मंगलवार, 31 मार्च 2009

चेन्नई की जीत में प्रशांत चमके

एसआर चेन्नई ने पी. प्रशांत के हरफनमौला खेल की बदौलत पटियाला को सात विकेट से मात देकर अपनी दूसरी जीत दर्ज की। पटियाला की टीम को पहले १५२ रनों पर समेटने के बाद चेन्नई ने महज १७.२ ओवरों में ही जात का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। तीन विकेट लेने के साथ ४२ रनों की आतिशी पारी खेलने वाले पी. प्रशांत मैन ऑफ द मैच रहे। डब्ल्यूआरएस के मैदान में चल रही चैंपियनशिप में चेन्नई की टीम ने टॉस जीतकर पटियाला को पहले खेलने के लिए आमंत्रित किया। चेन्नई के कप्तान के पहले क्षेत्ररक्षण के फैसले को सही साबित करते हुए उनके गेंदबाजों ने पटियाला की पारी को १५२ रनों पर ही समेट दिया। चेन्नई के लिए पी. प्रशांत के साथ वेणमुरूगन और के. सिंगरासन ने तीन-तीन विकेट लिए। प्रशांत ने सबसे किफायती गेंदबाजी करते हुए सिर्फ १५ रन दिए। पटियाला के लिए किरणकुमार ने ७२ गेंदों का सामना करते हुए ८ चौकों की मदद से ७२ रनों की पारी खेली। दूसरे सफल बल्लेबाज दिलीप यादव रहे जिन्होंने ७६ गेंदों का सामना करके २९ रन बनाए। दिलीप ने किरण कुमार के सात छेठ विकेट के लिए ८६ रनों की साङोदारी की। इसके पहले पटियाला की टीम अपने दो मैचों में स्कोर को १०० के पार भी नहीं पहुंचा पाई थी। १५३ रनों की चुनौती को चेन्नई ने तीन विकेट खोकर १७.२ ओवरों में ही प्राप्त कर लिया। पी. प्रशांत ने धमाकेदार पारी खेलते हुए महज २२ गेंदों में सात चौकों और दो छक्कों की मदद से ४२ रन बनाए। प्रशांत के अलावा एच जसरूला ने ३५ गेंदों पर ४८ रन ठोंक दिए। इन रनों में सात चौके शामिल हैं। पी. हरिराज ने ३३ गेंदों पर ३९ रन बनाए। उन्होंने छह चौके जड़े। मैच के अंपायर टीएस रावत. सुधीर वानखेड़े और मैच रेफरी एनवीआर नायडु थे। स्कोरर सचिन टांक और अभिषेक जैन थे। चैंपियनशिप में ३१ मार्च और एक अप्रैल को कोई मैच नहीं होगा। दो अप्रैल को मेट्रो कोलकाता और लखनऊ के बीच मैच खेला जाएगा।

रविवार, 29 मार्च 2009

बेंगलूर की जीत में चेलुराज का शतक

बेंगलूर ने चेलुराज के शतक के साथ ही अपने गेंदबाजों एम. नागराज, योगेश और पाटिल की घातक गेंदबाजी की मदद से चेन्नई को रोमांचक मुकाबले में ३४ रनों से मात दी। पहले खेलते हुए बेंगलूर ने चेलुराज के १२२ रनों के साथ एसके जैन ने ७८ रनों की मदद से चैंपियनशिप का सबसे बड़ा स्कोर २७४ रन खड़ा किया। इसके बाद बेंगलूर के गेंदबाजों ने चेन्नई की पारी को २४० रनों पर ही समेट दिया। डब्ल्यूआरएस के मैदान में चल रही चैंपियनशिप में बेंगलूर टीम के कप्तान के. येरेगौड़ा ने टॉस जीतकर पहले बल्ले चलाने का फैसला किया। अपने कप्तान के फैसले को सही साबित करते हुए वी. चेलुराज और एसके जैन की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए १४८ रनों की साङोदारी करके मजबूत नींव रखी। पहले विकेट के रूप में आउट होने वाले जैन ने ८५ गेंदों का सामना किया और सात चौकों के साथ एक छक्के की मदद से ७८ रन बनाए। बेंगलूर की पारी में कप्तान येरेगौड़ा ने ५२ गेंदों का सामना करके ३० रनों की पारी खेली। इसमें दो चौके शामिल हैं। सबसे बड़ी पारी खेलने का काम चेलुराज ने किया। उन्होंने १४० गेंदों का सामना करते हुए ८ चौकों और एक छक्के की मदद से १२२ रन बनाए। चेलुराज के शतक की मदद से ही बेंगलूर ने २७४ रनों का स्कोर खड़ा किया। यह स्कोर अब तक का चैंपियनशिप में सबसे बड़ा स्कोर है। चेन्नई के लिए रंजीत ने तीन और पी. प्रशांत ने दो विकेट लिए। २७५ रनों की कठिन चुनौती को पाने का चेन्नई की टीम से पूरा प्रयास किया। उसके दो बल्लेबाजों रोहन प्रेम और रंजीत ने काफी आतिशी हाथ दिखाए। रोहन ने ७० गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से ६९ रन बनाए। ६२ रनों की पारी खेलने वाले रंजीत ने ५३ गेंदों का ही सामना किया और चार छक्के उड़ाने के साथ तीन चौके जड़े। लेकिन इन दो बल्लेबाजों के अलावा और कोई बल्लेबाज कमाल नहीं कर सका जिसके कारण चेन्नई की पारी ४७.४ ओवरों में २४० रनों पर सिमट गई। बेंगलूर के एम. नागराज ने ३५ रन देकर सबसे ज्यादा चार विकेट लिए। इसके अलावा योगेश एवं टीपी पाटिल ने दो-दो विकेट लिए। मैच के अंपायर कुमार नायडु और राजु सोनी तथा मैच रेफरी वासुदेवन थे। स्कोरर सचिन टांक एवं अभिषेक जैन थे। चैंपियनशिप में सोमवार को चेन्नई का मुकाबला पटियाला से होगा। पटियाला की टीम अपने पहले दोनों मैच हार चुकी है।

आईपीएल में खेलकर ही भारतीय टीम निखरी

डेढ़ दशक से रणजी टीम में खेल रहे रेलवे के क्रिकेटर के. येरेगौड़ा का मानना है कि आज भारतीय टीम में जो निखारा आया है उसका सबसे बड़ा कारण आईपीएल है। बकौल येरेगौड़ा भारतीय खिलाड़ी पिछले साल से आईपीएल से जुड़े हैं और इसके बाद टीम धमाकेदार प्रदर्शन कर रही है। आईपीएल में चियर्स गल्र्स के डांस को वे गलत नहीं मानते हैं। यहां पर अखिल भारतीय अंतर जोनल रेलवे क्रिकेट में बेंगलूर की टीम से खेलने आए इस खिलाड़ी ने विशेष बातचीत में कहा कि आईपीएल के दूसरे संस्करण का भारत में न होना दुर्भाग्यजनक है। अगर यह आयोजन भारत में होता तो दर्शकों को ज्यादा मजा आता। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि आईपीएल के आने के बाद आज महेन्द्र सिंह धोनी की सेना जोरदार प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि धोनी आज सबसे सफल कप्तान हो गए हैं। १२ साल से रेलवे टीम की रणजी में कमान संभालने वाले येरेगौड़ा को आईपीएल में चियर्स गल्र्स से डांस करवाने गलत नहीं लगता है। इनका कहना है कि जब मैच के बीच में ब्रेक लिया जाता है तो ऐसे में दर्शक बोर होने लगते हैं यही वजह है कि आयोजकों ने दर्शकों के मंनोरजन के लिए ही ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि इससे खेल को कोई नुकसान नहीं होना है। वे इस बात से इंकार करते हैं कि आईपीएल तीन घंटे का सिनेमा बनकर रह गया है। उनकी नजर में खिलाडिय़ों का बाजार लगाकर उनकी नीलामी करना भी गलत नहीं है।चयन में नहीं होती राजनीति:- रणजी में पिछले १४ से अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी भारतीय टीम में स्थान न बना पाने वाले इस खिलाड़ी का चयनकर्ताओं के प्रति नजरिया सकारात्मक ही है। उनका कहना है कि चयन में कोई राजनीति नहीं होती है। जिस खिलाड़ी में दम रहता है उसका चयन जरूर होता है। उन्होंने कहा कि उनको एक मौका २००२ में तब भारतीय टीम में स्थान बनाने का मिला था जब इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई थी। अभ्यास मैच में मेरा प्रदर्शन इतना दमदार नहीं था कि मुङो भारतीय टीम में स्थान मिल जाता। मोहिन्दर अमरनाथ द्वारा एक समय चयनकर्ताओं को जोकरों का समूह और मनोज प्रभाकर द्वारा लाला कहे जाने के बारे में येरेगौड़ा ने कहा कि यह उन बड़े खिलाडिय़ों का अपना मत था, मेरी नजर में तो चयनकर्ता गलत नहीं है और टीम के चयन में किसी भी तरह का कोटा सिस्टम नहीं चलता है। अगर ऐसा होता तो जरूर मुङो भी स्थान मिल जाता। रणजी में भी हो टी-२०:- आज क्रिकेट में जिस तरह से टी-२० की धूम मची है, उसके कारण अब घरू क्रिकेट में भी इसको शामिल करने की बात होने लगी है। येरेगौड़ा का मानना है कि टी-२० को रणजी में शामिल करने से खिलाडिय़ों का खेल निखरेगा। उन्होंने कहा कि वैसे इस बात की पूरी संभावना है कि अगले सत्र से टी-२० को रणजी में शामिल कर लिया जाएगा। प्रयोग के तौर पर इसका आयोजन रणजी में हो चुका है। क्या टी-२० क्रिकेट को ओलंपिक में स्थान दिलाने का रास्ता दिखाएगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल होने के लिए कम से कम अभी १० साल का समय लगेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनके पास आज तक आईपीएल और आईसीएल का कोई ऑफर नहीं आया है। उन्होंने पूछने पर कहा कि उनके पास आईसीएल का ऑफर आएगा तो भी वे उसमें शामिल होना नहीं चाहेंगे। कर्नाटक सरकार खिलाडिय़ों का पूरा ध्यान रखती है:- एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी कर्नाटक सरकार खिलाडिय़ों का पूरा ध्यान रखती है। खिलाडिय़ों को जहां राज्य का पुरस्कार एकलव्य दिया जाता है, वहीं खिलाडिय़ों को रोजगार दिलाने में भी सरकार पीछे नहीं है। उन्होंने पूछने पर बताया कि रेलवे में रहने के बाद भी उनको कर्नाटक की रणजी टीम की दो बार राहुल द्रविड़ के पहल पर दी गई थी। उन्होंने बताया कि उनकी कप्तानी में श्री द्रविड़ भी खेल चुके हैं। छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षण देने बुलाने पर आऊंगा:- एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है तो समय होने पर जरूर आऊंगा। उन्होंने कहा कि उनका क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद खिलाडिय़ों को तैयार करने का इरादा है। अभी ३७ सालकी उम्र में पूरी तरह से फिट रहने वाले इस खिलाड़ी का कहना है कि उनका एक साल और खेलने का इरादा है। रायपुर के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के बारे में उन्होंने पूछने पर कहा कि इसको देखने का मौका तो नहीं मिला, पर समय रहा तो जरूर देखने जाऊंगा मैंने स्टेडियम की तारीफ सुनी है। रेलवे के मैदान के बारे में उन्होंने कहा कि मैदान काफी अच्छा है और यहां आयोजन भी काफी अच्छा किया गया है। इसके पहले रेलवे के आयोजनों में कहीं भी खिलाडिय़ों पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था जितना रायपुर में दिया जा रहा है।

शनिवार, 28 मार्च 2009

रोहन के बल्ले से निकली जीत

मेट्रो कोलकाता ने रणजी खिलाड़ी रोहन बनर्जी के नाबाद शतक की मदद से बेंगलूर को सात विकेट से मात देकर तीसरी जीत दर्ज की। अखिल भारतीय अंतर जोन रेलवे क्रिकेट में टॉस जीतकर पहले खेलते हुए बेंगलूर ने सलामी बल्लेबाज वी. चेलूराज के नाबाद ९४ रनों की मदद से ८ विकेट पर २२३ रन बनाए। इस चुनौती को कोलकाता ने रोहन के नाबाद शतक की मदद से तीन विकेट खोकर ही प्राप्त कर लिया। चैंपियनशिप में पहला शतक बनाने वाले रोहन मैन ऑफ द मैच रहे। बेंगलूर की टीम से खेल रहे भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी के. येरेगोड़ा अपना जादू नहीं दिखा पाए और महज दो रनों पर ही आउट हो गए। डब्ल्यूआरएस के मैदान में चल रही चैंपियनशिप में बेंगलूर के कप्तान के. येरेगौड़ा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। सलामी बल्लेबाज एम. मुकेश तो खाता खोले बिना ही आउट हो गए, लेकिन इसके बाद वी. चेलुराज और सौहेल मैनेजर की जोड़ी ने दूसरे विकेट के लिए ११५ रनों की साङोदारी की। इस साङोदारी को सौहेल का विकेट लेकर केएच मंडल ने तोड़ा। सौहेल ने ७० गेंदों पर ४६ रन बनाए। इस जोड़ी के टूटने के बाद चेलुराज को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज टिक नहीं पाया। चेलुराज ने नाबाद रहते हुए १४७ गेंदों का सामना करते हुए सात चौकों की मदद से जो ९४ रन बनाए उसी की बदौलत बेंगलूर की टीम ने ८ विकेट पर २२३ रनों का स्कोर खड़ा किया। २२४ रनों की चुनौती के सामने लगातार दो मैच जीत चुकी कोलकाता की पारी का आगाज ए. चक्रवर्ती और एस. सिल की जोड़ी ने किया। यह जोड़ी अपनी टीम के लिए महज २९ रन ही जोड़ सकी। इसके बाद मैदान में आए रोहन बनर्जी ने ए. चक्रवर्ती के साथ मिलकर दूसरे विकेट के १३० रनों की साङोदारी की। इस साङोदारी ने जीत की नींव रखी। दूसरे विकेट के रूप में चक्रवर्ती ७३ बन बनाकर आउट हुए। उन्होंने ९५ गेंदों का सामना करते हुए ८ चौके जड़े। बनर्जी को अपना शतक पूरा करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। जब वे ९८ के स्कोर पर थे और टीम को जीतने के लिए महज सात रनों की जरूरत थी तो विपक्षी टीम ने अपने क्षेत्ररक्षकों को पास बुला लिया था और उनकी रणनीति रोहन को शतक बनाने से रोकने की थी। लेकिन रोहन के साथी ए. नंदी ने सुङाबूङा का परिचय देते हुए उनको मौका दिया और जब मैच जीतने के लिए एक रन बाकी था तो रोहन ने शाट लगाकर जहां अपना शतक पूरा किया, वहीं अपनी टीम को जीत दिला दी। रोहन ने जो शाट लगाया था वह कैच था पर उनको लपकने में बेंगलूर के क्षेत्ररक्षक असफल रहे जिसके कारण रोहन का शतक भी पूरा हुआ और कोलकाता ने मैच भी जीत लिया। रोहन ने १२३ गेंदों का सामना किया और पांच चौके जड़े। मैदान और मेजबानी की तारीफ:- मैच के बाद बेंगलूर के कप्तान अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के. येरेगौड़ा ने जहां यह माना कि उनकी टीम को कम से कम २५० रन बनाने थे, वहीं उन्होंने मैदन के साथ रायपुर की मेजबानी की तारीफ करते हुए कहा कि लग रहा है कि असली मेजबान तो रायपुर ही है। वैसे मैच बिलासपुर में भी हो रहे हैं लेकिन वहां की मेजबानी में दम नहीं है। ऐसी ही बात कोलकाता टीम के कप्तान संजीब सान्याल ने कही। उन्होंने जहां अपनी टीम की लगातार तीसरी जीत पर अपने खिलाडिय़ों के खासकर रोहन बनर्जी की बल्लेबाजी की तारीफ की, वहीं यह भी कहा कि मैच खेलने का मजा तो रायपुर में आ रहा है।
बेंगलूर:- एम. मुकेश का. नंदी बो सान्याल ०० (०७), वी. चेलुराज नाबाद ९४ (१४७), सौहेल मैनेजर का रोहन बो केएच मंडल ४६ (७०), सीके अक्षय का एस. अहमद बो मंडल ०१ (०२), एसपी मंजूनाथ पगबाधा बो सान्याल १० (११), एसके जैन पगबाधा बो मंडल ०५ (०५), पीपी कुलकर्णी बो एस पाकरे ०१ (०९), नागराज का ए. चक्रवर्ती बो ए. नंदी १० (२९), संदीप एच नाबाद २३ (१५), अतिरिक्त ३१। कुल- ८ विकेट पर २२३ रन। विकेट पतन- १-०, २-११५, ३-११७, ४-१३१, ५-१४३, ६-१४८, ७-१५३, ८-१७५। गेंदबाजी- संजीब सान्याल १०-२-३९-२, एनके दास ९-१-४०-०, एस. सिल ३-०-१७-०, एस. पाकरे १०-०-३२-१, केएच मंडल १०-१-४०-४, ए. नंदी ८-१-४३-१। कोलकाता:- ए. चक्रवर्ती पगबाधा बो एसके जैन ७३ (९५), एस. सिल का. चेलुराज बो एम. नागराज १३ (२५), रोहन बनर्जी नाबाद १०० (१२३), केएच मंडल का. चेलुराज बो सौहेल २८ (३५), ए. नंदी नाबाद ०७ (१०), अतिरिक्त ०३। कुल- ४८ ओवरों में तीन विकेट पर २२४ रन। विकेट पतन- १-२९, २-१५९, ३-२१४। गेंदबाजी- मनोज ७-१-३२-१, नागराज ६-०-३३-१, संदीप ५-०-२१-०, सौहेल ७-१-३०-१, सीके अक्षय ८-०-४३-०, पी. कुलकर्णी १०-०-४३-०, एसके जैन ५-०-२२-१।

