राजधानी का इंडोर स्टेडियम तैयार हो गया है और अब उसको तीन फरवरी को खिलाड़ियों को देने की भी तैयार कर ली गई है। यह एक अच्छी खबर है। लेकिन इसी के साथ प्रदेश की खेल बिरादरी के लिए एक जोर का झटका देने वाली खबर यह है कि इंडोर स्टेडियम का एक दिन का किराया ही करीब सवा लाख रुपए निगम ने तय किया है। ऐसे में यह बात तय है कि इंडोर स्टेडियम में राज्य स्पर्धा क्या राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन भी सपने जैसा हो जाएगा।
राजधानी के स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के इंडोर स्टेडियम का इंतजार राजधानी के खिलाड़ी करीब दो दशक से कर रहे थे। जब इसको बनाने की योजना को मूर्तरूप देने का काम 1996 में किया गया था तो लगा था कि यह जल्द बन जाएगा। लेकिन इसको बनने में ही 14 साल लग गए। इतना लंबा समय लगने के कारण इसकी लागत 6 करोड़ 84 लाख से 25 करोड़ हो गई है। अब इतनी ज्यादा लागत से बनने के कारण निगम ने इसका एक दिन का किराया ही करीब सवा लाख रुपए तय किया है। इतना ज्यादा किराया होने से यह बात तय है कि इस स्टेडियम में राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजन भी संभव नहीं हो सकेंगे।
खेल के जानकारों का साफ तौर पर कहना है कि एक राष्ट्रीय स्पर्धा के आयोजन का बजट सात लाख से 10 लाख के करीब होता है। राष्ट्रीय स्पर्धा के आयोजन के लिए प्रदेश सरकार से एक लाख का ही अनुदान मिलता है। खेल संघों को किसी भी राष्ट्रीय स्पर्धा के आयोजन के लिए बजट को लेकर बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि आयोजन का बजट जुटाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में अगर किसी भी राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन इंडोर स्टेडियम में करने की योजना बनाई जाती है तो उस स्पर्धा का बजट दुगना हो जाएगा। कोई भी राष्ट्रीय स्पर्धा कम से कम 6 दिनों की होती है। ऐसे में स्पर्धा के लिए स्टेडियम का किराया ही सात लाख पचास हजार हो जाता है। इतने बजट में तो एक राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन हो जाता है। ऐसे में यह तय है कि कोई भी खेल संघ राष्ट्रीय स्पर्धा के आयोजन के लिए स्टेडियम लेने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। जब राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन संभव नहीं होगा तो राज्य स्तर की स्पर्धा के आयोजन का तो सवाल ही नहीं उठाता है। निगम ने स्टेडियम को सामाजिक और राजनीतिक आयोजन के लिए भी देने पर सहमति जताई है, लेकिन कोई भी सामाजिक या राजनीतिक संस्था क्या एक दिन का किराया सवा लाख रुपए देने में सक्षम होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
मुफ्त में देना संभव नहीं होगा
निगम के आयुक्त ओपी चौधरी साफ कहते हैं कि स्टेडियम में एक दिन के बिजली का खर्च का करीब 70 हजार आ जाएगा, ऐसे में किसी भी आयोजन के लिए स्टेडियम को मुफ्त में देना संभव नहीं होगा। वे पूछने पर कहते हैं कि जहां तक स्टेडियम में किसी भी खेल के लिए अभ्यास का सवाल है तो उसके लिए स्टेडियम जरूर मिल जाएगा। अभ्यास के लिए एसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने बताया कि एसी प्रारंभ करने पर ही एक दिन में 70 हजार की बिजली की खफत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि स्टेडियम के रखरखाव पर ही एक माह में करीब पांच लाख का खर्च आना है ऐसे में स्टेडियम को खेलों के आयोजन के साथ सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के लिए भी देने पर निगम में सहमति बनी है।
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