खेल विभाग के नकद राशि पुरस्कार में बास्केटबॉल के 45 खिलाड़ियों को 8 लाख से ज्यादा की राशि मिली। बास्केटबॉल में भी सबसे ज्यादा पदक राष्ट्रीय स्तर पर मिल रहे हैं।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव राजेश पटेल ने बताया कि सब जूनियर बालिका टीम को स्वर्ण पदक प्राप्त करने पर टीम के प्रत्येक 12 खिलाड़ियों को दस हजार की राशि दी गई। सब जूनियर बालक टीम ने पिछले वर्ष कांगडा हिमाचल प्रदेश में 37वीं राष्ट्रीय सब जूनियर स्पर्धा में रजत पदक जीता था। टीम के प्रत्येक को पांच-पांच हजार की राशि मिली। प्रदेश की महिला टीम ने रांची झारखंड के राष्ट्रीय ख्ोल में रजत पदक जीता था। टीम की हर खिलाड़ी को बीस हजार रुपए प्रदान किए गए। प्रदेश की महिला टीम ने पिछले साल राजनांदगाव में राष्ट्रीय महिला खेल में स्वर्ण पदक जीता था। टीम की खिलाड़ियो को पंद्रह-पंद्रह हजार की राशि दी गई। यह राशि खिलाड़ियों को खेल विभाग द्वारा नकद राशि पुरस्कार में दी गई।
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बुधवार, 31 अगस्त 2011
शुक्रवार, 1 जुलाई 2011
खिलाड़ी तैयार करना ही अब मकसद
राजधानी की राष्ट्रीय खिलाड़ी फरहत अंजुम का कहना है कि अब उनका मकसद राजधानी के खिलाड़ियों को तैयार करके राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का है। रायपुर में प्रशिक्षकों की कमी के कारण हम लोग भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच सकीं हंै, जहां पहुंचना चाहिए था। यही वजह रही कि मैंने कम से कम एनआईएस का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स किया है।
फरहत ने बताया कि वह पांच बार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। लेकिन फरहत इससे संतुष्ट नहीं हंै। वह कहती हैं कि जितना समय हमने खेल को दिया है, उसके हिसाब से तो मुझे और ज्यादा राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिलना था, लेकिन नहीं मिल सका। इसके पीछे का कारण खोजने पर मुझे लगा कि अच्छे प्रशिक्षण की कमी के कारण मैं ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी। वैसे तो रायपुर में अच्छे प्रशिक्षक हैं, लेकिन जिस तरह का प्रशिक्षण भिलाई में राजेश पटेल देते हैं, उस स्तर का प्रशिक्षण रायपुर में उपलब्ध नहीं है। हम लोग जानते हैं कि राजेश पटेल के स्तर का कोच रायपुर को मिल पाना संभव नहीं है, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं खुद प्रशिक्षक का कोर्स कर लूं तो कम से रायपुर की जूनियर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम तो कर ही सकती हूं।
फरहत बताती हैं कि वैसे वह पिछले दो साल से पुलिस लाइन के बास्केटबॉल मैदान में खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रही हंै। उनसे प्रशिक्षण लेने वाली कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। फरहत ने बताया कि कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर में बास्केटबॉल के साथ फुटबॉल, तीरंदाजी, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स 17 मई से 25 जून तक आयोजित किया गया था। इसमें फरहत ने भाग लिया और वहां से प्रमाणपत्र लेकर लौटी हैं। अब वह पुलिस मैदान के साथ अपने स्कूल होलीहार्ट में जहां वह खेल शिक्षक हैं, खिलाड़ियों को तैयार करने का काम करेंगी। फरहत ने बताया कि स्कूल में वह 3.30 से 5.00 बजे तक और पुलिस लाइन में 5.30 बजे से 8.00 तक बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम करेंगी। फरहत कहती हैं कि रायपुर में बास्केटबॉल का खेल काफी समय से मर सा गया है उसको जिंदा करने का एक प्रयास मैं करूंगी। उन्होंने बताया कि प्रमाणपत्र कोर्स के लिए उन्होंने करीब 20 हजार का खर्च परिजनों से लेकर किया है। कोर्स के लिए करीब 15 हजार रुपए की राशि फीस के रूप में लगी है।
फरहत ने बताया कि वह पांच बार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। लेकिन फरहत इससे संतुष्ट नहीं हंै। वह कहती हैं कि जितना समय हमने खेल को दिया है, उसके हिसाब से तो मुझे और ज्यादा राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिलना था, लेकिन नहीं मिल सका। इसके पीछे का कारण खोजने पर मुझे लगा कि अच्छे प्रशिक्षण की कमी के कारण मैं ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी। वैसे तो रायपुर में अच्छे प्रशिक्षक हैं, लेकिन जिस तरह का प्रशिक्षण भिलाई में राजेश पटेल देते हैं, उस स्तर का प्रशिक्षण रायपुर में उपलब्ध नहीं है। हम लोग जानते हैं कि राजेश पटेल के स्तर का कोच रायपुर को मिल पाना संभव नहीं है, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं खुद प्रशिक्षक का कोर्स कर लूं तो कम से रायपुर की जूनियर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम तो कर ही सकती हूं।
