एस्ट्रो टर्फ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
एस्ट्रो टर्फ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 14 सितंबर 2011

खलती है एस्ट्रो टर्फ की कमी

भारतीय जूनियर हॉकी टीम में चुनी गर्इं राजनांदगांव की रेणुका राजपूत का कहना है कि अपने राज्य में एस्ट्रो टर्फ की कमी खलती है। अगर राज्य बनने के बाद जल्द ही एस्ट्रो टर्फ की सुविधा मिल जाती तो आज प्रदेश की कई खिलाड़ी भारतीय टीम में होतीं। मुझे इसलिए टीम में आने का मौका मिल गया क्योंकि मैं भोपाल के साई सेंटर में हूं और नियमित रूप से एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास करने का मौका मिलता है।
बैंकाक में 16 से 25 सितंबर तक होने वाली अंडर 18 की जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए चुनी गई रेणुका राजपूत कहती हैं कि एक तो मुझे एस्ट्रो टर्फ में खेलने फायदा मिला, दूसरा मैंने उस दिन अपना लक्ष्य भारतीय टीम में स्थान बनाना तय कर लिया था जब राजधानी रायपुर में भारतीय टीम को बुलाकर एक मैत्री कराया गया था। इस मैच में मुझे भी खेलने का मौका मिला था। भारतीय टीम की खिलाड़ियों के साथ खेलने के कारण मेरा उत्साह बढ़ा था और मैंने तय कर लिया था कि मुझे भी भारतीय टीम में स्थान बनाना है। मुझे भारतीय टीम तक पहुंचने का रास्ता उस समय मिल गया जब मेरा चयन भोपाल के साई सेंटर के लिए हो गया। साई सेंटर में जिस तरह की सुविधाएं हैं, उससे कोई भी खिलाड़ी आसानी से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए खिलाड़ी में लगन होनी चाहिए, साथ ही मेहनत भी जरूरी है।
रेणुका ने बताया कि उनके साथ दुर्ग की एक और खिलाड़ी बलविंदर कौर मेहरा का भी चयन भारतीय टीम में हुआ। अपने चयन होने के बारे में वह बताती हैं हमने छत्तीसगढ़ की टीम से खेलते हुए सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जो प्रदर्शन किया था, उसी के तोहफे के रूप में हमारा चयन जूनियर भारतीय टीम में किया गया है। वह कहती हैं कि बैंकाक की चैंपियनशिप के लिए हम कोई दावा तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन जिस तरह से भारतीय पुरुष टीम से एशियाई चैंपियनशिप अपने नाम की है, हमारी जूनियर टीम भी ऐसा प्रयास करेगी। रेणुका कहती हैं कि राजनांदगांव में भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की है, लेकिन वहां भी अभी टर्फ नहीं लगा है। अपने राज्य में दस साल में एक भी टर्फ न होने के कारण खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में परेशानी हो रही है, जिस दिन राज्य में एस्ट्रो टर्फ लग जाएंगे उस दिन से राज्य के खिलाड़ियों के सुनहरे दिन प्रारंभ हो जाएंगे।


शनिवार, 23 जुलाई 2011

एस्ट्रो टर्फ के लिए जल्द होगा टेंडर

साइंस कॉलेज के मैदान में बनने वाले हॉकी के एस्ट्रो टर्फ के लिए बहुत जल्द लोक निर्माण विभाग टेंडर जारी करेगा। विभाग के प्रमुख सचिव ने इसके लिए विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
साइंस कॉलेज मैदान में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ का काम काफी समय से लटका हुआ है। लेकिन अब खेल संचालक जीपी सिंह के आते ही इसके काम में तेजी आ गई है। मंत्रालय में हुई एक बैठक में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव एमके राऊत ने खेल सचिव सुब्रत साहू और खेल संचालक जीपी सिंह की उपस्थिति में एस्ट्रो टर्फ के बारे में विभाग के अधिकारियों से चर्चा करने के बाद उनको एस्ट्रो टर्फ के लिए जल्द टेंडर काल करने कहा है। एस्ट्रो टर्फ के लिए खेल विभाग में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के सामने पहले ही एस्ट्रो टर्फ लगाने वाली कुछ कंपनियां अपना प्रस्तुतिकरण दे चुकी हैं।
एस्ट्रो टर्फ लगते ही अकादमी खुलेगी
एस्ट्रो टर्फ के इंतजार के कारण साइंस कॉलेज मैदान में बनाने वाली अकादमी भी लटकी हुई है। वहां पर टर्फ का निर्माण होते ही अकादमी खोल दी जाएगी। खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि हमने हॉकी के साथ तीरंदाजी की अकादमी का भी प्रस्ताव शासन को भेजा है। वे बताते हैं कि अब तो साइंस कॉलेज के मैदान में विभाग का एक हास्टल भी बनकर तैयार हो गया है। अकादमी के खिलाड़ियों को यहां ठहराया जाएगा।