शुक्रवार, 27 मार्च 2009

आईपीएल का खेल -भारत में फेल

इंडियन प्रीमियर लीग का दूसरा संस्करण काफी विवादों के बाद अब जाकर द. अफ्रीका की सरजमीं पर होने जा रहा है। आईपीएल के आयोजकों के साथ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगाया कि यह आयोजन अपने देश में ही हो, लेकिन इसका क्या किया जाए कि देश में इस समय होने वाले लोकसभा चुनाव के कारण यह संभव नहीं है। इसमें कोई दो मत नहीं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में पहले क्रिकेट नहीं बल्कि पहले देश है। भले भारत में क्रिकेट को पूजा जाता है, और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी के दीवाने उनको भगवान मानकर उनका मंदिर बनवा देते हैं। लेकिन इसका यह कताई मतलब नहीं होता है कि सुरक्षा को ताक में रखकर आयोजन किया जाए और वो भी ऐसे समय में जबकि चुनाव का समय है और चुनाव देश के लिए क्रिकेट से कहीं ज्यादा जरूरी है। वैसे यह बात आईपीएल के आयोजक भी पहले से जानते थे कि अप्रैल से मई के बीच में चुनाव होने हैं और चुनाव के समय क्रिकेटरों को सुरक्षा उपलल्ध करवा पाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। आईपीएल को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना सांघने का कोई मौका नहीं छोड़ा। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो खिलाडिय़ों को सुरक्षा देने की गारंटी ले ली। लेकिन क्या महज उनकी गारंटी पर आईपीएल का आयोजन संभव था। वैसे भी देखा जाए तो आईपीएल से खिलाडिय़ों के अलावा किसी का भला नहीं हो रहा है। यह तो महज तीन घंटे के सिनेमा से ज्यादा कुछ नहीं है जिसमें नाच-गाने के मसाले से लेकर गेंद और बल्ले चलाने का रोमांच दर्शकों के सामने परोसा जाता है। अब इसके भारत में होने न होने से किसी को ज्यादा फर्क पडऩे वाला नहीं है। भारतीय दर्शक सिर्फ सीधे मैच देखने से ही वंचित रहेंगे, बाकी टीवी पर मैच देखने वाले तो मैच देखने का काम जरूर करेंगे।
आईपीएल के पहले संस्करण के जोरदार सफल होने के बाद आईपीएल के दूसरे संस्करण का जब आयोजन करने का फैसला आयोजकों ने किया था तब उनको नहीं मालूम था कि इस आयोजन से पहले ऐसा कुछ हो जाएगा जिससे उनका यह आयोजन भारत में खटाई में पड़ जाएगा। संभवत: ऐसा होता भी नहीं। लेकिन एक तो भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव ने आईपीएल का रास्ता रोका, फिर सवाल यह खड़ा हुआ कि क्या लोकसभा चुनाव के समय खिलाडिय़ों को वैसी सुरक्षा दी जा सकती है जैसी जरूरी है। खिलाडिय़ों को ज्यादा सुरक्षा देने की जरूरत इसलिए आन पड़ी क्योंकि आईपीएल के आयोजन से ठीक पहले पाकिस्तान में जिस तरह से लंकाई खिलाडिय़ों पर आतंकी हमला हुआ उस हमले के बाद यह बात तय हो गई कि आईपीएल का आयोजन बिना कड़ी सुरक्षा के संभव नहीं है। ऐसे में आयोजकों ने पूरा प्रयास किया कि सरकार उनको सुरक्षा देने का काम करे। केन्द्रीय गृहमंत्रालय के कहने पर आयोजकों ने दो बार कार्यक्रम में फेरबदल किया, लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में आयोजकों ने मजबूरी में इसका आयोजन द. अफ्रीका या फिर इंग्लैंड में करने का फैसला किया। आईपीएल के प्रस्ताव पर द. अफ्रीका ने मेजबानी में बाजी मार ली। काफी कम समय में अफ्रीका ने आयोजन का जिम्मा ले लिया। जब आईपीएल को देश के बाहर ले जाने का फैसला किया गया था, उस समय ऐसा माना जा रहा था कि आयोजक सरकार को डराने का काम कर रहे हैं और सरकार को अंत में इसलिए झूकना पड़ेगा क्योंकि आगे लोकसभा चुनाव हैं और ऐसे में क्रिकेट को सुरक्षा न दे पाने का एक मुद्दा भाजपा को मिल जाएगा। भाजपा के नेताओं ने इस बात को जोर-शोर से उछालने का काम भी किया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो केन्द्र सरकार को कोसते हुए खिलाडिय़ों को सुरक्षा देने की गांरटी लेने की बात कह दी। अब यह बात अलग है कि मोदी जी अपने राज्य में आतंकी हमलों को नहीं रोक पाए थे और वे खिलाडिय़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कह रहे हैं। ऐसी खोखली राजनीति किस काम की। क्या वास्तव में श्री मोदी ऐसी कोई ठोस बात कह सके जिससे उनकी बात पर भरोसा किया जाता। श्री मोदी को देश से ज्यादा क्रिकेट की इतनी ही चिंता थी तो उनको आईपीएल का सारा आयोजन गुजरात में करवाने के लिए आईपीएल के आयोजकों को तैयार कर लेना था। वैसे देखा जाए तो आईपीएल को लेकर भाजपा ने राजनीति करने का कोई मौका नहीं गंवाया। भाजपा नेताओं ने अपने पासे फेंककर केन्द्र सरकार को बोल्ड करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन तारीफ करनी होगी गृहमंत्री पी. चिंदबरम की जिन्होंने देश से ज्यादा महत्व क्रिकेट को नहीं दिया। माना कि भारत में क्रिकेट को पूजने की हद तक चाहा जाता है और लोग यहां पर सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी की मूर्ति लगाकर मंदिर बना लेते हैं, लेकिन इन सब बातों के कारण सुरक्षा को तो ताक पर नहीं रखा जा सकता है न। अगर खिलाडिय़ों को कम सुरक्षा देकर आयोजन को मंजूरी दे दी जाती और पाकिस्तान जैसी घटना हो जाती तो इसका जवाबदार कौन होता? तब आज वहीं लोग सरकार को कोसने का काम करते जो आयोजन के लिए सुरक्षा न देने पर सवाल उठा रहे हैं। यह अपने आप में समझने वाली बात है कि जब विश्व के सबसे बड़े लोकतांंत्रिक देश में चुनाव हो रहे हैं तो उस चुनाव के लिए सुरक्षा के इंतजाम ज्यादा जरूरी है या फिर क्रिकेट के लिए सुरक्षा देना ज्यादा जरूरी है। और वो भी एक ऐसे क्रिकेट के आयोजन के लिए जो तीन घंटे के सी क्लास के सिनेमा से ज्यादा कुछ नहीं है। अगर यहां पर कोई विश्व कप की बात होती को एक बात समझ आती की विश्व कप तो पहले से तय था ऐसे में उसके लिए सुरक्षा के इंतजाम जरूरी है। लेकिन आईपीएल को कोई मजबूरी नहीं है। अगर वास्तव में गंभीरता से देखा जाए तो आईपीएल के आयोजन से खेल का क्या भला हो रहा है। इस आयोजन से आयोजन करने वालों के साथ खिलाडिय़ों पर ही पैसे बरसे रहे हैं। आम जनों की तो जेबें खाली हो रही हैं। आईपीएल के पहले संस्करण में यह बात का खुलकर सामने आई कि क्रिकेट में फिल्मी सितारों की घुसपैठ के कारण क्रिकेट एक तरह से बर्बादी की तरफ जा रहा है। मैचों के आयोजन के बीच में कम कपड़ों वाली चियर्स गल्र्स को रखकर आयोजक दर्शकों को कौन का खेल दिखाना चाहते हैं यह तो वहीं बता सकते हैं। ऐसे सिनेमा को अगर वास्तव में अगर गृह मंत्रालय में सुरक्षा के लिहाज से मंजूरी न देने का काम किया गया है तो इसके लिए गृह मंत्रालय साधुवाद का पात्र है। हो सकता है कि यह बात क्रिकेट के चाहने वालों को अच्छी न लगे। लेकिन क्रिकेट के चाहने वाले भी भारत के नागरिक पहले हैं। ऐसे में उनको पहले देश हित का ध्यान रखना चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं कि किसी भी देश के लिए चुनाव ज्यादा जरूरी होते हैं न की क्रिकेट जैसा कोई आयोजन। क्रिकेट को साल भर चलते रहता है और चलता रहेगा, लेकिन चुनाव तो पांच साल में एक बार होने हैं और जनता को अपना मत देना है।
आईपीएल के भारत में न होने से जरूर दर्शकों में निराशा होगी लेकिन देश के नागरिक यह बात अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अगर सुरक्षा के अभाव में उनके किसी चहेते क्रिकेटर को कुछ हो जाता तो क्या होता। इसमें कोई दो मत नहीं कि आतंकवाद को लगातार बढ़ावा देने वाला अपना पड़ोसी देश भी इस ताक में रहा होगा कि आईपीएल का आयोजन कम सुरक्षा के बीच भारत में हो और उस पर आतंकी हमला कर दिया जाए। ऐसा होने की कल्पना करके ही क्रिकेट प्रेमी समझ सकते हैं कि आईपीएल को भारत में मंजूरी न देना एक अच्छा फैसला रहा है। गृह मंत्रालय ने एक तरह से पाक के मंसूबों पर भी पानी फेरा है।

कोलकाता की दूसरी जीत

अखिल भारतीय अंतर जोन रेलवे क्रिकेट में मेट्रो कोलकाता ने अपना विजय अभियान जारी रखते हुए पटियाला को ९ विकेट से मात देकर दूसरी जीत दर्ज की। अब कोलकाता का सामना शुक्रवार को बेंगलूर की टीम से होगा। मैच में कोलकाता की टीम ने पहले पटियाला को मैन ऑफ द मैच केएच मंडल की घातक गेंदबाजी की मदद से महज ७७ रनों पर समेट दिया। इसके बाद ए. नंदी के ४१ रनों के साथ ए. चक्रवर्ती के २६ रनों के सहयोग से १३वें ओवर में ही मैच जीत लिया।
डब्ल्यूआरएस के रेलवे मैदान में पहले खेलने उतरी पटियाला की टीम के बल्लेबाज पहले मैच की तरह ही नहीं जम पाए और एक-एक करके आउट होते गए। इस मैच में पटियाला के बल्लेबाजों ने सिर्फ इतना किया कि ३५वें ओवर तक मैदान में डटे रहे, लेकिन रन महज ७७ ही बना सके। दो बल्लेबाज रवि चावला (१४) और संजय कुमार (१९) ही दहाई के आंकड़े तक पहुंचे। रवि ने तो ८० गेंदों का सामना किया। संजय ने १९ रन बनाने के लिए ३१ गेंदें खेलीं। कोलकाता के लिए केएच मंडल ने ३.२ ओवरों में ९ रन देकर चार विकेट लिए और मैन ऑफ मैच रहे। एस. पाकरे ने भी विकेट लिए और १५ रन खर्च किए।
७८ रनों के आसान से लक्ष्य के सामने कोलकाता की पारी का आगाज ए. चक्रवर्ती और ए. नंदी ने किया। इस सलामी जोड़ी ने ३७ मिनट में ५० गेंदों का सामना करके ४४ रन जोड़े। इस जोड़ी को तोडऩे का काम ए. चक्रवर्ती का विकेट लेकर नरेन्द्र ने किया। इसके बाद ए. नंदी ने ए. सिकदर का साथ लेकर अपनी टीम को १३वें ओवर में ही जीत दिला दी। ए. नंदी ने ४० गेंदों पर ८ चौकों की मदद से ४१ रन बनाए। ए. सिकदर ने पांच रन बनाए। मैच के अंपायर वासुदेव प्रसाद, विजय प्रसाद और मैच रेफरी एमवीआर कुमार नायडु तथा स्कोरर सचिन टांक और अभिषेक जैन थे।
चैंपियनशिप में रोज मैन ऑफ मैच को जहां एक चांदी का स्मृित चिंह दिया जा रहा है, वहीं पांच सौ रुपए की नगद राशि ही भी दी जा रही है। इसके अलावा एक टी-शर्ट भी दी जा रही है। मैन ऑफ मैच के सारे पुरस्कार के प्रायोजक क्रिकेट खिलाड़ी प्रवीण सुराना और राजीव सोनी हैं।
पटियाला:- इन्द्रजीत बो एनके दास ०९ (०६), शिवशंकर प्रसाद बो संजीब सान्याल ०५ (११), रवि चावला बो. एस पाकरे १४ (८०), दिलीप यादव का. ए. सिकद बो एस. पाकरे ०४ (१३), संजय कुमार का ए. चक्रवर्ती बो एस. पाकरे १९ (३१), जसपाल सिंग पगबाधा बो केएच मंडल ०३ (३२), रौशन लाल पगबाधा बो केएच मंडल ०७ (१६), किरण कुमार (रन आउट-रोहन), ०५ (०८), नरेन्द्र का एनकेदा बो केएच मंडल ०० (०४), अकबर खान का. संजीब बो केएच मंडल ०४ (०२), सुखविंदर नाबाद ०१ (०३), अतिरिक्त ०३। कुल ३४.२ ओवरों में ७७ रन।
विकेट पतन- १-९, २-१६, ३-३१, ४-५५, ५-५७, ६-६१, ७-६७, ८-७०, ९-७५, १०-७७।
गेंदबाजी- केएच मंडल ३.२-०-०९-०४, संजीब सान्याल ६-३-१९-१, एनकेदास ५-०-६-१, एस. पाकरे १०-३-१५-३।
कोलकाता :- ए. चक्रवर्ती क जसविंदर बो नरेन्द्र २६ (२३), ए. नंदी नाबाद ४१ (४०), ए. सिकदर नाबाद ०५ (०९)। कुल १२.३ ओवरों में एक विकेट पर ८० रन। विकेट पतन- १-४४। गेंदबाजी- किरण कुमार ४-१-२९-०, सुखविंदर ३-०-७-०, रौशन लाल २-०-९-०, नरेन्द्र २.३-०-३४-१, दिलीप यादव १-०-१-०।

पवन धनगर ने दो स्वर्ण पदक जीते

राष्ट्रीय वेटरन चैंपियनशिप में राजधानी रायपुर के पवन धनगर ने दो स्वर्ण पदक जीते। छत्तीसगढ़ के खाते में पांच स्वर्ण के साथ 6 रजत और 8 कांस्य पदक भी आए। राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन हिसार में 19 से 22 मार्च तक किया गया। इस चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ के सौ से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और 19 पदक जीते। रायपुर के पवन धनगर ने 45 साल से ज्यादा के वर्ग में 5000 मीटर के साथ 10,000 मीटर में भी स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा शिव कुमार ने तवां फेंक और हैमर थ्रो में स्वर्ण पदक गोला फेंक में रजत पदक, दलजीत सिंह ने 300 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण, 800 मीटर में कांस्य, टीएम पिल्लई ने भाला फेंक में रजत, रमेश सिंह ने 800 मीटर तथा 1500 मीटर दौड़ में रजत,रमेश यादव ने भाला फेंक में रजत, बीएल राय ने त्रिकूद में रजत, टेकराम साहू ने 800 मीटर में कांस्य, सरदूल सिंह हैमर थ्रो ने कांस्य, एस. चांद ने 300 मीटर बाधा दौड़ में एवं लंबी कूद में कांस्य जीता। इसी के साथ छत्तीसगढ़ की चौकड़ी लल्ला यादव, बीआर साहू, योगेश यादव एवं रोहित साहू ने 400 गुणा 400 मीटर में कांस्य पदक जीता। छत्तीसगढ़ की टीम ने एम. रफीक एवं पवन धनगर के नेतृत्व में भाग लिया।

छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी भारतीय टीम से खेलेंगे

पहले एशियन मार्शल आर्ट खेलों में होने वाली म्यू-थाई चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी भारतीय टीम से खेलेंगे। इसी के साथ चैंपियनशिप में भारतीय अधिकारियों के दल में छत्तीसगढ़ के दो अधिकारियों को शामिल किया गया है। थाईलैंड में 25 अप्रैल से 3 मई तक मार्शल आर्ट के खेलों का मेला लग रहा है। इस मेले में म्यू-थाई भी शामिल है। चैंपियनशिप में भारत का जो दल भाग लेगा उस दल में छत्तीसगढ़ के दुर्ग के षभ हिरवानी, नागेश्वर साहू और हरबंश कौर खिलाड़ी के रूप में तथा लखन साहू और अनीस मेमन अधिकारी के रूप में शामिल होंगे।