फरहत बताती हैं कि वैसे वह पिछले दो साल से पुलिस लाइन के बास्केटबॉल मैदान में खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रही हंै। उनसे प्रशिक्षण लेने वाली कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। फरहत ने बताया कि कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर में बास्केटबॉल के साथ फुटबॉल, तीरंदाजी, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स 17 मई से 25 जून तक आयोजित किया गया था। इसमें फरहत ने भाग लिया और वहां से प्रमाणपत्र लेकर लौटी हैं। अब वह पुलिस मैदान के साथ अपने स्कूल होलीहार्ट में जहां वह खेल शिक्षक हैं, खिलाड़ियों को तैयार करने का काम करेंगी। फरहत ने बताया कि स्कूल में वह 3.30 से 5.00 बजे तक और पुलिस लाइन में 5.30 बजे से 8.00 तक बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम करेंगी। फरहत कहती हैं कि रायपुर में बास्केटबॉल का खेल काफी समय से मर सा गया है उसको जिंदा करने का एक प्रयास मैं करूंगी। उन्होंने बताया कि प्रमाणपत्र कोर्स के लिए उन्होंने करीब 20 हजार का खर्च परिजनों से लेकर किया है। कोर्स के लिए करीब 15 हजार रुपए की राशि फीस के रूप में लगी है।
बुधवार, 1 जून 2011
छोटे बच्चे भी बास्केटबॉल के दीवाने

खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे 21 खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में 60 से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाड़ियों में दूसरी क्लास की भी छात्राएं हैं। आलविया परवीन, जागृति और पायल दीप दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से काजल तीसरी, रोमा यादव चौथी छात्रा हैं। अन्य खिलाड़ियों में तानिया यादव, शैबी सुकैन खान, आस्था गोलछा, अन्नु थामस, शारदा बारले. सुकन्या यादव, रौशनी खनूजा, अपूर्वा जैन, मनीषा ध्रुव शामिल हैं। ये सारी की सारी खिलाड़ी पहली बार प्रशिक्षण शिविर में आई हैं और इनका कहना है कि अब वे नियमित रूप से बास्केटबॉल खेलना चाहती हैं।
खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर ज्योति सिंह बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाड़ियों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाड़ियों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाड़ियों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाड़ियों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाड़ियों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाड़ियों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है। खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में सीनियर खिलाड़ी सुष्मिता बुंदेल और दिपाली मतेलकर भी मदद कर रही हैं। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर शाम को 5 बजे से प्रारंभ होता है।
बुधवार, 25 मई 2011
टीम की कमान संगीता-करुणाकर को
28वीं राष्ट्रीय यूथ बास्केटबॉल में खेलने जाने वाली प्रदेश की टीमों की कमान बालिका वर्ग में संगीता दास और बालक वर्ग में करुणाकर राव को दी गई है। प्रदेश की टीमें यहां से 25 मई को नागपुर के लिए रवाना होंगी। वहां पर स्पर्धा का प्रारंभ 26 मई से होगा।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश बास्केटबॉल संघ के चेयरमैन सोनमोनी बोरा एवं अध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि नागपुर भिलाई में 15 से 23 मई तक लगाए गए प्रशिक्षण शिविर के बाद 24 मई को टीम घोषित की गई। बालिका टीम इस प्रकार है- संगीता दास कप्तान, अंजना डेजी इक्का उप कप्तान,ज्योति कुमारी, पूनम चतुर्वेदी, निशा नेताम, शीतल कौर, पी. करुणा, रीतु गुप्ता (भिलाई),संध्या आर्य, कल्पना पटेल (राजनांदगांव), कृतिका रजक (बिलासपुर) साधना मरावी (रायपुर)। टीम के मुख्य प्रशिक्षक राजेश पटेल, सहायक प्रशिक्षक- इकबाल अहमद खान,राजेश राठौर, प्रबंधक मंजीता कौर हैं।
