साढ़े तीन करोड़ के बजट वाले राज्य खेल महोत्सव का आगाज तो हो गया है, पर उद्घाटन स्थल से लेकर खेल मैदानों तक अव्यवस्था का आलम है। इतने बड़े आयोजन को खेल विभाग ने गंभीरता से लिया ही नहीं और खेल संघों के पदाधिकारियों के सही तालमेल न होने के कारण हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। व्यवस्थाओं से खुद खेलमंत्री लता उसेंडी लगातार खफा हैं।
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में सुबह को उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ही दुर्ग जिले के बास्केटबॉल खिलाड़ी आ धमके और कहने लगे कि उनके रहने की व्यवस्था ही नहीं की गई है। खिलाड़ी लगातार खेल विभाग के अधिकारियों से पूछते रहे कि उनके रहने की व्यवस्था कहां है पर उनको बताने वाला कोई नहीं था। उद्घाटन स्थल में चार हजार से ज्यादा खिलाडिय़ों को मार्च पास्ट के लिए सुबह से बुलाया गया था लेकिन खिलाडिय़ों के पीने के लिए पानी तक नहीं था। खिलाडिय़ों को स्टेडियम के बाहर अव्यस्थित खड़ा किया गया था।
उद्घाटन में दो विभागीय मंत्री ही आए
उद्घाटन में इस बात को लेकर प्रदेश की खेल बिरादरी में चर्चा होती रही कि उद्घाटन में आखिर प्रदेश के पूरे मंत्रिमंडल के मंत्रियों का नाम होने के बाद आखिर क्या करण रहा कि केवल खेल विभाग की मंत्री लता उसेंडी और शिक्षा विभाग के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ही आए, बाकी मंत्रियों के साथ नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे भी नहीं आए। महापौर किरणमयी नायक भी कार्यक्रम में बहुत विलंब से आईं। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा, विधायक कुलदीप जुनेजा, देवजी पटेल, निगम के सभापति संजय श्रीवास्तव, डीजीपी विश्वरंजन उपस्थित थे।
खेल संघों में नाराजगी
उद्घाटन अवसर पर एक तो बहुत कम खेल संघों के पदाधिकारी आए। जो पदाधिकारी आए थे, उनमें इस बात को लेकर नाराजगी रही कि उनको खेल विभाग ने तवज्जो ही नहीं दी। ओलंपिक संघ के पदाधिकारी भी इसी बात से खफा रहे कि उनको भी खेल विभाग ने नहीं पूछा जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने के बाद संघ के पदाधिकारियों के प्रस्ताव पर पहले मिनी ओलंपिक के नाम से आयोजन की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इनका नाम बदल दिया गया।
तीरंदाजी में स्कूलों खेलों की जवावदारी नहीं
उद्घाटन अवसर पर तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका ने स्कूली शिक्षा में विभाग के सहायक संचालक खेल एसआर कर्ष से यह साफ कह दिया कि उनके संघ की स्कूली तीरंदाजी करवाने की जवाबदारी नहीं है क्योंकि उनको किसी ने कुछ बताया नहीं है। उन्होंने कहा कि खेल संचालक जीपी सिंह ने उनको कहा था कि शिक्षा विभाग को अलग से बजट दिया गया है, वे अपना आयोजन अलग से करवा लेंगे। श्री कर्ष ने कहा कि हमें आयोजन के लिए कोई बजट नहीं दिया गया है खेल संचालक ने कहा था कि स्कूली आयोजन भी ओपन के साथ होगा।
हर तरफ अव्यवस्था
उद्घाटन के बाद जब खेलों का आयोजन दूसरे सत्र में प्रारंभ हुआ तो खेल विभाग की व्यवस्था की पोल खुल गई। रविशंकर विश्व विद्यालय के मैदान में जुडो के खिलाड़ी इंतजार करते रहे कि कब मुकाबले प्रारंभ होंगे। खिलाडिय़ों के साथ तकनीकी अधिकारियों ने बताया कि सामान की व्यवस्था न होने के कारण मुकाबले प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं। बाद में तकनीकी अधिकारियों को खुद खेल विभाग जाकर सामना लाना पड़ तब जाकर मुकाबले प्रारंभ हो सके। यहां पर हैंडबॉल और खोखो और एथलेटिक्स के मुकाबले भी काफी विलंब से प्रारंभ हुए। यूनियन क्लब में तैराकी के मुकाबलों के समय भी यही आलम रहा, वहां पर सामान की व्यवस्था न होने की शिकायत आयोजक करते रहे। नेताजी स्टेडियम में बारिश से खराब हुए मैदान में ही कबड्डी और नेटबॉल के मुकाबले करवाएं गए। हर मैदान में तकनीकी अधिकारियों से लेकर खिलाडिय़ों को इस बात की शिकायत रही कि पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं की गई है।
तकनीकी अधिकारियों को किट क्यों नहीं?