मंगलवार, 24 मार्च 2009

आईपीएल के बाहर जाने से भारत के दर्शक निराश होंगे

आईपीएल के लिए रायल चैलेंजर्स की संभावित टीम में स्थान बनाने वाले जयपुर के शैलेन्द्र गहलोत का कहना है कि यह बात तो तय है कि अगर आईपीएल का यह संस्करण देश के बाहर जाता है तो इससे भारत के दर्शक जरूर निराश होंगे। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों का क्या है उनको जहां खेलने के लिए कहा जाता है खेल लेते हैं। आईपीएल की रायल टीम में चयन के बारे में उन्होंने बताया कि जब वे जयपुर लीग में खेल रहे थे तो वहां पर रायल टीम के डेरेन बेरी आए थे। उन्होंने ही मेरी गेंदबाजी से प्रभावित होकर ट्रायल में बुलाया था और अब ट्रायल के बाद संभावितों में मेरा नाम है। उन्होंने कहा कि अंतिम टीम का फैसला अभी नहीं किया गया है। शैलेन्द्र ने पूछने पर बताया कि वे राजस्थान की रणजी टीम से खेलते हैं और इस साल के सत्र में उन्होंने पिछले माह की चार मैचों में सबसे ज्यादा 10 विकेट लिए हैं। इन विकेटों में मप्र और विदर्भ के खिलाफ 4-4 विकेट और इंडियन रेलवे और उप्र के खिलाफ 1-1 विकेट शामिल है। एक सवाल के जवाब में शैलेन्द्र ने कहा कि वास्तव में अगर रणजी में भी ट्वंटी-20 को शामिल कर लिया जो तो इसके रोमांच में इजाफा हो जाएगा।

रणजी में भी हो ट्वंटी-20

इंडियन प्रीमियर लीग के लिए विजय माल्या की रायल चैलेंजर्स टीम के संभावितों में स्थान बनाने वाले राजस्थान के रणजी खिलाड़ी राजेश विश्नोई का मानना है कि रणजी को रोमांचक बनाने के लिए अब उसमें भी ट्वंटी-20 का प्रारंभ करना चाहिए। आज पूरे विश्व में ट्वंटी -20 का ही जलवा है। यहां पर अखिल भारतीय रेलवे क्रिकेट में खेलने आए राजेश ने विशेष बातचीत में कहा कि आईपीएल का देश से बाहर जाना है तो दुर्भाग्यजनक पर सुरक्षा का सवाल है तो क्या किया जा सकता है। उन्होंने पूछने पर बताया कि उनको आईपीएल की रायल चैलेंजर्स टीम के संभावितों में रखा गया है। उन्होंने बताया कि वे इसके ट्रायल में गए थे। रणजी में 15 मैच खेल चुके इस खिलाड़ी का कहना है कि रणजी में जबसे वनडे मैच जुड़े हैं इसका रोमांच बढ़ गया है, अब जबकि ट्वंटी-20 का जमाना है तो इसको भी रणजी में जरूर जोडऩा चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले साल जरूर रणजी में ट्वंटी-20 को रखा गया था, लेकिन इसको नियमित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ट्वंटी-20 को रणजी में नियमित कर दिया जाए तो इसके रोमांच में इजाफा हो जाएगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि असली क्रिकेट तो टेस्ट क्रिकेट ही है, पर दर्शकों की मांग के अनुरूप अगर क्रिकेट में बदलाव नहीं होगा तो इसका रोमांच समाप्त हो जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि राजस्थान से काफी कम खिलाड़ी भारतीय टीम में स्थान बना पाए हैं, उन्होंने बताया कि गगन खोड़ा के बाद पंकज सिंह भारत की टीम के साथ आस्ट्रेलिया गए थे। अभी अंडर 19 की टीम में राजस्थान के अशोक मिनारिया है। उन्होंने कहा कि चाहते तो वे भी भारतीय टीम में आना है, लेकिन वहां तक पहुंचने की राह काफी कठिन है। राजेश ने बताया कि वे रणजी के साथ देवधर ट्रॉफी में भी खेल चुके हैं। अभी तो बस आईपीएल की अंतिम एकादश में स्थान बनाने का इंतजार है। उन्होंने रेलवे चैंपियनशिप में अपनी टीम के बारे में कहा कि फिलहाल हमारा मकसद क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का है।

जयपुर की जीत में शैलेन्द्र चमके

अखिल भारतीय अंतर जोन रेलवे क्रिकेट में शैलेन्द्र गहलोत की घातक गेंदबाजी की मदद से जयपुर की टीम ने पटियाला को 10 विकटों से करारी पटकनी देते हुए अपना पहला मैच जीत लिया। जयपुर ने सबसे पहले पटियाला की पारी को महज 80 रनों पर ही समेट दिया। इसके बाद जयपुर की सलामी जोड़ी अभिजीत और किशन चौधरी ने जीत का लक्ष्य महज 9-1 ओवरों में ही प्राप्त कर लिया। पांच विकेट चटकाने वाले रणजी खिलाड़ी शैलेन्द्र गहलोत मैन ऑफ द मैच रहे।
डब्ल्यूआरएस के मैदान पर आज पटियाला की टीम पहले खेलने उतरी। पारी का आगाज करने उतरे एसएस प्रसाद और आई सिंग की जोड़ी अपनी टीम को एक रन की ही शुरुआत दे पाई। अफरोज खान ने प्रसाद को बोल्ड करके अपनी टीम को पहली सफलता दिलाई। इसके बाद तो विकेटों की झड़ी लग गई। पटियाला के दो ही बल्लेबाज दिलीप (11) और रौशन लाल (11) ही दहाई का आंकड़ा पार कर सके। इन दोनों बल्लेबाजों से ज्यादा योगदान तो अतिरिक्त रनों का रहा। अगर जयपुर के गेंदबाजों ने सही लाइन और लेंथ से गेंदबाजी की होती तो 30 अतिरिक्त नहीं मिलते और पटियाला की पारी 50 रनों पर ही सिमट जाती। राजस्थान के रणजी और देवधर ट्रॉफी खिलाड़ी शैलेन्द्र गहलोत ने अपनी टीम जयपुर के लिए महज 25 रन देकर पांच विकेट लिए। 81 रनों की चुनौती के सामने जयपुर की सलामी जोड़ी अभिजीत और किशन चौधरी ने पारी का आगाज किया और काफी आतिशी हाथ दिखाते हुए महज 10वें ओवर में जीत का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। किशन ने महज 36 गेंदों में ही 10 चौकों की मदद से नाबाद 51 रन ठोंक दिए। दूसरे सलामी बल्लेबाज अभिजीत ने 25 गेंदों पर पांच चौकों की मदद से नाबाद 28 रन बनाए। पटियाला का कोई भी गेंदबाज जयपुर की सलामी जोड़ी पर अंकुश नहीं लगा सका। आज के मैच के अंपायर सुधीर वानखेडे और एनवीआर नायडु तथा मैच रेफरी पीएस रावत थे। स्कोकरर अभिषेक जैन और सचिन टांक थे। चैंपियनशिप में बुधवार का विश्राम के बाद गुरुवार को पटियाला का मुकाबला मेट्रो कोलकाता की उस टीम से होगा जिसने पहले मैच में चेन्नई की टीम को मात दी थी। पटियाला- एसएस प्रसाद बोल्ड अफरोज खान 00 (07), आई सिंग बोल्ड अफरोज खान 01 (01), रवि सी बोल्ड शैलेन्द्र गहलोत 09 (54), दिलीप का अफरोज बो किशन 11 (37), संजय कुमार का अफरोज बो शमशेर 06 (11), जसपाल सिंग बोल्ड शैलेन्द्र गहलोत 01 (09), रौशन लाल बोल्ड शैलेन्द्र गहलोत 18 (10), किरण कुमार का राजेश बो शमशेर 04 (08), नरेन्द्र सिंग बोल्ड शैलेन्द्र गहलोत 00 (03), अकबर खान का विनोद बो बोल्ड शैलेन्द्र गहलोत 00 (09), सुखविंदर सिंग नाबाद 00, अतिरिक्त 30। कुल- 24.4 ओवरों में 80 रन। विकेट पतन- 1-1, 2-12, 3-42, 4-54, 5-56, 6-75, 7-76, 8-76, 9-80, 1--80। ग़ेंदबाजी- शैलेन्द्र गहलोत 8.4-3-25-5, शमशेर 5-0-11-2, अफरोज खान 5-0-13-2, किशन चौधरी 6-1-11-1। जयपुर- अभिजीत नाबाद 28 (25), किशन चौधरी नाबाद 51 (36), अतिरिक्त 03। कुल 9.1 ओवरों में बिना विकेट खोए 82 रन। गेंदबाजी- किरन कुमार 4-0-37-0, सुखविंदर 2-0-09-0, रौशन लाल 2-0-18-0, संजय 1-0-10-0, दिलीप 1-0-04-1।

आईपीएल जरूरी है देश के बाहर कराना मजबूरी है

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के पहले संस्करण में खेलने वाले कोलकाता के रणजी खिलाड़ी रोहन बनर्जी का कहना है कि आईपीएल तो जरूरी है। इसका आयोजन तो होना ही है अब यह बात अलग है कि सुरक्षा कारणों से इसका आयोजन बाहर करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यहां पर अखिल भारतीय रेलवे क्रिकेट में खेलने आए इस खिलाड़ी ने विशेष बातचीत में कहा कि आईपीएल के कारण ही हम जैसे खिलाडिय़ों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आईपीएल का आयोजन तो हर हाल में होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि अब आयोजन को सुरक्षा नहीं मिल पा रही है तो इसको देश के बाहर ले जाना आयोजकों की मजबूरी बन गई है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि आईपीएल के बाहर जाने के कारण देश के खेल प्रेमियों को निराशा होगी, लेकिन इसका और कोई चारा नहीं है। आईपीएल को निर्धारित समय में करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसमें खेलने वाले देशी-विदेशी खिलाडिय़ों का कार्यक्रम पहले से तय है, अगर मैचों के कार्यक्रम में बदलाव किया गया तो मैच होने संभव नहीं है। गांगुली की टीम में शामिल होना गौरव की बात:- एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि वे आईपीएल के पहले संस्करण में सौरभ गांगुली की कप्तानी वाली शाहरूख खान की नाइट राइटर की टीम में थे। उन्होंने पूछने पर बताया कि उनको कोई मैच खेलने का मौका तो टीम में शामिल दिग्गज खिलाडिय़ों के कारण नहीं मिला, लेकिन मुङो सौरभ गांगुली के साथ टीम के अन्य खिलाडिय़ों रिकी पोंटिंग, डेविड हसी, मैकुअल, इशांत शर्मा के साथ टीम के कोच जान बुकनान से काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने बताया कि वे बंगाल की रणजी टीम में पहली बार पिछले सत्र में खेले हैं। इस सत्र में उन्होंने ५ मैचों में २४८ रन बनाए। पहले ही मैच में उन्होंने सलामी बल्लेबाज के रूप में १७६ रनों की पारी सर्विसेज की टीम के खिलाफ खेली। आगे के मैचों में उनका बल्ला ज्यादा तो नहीं चला, पर वे अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं और इस साल रणजी मैचों का उनको इंतजार है। इसी के साथ आईपीएल के दूसरे संस्करण में भी वे टीम में स्थान बनाना चाहते हंै। इस समय उनका नाम २८ खिलाडिय़ों की सूची में है, इनमें से १८ का ही चयन होगा।

मेट्रो कोलकाता ने चेन्नई को ६१ रनों से हराया

अखिल भारतीय अंतर जोनल रेलवे क्रिकेट के पहले मैच में मेट्रो कोलकाता ने के। मजूमदार के आतिशी ८२ रनों के साथ ही सलामी बल्लेबाजी रोहन बनर्जी के ३८ रनों की मदद से सर्दन रेलवे चेन्नई को ६१ रनों से हरा दिया। टॉस हारने के बाद कोलकाता ने पहले खेलते हुए २१३ रन बनाए। इस आसान से लग रहे लक्ष्य के सामने चेन्नई की टीम ३७.५ ओवरों में १५२ रनों पर ही ढेर हो गई। कोलकाता के केएच मंडल और एस. सांन्याल ने ३-३ विकेट लिए। रायपुर में पहली बार हो रही इस चैंपियनशिप का पहला मैच डब्ल्यू आरएस के रेलवे क्रिकेट मैदान पर खेला गया। इस मैच में टॉस हारने के बाद पहले खेलने उतरी कोलकाता की पारी का आगाज ए. चक्रवर्ती और रोहन बनर्जी की जोड़ी ने किया। यह जोड़ी अपनी टीम को २२ रनों की ही साङोदारी दे सकी। चक्रवर्ती के आउट होने के बाद रोहन ने केएच मंडल के साथ स्कोर को ७८ तक पहुंचाया। यहां पर मंडल को के श्रीनिवासन ने ही आउट किया। पहला विकेट भी उन्होंने लिया था। तीसरा विकेट भी श्रीनिवासन ने चटकाया और रोहन को हरिराज के हाथों कैच करवा दिया। रोहन ने आउट होने से पहले ४९ गेंदों पर चार चौकों की मदद से ३८ रन बनाए। कोलकाता की तरफ से कोई बड़ी साङोदारी तो नहीं हुई, पर के मजूमदार के बल्ले ने जरूर आतिशी हाथ दिखाए। उन्होंने ९७ गेंदों पर दो छक्कों के साथ पांच चौकों की मदद से जो ८२ रनों की पारी खेली उसी की बदौलत कोलकाता की टीम ने निर्धारित ५० ओवरों में २१३ रन बनाए। के. श्रीनिवासन और पी. प्रशांत ने ३-३ विकेट लिए। जीत के लिए मिले २१४ रनों के लक्ष्य के लिए चेन्नई को पी. प्रशांत और बेंजराज की सलामी जोड़ी ने ४६ रनों की अच्छी शुरुआत दी। इस जोड़ी के टूटने के बाद दो और विकेट जल्द गिर गए। ७७ रनों पर तीन विकेट के बाद पी. प्रशांत और हरिराज की जोड़ी ने ५० रनों की साङोदारी की। इस जोड़ी के टूटने के बाद चेन्नई की पारी ढह गई और पूरी टीम ३७.५ ओवरों में १५२ पर सिमट गई। चेन्नई के लिए हरिराज ने सबसे ज्यादा ४५ रन ४६ गेंदों पर ८ चौकों की मदद से बनाए। इसके अलावा पी. प्रशांत ने ३७ गेंदों पर ३९ रनों की पारी खेली। इसमें सात चौके और एक छक्का शामिल हैं। कोलकाता के लिए एस. सांन्याल और केएच मंडल ने ३-३ विकेट लिए। ए. सिल को दो विकेट मिले। मैच के अंपायर प्रहलाद रावत और सुधीर वानखेड़े थे। मैच रेफरी एनवीआर कुमार नायक और स्कोरर अभिषेक जैन तथा सचिन टांक थे। चैंपियनशिप में मंगलवार को सुबह ९ बजे से डीएमडब्ल्यब पटियाला और एनडब्ल्यूआर जयपुरके बीच मैच होगा। स्कोरबोर्ड मेट्रो कोलकाता:- ए. चक्रवर्ती का. कादर बो. के श्रीनिवासन ०८ (१३), रोहन बनर्जी का. हरिराज बो. के श्रीनिवासन ३८ (४९), केएच मंडल पगबाधा बो. के श्रीनिवासन २३ (३७), के मजुमदार का. प्रभु बा. ए. रंजीत ८२ (९७), एस. अहमद बोल्ड पी. प्रशांत १२ (२६), संजीव सांन्याल बो. पी. प्रशांत ०३ (०९), एस. सिल बो. पी. प्रशांत १० (२२), ए. नंदी का. रंजीत बो. आर दिनेश १५ (२८), अभिजीत बोल्ड आर. दिनेश ०१ (०२), एस. पाकरे स्टम्प बो. रंजीत ०१ (०४) एनके दास नाबाद ००। कुल योग ४८.१ ओवर में २१३ रन। विकेट पतन- १-२२ (ए. चक्रवर्ती), २-७८ (मंडल), ३-८२, (रोहन बनर्जी), ४-११३ (एस. अहमद), ५-१२० (सांन्याल), ६-१४८ (एस. सिल), ७-२०१ (ए. मजूमदार), ८-२१० (एं. नदी) ९- २१३ (अभिजीत), १०-२१३(ए. पाकरे)। गेंदबाजी - एमएस प्रभु ७-०-३४-०, के. श्रीनिवासन १०-१-४५-३, पी. प्रशांत १०-२-२६-३, आर दिनश ७.१-०-३२-२। सर्दन रेलवे चेन्नई: पी. प्रशांत बो. एनके दास ३९ (३७), बेंजराज का. मजूमदार बो एस. सिल १८ (३४), उमापति का. सांन्याल बो. एस. सिल०४ (०४), पी. हरिराज पगबाधा बो. एस. सांन्याल ४५ (४६), रोहन पगबाधा बो. केएच मंडल १९ (३१), रंजीत का. सांन्याल बो. केएच मंडल ०७(२२), कादर बासा का. अहमद बो. केएच मंडल १० (२४), पी. मुनु स्वामी स्टम्प ए. सिकदर बो. ए. नंदी ०१(१३), आर. दिनेश पगबाधा बो. एस. सांन्याल ०१ (०२), एमएस प्रभु पगबाधा बो. सांन्याल ०१ (०४), के. श्रीनिवासन बो. सांन्याल ००, अतिरिक्त ०७। कुल योग ३७.५ ओवरों में १५२ रन। विकेट पतन- १-४६ (प्रशांत), २- ५५ (उमापति, ३-७७ (बेंजराज), ४-१२७ (हरराज), ५-१२९ (रोहन), ६-१४५ (रंजीत), ७-१४७ (मुनु स्वामी), ८-१५० (कादर), ९- १५२ (प्रभु), १०-१५२ (श्रीनिवासन)। गेंदबाजी- एस. सांन्याल ८.५-०-३७-३, एनके दास ८-१-३५-१, एस. सिल ४-१-२३-२, एस. पाकरे ७-०-२२-०, केएच मंडल ६-०-२०-३, ए. नंदी ४-०-१३-१।

