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों के खेल में निखार लाने के लिए अब इनको रविवार के दिन भिलाई के साथ आस-पास के शहरों में दूसरी टीमों के साथ मैच खिलाने ले जाएंगे। आने वाले रविवार को हमारी टीमें भिलाई मैच खेलने जाएंगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि प्रशिक्षण शिविर के अंत में शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा प्रतिभावान खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा जिनको नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
रविवार, 8 मई 2011
फुटबॉल के गुर सीख रहे छोटे-बड़े खिलाड़ी
सप्रे स्कूल के मैदान में रोज शाम को राजधानी के छोटे-बड़े खिलाड़ियों का जमावड़ा लग रहा है जिनको कोच मुश्ताक अली फुटबॉल के गुर सिखाने का काम कर रहे हैं। प्रदेश के इस सबसे लंबे 82 दिनों के शिविर में करीब 40 खिलाड़ी नए हैं जिनमें 20 सब जूनियर वर्ग के और बाकी जूनियर और सीनियर वर्ग के खिलाड़ी हैं। खिलाड़ियों को किक मारना, बॉल लेकर डाज देना, हेड करना सहित बेसिक जानकारी दी जा रही है। खिलाड़ियों को प्राथमिक जानकारी के बाद अब इनके बीच टीमें बनाकर मैच करवाने की तैयार चल रही है। श्री प्रधान ने बताया कि शिविर के बाद चुने गए खिलाड़ियों को क्लब के साल भर चलने वाले प्रशिक्षण शिविर में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्लब किसी भी खिलाड़ी से प्रशिक्षण के लिए कोई शुल्क नहीं लेता है, बल्कि खिलाड़ियों को डाइट के लिए केले आदि देने का काम करता है। उन्होंने बताया कि रोज कुछ नए खिलाड़ी आ रहे हैं और पंजीयन करवा के शिविर में शामिल हो रहे हैं।
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
फुटबॉल के गुर सीखने लगा खिलाड़ियों का जमावड़ा
शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा यहां पर 10 अप्रैल से सप्रे शाला के मैदान में 82 दिनों के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर में खिलाड़ियों को कोच मुश्ताक अली प्रधान ड्रिब्लिंग के साथ पासिंग, हेडिंग और बॉल लेकर खिलाड़ियों को छकाते हुए आगे बढ़ने के गुर के साथ फिटनेस के लिए रनिंग भी करवा रहे हंै। श्री प्रधान ने पूछने पर बताया कि प्रशिक्षण शिविर में हर वर्ग सब जूनियर, जूनियर और सीनियर खिलाड़ी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल के प्रशिक्षण शिविर में 250 खिलाड़ी शामिल हुए थे। इस बार भी इतने खिलाड़ियों के शामिल होने की संभावना है। इन खिलाड़ियों में बालिका खिलाड़ी भी शामिल रहेंगी। उन्होंने बताया कि अभी परीक्षाएं होने के कारण खिलाड़ी कम आएं हैं। उन्होंने पूछने पर बताया कि पिछले साल जो खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में आए थे उन खिलाड़ियों में जहां दो दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेले, वहीं 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने जिले की टीम में स्थान बनाकर राज्य चैंपियनशिप में खेलने में सफलता प्राप्त की। बकौल मुश्ताक अली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण शिविर में इस तरह से तैयार किया जाता है कि कोई भी नया खिलाड़ी थोड़ी सी मेहनत करके कम से कम जिले की टीम में जगह बना ही सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन करीब 45-50 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा जिनको साल भर प्रशिक्षण दिया जाएगा। श्री प्रधान ने बताया कि 100 से ज्यादा खिलाड़ी अब तक पंजीयन करवा चुके हैं, और रोज कई खिलाड़ी पंजीयन करवाने आ रहे हैं।
शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
स्कूली खेलों की सीधे राज्य स्पर्धा होगी
लोक शिक्षण विभाग के संचालक केआर पिस्दा ने एक आदेश जारी करते हुए सभी जिलों को सूचित किया है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक के लिए स्कूलों की अंडर १९ की खेलों की स्पर्धाओं के लिए अलग से जिला और जोन स्तर पर आयोजन करने की जरूरत नहीं है। जोन स्तर की जो टीमें पहले से बन गई हैं उन्हीं टीमों को सीधे राज्य स्पर्धा के लिए भेजना है। राज्य स्तर की स्पर्धाओं के लिए बजट खेल विभाग देगा।
श्री पिस्दा ने इस बात का खुलासा नए विश्राम गृह में सभी जिलों के बीओ के सामने एक कार्यशाला में भी किया और उन्होंने बताया कि पूर्व में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई थी कि क्या करना है। कई जिलों ने जहां सीधे खेल विभाग के पास योजना बनाकर बजट की मांग की थी, वहीं कुछ जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी उनसे जानने के लिए फोन करते रहे कि जिलों के आयोजन के लिए कौन बजट देगा। उन्होंने कहा कि हमने खेल विभाग के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि जब हमारा जिला और जोन स्तर का आयोजन हो चुका है तो इसको फिर से करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने सभी से कहा कि अब स्थिति पूरी तरह से साफ है कि हमें कोई आयोजन नहीं करना है बस खेल विभाग को जोन की टीमें दे देनी है। उन्होंने बताया कि १४ खेलों जिनमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केबॉल, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, नेटबॉल, वालीबॉल, भारोत्तोलन, थ्रोबाल, साफ्टबॉल औ३र जूडो की टीमें शामिल हैं, इनकी टीमों खेल विभाग को देनी है, खेल विभाग की राज्य स्पर्धा का आयोजन करेगा।
यहां यह बताना लीजिमी होगा कि हरिभूमि ने ही जहां रायपुर जिले के ४५ लाख के जम्बो बजट की खबर २६ अक्टूबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी, वहीं २७ अक्टूबर को यह खबर प्रकाशित की थी कि स्कूली खेलों की सीधे राज्य स्पर्धा हो। और अब शिक्षा विभाग के साथ खेल विभाग ने भी इस बात को माना है कि जिलों और जोन स्तर के आयोजन का मतलब पैसों की बर्बादी है। ऐसे में अब सीधे राज्य स्तर की स्पर्धाएं ही करवाने का फैसला किया गया है।
रविवार, 5 सितंबर 2010
सालेम ने सेंट जेवियर को दी मात
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के फुटबॉल मैदान में आज पहला मैच सालेम स्कूल का सेंट जेवियर के साथ खेला गया। यह मैच पूरी तरह से सालेम के नाम रहा। इस मैच में पहला गोल खेल के ३२वें मिनट में नीरज पाठक ने किया। इसके ८ मिनट बाद ही ईशांत ने दूसरा गोल कर दिया। मैच का तीसरा और अंतिम गोल खेल के ४२वें मिनट में निखिल ने किया।
दूसरे मैच में होलीक्रास कांपा ने खालसा स्कूल को २-० से हराया। इस मैच में पहले हॉफ में तो कोई गोल नहीं हो सका, पर दूसरे हॉफ में होलीक्रास ने दो गोल दाग दिए। पहला गोल ४१वें मिनट में अभिनव मिश्रा ने किया। इसके दस मिनट बाद दूसरा गोल विकास ने किया।
शुक्रवार, 27 अगस्त 2010
विप्र सेमीफाइनल में
विप्र कॉलेज के मैदान में गुरुवार प्रारंभ हुई स्पर्धा में पहले मैच में विप्र कॉलेज ने महंत कॉलेज को ३-० से मात दी। इस मैच में सुजीत, सुजाय विश्वास और कैलाश ने एक-एक गोल किए। विप्र ने क्वार्टर फाइनल मैच में हरिशंकर कॉलेज को २-० से हराया। इस मैच में सुजय विश्वास और सोनेन्द्र डेटी ने एक-एक गोल किया।