बालक टीम- तरेन्द्र कुमार, एम डेविड बुन, अजय कुमार, कृष्ण कुमार पाण्डे, (भिलाई), करुणा कर राव (कप्तान), बी तेजा, लवकेश शर्मा, जसबीर सिंह (दुर्ग), आकाश भसीन, ओम जयसवाल, सैफ हाशमी (राजनांदगांव), दुष्यंत कुमार शर्मा (बिलासपुर)। टीम के मुख्य प्रशिक्षक आरएस गौर हैं।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश बास्केटबॉल संघ के चेयरमैन सोनमोनी बोरा एवं अध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि नागपुर भिलाई में 15 से 23 मई तक लगाए गए प्रशिक्षण शिविर के बाद 24 मई को टीम घोषित की गई। बालिका टीम इस प्रकार है- संगीता दास कप्तान, अंजना डेजी इक्का उप कप्तान,ज्योति कुमारी, पूनम चतुर्वेदी, निशा नेताम, शीतल कौर, पी. करुणा, रीतु गुप्ता (भिलाई),संध्या आर्य, कल्पना पटेल (राजनांदगांव), कृतिका रजक (बिलासपुर) साधना मरावी (रायपुर)। टीम के मुख्य प्रशिक्षक राजेश पटेल, सहायक प्रशिक्षक- इकबाल अहमद खान,राजेश राठौर, प्रबंधक मंजीता कौर हैं।
बालक टीम- तरेन्द्र कुमार, एम डेविड बुन, अजय कुमार, कृष्ण कुमार पाण्डे, (भिलाई), करुणा कर राव (कप्तान), बी तेजा, लवकेश शर्मा, जसबीर सिंह (दुर्ग), आकाश भसीन, ओम जयसवाल, सैफ हाशमी (राजनांदगांव), दुष्यंत कुमार शर्मा (बिलासपुर)। टीम के मुख्य प्रशिक्षक आरएस गौर हैं।
गुरुवार, 14 अक्टूबर 2010
१५ विकासखंडों के खिलाड़ी आज राजधानी में जुंटेगे
पायका के दूसरे चरण में रायपुर जिले के १५ विकासखंडों के खिलाड़ी गुरुवार से राजधानी में जुटेंगे। इन खिलाडिय़ों के बीच जहां चार खेलों के खिताबों के लिए मुकाबला होगा, वहीं महिला खेलों में भी छह खेलों के लिए खिलाड़ी मुकाबले करेंगे।
जिला पायका का एक चरण छुरा में ९ और १० अक्टूबर को हो चुका है। दूसरे चरण का आगाज रायपुर में गुरुवार को होगा। इस चरण में एथलेटिक्स, फुटबॉल, भारोत्तोलन और तैराकी के मुकाबले होंगे। सभी खेलों में बालक वर्ग के साथ बालिका वर्ग के भी मैच खेले जाएंगे। खेलों में मुकाबले सुबह को ९ बजे से प्रारंभ होंगे। इन मुकाबलों के बाद १५ अक्टूबर को होने वाले फाइनल मैचों के बाद ही रायपुर जिले की ओवरआल चैंपियन टीम का फैसला होगा। चैंपियन टीम को नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। विजेता टीम को ४० हजार रुपए, दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को २४ हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को ८ हजार रुपए दिए जाएंगे।
इधर पायका के साथ महिला खेलों का भी आयोजन किया गया है। इस चरण में हैंडबॉल, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, लॉन टेनिस के साथ तैराकी के मुकाबले होंगे।
जिला पायका का एक चरण छुरा में ९ और १० अक्टूबर को हो चुका है। दूसरे चरण का आगाज रायपुर में गुरुवार को होगा। इस चरण में एथलेटिक्स, फुटबॉल, भारोत्तोलन और तैराकी के मुकाबले होंगे। सभी खेलों में बालक वर्ग के साथ बालिका वर्ग के भी मैच खेले जाएंगे। खेलों में मुकाबले सुबह को ९ बजे से प्रारंभ होंगे। इन मुकाबलों के बाद १५ अक्टूबर को होने वाले फाइनल मैचों के बाद ही रायपुर जिले की ओवरआल चैंपियन टीम का फैसला होगा। चैंपियन टीम को नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। विजेता टीम को ४० हजार रुपए, दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को २४ हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को ८ हजार रुपए दिए जाएंगे।
इधर पायका के साथ महिला खेलों का भी आयोजन किया गया है। इस चरण में हैंडबॉल, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, लॉन टेनिस के साथ तैराकी के मुकाबले होंगे।
लेबल:
बास्केटबॉल,
हैंडबॉल
शुक्रवार, 4 जून 2010
छोटे बच्चे भी बास्केटबॉल के दीवाने
बास्केटबॉल की दीवानगी छोटे-छोटे बच्चों के भी सिर चढ़कर बोल रही है। पुलिस मैदान में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में दूसरी क्लास से लेकर १०वीं क्लास तक की छात्राएं प्रशिक्षण ले रही हैं। ये छात्राएं महज समर कैम्प के लिए नहीं आईं हैं बल्कि बास्केटबॉल नियमित खेलना चाहती हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २२ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इसी के साथ एक शिविर बालाजी स्कूल में भी चल रहा है। पुलिस लाइन के शिविर में ६० से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। दोनों शिविरों को मिलाकर १५० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले हे हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाडिय़ों में दूसरी क्लास की भी छात्राएं