मंगलवार, 31 मई 2011

उधार का एस्ट्रो टर्फ नहीं मिल सका

प्रदेश की सीनियर टीम को उधार के एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास कराने का छत्तीसगढ़ हॉकी का प्रयास सफल नहीं हो सका। अब प्रदेश की टीम मंगलवार से राजनांदगांव में अभ्यास करने में जुटेगी।
भोपाल में 10 जून से होने वाली राष्ट्रीय सीनियर हॉकी स्पर्धा में खेलने जाने वाली प्रदेश की टीम को एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास कराने के प्रयास में छत्तीसगढ़ हॉकी ने राऊरकेला में बात की थी। लेकिन वहां पर संघ को उधार का मैदान नहीं मिल सका। इसके बारे में संघ के सचिव फिरोज अंसारी ने बताया कि हमने एक प्रयास किया था ताकि राज्य की टीम अच्छा अभ्यास करके खेलने जाए तो प्रदर्शन अच्छा हो सके। इसके लिए संघ पैसे खर्च करने भी तैयार था, लेकिन राऊरकेला का मैदान नहीं मिल सका। उस मैदान में उड़ीसा के साथ सेल की टीम भी अभ्यास कर रही है, ऐसे में कहा गया कि तीन टीमों के अभ्यास के लिए मैदान दे पाना संभव नहीं होगा।
श्री अंसारी ने बताया कि अब प्रदेश की संभावित टीम एक जून से राजनांदगांव के मैदान में ही अभ्यास करेगी। वे बताते हैं कि एस्ट्रो टर्फ में अभ्यास न हो पाने के कारण ही प्रदेश की टीमें राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रही है।
संभावित टीम इस प्रकार है- मोहनीश पटेल, समीर बारला, बिसन मिंज, गुलरेज अहमद, फैुजल अहमद, दीपक एक्का, जयराम एक्का, सुखराम मुंडा एसईसी रेलवे बिलासपुर, प्रिंस यादव बिलासपुर, अतीक कुरैशी कोरबा, अमित लुगुन, अमृत लकड़ा, अनिल खलको, शकील अहमद, रंजीत खलको, पोलिस एक्का जिंदल रायगढ़, राजेन्द्र एक्का, आशीष केरकेटा जशपुर, दलजीत सिंह, एजाज कुरैशी, गुलाम रहमानी, जहांगीर खान दुर्ग, ज्ञानचंद जैन, नरेश सिन्हा, अजितेश मसीह भिलाई, कुलदीप करंजकर, चन्द्रहास साहू रविशंकर विश्व विद्यालय, किशोर धीवर, बलवंत दास, खेमराज सिन्हा, मो. निसारुद्दी, मृणाल चौबे, उपेन्द्र पिल्ले राजनांदगांव, नवीन तिर्की, राजेश निर्मलकर, कमलेश साई हास्टल राजनांदगांव।