अन्य मैचों में मैक कॉलेज ने धमतरी कॉलेज को २-१ से परास्त कर सेमीफाइनल में स्थान बनाया। इस मैच में विजेता टीम के लिए गौरव ध्रुवे और सतीश जैन ने एक-एक गोल किया। पराजित टीम के लिए विरेन्द ने एक गोल किया। एक अन्य मैच में छत्तीसगढ़ कॉलेज ने मेडिकल कॉलेज को २-० से मात दी। पैलोटी और साइंस कॉलेज के बीच हुए मैच में मैच में पूरी तरह से पैलोटी का दबदबा रहा और उसके सामने साइंस कॉलेज के खिलाड़ी ठहर ही नहीं सके। इस मैच में गोलों की बारिश करते हुए पैलोटी ने चार गोल दाग दिए। मैच में अमर कुमार और अमित ने दो-दो गोल किए। इसके पहले स्पर्धा का उद्घाटन रविवि के कुलपति शिवककुमार पॉडे ने किया।
आयोजन कॉलेज के प्राचार्य मेघेश तिवारी ने बताया कि स्पर्धा में ११कॉलेजों की टीमें भाग ले रही है। स्पर्धा में शुक्रवार को एक क्वार्टर फाइनल मैच छत्तीसगढ़ कॉलेज और प्रगति कॉलेज के बीच खेला जाएगा। एक सेमीफाइनल मैच पैलोटी और मैक कॉलेज के बीच खेला जाएगा। दूसरा सेमीफाइनल मैच शनिवार को होगा।
बुधवार, 21 जुलाई 2010
राज्य फुटबॉल की तैयारी जोरों पर
यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब द्वारा पिछले साल से प्रारंभ की गई इस स्पर्धा का पहला साल जिला स्तर का था, लेकिन इस बार इसका आयोजन राज्य स्तर पर किया जा रहा है। इस बार भी अंडर १४, १७ और १९ साल के वर्ग में मुकाबले होंगे। हर वर्ग में ४०-४० टीमों को प्रवेश दिया जाएगा। बालिका वर्ग में ८ टीमों को रखा जाएगा। इनके बीच लीग मुकाबले होंगे। उन्होंने बताया कि राज्य के कई जिलों की स्कूली टीमों से संपर्क किया जा रहा है। कई टीमों ेने खेलने के लिए संपर्क किया है जिनको प्रवेश दिया जा रहा है।
सोमवार, 12 जुलाई 2010
रायपुर की टीम में स्थान पाने जुटीं खिलाड़ी
सप्रे स्कूल के मैदान में शाम को एक लाइन से ५० से ज्यादा खिलाड़ी थीं और जिला फुटबॉल संघ के मुश्ताक अली प्रधान के साथ एनआईएस कोच सरिता कुजूर खिलाडिय़ों के नाम लिखने में व्यस्त थे। ये खिलाड़ी यहां पर रायपुर की अंडर १७ साल की टीम में स्थान पाने के लिए ट्रायल देने आई थीं। इतनी ज्यादा खिलाड़ी वो भी रायपुर ज्लिे की टीम में स्थान पाने के लिए वास्तव में हैरानी की बात है। मुश्ताक अली के साथ सरिता कुजूर का कहना है कि यह सब तो रायपुर में खिलाडिय़ों को दिए जा रहे प्रशिक्षण का नतीजा है जो इतनी ज्यादा खिलाड़ी अब फुटबॉल से जुड़ गई है। इन्होंने बताया कि पांच साल पहले २००५ में ही जब राज्य की टीम बनाने के लिए चयन ट्रायल का आयेजन किया जाता था तो रायपुर क्या पूरे राज्य के जिलों से १५ खिलाड़ी जुट नहीं पाई थी बड़ी मुश्किल से टीम बनाकर राज्य स्पर्धा में खेलने भेजते थे। आज राजधानी में हालत यह है कि हर कौने में खिलाड़ी हैं। ट्रायल में शंकर नगर, खम्हराडीह, कंचना, भावना नगर के साथ शांति नगर स्कूल, पैलोटी, न्यू शांति नगर स्कूल, होलीक्रास स्कूल, बीपी पुजारी स्कूल, कैपियन स्कूल, विवेक विद्यालय की खिलाड़ी ट्रायल देने आई हैं।
मुश्ताक अली ने बताया कि जितनी खिलाड़ी रायपुर में जूनियर वर्ग के अंडर १७ में हैं उससे ज्यादा खिलाड़ी तो अंडर १३ साल की टीम में है। उन्होंने बताया कि रायपुर की दो खिलाडिय़ों सुप्रिया कुकरेती के साथ निकिता स्विसपन्ना के अंडर १३ साल की भारतीय टीम में खेलने के बाद रायपुर में फुटबॉल के क्रेज लड़कियों में और ज्यादा बढ़ा है। रायपुर की दो खिलाडिय़ों का भारतीय टीम से चुना जाना अपने आप में एक इतिहास है क्योंकि इससे पहले कभी मप्र की भी किसी खिलाड़ी को भारतीय टीम से मौका नहीं मिला था।
जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे ने बताया कि राज्य स्पर्धा का आयोजन डोंगरगढ़ में २३ जुलाई से किया गया है। वहां टीम के जाने से पहले चुनी गई टीम का यहां पर प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा। रायपुर की टीम पिछले साल दुर्ग में हुई स्पर्धा में विजेता बनी थी। इस बार भी टीम विजेता बने ऐसी टीम का चयन करने के साथ टीम को तैयार करने का काम किया जाएगा। टीम को तैयार करने का जिम्मा मुश्ताक अली प्रधान के हाथों रहेगा। टीम को सरिता कुजूर की सेवाएं नहीं मिल पाएगी वह जूनियर टीम लेकर बाहर जा रही है।
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
राजधानी रायपुर में मचेगा फुटबॉल का घमासान
यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि पिछले साल उनके क्लब ने शहीद वीके चौबे स्मृति अंतर शालेय फुटबॉल स्पर्धा का आयोजन जिला स्तर पर किया था। इस स्पर्धा में बालक वर्ग में अंडर १४, १७ और १९ साल में १२० टीमों ने भाग लिया था। इसी के साथ बालिका वर्ग के भी मुकाबले हुए थे जिसमें चार टीमें खेली थीं। इस बार स्पर्धा को बड़े पैमाने पर करवाने का फैसला किया गया है। इस बार का आयोजन राज्य स्तर का होगा। २८ जुलाई से प्रारंभ होने वाली स्पर्धा में तीनों वर्गों में ४०-४० टीमों को प्रवेश दिया जाएगा। इसी के साथ बालिका वर्ग में छह टीमों को प्रवेश दिया जाएगा। बालिका वर्ग के मुकाबलों के लिए खिलाडिय़ों की उम्र सीमा में छूट रहेगी। इसमें किसी भी उम्र की खिलाड़ी टीम से खेल सकती हंै। यह इसलिए कि अभी राज्य में बालिका फुटबॉल का इतना क्रेज नहीं है। उन्होंने बताया कि करीब दो लाख बजट वाली इस स्पर्धा में ५० हजार से ज्यादा की पुरस्कार राशि बांटी जाएगी। स्पर्धा में टीमों में सात-सात खिलाड़ी होंगे क्योंकि स्पर्धा सेवन ए साइ़ होगी। स्पर्धा के प्रायोजक छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ छत्तीसगढ़ ट्रांसपोर्टर ओनर एसोसिएशन हैं। स्पर्धा में खेलने की इच्छुक टीमें शेरा क्लब सप्रे स्कूल में अपना पंजीयन करवा सकती हैं।
सोमवार, 7 जून 2010
पैरों में ताकत लाने की कवायद
शेरा क्रीड़ा समिति के साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा सप्रे स्कूल में फुटबॉल का प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। वैसे तो सप्रे स्कूल में साल भर शेरा क्लब का प्रशिक्षण शिविर चलता है। लेकिन गर्मियों की छुट्टियों होने के कारण इस समय फुटबॉल का जुनून कुछ ज्यादा ही खिलाडिय़ों पर छाया हुआ है। शिविर में २५० से ज्यादा खिलाड़ी आ रहे हैं। खिलाडिय़ों को तैयार करने की प्रशिक्षक मुश्ताक अली प्रधान की अपनी अलग तकनीक है। वे साफ कहते हैं कि फुटबॉल का खेल पैरों की ताकत का खेल है। जब पैरों में जान ही नहीं होगी तो खिलाड़ी क्या खेलेगा। उनको इस बात का बहुत मलाल है कि आज के खिलाडिय़ों के पैरों में इतनी भी जान नहीं होती है कि वे ठीक से किक मार सके। वे बताते हैं कि हमारे जमाने में खिलाडिय़ों के पैरों में इतनी जान होती थी कि फुटबॉल को जब किक लगती थी तो बॉल एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच जाती थी, लेकिन आज के खिलाड़ी उस छोर क्या उस छोर के आधे रास्ते तक भी बॉल को नहीं पहुंचा पाते हैं।