राजधानी की राष्ट्रीय खिलाड़ी फरहत अंजुम का कहना है कि अब उनका मकसद राजधानी के खिलाड़ियों को तैयार करके राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का है। रायपुर में प्रशिक्षकों की कमी के कारण हम लोग भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच सकीं हंै, जहां पहुंचना चाहिए था। यही वजह रही कि मैंने कम से कम एनआईएस का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स किया है।
फरहत ने बताया कि वह पांच बार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। लेकिन फरहत इससे संतुष्ट नहीं हंै। वह कहती हैं कि जितना समय हमने खेल को दिया है, उसके हिसाब से तो मुझे और ज्यादा राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिलना था, लेकिन नहीं मिल सका। इसके पीछे का कारण खोजने पर मुझे लगा कि अच्छे प्रशिक्षण की कमी के कारण मैं ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी। वैसे तो रायपुर में अच्छे प्रशिक्षक हैं, लेकिन जिस तरह का प्रशिक्षण भिलाई में राजेश पटेल देते हैं, उस स्तर का प्रशिक्षण रायपुर में उपलब्ध नहीं है। हम लोग जानते हैं कि राजेश पटेल के स्तर का कोच रायपुर को मिल पाना संभव नहीं है, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं खुद प्रशिक्षक का कोर्स कर लूं तो कम से रायपुर की जूनियर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम तो कर ही सकती हूं।
फरहत बताती हैं कि वैसे वह पिछले दो साल से पुलिस लाइन के बास्केटबॉल मैदान में खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रही हंै। उनसे प्रशिक्षण लेने वाली कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। फरहत ने बताया कि कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर में बास्केटबॉल के साथ फुटबॉल, तीरंदाजी, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स 17 मई से 25 जून तक आयोजित किया गया था। इसमें फरहत ने भाग लिया और वहां से प्रमाणपत्र लेकर लौटी हैं। अब वह पुलिस मैदान के साथ अपने स्कूल होलीहार्ट में जहां वह खेल शिक्षक हैं, खिलाड़ियों को तैयार करने का काम करेंगी। फरहत ने बताया कि स्कूल में वह 3.30 से 5.00 बजे तक और पुलिस लाइन में 5.30 बजे से 8.00 तक बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम करेंगी। फरहत कहती हैं कि रायपुर में बास्केटबॉल का खेल काफी समय से मर सा गया है उसको जिंदा करने का एक प्रयास मैं करूंगी। उन्होंने बताया कि प्रमाणपत्र कोर्स के लिए उन्होंने करीब 20 हजार का खर्च परिजनों से लेकर किया है। कोर्स के लिए करीब 15 हजार रुपए की राशि फीस के रूप में लगी है।
फरहत ने बताया कि वह पांच बार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। लेकिन फरहत इससे संतुष्ट नहीं हंै। वह कहती हैं कि जितना समय हमने खेल को दिया है, उसके हिसाब से तो मुझे और ज्यादा राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिलना था, लेकिन नहीं मिल सका। इसके पीछे का कारण खोजने पर मुझे लगा कि अच्छे प्रशिक्षण की कमी के कारण मैं ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी। वैसे तो रायपुर में अच्छे प्रशिक्षक हैं, लेकिन जिस तरह का प्रशिक्षण भिलाई में राजेश पटेल देते हैं, उस स्तर का प्रशिक्षण रायपुर में उपलब्ध नहीं है। हम लोग जानते हैं कि राजेश पटेल के स्तर का कोच रायपुर को मिल पाना संभव नहीं है, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं खुद प्रशिक्षक का कोर्स कर लूं तो कम से रायपुर की जूनियर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम तो कर ही सकती हूं।
फरहत बताती हैं कि वैसे वह पिछले दो साल से पुलिस लाइन के बास्केटबॉल मैदान में खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रही हंै। उनसे प्रशिक्षण लेने वाली कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। फरहत ने बताया कि कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर में बास्केटबॉल के साथ फुटबॉल, तीरंदाजी, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स का छह सप्ताह का प्रमाणपत्र कोर्स 17 मई से 25 जून तक आयोजित किया गया था। इसमें फरहत ने भाग लिया और वहां से प्रमाणपत्र लेकर लौटी हैं। अब वह पुलिस मैदान के साथ अपने स्कूल होलीहार्ट में जहां वह खेल शिक्षक हैं, खिलाड़ियों को तैयार करने का काम करेंगी। फरहत ने बताया कि स्कूल में वह 3.30 से 5.00 बजे तक और पुलिस लाइन में 5.30 बजे से 8.00 तक बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम करेंगी। फरहत कहती हैं कि रायपुर में बास्केटबॉल का खेल काफी समय से मर सा गया है उसको जिंदा करने का एक प्रयास मैं करूंगी। उन्होंने बताया कि प्रमाणपत्र कोर्स के लिए उन्होंने करीब 20 हजार का खर्च परिजनों से लेकर किया है। कोर्स के लिए करीब 15 हजार रुपए की राशि फीस के रूप में लगी है।
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