राज्य खेल महोत्सव में खेलने वाले खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट के साथ-साथ नकद राशि देने की भी मांग होने लगी है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी निर्णायक और पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे के साथ खेल के जानकारों का ऐसा मानना है कि खिलाडिय़ों को नकद पैसे देने से ही राज्य में खेल का माहौल बनेगा। नकद पैसे मिलने से खिलाडिय़ों को पेशेवर होने का अंदाज होगा और अपने देश में खिलाडिय़ों का पेशेवर होना जरूरी है। खेलों में पैसे न होने की वजह से ही अपने खिलाड़ी पीछे रह जाते हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव में जरूरत से ज्यादा बजट मिलने के कारण खेल विभाग बदहवास हो गया है। विभाग को साढ़े तीन करोड़ का बजट मिल गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग ने जितना बजट मांगा बिना सोचे समङो उसको दे दिया गया। अब जिनको बजट दिया गया है वे उसका उपयोग सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की ही बात की जाए तो उनको २२ लाख का बजट दिया गया है। इस बजट में से १२ लाख के ट्रेक शूट खरीदने की तैयारी चल रही है। स्कूली खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट देने की पहल अच्छी तो है, लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि खिलाडिय़ों को कुछ नकद राशि दी जाए।
राज्य खेल महोत्सव का पहला मकसद राज्य में खेलों का ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए खेल का माहौल बनाना है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस आयोजन की घोषणा इसी मकसद से की है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी निर्र्णायक नीता डुमरे, फुटबॉल कोच मुश्ताल अली प्रधान, जंप रोप के कोच अखिलेश दुबे, फुटबॉल खिलाड़ी शिरीष यादव, सुमित तिवारी, कराते के कोच अजय साहू, नेटबॉल खिलाड़ी भावना खंडारे सहित खेल के जानकारों साफ कहते हैं कि अगर सरकार वास्तव में राज्य में खेल का माहौल बनाना चाहती है तो उसे पहले कदम पर ही यह फैसला कर लेना चाहिए कि खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट के साथ नकद राशि दी भी जाए।
अगर खेल महोत्सव में खेलने वाले हर खिलाड़ी को पांच सौ रुपए की भी नकद राशि दे दी जाती है तो उसका असर यह होगा कि हर खिलाड़ी अपने शहर और गांव में जाकर यह बात अपने परिजनों और साथियों को बताएगा कि उनको खेलने पर नकद राशि मिली है। ऐसा होने से निश्चित ही पूरे राज्य में खेल का एक अलग तरह का माहौल बनेगा। अपने देश में वैसे भी खेल इसलिए पीछे है क्योंकि खिलाड़ी पेशेवर नहीं हैं। खिलाड़ी इसलिए पेशेवर नहीं हैं क्योंकि उनको खेलने के लिए पैसे नहीं मिलते हैं। जिस दिन हर खेल में खेलने के पैसे मिलेंगे, बिना बुलाए लोग खेलों में आने लगेंगे।
इनामी राशि क्यों नहीं बढ़ाते?
खेलों के जानकारों का साफ कहना है कि खेल विभाग क्यों कर तामङााम में पैसों की बर्बादी कर रहा है। अगर राज्य में खेल का माहौल बनाना है तो इनामी राशि बड़ी रखनी चाहिए, न कि तामङााम। जानकारों की मानें तो खेल विभाग का तामङााम में इसलिए ज्यादा ध्यान है, क्योंकि उसे खिलाडिय़ों की नहीं बल्कि उद्घाटन समारोह में आने वाले अतिथियों की चिंता ज्यादा है। वे अतिथियों के सामने यह जताना चाहते हैं कि विभाग कितान भव्य आयोजन कर रहा है। लेकिन विभाग यह भूल गया है कि तामङााम से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की वह मंशा कभी पूरी नहीं होने वाली है जो मंशा राज्य में खेल का माहौल बनाने की है। खेल विभाग को राज्य में खेल का माहौल बनाने और खिलाड़ी तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए।
कैसे मिलेंगी प्रतिभाएं
राज्य खेल महोत्सव में स्कूली खेलों की अंडर १९ और ओपन वर्ग की १९ साल से ज्यादा की स्पर्धाएं करवाई जा रही हैं। ऐसे में खेलों के जानकारों का साफ कहना है कि कैसे प्रतिभाओं का चयन उनको राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार किया जाएगा। छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाली ३७वें राष्ट्रीय खेल किसी भी कीमत में २०१६-१७ से पहले नहीं होंगे। ऐसे में अगर आज १९ साल के खिलाडिय़ों का चयन राष्ट्रीय खेलों के लिए किया जाता है तो ये खिलाड़ी राज्य को पदक दिलाने में सफल होने वाले नहीं है। खेल विभाग ने खेलों के लिए आयु सीमा का चयन ही गलत किया है। इस बारे में खेलमंत्री लता उसेंडी के सामने भी यह बात रखी गई थी कि स्कूलों का आयोजन करना है तो अंडर १४ या अंडर १७ का आयोजन किया जाए, लेकिन इस दिशा में न खेलमंत्री ने ध्यान दिया और न खेल विभाग ने। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे इस आयोजन से प्रतिभाओं को तलाश कर राष्ट्रीय खेलों के लिए उनको तैयार किया जाएगा।
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