प्रदेश के खेल विभाग द्वारा दिए जाने वाले राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर लगातार यह बात सामने आ रही है कि नियमों में कई तरह की विसंगतियां हैं। अब यह बात सामने आई है कि शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार के नियम भी स्पष्ट न होने की वजह से एक पात्र खिलाड़ी को पुरस्कार से वंचित होना पड़ा है। वैसे को अब पुरस्कार दिए जा चुके हैं, लेकिन इस खेल से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसी गलती भविष्य में न हो इसके लिए नियमों को स्पष्ट करना चाहिए। वैसे तो नियमों की विसंगतियों को दूर करने की बात खेलमंत्री लता उसेंडी के साथ खेल संचालक जीपी सिंह भी कर चुके हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा दिए जाने वाले खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर लगातार यह बातें सामने आ रही हैं कि इनके नियमों में बहुत खामियां हैं। शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार के नियमों की खामियां भी सामने आई हैं। यह पुरस्कार ऐसे खेलों के खिलाडिय़ों को दिया जाता है जिन खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक नहीं मिल पाता है। इसके लिए यह तय किया गया है कि सीनियर वर्ग में जो खिलाड़ी किसी भी खेल में लगातार पांच साल तक राज्य से खेल हैं, वहीं खिलाड़ी इसके लिए पात्र होंगे। खिलाडिय़ों का चयन पुरस्कार के लिए करने के लिए संबंधित खेलों के राज्य खेल संघों को एक चयन समिति बनाकर खिलाडिय़ों के नाम खेल विभाग को भेजने होते हैं। नियम के तहत खेल संघों को अपने खेल के दो महिला और दो पुरुष खिलाडिय़ों के नाम ही भेजने कहा गया है। ज्यादा नाम भेजने की स्थिति में नियमानुसार किसी भी नाम पर विचार न करने की बात नियमों में कही गई है। इसी के साथ खेल संघों को ही यह अधिकारी दिया गया है कि वहीं तय करेंगे कि कौन सा खिलाड़ी उनके खेल में सर्वश्रेष्ठ है।
क्या है नियमों में खामियां
शहीद पकंज विक्रम पुरस्कार के नियम में एक सबसे बड़ी खामी इस बार यह सामने आई है कि जब एक ही खेल में दो खिलाड़ी सम्मान रूप से पांच साल तक खेले हुए होते हैं तो इन खिलाडिय़ों में से किसे पात्र माना जाएगा, इसका उल्लेख कहीं नहीं है। इस बार फुटबॉल में यही बात सामने आई कि दो नहीं बल्कि चार खिलाड़ी पांच साल खेलीं थीं। एक तो खेल संघ ने दो के स्थान पर चार खिलाडिय़ों के नामों की अनुशंसा करके गलत किया था। नियमों को देखते हुए इस खेल के किसी भी खिलाड़ी के नाम पर विचार नहीं होना चाहिए था, लेकिन नामों पर विचार किया गया तो पहले दो नामों पर विचार किया जाता, लेकिन पुरस्कार चयन समिति ने पहले से लेकर तीसरे नाम पर विचार करने की बजाए चौथे नंबर की खिलाड़ी को पात्र मान लिया।। जिन चार खिलाडिय़ों के नाम की अनुशंसा खेल संघ ने की थी वह अनुशंसा खिलाडिय़ों के सीनियर होने के हिसाब से की गई थी। लेकिन इस पर ध्यान न देते हुए समिति ने अपनी मर्जी से फैसला दे दिया और पुरस्कार के लिए उस खिलाड़ी का नाम तय कर दिया जो पांच बार सीनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेली है जबकि छह बार सीनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने वाली खिलाड़ी को पात्र नहीं माना गया। इसी के साथ खेल संघ के हिसाब से तय की गई सीनियर खिलाडिय़ों के नाम पर भी विचार नहीं किया गया। फुटबॉल से जुड़े जानकारों का साफ कहना है कि जब संघ ने सीनियरों के हिसाब से नाम भेजे थे तो उसी क्रम से नामों पर विचार किया जाना था। लेकिन चयन समिति ने ऐसा न करके न जाने क्या सोचकर फैसला किया है।
सोमवार, 6 सितंबर 2010
रविवार, 5 सितंबर 2010
डोपिंग के दोषी पर होगी चर्चा
डोपिंग के दोषी प्रदेश के खिलाड़ी सिद्धार्थ मिश्रा को लेकर प्रदेश वेटलिफ्टिंग संघ की कार्यकारिणी की बैठक रखी गई है। इस बैठक में खेल विभाग के नोटिस का जवाब देने पर ही मुख्य चर्चा होगी।