हैं। अलपिया परवीन जहां दूसरी क्लास में पढ़ती हैं, वहीं कुमकुम भारती और अपूर्वा ठाकुर भी दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से अन्य छोटी खिलाडिय़ों में रूचि कुमार, रिंकी बॉग, रीना नायर, सुमन नायक, जया शुक्ला, दिव्या यादव, बरखा भारती, संजना गवली, दीक्षा यादव, मुस्कान यादव, मुक्ता सिक्का, सोनाली बॉग, चन्द्रलेखा बॉग के नाम प्रमुख हैं। इन छोटी खिलाडिय़ों के साथ जूनियर वर्ग की खिलाडिय़ोंं में कविता वर्मा, ङारना ठाकुर, ज्योति, माही ठाकुर, राधिका, सीखा, अनमोल, अर्पणा पांडे , सीनू शुक्ला, एकता भोई, यशवी भागवनानी, पद्मनी, विजया लक्ष्मी ठाकुर एवं काजोल शामिल हैं। इन छोटी-छोटी खिलाडिय़ों के साथ कई बड़ी खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर खिलाड़ी निकिता आडिल के के साथ फरहत अंजुम बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामान खेल विभाग ने दिया है। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर सुबह और शाम के समय दिया जा रहा है। सुबह को शाम को ६ से ८ बजे से और शाम को ५ से रात को ९ बजे तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शाम के समय खिलाडिय़ों को अलग-अलग प्रशिक्षण दिया जाता है। मिनी वर्ग के खिलाडिय़ों को ५ से ६.३० बजे, जूनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को ६.३० से ७.३० और सीनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को ७.३० से ९ बजे तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सीनियर खिलाडिय़ों को उमेश सिंह ठाकुर प्रशिक्षण देते हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २२ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इसी के साथ एक शिविर बालाजी स्कूल में भी चल रहा है। पुलिस लाइन के शिविर में ६० से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। दोनों शिविरों को मिलाकर १५० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले हे हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाडिय़ों में दूसरी क्लास की भी छात्राएं हैं। अलपिया परवीन जहां दूसरी क्लास में पढ़ती हैं, वहीं कुमकुम भारती और अपूर्वा ठाकुर भी दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से अन्य छोटी खिलाडिय़ों में रूचि कुमार, रिंकी बॉग, रीना नायर, सुमन नायक, जया शुक्ला, दिव्या यादव, बरखा भारती, संजना गवली, दीक्षा यादव, मुस्कान यादव, मुक्ता सिक्का, सोनाली बॉग, चन्द्रलेखा बॉग के नाम प्रमुख हैं। इन छोटी खिलाडिय़ों के साथ जूनियर वर्ग की खिलाडिय़ोंं में कविता वर्मा, ङारना ठाकुर, ज्योति, माही ठाकुर, राधिका, सीखा, अनमोल, अर्पणा पांडे , सीनू शुक्ला, एकता भोई, यशवी भागवनानी, पद्मनी, विजया लक्ष्मी ठाकुर एवं काजोल शामिल हैं। इन छोटी-छोटी खिलाडिय़ों के साथ कई बड़ी खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर खिलाड़ी निकिता आडिल के के साथ फरहत अंजुम बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामान खेल विभाग ने दिया है। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर सुबह और शाम के समय दिया जा रहा है। सुबह को शाम को ६ से ८ बजे से और शाम को ५ से रात को ९ बजे तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शाम के समय खिलाडिय़ों को अलग-अलग प्रशिक्षण दिया जाता है। मिनी वर्ग के खिलाडिय़ों को ५ से ६.३० बजे, जूनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को ६.३० से ७.३० और सीनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को ७.३० से ९ बजे तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सीनियर खिलाडिय़ों को उमेश सिंह ठाकुर प्रशिक्षण देते हैं।
मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010
किरणपाल भी थे पदक विजेता भारतीय टीम में
सैफ खेलों में बास्केटबॉल का रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम में भिलाई के खिलाड़ी किरणपाल सिंह भी थे।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश बास्केटबॉल संघ के अध्यक्ष राजीव जैन के साथ महासचिव राजेश पटेल ने बताया कि ढाका में खेले गए सैफ खेलों में भारत ने पदकों की बारिश करते हुए कई खेलों में पदक जीते। ऐसे में जबकि भारतीय बास्केटबॉल टीम ने वहां फाइनल में स्थान बनाकर रजत पदक जीता तो इस टीम में भिलाई के जूनियर खिलाड़ी किरणपाल सिंह भी शामिल थे। भारत की टीम महज एक अंक से स्वर्ण पदक से चूक गई। भारत को अफागानिस्तान ने ७९-७८ से हराया।
भारतीय टीम से खेले किरणपाल सिंह इसके पहले भी ८ बार भारतीय टीम से खेल चुके हैं। राजेश पटेल ने बताया कि किरण पाल सिंह के दो बहनें आकांक्षा सिंह के साथ सीमा सिंह भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। किरण पाल के कोच भिलाई के आरएस गौर हैं।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश बास्केटबॉल संघ के अध्यक्ष राजीव जैन के साथ महासचिव राजेश पटेल ने बताया कि ढाका में खेले गए सैफ खेलों में भारत ने पदकों की बारिश करते हुए कई खेलों में पदक जीते। ऐसे में जबकि भारतीय बास्केटबॉल टीम ने वहां फाइनल में स्थान बनाकर रजत पदक जीता तो इस टीम में भिलाई के जूनियर खिलाड़ी किरणपाल सिंह भी शामिल थे। भारत की टीम महज एक अंक से स्वर्ण पदक से चूक गई। भारत को अफागानिस्तान ने ७९-७८ से हराया।
भारतीय टीम से खेले किरणपाल सिंह इसके पहले भी ८ बार भारतीय टीम से खेल चुके हैं। राजेश पटेल ने बताया कि किरण पाल सिंह के दो बहनें आकांक्षा सिंह के साथ सीमा सिंह भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। किरण पाल के कोच भिलाई के आरएस गौर हैं।
सोमवार, 7 दिसंबर 2009
टीम की कमान शालिनी को
छत्तीसगढ़ की बास्केटबॉल टीम की कमान भिलाई की शालिनी श्रीवास्तव को दी गई है। यह टीम राष्ट्रीय शालेय खेलों में खेलने राजनांदगांव गई है। वहां पर पांच खेलों की राष्ट्रीय चैंपियनशिप हो रही है।
यह जानकारी देते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के खेल अधिकारी ए। एक्का ने बताया कि पहली बार भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित की गई राज्य अंतर शालेय खेलों की चैंपियनशिप में दुर्ग जिले की दो टीमों जिसमें बास्केटबॉल और हॉकी शामिल हैं ने स्पर्धा में चैंपियन बनने का कमल दिखाया। बास्केटबॉल में आर्य समाज स्कूल और हॉकी में शासकीय कन्या आदर्श उमा शाला दुर्ग ने खिताब जीता। इन खिताब जीतने वाली टीमों को ही राष्ट्रीय शालेय खेलों में खेलने के लिए भेजा गया है। बास्केटबॉल टीम की कप्तान राष्ट्रीय खिलाड़ी शालिनी श्रीवास्तव बनाई गई हैं। बास्केटबॉल के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक राजेश पटेल ने इस टीम को राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए तैयार किया है। उनको भरोसा है कि यह टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत सकती है। बास्केटबॉल के साथ हॉकी टीम को राजनांदगांव जाने से पहले खेल एवं युवा विभाग द्वारा ट्रेक शूट दिया गया। इस अवसर पर खेल अधिकारी ए. एक्का, इकबाल अहमद, सरजीत चक्रर्ती विशेष रूप से उपस्थित थे।
टीमें इस प्रकार हैं- बास्केटबॉल टीम- शालिनी श्रीवास्तव, शरणजीत कौर, संगीता दास, शीतल कौर, निशा नेताम, पी. करूणा, रश्मि वानखेड़े, पी. दिव्या, रिया वर्मा, रागिनी, के. राजलक्ष्मी। टीम के प्रशिक्षक राजेश पटेल, सहायक प्रशिक्षक इकबाल अहमद और सरजीत चक्रवर्ती हैं। प्रबंधक निर्मला शर्मा हैं।
हॉकी टीम- लक्ष्मी चनोयल, रंजु सागर, आशा निर्मलकर, जया ध्रुव, आरती साहु, अंकिता वाहशी, किरण ध्रुव, रिमा सिंग चंदेल, चंद्रकांता ठाकुर, वर्षा देवांगन, हेमलता साहू, सेवंती कुर्रे, रामा साहू, गुलथस्ता अंजुम, नगमा सिद्धकी, विद्या यादव। टीम के कोच तनवीर अकील तथा प्रबंधत नमिता नोगरे हैं।
यह जानकारी देते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के खेल अधिकारी ए। एक्का ने बताया कि पहली बार भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित की गई राज्य अंतर शालेय खेलों की चैंपियनशिप में दुर्ग जिले की दो टीमों जिसमें बास्केटबॉल और हॉकी शामिल हैं ने स्पर्धा में चैंपियन बनने का कमल दिखाया। बास्केटबॉल में आर्य समाज स्कूल और हॉकी में शासकीय कन्या आदर्श उमा शाला दुर्ग ने खिताब जीता। इन खिताब जीतने वाली टीमों को ही राष्ट्रीय शालेय खेलों में खेलने के लिए भेजा गया है। बास्केटबॉल टीम की कप्तान राष्ट्रीय खिलाड़ी शालिनी श्रीवास्तव बनाई गई हैं। बास्केटबॉल के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक राजेश पटेल ने इस टीम को राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए तैयार किया है। उनको भरोसा है कि यह टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत सकती है। बास्केटबॉल के साथ हॉकी टीम को राजनांदगांव जाने से पहले खेल एवं युवा विभाग द्वारा ट्रेक शूट दिया गया। इस अवसर पर खेल अधिकारी ए. एक्का, इकबाल अहमद, सरजीत चक्रर्ती विशेष रूप से उपस्थित थे।
