मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल के बाद भी खेल संघों की रुचि उद्योगों से मदद लेने की नजर नहीं आ रही है। 32 खेल संघों में से महज तीन खेल संघों ने ही अब तक मदद लेने के लिए गोद लेने वाले उद्योगों को योजना बनाकर दी है। इनमें से प्रदेश तैराकी संघ को ही भिलाई स्टील प्लांट से 15 लाख की मदद मिली है।
खेल संघों को उद्योगों को गोद दिलाए हुए चार माह का समय हो गया है। इतना समय होने के बाद भी खेल संघों में से कुछ संघों को छोड़कर बाकी संघ चुप बैठ गए हैं। खेल संघों की रुचि न होने के कारण ही उद्योग भी शांत हैं और संघों को मदद नहीं मिल पा रही है। छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के खेल संघों को अलग-अलग उद्योग समूहों को गोद दिलाने का काम 13 मार्च को किया था। इस बैठक में ही यह तय किया गया था कि खेल संघों को गोद लेने वाले उद्योग के एक प्रतिनिधि को जहां संघ में उपाध्यक्ष बनाया जाएगा, वहीं संघ को पूरी योजना बनाकर देनी होगी, तभी उनको मदद मिल सकेगी। इस योजना में इस बात का पूरा विवतण होना चाहिए कि वे किस मद में क्या खर्च करेंगे। मसलन प्रशिक्षण शिविर पर, बाहर से बुलाए जाने वाले प्रशिक्षक पर, खेल सामानों पर और अन्य जो भी खर्च खेल संघ करना चाहते हैं उसका पूरा बजट बनाकर देना होगा।
इन शर्ता के बाद चार माह में अब तक महज तीन खेल संघों ने ही योजना बनाकर उद्योगों को देने के साथ इसकी प्रति खेल विभाग में दी है। जिन संघों ने योजना बनाकर दी है, उसमें तैराकी, हैंडबॉल और तलवारबाजी शामिल हैं। इन तीन संघों में से तैराकी संघ को ही भिलाई स्टील प्लांट से मदद मिली है। बाकी संघों को कोई मदद नहीं मिल सकी है। उद्योगों के प्रतिनिधियों को उपाध्यक्ष बनाने वाले संघों में वालीबॉल का नाम भी शामिल हैं। संघ के मो. अकरम ने बताया कि संघ ने हीरा ग्रुप के विनोद पिल्ले को उपाध्यक्ष बना दिया है और इस उद्योग ने 35 लाख रुपए देने के लिए मंजूरी भी दे दी है। उन्होंने बताया कि उनके संघ ने अभी योजना नहीं दी है, जिलों से योजना मंगाई गई है, अभी चार जिलों से ही योजना मिली है, बाकी जिलों से योजना आने पर पूरी योजना का विवरण दिया जाएगा। हैंडबॉल संघ के बशीर अहमद खान ने बताया कि हमने पूरी योजना बनाकर एनएमडीसी को दे दी है। तलवारबाजी संघ ने लाफार्ज को 35 लाख की योजना बनाकर सौंपी है।
योजना के बिना मदद संभव नहीं: खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि किसी भी खेल संघ को बिना योजना के मदद मिलना संभव नहीं है। जो उद्योग लाखों रुपए की मदद करेगा, उसे यह तो मालूम होना चाहिए कि वह किस काम के लिए पैसे दे रहा है। श्री सिंह ने बताया कि विभाग के पास तीन संघों की ही योजना आई है। उन्होंने बताया कि खेल संघ उद्योगों के प्रतिनिधियों को उपाध्यक्ष बनाने में भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जो दो शर्ते मदद के लिए रखी गई हैं, उनको तो पूरा करना अनिवार्य है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें