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मंगलवार, 20 सितंबर 2011

प्रशिक्षकों को सीधे सामान देने की पहल

37वें राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ी तैयार कराने के लिए खेल विभाग ने अब राज्य के एनआईएस कोच को सीधे खेल सामान देने की पहल प्रारंभ की है। खेल संचालक जीपी सिंह ने सभी खेलों के एनआईएस प्रशिक्षकों की एक बैठक 21 सितंबर को खेल भवन में रखी है। बैठक में प्रस्ताव देने वाले प्रशिक्षकों को सामान दिलाया जाएगा।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि खेल सामान के अभाव में राज्य की प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं। इसकी जानकारी न होने पर विभाग मदद भी नहीं कर पाता है। ऐसे में विभाग ने तय किया है कि अब प्रशिक्षकों को समय-समय पर बुलाकर उनसे पूछा जाएगा कि वे क्या चाहते हैं और उनको किन सामानों की जरूरत है। उनकी जरूरत को पूरा किया जाएगा। पिछली बैठक में शामिल कुछ प्रशिक्षकों ने जो सामान मांगे थे, वो सामान उनको दिए गए। उन्होंने बताया कि बैठक में प्रदेश के करीब 40 प्रशिक्षक शामिल होंगे। इस बार बैठक में सभी जिलों के जिला खेल अधिकारियों को भी बुलाया गया है। जिला अधिकारियों को इसलिए बुलाया गया है ताकि प्रशिक्षकों को सामान मिलने में विलंब न हो। खेल संचालक ने पूछने पर बताया कि पिछली बैठक के बाद कुछ प्रशिक्षकों से शिकायत मिली कि उनको समय पर सामान नहीं मिल पाया। सामान की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें मिली हैं। ऐसे में जिला खेल अधिकारियों को बुलाकर प्रशिक्षकों के सामने ही निर्देश दिए जाएंगे कि सामान समय पर मिले और किसी भी कीमत पर गुणवत्ता से समझौता न किया जाए।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

बदलेंगे अनुदान नियम

प्रदेश का खेल विभाग अनुदान नियमों की विसंगतियों को दूर करके नियमों में संशोधन की कवायद में जुट गया है। नए सिरे से बनाए जाने वाले नियमों में केन्द्र सरकार से मान्यता प्राप्त खेल संघों को ही अनुदान देने के साथ खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाने वाले नियम बनाने पर विचार चल रहा है।
खेल विभाग ने एक दशक बाद खेल पुरस्कारों के साथ अनुदान नियमों में संशोधन करने का काम प्रारंभ किया है। जिस तरह से लगातार विभाग के सामने अनुदान नियमों की विसंगतियां आर्इं हैं, उसके बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने सोचा कि नियमों की नए सिरे से समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने इससे लिए विभागीय अधिकारियों के साथ खेल संघों से भी चर्चा की है और नियमों में संशोधन की कवायद प्रारंभ हो गई है। पुराने नियमों में कुछ ऐसे खेल संघों को भी अनुदान का पात्र माना गया है जिन संघों को केन्द्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता ही नहीं है। ऐसे संघों को अनुदान देने का कई बार विरोध हो चुका है। ऐसे संघों का उदाहरण देकर और कई नए खेल संघ अनुदान की मांग करते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बात पर विचार चल रहा है कि क्यों न अनुदान का पात्र उन्हीं खेल संघों को माना जाए जिनको भारत सरकार से मान्यता है और जो खेल ओलंपिक, एशियाड, कामनवेल्थ और राष्ट्रीय खेलों में खेले जाते हैं। इस दिशा में विभाग समीक्षा करने में जुटा है और केन्द्रीय खेल मंत्रालय के मान्यता प्राप्त खेल संघों की सूची देखने के साथ केन्द्र सरकार और अन्य राज्यों के अनुदान नियमों का भी अवलोकन किया जा रहा है।
खिलाड़ियों के फायदे वाले नियम बनेंगे: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि मप्र के नियमों का अवलोकन करने से मालूम हुआ है कि वहां के अनुदान नियम बहुत अच्छे हैं। वहां के नियमों में खिलाड़ियों को सीधे लाभ देने की बात है। इन नियमों को राज्य में शामिल करने के साथ पुराने अनुदान नियमों में जो विसंगतियां हैं उनको भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि किसी को शिकायत न रहे। मप्र के नियमों में खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर नकद राशि देने का प्रावधान है जिसे राज्य में लागू करने का विचार है।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

बदलेंगे खेल पुरस्कार नियम

प्रदेश के खेल पुरस्कारों के नियम में संशोधन की कवायद खेल विभाग ने प्रारंभ कर दी है। विभाग केन्द्रीय खेल मंत्रालय के साथ भारतीय ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त खेल संघों की जानकारी जुटाने में लगा है। जानकारी जुटाने के बाद मान्यता प्राप्त खेल संघों के खिलाड़ियों को ही पुरस्कार का पात्र माना जाएगा, ऐसे नियम बनेंगे।
प्रदेश के खेल पुरस्कारों को लेकर लगातार विवाद सामने आ रहे हैं। इस साल के पुरस्कार में पावरलिफ्टिंग के कोच को पुरस्कार दिए जाने के बाद संघ ने विवाद खड़ा कर दिया। जिस संघ ने पहले कोच के नाम की अनुशंसा की थी, उसी ने अनुशंसा वापस लेने का पत्र विभाग को लिखा। विभाग ने हालांकि इस पत्र को नहीं माना क्योंकि पत्र में दिए गए तथ्यों में दम नहीं था। इस विवाद से सबक लेते हुए खेल विभाग ने अब पुरस्कार नियमों में संशोधन का मन बनाया है। विभाग ने इसके लिए तय किया है कि केन्द्रीय खेल मंत्रालय से ही जिन खेलों को मान्यता प्राप्त है, उन्हीं खेलों के खिलाड़ियों को पुरस्कार का पात्र माना जाएगा। वैसे विभाग ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त खेल संघों की भी जानकारी जुटा रहा है। इसी के साथ ऐसा कुछ किया जाएगा जिससे विवाद की स्थिति न बने।
भारतीय ओलंपिक संघ की वेबसाइड में जहां 34 खेलों को मान्यता है, वहीं केन्द्रीय खेल मंत्रालय की वेबसाइड में भारतीय ओलंपिक संघ और स्कूल फेडरेशन आॅफ इंडिया सहित कुल 64 खेल संघों को मान्यता प्राप्त है। केन्द्रीय मंत्रालय की वेबसाइड में जिन खेलों को मान्यता प्राप्त है, उन खेलों में से छत्तीसगढ़ में 43 खेल खेले जाते हैं। छत्तीसगढ़ में कई खेल ऐसे हैं जो खेले जाते हैं, पर उन खेलों को भारत सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है, ऐसे खेलों म्यूथाई, थांग-ता, जंप रोप, साफ्ट टेनिस, रग्बी, टेनिस फुटबॉल शामिल हैं।
अच्छे नियम बनाएंगे: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाने वाले नियम बनाने की कवायद चल रही है, इसके लिए परीक्षण किया जा रहा है कि कौन से नियम अच्छे हो सकते हैं। भारत सरकार के नियमों के साथ दूसरे राज्यों के नियमों को भी देखा जा रहा है।

