सोमवार, 31 मई 2010

खेल संघों पर कसा शिंकजा

प्रदेश के खेल विभाग ने राज्य स्पर्धा में भाग लेने वाली जिलों की टीमों के खिलाडिय़ों की सूची ४५ दिन पहले देने का फरमान जारी करके खेल संघों पर शिंकजा कस दिया है। इससे खेल संघों के पदाधिकारी खफा हैं। खेल विभाग के इस फरमान को तानाशाही बताया जा रहा है।
प्रदेश में होने वाली राज्य स्तर की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग खेल संघों के साथ मिलकर करता है। इस आयोजन में होने वाली गड़बडिय़ों को रोकने के लिए खेल विभाग ने जो योजना बनाई है उसके तहत अब किसी भी राज्य स्पर्धा से पहले जिलों की टीमों के खिलाडिय़ों की सूची खेल विभाग को ४५ दिनों पहले देनी होगी। खिलाडिय़ों के पंजीयन के लिए खेल विभाग ने एक फार्म बनाया है। इस फार्म को सभी खिलाडिय़ों को भर कर देना पड़ेगा। खेल विभाग के इस फरमान के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि ऐसा करने से जहां एक जिले का खिलाड़ी दूसरे जिले से नहीं खेल पाएगा, वहीं शहरी खेलों में पंजीयन होने के बाद कोई खिलाड़ी ग्रामीण खेल में नहीं खेप पाएगा। इसी के साथ खिलाडिय़ों के ओवरएज पर अकुंश लगेगा।
खेल विभाग की इस पहल को खेल संघ ठीक तो मान रहे हैं लेकिन जिलों की सूची ४५ दिन पहले देने की बात से कोई सहमत नहीं है। प्रदेश हैंडबॉल संघ के सचिव बशीर अहमद खान, बास्केटबॉल संघ के राजेश पटेल, जूडो संघ के अरूण द्विवेदी, खो-खो संघ के एम. रामू, वालीबॉल संघ के साही राम जाखड़ सहित कई खेल संघों के पदाधिकारी एक स्वर में कहते हैं कि ४५ दिनों के नियम को हटाकर एक सप्ताह का कर देना चाहिए। इसी के साथ खेल संघों के पदाधिकारियों का ऐसा मानना है कि जिला स्पर्धाओं का भी आयोजन करवाना चाहिए। ऐसे आयोजन के लिए भी खेल विभाग पैसे दें। इन आयेजनों में भी खेल संघ मदद करेंगे। जिलों में विकासखंड के खिलाडिय़ों को जिला स्तर पर खेल कर राज्य स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा।

खिलाड़ी दमदार, तो खेल चमकदार

राजधानी में हुई झमाझम बारिश का असली मजा फुटबॉलरों ने उठाया। पिछले ११ दिनों से गर्मी में तपते हुए दमदार बनाने की कवायद में लगे खिलाडिय़ों को भी आज राहत मिली। शिविर में प्रशिक्षण लेने वाले खिलाडिय़ों में कोच मुश्ताक अली प्रधान को उस तरह का दम नजर नहीं आता है जैसा दम फुटबॉलरों में होना चाहिए। यही वजह है कि शिविर में खिलाडिय़ों की फिटनेस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इधर खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि विश्व कप फुटबॉल का प्रारंभ होने वाला है। ऐसे में फुटबॉल के प्रति खिलाडिय़ों में रूङाान भी बढ़ा है। राजधानी के खिलाडिय़ों को इस बात का अफसोस है कि भारत को विश्व कप में खेलने का मौका नहीं मिलता है।
सप्रे स्कूल के मैदान में प्रशिक्षण लेने वाले फुटबॉलरों के चेहरे आज शाम को खिले हुए थे। उनके खुश होने का सबसे बड़ा कारण था मौसम। मौसम के खुशगवार होने के कारण आज खिलाडिय़ों ने बाकी दिनों की तुलना में जमकर अभ्यास किया। वैसे पिछले ११ दिनों से खेल विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भरी गर्मी में भी खिलाड़ी जमकर अभ्यास कर रहे हैं। खिलाडिय़ों को किसी भी कीमत पर अभ्यास में लापरवाही बरतने की इजाजत कोच मुश्ताक अली प्रधान नहीं देते हैं। बकौल कोच मुश्ताक अली यह बहुत दुखद है कि अपने राजधानी के खिलाडिय़ों में किक मारने का भी दम नहीं है। ऐसे में हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों के दम पर अपने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिल सकती है। वे कहते हैं कि यही वजह है कि हम शिविर में सबसे पहले खिलाडिय़ों को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान देते हैं। खिलाडिय़ों को सबसे पहले मैदान में पांच चक्कर लगाने के लिए कहा जाता है। इतने कम चक्कर के बाद भी ुखिलाड़ी थक जाते हैं। लेकिन कोच यही नहीं ठहरते हैं, वे खिलाडिय़ों को इसके बाद खेल के लिए मैदान में उतार देते हैं।
कोच बताते हैं कि खिलाडिय़ों को जहां स्कील और बेसिक जानकारी से अवगत करवाया जा रहा है, वहीं उनको बॉल रोकने, पास देने, खिलाडिय़ों से बॉल छिनने, हेडिंग करने के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को रोज आपस में मैच भी खिलाए जाते हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि खेल विभाग के शिविर के लिए १६५ खिलाडिय़ों ने पंजीयन करवाया है। यह रिकॉर्ड संख्या है। इसके पहले इतने खिलाड़ी कभी नहीं आए। इस बार इतने ज्यादा खिलाडिय़ों के आने के पीछे का एक कारण विश्व कप फुटबॉल भी है। विश्व कप का जुनून अपने राजधानी के खिलाडिय़ों में भी छाया हुआ है।
भारत के विश्व कप में न होने का अफसोस
प्रशिक्षण शिविर में फुटबॉल के गुर सीख रहे प्रियांशु कोचर, सत्यम देवांगन, हिमांशु यादव, मो. समीर, कमल कौशिक, यश दुबे, राजा शर्मा, नवीन चटर्जी, मो. फैजल, अभिषेक ठाकुर, उमेश वाकड़े, मो. शहबाज सअली और राहुल शर्मा का कहना है कि विश्व कप फुटबॉल को लेकर इनके मन में उत्साह तो है, पर इस बात का सबसे ज्यादा अफसोस है कि अपने देश की टीम को इसमें खेलने का मौका नहीं मिलता है। सभी खिलाड़ी कहते हैं कि काश भारत भी विश्व कप में खेलता तो कितना अच्छा होता। सभी खिलाड़ी पूछने पर कहते हैं कि उनका इरादा विश्व कप के मैच देखकर कुछ सीखने का रहेगा। सभी कहते हैं कि हम हर मैच को देखने का प्रयास करेंगे। प्रशिक्षण शिविर के बारे में पूछने पर सभी कहते हैं कि हम लोग इस शिविर में इसलिए आए हैं ताकि फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी बनकर पहले अपने राज्य के लिए और आगे देश के लिए खेल सके।

रविवार, 30 मई 2010

खेल के साथ आत्मरक्षा भी है कराते में

साहू सदन बैरनबाजार में सुबह के समय हर तरफ खिलाडिय़ों का जमावड़ा लगा है। एक तरफ छोटे से लेकर बड़े खिलाड़ी काता करने में लगे हैं तो दूसरी तरफ महिला खिलाड़ी बचाव के दांव-पेंच सिखाने में व्यस्त हंै। काता करते समय जहां खिलाड़ी मुंह से आवाज निकालते हुए अभ्यास में जुटे हैं, वहीं फाइट करते समय भी खिलाड़ी आवाज कर रहे हैं। कराते में आवाज करना खेल का एक हिस्सा है।
राजधानी में खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने २२ खेलों का प्रशिक्षण शिविर लगाया है। इन खेलों में सबसे ज्यादा खिलाड़ी जिन खेलों में आ रहे हैं, उनमें एक खेल कराते भी है। कराते का क्रेज खिलाडिय़ों में हमेशा से रहा है। कराते खासकर लड़कियों के लिए ज्यादा जरूरी हो गया है। कराते के प्रशिक्षक अजय साहू कहते हैं कि जिस तरह से राजधानी में लगातार अपराध बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए यह जरूरी है हर लड़की कम से कम इतने दांव-पेंच तो जान ही ले जिससे वह अपना बचाव कर सके। अजय साहू ने एक बार नहीं कई बार राजधानी के डिग्री गल्र्स कॉलेज के साथ अन्य स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर कॉलेज और स्कूली लड़कियों को आत्मरक्षा के दांव-पेंच सिखाए हैं। वे बताते हैं कि बहुत सी खिलाड़ी ऐसी हैं जो आई तो थीं आत्मरक्षा के लिहाज के कराते सीखने लेकिन इस खेल की विशेषता देखकर वे खेल के रूप में इसे अपना चुकी हैं।
साहू सदन में कराते के गुर सीखने वाले खिलाडिय़ों में कम उम्र के खिलाड़ी भी हैं। ऐसे खिलाडिय़ों में सृष्टि शर्मा, शिवानी शर्मा, अनिकेत मेहतो, भाविका साहू, पूर्वी साहू, कृतार्थ साहू के नाम प्रमुख हैं। इनके अलावा सूरज शुक्ला, गोजेन बॉग, हरीश बॉग, रूपल शाह, समीर शाह, आदित्य हेमकांति महानंद, हिमांशु मर्विडकर, माघवेन्द्र साहू, दयान अलाम ऐसे खिलाड़ी हैं जो पहली बार कराते का प्रशिक्षण लेने आए हैं। इनका एक स्वर में कहना है कि वे इस खेल से बहुत प्र्रभावित हैं और इस खेल को ही आगे खेलना चाहते हैं। इनका कहना है कि इस खेल से फिटनेस भी अच्छी रहती है।
बैरनबाजार के साहू सदन में इस समय करीब १०० खिलाड़ी सुबह को ६.३० से ८.३० बजे तक प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। इन खिलाडिय़ों को तराशने का काम अजय साहू के साथ नीरज अग्रवाल और हर्षा साहू कर रहे हैं। इन प्रशिक्षकों में से अजय साहू वरिष्ठ प्रशिक्षक हैं और पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से खिलाडिय़ों को तैयार करने का काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि जो भी खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर के बाद कराते को खेल के रूप में अपनाना चाहते हैं उनको लगातार साल भर नियमित् अभ्यास करना होगा। वे कहते हैं कि राज्य में जितने ज्यादा कराते के खिलाड़ी निकलेंगे उतना फायदा है क्योंकि राज्य को २०१३ के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है और अपनी मेजबानी में कराते ही एक ऐसा खेल है जो सबसे ज्यादा पदक दिला सकता है।

