शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

रिहर्सल मे दौड़ेंगे डमी धावक

बैटन रिले के लिए ३० जुलाई को होने वाली रिहर्सल में अब असली धावकों के स्थान पर डमी धावक की दौड़ेंगे। प्रदेश के खेल मंत्रालय ने अब तक बैटन लेकर दौडऩे वाले खिलाडिय़ों की सूची जारी नहीं की है। खेल सचिव सुब्रत साहू का कहना है कि सूची अभी जारी करना संभव नहीं है। इधर खेलों के जानकार कहते हैं कि जब सूची में ७८ नाम ही हैं तो उसे जारी करने में क्या परेशानी है जबकि ८० धावकों का कोटा तय है।
कामनवेल्थ की मशाल यानी बैटन का आगमन रायपुर में ११ अगस्त को होने के बाद यहां पर १२ अगस्त को रिले का आयोजन किया गया है। इस ऐतिहासिक रिले में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए प्रदेश के खेल विभाग ने ३० जुलाई को रिहर्सल का आयोजन किया है। इस रिहर्सल में पहले यह तय था कि जो धावक १२ अगस्त को बैटन लेकर दौड़ेंगे वही रिहर्सल में भी डमी बैटन लेकर दौड़ेंगे। लेकिन अब जबकि रिहर्सल में महज दो दिन बचे हैं तो यह खबर आ रही है कि धावकों की सूची खेल मंत्रालय में अटक गई है। इसके बारे में जानने जब खेल सचिव सुब्रत साहू से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी सूची जारी नहीं की जा रही है। यह सूची बाद में जारी होगी। उन्होंने पूछने पर कहा कि रिहर्सल में उन्हीं धावकों को दौडऩा जरूरी नहीं है। रिहर्सल में किसी को भी बैटन लेकर दौड़ाया जा सकता है।
सूची लटकाने का क्या मतलब
खेल मंत्रालय में सूची को लटकाए जाने की बात पर खेल संघों के पदाधिकारियों और खेलों से जुड़े जानकारों का एक स्वर में कहना है कि यह बात समझ से परे है कि आखिर सूची को क्यों लटकाया गया है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि राजधानी के लिए ८० धावकों का कोटा तय किया गया है और मंत्रालय में जो सूची भेजी गई है, उसमें ७८ ही नाम है। ऐसे में सबका मानना है कि जब कोटे से दावेदार कम हैं तो फिर सूची को लटकाने का मतलब समङा से परे है। सबका ऐसा मानना है कि राज्य सरकार को सूची जारी कर देनी चाहिए ताकि १२ अगस्त को बैटन लेकर दौडऩे वाले ही रिहर्सल में दौड़ें। इससे अगर कोई गलती होगी तो माालूम हो जाएगा और उसे सुधार लिया जाएगा ताकि उस दिन कोई गड़बड़ी न हो।
अब बनाने होंगे ८० पाइंट
राजधानी में बैटन रिले के लिए अभी २५ पाइंट बनाए गए हैं। लेकिन अब जबकि सारा का सारा कोटा खिलाडिय़ों के पाले में चला गया है तो ऐसे में अब ८० पाइंट बनाने पड़ेंगे। पूर्व में करीब ६ किलोमीटर के कारवां के लिए करीब २०० मीटर के फासले में पाइंट बनाए गए थे। लेकिन अब ५० से ६० मीटर के फासले में पाइंट बनाने पड़ रहे हैं। राजधानी में खेल विभाग के नेताजी स्टेडियम में जो बैटन रिले का मुख्यालय बनाया गया है, उसमें बैठे अधिकारी और खेल शिक्षक अब पाइंट को बढ़ाने की कवायद में जुट गए हैं। पूर्व में बनाए गए पाइंटों के बीच में दो-दो पाइंट और बनाने का काम किया जा रहा है।
भिलाई-दुर्ग के खिलाडिय़ों को भी मिल सकता है मौका
राजधानी रायपुर में होने वाली रिले में यूं तो मुख्यत: रायपुर जिले के साथ उन जिलों के खिलाडिय़ों को मौका दिया जा रहा है जहां बैटन का आयोजन नहीं हो रहा है। लेकिन अब खबर है कि राजनांदगांव, दुर्ग और भिलाई के भी कुछ अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को मौका दिया जा सकता है। हॉकी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मृणाल चौबे को राजधानी के रिले में शमिल करने की बात पर खेलमंत्री लता उसेंडी ने उनको मौका देने कहा है। ऐसे में खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि अगर मृणाल की तरह भिलाई-दुर्ग से भी कुछ और खिलाडिय़ों के नाम सामने आते हैं तो उनको मौका दिया जा सकता है। उन्होंने पूछने पर कहा कि राजधानी के कोटे से तो यहां के खिलाड़ी ही दौड़ेंगे, लेकिन राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई के खिलाड़ी अगर शामिल होते हैं तो उनको जो वहां के लिए ड्रेस दी जाएगी वहीं ड्रेस वे यहां उपयोग करेंगे। ऐसे में किसी भी तरह के विवाद की स्थिति होने का सवाल ही नहीं उठाता है। उन्होंने कहा कि राजधानी होने के कारण खिलाडिय़ों का मन यहां की बैटन रिले में शामिल होने का है। उन्होंने कहा कि अगर ज्यादा खिलाड़ी हो जाते हैं तो इसमें हर्ज क्या है। श्री सिंह ने पूछने पर कहा कि खिलाडिय़ों की अंतिम संख्या के मुताबिक ही पाइंट तय किए जाएंगे। प्राथामिक तौर पर ८० धावकों के कोटे को देखते हुए इतने पाइंट तो बनाने ही पड़ेंगे।

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