शनिवार, 20 अगस्त 2011

हास्टल के लिए मिले 13 लाख

साइंस कॉलेज के मैदान में बने खेल विभाग के हास्टल के लिए 13 लाख रुपए की प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है। इन पैसों से बिजली का काम होगा। इंटीरियल के लिए अब तक 6 लाख की मंजूरी नहीं मिल सकी है।
खेल विभाग ने साइंस कॉलेज के मैदान में विभाग को मिली 34 एकड़ जमीन में 100 बिस्तरों का हास्टल बनाया है। इस 2.31 करोड़ की लागत से बने हास्टल में जहां 13 लाख रुपए का बिजली का काम शेष है, वहीं करीब 6 लाख रुपए का इंटीरियल का काम बाकी है। खेलमंत्री लता उसेंडी की मंजूरी के बाद अधोसंरचना मद से विभाग को 13 लाख की राशि मिल गई है। यह राशि एक-दो दिनों में लोक निर्माण विभाग के खाते में हस्तातरित कर दी जाएगी, ताकि बिजली का काम प्रारंभ हो सके। विभागीय सूत्र कहते हैं कि बिजली का ही काम होने से कुछ नहीं होने वाला है, मुख्यरूप से इंटीरियल का काम है जिसमें खिलाड़ियों के कमरों में छोटे-छोटे काम होने हैं, इन कामों के बिना खिलाड़ियों को कमरों में रहना संभव नहीं होगा। इसके लिए राशि मंजूर होने के बाद ही हास्टल पूरा हो सकेगा। इंटीरियल के लिए राशि मंजूर करने का काम भी खेलमंत्री के हाथों में है।

सोमवार, 11 जुलाई 2011

खेल विभाग स्वतंत्र होगा

प्रदेश में खेल विभाग एक दशक बाद स्वतंत्र होने जा रहा है। मप्र के समय से ही पुलिस के साथ जुड़े खेल विभाग को अलग करने के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी सहमत है। अब वह मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने प्रस्ताव रखकर खेल विभाग को स्वतंत्र कराने की पहल करेंगी। खेल को स्वतंत्र करने के लिए मप्र की तर्ज पर खेल अधिकारियों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा देकर उनको राशि आहरण का अधिकार दिया जाएगा। खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहा कि राज्य में खेल विभाग को स्वंतत्र करने का पहले भी प्रयास किया गया है, लेकिन तब बात नहीं बन पाई थी, अब फिर से प्रयास किए जाएंगे।
प्रदेश में खेलों के विकास के लिए प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों के खेल अधिकारियों ने खेलमंत्री लता उसेंडी से मुलाकात करके उनके सामने खेल विभाग को मप्र की तरह स्वतंत्र करने की मांग की। मप्र में खेल विभाग को 23 सितंबर 2008 में स्वतंत्र करके जिला खेल अधिकारियों को राजपत्रित अधिकारी बनाकर उनको डीडीओ पॉवर दे दिया गया है। खेलमंत्री ने डीएसओ की बातों को गौर से सुना और उनको आश्वासन दिया है कि वे इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करके खेल विभाग को स्वतंत्र कराने की प्रयास करेंगी। खेलमंत्री के सामने डीएसओ ने यह बात भी रखी कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है, ऐसे में यह और जरूरी है कि खेल विभाग स्वतंत्र ईकाई के रूप में काम करें। अभी पुलिस विभाग के अधीन होने के कारण हमेशा जिलों में परेशानी आती है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि प्रदेश के कई खेल संघ पहले ही राशि के आहरण में होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए खेलमंत्री से मांग कर चुके हैं कि खेल विभाग को पुलिस विभाग से अलग किया जाए।
मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगी:लता
खेलमंत्री लता उसेंडी ने हरिभूमि को बताया कि खेल विभाग को अलग करने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं। शासन के पास पहले भी एक प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन इसका मंजूरी नहीं मिल पाई है। अब खेल अधिकारियों ने मांग रखी है तो इस संदर्भ में मैं खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से चर्चा करूंगी।
पदों की उन्नयत की भी मांग
खेलमंत्री से दस खेल अधिकारियों जेपी नापित, विलियम लकड़ा, अजीत टोपो (संचालनालय) ए. एक्का (दुर्ग), राजेश हजारी (महासमुन्द), ए.एक्का (बिलासपुर), नरेन्द्र सिंह बैस (जांजगीर चांपा), राजेन्द्र डेकाटे (रायपुर), पीके प्रधान (जशपुर), प्रतिमा सागर (कांकेर) ने मांग की है कि उनके पदों का उन्नयन किया जाए। खेलमंत्री से कहा गया कि दीर्घकालीन सेवाओं के बाद भी वेतनमान प्रारंभ से कम है। मप्र की तरह वेतनमान देने की मांग की गई है।

रविवार, 10 जुलाई 2011

डीएसओ ने की खेलमंत्री से फरियाद

प्रदेश के खेल विभाग के खेल अधिकारियों (डीएसओ) ने अंतत खेलमंत्री लता उसेंडी से मिलकर उनसे पायका में जानकारी के लिए विभाग द्वारा बार-बार परेशान करने की जानकारी दी। डीएसओ ने स्टॉफ कम होने का हवाला देते हुए जानकारी के लिए बार-बार पत्र न लिखे जाने के निर्देश विभाग को दिए जाने की मांग की।
पायका की बैठक में इस बार एक साथ 26 बिंदुओं में जानकारी मांगे जाने से खफा प्रदेश के ज्यादातर जिलों के डीएसओ एक हो गए और इन्होंने 7 जुलाई की बैठक में अपनी नाराजगी से पायका के प्रभारी और उपसंचालक ओपी शर्मा को अवगत करवाया। डीएसओ की नाराजगी को बैठक में दूर करने का प्रयास किया गया, लेकिन डीएसओ इससे संतुष्ट नहीं हुए और पहले खेल सचिव सुब्रत साहू ने मिले और उनको अपनी परेशानी से अवगत कराया फिर सभी डीएसओ खेलमंत्री के दरबार पहुंच गए। खेलमंत्री से सभी ने एक स्वर में कहा कि पायका को लेकर खेल संचालनालय से लगातार पत्र लिखे जाते हैं। डीएसओ ने कहा कि जितना हो सकता है सभी जानकारी जुटाने में लगे हैं, लेकिन बार-बार पत्र लिखे जाने के कारण परेशानी होती है। डीएसओ ने मंत्री से स्टॉफ कम होने की भी बात कहते हुए नए सेटअप को जल्द स्वीकृति दिलाने की मांग की। खेलमंत्री ने डीएसओ की मांग पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।