खेल पुरस्कारों के लिए ३० जून तक लिए जाएंगे आवेदन

प्रदेश के खेल पुरस्कारों के साथ खेल वृत्ति के लिए राज्य के खिलाडिय़ों से आवेदन आमंत्रित किए गए है। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि ३० जून निर्धारित की गई है।
यह जानकारी देते हुए राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि प्रदेश के खेल विभाग द्वारा राज्य के सीनियर खिलाडिय़ों के लिए दिए जाने वाले शहीद राजीव पांडे पुरस्कार, जूनियर खिलाडिय़ों के लिए शहीद कौशल यादव पुरस्कार के साथ प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले हुनमान सिंह पुरस्कार के अलावा पांच साल की उपलब्धियों पर दिए जाने वाले पंकज विक्रम पुरस्कार के लिए विभाग ने आवेदन आमंत्रित किए हैं। इसी के साथ विभाग ने राज्य स्तरीय किसी भी खेल में पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों के लिए खेलवृत्ति के भी आवेदन मांगे हैं। खेल वृत्ति में सब जूनियर वर्ग में जिला स्तर पर १८ सौ, राज्य स्तर पर २४ सौ, जूनियर खिलाडिय़ों को जिला स्तर पर २४ सौ और राज्य स्तर पर तीन हजार रुपए, सीनियर खिलाडिय़ों को जिला स्तर पर तीन हजार और राज्य स्तर पर ३६ सौ की खेलवृत्ति दी जाती है।

शनिवार, 29 मई 2010

नौकरी कब मिलेगी सरकार

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में राज्य के करीब एक दर्जन उत्कृष्ट खिलाड़ी पहुंचे और उनसे कहा कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के चार माह बाद भी वे लोग भटक रहे हैं और उनको नौकरी नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों की व्यथा सुनने के बाद खेल सचिव से इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करने कहा है। राज्य सरकार ने ्रराज्य के ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके उनको नौकरी के लिए पात्र माना है।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार भाजपा सरकार की पहल पर राज्य के खिलाडिय़ों को नौकरी देने की पहल करते हुए उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का नियम बनाया गया। इस नियम के बनने के काफी लंबे समय बाद अंतत: पिछले साल राज्य के ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया और इन खिलाडिय़ों को इस साल के प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों ही उत्कृष्ट खिलाड़ी होने के प्रमाणपत्र दिलवाए गए। प्रमाणपत्र मिलने के बाद खिलाडिय़ों को लगा था कि अब उनकी बेरोजगारी के दिन गए और उनके हाथ में अब जल्द ही नौकरी होगी। लेकिन खिलाडिय़ों को यह भ्रम टूट गया है। प्रमाणपत्र मिलने के करीब चार माह बाद भी खिलाड़ी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। खिलाड़ी हर रोज खेल विभाग के साथ मीडिया में पत्रकारों को फोन करके पूछते हैं आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। कई बार खिलाडिय़ों की व्यथा को प्रकाशित किया जा चुका है, पर खिलाडिय़ों का भला नहीं हो रहा है।
इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य प्रशासन में खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियम अंतिम चरण में हंै। लेकिन इस बात को भी एक माह से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन नियमों का अब तक अता-पता नहीं है। ऐेसे में हताश खिलाडिय़ों ने अंतत: राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में जाकर फरियाद करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री के दरबार में रीना साहू, इशरत जहां, सुनीता टोपो, डी. राजु, विनिता, इम्तियाद, इशरत अंजुम, साइमा अंजुम सहित करीब एक दर्जन खिलाड़ी गए और उनके सामने अपनी व्यथा रखी। खेल और खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा अच्छा सोचने वाले मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों से विस्तार से बात की और उनको आश्वासन दिया कि राज्य के खिलाडिय़ों को सरकार जल्द ही नौकरी देने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए राज्य के खेल सचिव को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आश्वासन के बाद खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि उनका अब नौकरी जल्द मिल जाएगी। खिलाड़ी कहते हैं कि सामान्य प्रशासन को नियमों को जारी करने में विलंब नहीं करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ ३७ स्वर्ण के साथ बना ओवरआल चैंपियन

राष्ट्रीय जूनियर म्यूथाई चैंपियनशिप में एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने जलवा दिखाते हुए ३७ स्वर्ण पदकों के साथ ओवरआल चैंपियनशिप पर कब्जा कर लिया। बेंगलुरु में हुई स्पर्धा के बारे में प्रदेश संघ के अनीस मेमन ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बालक और बालिकाओं ने सबसे ज्यादा ३७ स्वर्ण के साथ १३ रजत और ९ कांस्य पदक जीते। स्पर्धा में मिजोरम को दूसरा स्थान मिला। उसके खाते में १० स्वर्ण, २ रजत और दो कांस्य पदक आए। तीसरा स्थान पाने वाले असम को ३ स्वर्ण, ८ रजत और दो कांस्य पदक मिले। छत्तीसगढ़ की टीम ३० मई को रायपुर लौटेगी।

वेगड़ ने सिखाए गेंदबाजी के गुर

प्रदेश के पूर्व रणजी खिलाड़ी जितेन्द्र वेगड़ ने आज क्रिकेट के प्रशिक्षण शिविर में खिलाडिय़ों को गेंदबाजी के गुर सिखाएं।
यह जानकारी देते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे खेल संघ के संभागीय सचिव अमतजीत सिंह कलसी ने बताया कि डब्ल्यबआरएस कालोनी में सेरकसा के क्रिकेट मैदान में चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविर में खिलाडिय़ों को निखारने के लिए बाहर के प्रशिक्षक बुलाकर उनको खेल की बारीकियों के अवगत करवाया जा रहा है। इसी कड़ी में गेंदबाजों को सही तकनीक की जानकारी देने के लिए पूर्व रणजी खिलाड़ी और प्रदेश के लेबल वन कोच जितेन्द्र वेगड़ को बुलाया गया। उन्होंने खिलाडिय़ों को इन स्विंग, आउट स्विंग के साथ बॉल की सीम पोजीशन के बारे में बताया श्री वेगड़ के साथ खिलाडिय़ों को विजय नायडु ने भी खेल की बारीकियों से अवगत करवाया। उन्होंने बल्लेबाजों को डिफेंस के साथ ड्राइव का अभ्यास करवाया।

शुक्रवार, 28 मई 2010

जंप रोप खिलाडिय़ों को मदद

विश्व कप में खेलने जाने के लिए भटक रहे जंप रोप के तीन खिलाडिय़ों को श्याम नगर गुरुद्वारा कमेटी ने आज ५१ हजार की मदद की।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश जंप रोप संघ के अखिलेश दुबे ने बताया कि राज्य के तीन खिलाडिय़ों राजदीप सिंह हरगोत्रा, पूजा हरगोत्रा और श्वेता कुर्रे का चयन भारतीय टीम में हुआ है। खिलाडिय़ों को इंग्लैंड खेलने जाने के लिए चार लाख २० हजार की जरूरत है। ऐसे में खिलाडिय़ों ने सभी से मदद की अपील की है, ताकि विश्व कप में खेलकर वे राज्य का नाम कर सके। खिलाडिय़ों की मदद के लिए कई लोग सामने आए हैं, फिर भी खिलाडिय़ों के लिए पूरी राशि जमा नहीं हो पाई है। जंप रोप संघ ने इसके लिए कर्ज भी लिया है। आज खिलाडिय़ों को विधायक कुलदीप जुनेजा की पहल पर श्याम नगर गुरुद्वारा कमेटी ने५१ हजार रुपए की मदद की। खिलाडिय़ों को चेक वितरण के कार्यक्रम में खिलाडिय़ों ने जंप रोप का भी प्रर्दशन किया।

फारूख बने उपविजेता

प्रदेश के मूक बघिर कैरम खिलाड़ी मो. फरूख ने ईस्ट जोन कैरम चैंपियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त कर अंतर जोन स्पर्धा में खेलने की पात्रता प्राप्त कर ली। स्पर्धा में छत्तीसगढ़ की पुरुष टीम को तीसरा स्थान मिला।
देवघर में खेली गई इस स्पर्धा के बारे में कैरम संघ के विजय कुमार ने बताया कि मो. फारूख का फाइनल में उप्र के मो. गुलफाम से मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में फारूख को १-२ से मात मिली जिसके कारण वे खिताब तो नहीं जीत पाए, लेकिन १४ जून से बड़ौदा में होने वाली अंतर जोनल स्पर्धा के लिए ईस्ट जोन की टीम में स्थान बना लिया।
इधर पहली बार प्रदेश की पुरुष टीम ने स्पर्धा में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस टीम में मो. फारूख के साथ रवि सोनी, लाखन साोनी और केजे पाल शामिल थे।

गुरुवार, 27 मई 2010

बजट कम फिर भी प्रशिक्षण शिविरों में दम

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी रायपुर में २० खेलों का ३२ मैदानों में प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। इन शिविरों में १५ सौ खिलाडिय़ों को निखारने की कवायद चल रही है। रायपुर जिले को प्रशिक्षण शिविर के लिए एक लाख की ही राशि मिली है, इसके बाद भी ज्यादा खेलों के प्रशिक्षण शिविर लगाए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाडिय़ों को इसका लाभ मिल सके।
खेल विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन हर जिले में किया जाता है। रायपुर जिले में हमेशा सबसे ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को निखारने का काम जिला खेल विभाग द्वारा किया जाता है। इस बार भी रायपुर में २० खेलों का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया है। इस खेलों में करीब १५ सौ खिलाड़ी खेल के गुर सीख रहे हैं। वालीबॉल में १५५, फुटबॉल में २०५, एथलेटिक्स में ५०, बास्केटबॉल में १८५, साफ्टबॉल में ११५, हैंडबॉल में ५५, हॉकी में ५७, कराते में १००, भारोत्तोलन में २५, जूडो में ५५, टेनीक्वाइट में ८०, जंपरोप में ४०, म्यूथाई में ४०, नेटबॉल में १००, ताइक्वांडो में ३५, टेबल टेनिस में ९०, कबड्डी में ४०, जिम्नास्टिक में २०, वुशू में ४०, बैडमिंटन में ५० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं।
वालीबॉल का प्रशिक्षण अजीत कुट्टन, स्मृित साव, अभय गणोरकर, सूरज महाडिक, एथलेटिक्स का रवि धनगर, बास्केटबॉल का उमेश सिंह ठाकुर, गुरचरन रहेजा, भाटापारा में शरद पंसारी, फुटबॉल का मुश्ताल अली प्रधान, सरिता कुजूर, साफ्टबॉल का आलोक मिश्रा, आरिफ खान, निंगराज रेड्डी, संजू शुक्ला, कमलेश कश्यप, हैंडबॉल का सुकचंद वर्मा, कमलेश, सुनील भोई, हॉकी का नजीर अहमद, रश्मि तिर्की, कराते का अजय साहू, तुलसी सपहा, भारोत्तोलन का तेजा साहू, जूडो का नीलम तिवारी, टेनीक्वाइट का प्रियंका साहू, वरूण पांडे, मोहन कुमार, म्यूथाई का अनिस मेमन, नेटबॉल का सुधीर वर्मा, भावा खंडारे, ताइक्वांडो का कुमार विश्वकर्मा, विष्णु साहू, टेबल टेनिस का विनय बैसवाडे, मोहन आप्टे, अरविंद मिश्रा, कबड्डी का पीजी उमाठे, कासीराम ध्रुव, बुद्धेश्वरी, वुशू का सुहैल हैदरी, रेणु तिवारी, बैडमिंटन कविता दीक्षित, जिम्नास्टिक का उदय सिंह ठाकुर दे रहे हैं।
रायपुर में चल रहे प्रशिक्षण शिविरों के लिए विभागों से एक लाख का राशि मिली है। राशि कम होने के बाद भी राजधानी में ज्यादा मैदानों में खिलाडिय़ों को निखारने का काम किया जा रहा है। बजट को लेकर हमेशा परेशानी रही है राजधानी में ज्यादा खिलाड़ी होने के कारण यहां पर हर खेल का प्रशिक्षण शिविर लगाना पड़ता है, जिस खेल का शिविर नहीं लगता है उस खेल के खिलाड़ी नाराज हो जाते हैं। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा खेलों का शिविर लगाना जरूरी हो जाता है, लेकिन इसके लिए उतना बजट विभाग से नहीं मिल पाता है। पिछले साल भी कम बजट के कारण ऐसा लग रहा था कि खेलों का दम न निकल जाए, लेकिन बाद में बजट दे दिया गया था। इस बार पिछली बार से बजट कम मिला है।

राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार

राजधानी रायपुर के साई सेंटर को खोलने के लिए हमें समय नहीं लगने वाला है। इसके लिए हमें केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल गई है, अब हमें छत्तीसगढ़ सरकार की मंजूरी का इंतजार है। वहां से मंजूरी मिलते ही इसको प्रारंभ करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगाी।
ये बातें हरिभूमि से भारतीय खेल प्राधिकरण साई सेंटर के भोपाल के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु ने कहीं। उन्होंने संपर्क करने पर कहा कि उनके पास छत्तीसगढ़ के खेल विभाग से यह खबर जरूर आ गई है कि नगर निगम ने हमारी सभी शर्तों को मान लिया है और इन शर्तों को मानने के बाद अंतिम मंजूरी के लिए फाइल को मंत्रालय में नगरीय निकाय विभाग में भेजा गया है, लेकिन वहां से अब तक सरकार की मंजूरी की जानकारी हमारे पास नहीं आई है। वहां से जानकारी आने की देर है बस हम लोगों का पूरा दल पहुंच जाएगा रायपुर में साई सेंटर प्रारंभ करने के लिए।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि रायपुर में खुलने वाले साई सेंटर में उस समय रोड़ा आ गया था जब निगर निगम को इस बात की जानकारी लगी थी कि साई की एक शर्त यह है कि वह जो भी पैसा सेंटर के विकास में खर्च करेगा उसका कुछ प्रतिशत निगम को ३० साल की लीज समाप्त होने पर उस स्थिति में वापस करना पड़ेगा जब निगम लीज बढ़ाने के स्थान पर सेंटर के लिए दिए जाने वाले स्पोट्र्स काम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम को वापस लेता है। ऐसे में निगम को इस बात का डर लगा कि साई द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए वह कहां से देगा। ऐसे में निगम को केन्द्रीय खेल राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने समझाया था कि जो राशि निगम को ३० साल बाद वापसी देनी पड़ेगी वह नाम मात्र की होगी।
जब निगम को यह बात समझ आई तो उसने जहां अपनी एमआईसी की बैठक में ३० साल की लीज को मंजूरी दे दी है, वहीं साई की ३० साल कुछ प्रतिशत राशि वापस देने की भी बात मान ली है। निगम से मंजूरी के बाद फाइल एक माह पहले नगरीय निकाय को भेजी गई है, लेकिन वहां से अब तक इसको मंजूरी न मिलने के कारण साई सेंटर लटका हुआ है। खेल संघों के पदाधिकारी और खिलाड़ी कहते हैं कि नगरीय निकाय को जल्द मंजूरी दे दी चाहिए।

बुधवार, 26 मई 2010

मुख्यमंत्री को अध्यक्ष बनाने खेल संघों में एका

छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ में उठे विवाद के बीच अचानक प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को संघ का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके लिए प्रदेश के मान्यता प्राप्त ३३ खेल संघों में से ३२ संघों के अध्यक्ष और सचिवों ने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रदेश को मिली ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के बाद अचानक ओलंपिक संघ में विवाद पैदा हो गया है। संघ में रायपुर और भिलाई के संघों के बीच टकराव की स्थिति आ गई है। ऐसे में राष्ट्रीय खेलों पर मंडराते खतरे को देखते हुए प्रदेश के मान्यता प्राप्त ३३ खेल संघों में से ३२ खेल संघों ने एक मत से सहमत होते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनाने का एक प्रस्ताव संघ के सचिव बशीर अहमद खान को लिखित में दिया है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि अब अगले माह या फिर जुलाई में ओलंपिक संघ के होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को संघ का अध्यक्ष बना दिया जाएगा।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव आज से करीब चार माह पहले तब रखा गया था जब प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र बांटने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में ही लॉन टेनिस संघ के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह होरा के साथ वालीबॉल संघ के गजराज पगारिया ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने जब ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव रखा था तो मुख्यमंत्री ने डन कहते हुए सहमति दी थी। इसके बाद इस प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हो सकी थी। छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री को प्रदेश के ज्यादातर खेल संघ अध्यक्ष बनाने उसी समय से तैयार बैठे हैं जब से छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों को मेजबानी मिली है।
ऐसे में ओलंपिक संघ में उठे विवाद के बाद ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त ३३ खेल संघों में से ३२ खेल संघों जिसमें एमेच्योर मुक्केबाजी संघ, तैराकी संघ, हैंडबॉल, प्रदेश फेंसिंग संघ, जूडो, एथलेटिक्स, कयाकिंग-कैनोइंग, बिलियड्र्स-स्नूकर, लॉन बालिंग, सायक्लिंग, फुटबॉल, लॉन टेनिस, जिम्नास्टिक, कबड्डी, रायफल शूटिंग, रोविंग, स्क्वैश, ताइक्वांडो, वालीबॉल, वेटलिफ्टिंग, बास्केटबॉल, कुश्ती, बैडमिंटन, विंटर गेम्स, वुशू, थ्रेथलान, खो-खो, हॉकी, रग्बी, इक्वेस्ट्रियन, तीरंदाजी एवं नेटबॉल संघ शामि हैं। इन सभी संघों ने लिखित में मुख्यमंत्री को अध्यक्ष बनाने पर सहमति जताई है।
प्रदेश संघ के बशीर अहमद खान ने कहा कि वैसे तो पूर्व में मुख्यमंत्री से बात की जा चुकी है, अब एक बार फिर से जून या जुलाई में होने वाले चुनाव से पहले उनसे सहमति लेकर उनको निर्विरोध संघ का अध्यक्ष बनाया जाएगा।

हर जिले के धावकों को मौका देने का प्रयास

प्रदेश की राजधानी रायपुर के साथ दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव में होने वाली बैटन रिले में प्रदेश के सभी १८ जिलों के धावकों को मौका देने का प्रयास रहेगा। खेल विभाग ने कामनवेल्थ समिति को ६०० धावकों की कोटा देने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया है।
इस बात का खुलासा आज मंत्रालय में हुई बैटन रिले की राज्य स्तरीय समिति की बैठक में किया गया। खेल सचिव सुब्रत साहू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बताया गया कि बैटन रिले का आयोजन भले तीन जिलों में किया गया है। लेकिन यह रिले पूरे राज्य के लिए हैं। ऐसे में हर जिले के ऐसे राज्य के पुरस्कार प्राप्त खिलाडिय़ों के साथ अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को इसमें मौका देने का प्रयास रहेगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि राज्य में जहां इस समय २७४ राज्य के पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी हैं, १०० से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। कुल मिलाकर ४०० से ज्यादा खिलाडिय़ों को रिले में शामिल करने का प्रयास है। इसी के साथ रिले में २०० ज्यादा वीआईपी भी शामिल होंगे। रिले में खिलाडिय़ों के साथ अन्य क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं को भी मौका दिया जाएगा।
कामनवेल्थ की आयोजन समिति ने छत्तीसगढ़ के लिए महज १५० धावकों का कोटा तय किया है। इस कोटे में ६०-६० रायपुर और दुर्ग-भिलाई के खाते में और ३० राजनांदगांव के खाते में हैं। ऐसे में जबकि यह कोटा बहुत कम लग रहा है तो इस कोटे को बढ़ाने की मांग करते हुए प्रदेश के खेल विभाग ने यह कोटा कम से कम ६०० करने की मांग की है। इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बैठक में बताया कि राजधानी रायपुर में होने वाली बैटन रिले में ही धावकों की संख्या ३०० के आस-पास हो जाएगी।
राजधानी में होने वाली रिले में जहां राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को शामिल किया गया है, वहीं और कई वीआईपी किए गए हैं। राजधानी के दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव में होने वाली रिले के इन जिलों के खेल विभाग ने धावकों की जो सूची तैयार की है, उस सूची में राज्य के शहीद राजीव पांडे, शहीद कौशल यादव, हनुमान सिंह पुरस्कार के साथ खेल विभूति, पंकज विक्रम, गुंडाधूर पुरस्कार के अलावा मप्र के समय मिले विक्रम पुरस्कार वाले खिलाड़ी शामिल किए गए हैं। इसी के साथ मान्यता प्राप्त खेल संघों के साथ कुछ और खेल संघों के पदाधिकारी और अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को शामिल किया गया है।
दुर्ग-राजनांदगांव में रास्ता बदलेगा
बैठक में दुर्ग के साथ राजनांदगांव में बैटन रिले का रास्ता बदलने पर चर्चा की गई। पिछले सप्ताह जब यहां पर कामनवेल्थ बैटन रिले आयोजन समिति के दो सदस्य आए थे तो उन्होंने दुर्ग और राजनांदगांव के प्रस्तावित मार्ग का अवलोकन करने के बाद मार्ग में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया था। इन शहरों में जहां से बैटन रिले को गुजरना है, वहां के मार्ग में कुछ रास्ता सकरा होने के कारण मार्ग बदलने का सुङााव दिया गया है, जिस पर चर्चा करके इन जिलों के आयोजकों को मार्ग में बदलाव करे कहा गया है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों दिखेगी छत्तीसगढ़ की झलक
तीन जिलों बैटन रिले के दिन रात में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई। इस चर्चा में यह तय किया गया कि सभी स्थानों पर होने वाले कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक नजर आनी चाहिए। बैठक में बैटन रिले की बारीकियों पर भी चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया कि किसी भी मुद्दे पर किसी भी तरह से शंका होने पर दिल्ली में आयोजन समिति से चर्चा की जाएगी। बैठक में तीनों जिलों के जिलाधीशों को बुलाया गया था। इनमें से राजनांदगांव के जिलाधीश आए थे, बाकी जिलों से जिलाधीशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में जिला स्तरीय समिति के गठन पर भी चर्चा की गई।

ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशेंगे

प्रदेश की क्रिकेट की प्रतिभाओं को निखारने के लिए हमारा संघ पूरे राज्य में प्रयास कर रहा है। हम लोगों गांवों की प्रतिभाओं को भी मौका दे रहे हैं। रायपुर से लेकर सरगुजा, और बस्तर के आदिवासी खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अवसर मिले इसके प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के खिलाडिय़ों की किसी भी तरह की जानकारी के लिए भटकना न पड़े इसी मकसद ने राज्य के क्रिकेट संघ का कार्यालय राजधानी में खोला गया है।
ये बातें छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संंघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया कहते हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी के सिविल लाईंस संघ का कार्यालय प्रारंभ हो गया है। कार्यालय का उद्घाटन अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने ही किया। इस अवसर संघ के पदाधिकारी और खिलाड़ी उपस्थित थे। श्री भाटिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ गठन के बाद राज्य में बढ़ रही क्रिकेट की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये कार्यालय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इस नवीन कार्यालय में सभी सुविधाओं के अलावा कांफ्रेंस हॉल भी रखा गया है जहां विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बीसीसीआई के पदाधिकारियों से चर्चा हो सकेगी। वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों के क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों से भी चर्चा हो सकेगी। इस अवसर पर श्री भाटिया छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ की वेबसाईड भी जारी की जिसमें क्रिकेट संघ द्वारा संचालित होने वाली गतितिविधियों की जानकारी के साथ ही अन्य जानकारियां भी उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि हमारे संघ का ऐसा मानना है कि हम राज्य के हर जिले के खिलाडिय़ों को मौका देने का काम करे। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में भी ग्रामीण स्तर पर बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनको मौका नहीं मिल पाता है। ऐसे खिलाड़ी किसी भी तरह की जानकारी के लिए न भटके यही सोचते हुए राजधानी में कार्यालय खोला गया है।

सोमवार, 24 मई 2010

खिलाडिय़ों के फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश

प्रदेश के खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का पंजीयन करवाने का जो ेकाम प्रारंभ किया है, उससे अब खिलाडिय़ों के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगने की संभावना है। इसी के साथ जहां ग्रामीण खिलाडिय़ों के हक पर अब शहरी खिलाड़ी डाका नहीं डाल पाएंगे, वहीं ओवरएज पर भी रोक लगेगी।
प्रदेश में खिलाडिय़ों के लगातार सामने आ रहे फर्जीवाड़े से निपटने के लिए खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का पंजीयन करना का काम प्रारंभ किया है। इसका फायदा भी अब नजर आने लगा है। खिलाडिय़ों का पंजीयन करवाने में हालांकि अभी ज्यादा रूचि खेल संघ नहीं दिखा रहे हैं। इसके पीछे का कारण साफ है कि एक बार खिलाडिय़ों का पंजीयन होने के बाद उसमें किसी भी तरह का फेरबदल नहीं हो सकेगा। ऐसे में खेल संघों के पदाधिकारी पंजीयन करवाने से कतरा रहे हैं, लेकिन खेल विभाग से हर स्पर्धा से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन अनिवार्य कर दिया है। किसी भी स्पर्धा से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन ४५ दिन पहले करने कहा गया है, लेकिन इस निर्देश का पालन ही नहीं हो पा रहा है। खेल विभाग ने अभी राजधानी में जब नेटबॉल और साफ्ट टेनिस की स्पर्धाएं करवार्इं तो खिलाड़ी स्पर्धा प्रारंभ होने के बाद भी पंजीयन का फार्म भरते नजर आए। इस बारे में खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि अभी पंजीयन करवाने के निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं ऐसे में फिलहाल कोई कड़ाई नहीं की जा रही है।
ग्रामीण खिलाडिय़ों को मिलेगा फायदा
खिलाडिय़ों के पंजीयन करवाने का सबसे ज्यादा फायदा अब ग्रामीण खिलाडिय़ों को होने वाला है। ग्रामीण खिलाडिय़ों के लिए होने वाली राज्य स्पर्धा से लेकर राष्ट्रीय स्पर्धा में ग्रामीण खिलाडिय़ों के स्थान पर शहरी खिलाडिय़ों के खेलने की हमेशा से शिकायत रही है। शहरी खिलाड़ी किसी भी ग्राम पंचायत का फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर ले आते हैं कि वे उस गांव में रहते हैं, जबकि वे रहते शहर में हंै। ऐसे में खेल अधिकारियों के पास भी उन खिलाडिय़ों को टीम में रखने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है। कई बार तो कई खेलों के प्रशिक्षक ही खिलाडिय़ों को गांव के प्रमाणपत्र लाने के लिए कह देते हैं। पिछले साल जब राष्ट्रीय ग्रामीण स्पर्धा में प्रदेश की कुछ टीमें खेलने गईं थीं तो खेल संचालक को बताया गया था इन टीमों में कई खिलाड़ी शहरी हैं। इस बात को गंभीरता से लेते हुए ही खेल संचालक ने इस पर अंकुश लगाने की बात की थी और आज खेल विभाग के पंजीयन के कारण इस पर अंकुश लगने की पूरी संभावना है। एक बार जो अपने को खिलाड़ी शहरी क्षेत्र का बताने के बाद ग्रामीण क्षेत्र से नहीं खेल पाएगा।
ओवरएज पर भी लगेगी लगाम
खिलाडिय़ों के पंजीयन के कारण खिलाडिय़ों के ओवरएज पर भी लगाम लगेगी। पंजीयन न होने के कारण कई खिलाड़ी उम्र कम करवाकर सब जूनियर और जूनियर वर्ग में खेल लेते हैं। कई खिलाड़ी तो सालों एक ही वर्ग में खेलते रहते हैं और उनके साथ खेलने वाले खिलाड़ी सीनियर वर्ग तक पहुंच जाते हैं। ओवरएज के एक नहीं कई मामले सामने आ चुके हैं। ओवरएज का सबसे ज्यादा खेल स्कूली खेलों में होता है। यहां पर तो कई खिलाडिय़ों की चार से पांच उम्र करवा दी जाती है। खिलाडिय़ों को नाम बदलकर भी खिलाने की काम होता है। अब ऐसा भी नहीं हो सकेगा। खिलाडिय़ों के पंजीयन में उनकी फोटो होने के कारण कोई दूसरा खिलाड़ी उसके स्थान पर नहीं खेल पाएगा। कुल मिलाकर खिलाडिय़ों का पंजीयन फर्जीवाड़े पर रोक लगाने में सफल होगा ऐसा कहा जा सकता है।

रविवार, 23 मई 2010

नेहरू युवा केन्द्र छत्तीसगढ़ के ८ और जिलों में

छत्तीसगढ़ में नेहरू युवा केन्द्र को आठ और जिलों में प्रारंभ किया जा रहा है। इन जिलों में केन्द्र खुलने से छत्तीसगढ़ में खेलों की गतिविधियों में और तेजी आएगी। एनवाईके के युवा कार्यकर्ता केन्द्र सरकार की पायका योजना में भी खेल विभाग की मदद करेंगे।
ये बातें यहां पर नेहरू युवा केन्द्र के साथ कई विभागों के सचिवों की बैठक में केन्द्रीय खेल सचिव एके उपाध्याय ने कहीं। उन्होंने बैठक में बताया कि केन्द्र सरकार ने देश के १२२ जिलों में नेहरू युवा केन्द्र खोलने की मंजूरी दी है। इन जिलों में छत्तीसगढ़ के ८ जिले शामिल हैं। अब तक छत्तीसगढ़ में सिर्फ ८ जिलों में ही केन्द्र हैं। अब तक यहां पर रायपुर के साथ दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कांकेर, रायगढ़, सरगुजा और जांजगीर-चांपा में ही केन्द्र थे। इन केन्द्रों से ही छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में गतिविधियोंं का संचालन होता था। ऐसे में बहुत परेशानी होती थी। लगातार मांग के बाद अब केन्द्र ने छत्तीसगढ़ के और आठ जिलों जिनमें दंतेवाड़ा, जगदलपुर, कवर्धा, धमतरी, महासमुन्द, कोरबा, जशपुर और कोरिया शामिल हैं में केन्द्र खोलने की मंजूरी दी है।
खेल सचिव के सामने बचे दो जिलों में भी केन्द्र खोलने की मांग रखने पर उन्होंने बताया कि अभी तो उन्हीं ८ जिलों को शामिल किया गया है जो मप्र के समय थे और छत्तीसगढ़ बनने के बाद जो मान्य थे। बाद में बने दो जिलों को भी शामिल किया जाएगा, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा।
नेशनल यूथ कोर के सदस्य नियुक्त होंगे
जिन नए ८ जिलों को खोलने की मंजूरी दी गई है, उन जिलों में सबसे पहले वहां की गतिविधियों को संचालित करने के लिए नेशनल यूथ कोर के सदस्य नियुक्त किए जाएंगे। नेहरू युवा केन्द्र रायपुर के एक अधिकारी ने बताया कि पहले राष्ट्रीय युवा कर्मी और नेहरू युवा साथी के नाम से युवाओं को जिलों में काम करने के लिए दो-दो साल के लिए नियुक्त किया जाता था, लेकिन अब इन दोनों नामों के स्थान पर नेशनल यूथ कोर नाम दिया गया है। इसी के तहत नए जिलों में युवा कार्यकर्ता नियुक्त किए जाएंगे। हर जिले के लिए १५-१५ कार्यकर्ता नियुक्त होंगे। इनको केन्द्र की तरफ से तय मानदेय दिया जाएगा। पूर्व में यह मानदेय दो हजार पांच सौ रुपए मिलता था।
दूसरे विभाग भी अपना काम लें
बैठक में श्री उपाध्याय ने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, पंचायत, खेल, श्रम विभाग से आए सचिवों से कहा कि वे अपने विभागों के काम में भी नेशनल यूथ कोर के सदस्यों की मदद लें। इनसे कहा गया कि उनके विभाग के जो काम एनवाईके के लायक हों वो काम उनसे करवाए जाए। एनवाईके अधिकारियों से भी कहा गया कि वे भी ऐसे विभागों से संबंधित कामों की जानकारी उनको दें और उनसे मदद लें।
क्रीड़ाश्री भी बनाएं
केन्द्र सरकार की पायका योजना में खेलों को बढ़ाने के लिए नेशनल यूथ कोर के सदस्यों की मदद लेने की बात भी खेल सचिव ने कहीं। उनको बताया गया कि प्रदेश में इस कोर से जुड़े कई सदस्य क्रीड़ाश्री भी बनाए गए हैं। उन्होंने इस जानकारी के बाद खुश होते हुए कहा कि जितने ज्यादा से ज्यादा जिलों में हो सके कोर के सदस्यों को क्रीड़ाश्री बनाने का काम किया जाए।
पायका से जोडऩे खेल मंत्री ने की थी पहल
एनवाईके कोर के सदस्यों को पायका से जोडऩे की पहल प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी ने की थी। उन्होंने नेहरू युवा केन्द्र के साथ अन्य विभागों की बैठक ली थी और पायका में सभी से मदद करने कहा था। इसमें खासकर एनवाईके कोर के सदस्यों को क्रीड़ाश्री बनाने पर जोर दिया गया था, इसके बाद से ही कोर के सदस्यों को क्रीड़ाश्री बनाने का काम किया गया। बैठक में केन्द्र के खेल सचिव एके उपाध्याय के साथ उपसचिव एवं नेहरू युवा केन्द्र के महानिदेशक श्री शैलेश, प्रदेश के मुख्य सचिव पी. जॉय उमेन के साथ प्रदेश नेहरू केन्द्र के संचालक अनिल कौशिक, उपसंचालक उपेन्द्र ठाकुर, प्रदेश के खेल सचिव सुब्रत साहू, खेल संचालक जीपी सिंह, कृषि सचिव डीएस मिश्रा, पंचायत सचिव एस. मिंज, शिक्षा सचिव नंद कुमार, स्वास्थ्य सचिव विकास शील, श्रम सचिव विवेक ढांड उपस्थित थे।