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए वे चाहते हैं कि जो भी खिलाड़ी यहां प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं उनके पैरों में इतनी जान आ जाए कि वे कम से कम खेलने के लिए सही तरीके से किक तो मार सके। उन्होंने पूछने पर बताया कि पैरों में ताकत लाने के लिए स्कील करवाते समय कम से कम १० मार्कर रखे जाते हैं। इन मार्कर को कोण भी कहा जाता है। इन दस मार्कर के उपर से जहां खिलाड़ी पहले जंप लगाते हैं, वहीं इसके बाद खिलाडिय़ों को जहां इनके बीच क्रास करके चलने के लिए कहा जाता है, वहीं बॉल लेकर ड्रिब्लिंग करने भी कहा जाता है। वे बताते हैं कि ऐसा करने से खिलाडिय़ों का शरीर लचीला हो जाता है। फुटबॉल में शरीर जितना लचीला होगा खेल उतना ही दमदार होगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि कम से कम १५ मिनट तक स्कील करवाने के बाद खिलाडिय़ों को १५ मिनट तक मैदान में दौड़ाया जाता है। इसके बाद प्रारंभ होता है अभ्यास।
पैरों में ताकत लाने की कवायद
शेरा क्रीड़ा समिति के साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा सप्रे स्कूल में फुटबॉल का प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। वैसे तो सप्रे स्कूल में साल भर शेरा क्लब का प्रशिक्षण शिविर चलता है। लेकिन गर्मियों की छुट्टियों होने के कारण इस समय फुटबॉल का जुनून कुछ ज्यादा ही खिलाडिय़ों पर छाया हुआ है। शिविर में २५० से ज्यादा खिलाड़ी आ रहे हैं। खिलाडिय़ों को तैयार करने की प्रशिक्षक मुश्ताक अली प्रधान की अपनी अलग तकनीक है। वे साफ कहते हैं कि फुटबॉल का खेल पैरों की ताकत का खेल है। जब पैरों में जान ही नहीं होगी तो खिलाड़ी क्या खेलेगा। उनको इस बात का बहुत मलाल है कि आज के खिलाडिय़ों के पैरों में इतनी भी जान नहीं होती है कि वे ठीक से किक मार सके। वे बताते हैं कि हमारे जमाने में खिलाडिय़ों के पैरों में इतनी जान होती थी कि फुटबॉल को जब किक लगती थी तो बॉल एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच जाती थी, लेकिन आज के खिलाड़ी उस छोर क्या उस छोर के आधे रास्ते तक भी बॉल को नहीं पहुंचा पाते हैं।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए वे चाहते हैं कि जो भी खिलाड़ी यहां प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं उनके पैरों में इतनी जान आ जाए कि वे कम से कम खेलने के लिए सही तरीके से किक तो मार सके। उन्होंने पूछने पर बताया कि पैरों में ताकत लाने के लिए स्कील करवाते समय कम से कम १० मार्कर रखे जाते हैं। इन मार्कर को कोण भी कहा जाता है। इन दस मार्कर के उपर से जहां खिलाड़ी पहले जंप लगाते हैं, वहीं इसके बाद खिलाडिय़ों को जहां इनके बीच क्रास करके चलने के लिए कहा जाता है, वहीं बॉल लेकर ड्रिब्लिंग करने भी कहा जाता है। वे बताते हैं कि ऐसा करने से खिलाडिय़ों का शरीर लचीला हो जाता है। फुटबॉल में शरीर जितना लचीला होगा खेल उतना ही दमदार होगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि कम से कम १५ मिनट तक स्कील करवाने के बाद खिलाडिय़ों को १५ मिनट तक मैदान में दौड़ाया जाता है। इसके बाद प्रारंभ होता है अभ्यास।
रविवार, 6 जून 2010
खेल निखारने की कवायद
