प्रदेश की खेल बिरादरी से जुड़े खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ खिलाड़ियों का ऐसा मानना है कि राजधानी के इंडोर स्टेडियम को खेल विभाग या फिर भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के हवाले कर देना चाहिए। इंडोर स्टेडियम का जितना किराया निगम ने रखा है, वह दे पाना किसी भी खेल संघ के बस की बात नहीं है। इंडोर को राजनीतिक, सामाजिक अौर धार्मिक कार्यक्रमों को देने का भी विरोध होने लगा है।
इंडोर स्टेडियम के एक दिन के सवा लाख रुपए किराए की जानकारी होने पर प्रदेश की खेल बिरादरी खफा है। सबका एक स्वर में ऐसा मानना है कि निगम ने खेलों के विकास के लिए इंडोर स्टेडियम बनाया है या व्यापार करने के लिए। इंडोर को खेलों के अलावा दूसरे उपयोग के लिए देने को उचित नहीं माना जा रहा है।
क्या निगम व्यापार कर रहा है
छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान कहते हैं कि 14 साल बाद प्रदेश की खेल बिरादरी को इंडोर की सौगात मिली है, लेकिन निगम ने जिस तरह से बिना सोचे समझे इसका एक दिन का किराया सवा लाख रुपए तय किया है उससे लगता है कि निगम खेल के नाम से भी व्यापार करना चाहता है। देश के दूसरे इंडोर के बारे में जानकारी मंगाने के बाद किराया तय करना चाहिए। वे कहते हैं कि दूसरे राज्यों में किसी भी इंडोर का इतना किराया नहीं है।
बड़े इंडोर का किराया एक लाख
बास्केटबॉल के अंतरराष्ट्रीय कोच राजेश पटेल कहते हैं कि कोलकाता का नेताजी इंडोर स्टेडियम रायपुर के इंडोर से बहुत ज्यादा बड़ा है, उसका किराया एक लाख रुपए है। लेकिन वहां भी खेलों के आयोजन में इस किराए में रियायत की जाती है। वे कहते हैं कि वैसे भी एसी का उपयोग ज्यादा नहीं होता है। ऐसे में खेलों के लिए कम से कम किराया रखा जाना चाहिए।
केवल खर्च लिया जाए
नेटबॉल संघ के सचिव और हनुमान सिंह पुरस्कार प्राप्त संजय शर्मा का कहना है कि इंडोर को अस्पताल और स्कूलो की तर्ज पर चलाने का काम करना चाहिए। इंडोर में जितना बिजली खर्च आएगा वही राशि किसी भी आयोजन के लिए लेनी चाहिए। वे कहते हैं कि किसी भी खेल संघ के पास इतना पैसा नहीं रहता है कि वह सवा लाख रुपए एक दिन का किराया दे पाएगा।
दूसरे आयोजनों के लिए न दिया जाए
राष्ट्रीय भारोत्तोलक और राजीव पांडे पुरस्कार प्राप्त तेजा सिंह साहू कहते हैं कि क्या इंडोर राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बनाया गया है। इंडोर को कताई दूसरे आयोजनों के लिए देना उचित नहीं है।
साई को दे दिया जाए
वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान कहते हैं कि प्रदेश में खेलों का विकास करना है कि तो आउटडोर के साथ इंडोर को भी साई को दे देना चाहिए। साई स्टेडियम का जहां रखरखाव करने में सक्षम है, वहीं यहां पर एक साथ कई खेलों के प्रशिक्षण सेंटर खुल जाएंगे जिससे राज्य के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। वे कहते हैं कि खेल संघों को वैसे भी राष्ट्रीय आयोजनों के लिए बहुत कम अनुदान मिलता है। ऐसे में अगर खेल संघों को राष्ट्रीय आयोजन में सात-आठ लाख रुपए का किराया देना पड़ा तो खेल संघ इसका इंतजाम कहां से करेंगे।
राज्य अकादमी खोली जाए
फुटबॉल के साथ हॉकी भी चार दशक से प्रशिक्षण देने वाले मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि इंडोर को खेल विभाग के हवाले करके वहां पर राज्य अकादमी का प्रारंभ करना चाहिए। अगर खेल विभाग यहां पर कई खेलों की राज्य अकादमी खोल देता है तो राज्य की प्रतिभाओं को निखरने का भी मौका मिलेगा और इंडोर का रखरखाव भी हो जाएगा।
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