पदक की उम्मीद के साथ आज जाएगी साफ्टबॉल टीम

राष्ट्रीय जूनियर साफ्टबॉल में पदक जीतने की उम्मीद के साथ प्रदेश की साफ्टबॉल टीम कल पांडिचेरी के लिए रवाना होगी। इस टीम को जाने से पहले यहां पर निखारने का काम किया गया। टीम के खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर भी उत्साह है कि उनको अच्छा प्रदर्शन करने पर यह भारतीय टीम में स्थान मिल सकता है।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश साफ्टबॉल संघ के महासचिव ओपी शर्मा ने बताया कि पांडिचेरी में २५ मई से स्पर्धा का आयोजन किया गया है। स्पर्धा में जाने से पहले चयन ट्रायल के बाद जिन ३० खिलाडिय़ों का चयन किया गया था उनको सुबह-शाम कड़ा अभ्यास कराया गया ताकि खिलाड़ी पदक जीतने के लिए तैयार हो सके। खिलाडिय़ों को पदक जीतने के लिए तराशने का काम एनआईएस कोच निंगराज रेड्डी ने किया। उन्होंने बताया कि पिछले चार साल से हमारी जूनियर की टीमें राष्ट्रीय स्पर्धा में चौथा स्थान प्राप्त कर रही है। इस बार हमारी दोनों टीमें अच्छी हैं और पदक की उम्मीद की जा सकती है। श्री रेड्डी ने बताया कि इस बार टीम के खिलाड़ी इसलिए और ज्यादा उत्साहित हैं क्योंकि पांडिचेरी में होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा से ही एशियन जूनियर चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम का चयन होना है। यह स्पर्धा इस बार मुंबई में होनी है।
संभावित टीम के खिलाड़ी इस प्रकार हैं- बालक टीम विकास महानंद, योगेश घोड़ेसवार, किशन महानंद, दिनेश नेताम, अजय चौधरी (रायपुर), दीपक श्रीनू रेड्डी, जयंच, रूद्रप्रताप, चंदन (दुर्ग), भूपेन्द्र यादव, सुभम सोनी (जांजगीर चांपा), सूरज अग्रवाल, यश पुजारी (रायगढ़), दिनेश (बिलासपुर)।
बालिका टीम- जूली वर्मा, दामिनी ध्रुव, नेहा तिड़के, बबीता, प्रीति वर्मा, गौरी केवर्त (रायपुर), चितरंजन, के. अनिता. पी कोमल, दुर्गेश्वरी, देवरूप (दुर्ग), स्मिता, रंजीतू और नंदिता (जांजगीर-चांपा)। टीमों के अधिकारी अमित वरू, गौरीशंकर, सुलोचना वर्मा मनोज धृतलहरे, एवं गजभूषण टेंडी हैं।

शनिवार, 22 मई 2010

एनवाईके में खेल गतिविधियां तेज करने की कवायद

प्रदेश के नेहरू युवा केन्द्र में खेलों की गतिविधियों को तेज करने के लिए केन्द्रीय खेल सचिव एके उपाध्याय राजधानी में कल सुबह ११ बजे एनआईके के अधिकारियों के साथ कई विभागों के सचिवों की बैठक लेंगे।
देश के सभी एनआईके को मजबूत करने की पहल केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने की है। इसी पहल के तहत करीब दो माह पहले छत्तीसगढ़ के प्रवास पर केन्द्रीय खेल राज्य मंत्री प्रतीक प्र्रकाश बापू पाटिल आए थे। अब उनके जाने के बाद यहां पर आज केन्द्रीय खेल सचिव एके उपाध्याय का आगमन हुआ है। उनके साथ संयुक्त सचिव एवं एनआईके के महानिदेशक श्री शैलेन्द्र भी आए हैं। यहां आज रात पहुंचने के बाद अब ये अधिकारी कल यहां पर नए विश्राम गृह में सुबह को ११ बजे एक बैठक लेंगे।
इस बैठक के बारे में प्रदेश एनआईके के अधिकारिेयोंं ने बताया कि इस बैठक का मकसद एनआईके में खेल गतिविधियों को दूसरे विभागों के साथ मिलकर तेज करना है। इसी के साथ एनआईके को मजबूत बनाना है।
कल होने वाली बैठक में एनआईके के संचालक अनिल कौशिक. उपसंचालक उपेन्द्र ठाकुर के साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव सुब्रत साहू, संचालक जीपी सिंह के अलावा शिक्षा, श्रम, स्वास्थ्य, एवं कृषि विभाग के सचिल एवं संचालक भी शामिल होंगे। इन सभी से केन्द्रीय खेल सचिव चर्चा करेंगे कि किस तरह से एनआईके में खेल गतिविधियों के साथ अन्य कार्यों को तेज करने का काम उनके विभागों के साथ मिलकर किया जा सकता है। बैठक के बाद खेल सचिव के सामने अपने छत्तीसगढ़ में साई सेंटरों को जल्द खोलने की मांग रखी जाएगी। इन सेंटरों में रायपुर और राजनांदगांव के सेंटर प्रमुख हैं।

छत्तीसगढ़ की जीत से शुरुआत

राष्ट्रीय सब जूनियर नेटबॉल में छत्तीसगढ़ की बालकों की टीम के साथ बालिका टीम ने भी जीत से शुरुआत की।
सुजानपुर (हिमाचल प्रदेश) में आज से प्रारंभ हुई इस स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के संजय शर्मा ने बताया कि बालिका वर्ग में छत्तीसगढ़ ने चंडीगढ़ को १९-१३ से हराया। अह छत्तीसगढ़ को अपने पूल सी में उप्र, बिहार, त्रिपुरा, और गुजरात से खेलना है। बालक वर्ग के पहले मैच में छत्तीसगढ़ ने उत्तरांचल को आसानी से ३५-२ से मात दी। बालकों के पूल में छत्तीसगढ़ का आगे के मैचों में दिल्ली, महाराष्ट्र, मप्र और चंडीगढ़ से मैच खेलने हैं। श्री शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की दोनों टीमें अच्छी है और यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद गई हैं। दोनों टीमों के पूल में शीर्ष पर रहने की संभावना है।
श्री शर्मा ने बताया कि टीम के २४ खिलाडिय़ों के साथ चार अधिकारियों का २८ लाख का बीमा करवाया गया है। हर खिलाड़ी के लिए एक-एक लाख की यात्रा बीमा करवाया गया है। इसके पहले भी नेटबॉल संघ ने खिलाडिय़ों का बीमा करवाया है

शुक्रवार, 21 मई 2010

बैटन रिले में ६०० धावकों का कोटा मांगा

प्रदेश की राजधानी रायपुर के साथ दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव में होने वाली बैटन रिले के किए प्रदेश के खेल विभाग ने ६०० धावकों का कोटा मांगा है। छत्तीसगढ़ के लिए कामनवेल्थ की आयोजन समिति ने १५० धावकों का ही कोटा तय किया है। यह कोटा तो राजधानी में ही कम पड़ जाएगा। राजधानी में अब तक १६० से ज्यादा धवकों की सूची तैयार हो गई है। इस सूची में वीआईपी के नाम अभी नहीं जुड़े हैं।
दिल्ली में अक्टूबर में होने वाले कामनवेल्थ खेलों की मशाल पूरे देश में भ्रमण करने के लिए निकली है। इस मशाल यानी बैटन का आगमन छत्तीसगढ़ की धरा पर ८ अगस्त को होगा। छत्तीसगढ़ में बैटन रिले का आयोजन ९ अगस्त को रायपुर में और १० अगस्त को दुर्ग-भिलाई के साथ राजनांदगांव में किया गया है। इसके लिए कामनवेल्थ की आयोजन समिति ने महज १५० धावकों का कोटा तय किया है। इस कोटे में ६०-६० रायपुर और दुर्ग-भिलाई के खाते में और ३० राजनांदगांव के खाते में हैं। ऐसे में जबकि यह कोटा बहुत कम लग रहा है तो इस कोटे को बढ़ाने की मांग करते हुए प्रदेश के खेल विभाग ने यह कोटा कम से कम ६०० करने की मांग की है। इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि राजधानी रायपुर में होने वाली बैटन रिले में ही धावकों की संख्या ३०० के आस-पास हो जाएगी।
राजधानी में होने वाली रिले में जहां राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को शामिल किया गया है, वहीं और कई वीआईपी के शामिल होने की संभावना है। अभी प्रारंभिक तौर पर राजधानी के खेल विभाग ने धावकों की जो सूची तैयार की है, उस सूची में राज्य के शहीद राजीव पांडे, शहीद कौशल यादव, हनुमान सिंह पुरस्कार के साथ खेल विभूति, पंकज विक्रम, गुंडाधूर पुरस्कार के अलावा मप्र के समय मिले विक्रम पुरस्कार वाले खिलाड़ी शामिल हैं। इसी के साथ मान्यता प्राप्त १५ खेल संघों के साथ कुछ और खेल संघों के पदाधिकारी और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी शामिल हैं। इनकी सूची ही १६० के पार पहुंच गई है। इस सूची में अभी वीआईपी के साथ अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों की सूची शामिल नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक राजाधानी की सूची ३०० के आस-पास पहुंच जाएगी। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए खेल विभाग ने कोटा बढ़ाने की मांग की है।
श्री सिंह ने बताया कि कोटा बढाऩे की मांग इसलिए करनी पड़ी है क्योंकि बैटन रिले के लिए टी-शर्ट दिल्ली से आएगी बैटन धावक के लिए इस टी-शर्ट को पहनाना अनिवार्य बताया गया है।

थ्रोबॉल टीम आज जाएगी पटना

राष्ट्रीय जूनियर थ्रोबॉल में खेलने के लिए प्रदेश की टीम यहां के कल पटना के लिए रवाना होगी।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के अतुल शुक्ला ने बताया कि स्पर्धा में टीम को खेलने से भेजने से पहले यहां पर १० दिनों का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था। उन्होंने बताया कि पटना में राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन २३ से २५ मई तक किया गया है।
टीम इस प्रकार है- बालक टीम- सुनील सेन, विजय वर्मा, विजय कुमार, थानू, सुमीत यादव, शिवकुमार, महेन्द्र टिकरिया, देवेन्द्र, विश्वनाथ एवं दीपक सेन। बालिका टीम- परिन्दर कौर, आरूषी, कश्मीरा, लेखिका राठौर, यशस्वी, रागिनी, शारदा, दीप्ति, दुर्गा, साना, पिंकी, और सुषत्री। बालक टीम के कोच गुरमीत सिंह और मैनेजर सीएल दुबे तथा बालिका टीम की कोच जुबली हैं।

छत्तीसगढ़ में साई के सेंटरों को जल्द प्रारंभ करने की मांग

प्रदेश के नेहरू युवा केन्द्र के अधिकारियों की बैठक लेने के लिए केन्द्रीय खेल सचिव एके उपाध्यय यहां शुक्रवार का आएंगे। वे शाम को यहां आने के बाद अगले दिन शनिवार को बैठक लेंगे। इनके सामने खेल विभाग के सचिव और संचालक छत्तीसगढ़ में साई के सेंटरों को जल्द प्रारंभ करने की मांग रखेंगे।
यह जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि खेल सचिव के रायपुर आने की जानकारी होने पर उनके विभाग ने खेल सचिव के सामने अपने साई सेंटरों को जल्द खोलने की मांग रखने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि खेल सचिव से मिलने के लिए उनके साथ प्रदेश के खेल सचिव सुब्रत साहू जाएंगे। केन्द्रीय खेल सचिव के सामने राजधानी के साई सेंटर के साथ राजनांदगांव के ४० करोड़ की लागत से बनने वाले साई सेंटर को जल्द प्रारंभ करने की मांग रखी जाएगी।
खेल सचिव यहां पर कल शाम को आएंगे। वे कल रात यहां विश्राम करने के बाद शनिवार की सुबह नेहरू युवा केन्द्र के अधिकारियों की बैठक लेंगे।

हैंडबॉल टीम लखनऊ रवाना

राष्ट्रीय सब जूनियर हैंडबॉल में भाग लेने के लिए प्रदेश के बालकों की टीम लखनऊ के लिए रवाना हो गई। वहां पर कल से चैंपियनशिप का आगाज होगा।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश हैंडबॉल संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने बताया कि उत्तर प्रदेश हैंडबॉल संघ द्वारा २१ से २७ मई तक राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन किया गया है। इस स्पर्धा में खेलने जाने वाली टीम का चयन करने के लिए भिलाई में खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सहयोग से राज्य स्पर्धा का आयोजन किया था इस स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर चुनी गई टीम को १४ दिनों तक भिलाई में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद ही छत्तीसगढ़ की टीम राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने गई है। टीम के रवाना होने से पहले टीम के खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट दिए गए। ये ट्रेक शूट एनएमडीसी से और प्रदेश खेल विभाग से खिलाडिय़ों के आने-जाने का खर्च और शिविर का भत्ता भी मिला है।
टीम इस प्रकार है- देवेश गनवारे, मोहनीश वर्मा, संजय सिंह, मोहसीन, अलीफ साजमा, शंकर, गौतम, राजकुमार सिंह, अनुभव मोर्या, कार्तिक साहू (दुर्ग), प्रकाश ठाकुर (जांजगीर), मो. सुलेमान (महासमुन्द), अनुभव तिवारी (रायपुर), प्रशांत सोनकर (रायगढ़), प्राप टोपो (सरगुजा), यश चन्द्राकर (राजनांदगांव)। टीम के कोच एस. प्रभाष और प्रबंधक विजय बहादुर हैं।

गुरुवार, 20 मई 2010

पदक जीतने की तैयारी में जुटे

राष्ट्रीय जूनियर साफ्टबॉल में खेलने जाने वाली प्रदेश की बालक और बालिका टीमें यहां पर पदक जीतने की तैयारी में जुटी हैं। इस बार टीम के खिलाड़ी पदक जीतने के साथ भारतीय टीम में स्थान बनाने का भी सपना देख रहे हैं।
रविशंकर विश्व विद्यालय के मैदान में साफ्टबॉल के खिलाड़ी सुबह और शाम के समय भारी गर्मी के बाद भी कड़ा अभ्यास करने में जुटे हैं। खिलाडिय़ों को मेहनत करने से चिलचिलाती धूप भी नहीं रोक पा रही है। वैसे भी जब टीम का ट्रायल हुआ था तो इस ट्रायल में ही खिलाडिय़ों ने साबित कर दिया था कि वे प्रदेश की टीम में स्थान बनाने के लिए किसी भी तरह से गर्मी से घबराने वाले नहीं है। चयन ट्रायल के बाद जिन ३० खिलाडिय़ों का चयन किया है, वही खिलाड़ी सुबह को ५ बजे से ९ बजे तक और शाम को पांच बजे से सात बजे तक कड़ा अभ्यास कर रहे है। खिलाडिय़ों को पदक जीतने के लिए तराशने का काम एनआईएस कोच निंगराज रेड्डी कर रहे हैं। उन्होंने पूछने पर बताया कि पिछले चार साल से हमारी जूनियर की टीमें राष्ट्रीय स्पर्धा में चौथा स्थान प्राप्त कर रही है। इस बार हमारी दोनों टीमें अच्छी हैं और पदक की उम्मीद की जा सकती है। श्री रेड्डी ने बताया कि इस बार टीम के खिलाड़ी इसलिए और ज्यादा उत्साहित हैं क्योंकि पांडिचेरी में होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा से ही एशियन जूनियर चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम का चयन होना है। यह स्पर्धा इस बार मुंबई में होनी है। भारतीय टीम में स्थान बनाने का इससे अच्छा मौका खिलाडिय़ों को मिलने वाला नहीं है। श्री रेड्डी ने उम्मीद जताई कि हमारी टीम पदक जीतने के साथ हमारी टीम के कुछ खिलाडिय़ों को भारतीय टीम में स्थान मिल जाएगा।
संभावित टीम के खिलाड़ी इस प्रकार हैं- बालक टीम विकास महानंद, योगेश घोड़ेसवार, किशन महानंद, दिनेश नेताम, अजय चौधरी (रायपुर), दीपक श्रीनू रेड्डी, जयंच, रूद्रप्रताप, चंदन (दुर्ग), भूपेन्द्र यादव, सुभम सोनी (जांजगीर चांपा), सूरज अग्रवाल, यश पुजारी (रायगढ़), दिनेश (बिलासपुर)।
बालिका टीम- जूली वर्मा, दामिनी ध्रुव, नेहा तिड़के, बबीता, प्रीति वर्मा, गौरी केवर्त (रायपुर), चितरंजन, के. अनिता. पी कोमल, दुर्गेश्वरी, देवरूप (दुर्ग), स्मिता, रंजीतू और नंदिता (जांजगीर-चांपा)। टीमों के अधिकारी अमित वरू, गौरीशंकर, एस.वमाज्ञ मनोज धृतलहरे, एवं श्रीमती कमला हैं।

भिलाई का दोहरे खिताब पर कब्जा

राज्य सब जूनियर बास्केटबॉल मे भिलाई की टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना खिताब बरकरार रखा। बालक एवं बालिका वर्ग में यह भिलाई की लगातार ९वीं जीत है।
बिलासपुर में खेली गई इस स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए बालिका टीम के कोच राजेश पटेल ने बताया कि बालिका वर्ग के फाइनल में भिलाई ने दुर्ग की टीम को आसानी से ६५-४८ से मात देकर ९ वां खिताब अपने नाम किया। फाइनल में पूरी तरह से भिलाई का दबदबा रहा। रिया वर्मा ने १६, पी. दिव्याने १२, रश्मि वानखेड़े ने १०, आरती सिंहने ८, के. राजलक्ष्मी, तिु गुप्ता ने ६-६ अंक बनाए।
बालक वर्ग का खिताबी मुकाबला भिलाई और राजनांदगांव के बीच खेला गया। इस मैच में भिलाई ने कड़े मुकाबले में राजनांदगांव को ३६-२९ से मात देकर खिताब जीता। इसके पहले भिलाई से सेमीफाइनल में बिलासपुर को ४६-१६ और क्वार्टर फाइनल में दुर्ग नगर निगम को ३९-१० से मात दी थी। स्पर्धा का आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सहयोग से किया गया। विजेता टीमों को १०-१० हजार की नकद राशि दी गई।

बुधवार, 19 मई 2010

सरकार के सामने नहीं झुकेंगे खेल संघ

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की बैठक में आज यह तय किया गया कि खेल संघ किसी भी कीमत में सरकार के सामने नहीं झुकेंगे भले उनका अनुदान बंद कर दिया जाए और मान्यता समाप्त कर दी जाए।
दिल्ली में हुई बैठक के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि आज की बैठक में एक मात्र केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून पर ही चर्चा हुई। देश के सभी राज्यों से आए राज्य ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक में आईओए ने बताया कि केन्द्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और एशियन ओलंपिक संघ के चार्टर के विपरीत कानून बनाया है। इस कानून को आईओए नहीं मानेगा। बैठक में कहा गया कि अगर सरकार खेल संघों की मान्यता रद्द करती है और अनुदान नहीं देती है तो न दे सारे राष्ट्रीय खेल संघ बिना अनुदान के ही खेल संघ चलाने में सक्षम हैं। बैठक में बताया गया कि खेल संघों का कार्यकाल तय करने का अधिकारी भारतीय ओलंपिक संघ को है न कि सरकार को। सरकार ने जो किया है, वह गलत है इसका लगातार विरोध किया जाएगा।
डॉ. वर्मा ने बताया कि आईओए के फैसले से सभी राज्यों के ओलंपिक संघ सहमत हैं और सभी आईओए के साथ हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का ओलंपिक संघ भी भारतीय ओलंपिक संघ के साथ खड़ा है और उसके फैसले से सहमत है।

