गुरुवार, 5 मार्च 2009

खेल को किया नापाक- नहीं करेंगे माफ

पाकिस्तान में लंकाई क्रिकेटरों पर हुए आतंकी हमले को लेकर प्रदेश की खेल बिरादरी भी आहत है। क्रिकेट के साथ दूसरे खेलों से जुड़े लोगों का एक स्वर में यह मानना है कि पाक में खेल को जिस तरह से नापाक किया गया है उससे उसको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। खेल बिरादरी का मत है कि पाकिस्तान को विश्व की खेल बिरादरी से बाहर कर देना चाहिए।
पाक की धरती पर क्रिकेट खेलने गई लंकाई टीम के क्रिकेटरों पर हुए हमले पर पूर्व रणजी खिलाड़ी राजय सिंह परिहार ने कहा कि वास्तव में यह कायराना हरकत है। जो टीम ऐसे समय में पाक की इात बचने गई थी जब भारतीय टीम ने वहां जाने से इंकार कर दिया था ऐसी टीम को तो पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा देनी थी, लेकिन हमले ने साबित कर दिया कि पाक में टीम की सुरक्षा पर ध्यान ही नहीं दिया गया। श्री परिहार ने कहा कि पाक से सभी खेलों के रिश्ते हर देश को तोड़ लेने चाहिए। ऐसी ही बात प्रदेश की महिला टीम के कोच रहे रवि राजा ने भी कहीं। उनका कहना है कि पाक को कभी माफ नहीं करना चाहिए। प्रदेश क्रिकेट संघ के सचिव और पूर्व खिलाड़ी राजेश दवे ने कहा कि इस घटना से क्रिकेट का काफी नुकसान हो गया है, पाक में तो अब क्रिकेट समाप्त ही हो जाएगा। पाकिस्ताव जाने के लिए कोई टीम क्या किसी भी देश का आम नागरिक तैयार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पाक ने जिस आश्वासन के साथ लंकाई टीम को अपने घर बुलाया था उस आश्वासन पर पाक सरकार खरी नहीं उतरी।
सारे मैच रोक देने थे :- टेबल टेनिस के राष्ट्रीय खिलाड़ी अमिताभ शुक्ला का मानना है कि जैसे ही लंकाई क्रिकेटरों पर हमले की खबर आई कम से कम विश्व में जहां भी क्रिकेट के मैच हो रहे थे सबको विरोध स्वरूप रोक देना था। ऐसा करना ही असली विरोध होता। ऐसी बात कहते हुए कराते के अजय साहू ने कहा कि क्रिकेट ही क्या आज के दिन जिस भी खेल के मैच जहां भी हो रहे थे सभी को रोककर इस दिन को खेल का काला दिवस घोषित कर देना था। बास्केटबॉल की खिलाड़ी इशरत जहां के साथ नेटबॉल की खिलाड़ी भावना खंड़ारे ने कहा कि मात्र काली पट्टी लगाकर खेलने से विरोध नहीं होता है असली विरोध तो तब होता जब वास्तव में सारे मैच रोक दिए जाते।
पाक पर लगे प्रतिबंध :- प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खेल बिरादरी को कड़ा कदम उठाते हुए पाक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए। हॉकी के अंतरराष्ट्रीय अंपायर मो. मुनीर का भी कहना है कि अब तो पाकिस्तान पर हर खेल में प्रतिबंध लगा देना चाहिए। यह बात तय है कि वहां खेलने जाने के लिए कोई टीम तैयार नहीं होगी। पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों के कारण ही वहां पर हॉकी की चैंपियंस ट्रॉफी दो बार टली। हॉकी के राष्ट्रीय अंपायर और सेंट्रल रेलवे नागपुर टीम के मैनेजर फैय्याज कुरैशी ने कहा कि जिस तरह से खिलाड़ियों का कोई मजहब नहीं होता है उसी तरह से आतंकवादियॊं का भी कोई मजहब नहीं होता है। बेगुनाह खिलाड़ियों का खुन बहाने वाले कभी इस्लाम को मानने वाले नहीं हो सकते हैं। पाक सरकार को तो इस घटना से शर्म से अपना सर झुका लेना चाहिए। लंकाई क्रिकेटरों के सुरक्षा की जवाबदारी पाक की थी अगर सरकार ऐसा नहीं कर पाई तो इसके लिए वह जिम्मेदार है।