मंगलवार, 17 मई 2011

नेताजी में नहीं लगेगा एस्ट्रो टर्फ

नेताजी स्टेडियम में अब एस्ट्रो टर्फ न लगने की बात पूरी तरह से साफ हो गई है। यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की थी, अब उन्होंने ही साफ कर दिया है कि तकनीकी दिक्कतों की वजह से यहां एस्ट्रो टर्फ लगना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि एस्ट्रो टर्फ साइंस कॉलेज में लगाया जाएगा।
नेहरू स्वर्ण कप हॉकी के समय ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चार साल पहले नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद से ही इस बात को लेकर लगातार यह चर्चा होती रही कि आखिर मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी यहां क्यों कर एस्ट्रो टर्फ नहीं लगाया जा रहा है। इधर खेल विभाग ने तकनीकी दिक्कतों का हवाला देते हुए नेताजी में एस्ट्रो टर्फ न लगाने की बात कहीं तब भी स्टेडियम में नेहरू स्वर्ण कप हॉकी का आयोजन 98 साल से करने वाले एथलेटिक क्लब से पदाधिकारी यह बात मानने तैयार नहीं थे कि यहां एस्ट्रो टर्फ नहीं लगेगा।
5 से 15 मई तक नेहरू हॉकी के समय एक बार फिर से यह मांग उठने लगी। पूर्व महापौर सुनील सोनी स्पर्धा के एक मैच में आएं तो उन्होंने कहा कि यहां एस्ट्रो टर्फ लगना ही चाहिए। फिर निगम के सभापति संजय श्रीवास्तव ने भी कहा कि एस्ट्रो टर्फ तो इस ऐतिहासिक मैदान में लगना ही चाहिए। लेकिन देखना होगा कि आखिर क्यों कर नहीं लग पा रहा है। उन्होंने साफ कहा था कि मुख्यमंत्री जब समापन में आएंगे तो सारी स्थिति साफ हो जाएगी। इसके बाद जब 15 मई को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह समापन समारोह में आएं तो उन्होंने पूछने पर यह बात साफ कर दी कि यहां तकनीकी दिक्कतों के कारण एस्ट्रो टर्फ लगाना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने समापन में यह भी बताया कि एस्ट्रो टर्फ साइंस कॉलेज में लगाया जा रहा है।
मैदान की दिशा गलत है: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह ने नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ न लग पाने के कारण का खुलासा करते हुए कहा कि मैदान की दिशा गलत होना सबसे ज्यादा तकनीकी समस्या है। मैदान की दिशा बदलने के लिए स्थान की कमी है। उन्होंने बताया कि सारी बातों से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अवगत करवाने के बाद उनकी मंजूरी लेकर ही साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगाने की योजना बना है। अब जल्द ही लोक निर्माण विभाग इसके लिए टेंडर निकालने वाला है।