राज्य की प्रतिष्ठा से बढ़कर कुछ नहीं:अनिल वर्मा

प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने हरिभूमि को बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय खेलों पर चर्चा करने के लिए सुरेश कलमाड़ी के साथ महासचिव राजा रणधीर सिंह से भी मुलाकात की। उन्होंने बताया कि बशीर अहमद खान के मामले में आईओए के अध्यक्ष और महासचिव बहुत नाराज हैं। डॉ. वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय खेल राज्य की प्रतिष्ठा का मामला है और इसके सामने किसी का भी अहम मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर राष्ट्रीय खेलों की तैयारी करनी है। इसकी तैयारी में राज्य सरकार पूरी तरह से ओलंपिक संघ की मदद कर रही है और हर काम सलाह-मशवरे के साथ हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश संघ के महासचिव ने अपने अहम के लिए जो किया वह गलत है। उन्होंने पूछने पर कहा कि आईओए में तो इस्तीफा भेजने का मतलब ही नहीं था। महासचिव को इस्तीफा भेजना था तो अध्यक्ष के पास भेजते। छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ प्रदेश के पंजीयन सोसायटी से पंजीकृत संस्था है ऐसे में आईओए को इस्तीफा भेजना ही लगत था, वहां पर इस्तीफा स्वीकार होने का तो सवाल ही नहीं है।

बशीर को कलमाड़ी ने लगाई फटकार

प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान को इस्तीफा देने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने दिल्ली में जोरदार फटकार लगाई है और उनको प्रदेश सरकार के सथ मिलकर काम करने की नसीहत दी है।
छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी को लेकर खेल विभाग से नाराजगी जताते हुए बशीर अहमद खान ने अपना इस्तीफा सुरेश कलमाड़ी को भेज दिया था और कहा था कि उनके इस्तीफे पर 18 मई को दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में चर्चा होगी। आज दिल्ली में आईओए की बैठक तो जरूर हुई, पर इस बैठक में इस मुद्दे पर कोई चर्चा भी नहीं हुई। लेकिन आईओए के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को बशीर अहमद खान के मामले में सारी जानकारी प्रदेश संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने दी तो श्री कलमाड़ी ने बशीर के व्यवहार को गलत बताते हुए जहां उनको फटकार लगाई वहीं राष्ट्रीय खेलों के लिए प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम करने की नसीहत दी।

मंगलवार, 18 मई 2010

१५० धावकों को मिलेगा मौका

दिल्ली से आए सदस्यों ने देखी बैटन रिले की तैयारी
कामनवेल्थ की बैटन रिले में प्रदेश के १५० धावकों को बैटन लेकर दौडऩे का मौका मिलेगा। जो धावक बैटन लेकर दौड़ेंगे उनके लिए ड्रैस दिल्ली से आएगी। रायपुर के साथ दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव में भी बैटन रिले का आयोजन होगा। आयोजन की तैयारी को देखने के लिए बैटन रिले आयोजन समिति के दो सदस्य यहां आएं और उन्होंने सबसे पहले भिलाई-दुर्ग और राजनांदगांव में बैटन रिले के मार्ग का अवलोकन किया। यह दल कल रायपुर के मार्ग को देखेगा।
दिल्ली में इस साल होने वाले कामनवेल्थ की मशाल यानी बैटन का पूरे देश में भ्रमण हो रहा है। इस भ्रमण की कड़ी में छत्तीसगढ़ में बैटन के कदम ८ अगस्त को राजधानी रायपुर में पड़ेंगे। पूर्व में बैटन को सड़क मार्ग से आना था,लेकिन बाद में स्थितियों को देखते हुए इस विमान से लाया जा रहा है। ८ अगस्त को यहां आने के बाद रात को यहां बैटन लाने वाला दल आराम करेगा। दूसरे दिन ९ अगस्त को बैटन रिले का आयोजन रायपुर में किया जाएगा। दूसरे दिन बैटन रिले का आयोजन दुर्ग-भिलाई के साथ राजनांदगांव में होगा। १० अगस्त को बैटन रिले दल भिलाई में रूकेगा और फिर ११ अगस्त को दल बैटन को लेकर विमान से सुबह रवाना होगा।
बैटन रिले की तैयारी छत्तीसगढ़ में खेल विभाग जोरदार तरीके से कर रहा है। इस तैयारी का जायजा लेने के लिए बैटन रिले आयोजन समिति से जुड़े दो सदस्य योगेन्दर दोहान और शिवांत यहां सोमवार की सुबह पहुंचे। यहां आने के बाद इन्होंने खेल विभाग के अधिकारियों से बात करने के बाद सबसे दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव की तैयारी देखने का मन बनाया और वहां जाकर तैयारियां देखीं। वहां पर इन्होंने सबसे पहले उन मार्गों का अवलोकन किया जहां से बैटन रिले को गुजरना है। इसके बाद वहां पर जिला प्रशासन के अधिकारियों से तैयारियों को लेकर चर्चा की। अब बैटन रिले के रायपुर के मार्ग को कल देखने के बाद अधिकारी वापस दिल्ली जाकर अपनी रिपोर्ट देंगे।
दिल्ली से आए अधिकारियों के हवाले से खेल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में होने वाली रिले में यहां के १५० धावकों को मौका मिलेगा। रायपुर के साथ भिलाई-दुर्ग के लिए ६०-६० धावकों के साथ राजनांदगांव के लिए ३० धावकों की संख्या बैटन रिले की समिति ने तय की है। अभी यहां पर धावकों की संख्या तय नहीं हो पाई है। वैसे धावकों के चयन को लेकर जरूर सवाल खड़े किए गए हैं। रायपुर के लिए जो सूची बनाई गई है उस सूची में कई धावकों के नाम छोडऩे की शिकायत भी हुई है। इस बारे में राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे का कहना है कि अभी अंतिम सूची तय नहीं की गई है। वैसे भी अंतिम सूची राज्य स्तरीय समिति तय करेगी, इसके बाद यह सूची दिल्ली भेजी जाएगी।
दिल्ली से आएगी ड्रेस- बैटन रिले में दौडऩे वाले सभी धावकों के लिए ड्रेस दिल्ली से आने की बात वहां से आए आयोजन समिति के सदस्यों ने कहीं। उनका कहना है कि हर राज्य में होने वाले रिले में ड्रेस दिल्ली से ही दी जा रही है। ड्रेस कामनवेल्थ से जुड़ी है।

राष्ट्रीय खेलों पर आज दिल्ली में होगी चर्चा

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में २०१३-१४ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों पर भारतीय ओलंपिक संघ की कल दिल्ली में होने वाली बैठक में चर्चा होगी। प्रदेश के खेल विभाग ने ओलंपिक संघ को जानकारी तो भेज दी है, पर जानकारी की एक प्रति लेकर यहां से कल सुबह प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा रवाना होंगे।
भारतीय ओलंपिक संघ की कल दिल्ली में होने वाली बैठक में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों पर चर्चा होगी। इसके लिए ओलंपिक संघ ने प्रदेश के खेल विभाग से जो जानकारी मांगी थी, वह जानकारी उसको भेज दी गई है। प्रदेश संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि प्रदेश के खेल विभाग ने मैदानों की जानकारी के साथ यहां बनाए जाने वाले स्टेडियमों, खेलों के आयोजनों की सारी जानकारी ओलंपिक संघ को मेल से भेज दी है। उन्होंने बताया कि जानकारी की एक प्रति उनको दी गई है जिसे लेकर वे कल सुबह विमान से दिल्ली जाएंगे। बैठक में खेल संचालक जीपी सिंह को भी जाना था, पर वे बाहर गए हैं ऐसे में उनका जाना संभव नहीं है।

बशीर मामले का फैसला दिल्ली में नहीं होगा

छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान के इस्तीफे पर भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में कोई फैसला नहीं होगा, ऐेसा ओलंपिक संघ से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है। भारतीय ओलंपिक संघ के लिए बशीर का इस्तीफा कोई बड़ा मामला नहीं है। वैसे भी उनको इस्तीफा देना था तो प्रदेश संघ के अध्यक्ष को देते।
भारतीय ओलंपिक संघ की कल दिल्ली में बैठक हो रही है। इस बैठक में ही अपने इस्तीफे पर चर्चा होने की बात बशीर अहमद खान ने कहीं थी। इस बारे में जानने जब उनसे संपर्क किया गया तो उनसे तो संपर्क नहीं हो पाया, लेकिन प्रदेश ओलंपिक संघ से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों का साफ कहना है कि ऐसे छोटे से मसले पर दिल्ली की बैठक में फैसला क्या चर्चा होने का भी सवाल नहीं है। इनका कहना है कि सबसे पहली बात तो यही कि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को इस्तीफा भेजना ही औचित्यहीन है। इस मामले में वे क्या कर सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह बात तय है कि इस्तीफा वहां से वापस आए जाएगा, क्योंकि इस इस्तीफे पर भारतीय ओलंपिक संघ फैसला कर ही नहीं सकता है।
ओलंपिक संघ से जुड़े पदाधिकारियों के साथ कई खेल संघों के पदाधिकारी पहले भी कह चुके हैं कि अगर बशीर को इस्तीफा देना था तो प्रदेश अध्यक्ष को देते। उनको इस्तीफा देना है तो वे सीधे तौर पर सही चैनल से चलते हुए इस्तीफा दें।

रविवार, 16 मई 2010

खरा उतरने तपने आए खिलाड़ी


तपती दोपहरी में जब किसी को घर से निकालता गंवरा नहीं हो रहा है तो रविशंकर विश्वविद्यालय के मैदान में सामने एक खिलाड़ी बल्ले नुमा डंडा लेकर खड़ा है और दूसरी तरफ से एक गेंदबाज बॉल फेंक रहा है। बॉल को मारने के बाद खिलाड़ी अपान बल्ला फेंक कर दौड़ पड़ता है रन बनाने के लिए।
यह नजारा किसी क्रिकेट मैच का नहीं बल्कि प्रदेश की साफ्टबॉल टीम के ट्रायल का है। इ ट्रायल में शामिल होने आए प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों के खिलाड़ी भरी दोपहरी में भी ट्रायल देने में डटे थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि कब उनकी बारी आए और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाकर प्रदेश की टीम में स्थान पाने का मौका मिले। अपनी बारी के इंतजार में खड़े खिलाड़ी कहीं पर पेड़ के नीचे तो कहीं धूप में खड़े थे किसी भी खिलाड़ी के चेहरे में तपती धूप को लेकर कोई परेशानी नजर नहीं आ रही था। हर खिलाड़ी इस तपती धूप में भी खरा उतरने के लिए बेताब था। खिलाडिय़ों के कोच उनको धूप में ही खड़े होकर समङाा रहे थे कि क्या करना है। एक जिले की टीम के खिलाडिय़ों को कोच फटकारते हुए भी नजर आए कि वे ठीक नहीं खेल रहे हैं।
प्रदेश साफ्टबॉल संघ के ओपी शर्मा ने बताया कि पांडिचेरी में राष्ट्रीय जूनियर स्पर्धा का आयोजन २५ मई से किया गया है। इसी के लिए टीम का चयन किया जा रहा है। इस चयन में रायपुर के साथ बिलासपुर, जांजगीर चांपा, दुर्ग, कोरबा, राजनांदगांव, रायगढ़, धमतरी और कवर्धा के करीब १७५ खिलाड़ी ट्रायल देने आए हैं। इन खिलाडिय़ों के बीच ट्रायल में ही मैच करवाए जा रहे हैं। ट्रायल के बाद १५-१५ खिलाडिय़ों की टीम बनेगी जिसका प्रशिक्षण शिविर यहां लगाया जाएगा।

