ओलंपियन विजेन्दर सिंह सहित अन्य मुक्केबाजों का सम्मान बंद कमरे में करने से प्रदेश की खेल बिरादरी नाराज है। सोमवार को ही राज्य खेल महोत्सव का समापन था। प्रदेश के खिलाड़ी ऐसा सोच रहे थे कि काश उनको भी अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों की ङालक मिल जाती, लेकिन इन खिलाडिय़ों का सपना मोनेट ने पूरा होने नहीं दिया और अपने चंद लोगों की मौजूदगी में ही खिलाडिय़ों का सम्मान किया गया। खिलाडिय़ों से मिलने की ललक रखने वाले कुछ खेल प्रेमी होटल बेबीलोन पहुंचे थे, लेकिन उनको वहां जाने नहीं दिया गया। मीडिया को भी बड़ी मुश्किल से प्रवेश दिया गया। कार्यक्रम से पूरी तरह से प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ सारे खेल संघों का दूर रखा गया। पूरे कार्यक्रम में बदइंतजामी का आलम रहा।
एशियाड में पदक जीतने वाले मुक्कबाजों के सम्मान की खबर लगने से प्रदेश के खिलाड़ी उत्साहित थे कि संभवत: उनको भी इन खिलाडिय़ों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। लेकिन इन खिलाडिय़ों का सपना मोनेट ने पूरा होने नहीं दिया। खेलमंत्री लता उसेंडी ने एक प्रयास किया भी था कि इन खिलाडिय़ों को खेल महोत्सव के मंच पर बुलाया जाए, लेकिन खेलमंत्री को मोनेट के अधिकारियों ने गलत जानकारी दी थी कि मुक्केबाज शाम को आएंगे, जबकि मुक्केबाज सुबह के विमान से आ गए थे। इतना होने के बाद भी मोनेट के अधिकारियों ने यह जरूरी नहीं समङाा कि मुक्केबाजों का सम्मान खिलाडिय़ों के बीच करवा जाए।
मोनेट द्वारा खिलाडिय़ों का सम्मान एक बंद कमरे में करवाए जाने से प्रदेश की खेल बिरादरी में भारी नाराजगी है। खेल संघों के पदाधिकारी और खिलाड़ी साफ कहते हैं कि मोनेट छत्तीसगढ़ में मुक्केबाजी को बढ़ाने की बात करता है, जब अंतररराष्ट्रीय मुक्केबाजों को खिलाडिय़ों से मिलवाने में परहेज किया गया तो कैसे मुक्केबाजी को बढ़ाने की बात की जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इन मुक्केबाजों को बुलाने की जानकारी प्रदेश के ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद के साथ प्रदेश मुक्केबाज संघ को भी नहीं दी गई।
कार्यक्रम में खेल संघों को बुलाया ही नहीं गया
प्रदेश की खेल बिरादरी में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ जब खेलमंत्री लता उसेंडी को खिलाडिय़ों के सम्मान के लिए बुलाया गया तो खेल संघों ंको क्यों आमंत्रित नहीं किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ सहित हर खेल के पदाधिकारियों को किनारे रखा गया। कुछ खेल प्रेमी जब अपने चहेते खिलाडिय़ों से मिलने पहुंचे तो उनको होटल में घुसने नहीं दिया गया। कार्यक्रम का कवरेज करने गए प्रेस फोटोग्राफरों और पत्रकारों को भी अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। मीडिया से कहा गया कि किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं है। काफी मशक्कत के बाद मीडिया कर्मियों को अंदर जाने दिया गया। अंदर एक हॉल में चंद लोगों की मौजूदगी में ही अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम भी पूरी तरह से अव्यवस्थित था।
एशियाड में पदक जीतने वाले मुक्कबाजों के सम्मान की खबर लगने से प्रदेश के खिलाड़ी उत्साहित थे कि संभवत: उनको भी इन खिलाडिय़ों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। लेकिन इन खिलाडिय़ों का सपना मोनेट ने पूरा होने नहीं दिया। खेलमंत्री लता उसेंडी ने एक प्रयास किया भी था कि इन खिलाडिय़ों को खेल महोत्सव के मंच पर बुलाया जाए, लेकिन खेलमंत्री को मोनेट के अधिकारियों ने गलत जानकारी दी थी कि मुक्केबाज शाम को आएंगे, जबकि मुक्केबाज सुबह के विमान से आ गए थे। इतना होने के बाद भी मोनेट के अधिकारियों ने यह जरूरी नहीं समङाा कि मुक्केबाजों का सम्मान खिलाडिय़ों के बीच करवा जाए।
मोनेट द्वारा खिलाडिय़ों का सम्मान एक बंद कमरे में करवाए जाने से प्रदेश की खेल बिरादरी में भारी नाराजगी है। खेल संघों के पदाधिकारी और खिलाड़ी साफ कहते हैं कि मोनेट छत्तीसगढ़ में मुक्केबाजी को बढ़ाने की बात करता है, जब अंतररराष्ट्रीय मुक्केबाजों को खिलाडिय़ों से मिलवाने में परहेज किया गया तो कैसे मुक्केबाजी को बढ़ाने की बात की जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इन मुक्केबाजों को बुलाने की जानकारी प्रदेश के ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद के साथ प्रदेश मुक्केबाज संघ को भी नहीं दी गई।
कार्यक्रम में खेल संघों को बुलाया ही नहीं गया
प्रदेश की खेल बिरादरी में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ जब खेलमंत्री लता उसेंडी को खिलाडिय़ों के सम्मान के लिए बुलाया गया तो खेल संघों ंको क्यों आमंत्रित नहीं किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ सहित हर खेल के पदाधिकारियों को किनारे रखा गया। कुछ खेल प्रेमी जब अपने चहेते खिलाडिय़ों से मिलने पहुंचे तो उनको होटल में घुसने नहीं दिया गया। कार्यक्रम का कवरेज करने गए प्रेस फोटोग्राफरों और पत्रकारों को भी अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। मीडिया से कहा गया कि किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं है। काफी मशक्कत के बाद मीडिया कर्मियों को अंदर जाने दिया गया। अंदर एक हॉल में चंद लोगों की मौजूदगी में ही अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम भी पूरी तरह से अव्यवस्थित था।
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