प्रदेश में खेल विभाग एक दशक बाद स्वतंत्र होने जा रहा है। मप्र के समय से ही पुलिस के साथ जुड़े खेल विभाग को अलग करने के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी सहमत है। अब वह मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने प्रस्ताव रखकर खेल विभाग को स्वतंत्र कराने की पहल करेंगी। खेल को स्वतंत्र करने के लिए मप्र की तर्ज पर खेल अधिकारियों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा देकर उनको राशि आहरण का अधिकार दिया जाएगा। खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहा कि राज्य में खेल विभाग को स्वंतत्र करने का पहले भी प्रयास किया गया है, लेकिन तब बात नहीं बन पाई थी, अब फिर से प्रयास किए जाएंगे।
प्रदेश में खेलों के विकास के लिए प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों के खेल अधिकारियों ने खेलमंत्री लता उसेंडी से मुलाकात करके उनके सामने खेल विभाग को मप्र की तरह स्वतंत्र करने की मांग की। मप्र में खेल विभाग को 23 सितंबर 2008 में स्वतंत्र करके जिला खेल अधिकारियों को राजपत्रित अधिकारी बनाकर उनको डीडीओ पॉवर दे दिया गया है। खेलमंत्री ने डीएसओ की बातों को गौर से सुना और उनको आश्वासन दिया है कि वे इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करके खेल विभाग को स्वतंत्र कराने की प्रयास करेंगी। खेलमंत्री के सामने डीएसओ ने यह बात भी रखी कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है, ऐसे में यह और जरूरी है कि खेल विभाग स्वतंत्र ईकाई के रूप में काम करें। अभी पुलिस विभाग के अधीन होने के कारण हमेशा जिलों में परेशानी आती है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि प्रदेश के कई खेल संघ पहले ही राशि के आहरण में होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए खेलमंत्री से मांग कर चुके हैं कि खेल विभाग को पुलिस विभाग से अलग किया जाए।
मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगी:लता
खेलमंत्री लता उसेंडी ने हरिभूमि को बताया कि खेल विभाग को अलग करने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं। शासन के पास पहले भी एक प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन इसका मंजूरी नहीं मिल पाई है। अब खेल अधिकारियों ने मांग रखी है तो इस संदर्भ में मैं खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करूंगी।
पदों की उन्नयत की भी मांग
खेलमंत्री से दस खेल अधिकारियों जेपी नापित, विलियम लकड़ा, अजीत टोपो (संचालनालय) ए. एक्का (दुर्ग), राजेश हजारी (महासमुन्द), ए.एक्का (बिलासपुर), नरेन्द्र सिंह बैस (जांजगीर चांपा), राजेन्द्र डेकाटे (रायपुर), पीके प्रधान (जशपुर), प्रतिमा सागर (कांकेर) ने मांग की है कि उनके पदों का उन्नयन किया जाए। खेलमंत्री से कहा गया कि दीर्घकालीन सेवाओं के बाद भी वेतनमान प्रारंभ से कम है। मप्र की तरह वेतनमान देने की मांग की गई है।
प्रदेश में खेलों के विकास के लिए प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों के खेल अधिकारियों ने खेलमंत्री लता उसेंडी से मुलाकात करके उनके सामने खेल विभाग को मप्र की तरह स्वतंत्र करने की मांग की। मप्र में खेल विभाग को 23 सितंबर 2008 में स्वतंत्र करके जिला खेल अधिकारियों को राजपत्रित अधिकारी बनाकर उनको डीडीओ पॉवर दे दिया गया है। खेलमंत्री ने डीएसओ की बातों को गौर से सुना और उनको आश्वासन दिया है कि वे इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करके खेल विभाग को स्वतंत्र कराने की प्रयास करेंगी। खेलमंत्री के सामने डीएसओ ने यह बात भी रखी कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है, ऐसे में यह और जरूरी है कि खेल विभाग स्वतंत्र ईकाई के रूप में काम करें। अभी पुलिस विभाग के अधीन होने के कारण हमेशा जिलों में परेशानी आती है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि प्रदेश के कई खेल संघ पहले ही राशि के आहरण में होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए खेलमंत्री से मांग कर चुके हैं कि खेल विभाग को पुलिस विभाग से अलग किया जाए।
मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगी:लता
खेलमंत्री लता उसेंडी ने हरिभूमि को बताया कि खेल विभाग को अलग करने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं। शासन के पास पहले भी एक प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन इसका मंजूरी नहीं मिल पाई है। अब खेल अधिकारियों ने मांग रखी है तो इस संदर्भ में मैं खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करूंगी।
पदों की उन्नयत की भी मांग
खेलमंत्री से दस खेल अधिकारियों जेपी नापित, विलियम लकड़ा, अजीत टोपो (संचालनालय) ए. एक्का (दुर्ग), राजेश हजारी (महासमुन्द), ए.एक्का (बिलासपुर), नरेन्द्र सिंह बैस (जांजगीर चांपा), राजेन्द्र डेकाटे (रायपुर), पीके प्रधान (जशपुर), प्रतिमा सागर (कांकेर) ने मांग की है कि उनके पदों का उन्नयन किया जाए। खेलमंत्री से कहा गया कि दीर्घकालीन सेवाओं के बाद भी वेतनमान प्रारंभ से कम है। मप्र की तरह वेतनमान देने की मांग की गई है।
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