खेल एवं युवा कल्याण विभाग कांकेर में ११ जून से राज्य स्पर्धा का आयोजन किया गया है। इस स्पर्धा में खेलने जाने वाली रायपुर जिले की टीम का चयन करने के लिए सप्रे स्कूल के मैदान में चयन ट्रायल का आयोजन किया गया। इस चयन ट्रायल में आज भी कुछ खिलाडिय़ों के आने की संभावना थी जिसके कारण आज भी ट्रायल रखा गया था, लेकिन खिलाड़ी बाहर होने के कारण आज नहीं आ सकी हैं। ये खिलाड़ी कल आकर अपना ट्रायल देंगी। इधर आज संभावित टीम तय कर दी गई है। इस संभावित टीम की खिलाडिय़ों के साथ आज सबसे पहले सब जूनियर बालकों का अभ्यास मैच करवाया गया। इसके बाद सीनियर खिलाडिय़ों के साथ भी बालिका खिलाडिय़ों का मैच हुआ। इस मैच के बारे में कोच मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि लड़कों के साथ मैच होने से बालिका खिलाडिय़ों का खेल निखरेगा अैर जब हमारी यह टीम कांकेर में राज्य स्पर्धा में खेलने जाएगी तो उसके लिए खिताब जीतने में आसान होगी। उन्होंने बताया कि बालिका खिलाडिय़ों को बालक खिलाडिय़ों के साथ तब तक अभ्यास मैच खिलाया जाएगा जब तक टीम खेलने नहीं जाती है। उन्होंने बताया कि रविवार को होलीक्रास कांपा स्कूल के बालक खिलाडिय़ों के साथ मैच होगा। इसके बाद सप्रे स्कूल में प्रशिक्षण शिविर में शामिल खिलाडिय़ों के साथ मैच होगा।
संभावित टीम की खिलाड़ी
आज ३० खिलाडिय़ों की संभावित सूची जारी की गई है। इस सूची में देवयंती निषाद, सरिता यादव, दिव्या, पूनम, दीक्षा, प्रतिभा चन्द्राकर, सुमन वर्मा, कल्याणा महापात्र, ज्योति पांडे, कंचन विभार, बीना वर्मा, शोभा छुरा, ज्योति जगत, जागेश्वरी यादव, सुमन जंघेल, शैलीना मरकाम, शिवानी, नगमा, अभिलाभा मसीह, वंदना ध्रुव, लक्ष्मी, प्रिया शर्मा, मुस्कान चौटेल, प्रणीता जेबम, प्राची यादव, प्रियंका यादव, निधि चन्द्राकर, साक्षी व्यास शामिल हैं। इन खिलाडिय़ों में से ही १८ खिलाडिय़ों की टीम तैयार की जाएगी जो १० जून को कांकेर खेलने जाएगी।
बुधवार, 21 अप्रैल 2010
फुटबॉल सीखने का जुनून
राजधानी रायपुर में एक मात्र नि:शुल्क फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा किया जाता है। इस राज्य के सबसे लंबे ८२ दिनों के प्रशिक्षण शिविर में हर साल २०० से ज्यादा खिलाडिय़ों को निखारा जाता है। इस बार १० अप्रैल से प्रारंभ हुए शिविर में अब तक १५५ खिलाड़ी आ गए हैं। इन खिलाडिय़ों में १०० से ज्यादा खिलाड़ी नए हैं। शिविर का आज यहां पर औपचारिक उद्घाटन वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने किया। इस अवसर पर पार्षद मनोज कंदोई, शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान के साथ दिवाकर थिटे भी उपस्थित थे। शिविर में अब कल से खिलाडिय़ों को टाइट भी दी जाएगी। इसका खर्च समिति ही करेगी।
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010
फुटबॉल के गुर सीखने उमड़े खिलाड़ी
राजधानी के फुटबॉल खिलाडिय़ों को यहां पर तराशने का काम शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान कर रहे हैं। वे बताते हैं कि १० अप्रैल से प्रशिक्षण देने का सिलसिला प्रारंभ किया गया है और अभी करीब ८० बालक खिलाड़ी और १० बालिका खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में हैं। ये सभी खिलाड़ी नए हैं। उन्होंने बताया कि इन खिलाडिय़ों को फुटबॉल की बेसिक जानकारी देने के साथ फिटनेस के लिए सबसे पहले रनिंग करवाई जा रही है। इसी के साथ खिलाडिय़ों को एक-दूसरे को पास देने के गुर बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शाम के अंतिम सत्र में खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर मैच भी करवाए जाते हैं।
