राष्ट्रीय शालेय नेटबॉल में मेजबान छत्तीसगढ़ ने शानदार खेल दिखाते हुए दोनों वर्गों के क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया। मेजबान टीम दोनों वर्गों के पूल में शीर्ष पर है।
नेताजी सुभाष स्टेडियम में चल रही स्पर्धा में सुबह के सत्र में बालिका वर्ग में मेजबान छत्तीसगढ़ का मुकाबला महाराष्ट्र से हुआ। इस मैच में छत्तीसगढ़ की टीम को कड़े मुकाबले के बाद २०-१५ से जीत मिली। बालक वर्ग में छत्तीसगढ़ ने एकातरफा मुकाबले में नवोदय विद्यालय को २६-३ से हराया। नवोदय की टीम पहली बार स्पर्धा में खेलने के लिए आई है। टीम को भले हार का सामना करना पड़ा, लेकिन टीम के खिलाड़ी इसी बात से उत्साहित हैं कि उनको पहली बार राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने का मौका मिला है। नवोदय की बालिका टीम को भी हार का सामना करना पड़ा। बालिका टीम कर्नाटक से ०-१३ से हारी।
अन्य मुकाबलों में बालक वर्ग में दिल्ली ने शानदार खेल दिखाते हुए जम्मू कश्नमीर को एकतरफा मुकाबले में २०-४ से, पंजाब ने हरियाणा को २७-१६ से, कर्नाटक ने महाराष्ट्र को कड़े मुकाबले में २३-१९ से हराया। शाम के सत्र में कर्नाटक ने उप्र को २६-१८ से मात दी। बालक वर्ग में सबसे कड़ा मुकाबला शाम को चंडीगढ़ और जम्मू कश्मीर के बीच देखने को मिला। इस मैच में दोनों टीमें एक अंक के लिए संघर्ष करती रहीं। लगातार कुड़े मुकाबले के बाद मैच १५-१५ के स्कोर पर बराबर हो गया। मैच के ड्रा होने के बाद चंडीगढ़ के खिलाडिय़ों और टीम के कोच-मैनेजर ने इस बात पर एतराज जताया कि उनके टीम के खिलाड़ी के हाथ से बॉल रिलीज होने के बाद भी रेफरी ने सीटी बजाकर मैच समाप्त करवा दिया। इनका कहना था कि मैच में उनकी टीम जीतकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना सकती थी, लेकिन रेफरी की गलती के कारण टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंचने से वंचित रह गई। टीम के मैनेजर को शिक्षा विभाग के अधिकारियों से समङााया कि वे चाहे तो इस मामले में लिखित में आवेदन कर सकते हैं। टीम के कोच-मैनेजर का कहना था कि लिखित में देने से भी क्या होगा, बात तो रेफरी की मानी जाएगी।
इधर बालिका वर्ग में दिल्ली ने दोनों मैच जीतकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया। पहले मैच में उसने तमिलनाडु को १८-३ और दूसरे मैच में जम्मू कश्मीर को २२-० से हराया। अन्य मैचों में पंजाब ने चंडीगढ़ को २३-१६ और हरियाणा ने कर्नाटक को १८-० से मात दी। बालिका वर्ग में एक मात्र मैच छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का ही कांटे का रहा जिसमें छत्तीसगढ़ को अंतत: २०-१५ से जीत मिली। इस मैच के अलावा ज्यादातर मैच एकतरफा रहे।
संघ की मनमर्जी से सब परेशान
स्पर्धा में प्रदेश नेटबॉल संघ के पदाधिकारियों और तकनीकी अधिकारियों की मनमर्जी से खिलाडिय़ों से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं। संघ के पदाधिकारियों की वजह से छत्तीसगढ़ की टीम को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ की टीम में रायपुर की जो खिलाड़ी शामिल हैं, वो खिलाड़ी एक ऐसे स्कूल की खेल शिक्षिका से प्रशिक्षण लेती हैं जिनकी खेल संघ के पदाधिकारियों ने जमती नहीं है। ऐसे में इन खिलाडिय़ों के साथ पक्षपात करते हुए इन खिलाडिय़ों को मैदान में उतरने नहीं दिया जा रहा है। खेल संघ के पदाधिकारियों की वजह से ही टीम की कमान एक ऐसी खिलाड़ी को सौंपी गई हैं जो खिलाड़ी राज्य स्पर्धा में मैचों में ज्यादातर समय बाहर रहीं। इसी के साथ रायपुर की उन अच्छी खिलाडिय़ों को मैदान में नहीं उतारा जा रहा है जो खिलाड़ी मैच जीतवाने में सक्षम है।
सुबह के मैच में भी कल की तरह पहले हॉफ में रायपुर की खिलाडिय़ों को बाहर रखा गया। लेकिन जब लगने लगा कि इन खिलाडिय़ों का सहारा नहीं लिया गया तो मैच छत्तीसगढ़ के हाथ से निकल जाएगा और मेजबान टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंचने से वंचित हो सकती है तब मजबूरी में रायपुर की खिलाडिय़ों को मैदान में उतारा गया। रायपुर की खिलाडिय़ों के कारण ही मैच में २०-१५ से जीत मिली। अगर प्रारंभ से ही रायपुर की खिलाडिय़ों को मैच में खिलाया जाता तो मैच का परिणाम और ज्यादा अच्छा होता। रायपुर की खिलाडिय़ों के साथ अपने राज्य के रेफरी ही पक्षपात कर रहे हैं।
इन रेफरियों की वजह से खिलाड़ी परेशानी महसूस कर रही हैं, लेकिन राज्य की इज्जत की वजह से यह खिलाड़ी सब बातों को नजरअंदाज कर रही हैं। इन खिलाडिय़ों का कहना है कि हम तो अपने राज्य के लिए खेलकर पदक जीतना चाहती हैं, पर हमारी प्रतिभा का कोई फायदा ही नहीं उठाना चाहता है तो हम क्या करें। संघ के पदाधिकारियों की मनमर्जी से शिक्षा विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं, पर वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इनकी मदद के बिना वे स्पर्धा नहीं करवा सकते हैं। संघ ने अगर अपने तकनीकी अधिकारी नहीं दिए तो स्पर्धा कैसे होगी।
तकनीकी अधिकारी रखने में मनमर्जी
शिक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश संघ के पदाधिकारी तो पूरी तरह से दादागिरी पर उतर आए हैं। पहले तो इन्होंने स्पर्धा के लिए २० से ज्यादा तकनीकी अधिकारी रखने के लिए दबाव डाला, लेकिन जब शिक्षा विभाग ने इतने अधिकारियों को मानदेय देने से इंकार कर दिया तो अधिकारी तो कम किए गए, लेकिन शिक्षा विभाग की बिना अनुमति के बाहर से भी तकनीकी अधिकारी बुलाकार शिक्षा विभाग पर उन अधिकारियों के रहने की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उनकी रहने की व्यवस्था करने में असमर्थतता जता दी। इतना होने के बाद भी उन अधिकारियों को रखा गया है और जिनके नाम तकनीकी अधिकारियों की सूची में नहीं है, उनके भी काम लिया जा रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें