प्रदेश का खेल विभाग अनुदान नियमों की विसंगतियों को दूर करके नियमों में संशोधन की कवायद में जुट गया है। नए सिरे से बनाए जाने वाले नियमों में केन्द्र सरकार से मान्यता प्राप्त खेल संघों को ही अनुदान देने के साथ खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाने वाले नियम बनाने पर विचार चल रहा है।
खेल विभाग ने एक दशक बाद खेल पुरस्कारों के साथ अनुदान नियमों में संशोधन करने का काम प्रारंभ किया है। जिस तरह से लगातार विभाग के सामने अनुदान नियमों की विसंगतियां आर्इं हैं, उसके बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने सोचा कि नियमों की नए सिरे से समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने इससे लिए विभागीय अधिकारियों के साथ खेल संघों से भी चर्चा की है और नियमों में संशोधन की कवायद प्रारंभ हो गई है। पुराने नियमों में कुछ ऐसे खेल संघों को भी अनुदान का पात्र माना गया है जिन संघों को केन्द्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता ही नहीं है। ऐसे संघों को अनुदान देने का कई बार विरोध हो चुका है। ऐसे संघों का उदाहरण देकर और कई नए खेल संघ अनुदान की मांग करते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बात पर विचार चल रहा है कि क्यों न अनुदान का पात्र उन्हीं खेल संघों को माना जाए जिनको भारत सरकार से मान्यता है और जो खेल ओलंपिक, एशियाड, कामनवेल्थ और राष्ट्रीय खेलों में खेले जाते हैं। इस दिशा में विभाग समीक्षा करने में जुटा है और केन्द्रीय खेल मंत्रालय के मान्यता प्राप्त खेल संघों की सूची देखने के साथ केन्द्र सरकार और अन्य राज्यों के अनुदान नियमों का भी अवलोकन किया जा रहा है।
खिलाड़ियों के फायदे वाले नियम बनेंगे: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि मप्र के नियमों का अवलोकन करने से मालूम हुआ है कि वहां के अनुदान नियम बहुत अच्छे हैं। वहां के नियमों में खिलाड़ियों को सीधे लाभ देने की बात है। इन नियमों को राज्य में शामिल करने के साथ पुराने अनुदान नियमों में जो विसंगतियां हैं उनको भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि किसी को शिकायत न रहे। मप्र के नियमों में खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर नकद राशि देने का प्रावधान है जिसे राज्य में लागू करने का विचार है।
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