शनिवार, 26 मार्च 2011

काश अपने पास भी एस्ट्रो टर्फ होता

राजधानी के खिलाड़ियों को इस बात का अफसोस है कि राज्य बनने के दस साल बाद में राज्य में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं है। एस्ट्रो टर्फ की कमी के कारण ही छत्तीसगढ़ की हॉकी टीमों को झारखंड के राष्ट्रीय खेलों में खेलने का मौका नहीं मिला। खिलाड़ी एक स्वर में कहते हैं कि काश हमारे पास भी एस्ट्रो टर्फ होता तो हमारी टीमें भी राष्ट्रीय खेलों में खेलतीं और हमारे खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों से खेलने के लिए मजबूर न होना पड़ता।
झारखंड के राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ के 18 खेलों की टीमें खेल रही हैं, लेकिन इन खेलों में अपने राष्ट्रीय खेल हॉकी की टीमें शामिल नहीं है। छत्तीसगढ़ से हॉकी की टीमें इसलिए खेलने की पात्रता प्राप्त नहीं कर पाईं क्योंकि हमारे पास एस्ट्रो टर्फ ही नहीं है। खिलाड़ियों के साथ हॉकी के प्रशिक्षकों का भी ऐसा मानना है एस्ट्रो टर्फ की कमी के कारण राज्य की प्रतिभाओं का लाभ राज्य को नहीं मिल पा रहा है। यह राज्य के लिए दुर्भाग्य की बात है कि राज्य की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम जहां झारखंड से खेलीं, वहीं चार खिलाड़ियों को असम के लिए खेलना पड़ा।
प्रतिभाओं की कमी नहीं
भारतीय महिला हॉकी टीम की लंबे समय तक गोलकीपर रहीं पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नीता डुमरे कहती हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि अपने राज्य में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। मैं जहां दस साल तक भारतीय टीम से खेलीं, वहीं अब सबा अंजुम के साथ मृणाल चौबे भी खेल रहे हैं। यह सब उस स्थिति में हुआ है जब अपने राज्य में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं है। अगर अपने राज्य में एक भी एस्ट्रो टर्फ रहता तो इसमें संदेह नहीं है कि अपनी महिला के साथ पुरुष टीम भी आसानी से राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता प्राप्त कर लेती। उन्होंने कहा कि अपने राज्य में साई का सेंटर भी न होने के कारण राज्य की आधा दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी भोपाल के साई सेंटर में हैं। यहां भी जल्द लड़कियों के लिए साई सेंटर खोलना चाहिए।
अकादमी भी जरूरी
राष्ट्रीय खिलाड़ी और एनआईएस कोच रश्मि तिर्की के साथ वर्षा शुक्ला और शोभा वर्टी का एक स्वर में कहना है कि राज्य में एस्ट्रो टर्फ के साथ अकादमी का भी होना जरूरी है। रश्मि कहती हैं कि जहां तक छत्तीसगढ़ की महिला टीम का सवाल है तो हमारी टीम बहुत अच्छा है। एस्ट्रो टर्फ की कमी के कारण ही राष्ट्रीय स्पर्धा में हमारी टीम मात खा जाती है। उन्होंने बताया कि इस साल जब सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय स्पर्धा हुई तो छत्तीसगढ़ के पूल में मणिपुर और उप्र की टीमें थीं। हमारी टीम ने मणिपुर को 4-1 से मात दी, लेकिन हमारी टीम उप्र से मात खा गई जिसके कारण हमारी टीम क्वार्टर फाइनल में नहीं पहुंच सकी। अगर हम क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाते तो हमें राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता मिल जाती। रश्मि का कहना है कि जब 15 दिनों के प्रशिक्षण में हमारी खिलाड़ी इतना अच्छा कर लेती हैं तो एस्ट्रो टर्फ के साथ जब राजधानी में अकादमी हो जाएगी और हमारी खिलाड़ी साल भर अभ्यास करेंगी तो कौन रोक पाएगा हमारी टीम को सफलता से।
कई राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने वाली वर्षा शुक्ला कहती हैं कि एस्ट्रो टर्फ में खेलने से तकनीक ही बदल जाती है, ऐसे में हमारी खिलाड़ी वहां टिक नहीं पाती हंै। उनका कहना है कि हमेशा हॉकी खिलाड़ियों को लालीपोप दिखा दिया जाता है, राज्य बनने के दस साल बाद भी राज्य में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं लगा है। वर्षा कहती हैं कि पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बाद प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की है, लेकिन अब तक किसी भी घोषणा पर अमल नहीं हो सका है। अब भी समय है अगर जल्द एस्ट्रो टर्फ लग जाएगा तो इसका फायदा छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में मिल सकेगा।
राष्ट्रीय खिलाड़ी शोभा वर्टी कहती हैं कि राजधानी में तो जल्द से जल्द एस्ट्रो टर्फ लगाना चाहिए। हम लोगों के खेलने के लिए एक भी हॉकी का मैदान नहीं है। महिला खिलाड़ी पुलिस मैदान में अभ्यास करती हैं, लेकिन जब भी वहां कोई आयोजन होता है, हमें बाहर कर दिया जाता है, ऐसे में हम सड़क पर अभ्यास करने के लिए मजबूर हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ बनने से पहले से ही एक मैदान के लिए तरस रही हैं। हमारे राज्य संघ ने एक बार किराए का मैदान लिया था, लेकिन संघ के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह खिलाड़ियों के लिए किराए का मैदान ले सके।
टर्फ होने से राष्ट्रीय स्पर्धाएं होंगी
हॉकी के कोच और प्रदेश हॉकी के पूर्व कार्यालय सचिव मुश्ताक अली प्रधान का कहना है कि एस्ट्रो टर्फ की कमी के कारण ही राज्य को सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी नहीं मिल पाई है। उन्होंने बताया कि जब उन लोगों के पास राज्य संघ था तो 2003 में नेताजी स्टेडियम में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था, उसी समय जहां प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा की थी, वहीं जशपुर में भी एस्ट्रो लगाने की बात कही थी। लेकिन प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद आज दस साल में राज्य में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं लग सका है। उन्होंने बताया कि 2003 में भारतीय हॉकी संघ के महासचिव ज्योतिकुमारन ने वादा किया था कि अगर छत्तीसगढ़ में एस्ट्रो लग जाएगा तो छत्तीसगढ़ को न सिर्फ सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी दी जाएगी, बल्कि हर साल एक राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी दी जाएगी। लेकिन यह राज्य का दुर्भाग्य है कि अब तक यहां एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं लग पाया है। अब भी समय है अगर जल्द से जल्ट एस्ट्रो टर्फ लगा दिया जाएगा तो राज्य की महिला के साथ पुरुष टीम भी झारखंड के बाद केरल में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता प्राप्त कर लेगी।