आयोजन के लिए इतना बड़ा बजट होने के बाद भी तकनीकी अधिकारियों को किट न दिए जाने पर भी सभी खेल संघों के पदाधिकारी और तकनीकी अधिकारी सवाल करते रहे कि खेल विभाग ने हमारे लिए किट का क्यों इंतजाम नहीं किया है।
रेलवे की किट में खेले
खेल विभाग ने किट के लिए हर जिले को एक खिलाड़ी के लिए पांच सौ रुपए का बजट ट्रैक शूट और किट के लिए दिया है, इसके बाद भी बास्केटबॉल में बिलासपुर के खिलाड़ी रेलवे की किट पहनकर मैच खेलते रहे। कई जिलों के खिलाडिय़ों ने यह भी शिकायत की है कि उनको बहुत निम्न स्तर की किट दी गई है।
नतीजों पर एक नजर
नेटबॉल ओपन में बालक वर्ग में दुर्ग ने राजनांदगांव को १७-६, रायपुर ने बिलासपुर को १४-७ से हराया। बालिका वर्ग में रायपुर ने बिलासपुर को २३-० से मात देकर फाइनल में स्थान बनाया। स्कूली वर्ग के बालकों के एक मैच में राजनांदगांव ने बस्तर को १३-० से हराया। हॉकी में महिला वर्ग के मैचों में रायपुर ने सरगुजा को ४-०, पुरुष वर्ग में दुर्ग ने राजनांदगांव को ६-३, स्कूली वर्ग में बिलासपुर ने रायपुर को ३-१ हराया। साफ्टबॉल शालेय बालक वर्ग में सरगुजा ने राजनांदगांव को १९-३ से थ्रोबॉल में बिलासपुर दुर्ग को २५-१७, २७-२५ से हैंडबॉल ओपन महिला में रायपुर ने बिलासपुर को १०-७ से, दुर्ग ने राजनांदगांव को १२-० से. वालीबॉल शालेय में रायपुर ने बस्तर को २५-१५, २५-२१ से, बास्केटबॉल महिला में दुर्ग ने राजनांदगांव को ६१-१७ से मात दी। एथलेटिक्स १५०० मीटर में ुुउमेश उरांव दुर्ग प्रथम, महेन्द्र उरांव दुर्ग द्वितीय, तुलसी साहू रायपुर तृतीय, महिला बालमति यादव राजनांदगांव प्रथम, विमला पटेल दुर्ग द्वितीय, उर्मिला पटेल तृतीय। १०० मीटर पीआर भगत बिलासपुर प्रथम, आशीष राजनांदगांव द्वितीय, अगेश्वर दुग्गा दुर्ग तृतीय। महिला चारूलता रायपुर प्रथम, भुनेश्वरी निषाद दुर्ग द्वितीय, सुनुति दुर्ग तृतीय। तवा फेंक अनवर पेंगल बिलासपुर प्रथम, सौरभ प्रधान राजनांदगांव द्वितीय, रिषभ तृतीय।
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में सुबह को उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ही दुर्ग जिले के बास्केटबॉल खिलाड़ी आ धमके और कहने लगे कि उनके रहने की व्यवस्था ही नहीं की गई है। खिलाड़ी लगातार खेल विभाग के अधिकारियों से पूछते रहे कि उनके रहने की व्यवस्था कहां है पर उनको बताने वाला कोई नहीं था। उद्घाटन स्थल में चार हजार से ज्यादा खिलाडिय़ों को मार्च पास्ट के लिए सुबह से बुलाया गया था लेकिन खिलाडिय़ों के पीने के लिए पानी तक नहीं था। खिलाडिय़ों को स्टेडियम के बाहर अव्यस्थित खड़ा किया गया था।
उद्घाटन में दो विभागीय मंत्री ही आए
उद्घाटन में इस बात को लेकर प्रदेश की खेल बिरादरी में चर्चा होती रही कि उद्घाटन में आखिर प्रदेश के पूरे मंत्रिमंडल के मंत्रियों का नाम होने के बाद आखिर क्या करण रहा कि केवल खेल विभाग की मंत्री लता उसेंडी और शिक्षा विभाग के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ही आए, बाकी मंत्रियों के साथ नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे भी नहीं आए। महापौर किरणमयी नायक भी कार्यक्रम में बहुत विलंब से आईं। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा, विधायक कुलदीप जुनेजा, देवजी पटेल, निगम के सभापति संजय श्रीवास्तव, डीजीपी विश्वरंजन उपस्थित थे।
खेल संघों में नाराजगी
उद्घाटन अवसर पर एक तो बहुत कम खेल संघों के पदाधिकारी आए। जो पदाधिकारी आए थे, उनमें इस बात को लेकर नाराजगी रही कि उनको खेल विभाग ने तवज्जो ही नहीं दी। ओलंपिक संघ के पदाधिकारी भी इसी बात से खफा रहे कि उनको भी खेल विभाग ने नहीं पूछा जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने के बाद संघ के पदाधिकारियों के प्रस्ताव पर पहले मिनी ओलंपिक के नाम से आयोजन की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इनका नाम बदल दिया गया।
