छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सचिव पद में अब किसी की रुचि नहीं रह गई है। जब संघ के अध्यक्ष की कमान मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने संभाली थी तो सचिव बनने के लिए कई लोगों ने जोड़-तोड़ के साथ मुख्यमंत्री तक एप्रोच लगाने की कवायद प्रारंभ कर दी थी, लेकिन इधर जब से यह खबर आई है कि राज्य ओलंपिक संघ के मताधिकार भारतीय ओलंपिक संघ छीन रहा है, तब से सचिव पद को लेकर सभी ठंडे पड़ गए हैं।
प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जब चार दिनों पहले संघ की कार्यकारिणी जल्द घोषित करने की बात कही थी तो लगा था कि एक बार फिर से सचिव पद के लिए कवायद प्रारंभ हो जाएगी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि अब राज्य ओलंपिक संघ का सचिव बनने से कुछ हासिल होना नहीं है। पहले इस पद के पीछे सभी खेल संघों के पदाधिकारी इसलिए पड़े थे क्योंकि भारतीय ओलंपिक संघ के चुनाव में अध्यक्ष के साथ सचिव को भी मत देने का अधिकार रहता है, लेकिन अब इस मताधिकार पर आईओए की नजरें टेढी हो गई हैं। आईओए तो राज्य ओलंपिक संघों को ही समाप्त करने पर तुला है, लेकिन इसके खिलाफ विरोध के स्वर पूरे देश में उठने लगे हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि भले राज्य ओलंपिक संघों को बनाए रखा जाए, लेकिन यह बात तय है कि आईओए राज्य ओलंपिक संघों के मताधिकार जरूर छिन लेगा।
जब मताधिकार देने का अधिकार ही नहीं रहेगा तो सचिव बनने से क्या फायदा ऐसा खेल संघों के पदाधिकारी सोच रहे हैं। पूर्व में छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सचिव पद के लिए लॉन टेनिस संघ के गुरुचरण सिंह होरा, वालीबॉल संघ के मो. अकरम खान, स्क्वैश संघ के विष्णु श्रीवास्तव, नेटबॉल संघ के संजय शर्मा सहित कुछ खेल संघों से जुड़े आईएएस और आईपीएस के नाम सामने आए थे। लेकिन अब किसी भी तरह से किसी नाम की चर्चा नहीं हो रही है। सबका ऐसा मानना है कि मुख्यमंत्री जिसे चाहेंगे उनको सचिव बनना पड़ेगा।
कार्यकारिणी अभी लटकेगी
जानकारों की मानें तो इनका कहना है कि अभी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कार्यकारिणी घोषित नहीं करेंगे। भले उन्होंने ११ दिसंबर को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कार्यकारिणी जल्द घोषित कर दी जाएगी, लेकिन मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंचा दी गई है कि अभी आईओए में राज्य संघों के मताधिकार को लेकर कवायद चल रही है जिसकी वजह से अभी कार्यकारिणी घोषित करना ठीक नहीं है। जब तक आईओए राज्य संघों पर फैसला नहीं करता है, कार्यकारिणी घोषित करने का मतलब नहीं है। मुख्यमंत्री ने इनकी बात मानी तो कार्यकारिणी का लटकना तय है।
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