सोमवार, 23 मार्च 2009

टूटी आस- सब निराश

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का आयोजन भारत से बाहर जाने की वजह से रायपुर को भी मैचों की मेजबानी से वंचित होना पड़ा है। इस खबर के आते ही छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के सभी पदाधकारियों के साथ प्रदेश के सभी खेल प्रेमियों में निराशा छा गई है। लेकिन इसी के साथ एक बात यह अच्छी हुई है कि जहां रायपुर का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के साथ आईपीएल की नजर में आ गया है, वहीं इस बात की संभावना बढ़ गई है अब रायपुर को निकट भविष्य में कभी भी अंतरराष्ट्रीय मैच मिल सकता है। रविवार के दिन जब लोग इस उम्मीद में बैठे थे कि आज आईपीएल के मैचों की मेजबानी का फैसला हो जाएगा और यह मालूम हो जाएगा कि छत्तीसगढ़ की जमीं पर कौन-कौन से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अपने बल्लों का जलवा दिखाने आ रहे हैं तब ऐसे में अचानक यह दुखद खबर आई कि आईपीएल का आयोजन ही भारत में नहीं होगा और इस आयोजन को आयोजकों ने देश से बाहर करने का फैसला कर लिया है। यह फैसला सुरक्षा कारणों से किया गया है। इस खबर के आते ही सभी तरफ निराशा का माहौल हो गया है। न हो निराश-पूरी होगी आस:- छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के ज्यादातर पदाधिकारी यूं तो निराश हैं, लेकिन इसके बाद भी उनके मन में एक आस है कि चलो इस बार नहीं तो अगली बार जरूर सफलता मिल जाएगी। संघ के सचिव राजेश दवे ने कहा कि आईपीएल का भारत में न होना दुर्भाग्यजनक है। पूरे प्रदेश में एक अच्छा माहौल बन गया था, और सभी चाह रहे थे कि यहां ज्यादा से ज्यादा मैच हों। उन्होंने कहा कि रायपुर में मैच न हो पाना निराशाजनक तो है, लेकिन इसी के साथ एक बात यह अच्छी है कि आज कम से कम रायपुर का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बीसीसीआई के साथ आईपीएल की नजर में आ गया है। इसी के साथ हमारे संघ को भी यह मालूम हो गया है कि अंतरराष्ट्र्रीय मैचों के लिए आईसीसी का पैमाना क्या है। ऐसे में अब उन सारी कमियों को पूरा कर दिया जाएगा जो अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए स्टेडियम में हैं। वैसे भी इन कमियों को पूरा करने का प्रयास युद्ध स्तर पर चल ही रहा है। पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर और तकनीकी कमेटी से जुड़े गिरीधरन ने कहा कि आईपीएल का भारत से बाहर जाना पूरे देश के खेल प्र्रेमियों के लिए निराशा का विषय है। रायपुर के लिए भी यह निराशाजनक है, लेकिन इसका एक सुखद पहलू यह भी है कि रायपुर का स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय नक्शे में आ गया है। ऐसे में जब भी किसी देश की टीम भारत के दौरे पर आएगी तो बीसीसीआई से जब मैच मांगा जाएगा तो वह इंकार नहीं करेगा क्योंकि यहां का स्टेडियम कितना अच्छा है यह बीसीसीआई की कमेटी देख चुकी है। उन्होंने कहा कि एक और अच्छी बात यह हुई है कि प्रदेश संघ का उत्साह भी बीसीसीआई की नजर में आया है इससे अब संघ को मान्यता मिलने में जो विलंब हुआ था और जिसके कारण प्रदेश का क्रिकेट चार-पांच साल पीछे चला गया था उसकी भी भरपाई हो जाएगी और रायपुर को बीसीसीआई से रणजी और दिलीप ट्रॉफी के मैच जरूर जल्द मिल जाएंगे। संघ के उपाध्यक्ष राजय सिंह परिहार ने भी कहा कि निराशा तो है, पर निराश होने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि आज नहीं तो कल जरूर रायपुर के स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच होगा। उन्होंने कहा कि अब हमारे संघ को इस बात की सारी जानकारी हो गई है कि अंतरराष्ट्रीय मैच में किस तरह के विकेट और आउटफील्ड की जरूरत होती है। ऐसे में स्टेडियम की सारी कमियों को पूरा कर दिया जाएगा और जल्द से जल्द एक अंतरराष्ट्रीय मैच लेने का प्रयास किया जाएगा। एक और उपाध्यक्ष अवघेष गुप्ता ने कहा कि मैच का न होना दुखद है। संघ ने इसके लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन कोई बात नहीं इस प्रयास को आगे जारी रखा जाएगा और कोई दूसरा मैच लेने का प्रयास करेंगे। संयुक्त सचिव एचपी सिंह नोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के क्रिकटरों का भविष्य संवर जाता। उन्होंने कहा कि मैच होने का फायदा यह मिलता कि छत्तीसगढ़ को बीसीसीआई से स्थाई मान्यता जल्द मिल जाती और यहां की रणजी टीम बन जाती तो प्रदेश के खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिल जाता। खेलों को सुरक्षा न देना निराशाजनक:- प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने आईपीएल को महज सुरक्षा के कारण देश के बाहर ले जाने को गलत बताते हुए कहा कि खेलों को अगर सरकार सुरक्षा नहीं दे पाती है तो यह गलत है ऐसे में तो खेलों का काला अध्याय प्रारंभ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के खेल प्रेमियों में जो एक उत्साह था उस पर पानी फिर गया है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि आईपीएल के मैचों की मेजबानी लेने के प्रयास ने एक बात यह भी साफ कर दी कि बलदेव सिंह भाटिया की अध्यक्षता वाले संघ को बीसीसीआई से मान्यता मिल गई है। प्रदेश संघ को ५० लाख की राशि क्रिकेट के विकास के लिए मिलना भी सुखद है। उन्होंने कहा कि प्रदेश संघ को आगे यह प्रयास करना चाहिए कि जल्द से जल्द कोई अंतरराष्ट्रीय मैच छत्तीसगढ़ को मिल सके ताकि आईपीएल के मैच के न हो पाने की भरपाई हो और प्रदेश के खेल प्रेमियों को एक अंतरराष्ट्रीय मैच देखने का मौका मिल सके। अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को देखने का मौका हाथ से गया:- राजधानी के साथ प्रदेश भर के क्रिकेट प्रेमियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को अपने मैदान पर खेलते देखने का सपना संजोया था लेकिन वह सपना टूट गया जिससे सब निराश है। स्कूल के छात्र मुकेश ठाकुर के साथ प्रदीप महाजन ने कहा कि उनकी इस समय १०वीं की परीक्षा चल रही है। हमने परीक्षा के बाद आईपीएल के मैच देखने की योजना बनाई थी। एक ही परिवार ही सीमा और विमला ठाकुर ने कहा कि उन्होंने तो अपने पूरे परिवार के साथ मैच देखने की योजना बनाई थी। इन बहनों ने बताया कि जहां उनके पापा जहां क्रिकेट के दीवाने हैं, वहीं मम्मी भी कम दीवानी नहीं है। टीवी पर पूरा परिवार एक साथ मैच देखता है। पुरानी बस्ती में रहने वाली एक गृहिणी सीमा चन्द्राकर ने कहा कि उनको जब से मालूम हुआ था कि रायपुर में आईपीएल के मैच होने वाले हैं, तभी से अपने पति से कह दिया था कि जिस दिन मैच होंगे वे अपने आफिस से छुट्टी लेकर उनको मैच दिखाने जरूर ले जाएंगे। खेल शिक्षिका ज्योति बजाज ने बताया कि जब से आईपीएल के मैच की चर्चा चल रही है उनके बेटे ने उनको परेशान कर रखा है कि मम्मी जैसे ही मैच तय होता है आप तुरंत टिकट लेकर रख ले ताकि परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि मैच न होने की खबर से उनके बेटे आदित्य के चेहरे का रंग उड़ गया है। आदित्य ने कहा कि मैच होता तो वे भी अपने मनपसंद क्रिकेटरों को खेलते अपने सामने देख पाते। इसी तरह का हाल हर उस खेल प्रेमी का है जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को छत्तीसगढ़ की जमीं पर देखना का सपना संजोया था। हर खेल प्रेमी के चेहरे पर जहां एक तरफ निराशा है, वहीं इस बात का गुस्सा भी है कि सरकार ने क्यों कर मैचों के लिए सुरक्षा प्रदान नहीं की। अब टीवी का ही सहारा:- रायपुर में मैच न देख पाने की निराशा की बीच कई युवाओं ने एक स्वर में कहा कि अब इसका क्या किया जा सकता है कि रायपुर में क्या देश में ही आईपीएल के मैच नहीं हो रहे हैं। ऐसे में राजेन्द्र डेकाटे, विजय कुमार, अजय साहू, मुश्ताक अली प्रधान, लिंगराज रेड्डी, ए. चौबे, बालाराम साहू, अनुराग दीक्षित, राजेश गुप्ता, उत्तम सोनी, चन्द्रकांत सोनी के साथ कॉलेज की छात्राओं ज्योति सिंह, भावना तिवारी, नीलिमी गेड़ेकर, मंजू लता देवांगन के साथ स्कूली छात्राओं स्वेता शर्मा, चंचल ध्रुव, रागिनी मिश्रा ने एक स्वर में कहा कि अब रायपुर में मैच नहीं हो रहे हैं तो जहां भी आईपीएल के मैचों का आयोजन होगा उसका आनंद उठाने के लिए टीवी पर ही मैच देखना एक मात्र सहारा है।
केन्द्र सरकार पुर्नविचार करे: भाटिया:- छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया का कहना है कि महज सुरक्षा के कारण इंडियन प्रीमियर लीग का भारत में न होना निराशाजनक है। इसके लिए केन्द्र सरकार को एक बार फिर से सोचना चाहिए। आईपीएल क्योंकि भारत का प्रारंभ किया गया आयोजन है और इसमें ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी ही खेलते हैं तो ऐसे में यह आयोजन भारत में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोजन के बाहर जाने से जहां भारतीय खेल प्रेमियों में निराशा है, वहीं देश के राजस्व में भी हानि होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मैच न होने से हर कोई निराश है। उन्होंने कहा कि आगे आईपीएल की भरपाई के लिए हमारा संघ जरूर बीसीसीआई के कोई वनडे मैच या फिर टेस्ट मैच की मेजबानी मांगेगा। उन्होंने कहा कि यह बात तो तय थी कि अगर आईपीएल का आयोजन भारत में होता तो रायपुर में जरूर मैच होते। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई की कमेटी ने रायपुर के स्टेडियम को वैसे भी मैचों के लायक माना था। उन्होंने कहा कि अब चंूकि हमारा संघ अंतरराष्ट्रीय मैचों को लेकर काफी गंभीर है ऐसे में जहां भी आईपीएल का आयोजन होगा वहां छत्तीसगढ़ संघ का एक प्रतिनिधि मंडल जरूर जाएगा ताकि देखा जाए कि अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए क्या जरूरी होता है। सारी बातों की जानकारी होने पर भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मैच लेने में परेशानी नहीं होगी।

रविवार, 22 मार्च 2009

नए स्टेडियम में आईपीएल के मैचों के लिए बन रहीं हैं तीन पिचें

राजधानी के नए स्टेडियम में आईपीएल के मैचों के लिए तीन पिचें तैयार करने का काम जोर-शोर से चल रहा है। इनती पिचें इसलिए तैयार की जा रही हैं क्योंकि यहां पर आईपीएल के कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा चार मैच होने की संभावना है। पिचों को संवारने का काम प्रदेश संघ के विशेषज्ञ बीसीसीआई के दलजीत सिंह से मिले मार्गदर्शन के अनुसार कर रहे हैं। परसदा के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में एक तरफ जहां नागार्जुन कंपनी के इंजीनियर स्टेडियम के बचे काम को पूरा करवाने में जुटे हैं, वही दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ की मैदान कमेटी के विशेषज्ञ राजय सिंह परिहार, अवधेष गुप्ता, शमीम मिर्जा, एचपी सिंह के साथ अंजोर सिंह पिचें तैयार करने का काम कर रहे हैं। यहां पर तीन पिचों को तैयार करने का काम किया जा रहा है। इन पिचों को बनाने के लिए यहां के विशेषज्ञों को बीसीसीआई के आए मैदान कमेटी के प्रमुख दलजीत सिंह ने मार्गदर्शन दिया है। जब बीसीसीआई की कमेटी यहां पर स्टेडियम का निरीक्षण करने के लिए बुधवार को आई थी तो कमेटी द्वारा स्टेडियम का निरीक्षण सुबह कर लिए जाने के बाद आईपीएल के टूर्नामेंट निर्देशक धीरज मल्होत्रा तो शाम को चले गए थे, लेकिन बीसीसीआई की मैदान कमेटी के प्रमुख दलजीत सिंह यहीं रूक गए थे और उन्होंने शाम को फिर से स्टेडियम जाकर जहां पिच का गंभीरता से मुआयना किया, वहीं स्थानीय मैदान कमेटी के सदस्यों की क्लास लेकर उनको बताया कि अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए कैसी पिच चाहिए। अब यहां की कमेटी उनसे मिले मार्गदर्शन के मुताबिक ही पिच तैयार करने का काम कर रही है। यहां पर एक नहीं बल्कि तीन पिचों को तैयार किया जा रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि इस बात की पूरी संभावना है कि रायपुर में आईपीएल का एक नहीं बल्कि कम से कम दो मैच तो होंगे ही। वैसे दिल्ली के रद्द सात मैचों में से चार मैच भी रायपुर के हिस्से में आ सकते हैं। मैच चाहे जितने मिलें लेकिन मैच मिलने की संभावना से ही प्रदेश संघ के पदाधिकारियों के साथ स्टेडियम का निर्माण करने वाली कंपनी के कर्मचारी और प्रदेश की खेल प्रेमी रोमांचित है।

फुटबॉल के गुर सीखने १० से जुटेंगे खिलाड़ी

राजधानी के छोटे-छोटे फुटबॉलर फुटबॉल के गुर सीखने के लिए बेताब हैं और शेरा क्रीड़ा समिति में पंजीयन कराने के लिए आने लगे हैं। इन सभी खिलाड़ियों को 10 अप्रैल से यहां पर सप्रे स्कूल के मैदान में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण शिविर 82 दिनों का होगा जिसमें करीब 150 से ज्यादा खिलाड़ियों के आने की संभावना है। इन खिलाड़ियों में बालक खिलाड़ियॊं के साथ बालिका खिलाड़ी भी शामिल रहेंगी। राजधानी के 34 साल पुराने शेरा क्लब द्वारा रायपुर में सबसे लंबा प्रशिक्षण शिविर लगाने का काम बरसों से किया जा रहा है। इस 82 दिनों के शिविर में रायपुर के खिलाड़ियों को जहां खेल की बारीकियों से अवगत कराया जाता है, वहीं उनकी डाइट का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। खिलाड़ियों की डाइट पर ही करीब 33 हजार रुपए का खर्च किया जाता है। इस बारे में क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि खिलाड़ियों की डाइट के साथ ही खेल के सामान पर 15 हजार, मैदान को ठीक करने पर पांच हजार और अन्य खर्च 5 हजार आ जाता है। कुल मिलाकर करीब 58 हजार का खर्च आता है। यह सारा खर्च क्लब उठाता है और खिलाड़ियों से कोई पैसा नहीं लिया जाता है। खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक भी कोई पैसा नहीं लेते हैं। श्री प्रधान ने पूछने पर बताया कि प्रशिक्षण शिविर में हर वर्ग सब जूनियर, जूनियर और सीनियर खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं। उन्हॊने बताया कि खिलाड़ी अभी से पंजीयन करवाने आने लगे हैं। उन्हॊंने बताया कि पिछले साल के प्रशिक्षण शिविर में 135 खिलाड़ी शामिल हुए थे। इस बार 150 से ज्यादा खिलाड़ियॊं के शामिल होने की संभावना है। इन खिलाड़ियों में बालिका खिलाड़ी भी शामिल रहेंगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि पिछले साल जो खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में आए थे उन खिलाड़ियों में जहां 28 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेले, वहीं 70 खिलाड़ियों ने जिले की टीम में स्थान बनाकर राज्य चैंपियनशिप में खेलने में सफलता प्राप्त की। बकौल मुश्ताक अली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण शिविर में इस तरह से तैयार किया जाता है कि कोई भी नया खिलाड़ी थोड़ी सी मेहनत करके कम से कम जिले की टीम में जगह बना ही सकता है। श्री प्रधान ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर के लिए सप्रे स्कूल के मैदान को तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्लब द्वारा लगाए जाने वाले शिविर में जिला फुटबॉल संघ के साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग की भी मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि शिविर में ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी शामिल हो सकें इसके लिए सभी स्कूल और कॉलेजों में सूचना दी गई है। प्रशिक्षण शिविर सुबह के साथ शाम के सत्र में भी लगाया जाएगा।

शनिवार, 21 मार्च 2009

रायपुर का स्टेडियम एशिया में नंबर दो

राजधानी के नए स्टेडियम की चर्चा अब देश के साथ विदेशों में भी होने लगी है। आईपीएल के मैचों की मेजबानी मांगकर छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने इस स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नक्शे में ला दिया है। इस स्टेडियम की तारीफ यहां आए बीसीसीआई की उस कमेटी के सदस्यों ने भी की जो स्टेडियम निरीक्षण आईपीएल के मैचों की मेजबानी देने के लिए करने आए थे। इन सदस्यों ने भी माना है कि बस थोड़ी सी सुविधाएं और हो जाएं तो यह स्टेडियम एशिया में कोलकाता के ईडन गार्डन के बाद एशिया में नंबर दो हो सकता है। वैसे छमता के हिसाब के तो यह एशिया के नंबर दो मोहाली के स्टेडियम से आगे है। अब जहां तक सुंदरता का सवाल है तो यह किसी मायने में मोहाली से कम नहीं है। राजधानी रायपुर में बने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम पर जब बीसीसीआई की कमेटी के सदस्यों धीरज मल्होत्रा, दलजीत सिंह के साथ दिल्ली क्रिकेट संघ के सचिव सुनील देव के कदम पड़े तो उनको भी नहीं मालूम था कि वे एक ऐसे स्टेडियम का निरीक्षण करने के लिए आए हैं जो वास्तव में एशिया में नंबर दो है। इस स्टेडियम का निरीक्षण करते हुए सभी सदस्य काफी खुश हुए कि छत्तीसगढ ज़ैसे छोटे राज्य में इतना बड़ा स्टेडियम बना है। प्रदेश संघ से जुड़े कुछ पदाधिकारियों ने बताया कि उनको खुद धीरज मल्होत्रा ने यह कहा कि वास्तव में ऐसे स्टेडियम की कल्पना तो उन्होंने नहीं की थी कि ऐसा स्टेडियम रायपुर में हो सकता है। उन्होंने जब यहां का ड्रेसिंग रूम देखा तो आश्चर्य में पड़ गए कि यहां के ड्रेसिंग रूम में सोना बाथ के साथ स्टीम बाथ की सुविधा तो है ही साथ ही यहां पर आईस टप भी है। इसके लावा मसाज बैड और किट बैड स्टैंड भी है। देश में ऐसे काफी कम स्टेडियम हैं जहां पर ड्रेसिंग रूम में ऐसी सुविधा हैं। वैसे अभी ड्रेसिंग रूम को तैयार करने का काम चल रहा है। इसको इस तिरह से निखारा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी यहां आकर इसकी तारीफ किए बिना न रहें। मैदान काफी बड़ा है:- स्टेडियम के मैदान के बारे में प्रदेश संघ के विशेषज्ञों ने बीसीसीआई के सदस्यों को जो जानकारी दी उसके मुताबिक मैदान इतना बड़ा है कि मैच के लिए बाऊंड्री की रेखा खींचने के बाद भी 25 से 30 फीट की जगह बच जाती है। ज्यादातर मैदानों में तो बाऊंड्री को मैदान के अंतिम छोर पर बनाना पड़ता है। लेकिन रायपुर का मैदान 90 यार्ड में बना है। ज्यादातर वनडे मैचों में ज्यादा से ज्यादा 80 यार्ड के अंदर बाऊंड्री बनती है। इसी तरह से 20-20 मैचों में बाऊंड्री की सीमा 65 से 70 यार्ड के अंदर रहती है। इस लिहाज से रायपुर का स्टेडियम काफी बड़ा है। इसके 90 यार्ड में होने की जानकारी होने पर बीसीसीआई के मैदान समिति के प्रमुख दलजीत सिंह भी काफी खुश हुए। उन्होंने मैदान का पूरा चक्कर लगाकर आऊटफील्ड को भी देखा था और इसकी आऊटफील्ड की खुले दिले से तारीफ भी की थी। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि रायपुर स्टेडियम की आऊटफील्ड किसी भी मायने में मोहाली के स्टेडियम से कम नहीं है। सुंदरता के मामले में भी मोहाली से स्टेडियम कम नहीं है। बस इसकी सुंदरता को थोड़ा सा और निखारने की जरूरत है। जहां तक विकेट का सवाल है तो यहां भी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियमों की तरह 9 विकेट हैं जो खेलने के लिए हैं। क्षमता में नंबर दो ही है:- स्टेडियम की जहां तक क्षमता का सवाल है तो यह एशिया में क्षमता के हिसाब से नंबर दो पर है। पहले नंबर के स्टेडियम कोलकाता के ईडन गार्डन की क्षमता जहां एक लाख है, वहीं एशिया में दूसरे नंबर पर माने जाने वाले स्टेडियम मोहाली की क्षमता 60 हजार है। रायपुर के स्टेडियम की क्षमता इस समय 65 हजार है। वैसे विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इस क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर स्टेडियम में प्रथम तल के बाद की गैलरी में अगर कुर्सियां न लगाई जाएं तो इसकी क्षमता 80 हजार से ज्यादा हो सकती है। और अगर किसी भी गैलरी में कुर्सियां न लगाई जाएं तो क्षमता एक लाख से ज्यादा हो सकती है। उल्लेखनीय है कि जब सितंबर में यहां पर स्टेडियम का उद्धाटन हुआ था और एक मैत्री मैच का आयोजन किया गया था तो गैलरियों में कुर्सियां न लगाने के कारण ही स्टेडियम में करीब एक लाख दर्शक आ गए थे। यह इस बात का सबूत है कि वास्तव में गैलरियों को अगर कुर्सियों से मुक्त रखा जाए तो स्टेडियम की क्षमता ईडन गार्डन जितनी हो सकती है। इंतजार है अब अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के जलवे का:- स्टेडियम के साथ प्रदेश के खेल प्रेमियों को अब बस यहां पर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के बल्लें और गेंदों के जलवे का इंतजार है। सबका ऐसा मानना है कि यहां पर मैच जरूर होगा। वैसे तो स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के कदम पड़ चुके हैं, लेकिन तब मैच मैत्री मैच था, लेकिन अब होने वाला मैच एक पेशेवर मैच होगा और इस मैच में रनों की बारिश देखने से कोई वंचित नहीं चाहता है। क्रिकेट का दीवान हर दर्शक बस इस इंतजार में है कि कब यह खबर आए कि रायपुर को आईपीएल के मैच मिल गए हैं और वो तैयारी करें कि उनको मैच देखने जाना है।

गुरुवार, 19 मार्च 2009

ओलंपियन को भी पुरस्कार के लायक नहीं समझता छत्तीसगढ़ का खेल विभाग


छत्तीसगढ़ के खेल विभाग ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि उनकी मनमर्जी के आगे किसी की नहीं चलती है। एक तरफ जहां विभाग ने अपने इस साल के खेल पुरस्कारों में हॉकी के दो खिलाडिय़ों सबा अंजूम और मृणाल चौबे को राज्य के खेल पुरस्कार देकर एक अच्छा काम किया है, वहीं विभाग ने ओलंपिक में खेल चुके छत्तीसगढ़ के सपूत दिवाकर नेताम को पुरस्कार के लायक न मान कर विभाग की सोच के साथ नियमों पर भी प्रश्नचिंह लगा दिया है। ऐसा लगता है कि विभाग जब चाहता है कि इस खिलाड़ी को पुरस्कार मिलना चाहिए तो उसके लिए नियम शीथिल कर दिए जाते हैं और विभाग को लगता है कि इस खिलाड़ी को पुरस्कार नहीं देना है तो उसके सामने नियमों की किताब रख दी जाती है। ऐसा ही दिवाकर के साथ किया गया और उसके सामने पिछले साल नियमों की किताब रख दी गई और अब जबकि सबा अंजूम और मृणाल चौबे को पुरस्कार दिया गया है तो इनके लिए नियमों में शीथिलता लाई गई है।


प्रदेश के खेल विभाग में जब से खेल पुरस्कार देने का सिलसिला प्रारंभ हुआ है तभी से विभाग के ये पुरस्कार विवादों में रहे हैं। वैसे पिछले साल से यह विवाद ज्यादा गहराया है। इस साल नेटबॉल की एक खिलाड़ी को लगातार पुरस्कार देने का गुस्सा जहां खिलाडिय़ों के बीच फूटा, वहीं खेल विभूति सम्मान में चयन को लेकर भी सवाल उठे। इसी साल यह सवाल भी सामने आया कि ओलंपिक में खेलने वाले छत्तीसगढ़ के एक मात्र खिलाड़ी मुक्केबाज दिवाकर नेताम को विभाग ने नियमों का रास्ता दिखाते हुए उनको पुरस्कार से वंचित कर दिया। विभाग का यह फैसला नियमों के लिहाज से सही था। लेकिन अब जबकि 2007-08 के खेल पुरस्कारों की घोषणा की गई है तो इनमें उन दो खिलाडिय़ों मृणाल चौबे के साथ सबा अंजूम को भी शामिल किया गया है। नियमों के हिसाब से इनकी पात्रता भी पुरस्कार की नहीं बनती है, लेकिन इनको पुरस्कार देने के लिए नियमों में शीथिलता लाई गई है। विभाग की यह पहल काफी अच्छी है। पिछले अंक में खेलगढ़ ने ही यह मामला उठाया था कि इन खिलाडिय़ों को प्रदेश के खेल पुरस्कार मिलने चाहिए। खेल विभाग की इस पहल को खेलगढ़ की ही जीत माना जा रहा है। लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि जब विभाग नियमों को शीथिल करवाने की क्षमता रखता है तो फिर विभाग ने यह काम पिछले साल तब क्यों नहीं किया जब ओलंपियन दिवाकर ने पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। खेल विभाग के आलाअधिकारी कहते हैं कि इस बार अगर दिवाकर ने भी आवेदन किया होता तो उनको पुरस्कार मिल जाता। यहां पर सोचने वाली बात यह है कि जब एक बार किसी खिलाड़ी को नियमों की किताब दिखाकर उसको यह कह दिया गया हो कि आप तो पुरस्कार के पात्र ही नहीं हैं तो ऐसे में वह खिलाड़ी दूसरी बार क्यों कर आवेदन करेगा। यहां पर तो खेल विभाग का काम था कि वह ऐसे खिलाड़ी को सूचना देता या फिर मीडिया के माध्यम से यह खबर प्रकाशित करवाई जाती कि इस बार नियमों को शीथिल किया जा रहा है ऐसे में ऐसा कोई भी खिलाड़ी आवेदन कर सकता है जो मूलत: छत्तीसगढ़ का है और वह अपनी नौकरी की वजह से किसी दूसरे संस्थान से खेलता है। लेकिन विभाग ने ऐसा कुछ नहीं किया। विभाग की इस बात को लेकर यह चर्चा है कि विभाग अपनी मर्जी से उन खिलाडिय़ों को पुरस्कार देने का काम कर रहा है जिन खिलाडिय़ों को वह पुरस्कार देना चाहता है। हमारा यहां पर सबा अंजूम और मृणाल चौबे को पुरस्कार देने का कतई विरोध नहीं है। ऐसा रहता तो खेलगढ़ कभी इनके नाम की पहल अपने पिछले अंक में नहीं करता। खेलगढ़ ही है जिसने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया था कि छत्तीसगढ़ के ऐसे खिलाडिय़ों को भी पुरस्कार देना चाहिए जो वास्तव में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं और किसी कारण से अपने राज्य के स्थान पर रेलवे जैसे संस्थानों में खेलने के लिए मजबूर हैं। ऐसे ही खिलाडिय़ों में मृणाल चौबे के साथ सबा अंजूम का नाम है। इनको पुरस्कार देने के लिए खेल विभाग साधुवाद का पात्र तो है, साथ ही दिवाकर को पुरस्कार से वंचित करने के लिए आलोचना का भी पात्र है। दिवाकर को खेल पुरस्कार से वंचित रखना यह अपने राज्य के साथ पूरे देश के लिए दुर्भाग्यजनक है। दिवाकर ऐसे मुक्केबाज रहे हैं जिन्होंने एथेंस ओलंपिक में भारत का नाम ऊंचा किया था। आज अगर बीजिंग ओलंपिक में भारत के तीन मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल में पहुंचे और एक मुक्केबाज विजेन्दर कुमार ने पदक जीतने में सफलता प्राप्त की है तो इसके पीछे कहीं न कहीं दिवाकर का वह जोश और जज्बा भी है जो उन्होंने एथेंस ओलंपिक में दिखाया था। तब दिवाकर ओलंपिक में दूसरे चक्र में पहुंचने वाले भारत के अकेले मुक्केबाज थे। अब इसका क्या किया जाए कि दिवाकर की इतनी बड़ी उपलब्धि को प्रदेश का खेल विभाग कुछ समझता ही नहीं है। खेल विभाग के आलाअधिकारियों की नजरों में तो एक टीम खेल में पदक जीतने ज्यादा मायने रखता है, फिर उस पदक के पीछे पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी की मेहनत हो या न हो। यह अपने आप समझने और सोचने वाली बात है कि एक टीम खेल में कोई भी पदक एक खिलाड़ी के दम पर नहीं मिलता है। एक पदक के लिए टीम के सारे खिलाडिय़ों को मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन एक व्यक्तिगत खेल में एक मैच भी जीतने किसी पदक से कम नहीं होता है। वैसे भी ओलंपिक में खेलने की पात्रता पाना ही बहुत बड़ी बात है,लेकिन खेल विभाग में बैठे अधिकारियों की सोच तो कहीं और ही जाती है, उनको तो अपने ऐसे नियमों से मलतब है जो नियमों को खिलाडिय़ों को प्रोत्सोहित करने वाले कम और हताश करने वाले ज्यादा हैं वैसे भी जहां तक हमारा मानना है कि अगर खेल विभाग ने दिवाकर को पुरस्कार के लायक नहीं माना है तो यह उस खिलाड़ी का नहीं खेल विभाग का दुर्भाग्य है। दिवाकर में जिस तरह की क्षमता है उस क्षमता के दम पर वह आज नहीं तो कल देश का सर्वोच्च सम्मान अर्जुन पुरस्कार भी जीत सकता है। हम सोचते हैं कि दिवाकर को प्रदेश के पुरस्कार के स्थान पर अब नजरें अगले ओलंपिक के साथ अर्जुन पुरस्कार पर लगानी चाहिए। दिवाकर में जैसी क्षमता है उससे यह आसानी से कहा जा सकता है कि यह खिलाड़ी कुछ भी कर सकता है। दिवाकर के खेल जीवन पर नजरें डालें तो मालूम होता है कि उनको उनके पिता श्री नेताम ने 1995 में महज 10 साल की उम्र के एक मुक्केबाजी क्लब के हवाले कर दिया। यहां से शुरू हुआ दिवाकर की प्रतिभा को निखारने का काम। दिवाकर को भी यह क्लब इतना रास आया कि उन्होंने अपने को धर्मेन्द्र की तरह राष्ट्रीय हीरो के रूप में स्थापित करने के लिए दिन-रात मेहनत की। चाहे कैसा भी मौसम रहा हो दिवाकर ने कभी भी अभ्यास में जाने से मन नहीं चुराया। दिवाकर की मेहनत ने रंग दिखाया और दो साल बाद ही उनका राष्ट्रीय हीरो बनने का सपना तब सच साबित हो गया जब 1997 में भिलाई में जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। यहां पर दिवाकर ने राष्ट्रीय चैंपियन बनने का कमाल दिखाया और स्वर्ण पदक जीतने में सफलता प्राप्त की। यहां से शुरू हुई उनकी सफलता की कहानी अब तक जारी है। अपने 9 साल के खेल जीवन में वे अब तक लगातार 9 सालों से राष्ट्रीय चैंपियन बनते रहे हैं। उनके खाते में 50 से ज्यादा पदक हैं। इन पदकों में कई अन्तरराष्ट्रीय पदक भी हैं। उनको अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार 2002 में खेलने का अवसर मिला। क्यूबा में हुई जूनियर विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने पदक जीतने में सफलता प्राप्त की। इसी साल जर्मनी में उन्होंने एक अन्तरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक के साथ सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज का खिताब भी जीता। दिवाकर को 2003 में सीनियर वर्ग में खेलने का मौका मिल गया। राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद उन्होंने एफ्रो-एशियाई खेलों में भी पदक जीता। इसके बाद आया वह समय जब 2004 में दिवाकर ने एथेंस ओलंपिक में देश का नाम रौशन किया। जब दिवाकर एथेंस ओलंपिक में खेलने गए तो उनकी उम्र महज 19 साल थी। इस छोटी सी उम्र में उन्होंने भारत की तरह से सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया। जब भारत के सब मुक्केबाज फेल हो रहे थे तो दिवाकर ने अपने बैटमवेट वर्ग में पहले चक्र के मुकाबले में मोरक्को के हामिद आइत को 25-17 से मात देकर भारतीय खेमे में खुशी बिखेर दी। दिवाकर भले एथेंस से कोई पदक नहीं ला सके, लेकिन उनके खेल की देश भर में तारीफ हुई। अपने गृह नगर लौटने पर उनका जहां जोरदार स्वागत हुआ, वहीं राज्योत्सव के समय उनका सम्मान गृहमंत्री रामविचार नेताम ने किया और उनके खेल की तारीफ की।