तीरंदाजी में स्कूलों खेलों की जवावदारी नहीं
उद्घाटन अवसर पर तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका ने स्कूली शिक्षा में विभाग के सहायक संचालक खेल एसआर कर्ष से यह साफ कह दिया कि उनके संघ की स्कूली तीरंदाजी करवाने की जवाबदारी नहीं है क्योंकि उनको किसी ने कुछ बताया नहीं है। उन्होंने कहा कि खेल संचालक जीपी सिंह ने उनको कहा था कि शिक्षा विभाग को अलग से बजट दिया गया है, वे अपना आयोजन अलग से करवा लेंगे। श्री कर्ष ने कहा कि हमें आयोजन के लिए कोई बजट नहीं दिया गया है खेल संचालक ने कहा था कि स्कूली आयोजन भी ओपन के साथ होगा।
हर तरफ अव्यवस्था
उद्घाटन के बाद जब खेलों का आयोजन दूसरे सत्र में प्रारंभ हुआ तो खेल विभाग की व्यवस्था की पोल खुल गई। रविशंकर विश्व विद्यालय के मैदान में जुडो के खिलाड़ी इंतजार करते रहे कि कब मुकाबले प्रारंभ होंगे। खिलाडिय़ों के साथ तकनीकी अधिकारियों ने बताया कि सामान की व्यवस्था न होने के कारण मुकाबले प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं। बाद में तकनीकी अधिकारियों को खुद खेल विभाग जाकर सामना लाना पड़ तब जाकर मुकाबले प्रारंभ हो सके। यहां पर हैंडबॉल और खोखो और एथलेटिक्स के मुकाबले भी काफी विलंब से प्रारंभ हुए। यूनियन क्लब में तैराकी के मुकाबलों के समय भी यही आलम रहा, वहां पर सामान की व्यवस्था न होने की शिकायत आयोजक करते रहे। नेताजी स्टेडियम में बारिश से खराब हुए मैदान में ही कबड्डी और नेटबॉल के मुकाबले करवाएं गए। हर मैदान में तकनीकी अधिकारियों से लेकर खिलाडिय़ों को इस बात की शिकायत रही कि पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं की गई है।
तकनीकी अधिकारियों को किट क्यों नहीं?
आयोजन के लिए इतना बड़ा बजट होने के बाद भी तकनीकी अधिकारियों को किट न दिए जाने पर भी सभी खेल संघों के पदाधिकारी और तकनीकी अधिकारी सवाल करते रहे कि खेल विभाग ने हमारे लिए किट का क्यों इंतजाम नहीं किया है।
रेलवे की किट में खेले
खेल विभाग ने किट के लिए हर जिले को एक खिलाड़ी के लिए पांच सौ रुपए का बजट ट्रैक शूट और किट के लिए दिया है, इसके बाद भी बास्केटबॉल में बिलासपुर के खिलाड़ी रेलवे की किट पहनकर मैच खेलते रहे। कई जिलों के खिलाडिय़ों ने यह भी शिकायत की है कि उनको बहुत निम्न स्तर की किट दी गई है।
नतीजों पर एक नजर
नेटबॉल ओपन में बालक वर्ग में दुर्ग ने राजनांदगांव को १७-६, रायपुर ने बिलासपुर को १४-७ से हराया। बालिका वर्ग में रायपुर ने बिलासपुर को २३-० से मात देकर फाइनल में स्थान बनाया। स्कूली वर्ग के बालकों के एक मैच में राजनांदगांव ने बस्तर को १३-० से हराया। हॉकी में महिला वर्ग के मैचों में रायपुर ने सरगुजा को ४-०, पुरुष वर्ग में दुर्ग ने राजनांदगांव को ६-३, स्कूली वर्ग में बिलासपुर ने रायपुर को ३-१ हराया। साफ्टबॉल शालेय बालक वर्ग में सरगुजा ने राजनांदगांव को १९-३ से थ्रोबॉल में बिलासपुर दुर्ग को २५-१७, २७-२५ से हैंडबॉल ओपन महिला में रायपुर ने बिलासपुर को १०-७ से, दुर्ग ने राजनांदगांव को १२-० से. वालीबॉल शालेय में रायपुर ने बस्तर को २५-१५, २५-२१ से, बास्केटबॉल महिला में दुर्ग ने राजनांदगांव को ६१-१७ से मात दी। एथलेटिक्स १५०० मीटर में ुुउमेश उरांव दुर्ग प्रथम, महेन्द्र उरांव दुर्ग द्वितीय, तुलसी साहू रायपुर तृतीय, महिला बालमति यादव राजनांदगांव प्रथम, विमला पटेल दुर्ग द्वितीय, उर्मिला पटेल तृतीय। १०० मीटर पीआर भगत बिलासपुर प्रथम, आशीष राजनांदगांव द्वितीय, अगेश्वर दुग्गा दुर्ग तृतीय। महिला चारूलता रायपुर प्रथम, भुनेश्वरी निषाद दुर्ग द्वितीय, सुनुति दुर्ग तृतीय। तवा फेंक अनवर पेंगल बिलासपुर प्रथम, सौरभ प्रधान राजनांदगांव द्वितीय, रिषभ तृतीय।
1 टिप्पणी:
यह तो सोचने वाली बात हो गई....
पाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
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