श्री प्रधान ने बताया कि १६ अप्रैल के बाद खिलाडिय़ों की संख्या २०० के करीब पहुंचने की संभावना है। उन्होंने बताया कि पिछले साल २१६ खिलाडिय़ों को तैयार किया गया था। प्रशिक्षण शिविर सिर्फ शाम के सत्र में चलाया जा रहा है। सुबह के सत्र में प्रशिक्षण देना संभव नहीं है क्योंकि दोनों सत्र में अगर प्रशिक्षण देंगे तो खिलाडिय़ों पर सही तरीके से ध्यान देना संभव नहीं होगा। इसी के साथ हमारा यह प्रशिक्षण शिविर पूरी तरह से नि:शुल्क है जिसका खर्च हमारा क्लब उठाता है। उन्होंने बताया कि २० अप्रैल से खिलाडिय़ों को डाइट देने का भी काम किया जाएगा। इसके लिए भी कोई शुल्क नहीं लेंगे। शिविर ३० जून तक चलेगा।
बुधवार, 7 अप्रैल 2010
१० से तराशे जाएंगे राजधानी में फुटबॉलर
यह जानकारी देते हुए क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि हमारे क्लब द्वारा हर साल अप्रैल माह से प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है। इस शिविर के लिए पंजीयन प्रारंभ हो गया है। उन्होंने बताया कि इस बार भी करीब १५० खिलाडिय़ों के आने की संभावना है। पिछले साल १३५ खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन खिलाडिय़ों में रायपुर जिले के कई विकासखंडों के भी खिलाड़ी शामिल थे। प्रशिक्षण शिविर के बाद ५० खिलाडिय़ों का चयन करके उनको फुटबॉल स्कूल में रखा गया था। इन खिलाडिय़ों को साल भर प्रशिक्षण दिया गया है।
श्री प्रधान ने बताया कि इस साल भी प्रशिक्षण शिविर में से करीब २० खिलाडिय़ों का चयन करके उनको फुटबॉल स्कूल में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारा क्लब जो फुटबॉल स्कूल चल रहा है उसके खिलाडिय़ों को गोद दिलाकर सारा खर्च किया जा रहा है। श्री प्रधान ने बताया कि हमारे ८२ दिनों के प्रशिक्षण शिविर का सारा खर्च क्लब उठाता है किसी भी खिलाड़ी से पैसे नहीं लिए जाते हैं। क्लब की तरफ से ही खिलाडिय़ों के लिए डाइट की भी व्यवस्था की जाती है।
गुरुवार, 25 मार्च 2010
मैदान बनाने की कला सीखी
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पायका योजना से जुड़े क्रीड़ाश्री को यहां पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस शिविर के चौथे दिन क्रीड़ाश्री को सुबह के सत्र में योग की जानकारी देने का काम राजकुमार द्वारा किया गया। क्रीड़ाश्री को योग में सूर्य नमस्कार करवाया गया और इसके फायदों की जानकारी दी गई। इसी के साथ योग के बारे में और बहुत सी ऐेसी जानकारी से इनको अवगत करवाया गया जिनको वे जाकर अपने गांवों में खिलाडिय़ों को सिखा सकते हैं। सुबह के सत्र में व्यायाम के गुर सिखाने का काम मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी के साथ सरिता कुजूर, वरूण पांडे और ईश्वर प्रसाद ने किया।
दूसरे सत्र में क्रीड़ाश्री को मैदानों के रेखांकन की जानकारी दी गई कि किस खेल के मैदान किस तरीके से बनाए जाते हैं। मैदानों के आकरों का महत्व, इनकी सीमाओं के बारिकी से जानकारी दी गई ताकि गांवों में मैदान बनाते समय कोई गलती न हो। इसी सत्र में लेखापाल रामजी देवांगन ने पंजियों, केश बुक के साथ स्टॉक रजिस्टार को भरने के बारे में पूरी जानकारी दी गई।
शाम के सत्र में सभी क्रीड़ाश्री को स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में ले जाया गया जहां पर इनके बीच टीमें बनाकर इनको फुटबॉल के सथ कबड्डी के मैच खिलाए गए। क्रीड़ाश्री को कम से कम उन खेलों के बारे में जानकारी जरूर दी जाएगी जो खेल पायका में शामिल हैं।
आज राजतंत्र में देखें- अपने राज्य की सफलता बताना क्या क्षेत्रवाद है?