टीमें इस प्रकार हैं- बास्केटबॉल टीम- शालिनी श्रीवास्तव, शरणजीत कौर, संगीता दास, शीतल कौर, निशा नेताम, पी. करूणा, रश्मि वानखेड़े, पी. दिव्या, रिया वर्मा, रागिनी, के. राजलक्ष्मी। टीम के प्रशिक्षक राजेश पटेल, सहायक प्रशिक्षक इकबाल अहमद और सरजीत चक्रवर्ती हैं। प्रबंधक निर्मला शर्मा हैं।
हॉकी टीम- लक्ष्मी चनोयल, रंजु सागर, आशा निर्मलकर, जया ध्रुव, आरती साहु, अंकिता वाहशी, किरण ध्रुव, रिमा सिंग चंदेल, चंद्रकांता ठाकुर, वर्षा देवांगन, हेमलता साहू, सेवंती कुर्रे, रामा साहू, गुलथस्ता अंजुम, नगमा सिद्धकी, विद्या यादव। टीम के कोच तनवीर अकील तथा प्रबंधत नमिता नोगरे हैं।
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
ट्रिपल जंप करो और थ्री पाइंट के मास्टर बनो
बास्केटबॉल के खेल में थ्री पाइंट शूट का अपना महत्व है। तीन अंकों का बास्केट करना हर किसी के बस की बात नहीं है। तीन अंकों का बास्केट करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है। ऐसे में जंप रोप के खिलाडिय़ों ने बास्केटबॉल के खिलाडिय़ों को बताया कि कैसे वे जंप रोप के ट्रिपल जंप का फायदा उठाकर थ्री पाइंट शूट करने में मास्टर बन सकते हैं।
जंप रोप यानी रस्सी कूद एक ऐसा खेल है जिसे हर खेल की नींव कहा जाए तो गलत नहीं होगा। हर खेल का खिलाड़ी फिट रहने के लिए जंप रोप का सहारा लेता है। इस जंप रोप के कई पैतरे ऐसे हैं जिससे अलग-अलग खेलों को अलग-अलग फायदा हो सकता है। ऐसे में राजधानी रायपुर के बालाजी स्कूल में बास्केटबॉल के खिलाडिय़ों को यह बताया गया कि वे कैसे जंप रोप के ट्रिपल जंप की मदद से तीन अंकों के बास्केट करने में महारथ हासिल कर सकते हैं। स्कूल में स्कूल के खेल शिक्षक उमेश सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन में ६० खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में कुछ नया करने के लिहाज से उमेश ठाकुर ने जंप रोप के कोच अखिलेश दुबे से संपर्क किया तो उन्होंने जंप रोप के माध्यम से खिलाडिय़ों को निखारने की सलाह दी। इसके बाद प्रारंभ हुआ वहां पर एक नए तरह का प्रशिक्षण। इस प्रशिक्षण के बारे में अखिलेश दुबे बताते हैं कि स्कूल में राष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंग बास्केटबॉल के खिलाडिय़ों को ट्रिपल जंप की खासियत बताते हुए बता रहे हैं कि कैसे खिलाड़ी इस जंप को करने के कारण बास्केटबॉल में तीन अंकों के बास्केट कर सकते हैं। इसी के साथ खिलाडिय़ों को जंप रोप के माध्यम अपने खेल को निखारने के भी गुर बताए जा रहे हैं।
जंप रोप यानी रस्सी कूद एक ऐसा खेल है जिसे हर खेल की नींव कहा जाए तो गलत नहीं होगा। हर खेल का खिलाड़ी फिट रहने के लिए जंप रोप का सहारा लेता है। इस जंप रोप के कई पैतरे ऐसे हैं जिससे अलग-अलग खेलों को अलग-अलग फायदा हो सकता है। ऐसे में राजधानी रायपुर के बालाजी स्कूल में बास्केटबॉल के खिलाडिय़ों को यह बताया गया कि वे कैसे जंप रोप के ट्रिपल जंप की मदद से तीन अंकों के बास्केट करने में महारथ हासिल कर सकते हैं। स्कूल में स्कूल के खेल शिक्षक उमेश सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन में ६० खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में कुछ नया करने के लिहाज से उमेश ठाकुर ने जंप रोप के कोच अखिलेश दुबे से संपर्क किया तो उन्होंने जंप रोप के माध्यम से खिलाडिय़ों को निखारने की सलाह दी। इसके बाद प्रारंभ हुआ वहां पर एक नए तरह का प्रशिक्षण। इस प्रशिक्षण के बारे में अखिलेश दुबे बताते हैं कि स्कूल में राष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंग बास्केटबॉल के खिलाडिय़ों को ट्रिपल जंप की खासियत बताते हुए बता रहे हैं कि कैसे खिलाड़ी इस जंप को करने के कारण बास्केटबॉल में तीन अंकों के बास्केट कर सकते हैं। इसी के साथ खिलाडिय़ों को जंप रोप के माध्यम अपने खेल को निखारने के भी गुर बताए जा रहे हैं।
शनिवार, 6 जून 2009
नन्हें-मुन्ने भी सीख रहे बास्केटबॉल के गुर