बुधवार, 18 मार्च 2009

कमियां होने लगीं दूर- मैच मिलेगा जरूर

राजधानी के नए स्टेडियम में दो दिन पहले जिस विकेट पर घास ही घास थी, वह विकेट आज ऐसा नजर आ रहा है, मानो वहां पर कभी घास थी ही नहीं। यही हाल आउटफील्ड का है। आउटफील्ड की चमक देखते ही बन रही है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ की तकनीकी कमेटी के साथ पदाधिकारी मैदान की कमियों को दूर करने में जुटे हुए हैं, उस मेहनत ने रंग भी दिखा दिया है। बीसीसीआई की कमेटी ने स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मैच के लायक मान लिया है। कमेटी ने स्टेडियम की थोड़ी-बहुत कमियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा है। कमेटी के सदस्यों ने प्रदेश संघ के जोश की खुले दिल से तारीफ करते हुए कहा कि इतना जोश उन्होंने किसी राज्य के संघ में नहीं देखा है। इनका जोश इनको सफलता जरूर दिलाएगा। छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ द्वारा आईपीएल का मैच मांगे जाने के बाद जैसे ही संघ के पास इस बात का संदेश आया कि स्टेडियम को देखने के लिए बीसीसीआई की एक कमेटी आएगी, तो संघ ने उसके पहले अपनी तकनीकी कमेटी के साथ मैदान का निरीक्षण किया और सोमवार से ही मैदान को ठीक करने की कवायद प्रारंभ कर दी। आज उसका परिणाम यह रहा कि जो मैदान सोमवार को घास से भरा हुआ नजर आ रहा था और उस घास में विकेट दिखा ही नहीं रहा था, वह मैदान दो दिन बाद बुधवार को ऐसा लग रहा था मानो वहां पर कभी घास थी ही नहीं। मैदान में घास हटते ही जहां विकेट दिखने लगा है, वहीं आउटफील्ड की चमक भी बढ़ गई है। आज जब बीसीसीआई की कमेटी आई तो कमेटी के साथ आए मैदान समिति के प्रमुख दलजीत सिंह ने जहां विकेट को काफी गंभीरता से देखा वहीं पूरे मैदान में घुम-घुम कर आउटफील्ड को भी देखा। ऐेसा ही कुछ आईपीएल के टूर्नामेंट निर्देशक धीरेन्द्र मल्होत्रा ने भी किया। उन्होंने भी मैदान का चक्कर लगाया और मैदान को देखकर वे संतुष्ट नजर आएं। दलजीत सिंह, धीरेन्द्र मल्होत्रा के साथ दिल्ली क्रिकेट संघ के सचिव सुनील देव भी मैदान को काफी गंभीरता से देखा। वैसे भी सुनील देव को बीसीसीआई ने भेजा ही इसलिए है कि वे देख सकें कि मैदान में दिल्ली जैसी सुविधाएं हैं या नहीं। चूंकि दिल्ली के मैच ही रायपुर में होने हैं ऐसे में सुनील देव ने मैदान को बड़ी गंभीरता से देखा। उनको मैदान काफी भाया। उन्होंने कहा भी कि ऐसे हर-भरे मैदान देश में काफी कम हैं। जोश पे कमेटी फिदा- कमेटी के सदस्य प्रदेश क्रिकेट संघ का जोश देखकर फिदा हो गए। कमेटी के तीनों सदस्यों ने एक स्वर में इस बात को माना उन्होंने ऐसा जोश और किसी राज्य संघ में नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि जिस राज्य के संघ में ऐसा जोश हो उसको सफलता मिलनी ही है। वास्तव में प्रदेश संघ के पदाधिकारियों ने मैदान की दो दिन में काया ही बदल ही है और उन्होंने दिया है कि संघ चाहता है कि प्रदेश के खेल प्रेमी यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच का आनंद लें। मैत्री मैच की सीडी देखी कमेटी ने - स्टेडियम के निरीक्षण के दौरान कमेटी को वहां पर सितंबर में स्टेडियम के उद्घाटन के अवसर पर हुए उस मैत्री मैच की सीडी दिखाई गई जिस मैच में कई अंतरराष्ट्रीय सितारे खेले थे। इस मैच की सीडी देखकर कमेटी के सदस्य वाह-वाह किए बिना नहीं रह सके। इनको मैच की फोटो भी दिखाई गई। सदस्यों को उद्घाटन मैच की सारी जानकारी दी गई और उनको बताया कि जब पांच माह पहले यहां पर ऐसा एक मैच हो सकता है तो अब अंतरराष्ट्रीय मैच क्यों नहीं हो सकता। सदस्यों ने भी माना कि वास्तव में यहां पर पांच माह पहले भी काफी मेहनत हुई थी और आज भी मैच लेने के लिए काफी गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। कमेटी ने इंजीनियरों से भी की चर्चा - कमेटी के सदस्यों ने स्टेडियम का निर्माण करने वाली नागार्जुन कंपनी के इंजीनियरों से भी चर्चा की और उनसे पूछा कि मैदान में जो कमियां है उनको कब तक दूर किया जा सकता है। इंजीनियरों से कमेटी को भरोसा दिलाया कि सारी कमियां जल्द से जल्द दबर कर दी जाएंगी। कमेटी को इनकी बातों पर इसलिए भरोसा है क्योंकि कमेटी के सदस्य जानते हैं कि स्टेडियम का निर्माण करने वाली कंपनी नई नहीं है और पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बना चुकी है। कमेटी के सदस्यों ने खुद इस बात को पत्रकारों के सामने रखा है कि कंपनी पर उनको भरोसा है। कमेटी को इंजीनियरों के साथ प्रदेश संघ ने भी भरोसा दिलाया है कि कमेटी ने जिन कमियों को दूर करने की बात कही है उनको जल्द से जल्द दूर कर लिया जाएगा। ज्यादा मैच भी लेने तैयार हैं- प्रदेश संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया कमेटी द्वारा स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मैच के लायक माने जाने की बात से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि इससे अच्छी बात हमारे संघ के लिए क्या हो सकती है। श्री इस बात से और ज्यादा प्रसन्न हैं कि कमेटी के सदस्यों ने कहा है कि एक से ज्यादा मैच मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें जितने भी मैच दिए जाएंगे हम करवाने के लिए तैयार हैं। स्टेडियम को संवारने मिलेगा काफी समय -यह बात तय है कि यहां पर आईपीएल के जो मैच होंगे वो मई में ही होंगे। ऐसा इसलिए कि दिल्ली के मैच मई में होने थे और दिल्ली के ही मैच रायपुर में करवाए जाने की बाच चल रही है। ऐसे में मई में मैच हुए थे तो स्टेडियम को संवारने के लिए करीब डेढ़ माह का वक्त मिल जाएगा और यह वक्त सारी कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त होगा। वैसे तो यहां पर १० अपै्रल को मैच मानकर तैयारियां की जा रही थीं।

रायपुर में होंगे आईपीएल के मैच

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा भेजी गई तीन सदस्यों की कमेटी ने रायपुर के स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मैच के लायक मानते हुए यहां पर छत्तीसगढ़ को आईपीएल के मैचों की मेजबानी दिए जाने की बात कही है। वैसे अंतिम फैसला बीसीसीआई की बैठक में होगा। आईपीएल के दिल्ली में होने वाले सात मैचों से दो-तीन मैच यहां होने की संभावना कमेटी ने जताई है। कमेटी यहां से पूरी तरह से संतुष्ट होकर लौटी है। आज शाम को ही बीसीसीआई को कमेटी रिपोर्ट दे देगी। इसके बाद अंतिम फैसला शनिवार तक हो जाएगा। बीसीसीआई ने रायपुर के स्टेडियम का निरीक्षण करने के लिए तीन सदस्यों जिसमें आईपीएल के टूर्नामेंट निर्देशक धीरेन्द्र मल्होत्रा, दिल्ली क्रिकेट संघ के सचिव सुनील देव और बीसीसीआई की मैदान समिति की चेयरमैन दलजीत सिंह को भेजा। यह दल बुधवार की सुबह यहां अचानक पहुंचा और छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया एवं अन्य पदाधिकारियों के साथ परसदा के स्टेडियम में निरीक्षण करने के लिए पहुंचा। इस दल ने वहां पर काफी समय तक स्टेडियम का निरीक्षण किया वहां की कमियों को दूर करने के निर्देश दिए। इस दल के सदस्यों ने स्टेडियम का निरीक्षण करने के बाद दोपहर को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने स्टेडियम का निरीक्षण कर लिया है और उनको स्टेडियम में थोड़ी बहुत ही कमियां नजर आई हैं। इन कमियों को दूर करने के बाद छत्तीसगढ़ को मैच मिल जाएगा। श्री मल्होत्रा ने पूछने पर बताया कि उनकी कमेटी ने विकेट के साथ प्रेस बाक्स, ड्रेसिंग रूम और कमेंट्रेटर बाक्स को खास तौर पर देखा। उन्होंने बताया कि मैदान तो ठीक है, ड्रेसिंग रूम में कुछ कमियां हैं। इसी के साथ प्रेस बाक्स बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यहां पर काम चल रहा है और नागार्जुन कंपनी के इंजीनियर काम में जुटे हुए हैं उससे लगता है कि सारी कमियां जरूर बहुत जल्द दूर हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि यहां पर श्री भाटिया के साथ जिन होटलों को हमने देखा है उनके बारे में कहा जा सकता है कि वो अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को ठहराने के लिए ठीक हैं। इसी के साथ यहां का विमान तल भी ठीक है। स्टेडियम के साथ खासतौर पर विमानतल और होटलों का ठीक होना भी अनिवार्य रहता है। उन्होंने पूछने पर बताया कि वे आज शाम को ही मुंबई जाकर अपनी रिपोर्ट बीसीसीआई को दे देंगे। इसके बाद शनिवार तक यह तय हो जाएगा कि रायपुर में मैच होंगे या नहीं और होंगे तो कितने मैच होंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम तय होने के बाद यहां पर टीवी वाले भी आएंगे। इसके बाद तो विशेषज्ञों की टीमें आती रहेंगी। एक से ज्यादा मैच भी मिल सकते हैंदिल्ली क्रिकेट संघ के सुनील देव ने बताया कि वे कमेटी के साथ इसलिए आए हैं क्योंकि दिल्ली में होने वाले मैच ही यहां होंगे। उन्होंने बताया कि उनको बीसीसीआई ने इसलिए यहां भेजा है ताकि मैं देख सकूं कि यहां पर दिल्ली जैसी सुविधाएं हैं या नहीं। उन्होंने पूछने पर बताया कि मैदान तो काफी अच्छा है। बस थोड़ी की कमियां हैं जो लगता है जब मैच होगा तब तक दूर हो जाएंगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि दिल्ली में वैसे तो सात मैच होने हैं। इनमें से कितने मैच रायपुर को मिलेंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां दो से तीन मैच हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि मैच कहां-कहां होंगे उसके हिसाब से मैचों का कार्यक्रम बनेगा। यह भी देखना होगा कि यहां पर जिन टीमों का मैच होना है उनका अगला मैच कहां है और उनको यहां से वहां पहुंचने में कोई परेशानी तो नहीं होंगे।पिच को संवारना होगामैदान समिति के दलजीत सिंह ने पिच के बारे में पूछने पर बताया कि पिच तो अच्छी है, पर यहां पर चूंकि मैच ज्यादा नहीं हुए हैं ऐसे में पिच को संवारना होग। पिच को संवारने के लिए क्या करना होगा, इसके बारे में मैं यहां के विशेषज्ञों को बताऊंगा। उन्होंने कहा कि मैंने यहां के विशेषज्ञों से जानकारी ली है कि यहां पर स्टेडियम के उद्घाटन के बाद पिच पर पानी गिरा है या नहीं। उन्होंने बताया कि पिच को कुछ समय में तैयार करके अंतरराष्ट्रीय मैच के लायक बनाया जा सकता है। गर्मी का क्या हाल रहेगा मई में:- कमेटी के सदस्यों ने पत्रकारों से पूछा कि मई में यहां पर तापमान का क्या हाल रहता है। उनको जब बताया गया कि वैसे तो यहां पर गर्मी ज्यादा पड़ती है लेकिन चूंकि मैच शाम को होने हैं तो शाम को मई के माह में ३५ डिग्री के आस-पास तापमान रहता है। इतना तापमान सुनकर उन्होंने चैन की सांस ली और कहां कि इतने तापमान में तो मैच हो जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां पर मैच मई में होगा।

प्रदेश के स्कूली खेलों में सब गोल माल

प्रदेश के स्कूली खेलों में इस समय नीचे से ऊपर तक सब गोल माल चल रहा है। एक तरफ जहां खिलाडिय़ों को मिलने वाले पैसे टीमें ले जाने वाले जनरल मैनेजरों की जेबों में जा रहे हैं, वहीं खिलाडिय़ों का शारीरिक और मानसिक शोषण भी किया जा रहा है। इसकी लगातार शिकायत के बाद कोई कार्रवाई तो नहीं हुई है, उल्टे नंदकुमार वर्मा के शिक्षा सचिव बनने के बाद खेलों के विकास के नाम पर खिलाडिय़ों का राज्य स्तर में भी जो भत्ता बढ़ाया गया है, उसका फायदा खिलाडिय़ों को नहीं बल्कि टीमें ले जाने वाले मैनेजरों को मिल रहा है। स्कूली खेलों में पैसों की भरमार होने के कारण यहां पर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है। यहां तो राष्ट्रीय चैंपियनशिप के साथ अब राज्य चैंपियनशिप के लिए भी टीमें ले जाने वाले जनरल मैनेजर की बोली लगती है। जो ज्यादा पैसा देता है उसको टीमें ले जाने की ठेकेदारी मिल जाती है। वैसे इधर लगातार स्कूली खेलों में हो रही गड़बड़ी के बाद शासन ने ऐसा आदेश दिया था कि अब जनरल मैनेजर के रूप में स्कूलों के प्राचार्यों को भेजा जाएगा। लेकिन इस नियम को भी किनारे करते हुए राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खुद सहायक संचालक (खेल) ही जनरल मैनेजर बनकर चले जाते हैं। इनके खुद जनरल मैनेजर बनकर जाने का कारण क्या है यह बताने की जरूरत नहीं है। स्कूली खेलों के लिए सामानों की खरीदी में भी भारी गोलमाल हो रहा है। अपने प्रदेश में खेलों में सबसे बुरा हाल शालेय खेलों का है। यहां पर इनको देखने वाला कोई नहीं है। यही वजह है की यहां पर जहां भारी पैमाने पर मनमानी होती है, वहीं भ्रष्टाचार भी काफी होता है। इसमें कोई दो मत नहीं की शालेय स्तर पर खेलों के जानकारों के न होने का पूरा फायदा उठाया जाता है। वैसे खेलों के जानकार रहते तो उसका एक ही फायदा होता कि खेलों में तकनीकी कमी नहीं रहती, पर भ्रष्टाचार तो उनके रहते भी होता। लेकिन तब शायद यह संभावना रहती कि खेलों के जानकार कम भ्रष्टाचार करते। बहरहाल हम सबसे पहले खुलासा कर दें कि शालेय खेलों में किस तरह से कितने पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है। जब प्रदेश की टीमें राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने जाती हैं तो इन टीमों को ले जाने के लिए एक जनरल मैनेजर बनाया जाता है। इस मैनेजर का काम तो रहता है कि जाने वाली टीमों के खिलाडिय़ों का ध्यान रखना, पर यह काम तो ये करते नहीं हैं, बल्कि उल्टे ये कभी तफरीह करने भी चल देते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कोई टीम जब गोवा, बेंगलोर, जम्मू-कश्मीर जैसे पर्यटन स्थलों पर जाती हैं तो टीम के साथ जनरल मैनेजर बनकर जाने वाले साहब तफरीह करने चले जाते है। एक बार तो एक टीम के साथ बेंगलोर गए जनरल मैनेजर साहब टीम के खिलाडिय़ों को बेंगलौर में ही छोड़ कर गोवा के लिए विमान से उड़ गया। इस बारे में जब उनसे पूछा गया था उन्होंने शान से मान भी लिया कि हां हम तो गोवा गए थे। अब सवाल यह उठता है कि शासन ने उनको टीमों का जनरल मैनेजर बनाकर क्या इसलिए भेजा था कि वे टीमों को समस्यों में छोड़कर तफरीह करने चले जाए। जनरल मैनेजर ऐसा कर पाते हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इनको जनरल मैनेजर बनने पर इतनी ज्यादा कमाई हो जाती है कि उनको उड़ाए बिना इनका काम नहीं चलता है। यही वजह है कि जनरल मैनेजर बनने के लिए शिक्षा विभाग में बकायदा बोली लगाई जाती है। एक जानकारी के अनुसार एक बार प्रदेश की टीम का जनरल मैनेजर बनने पर हजारों में नहीं बल्कि कमाई लाख तक पहुंच जाती है। इसको एक उदाहरण से इस तरह समझा जा सकता है। मान लो टीमों को नई दिल्ली खेलने जाना है जैसे कि टीमें हर साल वहां खेलने जाती ही हैं। राष्टï्रीय स्तर पर खेलने जाने वाली टीमों के खिलाडिय़ों की संख्या 200 से 300 रहती है। अब मान लिया जाए कि एक बार में 300 खिलाड़ी दिल्ली खेलने गए। इन खिलाडिय़ों को टीए यानी यात्रा भत्ते के रूप में पर खिलाड़ी 100 रुपए मिलते हैं। ऐसे में एक दिन का भत्ता 30 हजार होता है। ये पैसे न तो खिलाडिय़ों को जाते समय मिलते हैं और न ही आते समय। जब खिलाड़ी यहां से जाते हैं तो सभी खिलाडिय़ों को यही हिदायत रहती है कि अपने घर से खाना ले आना। और सभी खिलाडिय़ों को ऐसा करना पड़ता है। कुछ बालक वर्ग के ऐसे खिलाड़ी जो थोड़े समझदार या फिर यह कहा जाए कि थोड़े से बदमाश किस्म के होते हैं वे जरूर जनरल मैनेजर से टीए के पैसे वसूल लेते हैं। लेकिन जहां सीधे-सादे बालक खिलाड़ी कुछ नहीं बोल पाते हैं, वहीं लड़कियां तो कुछ बोल ही नहीं पाती है हजार रुपए जाने के और 30 हजार रुपए आने के तो जनरल मैनेजर बचा ही लेते हैं। लेकिन इससे भी बड़ी बचत तो होती है खाने में। टीमों के लिए मेस साथ में लेकर जाते हैं। इस मेस के लिए हर खिलाड़ी के लिए 100 डीए यानी खाने के मिलते हैं। पर खिलाडिय़ों को जो खाना खिलाया जाता है, वह आधे पैसों यानी 50 रुपए का भी नहीं रहता है। अगर यह भी मान लिया जाए कि आधे पैसों का खाना खिलाया जाता है तो भी खाने में करीब 15 हजार रुपए प्रति दिन बच जाते हैं। अगर एक सप्ताह की चैंपियनशिप हुई तो करीब एक लाख रुपए बचा लिए जाते हैं। यह तो एक मात्र उदाहरण है बाहर जाने वाली टीमों के बारे में। इसके अलावा जब अपने प्रदेश में कोई राष्ट्रीय चैंपियनशिप होती है तो जहां यहां पर मेस में खाने के नाम पर वैसे ही पैसे बचाए जाते जैसे बाहर बचाए जाते, इसके अलावा यहां पर तो टेंट और सामानों के नाम पर भी लाखों रुपए का चूना शासन को लगाया जाता है। एक जानकारी के अनुसार यहां पर एक राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई थी तो टेंट का बिल एक लाख से ज्यादा का बनवाया गया था, पर टेंट वाले को बमुश्किल 25 प्रतिशत ही भुगतान किया गया। यही हाल खेल सामानों की खरीदी में भी रहता है। यहां पर तो जहां से सामना लिया जाता है, वहां पर बकायदा कमीशन तय रहता है। शालेय खेलों के कदम कदम पर सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार का ही काम होता है। खेलों को बढ़ाने की बात न तो कोई करता है और न सोचता है। सब यही सोचते हैं कि कहां से और कितने पैसे बच सकते हैं। नियमों की भी न तो किसी को जानकारी है, न कोई जानना चाहता है। जब राज्य चैंपियनशिप के लिए टीमें बनती हैं तो किसी जिले के खिलाडिय़ों के पास जर्सी और जूते रहते हैं तो किसी के पास नहीं रहते हैं। अगर एक जिला जर्सी देता है तो दूसरा क्यों नहीं देता है, ये बात अधिकारी भी नहीं बता पाते हैं। राष्ट्रीय खेलों में जाने वाले खिलाडिय़ों के लिए जो ट्रेक शूट लिए जाते हैं उस खरीदी में भी भारी गोलमाल किया जाता है। अभी पिछले ही साल यहां पर जब शिक्षा विभाग ने इसकी खरीदी की तो इसके बारे में ऐसा मालूम हुआ कि जिस दुकान से ट्रेक शूट लिए जा रहे हैं वह दुकानवाला नकली सामान दे रहा है। इसकी शिकायत शिक्षा सचिव के साथ उस कंपनी के पास जिस कंपनी के नाम से ट्रेक शूट दिए जा रहे थे करने के बाद यह हुआ कि उस दुकानदार को असली ट्रेक शूट देने पड़े। अगर इसके प्रति मीडिया सजग नहीं होता तो नकली सामान खिलाडिय़ों तक जाता और पैसे जाते खरीदी करने वालों की जेब में। यह तो एक मामला है तो सामने आ गया, वैसे ज्यादादर मामले सामने आते ही नहीं है। कोई खिलाड़ी यह बताने को ही तैयार नहीं होता है कि उनको मिलने वाला सामान कैसा है। ऐसे में सामानों की खरीदी करने वाले मनमर्जी करते हैं।