शुक्रवार, 24 जून 2011

तीन और प्रशिक्षक नियुक्त होंगे

प्रदेश के खेल विभाग को तीन और प्रशिक्षकों की भर्ती करने की शासन से मंजूरी मिल गई है। अगस्त तक प्रशिक्षकों की भर्ती करने की तैयारी चल रही है। इस समय 2002 के सेटअप के अनुसार विभाग में पांच प्रशिक्षक हैं। चार प्रशिक्षकों की भर्ती इस सत्र में हुई है।
छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने विभाग में 2002 के सेटअप में खाली पड़े 8 में से सात प्रशिक्षकों के पदों की भर्ती करने के लिए शासन से मंजूरी मांगी थी। इस मंजूरी के पहले चरण में चार प्रशिक्षकों कीभर्ती को मंजूरी मिली थी। पहले प्रशिक्षक के रूप में उत्कृष्ट खिलाड़ी तीरंदाजी के कोच टेकलाल पुर्रे की भर्ती की गई। इसके बाद हॉकी के दो प्रशिक्षक रश्मि तिर्की और राकेश टोपो के साथ वालीबॉल के प्रशिक्षक हरगुलशन सिंह की नियुक्ति पिछले माह ही की गई है। अब खेल विभाग को शासन से खाली पड़े तीन प्रशिक्षकों के पद भरने की मंजूरी मिली है। इस मंजूरी के बाद अब खेल विभाग विज्ञापन निकालने की तैयारी में है। इस समय खेल संचालक जीपी सिंह टेÑनिंग पर गए हुए हैं, उनके आते ही 15 जुलाई में विज्ञापन निकालने के बाद अगस्त तक प्रशिक्षकों के पद भरे जाने की बात खेल विभाग के अधिकारी कह रहे हैं। प्रशिक्षकों के साथ विभाग को छह भृत्य और एक वाहन चालक के पद की भी स्वीकृति मिली है।

शुक्रवार, 10 जून 2011

खेल पुरस्कार-खेलवृत्ति के लिए आवेदन 29 तक

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा दिए जाने वाले राज्य के खेल पुरस्कारों के साथ खेलवृति के लिए आवेदन जमा करने की राजधानी के कार्यालय में अंतिम तिथि 29 जून है।
यह जानकारी देते हुए राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि खेल विभाग द्वारा राज्य के जूनियर खिलाड़ियों के लिए एक लाख का शहीद कौशल यादव, सीनियर खिलाड़ियों के लिए दो लाख पच्चीस हजार का शहीद राजीव पांडे, प्रशिक्षकों और निर्णायकों के लिए एक-एक लाख के वीर हुनमान सिंह पुरस्कार के साथ सीनियर खिलाड़ियों के लिए पच्चीस हजार की नकद राशि वाला शहीद पंकज विक्रम और 60 साल से ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों के लिए 25 हजार की खेल विभूति सम्मान दिया जाता है। इन सभी पुरस्कारों के लिए जिला और राज्य स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए विभाग खेलवृत्ति देता है। इन सभी के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि रायपुर के जिला कार्यालय में 29 जून तय की गई है। खिलाड़ी खेल संचालनालय में 30 जून की शाम तक भी सीधे आवेदन जमा कर सकते हैं। श्री डेकाटे ने बताया कि जिला स्तर पर सब जूनियर खिलाड़ियों को 1800,राज्य स्तर पर 2400, जूनियर खिलाड़ियों को जिला स्तर पर 2400, राज्य स्तर पर 3000 और सीनियर खिलाड़ियों को जिला स्तर पर 3000 और राज्य स्तर पर 3600 की खेलवृत्ति दी जाती है।

गुरुवार, 9 जून 2011

खेल विभाग का हास्टल अंतिम चरण में

खेल विभाग के 100 बिस्तर वाले हास्टल का काम अंतिम चरण में चल रहा है। ट्रांसफार्मर लगाने जहां 5 लाख 88 हजार की राशि मंजूर हो गई है, वहीं इंटीरियल के काम के लिए लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मंत्रालय भेजा है। इंटीरियल के काम के बाद हास्टल प्रारंभ कर दिया जाएगा।
राजधानी में आयोजनों के लिए खिलाड़ियों को ठहराने में होने वाली परेशानी से बचने के लिए खेल विभाग ने साइंस कॉलेज के मैदान में मिली जमीन 100 बिस्तरों वाले हास्टल का निर्माण कराया है। इसका काम अब अंतिम चरण में है। हास्टल में इंटीरियल के काम के साथ विद्युत व्यवस्था का ही काम शेष है। विद्युत व्यवस्था करने हास्टल के पास ही विद्युत मंडल से ट्रांसफार्मर लगाने के लिए मंत्रालय से 5 लाख 88 हजार की राशि मिल गई है। ट्रांसफार्मर लगवाने के लिए बुधवार को ही लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने हास्टल का निरीक्षण करके स्थान तय किया है। ट्रांसफार्मर लगने के बाद इंटीरियल का काम किया जाएगा और फिर हास्टल की सौगात खिलाड़ियों को दी जाएगी। हास्टल बनते ही साइंस कॉलेज मैदान में हॉकी और तीरंदाजी की अकादमी प्रारंभ करने की योजना है।

शुक्रवार, 27 मई 2011

राज्य स्पर्धाएं अब उद्योगों के साथ

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं से हाथ खींचने के बाद अब खेल संघों ने गोद लेने वाले उद्योगों के साथ मिलकर आयोजन करने की तैयारी कर ली है। पहली कड़ी में हैंडबॉल की सब जूनियर राज्य स्पर्धा का आयोजन 29 मई से भिलाई में किया जा रहा है।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग पिछले चार साल से राज्य की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन खेल संघों के साथ मिलकर कर रहा था, लेकिन इस साल वित्त विभाग की आपति के बाद इसके आयोजनों पर रोक लग गई है। इस रोक के बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने खेल संघों को सलाह दी थी कि वे उन उद्योगों के साथ मिलकर आयोजन करें जिन उद्योगों ने उनके खेलों को गोद लिया है। ऐसे में सबसे पहले हैंडबॉल ने एनएमडीसी के साथ मिलकर सब जूनियर राज्य स्पर्धा का आयोजन भिलाई में 29 मई से किया है। इसके बारे में जानकारी देते हुए संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने बताया कि खेल विभाग की तरह स्पर्धा में हम भी इनामी राशि दे रहे हैं, लेकिन यह राशि कुछ कम है। खेल विभाग विजेता टीम को दस हजार की राशि देता था, लेकिन संघ ने यह राशि पांच हजार कर दी है। इसी के साथ उपविजेता के लिए तीन हजार और तीसरे स्थान की टीम के लिए दो हजार की राशि रखी गई है। स्पर्धा में बालक के साथ बालिका वर्ग के मुकाबले होंगे। स्पर्धा में खेलने वाले खिलाड़ियों की जन्मतिथि 1 जनवरी 1996 के बाद की होनी चाहिए।


मंगलवार, 3 मई 2011

प्रशिक्षकों को सीधे देंगे खेल सामान

प्रदेश के खेल विभाग ने राज्य के खिलाड़ियों को तराशने के लिए कई स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर प्रशिक्षकों को सीधे सामान देने का फैसला किया है। इससे खिलाड़ियों को भी सीधे लाभ मिल सकेगा। वैसे विभाग हर जिले में अलग से प्रशिक्षण शिविर भी लगाता है जो पहले की तरह ही जारी रहेंगे।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए विभाग अलग-अलग तरह की योजनाएं बनाकर खिलाड़ियों को तराशने के प्रयास में है। पहली बार राज्य के प्रशिक्षकों की बैठक पिछले माह ली गई थी। इस बैठक में राज्य के 40 प्रशिक्षक शामिल हुए थे। अब विभाग ने इन्हीं प्रशिक्षकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके उनसे पूछा है कि वे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए क्या सामान चाहते हैं। खेल संचालक कहते हैं कि इन प्रशिक्षकों को जितने सामान की जरूरत होगी, खेल विभाग देगा। वे कहते हैं कि अगर एक प्रशिक्षक को दस से बीस हजार के भी सामान देने पड़े तो दिए जाएंगे। श्री सिंह कहते हैं कि अगर कुछ लाख खर्च करके दो से तीन दर्जन अच्छे खिलाड़ी राज्य को मिल जाते हैं तो यह एक उपलब्धि होगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि विभाग जिलों में जो ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर लगाता है उनको जारी रखा जाएगा। खेल संचालक ने बताया कि शिविरों के लिए जिलों को राशि भी भेजी जा चुकी है।
श्री सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि जिन क्षेत्रों में प्रशिक्षक हैं, उनको अगर वहीं पर सुविधाएं दिला दी जाएं तो जरूर वे और ज्यादा लगन से काम करके अच्छे खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को प्रशिक्षण के लिए यहां तक आने की भी जरूरत नहीं होगी।

सोमवार, 2 मई 2011

राज्य स्पर्धाओं से उद्योगों को जोड़ने की योजना

प्रदेश के खेल विभाग और खेल संघों के संयुक्त तत्वावधान में होनी वाली राज्य स्पर्धाओं पर रोक लग गई है। अब खेल विभाग इस प्रयास में है कि जिन खेलों को उद्योगों ने गोद लिया है, उन खेलों का आयोजन संघ उन उद्योगों के साथ मिलकर करे।
पिछले पांच साल से खेल विभाग सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राज्य स्पर्धाओं का आयोजन खेल संघों के साथ मिलकर कर रहा था, लेकिन इस साल आयोजन पर वित्त विभाग ने रोक लगा दी। वित्त विभाग के पास जब यह मामला गया तो उन्होंने इसके नियमों की जानकारी मांगी, विभाग में ऐसा कोई नियम न होने पर इस तरह के आयोजन पर वित्त विभाग ने रोक लगा दी।
संयुक्त आयोजन पर रोक लगने से खेल संघ परेशान हैं। ऐसे में खेल संचालक जीपी सिंह ने संघों को राहत देने के लिए एक रास्ता यह सुझाया है कि संघ उन उद्योगों के साथ मिलकर आयोजन करें जिन उद्योगों ने खेलों को गोद लिया है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर 6 मार्च को प्रदेश के 32 खेलों को उद्योगों ने गोद लिया है। बड़े उद्योगों से संघों को 40 से 50 लाख और छोटे उद्योगों से 25 से 30 लाख की राशि हर साल दिलाई जाएगी।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि विभाग प्रयास करेगा कि उद्योग खेल संघों के साथ आयोजन करे। उन्होंने पूछने पर बताया कि पूर्व की तरह खेल संघों को राज्य स्पर्धाओं के आयोजन के लिए 50 हजार की राशि मिलती रहेगी, इसी के साथ जिले की टीमों को आने-जाने का खर्च भी विभाग देता रहेगा।

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

रविवि पहली बार बना चैंपियन

उत्तर-पूर्वी अंतर विश्वविद्यालयीन खोखो में मेजबान रविशंकर विश्वविद्यालय ने इतिहास रचते हुए पहली बार खिताब जीत लिया। अंतिम लीग मैच में रविवि ने रोहतक को कड़े मुकाबले में दो अंकों से मात देकर खिताब जीत लिया। रविवि को पहली बार अखिल भारतीय अंतर विवि स्पर्धा में खेलने की पात्रता भी मिली है।
रविवि के मैदान में सुबह के सत्र में अंतिम लीग में रविवि का सामना रोहतक से हुआ। इस मैच में रविवि ने १० अंक बनाए जबकि रोहतक की टीम ८ अंक ही बना सकी। रविवि को दो अंकों के साथ ३.२५ मिनट शेष रहते जीत मिली। विजेता टीम के लिए जफर सिद्दकी, योगेन्द्र कुमार, उमेश कुमार, रामू साय, यशवंत धीवर ने शानदार खेल दिखाया। एक अन्य लीग मैच में कुरूक्षेत्र ने गुरुनानक विवि को १२-१० से मात देकर दूसरा स्थान प्राप्त किया। तीसरे स्थान पर रोहतक और चौथे स्थान पर गुरुनानक विवि की टीम रही।
पदक बरसने लगे: लता उसेंडी
मैचों के बाद हुए पुरस्कार वितरण समरोह की मुख्यअतिथि खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी अब राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीत रहे हैं। जब छत्तीसगढ़ बना था तो पहले साल काफी कम पदक मिले थे, लेकिन अब हर साल हमारे खिलाड़ी पदकों की संख्या में इजाफा करते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपने राज्य में साधनों की कमी है। हमारी सरकार खिलाडिय़ों को ज्यादा से ज्यादा अच्छी सुविधाएं दिलाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कुलपति की मांग पर कहा कि सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाए जो भी संभव होगी मदद की जाएगी।