सुरक्षा की खुली पोल :- राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने कहा कि पाक सरकार को छत्तीसगढ़ सरकार जितनी भी खिलाड़ियों को सुरक्षा नहीं दे सकी। लंकाई टीम को जो सुरक्षा देने की बात ही गई थी वह हमले से साफ हो गई कि टीम को कोई सुरक्षा नहीं दी गई थी। छत्तीसगढ में क्रिकेट स्टेडियम के उद्धाटन अवसर पर भारत के जो पूर्व खिलाड़ी मैच खेलने आए थे तो जिस बस में खिलाड़ी उसके आगे और पीछे 25-25 वाहनों का काफिल चल रहा था। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि भारत विश्व कप की मेजबानी के लिए अकेले सक्षम है। विश्व कप के कुछ मैच छत्तीसगढ़ के स्टेडियम में भी हो सकते हैं। साफ्टबॉल के कोच लिंगराज रेड्डी और फुटबॉल की प्रशिक्षक सरिता कुजूर का कहना है कि किसी भी खेल की टीम को पाकिस्तान खेलने नहीं भेजना चाहिए। फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान ने कहा कि पाक पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा देना चाहिए। पाक की किसी भी टीम को ओलंपिक, एशियाड के साथ किसी भी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। बैडमिंटन के पूर्व खिलाड़ी अनुराग दीक्षित और कविता दीक्षित ने कहा कि एक वह समय था जब म्युनिख ओलंपिक में 1972 में खिलाड़ियों का खून बहा था और एक आज का दिन है। इन्होंने कहा कि पाक से जिस तरह के दांवे भारतीय टीम को पाकिस्तान दौरे पर बुलाने के लिए किए थे वे सारे आज की घटना से घरे के घरे रह गए।
भारतीय टीम होती तो युध्द हो जाता:- हॉकी खिलाड़ी और अंपायर देवेश शुक्ला का कहना है कि अगर लंकाई टीम के स्थान पर भारतीय टीम होती तो स्थिति काफी खतरनाक हो जाती। उन्होंने कहा कि यह बात तय है कि पाक में भारतीय खिलाड़ियों के साथ कुछ हो जाता तो युध्द होने से कोई नहीं रोक पाता। हफीज यजदानी ने कहा कि अगर भारतीय सेना हमला नहीं करती तो देश में क्रिकेट लोग इतने दीवाने हैं कि देशवासी ही पाक के बार्डर में घुस जाते। नागपुर के राष्ट्रीय हॉकी अंपायर मनीष गौर ने कहा कि खेल पर हमला नहीं होना चाहिए। ऐसे में नुकसान तो खिलाड़ियों का होता है। आज की घटना के बाद लंकाई टीम की तो कमर ही टूट गई। चार दशक से ज्यादा समय से हॉकी के जुड़े हुए डॉ. क्यूए वाहिद ने कहा कि इस घटना के बाद समूचे विश्व को पाक के खिलाफ कड़ा कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के जीवन के खिलवाड़ शर्मनाक है। एथलेटिक क्लब के महासचिव मंसूर अहमद ने कहा कि पाक से खेलों के ही नहीं बल्कि हर तरह के रिश्ते तोड़ लेने चाहिए। इस घटना का आर्थिक असर भी पड़ेगा। फुटबॉल खिलाड़ी दिवाकर थिटे ने कहा कि पाक में खेलने जाने का फैसला ही गलत था। पाक को आतंकवादी देश घोषित कर देना चाहिए।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

निन्दनीय एवं दुखद घटना.

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