ग्रामीण फुटबॉलरों को भी निखार रहा है प्रदेश फुटबॉल संघ

प्रदेश फुटबॉल संघ प्रदेश के ग्रामीण खिलाडिय़ों को पूरा मौका देकर उनको राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका दे रहा है। प्रदेश में सब जूनियर वर्ग से लेकर सीनियर वर्ग में ग्रामीण खिलाड़ी प्रदेश की टीमों में स्थान बना रहे हैं। खेल विभाग की पहल पर सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप से पहले जिलों में चयन ट्रायल किया जाता है। खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का खर्च उठाने का जिम्मा जब से लिया है, तभी से ग्रामीण खिलाडिय़ों को खेलने का ज्यादा मौका मिल रहा है।

प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेलों में फुटबॉल का नाम भी है। वैसे तो कबड्डी और वालीबॉल का खेल सबसे ज्यादा खेला जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में फुटबॉल खेलने वाले खिलाडिय़ों की भी कमी नहीं है। इधर ग्रामीण खिलाडिय़ों को भरपूर मौका देने का काम प्रदेश का फुटबॉल संघ भी कर रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के जोनल सचिव मुश्ताक अली प्रधान के साथ कोषाध्यक्ष दिवाकर थिटे ने बताया कि प्रदेश में फुटबाल संघ का गठन २००१ में किया गया। इसके बाद से ही प्रदेश में सभी १८ जिले सक्रिय हैं। इसके पहले जब १६ जिले थे तो शुरू से ही यहां पर जिला संघ बना दिए गए थे, इसके बाद दो और जिले बने तो वहां भी संघों का गठन कर दिया गया। इन्होंने बताया कि हर जिले में फुटबॉल के एक दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। संघ के पास प्रदेश के ४०० से ज्यादा फुटबॉल क्लबों का पंजीयन है। इन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा क्लब आदिवासी जिलों कोरिया, सरगुजा, बस्तर में हैं। कोरिया और सरगुजा जिलों में तीन-तीन दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। इसी तरह से कोरबा, दुर्ग, रायपुर कांकेर में कम से कम २०-२० क्लब हैं। इन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में फुटबॉल आज आगे है तो इसके पीछे यहां पर फैला क्लब का जाल है। क्लब कल्चर से ही फुटबॉल क्या किसी भी खेल को आगे बढ़ाया जा सकता है। बंगाल में फुटबॉल का दबदबा रहता है तो इसके पीछे भी क्लब कच्लर ही है। हर वर्ग की होती है चैंपियनशिप:- चैंपियनशिप का जहां तक सवाल है तो हर आयु वर्ग की चैंपियनशिप का आयोजन प्रदेश संघ राज्य स्तर के साथ जिला स्तर पर करता है। फुटबॉल ही एक ऐसा खेल है जिसमें अंडर बालिका वर्ग में अंडर १४, १७ एवं १९ साल की चैंपियनशिप के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। बालक वर्ग में अंडर १४, १६, १९ और २१ साल के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। इन सभी वर्गों की राज्य चैंपियनशिप के बाद राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने जाने से पहले टीमों का प्रशिक्षण शिविर अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। प्रदेश की कोई भी टीम २१ दिनों के प्रशिक्षण शिविर के बिना बाहर खेलने नहीं जाती है। आज यही वजह है कि प्रदेश की टीमों को लगातार सफलता मिल रही है। टीम अभी तक भले राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक नहीं सकी है, लेकिन बालिका वर्ग में सब जूनियर टीम सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रही है। खेल विभाग की मदद से निखर रहा है खेल:- मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश में फुटबॉल का खेल विभाग की मदद के कारण निखर रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग जहां सब जूनियर के साथ जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है, वहीं जिला टीमों को आने-जाने का खर्च मिलने के कारण ही अब जिलों से ग्रामीण अंचल के खिलाड़ी खेलने आने लगे हैं। ग्रामीण खिलाडिय़ों के चैंपियनशिप में आने के कारण प्रदेश की टीम में स्थान बनाने के लिए मुकाबाल कड़ा हो जाता है। ग्रामीण खिलाडिय़ों के फिटनेस के आगे बाकी खिलाड़ी ठहर नहीं पाते हैं। मैदान और अकादमी जरूरी है:- श्री प्रधान ने बताया कि प्रदेश संघ के पास अपना मैदान न होने के कारण भारी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि इसी के साथ यह भी जरूरी है कि प्रदेश की टीमों को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाने के लिए अकादमी बनानी चाहिए। इस दिशा में प्रदेश संघ पहल भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि वैसे दूसरे राज्यों की तुलना में यहां पर सुविधाओं की कमी जरूरी है। लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के खिलाड़ी अपनी मेहनत से सफलता पाने में सफल हो रहे हैं।

मंगलवार, 17 मार्च 2009

मैदान संवार देंगे - मैच जरूर लेंगे

मन में है विश्वास पूरा है विश्वास, हम हॊंगे कामयाब एक दिन की तर्ज पर चलते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की कमियों को दूर करने की कवायद प्रारंभ कर दी है और विश्वास जताया है कि उनको कम से कम आईपीए के एक मैच की मेजाबानी का मौका मिल ही जाएगा। आईपीएल की तारीखों में फिर से संशोधन की खबर भी छत्तीसगढ़ के लिए संजीवनी का काम कर रही है। बदली हुई तारीखों के कारण छत्तीसगढ़ के पास स्टेडियम की कमियों को दूर करने का पूरा मौका मिल जाएगा।
संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया के नेतृत्व में स्टेडियम का जायजा प्रदेश संघ की तकनीकी कमेटी के सदस्यों ने लिया और स्टेडियम का काम करने वाली कंपनी को काम में तेजी लाने के लिए कहा गया। सोमवार को दोपहर दो बजे छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया के नेतृत्व में संघ की तकनीकी कमेटी के सदस्यों विनीत राव, केविन कास्टर, अंतरराष्ट्रीय अंपायरों गिरीधरन और आरटी रामचन्द्रन के साथ प्रदेश संघ के राजेश दवे, राजय सिंह परिहार, अवधेश गुप्ता, विजय शाह, योगेश शाह सहित कई पदाधिकारियॊं का काफिल नई राजधानी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम पहुंचा। इन सदस्यों ने वहां पहुंचकर पूरे स्टेडियम का जायजा लिया और देखा कि कहां पर क्या कमियां हैं। सबसे पहले कमेटी ने विकेट को देखा इसके बाद ड्रेसिंग रूम का मुआयना किया। कमेटी ने पूरे स्टेडियम में उन सभी चीजों का जायजा लिया जो मेजबानी लेने के लिए महत्वपूर्ण हैं। विकेट बनाने का काम प्रारंभ:- तकनीकी कमेटी ने जैसे ही विकेट को देखा उसके बाद कमेटी के सदस्यों की सलाह के बाद विकेट पर उगी घास को हटाने का काम तत्काल प्रारंभ करवा दिया गया। जब यहां पर आईपीएल की कमेटी आएगी तो सबसे पहले उसका ध्यान विकेट पर ही रहेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए विकेट को ठीक करवाने का काम पहले किया गया। इस विकेट के बारे में विशेषज्ञ का कहना है कि विकेट तो अच्छा है इसको 15 दिनों के अंदर पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच के लायक बना दिया जाएगा। अब जहां तक आउटफील्ड का सवाल है तो वह तो इतनी अच्छी है कि कोई भी विशेषज्ञ यहां आकर इसको देखेगा तो इसकी तारीफ किया बिना रह ही नहीं सकता है। स्टेडियम की आउटफील्ड को देखकर मोहाली की आउटफील्ड की याद आती है। ड्रेसिंग रूम की कमियां भी दस दिनों में दूर हो जाएंगी:- मैच की मेजबानी के लिए दूसरी सबसे बड़ी जरूरी चीज ड्रेसिंग रूम है। इसके ठीक रहे बिना मैच मिलना संभव नहीं है। इसका जब कमेटी ने जायजा लिया तो इसमें कुछ कमियों थीं। इन कमियॊं के बारे में जब कमेटी ने स्टेडियम का निर्माण करने वाली कंपनी के इंजीनियरों से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि जो भी काम बचा है, वह महज 10 दिनों में पूरा हो जाएगा। इंजीनियरों ने तकनीकी कमेटी को भरोसा दिलाया कि कोई भी ऐसा काम नहीं है जो मैच होने की स्थिति में अधूरा रहेगा। एक मीडिया रूम का ही काम थोड़ा बचा हुआ है, लेकिन इंजीनियरों ने इसके बारे में भी कहा कि यह काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा और वहां पर कुर्सियां लगाने के साथ ही बाकी व्यवस्था भी कर दी जाएगी। कुल मिलकर स्टेडियम में जो भी थोड़ी बहुत कमियां हैं उनको दूर करने का जहां भरोसा इंजीनियरों ने दिलाया है, वहीं प्रदेश संघ को भी भरोसा है कि ऐसा कुछ नहीं बचेगा जिससे मेजबानी हाथ ले निकल जाए। मैत्री मैच के आयोजन से मिला है बल आज से करीब पांच माह पहले जब स्टेडियम का उद्धाटन हुआ था उस समय स्टेडियम की हालत देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यहां कोई मैच हो सकता है, लेकिन एक असंभव से काम को सबकी मदद से किया गया था और यहां एक ऐसा मैच हुआ था जो कल्पना से परे था। उस मैच को देखने के लिए जितने दर्शक आए थे उसकी भी कल्पना किसी ने नहीं की थी। ऐसे में उस मैच के आयेजन ने ही आज सबको यह विश्वास दिलाया है कि जब पांच माह पहले की स्थिति में एक मैच हो सकता है तो आज तो स्टेडियम काफी अच्छी स्थिति में है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मैच क्यों नहीं हो सकता है। इस मैच के लिए सारी कवायद करने का दम इंजीनियरों की टीम में है और मैच की मेजबानी लेने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं रखना चाहते हैं। स्टेडियम की तारीफ कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने की है:- जब उद्धाटन अवसर पर मैची मैच हुआ था तो उस मैच में खेलने आए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों दिलीप वेंगसरकर, नयन मोंगिया, चेतन शर्मा, मनोज प्रभाकर, अतुल वासन, अतुल बेडाडे, रॉबिन सिंह, विवेक राजदान, वेंकटपति राजू, कीर्ति आजाद सहित कई खिलाड़ियों ने एक स्वर में यह माना था कि स्टेडिमय अंतरराष्ट्रीय मैच के लायक है। और अब आज उनकी बात को सच करने का समय आ गया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और स्टेडियम निर्माण के समय से ही स्टेडियम से जुड़े रहे राजेश चौहान भी मानते हैं कि स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच हो सकता है।

बीसीसीआई से मिले क्रिकेट को बढ़ाने के लिए 50 लाख रुपए

संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने बताया कि आज ही बीसीसीआई से संघ को उस 50 लाख रुपए का चेक मिला है जो राशि बीसीसीआई से संघ को एसोसिएट सदस्यता देने के समय देने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि यह चेक भी इस बात का सबूत है कि हमारे संघ को बीसीसीआई से मान्यता मिली हुई है। उन्होंने कहा कि बिना वजह संघ को मान्यता न मिलने की बात कहते हुए कुछ लोग बदनाम करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने पूछने पर बताया कि संघ को जो राशि मिली है वह छत्तीसगढ़ में क्रिकेट को बढ़ाने के लिए दी गई है। इन पैसों से प्रदेश में ग्रामीण स्तर से लेकर शहरी स्तर तक क्रिकेट के विकास के लिए काम किया जाएगा।

सोमवार, 16 मार्च 2009

खेल संघों को सक्रिय करे ओलंपिक संघ


प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने जिलों के खेल संघों को सक्रिय करने के लिए प्रदेश ओलंपिक संघ को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि ओलंपिक संघ यह देखे कि जिले के खेल संघ महज कागजों में ही न चलें। जिला संघों को सक्रिय करके खेलों को पंचायत स्तर तक ले जाने की बात कही गई है। खेल विभाग वर्तमान में सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है। आगे विभाग की सीनियर वर्ग में भी चैंपियनशिप करवाने की योजना है। प्रदेश के खेल विभाग ने पहली बार जिला संघों को गंभीरता से लेते हुए इनको सक्रिय करने की पहल की है। यह पहल तब हुई है जब विभाग में नए संचातक जीपी सिंह आए हैं। नए संचालक ने खेल संघों तो पूरी तरह से सक्रिय करने की योजना बनाई है ताकि खेलों को पंचायत स्तर तक ले जाया जा सके। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि जहां प्रदेश की खेल नीति में खेलों को पंचायत स्तर से ही सक्रिय करने की बात है, वहीं हाल ही में केन्द्र सरकार की एक नई योजना पाइका में भी खेलों को पंचायत स्तर से प्रारंभ करने की योजना है। इस योजना में देश के हर राज्य के 10 प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ने की योजना है। ऐसे में खेल विभाग ने अब इस दिशा में काफी गंभीरता से ध्यान देने का मन बनाया है। खेल विभाग वर्तमान में मान्यता प्राप्त दो दर्जन से ज्यादा खेलों की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन दो वर्गों में सब जूनियर और जूनियर वर्ग में कर रहा है। ऐसे में जिन खेलों की चैंपियनशिप होती है उन खेलों में पूरे 18 जिलों की टीमें नहीं आ पाती हैं। खेल संचालक श्री सिंह का ऐसा मानना है कि किसी भी चैंपियनशिप में हर जिले की भागदारी होनी चाहिए। इसी के साथ जिन जिलॊ की टीम खेलने आती हैं उन टीमों उन जिलॊ के एक स्थान के नबीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा विकासखंड़ों के खिलाड़ी शामिल होने चाहिए। ऐसे में उन्होंने एक योजना के तहत ही प्रदेश के खेल संघों के मुखिया प्रदेश ओलंपिक संघ को ही अपने सभी खेलों के जिला खेल संघों को सक्रिय करने के लिए पत्र लिखा है। अब यह जिम्मेदारी ओलंपिक संघ की है कि वह किस तरह से खेल संघों को सक्रिय करता है। जिलों में भी होनी चाहिए चैंपियनशिप:- खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि जब विभाग हर जिले के खेल संघों को अनुदान दे रहा है तो यह जिला संघों का दायित्व है कि वे जिला स्तर पर उन सभी खेलों की जिला चैंपियनशिप का आयोजन करें जिन खेलों की राज्य चैंपियनशिप खेल विभाग करता है, अभी होता यह है कि ज्यादातर खेलों में जिला खेल संघ अपनी मर्जी से टीम बनाकर ले आते हैं। ऐसे में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों को खेलने का मौका ही नहीं मिल पाता है। खेल अधिकारी कहते हैं कि कम से कम जिला संघों को चैंपियनशिप नहीं तो चयन ट्रायल का आयोजन तो करना ही चाहिए। चयन ट्रायल में ही विकासखंड़ों के खिलाड़ियों को बुलाया जाए तो उनको खेलने का मौका मिलेगा। पहले कदम पर अगर यह पहल हो गई तो आगे जरूर जिला चैंपियनशिप का आयोजन हो जाएगा। एक बार शुरुआत हो गई तो ग्रामीण खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलने लगेगा और प्रदेश की खेल नीति पर अमल भी हो जाएगा। खेल अधिकारी कहते हैं कि किसी भी जिला संघ को अपने जेब से खर्च करने की जरूरत ही नहीं है, सारा खर्च जब खेल विभाग कर रहा है तो फिर आयोजन करने में क्या परेशानी है। अच्छी पहल है, मदद करेंगे: बशीर:- प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने इस बारे में संपर्क करने पर कहा कि खेल विभाग की यह अच्छी पहल है। खेल विभाग ने ओलंपिक संघ को जो जिम्मा सौंपा है उस पर हमारा संघ खरा उतरेगा और जो भी मदद होगी हम करेंगे। हम भी चाहते हैं कि हर खेल में जिला संघ सक्रिय हों ताकि खेलों को पंचायत स्तर से प्रारंभ किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि ग्रामीण अंचल में बहुत प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। उन्हॊने कहा कि ओलंपिक संघ प्रदेश के सभी खेलों के जिला संघों को खेल विभाग की भावना से अवगत करवाते हुए उनसे सक्रिय होने के लिए उनको पत्र लिखने का काम करेगा।

