छत्तीसगढ़ ओलंपिक में स्कूल वर्ग की अब सीधे राज्य स्पर्धा ही होगी। स्कूली शिक्षा विभाग के संचालक ने इसका आदेश भी जारी कर दिया है। हरिभूमि ने ही अपने २७ अक्टूबर के अंक में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि स्कूली वर्ग में सीधे राज्य स्पर्धाओं का आयोजन होना चाहिए क्योंकि जिला और जोन स्तर की स्पर्धाएं पहले ही हो चुकी हैं इनको फिर से करवाने का मतलब पैसों की बर्बादी है।
लोक शिक्षण विभाग के संचालक केआर पिस्दा ने एक आदेश जारी करते हुए सभी जिलों को सूचित किया है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक के लिए स्कूलों की अंडर १९ की खेलों की स्पर्धाओं के लिए अलग से जिला और जोन स्तर पर आयोजन करने की जरूरत नहीं है। जोन स्तर की जो टीमें पहले से बन गई हैं उन्हीं टीमों को सीधे राज्य स्पर्धा के लिए भेजना है। राज्य स्तर की स्पर्धाओं के लिए बजट खेल विभाग देगा।
श्री पिस्दा ने इस बात का खुलासा नए विश्राम गृह में सभी जिलों के बीओ के सामने एक कार्यशाला में भी किया और उन्होंने बताया कि पूर्व में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई थी कि क्या करना है। कई जिलों ने जहां सीधे खेल विभाग के पास योजना बनाकर बजट की मांग की थी, वहीं कुछ जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी उनसे जानने के लिए फोन करते रहे कि जिलों के आयोजन के लिए कौन बजट देगा। उन्होंने कहा कि हमने खेल विभाग के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि जब हमारा जिला और जोन स्तर का आयोजन हो चुका है तो इसको फिर से करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने सभी से कहा कि अब स्थिति पूरी तरह से साफ है कि हमें कोई आयोजन नहीं करना है बस खेल विभाग को जोन की टीमें दे देनी है। उन्होंने बताया कि १४ खेलों जिनमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केबॉल, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, नेटबॉल, वालीबॉल, भारोत्तोलन, थ्रोबाल, साफ्टबॉल औ३र जूडो की टीमें शामिल हैं, इनकी टीमों खेल विभाग को देनी है, खेल विभाग की राज्य स्पर्धा का आयोजन करेगा।
यहां यह बताना लीजिमी होगा कि हरिभूमि ने ही जहां रायपुर जिले के ४५ लाख के जम्बो बजट की खबर २६ अक्टूबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी, वहीं २७ अक्टूबर को यह खबर प्रकाशित की थी कि स्कूली खेलों की सीधे राज्य स्पर्धा हो। और अब शिक्षा विभाग के साथ खेल विभाग ने भी इस बात को माना है कि जिलों और जोन स्तर के आयोजन का मतलब पैसों की बर्बादी है। ऐसे में अब सीधे राज्य स्तर की स्पर्धाएं ही करवाने का फैसला किया गया है।
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