बास्केटबॉल की दीवानगी छोटे-छोटे बच्चों के भी सिर चढ़कर बोल रही है। पुलिस मैदान में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में पहली क्लास से लेकर १०वीं क्लास तक के छात्र प्रशिक्षण ले रहे हैं। ये छात्र महज समर कैम्प के लिए नहीं आए हैं बल्कि बास्केटबॉल नियमित खेलना चाहते हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २१ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में ५० से ज्यादा लड़के प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी हर उम्र के हैं। इन छोटे-छोटे खिलाडिय़ों के साथ कई बड़े खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है। खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाले उमेश सिंह ठाकुर बताते हैं कि यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रहे हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। उन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बेस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २१ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में ५० से ज्यादा लड़के प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी हर उम्र के हैं। इन छोटे-छोटे खिलाडिय़ों के साथ कई बड़े खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है। खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाले उमेश सिंह ठाकुर बताते हैं कि यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रहे हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। उन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बेस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है।
सोमवार, 18 मई 2009
छोटे बच्चे भी बास्केटबॉल के दीवाने
बास्केटबॉल की दीवानगी छोटे-छोटे बच्चों के भी सिर चढ़कर बोल रही है। पुलिस मैदान में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में पहली क्लास से लेकर १०वीं क्लास तक की छात्राएं प्रशिक्षण ले रही हैं। ये छात्राएं महज समर कैम्प के लिए नहीं आईं हैं बल्कि बास्केटबॉल नियमित खेलना चाहती हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २१ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में ८० से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाडिय़ों में पहली क्लास की भी छात्राएं हैं। अलपिया परवीन जहां पहली क्लास में पढ़ती हैं, वहीं जागृति जैन और पायल दीप दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से कागज बाग तीसरी, अंकिता बाग चौथी, सपना जाल पांचवीं और कृष्णा जैन छठी की छात्रा हैं। एक नन्हीं खिलाड़ी तुलसी न्याय भी जो बताती है कि उनके परिजनों से उनकी पढ़ाई दूसरी के बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बंद करवा दी है। ऐसे में उसने खेल की तरफ ध्यान दिया और बास्केटबॉल खेलने आ गई। इनव छोटी-छोटी खिलाडिय़ों के साथ कई बड़ी खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर खिलाड़ी विभूति ठाकुर के साथ फरहत अंजुम बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर शाम को ५ बजे से प्रारंभ होता है।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे २१ खेलों के प्रशिक्षण शिविरों में से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण शिविर पुलिस मैदान में चलाया जा रहा है। इस शिविर में ८० से ज्यादा लड़कियों प्रशिक्षण लेने आ रही हैं। प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ी हर उम्र की हैं। इन खिलाडिय़ों में पहली क्लास की भी छात्राएं हैं। अलपिया परवीन जहां पहली क्लास में पढ़ती हैं, वहीं जागृति जैन और पायल दीप दूसरी की छात्राएं हैं। इसी तरह से कागज बाग तीसरी, अंकिता बाग चौथी, सपना जाल पांचवीं और कृष्णा जैन छठी की छात्रा हैं। एक नन्हीं खिलाड़ी तुलसी न्याय भी जो बताती है कि उनके परिजनों से उनकी पढ़ाई दूसरी के बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बंद करवा दी है। ऐसे में उसने खेल की तरफ ध्यान दिया और बास्केटबॉल खेलने आ गई। इनव छोटी-छोटी खिलाडिय़ों के साथ कई बड़ी खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। ज्यादातर खिलाडिय़ों ने एक स्वर में कहा कि उनको समर कैम्प के बाद भी नियमित खेलना है।