छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव में प्रदेश के हर जिले में तो उधार के आयोजन से काम चलना पड़ा है। सरकार से अब तक बजट न मिलने के कारण राज्य स्तर के आयोजन के लिए भी उधार लेने की तैयारी की जा रही है। आयोजन को लेकर हर जिले के खेल अधिकारियों से लेकर संचालनालय का पूरा अमला परेशान है। जिलों के आयोजन के बाद अब पैसों के लिए संचालनालय में पैसों के लिए तकादा भी आने लगा है। विभाग के अधिकारी परेशान हैं कि वे आखिर जिलों को क्या जवाब दें।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के दस साल पूरे होने के अवसर पर छत्तीसगगढ़ ओलंपिक का आयोजन करने की घोषणा की थी। बाद में इसका नाम छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने जब इस आयोजन की घोषणा की थी तो उन्होंने साफ कहा था कि इस आयोजन में सरकार किसी भी तरह की कमी आने नहीं देगी। लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी वित्त मंत्रालय ने अब तक खेल विभाग को एक पैसे भी नहीं दिया है।
हर जिले में हुआ उधार का आयोजन
राज्य खेल महोत्सव के लिए खेल विभाग ने जिला स्तर के आयोजन के लिए १५ से २० नवंबर की तिथि तय की थी। विभाग ने हर जिले के लिए एक खेल के हिसाब से २० हजार रुपए और विकासखंडों के लिए हर खेल के लिए १० रुपए देने की बात सभी जिलों को कहीं थी। विभाग ने यह भी जिलों को साफ कर दिया था कि विभाग से विकासखंडों के लिए चार खेलों और जिलों के लिए १५ खेलों से ज्यादा का बजट नहीं मिलेगा। विभाग के इस निर्देश के बाद ही जिलों में आयोजन की तैयारी की गई। जिलों में आयोजन करने की तैयारी के बाद वहां आयोजन भी हो गए। ये सारे आयोजन उधार के पैसों से किए गए हैं। कम से कम विभाग से जितने का बजट मिलना है उतने की उधारी हर जिले ने की है। विभाग के बजट से ज्यादा जिन जिलों में आयोजन पर खर्च हुआ है उन जिलों में इस खर्च के लिए प्रायोजकों की मदद ली गई। रायपुर जिले की बात करें तो रायपुर जिले में ही सबसे बड़ा आयोजन किया गया। रायपुर जिले को खेल विभाग से अब तक एक पैसा नहीं मिला है। रायपुर में वैसे ३४ खेलों का आयोजन किया गया। इस आयोजन के लिए जिला प्रशासन ने कई प्रायोजकों से मदद ली है। लेकिन खेल विभाग से जो बजट रायपुर को मिलना है, उतने की बाजार से उधारी भी की गई है। यही हाल सभी जिलों का है।
खेल संचालनालय में हर जिले के खेल अधिकारी फोन करके एक ही बात जानना चाहते हैं कि आखिर उनको बजट कब मिलेगा, क्योंकि उनको बाजार की उधारी चूकानी है। विभाग में कोई भी अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर विभाग को वित्त विभाग से बजट कब मिलेगा। आयोजन के लिए खेल विभाग ने करीब साढे तीन करोड़़ का बजट मांगा है।
पहले पांच करोड़ का हिसाब दो
खेल विभाग ने राज्य खेल महोत्सव के लिए वित्त विभाग को जो साढ़े तीन करोड़ का बजट भेजा है। उस बजट को अब तक वित्त विभाग ने मंजूरी नहीं दी है। इस बजट को मंजूरी न देने का जो कारण बताया जा रहा है, वह कारण बड़ा बेतुका है। जानकारों की मानें तो वित्त विभाग ने खेल विभाग से पूछा है कि ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए जो पांच करोड़ का बजट दिया गया था उसका क्या हुआ? वित्त विभाग ने राज्य खेल महोत्सव के लिए बजट देने से पहले इन पैसों का हिसाब जमा करने कहा है। वित्त विभाग की इस आपाति से खेल विभाग के अधिकारी आहत हैं। इनका कहना है कि अब सोचने वाली बात है कि २०१३-१४ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों के लिए दिए गए पांच करोड़ के बजट का राज्य खेल महोत्सव से क्या लेना-देना। जानकारों का कहना है कि हमेशा वित्त विभाग से ऐसी ही बेतुकी आपतियां लगाई जाती हैं।
राज्य के आयोजन को लेकर परेशानी
जिलों का आयोजन तो किसी तरह से उधार के पैसों से निपट गया है। अभी एक समस्या का अंत हुआ नहीं है कि सिर पर दूसरी समस्या खड़ी है। राज्य स्तर के आयोजन के लिए चार जिलों में कलस्टर के आयोजन होने हैं। इन आयोजनों को करने के लिए इन जिलों को २५ से ३० नवंबर का समय दिया गया है। इन जिलों रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बिलासपुर के ही खेल अधिकारी ज्यादा परेशान हैं कि आखिर वे कैसे बिना बजट के आयोजन करेंगे। अभी तो जिलों के आयोजन का उधार दिया नहीं है और एक और आयोजन के लिए कैसे उधार मिलेगा। सरकार से बजट न मिलने के बारे में कोई भी अधिकारी कुछ नहीं बोलना चाहता है, सबको इस बात का डर है कि उन्होंने कुछ बोला तो उन पर सामत आ सकती है। सभी यही कहते हैं कि सरकारी काम में तो देर लगती है, बजट आज नहीं तो कल मिल जाएगा।
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