मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

इंडोर अंतरराष्ट्रीय मैचों के लायक

भारतीय बास्केटबॉल फेडरेशन के पर्यवेक्षक चन्द्र मोहन का कहना है कि रायपुर का इंडोर स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय मैचों के लायक है। यहां पर कोई भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा आसानी से हो सकती है। लेकिन उसके पहले छत्तीसगढ़ बास्केटबॉल संघ को एक राष्ट्रीय स्पर्धा की मेजबानी लेनी चाहिए।
यहां पर फेडरेशन कप के लिए इंडोर स्टेडियम का निरीक्षण करने आए चन्द्र मोहन ने स्टेडियम का निरीक्षण करने के बाद ये बातें पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने पूछने पर कहा कि यह छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का सौभाग्य है कि उनको इतना अच्छा स्टेडियम मिला है। वे कहते हैं कि इतना अच्छा स्टेडियम बहुत कम राज्यों में है। उन्होंने पूछने पर बताया कि स्टेडियम में आसानी से अंतरराष्ट्रीय मैच हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्टेडियम इतना बड़ा है कि यहां पर सरलता से दो कोर्ट बन जाएंगे। श्री मोहन छत्तीसगढ़ बास्केटबॉल संघ को सलाह देते हुए कहा कि यहां पर एक राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन किया जाए। उन्होंने स्टेडियम की तारीफ करते हुए कहा कि फ्लोरिंग के साथ खेलने का एरिया भी बड़ा है। इस स्टेडियम में कई तरह के खेल हो सकते हैं।
खेल के लिए किराया नाम मात्र हो
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंडोर का किराया सवा लाख रुपए ज्यादा है। हमारे दिल्ली में इंडोर स्टेडियम जब भी खेलों के आयोजन के लिए दिए जाते हैं तो वहां पर किराया नाम मात्र लिया जाता है। ऐसा ही दूसरे राज्यों में भी होता है। यहां भी अगर खेलों के आयोजन में किराया नाममात्र लिया जाए तो अच्छा होगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि एसी की जरूरत तो मात्र गर्मियों में होती है।
छत्तीसगढ़ खेलों में आगे
चन्द्र मोहन ने कहा कि उनको जानकारी है कि छत्तीसगढ़ खेलों के मामले में बहुत आगे है। यहां के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह खुद खेलों में रूचि लेते हैं। उनकी रूचि के कारण ही यहां फेडरेशन कप हो रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि राजेश पटेल जैसा प्रशिक्षक मिलना खिलाड़ियों के लिए सौभाग्य की बात है। श्री पटेल ने छत्तीसगढ़ की महिला खिलाड़ियों को आज देश में ऐसे स्थान पर पहुंचा दिया है जहां पर पहुंचना हर राज्य की खिलाड़ियों का सपना होता है।
इसके पहले चन्द्र मोहन ने स्टेडियम का पूरा निरीक्षण करने के साथ खिलाड़ियों के लिए ड्रेसिंग रुम, खिलाड़ियों को खाना खिलाने के स्थान के साथ बाथरूम तक जा जायजा लिया। स्टेडियम के बाद उनको खिलाड़ियों को ठहराने जाने वाले होटल दिखाए गए। उनके साथ बास्केटबॉल संघ के सचिव राजेश पटेल, इकबाल अहमद और वालाबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान थे।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