कोटा स्टेडियम की संपति रविवि की
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति शिव कुमार पांडे ने खेलमंत्री लता उसेंडी से कोटा स्टेडियम के लिए शासन से मदद दिलाने की मांग की। कुलपति की मांग के बाद मैदान में उपस्थित कॉलेजों के क्रीड़ा अधिकारियों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि कुलपति को राज्य सरकार से मदद मांगने की क्या जरूरत है। यूजीसी से ही इतना ज्यादा पैसा मिलता है कि विवि ले नहीं पाता है। सभी का ऐसा मानना था कि क्या कुलपति इस बात से अंजान हैं। इसी के साथ इस बात को लेकर भी चर्चा होने लगी कि विद्यार्थियों से जो खेलों के नाम से शुल्क लाखों रुपए लिया जाता है, उस शुल्क में से ही लाखों रुपए हर साल विवि के पास बचते हैं फिर उन पैसों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है? कुलपति श्री पांडे से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों से जो शुल्क लिया जाता है, उस शुल्क की राशि खेलों के आयोजन पर खर्च की जाती है। उनसे जब पूछा गया कि हर साल लाखों की जो राशि बचती है उसका उपयोग मैदान बनाने के लिए क्यों नहीं किया जाता है, उन्होंने कहा कि मैदान बनाने के लिए उपयोग करते हैं, पर राशि पर्याप्त नहीं होती है। यूजीसी से मदद लेने के बारे में कहने पर उन्होंने कहा यूजीसी से भी मदद लेने की कोशिश करेंगे। कुलपति ने जिस कोटा स्टेडियम के लिए मदद मांगी है, उससे बारे में उनको जब बताया गया कि उसके जमीन के विवाद के कारण ही सरकार ने वहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाना रद्द कर दिया है तो वहां के लिए सरकार से कैसे मदद मिलेगी, तो कुलपति ने कहा कि कोटा स्टेडियम की जमीन का कोई विवाद नहीं है और वह जमीन रविवि की संपति है। उस पर रविवि किसी भी तरह का निर्माण कर सकता है। कुलपति ने इस बात से इंकार किया कि रविवि प्रशासन ने खेल विभाग को ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है कि कोटा स्टेडियम विवाद में है। अब खेल विभाग ने किस आधार पर कोटा स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाना रद्द किया है, वही जाने।


गुरुवार, 18 नवंबर 2010

उपसंचालक खेल के मंत्रालय प्रवेश पर प्रतिबंध

प्रदेश के खेल विभाग के उपसंचालक ओपी शर्मा के मंत्रालय प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन पर मंत्रालय में खेल की फाइलों से छेड़छाड़ करने का आरोप है। खेल सचिव सुब्रत साहू ने माना कि इन आरोपों के कारण ही अब ओपी शर्मा बिना इजाजत औत जांच के मंत्रालय नहीं आएंगे।
खेल विभाग के उपसंचालक ओपी शर्मा पर मंत्रालय में खेलों की फाइलों से छेड़छाड़ करवाने के आरोप में उनके मंत्रालय प्रवेश पर अस्थाई रोक लगाई गई है। खेल सचिव ने एक नोटशीट में मंत्रालय के सुरक्षा अधिकारी को श्री शर्मा का पास जमा करने के लिए कहा है। पत्र में लिखा गया है कि जब श्री शर्मा की जरूरत होगी तभी उनको डेली पास के साथ बुलाया जाएगा। सुरक्षा अधिकारी को उनका नियमित पास जमा करवाने के लिए कहा गया है। इस बारे में खेल सचिव सुब्रत साहू का कहना है कि सुरक्षा अधिकारी को एक नोटशीट भेजी गई है कि श्री शर्मा को बिना जांच के प्रवेश न दिया जाए। उन्होंने इस बात को माना कि श्री शर्मा के खिलाफ यह कार्रवाई मंत्रालय में फाइलों से छेड़छाड़ करवाने के आरोप के कारण की गई है। ओपी शर्मा का इस बारे में कहना है कि वे इस मामले में कुछ नहीं बोलना चाहते हैं, यह प्रशासनिक प्रक्रिया है और मेरा कुछ भी बोलना उचित नहीं है।

शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

तीन नए जिला खेल अधिकारी मिलेंगे

प्रदेश के खेल विभाग को अब एक-दो दिनों में तीन नए जिला खेल अधिकारी मिल जाएंगे। तृतीय श्रेणी के चार वरिष्ठ कर्मचारियों ने परीक्षा दी है जिनमें से तीन के पास होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इस परीक्षा के नतीजे २८ अक्टूबर को आने की बात खेल विभाग के अधिकारी कह रहे हैं।
प्रदेश के खेल विभाग में जिला खेल अधिकारियों का टोटा है। वैसे तो विभाग में स्टाफ भी बहुत कम है और विभाग ने ३३० कर्मचारियों के नए सेटअप को शासन के पास मंजूरी के लिए भेजा है। इस सेटअप के मंजूर होने के बाद ही विभाग का काम सही तरीके से हो पाएगा। अभी विभाग के पास महज ८२ कर्मतारियों का अमला है।
जिलों की बात की जाए तो कई जिलों में जिला खेल अधिकारियों के स्थान पर प्रभारी के भरोसे काम चलाया जा रहा है। ऐसे में खेल संचालक जीपी सिंह ने शासन से अनुमति लेकर पात्र चार तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की परीक्षा ली है। इस परीक्षा के परिणामों की जांच चल रही है और कल तक इसके नजीते घोषित कर दिए जाएंगे। वैसे तीन कर्मचारियों के पास होने की खबर है।

सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

१५ खेलों पर अटका खेल विभाग

छत्तीसगढ़ ओलंपिक के खेलों के महाकुंभ के लिए खेल विभाग १५ खेलों की सूची पर ही आकर अटक गया है। राज्य के जिलों से आई खेलों की जानकारी के बाद इन्हीं खेलों को करवाना का प्रस्ताव खेल विभाग ने खेल मंत्रालय को भेजा है। विभाग के इस प्रस्ताव के बाद अब यह सोचना पड़ रहा है कि खेलमंत्री लता उसेंडी ने जो राष्ट्रीय खेलों में शामिल ३४ खेलों का आयोजन करवाने की मंशा जाहिर की थी, उनकी उस मंशा का क्या होगा।
प्रदेश के १९ जिलों से खेल विभाग के पास जो जानकारी आई है उसके मुताबिक खेल विभाग ने अब छत्तीसगढ़ ओलंपिक में १५ खेलों जिसमें तैराकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, कराते, नेटबॉल, वालीबॉल, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल हैं। इन खेलों के आयोजन का प्रस्ताव बनाकर प्रदेश के खेल मंत्रालय को भेजा है। इन खेलों के आयोजन के लिए तीन करोड़ का बजट भी मांगा गया है। खेल विभाग ने जिन खेलों की सूची बनाई है वह जिलों से आई खेलों की सूची के आधार पर बनी है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हमारे विभाग ने यह तय किया था कि जिन खेलों में कम से कम ८ जिलों की टीमें खेलेगी वहीं खेल शामिल किए जाएंगे। ऐसे खेलों की संख्या १५ ही हो रही है। ऐसे में हमने इतने ही खेलों का प्रस्तान बनाकर भेजा है। इसी के साथ उनका कहना है कि जिलों को यह कहा गया था कि जिन खेलों में जिलों की कम से कम चार टीमें शामिल हो सकेगी ऐसे खेलों को ही चिंहित करना है। हमारे विभाग ने प्रारंभ में जिलों को १९ खेलों की सूची दी थी जिसके आधार पर खेलों का चयन करना था। वैसे बाद में दूसरे खेलों को भी शामिल करने के लिए जिलों को अलग से कहा गया था। हमने जो १९ खेलों की सूची दी थी, उन खेलों में निशानेबाजी, जिम्नास्टिक, कैनाइंग कयाकिंग और ट्रायथलान में दो से तीन जिलों से ही जानकारी आई जिसकी वजह से इन खेलों को शामिल करना संभव नहीं है।
क्या दूसरे खेल नहीं होते जिलों में
राज्य के जिलों में खेल विभाग के जो जिला अधिकारी बैठे हैं उनकी सोच इस बात से सामने आई है कि उन्होंने कई ऐसे खेलों को शामिल ही नहीं किया है जो कई जिलों में खेले जाते हैं। ऐसे खेलों में टेबल टेनिस, बैडमिंटन, जूडो, लॉन टेनिस, साफ्टबॉल जैसे खेले हैं जिनको शामिल नहीं किया गया है। कम से कम ये ऐसे खेल हैं जो प्रदेश के कम से कम ८ से ज्यादा जिलों में खेले जाते हैं। इसी के साथ और कुछ खेल हैं जो ८ जिलो में खेले जाते हैं। इन खेलों की जब भी राज्य के खेल संघ राज्य स्पर्धाओं का आयोजन करते हैं तो इनमें ८ से ज्यादा जिलों की टीमें आती हैं। यही नहीं प्रदेश के खेल विभाग ने भी इन खेलों में से ज्यादातर खेलों की राज्य सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन करवाया है। खेल विभाग के आयोजनों में भी ८ से ज्यादा टीमें आई हैं।
खेल के जानकार इस बात से हैरान हैं कि आखिर कैसे इन खेलों के बारे में जिलों के खेल अधिकारियों ने जानकारी नहीं भेजी है। जिलों की जानकारी में एक हैरानी की बात यह सामने आई है कि बैडमिंटन के लिए एक धमतरी को छोड़कर बाकी किसी जिले ने जानकारी ही नहीं भेजी है कि उनके यहां यह खेल होता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश संघ के सहसचिव अनुराग दीक्षित का कहना है कि राज्य के १४ जिलों में हमारा जिला संघ है और इतने जिलों में खिलाड़ी हैं। उनको हैरानी है कि कैसे किसी जिले ने जानकारी नहीं भेजी है।
टेबल टेनिस संघ के सचिव अमिताभ शुक्ला का कहना है कि यह दुर्भाग्यजनक है कि हमारे खेले को छत्तीसगढ़ ओलंपिक से अलग रखा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के १४ जिलों में उनके जिला संघ हंै इन सभी जिलों के खिलाड़ी राज्य स्पर्धा में खेलने आते हैं। इसी तरह की प्रतिक्रिया हर उस खेल संघ से जुड़े संघों के लोगों की हैं जिनके खेलों को छत्तीसगढ़ ओलंपिक से अलग रखा गया है।
खेलमंत्री की मंशा का क्या होगा?
खेलमंत्री लता उसेंडी ने जिस तरह से राष्ट्रीय खेलों में शामिल सभी ३४ खेलों को छत्तीसगढ़ ओलंपिक में शामिल करने की बात कही थी, उसके बाद से यह सोचना पड़ रहा है कि आखिर खेलमंत्री का मंशा का क्या होगा। इस बारे में खेल विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी नहीं बोलना चाहता है। खेल विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि हम क्या बोल सकते हैं। खेलमंत्री की किसी बात पर हम क्या प्रतिक्रिया दे सकते हैं। हमने तो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद तय की गई योजना पर ही काम किया है। अगर फिर से शासन से कोई फरमान जारी होगा तो उसका पालन किया जाएगा।
खेल संघों की खुली पोल
एक तरफ जहां खेल संघों से जुड़े लोग इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनके खेलों को क्यों शामिल नहीं किया गया है, वहीं इधर खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है जिलों से आई रिपोर्ट के बाद यह बात तय है कि खेल संघों ने विभाग से मान्यता लेने के लिए जितने जिलों में जिला संघ होने की जानकारी देकर मान्यता ली है, उन जिलों में संघ तो भले बन गए हैं, लेकिन खिलाड़ी नहीं हैं। अगर जिलों के खेल संघों के पास खिलाड़ी होते तो वे जरूर जिले के जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक या फिर जिला खेल अधिकारी के पास जाकर अपना दावा करते। जिन खेलों के पदाधिकारियों ने दावा नहीं किया है, उसका मतलब साफ है कि उन खेलों में जिलों में खिलाड़ी नहीं हैं।


बुधवार, 6 अक्टूबर 2010

पायका में पुरस्कारों की होगी बारिश

पायका में जिला स्तर पर होने वाली ६ खेलों की स्पर्धाओं में पुरस्कारों की बारिश होने वाली है। इसमें जहां नकद इनाम हैं, वहीं हर खेल के लिए पुरस्कार रखे गए हैं।
रायपुर जिले की स्पर्धाओं के लिए पहले चरण के मुकाबले छुरा में ९ और १० अक्टूबर को होने हैं। इसके लिए जिले का खेल विभाग तैयारी में जुटा है। वहां होने वाले छह खेलों कबड्डी, खो-खो, वालीबॉल, तीरंदाजी, सायक्लिंग और कुश्ती के लिए अलग-अलग पुरस्कारों की व्यवस्था खेल विभाग ने की है। इन पुरस्कारों के बारे में जानकारी देते हुए वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि विजेता टीमों और खिलाडिय़ों के लिए करीब ४० हजार के पुरस्कार लिए गए हैं। इसी के साथ जिला स्तर पर दस खेलों में ओवरआल चैंपियन बनने वाले विकासखंड के लिए नकद ४० हजार रुपए, दूसरे स्थान पर रहने वाले के लिए २० हजार रुपए और तीसरे स्थान पर रहने वाले विकासखंड के लिए ८ हजार का नकद इनाम रखा गया है। उन्होंने बताया कि छुरा में मैदान बनाने का काम चल रहा है। इसी के साथ वहां पर खिलाडिय़ों के रहने की व्यवस्था को भी ठीक किया जा रहा है। दस खेलों की स्पर्धा का दूसरा चरण रायपुर में होगा।

