मृणाल चौबे का चयन हमारी गुंडाधूर पुरस्कार की जूरी ने इसलिए किया है क्योंकि उनकी उपलब्धियां सबा अंजुम से ज्यादा हैं। हमारी जूरी ने बिलकुल सही फैसला किया है।
ये बातें खेल सचिव सुब्रत साहू कहते हैं। उनका कहना है कि पुरस्कार के चयन पर किसी भी तरह का विवाद खड़ा करने से पहले देख लेना चाहिए कि हकीकत क्या है श्री साहू ने कहा कि कोई भी खेल विभाग में दोनो खिलाडिय़ों के आवदेन देखकर खुद ही फैसला कर सकता है कि जूरी का फैसला सही है या गलत।
श्री साहू की बातों की सच्चाई जानने जब हरिभूमि ने खेल विभाग में दोनों खिलाडिय़ों द्वारा दिए गए आवेदनों का अवलोकन किया तो यह बात साबित हो गई कि वास्तव में मृणाल चौबे का ही पलड़ा भारी है। खेल विभाग ने २००९-१० के गुंडाधूर पुरस्कार के लिए जो आवेदन मंगवाए थे, उस आवेदन में मृणाल चौबे ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक वे इस साल में पांच स्पर्धाओं में खेले हैं और चार में पदक जीते हैं। मृणाल ने २००९-१० में सबसे पहले ७ से २१ जून तक जूनियर विश्व कप खेला। वैसे जूनियर स्पर्धा का गुंडाधूर पुरस्कार में मतलब नहीं होता है। एक और जूनियर स्पर्धा ४ देशों की मृणाल ने ११ से १५ मार्च २०१० में जोहोर बहरू में खेली। इसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। आस्ट्रेलिया में १४ से १८ जनवरी २०१० में आस्ट्रेलिया यूथ फेस्टिवट में भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। मृणाल के खाते में पिछले साल की सबसे बड़ी उपलब्धि ढाका में २९ जनवरी से ९ फरवरी तक हुए सैफ खेलों में भारतीय टीम का रजत पदक जीतना रहा। इसके अलावा १६ से २३ फरवरी तक महाराजा रणजीत सिंह टूर्नामेंट में मृणाल की टीम ने रजत पदक जीता।
अब जहां तक सबा अंजुम का सवाल है तो उन्होंने अपने आवेदन में २००९-१० में तीन स्पर्धा का उल्लेख किया है। इसमें सबसे बड़ी स्पर्धा एशिया कप का जिसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। इसके अलावा रूस में टीम ने महिला चैंलेज स्पर्धा में स्वर्ण जीता। चार देशों की एक स्पर्धा में भारतीय टीम के साथ सबा दक्षिण अफ्रीका में खेली। इन दोनों खिलाडिय़ों की उपलिब्ध को देखने के बाद जूरी ने मृणाल की उपलब्धियों को ज्यादा वजन दिया और उनका चयन कर लिया गया। चयन न होने पर सबा अंजुम ने मुख्यमंत्री के साथ खेलमंत्री ने शिकायत की है।
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