प्रदेश वेटलिफ्टिंग संघ ने डोपिंग के दोषी खिलाड़ी सिद्धार्थ मिश्रा का नाम शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए भेज दिया था। इस खिलाड़ी का पुरस्कार के लिए चयन भी कर लिया गया था, पर मीडिया की सजगता से यह बात सामने आई कि जिस खिलाड़ी का पुरस्कार के लिए चयन किया गया है वह तो डोपिंग का दोषी है। ऐसे में खेल विभाग ने पुरस्कार समिति की विशेष बैठक बुलाकार इस खिलाड़ी के पुरस्कार को रद्द कर दिया था। खिलाड़ी का पुरस्कार रद्द करने के साथ खेल विभाग ने प्रदेश संघ को २१ दिनों के अंदर कारण बताओ नोटिस जारी किया था कि आखिर क्यों कर संघ ने डोपिंग के दोषी खिलाड़ी का नाम पुरस्कारों के लिए भेजा था। संघ ने अगर इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो खेल विभाग संघ की मान्यता भी रद्द कर सकता है। संघ के सचिव सुखलाल जंघेल ने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक रविवार को दोपहर तीन बजे वन विभाग पंडरी के खेल परिसर में रखी गई है। बैठक में इस बात पर ही चर्चा की जाएगी कि कैसे डोपिंग के दोषी खिलाड़ी का आवेदन पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर करके भेजा था। पूछने पर उन्होंने बताया कि खिलाड़ी के आवेदन पर उन्होंने हस्ताक्षर ही नहीं किए थे, जबकि आवेदन पर सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि सचिव होने के बाद उनके नाम फेडरेशन से कोई पत्र नहीं आया। जो पत्र फेडरेशन से भेजा गया, वह भिलाई के एक पदाधिकारी के पते पर गया था। इस मामले की भी जांच की जाएगी कि आखिर सचिव के नाम का पत्र भिलाई में किसी और पदाधिकारी के पते पर कैसे चला गया। अगर पत्र चला भी गया तो सचिव को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई कि सिद्धार्थ मिश्रा डोपिंग का दोषी पाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास कोई जानकारी न होने के कारण ही वे मीडिया को कोई जानकारी नहीं दे पाए थे।
हटाए जा सकते हैं कुछ पदाधिकारी
बैठक में उन पदाधिकारियो को हटाए जाने पर बहस होने के पूरे आसार हैं जिन्होंने सिद्धार्थ मिश्रा के आवेदन पर हस्ताक्षर किए थे। इसी के साथ उन पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का मन बनाया गया है जो बैठक में नहीं आएंगे। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि एक तरह से संघ की सर्जरी की जाएगी और ऐसे पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा जिनके कारण संघ पदनाम हुआ है। इधर राष्ट्रीय फेडरेशन से पर्यवेक्षक के आने की चर्चा के बीच सचिव सुखलाल जंधेल का कहना है कि यह प्रदेश संघ का मामला है और अपने संघ से पदाधिकारियों को हटाने के लिए किसी पर्यवेक्षक की जरूरत नहीं है।
एक समिति बनाकर इसका फैसला किया जा सकता है।
प्रदेश वेटलिफ्टिंग संघ ने डोपिंग के दोषी खिलाड़ी सिद्धार्थ मिश्रा का नाम शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए भेज दिया था। इस खिलाड़ी का पुरस्कार के लिए चयन भी कर लिया गया था, पर मीडिया की सजगता से यह बात सामने आई कि जिस खिलाड़ी का पुरस्कार के लिए चयन किया गया है वह तो डोपिंग का दोषी है। ऐसे में खेल विभाग ने पुरस्कार समिति की विशेष बैठक बुलाकार इस खिलाड़ी के पुरस्कार को रद्द कर दिया था। खिलाड़ी का पुरस्कार रद्द करने के साथ खेल विभाग ने प्रदेश संघ को २१ दिनों के अंदर कारण बताओ नोटिस जारी किया था कि आखिर क्यों कर संघ ने डोपिंग के दोषी खिलाड़ी का नाम पुरस्कारों के लिए भेजा था। संघ ने अगर इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो खेल विभाग संघ की मान्यता भी रद्द कर सकता है। संघ के सचिव सुखलाल जंघेल ने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक रविवार को दोपहर तीन बजे वन विभाग पंडरी के खेल परिसर में रखी गई