सोमवार, 20 सितंबर 2010

कम खिलाडिय़ों को मिलेगी खेल विभाग में नौकरी

प्रदेश के खेल विभाग में नौकरी की आश लगाए बैठे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी सेटअप के रद्द होने से ङाटका लगा है। अब विभाग में उन सभी खिलाडिय़ों को नौकरी नहीं मिल पाएगी जिन्होंने आवेदन किए हैं। विभाग में इस समय २००२ के सेटअप के हिसाब ने एक दर्जन पद ही रिक्त हैं और इन्हीं पदों पर खिलाडिय़ों को नौकरी मिल सकती है। इसके बाद विभाग में नौकरी करने की इच्छा रखने वालों को नए सेटअप के मंजूर होने तक इंतजार करना होगा।
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी देने की पहल खेल विभाग से करने के मकसद से खेलमंत्री लता उसेंडी की पहल पर विभाग ने खिलाडिय़ों से आवेदन मंगवाए थे। ऐसे में विभाग में दो दर्जन से ज्यादा खिलाडिय़ों ने नौकरी के लिए आवेदन जमा कर दिए हैं और इस आश में बैठे हैं कि उनको जल्द ही खेल विभाग में नियुक्ति मिल जाएगी। लेकिन अब इन खिलाडिय़ों के लिए यह दुखद खबर है कि इनमें से आधे खिलाडिय़ों को जरूर खेल विभाग में काम करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। अचानक तीन दिनों पहले खेल विभाग के सेटअप को रद्द कर दिया गया है। दरअसल खेल विभाग के जिस सेटअप को मंजूर समझ गया था, वह कभी मंजूर ही नहीं हुआ था। विभाग में १७२ पदों के लिए नया सेटअप बनाया गया था। इस सेटअप को वित्त विभाग से सहमति तो मिल गई थी, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली थी। खेल विभाग ने इस सहमति को ही स्वीकृति समझ लिया था। इस बात का खुलासा होने पर वित्त विभाग के आदेश के बाद अंतत: खेल विभाग ने सेटअप को रद्द कर दिया है।
सेटअप के रद्द होने का खामियाजा अब उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भुगतना पड़ेगा। पूर्व में जब खेल विभाग में नौकरी के लिए २८ खिलाडिय़ों ने आवेदन दिए थे तो इस बात की पूरी संभावना थी कि सभी को नौकरी में रख लिया जाएगा, क्योंकि विभाग में नए सेटअप के हिसाब से बहुत पद खाली थे। लेकिन अब विभाग में २००२ का ही सेटअप लागू है। ऐसे में इस सेटअप के हिसाब से ही नियुक्ति होगी।
२००२ के सेटअप पर नजरें डालने से मालूम होता है कि इस सेटअप में ८ प्रशिक्षकों के पद मंजूर हैं।
इसमें से विभाग में इस समय एक मात्र प्रशिक्षक फुटबॉल की सरिता कुजूर हैं। बाकी के सात पद खाली हैं। इन पदों पर उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नियुक्ति किया जा सकता है। इसी के साथ राज्य के विभिन्न जिलों में तृतीय वर्ग के छह पद खाली हैं। एक जानकारी के मुकाबिक रायपुर के साथ राजनांदगांव, कांकेर, महासमुन्द, जगदलपुर, कोरबा और रायगढ़ में पद खाली हैं। इन जिलों जिनकी जाने की इच्छा होगी उनकी नियुक्ति हो सकती है।
खाली पदों में करेंगे नियुक्ति
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि २००२ के सेटअप में जिन पदों में स्थान रिक्त है उन पदों पर उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे विभाग में खिलाडिय़ों को नौकरी देने की प्रक्रिया चल रही है और जितने भी आवेदन आए हैं सभी को खेल मंत्रालय में भर्ती की मंजूरी देने के लिए भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन खिलाडिय़ों को खेल विभाग में ही नौकरी करने की इच्छा है उनको इंतजार करना पड़ेगा या फिर वे किसी और विभाग में आवेदन कर सकते हैं।

बुधवार, 15 सितंबर 2010

खेल विभाग का साहसिक कदम

प्रदेश के खेल विभाग ने छत्तीसगढ़ भारोत्तोलन संघ की मान्यता समाप्त करने का जो फैसला किया है, उस फैसले को खेल बिरादरी से जुड़े लोग साहसिक कदम बता रहे हैं। सबका कहना है कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी में आगे राष्ट्रीय खेल होने हैं, ऐसे में अगर खेल संघों पर लगाम नहीं लगाई गई तो राज्य में सिद्धार्थ मिश्रा जैसे कई मामले सामने आ जाएंगे और ऐसे मामलों में होगा यह कि सभी गलती हो गई, कहते हुए क्षमा मांगने का काम करेंगे। जिस तरह से प्रदेश भारोत्तोलन संघ ने खेल विभाग के साथ मीडिया को लगातार गुमराह किया था उसके लिए यही एक सजा थी कि उसकी मान्यता रद्द की जाती और ऐसा खेल विभाग ने करके बता दिया है कि राज्य और राज्य के खेल पुरस्कारों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
खेल विभाग ने छत्तीसगढ़ भारोत्तोलन संघ की शाम को जैसे ही मान्यता रद्द करने की घोषणा की। यह खबर आग की तरह प्रदेश की खेल बिरादरी में फैल गई कि भारोत्तोलन संघ की मान्यता समाप्त हो गई है। विभाग के इस कदम की चौरतफा तारीफ हो रही है। खेल संघों से जुड़े पदाधिकारी इस कदम को साहसिक कदम मान रहे हैं। खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर खुशी है कि खेल विभाग से खेल संघों की दादागिरी पर एक तरह से विराम लगाने का काम किया है। इसके पहले हमेशा खेल संघ खिलाडिय़ों के साथ अन्याय करते रहे हैं और खिलाडिय़ों को हमेशा चुप रहना पड़ता था।
उचित फैसला: गुरूचरण
खेल विभाग के कदम पर प्रदेश ओलंपिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गुरूचरण सिंह होरा ने कहा कि खेल विभाग का फैसला बिलकुल उचित है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि खेल संघों पर लगाम रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष इस समय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह हैं। उनकी अगुवाई में खेल संघों को अच्छा काम करके राज्य का नाम रौशन करना है, न कि इस तरह का काम करना है जिससे राज्य की बदनामी हो। उन्होंने कहा कि भारोत्तोलन संघ के पदाधिकारियों को तो पहले ही इस्तीफा देकर संघ की कमान नए लोगों के हाथों में दे देनी थी। अगर ऐसा किया जाता तो संघ की मान्यता रद्द होने की नौबात ही नहीं आती।
खेल संघों की मनमर्जी पर विराम लगेगा
प्रदेश भारोत्तोलन संघ की महिला विग की पूर्व अध्यक्ष गुरमीत धनई ने कहा कि वास्तव में खेल विभाग का फैसला ऐसा है जिसने यह बताया है कि अब राज्य में खेल संघों की मनमर्जी नहीं चलने वाली है। इसके पहले खेल संघ अपनी मनमर्जी करते हुए खिलाडिय़ों के साथ लगातार खिलवाड़ करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस सारे मामले की जानकारी खुद १८ सितंबर को दिल्ली में भारतीय भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष और सचिव के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को देंगी। उन्होंने कहा कि भारतीय भारोत्तोलन संघ को तत्काल अपना पर्यवेक्षक भेजकर छत्तीसगढ़ में संघ के नए चुनाव करवाने चाहिए ताकि खिलाडिय़ों का नुकसान न हो।
खिलाडिय़ों का नुकसान न हो: संजय
वीर हनुमान सिंह पुरस्कार प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय निर्णायक संजय शर्मा ने कहा कि खेल विभाग का कदम सराहनीय है, लेकिन विभाग को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि जब तक दूसरा संघ न बनें तब तक कम से एक एडॉक बाडी बनाई जाए ताकि राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों को खेल विभाग से मिलने वाली मदद मिलती रही।
खेल संघों के लिए सबक:अजय
प्रदेश कराते के सचिव और कोच अजय साहू का कहना है कि यह राज्य के खेल संघों के लिए एक सबक है कि गलत काम करने का नतीजा अच्छा नहीं होता है। अगर आज खेल विभाग ने प्रदेश भारोत्तोलन संघ को माफ कर दिया होता तो इसका पूरे खेल संघों के बीच में गलत संदेश जाता कि खेल विभाग कड़ाई करने का साहस नहीं दिखा सकता है।
जरूरी थी कड़ाई: मुश्ताक
फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान का कहना है कि यह कड़ाई तो जरूरी थी। अपने राज्य में राष्ट्रीय खेल होने हैं। अगर अभी से खेल संघ कड़ाई का रूख नहीं दिखाएगा तो अपनी मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में न जाने खेल संघों की कितनी दादगिरी चलेगी।