भिलाई में साई खोलेगा तीन खेलों का सेंटर

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने सेंटर ऑफ एक्सलेंसी के अंर्तगत भिलाई में तीन खेलों बास्केटबॉल (महिला), हैंडबॉल और मुक्केबाजी (महिला-पुरुष) के सेंटर खोलने के लिए भिलाई स्टील प्लांट को पत्र लिखा है। इसी के साथ रायपुर में वालीबॉल का केन्द्र खोलने के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा राजनांदगांव में बास्केटबॉल के बालकों का प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। यह जानकारी देते हुए प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने बताया कि साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु ने भिलाई के प्रबंधन को पत्र लिखा है कि वह यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां बास्केटबॉल महिला वर्ग और हैंडबॉल के साथ मुक्केबाजी में महिला एवं पुरुष वर्ग का सेंटर खोलना है। इसके लिए बीएसपी से खिलाड़ियों के रहने के लिए छात्रावास के साथ मैदानों की जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा इन खेलों के प्रशिक्षकॊ की भी जानकारी मांगी गई है कि बीएसपी के पास किन खेलों के कितने प्रशिक्षक हैं। इन तीनों केन्दों के लिए 60 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा। ये खिलाड़ी वे होंगे जिनको या तो राष्ट्रीय स्तर पर पदक मिले हों या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम से खेले हों। चुने गए खिलाड़ियों को जहां चार हजार रुपए की किट दी जाएगी, वहीं उनको प्रतिदिन के लिए दो सौ रुपए का भत्ता भी दिया जाएगा। इसके अलावा किसी भी चैंपियनशिप में खेलने जाने के लिए तीन हजार पांच सौ रुपए की मदद दी जाएगी। चुने जाने वाले खिलाड़ियों की उम्र 25 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ उनको भी मिलेगा जो खिलाड़ी किसी गैर सरकारी या फिर सरकारी संस्था में काम करते हैं। श्री खान ने बताया कि भिलाई में बास्केटबॉल के महिला वर्ग और हैंडबॉल के साथ मुक्केबाजी में महिला और पुरुष वर्ग के सेंटर प्रारंभ किए जाएंगे। इसके अलावा रायपुर में वालीबॉल का सेंटर खोला जाएगा। इस सेंटर के लिए 24 खिलाड़ियों का चयन होगा। यह सेंटर चूंकि स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में खोला जाना है, ऐसे में साई ने इसके लिए नगर निगम रायपुर के आयुक्त को पत्र भेजा है। इसके अलावा राजनांदगांव में बास्केटबॉल में बालक वर्ग का सेंटर खोला जाना है। उन्होंने बताया कि इन खेलों के सेंटर खोले जाने की बात तो पिछले माह ही यहां पर छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आए क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु ने कही थी, लेकिन भोपाल जाने के बाद उन्होंने इसके लिए अधिकृत रूप से पत्र भेजे हैं। उन्होंने बताया कि इन सेंटरों का काम लोकसभा चुनाव के बाद ही प्रारंभ हो पाएगा। चार खेलों की डे-बोर्डिंग भी श्री खान ने बताया कि भिलाई में सेंटर ऑफ एक्सलेंसी के सेंटर के साथ ही चार खेलों की डे-बोर्डिंग भी खोली जाएगी। इनके लिए किन खेलों का चयन किया गया है के सवाल पर उन्होंने बताया कि इसके लिए साई ने भिलाई स्टील प्लांट के प्रबंधन को अधिकृत किया है कि वह अपने यहां खेलों में मिलने वाले पदकों की प्राथमिकता के हिसाब से खेलों का चयन करें। डे-बोर्डिंग में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को पांच सौ रुपए की मासिक खेलवृत्ति के साथ चार हजार की किट दी जाएगी, इसी के साथ इनको भी प्रतियोगिता में खेलने जाने पर तीन हजार पांच सौ रुपए की मदद दी जाएगी। डे-बोर्डिंग के लिए 80 सब जूनियर खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा।

रविवार, 15 मार्च 2009

आईपीएल का मैच छत्तीसगढ़ में भी हो सकता हैं

छत्तीसगढ़ के खेल प्रेमियों को आईपीएल के अंतरराष्ट्रीय सितारॊ से रूबरू होने का मौका बस मिलने ही वाला है। जिस तरह की पहल छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने की है, उसके बाद इस बात की पूरी संभावना है कि आईपीएल जरूर छत्तीसगढ़ को एक मैच देने से मना नहीं करेगा। वैसे छत्तीसगढ़ को ज्यादा मैच भी दिए जाएं तो छत्तीसगढ़ इसका आयोजन कर लेगा।

इंडियन प्रीमियर लीग के मैच छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ द्वारा मांगे जाने की खबर के बाद पूरे प्रदेश में उत्साह का माहौल है। प्रदेश के खेल प्रेमी तो यह मानकर चल रहे हैं कि अब उनको एक अंतरराष्ट्रीय मैच देखने का मौका मिलने वाला है। वैसे इसमें कोई दो मत नहीं कि छत्तीसगढ़ में अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी करने की क्षमता है। एक तो क्षमता है फिर दूसरे यह कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आईपीएल के आयुक्त को इस बात का पूरा भरोसा दिलाने में सफलता प्राप्त कर ली है कि खिलाड़ियों को सुरक्षा देने में प्रदेश सरकार सक्षम है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का उद्धाटन हुआ था और उस समय यहां पर भारतीय क्रिकेट सितारों का एक मैत्री मैच हुआ था तो उस मैच में जिस तरह की सुरक्षा खिलाड़ियों को दी गई थी उससे खिलाड़ी भी हैरान थे कि किसी राज्य में इतनी अच्छी सुरक्षा व्यवस्था हो सकती है। खिलाड़ियॊ को जिस बस में स्टेडियम तक ले जाया गया था उस बस के आगे-पीछे इतने ज्यादा वाहनों का काफिला था कि उस बस तक किसी का भी पहुंच पाना संभव नहीं था। अब यही सुरक्षा व्यवस्था जरूर आईपीएल का मैच दिलाने में सहायक होगी। श्री मोदी के सामने श्री भाटिया सुरक्षा से लेकर यहां पर रहने की व्यवस्था के साथ उनके मन में जो भी बातें हॊंगी उनका समाधान करेंगे। एक तरफ जहां स्टेट क्रिकेट संघ को इस बात का भरोसा है कि उनको मेजबानी का मौका मिल जाएगा, वहीं प्रदेश का हर खेल प्रेमी भी इस बात को मानता है कि छत्तीसगढ में अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी करने की पूरी क्षमता है। छत्तीसगढ़ की मेजबानी के सब कायल :- छत्तीसगढ़ की मेजबानी की बात की जाए तो इसकी मेजबानी का अपना देश ही नहीं विदेशी खिलाड़ी भी कायल हैं। यहां पर कोरबा में जब भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के बीच मैच हुआ था तो यहां की मेजबानी की खुले दिल के भारतीय खिलाड़ियॊ के साथ पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने तारीफ की थी। इसी तरह से दुर्ग में भारतीय क्रिकेटरों के बीच हुए प्रदर्शन मैच के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के उद्धाटन अवसर पर आए भारतीय सितारों ने भी माना था कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी वास्तव में काबिले तारीफ है। इसके अलावा यहां पर क्रिकेट के प्रति जैसी दीवानगी क्रिकेटरों से देखी है वैसी दीवानगी उसको और कही देखने को नहीं मिली है। एक प्रदर्शन मैच ही यहां पर एक लाख दर्शक जुट जाते हैं। ऐसे में अगर आईपीएल का मैच होता है तो इस मैच के लिए स्टेडियम छोटा पड़ जाएगा यह बात तय है। क्रिकेट के साथ ही छत्तीसगढ़ में जितने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजन दूसरे खेलों के भी हुए हैं सबमें छत्तीसगढ़ की मेजबानी की तारीफ हुई है। छत्तीसगढ़ में कई देशों के शतरंज के ग्रैंड मास्टर भी खेलने आए हैं और सभी ने वापस जाने से पहले यहीं कहा कि छत्तीसगढ में जब भी खेलने का मौका मिलेगा वे जरूर खेलने आएंगे। ये सारे इस बातें इस बात का सबूत हैं कि छत्तीसगढ़ मेजबानी में नंबर वन है और यहीं बातें उसको आईपीएल का मैच दिलवाने का काम करेगी इसकी उम्मीद है। फिल्मी सितारों का भी मजमा लगेगा:- आईपीएल का मैच छत्तीसगढ़ की ङोली में आया तो यहां के खेल प्रेमियों को न सिर्फ भारत के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को देखने का मौका मिलेगा, बल्कि कई विदेशी क्रिकेट सितारे भी आएंगे। इसी के साथ आईपीएल की टीमों से जुड़ी कई फिल्मी हस्तियां भी यहां आएंगी। ऐसे में यहां पर जो माहौल बनेगा उसकी कल्पना अभी से खेल प्रेमी करने लगे हैं। आज पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा है कि आईपीएल का मैच कब होगा। हर खेल प्रेमी जहां यह जानना चाहता है कि मैच कब होगा, वहीं यह भी जानने की उत्सुकता है कि मैच किन टीमों के बीच होगा और कौन-कौन से सितारे आएंगे। इन सारी बातों से बहुत जल्द पर्दा उठ जाएगा और एक-दो दिन में सारी बातें साफ हो जाएंगी कि कौन सा मैच होगा और कौन-कौन आएंगे।

शनिवार, 14 मार्च 2009

फुटबॉल- हॉकी की अकादमी बनायेगी शेरा क्रीड़ा समिति

छत्तीसगढ़ के फुटबॉल खिलाड़ियों को 34 सालों से तैयार करने का काम करने के साथ ही फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन करने वाली शेरा क्रीड़ा समिति अब फुटबॉल के साथ हॉकी की अकादमी भी बनाने की योजना पर काम कर रही है। शेरा क्लब के नाम से जानी जाने वाली इस संस्था की फुटबॉल टीम जहां आज भी बाहर खेलने जाती है, वहीं समिति ने दो दशक तक अपनी हॉकी टीम को भी बाहर खेलने के लिए भेजा है। इस संस्था से जुड़े 300 से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। शेरा क्रीड़ा समिति की 1975 में स्थापना करने वाले फुटबॉल खिलाड़ी मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि रायपुर में पिछले 34 सालों से फुटबॉल के साथ हॉकी को जिंदा रखने वाली इस संस्था ने अब दोनों खेलों की अकादमी बनाने का फैसला किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मुलाकात करके उनसे रायपुर के आस-पास 10 एकड़ जमीन मांगी जाएगी जिस पर अकादमी बनाई जा सके। उन्हॊंने बताया कि प्रदेश में बनने वाली यह पहली निजी अकादमी होगी जिसकी पूरी योजना बना ली गई है। अकादमी की स्थापना के लिए इसमें भारतीय खेल प्राधिकरण से भी मदद ली जाएगी। शेरा क्रीड़ा समिति के बारे में उन्होंने बताया कि रायपुर में जिस समय इस संस्था की स्थापना की गई थी उस समय फुटबॉल के प्रति दीवानगी कम नहीं थी। तब संस्था ने फुटबॉल के आयोजन का जिम्मा उठाया। इसी के साथ संस्था की फुटबॉल के साथ हॉकी की टीम भी बनाई गई जो अखिल भारतीय स्तर पर खेलने जाती थी। हॉकी की टीम 1996 तक बाहर खेलने जाती थी। इधर शुरुआती दौर में संस्था ने 1976 से गास मेमोरियल में जूनियर वर्ग की सेवन-ए-साइड फुटबॉल की अखिल भारतीय चैंपियनशिप का आयोजन प्रारंभ किया। यह क्रम 1984 तक चला। फुटबॉल की चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीमों के साथ मप्र, महाराष्ट्र, उड़ीसा और कई राज्यों की 32 टीमों को शामिल किया जाता था। संस्था का कार्यालय जब 1985 में सप्रे स्कूल में खोला गया तो यहां से संस्था ने आर्थिक परेशानी के कारण अखिल भारतीय चैंपियनशिप को बंद कर दिया, वहीं 1980 में प्रांरभ की गई राज्य चैंपियनशिप को नियमित रखने का फैसला किया गया। संस्था ने छत्तीसगढ़ के स्कूली और कॉलेज के खिलाड़ियों को एक मंच देने के लिए अंतर स्कूल और अंतर कॉलेज चैंपियनशिप का आयोजन प्रारंभ किया था। जब यह चैंपियनशिप प्रारंभ की गई तो मप्र राज्य के रहते इस चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीमों को ही शामिल किए जाने का फैसला किया गया ताकि यहां के खिलाड़ियों को मौके मिल सके। इसके बाद 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य अलग बना तो भी छत्तीसगढ़ की टीमें भी खेल रही हैं। हर साल दो दर्जन राष्ट्रीय खिलाड़ी निकलते हैं:- मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि संस्था का जब से गठन हुआ है तक से लेकर अब तक 300 से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। मप्र के रहते तो यहां के खिलाड़ियों को उतना मौका नहीं मिलता था लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद से हर साल औसत दो दर्जन खिलाड़ी विभिन्न वर्गों स्कूल, कॉलेज, ओपन, ग्रामीण स्तर पर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने जाते हैं। उन्होंने बताया कि संस्था के बनने के बाद से ही 34 सालों ेसे लगातार संस्था ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर चल रही है। यह शिविर हमेशा 82 दिनों का होता है। यह शिविर एक अप्रैल से प्रारंभ होता है जो 30 जून तक चलता है। शिविर में खिलाड़ियों को वरिष्ठ खिलाड़ियों द्वारा ही प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि संस्था अब महिला खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। टीमें कई चैंपियनशिप में खेली हैं:- एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि शेरा क्लब की फुटबॉल के साथ हॉकी की टीमें भी कई अखिल भारतीय चैंपियनशिप में खेली हैं। हॉकी की टीम को तो 1996 के बाद बाहर भेजना बंद कर दिया गया, लेकिन फुटबॉल की टीमें लगातार खेलने जा रही हैं। श्री प्रधान बताते हैं कि संसाधनों की कमी के कारण हमारी टीम राष्ट्रीय स्तर पर कोई खिताब तो नहीं जीत सकी, लेकिन कई बड़ी चैंपियनशिप के सेमीफाइनल तक जरूर हमारी टीम खेली है। राज्य में होने वाली चैंपियनशिप में दुर्ग की जलाराम ट्रॉफी के साथ बिलासपुर की राम बाबू ट्रॉफी भी जीती है। क्लब के खिलाड़ी बड़े पदों पर:- क्लब से खेलने वाली कई खिलाड़ी इस समय बड़े-बड़े पदॊ पर काम कर रहे हैं। श्री प्रधान ने बताया कि यहां के एक खिलाड़ी नितीन तिवारी बेंगलूर में वैज्ञानिक हैं। इसी के साथ सतीश प्रेमचंदानी इंजीनियर हैं तो सुमीत तिवारी और विमल साहू कॉलेज में प्रोफेसर हैं। इनके अलावा दिवाकर थिटे, सुनील जैन, अलताफ खान और श्रीकांत मिश्रा वकील हैं। और कई खिलाड़ी बाहर कई पदों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्लब के अध्यक्ष पद पर अब्दुल हई कुरैशी के बाद इनायत अली, गजराज पगारिया, इंदरचंद धाड़ीवाल रहे हैं। वर्तमान में चन्द्रशेखर तिवारी अध्यक्ष हैं। सचिवों में पहले सचिव मुश्ताक अली प्रधान थे। इसके बाद दिवाकर थिटे, कल्याण सिंह ठाकुर, शफीक अमन, सतीश प्रेमचंदानी सुमीत तिवारी रहे हैं। श्री प्रधान ने बताया कि उनके क्लब के आयोजन में पूर्व राज्यपाल केएम सेठ के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी आ चुके हैं। सभी ने क्लब की गतिविधियों की तारीफ की है।

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