सोमवार, 27 सितंबर 2010

जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगेगा

केन्द्र सरकार की नई योजना के तहत जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने और राजधानी रायपुर में एक मल्टीपर्पस हॉल बनाने के लिए प्रस्ताव भेज रहा है। इन दोनों योजनाओं के लिए केन्द्र से पूरी राशि मिलेगी।
केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने पांच साल पुरानी योजना को फिर से प्रारंभ किया है जिसके तहत अब केन्द्र से राज्य सरकारों को मैदान बनाने के लिए सौ फीसदी मदद मिलेगी। पहले ७५ प्रतिशत की राशि मिलती थी, लेकिन राज्य सरकारों द्वारा २५ प्रतिशत की राशि खर्च न करने की वजह से कई योजनाएं अधूरी ही रह जाती थी। ऐेसे में केन्द्र सरकार ने इस बार नई योजना में पूरी राशि देने का फैसला किया है। केन्द्र सरकार से अब राज्यों को सिंथेटिक के साथ मल्टीपर्पस हॉल बनाने के लिए ही मदद मिलेगी। इसके लिए छह करोड़ की राशि तय की गई है।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार की इस नई योजना का फायदा उठाने के लिए प्रारंभिक तौर पर जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की मांग के साथ साइंस कॉलेज में खेल विभाग की जमीन पर एक मल्टीपर्पस हॉल का प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। उन्होंने बताया कि २००१ में जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा हुई थी, लेकिन वहां पर अब तक स्टेडियम का ही काम हो सका है। अब वहां पर एस्ट्रो टर्फ के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज रहे हैं। उन्होंने बताया कि एस्ट्रो टर्फ के लिए केन्द्र सरकार ने पांच करोड़ की पूरी राशि मिल जाएगी। इसी के साथ केन्द्र सरकार की नई योजना में एक ६० गुणा ४० मीटर के मल्टीपर्पस हॉल के लिए छह करोड़ की राशि देने की योजना है। इसी योजना का लाभ उठाने के लिए साइंस कॉलेज में हमारे विभाग की जो जमीन है उसमें एक हॉल बनाने के लिए योजना तैयार करके भेजी जा रही है।
श्री सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार की इस नई योजना के बारे में इस माह दिल्ली में हुई बैठक में सभी राज्यों को जानकारी दी गई थी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने सिंथेटिक में एथलेटिक्स के ट्रेक के लिए साढ़े पांच करोड़ की राशि तय की है। इसी तरह से हॉकी के एस्ट्रो टर्फ के लिए साढे चार करोड़ से पांच करोड़ की राशि तय है। पांच करोड़ में सामान्य लाइट भी लग जाएगी। उन्होंने बताया कि फुटबॉल के सिंथेटिक मैदान के लिए साढ़े चार करोड़ की राशि तय की गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार की इस योजना का लाभ राष्ट्रीय खेलों में भी उठाया जाएगा। श्री सिंह ने पूछने पर बताया कि जशपुर के लिए एस्ट्रो टर्फ और राजधानी के लिए मल्टीपर्पस हॉल की योजना बनाने का काम प्रारंभ कर दिया गया है, जल्द ही प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया जाएगा।