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाली सीनियर खिलाड़ी विभूति ठाकुर के साथ फरहत अंजुम बताती हैं यह बास्केटबॉल के लिए काफी अच्छी बात है कि कम उम्र की खिलाड़ी खेलने आ रही हैं, लेकिन इनको प्रशिक्षण देना आसान नहीं है। बास्केटबॉल लंबे खिलाडिय़ों का खेल माना जाता है, ऐसे में कम उम्र की खिलाडिय़ों के लिए बास्केट करना कठिन है, इसके बाद भी इनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। इन्होंने पूछने पर बताया कि खिलाडिय़ों को बास्केटबॉल के बैस के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को ड्रिब्लिंग, पासिंग और शूटिंग सिखाई जा रही है। खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर उनके बीच मैच भी करवाए जा रहे हैं। खिलाडिय़ों के फिटनेस के लिए जहां मैदान के बाहर एक चक्कर लगाने कहा जाता है, वहीं मैदान के पांच चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्होंने बताया कि शिविर के लिए सारा सामाना खेल विभाग ने दिया है। पुलिस मैदान का प्रशिक्षण शिविर शाम को ५ बजे से प्रारंभ होता है।
लेबल:
दीवानगी,
बास्केटबॉल
सोमवार, 4 मई 2009
कमजोरी का भगाने रोग-रोज नए प्रयोग

रायपुर में इस समय ग्रीष्मकालीन शिविरों की बहार आई हुई है। कई स्थानों पर कई खेलों के प्रशिक्षण शिविर लगातार चल रहे हैं। ज्यादातर शिविरों में खिलाड़ी समर कैम्प का मजा लेने आ रहे हैं। वैसे कई शिविरों में आने वाले खिलाड़ी नियमित रहने की बात भी कर रहे हैं। ऐसे शिविरों के बीच में बालाजी स्कूल में एक अलग तरह का शिविर चल रहा है। इस बास्केटबॉल के प्रशिक्षण शिविर में खिलाडिय़ों की कमजोरियां दूर करने के लिए नए-नए प्रयोग करने का काम प्रशिक्षक उमेश सिंह ठाकुर कर रहे हैं। श्री ठाकुर लंबे समय से बास्केटबॉल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनके प्रशिक्षण में कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। रायपुर की टीम जब भी राज्य स्तर पर खेलती है तो रायपुर की टीम भिलाई की टीम से ही मात का जाती है। भिलाई की टीम को प्रशिक्षण देने का काम अंतरराष्ट्रीय कोच राजेश पटेल करते हैं।
ऐसे में श्री ठाकुर लगातार इस प्रयास में रहे हैं कि रायपुर के खिलाडिय़ों को मजबूत किया जाए। उन्होंने अपने स्कूल बालाजी में इस समय जो प्रशिक्षण शिविर लगाया है उसमें वे खिलाडिय़ों को मजबूत करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे प्रयोग छत्तीसगढ़ में तो अब तक नहीं हुए हैं लेकिन दिल्ली सहित कुछ दूसरे राज्यों में जरूर हुए हैं। श्री ठाकुर ने बताया कि उन्होंने खिलाडिय़ों को निखारने के लिए जहां शूटिंग बेल्ट का प्रयोग किया है, वहीं इसके अलावा वेस्ट बेल्ट का भी प्रयोग किया जा रहा है। इन बेल्टों के बारे में उन्होंने बताया कि शूटिंग बेल्ट में खिलाड़ी को बेल्ट लगाने के बाद उनकी शूटिंग यानी की बास्केट सही हो जाता है, खिलाड़ी का निशाना नहीं चूकता है और वह बास्केट करके अंक लेने में सफल हो जाते हैं। इसी तरह से वेस्ट बेल्ट का प्रयोग करके खिलाड़ी के कमजोर हाथ को मजबूत किया जाता है। खिलाड़ी का जो हाथ मजबूत रहता है उस हाथ को बांध दिया जाता है और कमजोर हाथ से खिलाड़ी को ड्रिब्लिंग करवाई जाती है। इसी के साथ उसी हाथ से खिलाड़ी को पास देने कहा जाता है।
इन प्रयोगों के साथ खिलाडिय़ों को चश्मे पहनाकर ड्रिब्लिंग करवाई जा रही है। इसके बारे में कोच उमेश ठाकुर बताते हैं कि जब मैच होता है तो खिलाड़ी को सामने वाले खिलाड़ी को देखते हुए ड्रिब्लिंग करनी पड़ती है लेकिन प्रशिक्षण के समय खिलाड़ी नीचे
देखने लगते हैं। अगर कोई भी खिलाड़ी नीचे देखते हुए ड्रिब्लिंग करेगा तो सामने वाला खिलाड़ी उससे बॉल छीनने में सफल हो जाएगा। ऐसे में खिलाडिय़ों को चश्में लगातार अभ्यास करवाया जा रहा है ताकि खिलाड़ी नीचे भी देखें तो उनको कुछ न दिखे। जब खिलाड़ी को नीचे कुछ नहीं दिखेगा तो वह सामने ही देखेगा। प्रशिक्षण शिविर में आए ज्यादातर खिलाड़ी मानते हैं कि नए प्रयोगों से उनके खेल में लगातार निखार आ रहा है।

लेबल:
नए-नए प्रयोग,
बास्केटबॉल,
राजधानी,
वेस्ट बेल्ट
शनिवार, 2 मई 2009
शूटिंग बेल्ट से खेल हुआ आसान

जानकारी देते हुए प्रशिक्षक उमेश सिंह ठाकुर ने बताया कि पहली बारा राजधानी में इस तरह के बेल्ट का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अक्सर खिलाड़ी बास्केट करने में चूक जाते हैं जिसके कारण टीम को हार का सामना करना पड़ता है। अब शूटिंग बेल्ट का प्रयोग होने से खिलाडिय़ों को बास्केट करने में आसानी होगी। इस बेल्ट की वजह से खिलाडिय़ों की गलतियां भी पकड़ में आएंगी जिससे उनको सुधारने में आसानी होगी। इस बेल्ट को खिलाड़ी बहुत पसंद कर रहे हैं।
लेबल:
बास्केटबॉल,
शूटिंग बेल्ट
बुधवार, 22 अप्रैल 2009
बीएसपी ने चौथी बार उड़ाया खिताब

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