राष्ट्रीय कयाकिंग रायपुर में

छत्तीसगढ़ को हमने राष्ट्रीय कयाकिंग की मेजबानी दी है। यहां पर यह स्पर्धा मार्च के अंतिम सप्ताह में होगी। स्पर्धा के सभी मुकाबले बूढ़ातालाब में होंगे। इस स्पर्धा में देश के 300 महिला और पुरुष खिलाड़ी खेलेंगे।
यह जानकारी पत्रकारों को देते हुए भारतीय कयाकिंग संघ के महासचिव बलवीर सिंह कुशवाहा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कयाकिंग को लोकप्रिय करने के प्रयास हमारा संघ कर रहा है। ऐसे में प्रदेश संघ की मांग पर पहली बार राष्ट्रीय स्पर्धा की मेजबानी छत्तीसगढ़ को दी गई है। यह स्पर्धा बूढ़ातालाब में होगी। उन्होंने बताया कि चूंकि इस तालाब में 1000 मीटर का ट्रेक निकल पाना संभव नहीं है, ऐसे में यहां पर 200 और 500 मीटर के मुकाबले होंगे। मुकाबलों में सी-वन, सी-टू और सी-फोर के साथ के-वन, के-टू और के-फोर के मुकाबले होंगे। इन मुकाबलों में शामिल होने देश के सभी राज्यों के खिलाड़ी यहां आएंगे। उन्होंने पूछने पर बताया कि कयाकिंग के मुकाबले किसी भी तरह से बांध आदि में होने संभव नहीं होते हैं क्योंकि बांध की गहराई ज्यादा होती है वहां पर हमेशा मुकाबलों में परेशानी होती है। मुकाबलों के लिए तालाब का फिर झील का प्रयोग किया जाता है। जहां मुकाबले होते हैं, वहीं पर तालाब की गहराई चार मीटर के कम नहीं होनी चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कयाकिंग के लिए अपार संभावनाएं हैं क्योंंकि यहां पर तालाबों की कमी नहीं है। जिस भी राज्य में तालाबों की कमी नहीं होती है, वहां पर हमारे खेल के लिए खिलाड़ी तैयार करने में आसानी होती है।
एक सवाल के जवाब में श्री कुशवाहा ने बताया कि कयाकिंग तो ओलंपिक खेल है और यह 1928 से इसमें शामिल हैं। शुरुआत में यह खेल चार देशों में खेला जाता था, लेकिन आज यह 110 खेलों में खेला जाता है। उन्होंने बताया कि ओलंपिक में इस खेल के चार वर्गा के मुकाबले होते हैं। इनमें कैनो पोलो, ड्रैगन बोट के साथ सी और के बोट के मुकाबले शामिल हैं। वैसे राष्ट्रीय स्तर पर 8 अलग-अलग तरह के मुकाबले होते हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में होने वाले मुकाबलों में कैनो पोलो का खेल भी देखने को मिलेगा।
1994 से 97 तक मप्र में खेल संचालक रहे श्री कुशवाहा ने बताया कि मप्र में इस खेल की शुरुआत 1992-93 में हुई थी। वहां के खिलाड़ी आज काफी आगे हैं। मप्र के करीब 50 खिलाड़ियों को नौकरी भी मिल गई है। मप्र की टीम इतनी अच्छी है कि उसने अब आर्मी की टीम को भी हराने का काम किया है। उन्होंने बताया कि इस खेल से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। श्री कुशवाहा ने बताया कि वे यहां पर वन विभाग के अपर सचिव नारायण सिंह ने भी मिले हैं और उनसे इस खेल में मदद करने का आग्रह किया है। पत्रकारों से चर्चा के दौारान प्रदेश संघ के कार्यकारी अध्यक्ष शशिकांत द्विवेदी, सचिव बीएल साहू और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू उपस्थित थे।


छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय जंप रोप में 25 पदक

Justify Fullराष्ट्रीय जंप रोप में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने 9 स्वर्ण के साथ कुल 25 पदक जीते। छत्तीसगढ़ के दल ने स्पर्धा में 125 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया।
बरगढ़ (उड़ीसा) में खेली गई स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि स्पर्धा में सबसे ज्यादा पदक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा ने प्राप्त किए। उन्होंने 30 सेंकेड स्पीड में स्वर्ण, ट्रिपल अंडर में स्वर्ण, डबल अंडर और फ्रीस्टाइल में रजत पदक जीते। इंडोंरेंस में भी राजदीप के हाथ स्वर्ण लगा। प्रभजोत कौर ने 30 सेकेंड स्पीड में स्वर्ण, ट्रिपल अंडर और फ्रीस्टाइनल में रजत जीता। इनके अलावा रक्षक वजरे ने डबल अंडर में कांस्य, विनय चाफले ने डबल अंडर में कांस्य, ट्रिपल अंडर में कांस्य फ्रीस्टाइल में रजत, अभिजीत मोहदीकर ने ट्रिपल अंडर और फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक, अमन ध्रुव ने ट्रिपल अंडर और फ्रीस्टाइनल में रजत, अंजसी साहू ने डबल अंडर में कांस्य और फ्रीस्टाइल में रजत पदक जीता। टीम वर्ग में 20 साल से कम वर्ग की स्पीड रिले में आम्बा साहू, अनिता साहू, मृदला चन्द्राकर, ओमकारेश्वरी ने स्वर्ण जीता। डबल अंडर रिले में हिमांशु, अनुभव पात्रे, हर्ष रामटेके और अनुराग फिलिप ने रजत पर कब्जा किया। 22 वर्ष वर्ग में अनुराग भट्टाचार्य, मोहन निषाद, उत्कर्ष त्रिपाठी, प्रवीण कुकरेजा ने स्वर्ण जीता।


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