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

राज्य स्पर्धाएं फिर खेल संघों के हवाले होंगी

प्रदेश का खेल विभाग अब एक बार फिर से राज्य स्पर्धाओं का आयोजन करने का जिम्मा खेल संघों को देने वाला है। खेल विभाग आयोजनों को लेकर लंबे समय से परेशानी में है, लेकिन वह इस दिशा में कोई पहल नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब यह तय हो गया है कि अगले सत्र से विभाग की बजाए खेल संघ ही आयोजन करेंगे और उनको पूर्व में दी जाने वाली ५० हजार की राशि को बढ़ाकर दिया जाएगा। खेल विभाग के आयोजन से हाथ खिंचने का कारण विभाग तौर पर जहां स्टाप की कमी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जानकार इसके पीछे आयोजन में भारी गड़बडिय़ों को बता रहे हंै। इन गड़बडिय़ों की शिकायत खेलमंत्री तक पहुंचने के कारण ही खेल विभाग के हाथ से आयोजन छिने गए हैं।
खेल विभाग ने करीब चार पहले उस समय के खेलमंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कार्यकाल में राज्य में सब जूनियर और जूनियर खेल स्पर्धाओं का आयोजन खेल संघों के साथ मिलकर करने का सिलसिला प्रारंभ किया था। उस समय खेल आयुक्त राजीव श्रीवास्तव थे जिनके निर्देशन में यह योजना बनी थी। इस योजना को सभी खेल संघों ने हाथों हाथ लिया था क्योंकि उनको जहां भारी कागजी कार्यवाही से मुक्ति मिल गई है, वहीं उनको आयोजन के लिए बाहर से चंदा भी लेना नहीं पड़ रहा है। आयोजन का सारा खर्च खेल विभाग कर रहा है इसी के साथ खिलाडिय़ों को भी नकद इनाम दिया जा रहा है। ऐसे में खिलाड़ी भी काफी खुश हैं।
खेल विभाग द्वारा सभी मान्यता प्राप्त खेलों के आयोजन किए जाते हैं। ऐसे में इन आयोजन के लिए विभाग को संचालनालय से अधिकारियों को भेजना पड़ता है। यहां यह बताना लीजिमी होगा वैसे ही खेल विभाग में स्टाप की कमी है ऐसे में आयोजनों के लिए लगातार अधिकारियों को भेजने के कारण विभाग का काम भी प्रभावित हो रहा है। इस बात को महसूस करने के बाद वर्तमान खेल संचालक जीपी सिंह ने यह सोचा कि फिर से इस आयोजन को खेल संघों को दिया जाए। एक तरफ जहां खेल संचालक की यह सोच रही है, वहीं खेल विभाग के आयोजन पर खेल संघों के पदाधिकारी यदा-कदा यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि अब खेल विभाग आयोजन कर रहा है तो कैसे लाखों खर्च किए जा रहे हैं जबकि खेल संघों को महज ५० हजार की अनुदान राशि दी जाती थी। इस के साथ आयोजन के नाम पर खेल विभाग के अधिकारियों पर आयोजन के बजट में पैसों की गड़बड़ी की भी लगातार चर्चा रही है। इस बात की शिकायत खेलमंत्री तक भी की गई है।
जानकारों का ऐसा मानना है कि खेलमंत्री ने ही इस मामले की गंभीरता को देखते हुए खेल संचालक से आयोजनों को फिर से खेल संघों के हवाले करने की बात कही और यह योजना बनी कि अब आयोजन फिर से खेल संघों के हवाले किए जाएंगे। खेल संघों के हवाले फिर से आयोजन करने के लिए नए सिरे से योजना बनाई जा रही है ताकि न तो खेल संघों को परेशानी हो और न ही खिलाडिय़ों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती हो।
इनामी राशि मिलती रहेगी
खेल संघों के हवाले फिर से आयोजन होने पर खिलाडिय़ों को मिलने वाली इनामी राशि का क्या होगा यह अहम सवाल है। इसके बारे में खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि खिलाडिय़ों को मिलने वाली नकद इनामी राशि मिलती रहेगी। यही नहीं खेल विभाग यह राशि देने के साथ खिलाडिय़ों के आने जाने का भी खर्च देते रहेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि खेल संघों को पूर्व में मिलने वाली अनुदान की ५० हजार की राशि में इजाफा किया जाएगा। यह राशि कितनी होगी अभी तय नहीं है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह राशि एक लाख या फिर एक लाख पचास हजार भी हो सकती है।
मुख्यमंत्री की घोषणा का क्या होगा
खेल विभाग अगर आयोजन का जिम्मा फिर से खेल संघों को दे देता है तो एक सवाल यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की उस घोषणा का क्या होगा जिसमें उन्होंने सीनियर वर्ग की स्पर्धाओं का भी आयोजन खेल विभाग को करने के निर्देश दिए थे। खेल संघों ने लगातार खेल विभाग के साथ खेलमंत्री और फिर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने यह मांग रखी थी कि संघों को सबसे ज्यादा परेशानी सीनियर वर्ग की राज्य स्पर्धा के आयोजन में आती है ऐसे में यह स्पर्धा भी खेल विभाग और खेल संघों के संयुक्त तत्वावधान में हो। इस मांग के बाद मुख्यमंत्री ने पिछले साल यह घोषणा की थी कि अब सीनियर स्पर्धा भी खेल विभाग करवाएगा। इस घोषणा के बाद अब तक खेल विभाग ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। इस घोषणा पर अमल न होने का कारण बजट को बताया गया है। लेकिन अब तो खेल विभाग ने सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं के आयोजन से ही हाथ खींचने का मन बना लिया है ऐसे में सीनियर वर्ग की स्पर्धा करवाने का तो सवाल ही नहीं उठता है। इस स्पर्धा के लिए भी अनुदान की राशि में इजाफा किया जाने की संभावना है।

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