राजधानी के साई सेंटर में बालिकाओं के प्रशिक्षण केंद्र का आगाज हो गया। तीन खेलों के लिए चुनी गर्इं 34 खिलाड़ियों में पहले दिन 13 खिलाड़ी ही आर्इं हैं। खिलाड़ियों के रहने की व्यस्वस्था कर दी गई है। एथलेटिक्स से जुड़ी दल्लीराजहरा की दस खिलाड़ी आने तैयार नहीं हैं। स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के आउटडोर स्टेडियम में साई सेंटर के कार्यालय में सुबह से खिलाड़ियों के आने का क्रम प्रारंभ हुआ। सबसे पहले भिलाई की वालीबॉल खिलाड़ी अपने पालकों के साथ पहुंचीं। शाम तक कुल 13 खिलाड़ी ही आ पार्इं। जो खिलाड़ी आईं हैं उनमें वालीबॉल की पूनम, दुर्गा, रितिका जायसवाल, निशा देव, प्रिया ठाकुर (भिलाई), नेहा सिंह (धमतरी), भावना रगड़े (राजनांदगांव), अंशु ध्रुव (गरियाबंद), जूडो की सापेक्षा पाटिल, सी. मृणालिनी, बरखा गुप्ता (दल्लीराजहरा), एथलेटिक्स की ममता कलमिर और कृतका साहू शामिल हैं। इन खिलाड़ियों को खानापूर्ति के बाद हास्टल में प्रवेश दे दिया गया है।
साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने बताया कि इस बार भी खिलाड़ियों को डाक से भेजे गए पत्र नहीं मिल पाए हैं। तीन खिलाड़ियों को आज पत्रों की कापी दी गई है। ये खिलाड़ी बाद में आएंगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में बाकी खिलाड़ियों के आने के संभावना है।
नहीं आई राजहरा की खिलाड़ी
संभावना के मुताबिक दल्लीराजहरा की सभी दस एथलीट नहीं आईं हंै। इस बारे में इन खिलाड़ियों के कोच सुदर्शन सिंह ने पहले ही कह दिया था, कि इनके पालक साई के नियमों के कारण खिलाड़ियों को भेजना नहीं चाहते हैं। श्री सिंह कहते हैं कि सेल दल्लीराजहरा में ही एक अकादमी खोलने की भी योजना बना रहा है। जिन खिलाड़ियों का साई में चयन हुआ है, वो सभी खिलाड़ी दल्लीराजरा माइंस के डे-बोर्डिंग में प्रशिक्षण लेती हैं।
नियमों में खामियां नहीं
अनुबंध पत्र के नियमों में खामियों से इंकार करते हुए सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान कहते हैं कि जिन खिलाड़ियों को नहीं आना होता है वो कोई भी बहाना बना लेते हैं। साई में प्रारंभ से ही ये नियम लागू हैं और आज तक किसी ने इसमें खामियां नहीं बताई हैं। वे कहते हैं कि अगर किसी खिलाड़ी को अनुशासनहीनता या लापरवाही के कारण चोट लगती है तो उसके लिए भला साई कैसे जिम्मेदार हो सकता है। वे कहते हैं कि अगर हास्टल में रखने के लिए यह नियम नहीं रहेगा कि पालक अपनी मर्जी से बच्चों को नहीं निकाल सकते हैं तो बच्चों की जिद के आगे पालक बार-बार बच्चों को निकालने का काम ही करते रहेंगे। अनुशासन के लिए नियम कायदे जरूरी है।
ड्रग्स न लेने का शपथपत्र
सेंटर के हास्टल में जिन खिलाड़ियों को प्रवेश दिया जाता है उनसे एक शपथपत्र लिया जाता है जिसमें लिखा रहता है कि वे किसी भी तरह का डग्स नहीं लेते हैं। अगर कोई खिलाड़ी ड्रग्स लेने का दोषी पाया जाता है तो इसके लिए साई की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने बताया कि इस बार भी खिलाड़ियों को डाक से भेजे गए पत्र नहीं मिल पाए हैं। तीन खिलाड़ियों को आज पत्रों की कापी दी गई है। ये खिलाड़ी बाद में आएंगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में बाकी खिलाड़ियों के आने के संभावना है।
नहीं आई राजहरा की खिलाड़ी
संभावना के मुताबिक दल्लीराजहरा की सभी दस एथलीट नहीं आईं हंै। इस बारे में इन खिलाड़ियों के कोच सुदर्शन सिंह ने पहले ही कह दिया था, कि इनके पालक साई के नियमों के कारण खिलाड़ियों को भेजना नहीं चाहते हैं। श्री सिंह कहते हैं कि सेल दल्लीराजहरा में ही एक अकादमी खोलने की भी योजना बना रहा है। जिन खिलाड़ियों का साई में चयन हुआ है, वो सभी खिलाड़ी दल्लीराजरा माइंस के डे-बोर्डिंग में प्रशिक्षण लेती हैं।
नियमों में खामियां नहीं
अनुबंध पत्र के नियमों में खामियों से इंकार करते हुए सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान कहते हैं कि जिन खिलाड़ियों को नहीं आना होता है वो कोई भी बहाना बना लेते हैं। साई में प्रारंभ से ही ये नियम लागू हैं और आज तक किसी ने इसमें खामियां नहीं बताई हैं। वे कहते हैं कि अगर किसी खिलाड़ी को अनुशासनहीनता या लापरवाही के कारण चोट लगती है तो उसके लिए भला साई कैसे जिम्मेदार हो सकता है। वे कहते हैं कि अगर हास्टल में रखने के लिए यह नियम नहीं रहेगा कि पालक अपनी मर्जी से बच्चों को नहीं निकाल सकते हैं तो बच्चों की जिद के आगे पालक बार-बार बच्चों को निकालने का काम ही करते रहेंगे। अनुशासन के लिए नियम कायदे जरूरी है।
ड्रग्स न लेने का शपथपत्र
सेंटर के हास्टल में जिन खिलाड़ियों को प्रवेश दिया जाता है उनसे एक शपथपत्र लिया जाता है जिसमें लिखा रहता है कि वे किसी भी तरह का डग्स नहीं लेते हैं। अगर कोई खिलाड़ी ड्रग्स लेने का दोषी पाया जाता है तो इसके लिए साई की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
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