है। बैठक में इस बात पर ही चर्चा की जाएगी कि कैसे डोपिंग के दोषी खिलाड़ी का आवेदन पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर करके भेजा था। पूछने पर उन्होंने बताया कि खिलाड़ी के आवेदन पर उन्होंने हस्ताक्षर ही नहीं किए थे, जबकि आवेदन पर सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि सचिव होने के बाद उनके नाम फेडरेशन से कोई पत्र नहीं आया। जो पत्र फेडरेशन से भेजा गया, वह भिलाई के एक पदाधिकारी के पते पर गया था। इस मामले की भी जांच की जाएगी कि आखिर सचिव के नाम का पत्र भिलाई में किसी और पदाधिकारी के पते पर कैसे चला गया। अगर पत्र चला भी गया तो सचिव को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई कि सिद्धार्थ मिश्रा डोपिंग का दोषी पाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास कोई जानकारी न होने के कारण ही वे मीडिया को कोई जानकारी नहीं दे पाए थे।
हटाए जा सकते हैं कुछ पदाधिकारी
बैठक में उन पदाधिकारियो को हटाए जाने पर बहस होने के पूरे आसार हैं जिन्होंने सिद्धार्थ मिश्रा के आवेदन पर हस्ताक्षर किए थे। इसी के साथ उन पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का मन बनाया गया है जो बैठक में नहीं आएंगे। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि एक तरह से संघ की सर्जरी की जाएगी और ऐसे पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा जिनके कारण संघ पदनाम हुआ है। इधर राष्ट्रीय फेडरेशन से पर्यवेक्षक के आने की चर्चा के बीच सचिव सुखलाल जंधेल का कहना है कि यह प्रदेश संघ का मामला है और अपने संघ से पदाधिकारियों को हटाने के लिए किसी पर्यवेक्षक की जरूरत नहीं है।
एक समिति बनाकर इसका फैसला किया जा सकता है।
प्रीति-नेहा की नजरें अब टॉप सेवन पर
कामनवेल्थ के लिए भारतीय नेटबॉल टीम में चुनी गई छत्तीसगढ़ की खिलाडिय़ों प्रीति बंछोर और नेहा बजाज का अब अंतिम लक्ष्य टीम की टॉप सेवन में स्थान बनाकर कामनवेल्थ के हर मैच में खेलने का है।
इन दोनों खिलाडिय़ों ने बताया कि अब कामनवेल्थ में नेटबॉल चैंपियनशिप के प्रारंभ होने से पहले तक दिल्ली में टीम के लिए चुनी गई १२ खिलाडिय़ों का शिविर चलेगा। इन्होंने बताया कि इस शिविर में हम लोग इतनी ज्यादा मेहनत करेंगी कि हमें हर मैच में खेलने का मौका मिल जाए। इन्होंने पूछने पर बताया कि भारतीय टीम पदक जीत पाएगी या नहीं अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। इन्होंने बताया कि टीम को किस पूल में रखा जाता है उसके ऊपर बहुत कुछ निर्भर रहेगा। प्रदेश संघ के संजय शर्मा ने बताया कि टीम में दिल्ली की खिलाडिय़ों को ज्यादा मौका मिला है। टीम इस प्रकार है- प्रीति बंछोर, नेहा बजाज (छत्तीसगढ़), हरविंदर कौर, किरणदीप कौर (पंजाब), सिरीन(महाराष्ट्र), मनीषा, नेहा कंसलस दहिया (दिल्ली), रविंदर कौर, संतोष साकरा (हरियाणा), लीलीएचएफ (कर्नाटक)।
इन दोनों खिलाडिय़ों ने बताया कि अब कामनवेल्थ में नेटबॉल चैंपियनशिप के प्रारंभ होने से पहले तक दिल्ली में टीम के लिए चुनी गई १२ खिलाडिय़ों का शिविर चलेगा। इन्होंने बताया कि इस शिविर में हम लोग इतनी ज्यादा मेहनत करेंगी कि हमें हर मैच में खेलने का मौका मिल जाए। इन्होंने पूछने पर बताया कि भारतीय टीम पदक जीत पाएगी या नहीं अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। इन्होंने बताया कि टीम को किस पूल में रखा जाता है उसके ऊपर बहुत कुछ निर्भर रहेगा। प्रदेश संघ के संजय शर्मा ने बताया कि टीम में दिल्ली की खिलाडिय़ों को ज्यादा मौका मिला है। टीम इस प्रकार है- प्रीति बंछोर, नेहा बजाज (छत्तीसगढ़), हरविंदर कौर, किरणदीप कौर (पंजाब), सिरीन(महाराष्ट्र), मनीषा, नेहा कंसलस दहिया (दिल्ली), रविंदर कौर, संतोष साकरा (हरियाणा), लीलीएचएफ (कर्नाटक)।
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