मंगलवार, 16 मार्च 2010

एस्ट्रो टर्फ पहले लगेगा

साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले हॉकी के एस्ट्रो टर्फ की योजना खिलाड़ियों की मंशा के अनुरूप बनी है। यहां पर पहले स्टेडियम नहीं बाऊंड्री बनाने के बाद एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा ताकि खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल सके। यह फैसला खेल विभाग ने जशपुर के स्टेडियम का हश्र देखकर किया है। साइंस कॉलेज में बाऊंड्री बनाने का काम जल्द ही लोक निर्माण विभाग प्रारंभ कर देगा। संभवत: साइंस कॉलेज के मैदान में ही राज्य का पहला एस्ट्रो टर्फ लगेगा।
राजधानी रायपुर में पहला एस्ट्रो टर्फ लगाने का काम जल्द ही साइंस कॉलेज में प्रारंभ होने वाला है। इसकी पूरी योजना बना ली गई है। अब गेंद पूरी तरह से लोक निर्माण विभाग के पाले में है। लेकिन इसके बाद भी यहां पर काम जल्द प्रारंभ हो सके इसके लिए खेल संचालक जीपी सिंह निरंतर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के संपर्क में हैं। साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ के बारे में राजधानी के हॉकी खिलाड़ियों का यही मानना है कि यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अगर पहले स्टेडियम निर्माण करने की तरफ ध्यान दिया जाएगा, तो इस मैदान का भी हाल वही होगा जो जशपुर के मैदान का हुआ है। यहां यह बताना लीजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद सबसे पहले जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की थी। लेकिन आज तक वहां पर एस्ट्रो टर्फ नहीं लग पाया। वहां पर सबसे पहले स्टेडियम बनाने का काम किया गया, अब तक स्टेडियम ही पूरा नहीं हो पाया है।
ऐसे में खिलाड़ियों का ऐसा मानना है कि अगर रायपुर में भी स्टेडियम बनाने की योजना बनाई गई तो एस्ट्रो टर्फ खिलाड़ियों को बरसों नसीब नहीं हो पाएगा। खिलाड़ियों की इस भावना से खेल विभाग भी परिचित है और उसने इसीलिए सबसे पहले स्टेडियम के स्थान पर बाऊंड्री बनाकर एस्ट्रो टर्फ लगाने की योजना बनाई है। इसी योजना के तहत ही लोक निर्माण विभाग काम करेगा। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जितने क्षेत्र में मैदान बनाना है, उतने क्षेत्र के हिस्से को घेरकर बाऊंड्री बनाई जाएगी और फिर एस्ट्रो टर्फ लगा दिया जाएगा। एस्ट्रो टर्फ पर करीब चार करोड़ का खर्च आना है।
साइंस कॉलेज के मैदान में जो एस्ट्रो टर्फ लगेगा वह कोटा स्टेडियम में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ की योजना वाले बजट से बनेगा। कोटा के लिए 26 करोड़ की योजना बनाई गई थी लेकिन वित्त विभाग से 10 करोड़ 62 लाख ही मंजूर हुए थे। अब इसी राशि से साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगेगा और बाऊंड्री बनाई जाएगी, राशि बचने पर पैवेलियन बनाने का काम होगा।

शनिवार, 13 मार्च 2010

एस्ट्रो टर्फ लगाने की कवायद शुरू

राजधानी के हॉकी खिलाडिय़ों को एस्ट्रो टर्फ की सुविधा दिलाने की कवायद खेल विभाग ने तेजी से प्रारंभ कर दी है। विभाग की पहल पर जल्द ही अब लोक निर्माण विभाग साइंस कॉलेज में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ के लिए टेंडर बुलाने वाला है।
साइंस कॉलेज के मैदान में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से अनुमति लेकर एस्ट्रो टर्फ लगाने की तैयारी खेल विभाग कर रहा है। पूर्व में मुख्यमंत्री को घोषणा के अनुरूप कोटा स्टेडियम के साथ नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाना था, लेकिन दोनों स्थानों पर परेशानी होने के कारण एक नई योजना बनाकर एस्ट्रो टर्फ साइंस कॉलेज में लगाने की मंजूरी मुख्यमंत्री से ली गई है। इस मंजूरी के बाद खेल विभाग की पहल पर लोक निर्माण विभाग ने साइंस कॉलेज में उस स्थान का निरीक्षण कर लिया है जहां पर एस्ट्रो टर्फ लगना है। अब लोक निर्माण विभाग से इसकी पूरी योजना बनाकर टेंडर बुलाने की तैयारी कर ली है।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हमारे विभाग ने अपना काम कर दिया है और लोकनिर्माण विभाग द्वारा जल्द टेंडर आमंत्रित करके पहले स्टेडियम बनाए जाएगा इसके बाद एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा।

हिन्दी में लिखें

खेलगढ़ Headline Animator

खेलगढ़ की चर्चा हिन्दुस्तान में