नेटबॉल टीम तय

राष्ट्रीय सब जूनियर नेटबॉल में खेलने जाने वाली प्रदेश की टीम का चयन कर लिया गया है। यह स्पर्धा हिमाचल प्रदेश में २० मई से होगी।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव संजय शर्मा ने बताया कि राजधानी में राज्य स्पर्धा के बाद प्रदेश की टीम का चयन कर लिया गया है। इस टीम में बालक वर्ग में अभिनव, चंदन, सुंभम, रोहित, राहुल, नीलू (सभी रायपुर), संजय, नीलेश (दुर्ग), रितेश राजन, विकास बालाघर (कोरबा),आशीष जांजगीर, उत्तम (बिलासपुर)। बालिका टीम- आसमा, लोकेश्वरी, नंदनी, एलिस, निशा पटेल, आकांक्षा (रायपुर), माधवी, सुधा, ज्योति साहू (दुर्ग), मनीषा निषाद (राजनांदगांव), मधु प्रजापति (कोरबा) एवं हर्षा (बिलासपुर) का चयन किया गया है।
चुनी गई टीम के खिलाडिय़ों का प्रशिक्षण शिविर यहां पर स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में चल रहा है। टीम को प्रशिक्ष्रक इस तरह से तैयार करने में लगे हैं कि दोनों टीमें राष्ट्रीय स्पर्धा से कोई न कोई पदक लेकर लौटे। वैसे भी प्रदेश की नेटबॉल टीमें राष्ट्रीय स्पर्धा में अब हर वर्ग में पदक जीतने लगी हैं।

साफ्ट टेनिस शुरू

राष्ट्रीय साफ्ट टेनिस में खेलने जाने वाली प्रदेश की टीम का चयन करने के लिए राज्य स्पर्धा का आगाज आज से मेडिकल कॉलेज के मैदान में हुआ।
प्रदेश संघ के सचिव प्रमोद सिंह ठाकुर ने बताया कि दो जून से देवास में राष्ट्रीय जूनियर स्पर्धा का आयोजन किया गया है। इसमें खेलने के लिए प्रदेश की टीम जाएगी। टीम के चयन के लिए दो दिवसीय राज्य स्पर्धा का आयोजन किया गया है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सहयोग से आयोजित स्पर्धा में मेजबान रायपुर के साथ दुर्ग, राजनांदगांव, जांजगीर, रायगढ़, कांकेर, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। स्पर्धा में बालक और बालिका वर्ग के टीम मुकाबलों के साथ व्यक्तिगत मुकाबले भी होंगे। स्पर्धा में १६ मई को फाइनल मैच होंगे। आज खेले गए मैचों में रायपुर के हरप्रीत ने भिलाई के श्रेयांस मेहता को ३-१, सैय्यद जिशान ने पद्म शुक्ला को ३-१, पीयूष जगवानी ने सैरभ शुक्ला को ३-२, नील शुक्ला ने सौभिक शुक्ला को ३-१ और कुंदन आहूजा ने आदित्य सिंहा को ३-१ से हराया।

शनिवार, 15 मई 2010

मैचों से तराश रहे खिलाड़ी

सप्रे स्कूल के मैदान में चल रहे शेरा क्लब के फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर में खिलाडिय़ों को निखारने के लिए टीमें बनाकर मैच करवाए जा रहे हैं ताकि खिलाडिय़ों को मैचों का भी अनुभव मिल सके।
प्रदेश के इस सबसे लंबे चलने वाले प्रशिक्षण शिविर में इस समय २०० से भी ज्यादा खिलाड़ी रोज मैदान में जुट रहे हैं। खिलाडिय़ों को शाम के समय एक घंटे तक फिटनेस के लिए रनिंग और वार्मअप करवाने के बाद अलग-अलग टीमें बनाकर मैच करवाए जा रहे हैं।
खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाले कोच मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि शिविर में करीब ८० खिलाड़ी ऐसे हैं जो पहली बार आए हैं। इन खिलाडिय़ों के साथ क्लब के फुटबॉल स्कूल के ५० खिलाड़ी और बाकी ऐसे खिलाड़ी हैं जो नियमित रूप से आते हैं। इन सभी खिलाडिय़ों को शाम के समय मैच खिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि टीमें बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि टीमों में संतुलन रहे। हर टीम में हर उम्र के खिलाडिय़ों को रखा जाता है। इसके बाद सभी टीमों के आपस में रोज मैच करवाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी रविवार के दिन बाहर की टीमों को बुलाकर खिलाडिय़ों के साथ मैच करवाए जाएंगे ताकि उनको बाहर के खिलाडिय़ों के साथ खेलने का अनुभव मिल सके।

स्टेडियम देखने असम गए खेल संचालक

प्रदेश के खेल संचालक जीपी सिंह असम में हुए राष्ट्रीय खेलों के लिए उपयोग में लाए गए स्टेडियमों को देखने के लिए गुवाहाटी गए हैं।
छत्तीसगढ़ की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन यहां २०१३-१४ में होना है। इसके लिए प्रदेश के खेल विभाग से अभी से तैयारी प्रारभ कर दी है। प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ खेल विभाग के बुलावे पर यहां पिछले माह असम के पूर्व खेल सचिव प्रदीप हजारिका आए थे।
उन्होंने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों के लिए कई सुङााव दिए हैं। इसी के साथ उन्होंने बताया था कि कैसे असम ने भी काफी कम समय में वहां पर स्टेडियम तैयार करने का काम किया था। उन्हीं स्टेडियमों को देखने के लिए खेल संचालक जीपी सिंह गए हैं ताकि यहां पर राष्ट्रीय खेलों के लिए बनने वाले स्टेडियमों को उसी तर्ज पर बनाया जा सके।

शुक्रवार, 14 मई 2010

खेल संघों में एक्सचेंज ऑफर

छत्तीसगढ़ के खेल संघों ने केन्द्र सरकार के फरमान से बचने के लिए अलग तरह का तरीका निकाल लिया है। प्रदेश के खेल संघों ने एक खुला एक्सचेंज ऑफर जारी कर दिया है कि आप हमारे संघ की कमान संभाल लें और अपने संघ की कमान हमारे हाथों में दे दें।
राष्ट्रीय खेल संघों के अध्यक्ष और महासचिव के पद पर बरसों से जमे हुए खेल संघों के पदाधिकारियों को हटाने के लिए केन्द्र सरकार ने एक नया कानून बनाया है कि अब किसी भी खेल संघ में कोई भी अध्यक्ष १२ साल औैर महासचिव ८ साल से ज्यादा समय तक नहीं रह सकता है। केन्द्र सरकार के इस नियम को छत्तीसगढ़ में भी लागू करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। प्रदेश के खेल विभाग ने केन्द्र के नियम को यहां लागू करवाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ में इस कानून के लागू होने की खबर से प्रदेश के ऐसे खेल संघों के पदाधिकारी परेशान हैं जो संघों को अपनी बपौती समङाते हैं। ऐसे में उन्होंने रास्ते खोजने प्रारंभ कर दिए कि इस कानून का तोड़ क्या हो सकता है। ऐसे में खेल संघों के पदाधिकारियों ने यह रास्ता निकाला है कि वे ऐसे खेल संघों के पदाधिकारियों को संघ बदलने के लिए सहमत कर लेंगे जिनके साथ उनका दोस्ताना संबंध है। ऐसे में अब पूरे प्रदेश के खेल संघ इस प्रयास में लग गए हैं कि वे अपने खेल संघ को किस संघ के साथ बदल सकते हैं। कई खेल संघों के पदाधिकारी अपने रिश्तेदारों को भी संध सौंपने की तैयारी में है।
पदाधिकारी दुबले न हों
केन्द्र सरकार के कानून से प्रदेश संघ के जो पदाधिकारी परेशान हो रहे हैं उनको ओलंपिक संघ के संरक्षक और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा कहते हैं कि बेवजह प्रदेश के खेल संघों के पदाधिकारी दुबले हो रहे हैं। वे कहते हैं कि दुबले होने का काम राष्ट्रीय खेल संघों के पदाधिकारियों का है क्योंकि वहीं लोग सरकारी खर्च पर लगातार विदेश जाते हैं। छत्तीसगढ़ के खेल संघों के पदाधिकारियों को तो अपने देश में ही बहुत कम जाने का मौका मिलता है। कितने ऐसे संघों के पदाधिकारी हैं जिनको कभी विदेश जाने का मौका मिलता है। जब आपको सरकारी खर्च पर कहीं जाना नहीं है तो क्यों परेशान हो रहे हैं।

रायपुर का खिताब पर कब्जा

राज्य सब जूनियर नेटबॉल के खिताबी मुकाबले में मेजबान रायपुर की बालिका टीम ने दुर्ग को आसान से १७-१० से मात देकर खिताब जीत लिया। इधर बालक वर्ग के फाइनल में भी रायपुर ने दुर्ग को परास्त किया।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग के साथ नेटबॉल संघ द्वारा स्पोट्र्स काम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में शाम को खेल गए पहले फाइनल मैच में रायपुर की बालिकाओं के सामने दुर्ग की बालिकाएं ठहर ही नहीं सकीं और मैच हार गई। इसके पहले सुबह के सत्र में खेले गए सेमीफाइनल मैचों में रायपुर ने बिलासपुर को १४-१ से औैर दुर्ग ने राजनांदगांव को कड़े मुकाबले में १३-१२ से मात दी थी। बालक वर्ग का फाइनल मैच भी रायपुर और दुर्ग के बीच खेला गया। इस मैच में रायपुर का दबदबा रहा और रायपुर ने यह मैच आसानी से - से जीतकर खिताब अपने नाम कर लिया। इसके पहले सुबह को खेले गए सेमीफाइनल मैचों में रायपुर ने रायपुर नगर निगम को ७-२ और दुर्ग ने राजनांदगांव को १२-५ से हराया था। पुरस्कार वितरण में विजेता टीम को १०-१० हजार और उपविजेता टीमों को सात हजार पांच सौ का नकद इनाम दिया गया।

हम भी बनेंगे चैंपियन

सप्रे स्कूल के टेबल-टेनिस हॉल में मशीन से दनादन बॉल निकल रही है और छोटे-बड़े खिलाड़ी बॉल को खेलने में लगे हैं। बॉल को किस तरह से मारना है इसके बारे में प्रशिक्षक बता रहे हैं और खिलाड़ी उसी हिसाब से बॉल को वापस कर रहे हैं। हर छोटे-बड़े खिलाड़ी के मन में यही सपना है कि उनको भी कम से कम अपने कोच विनय बैसवाड़े की तरह पहले राज्य का चैंपियन बनना है।
खिलाडिय़ों में ये जुनून प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन भी देखने को मिला। जिला टेबल टेनिस संघ द्वारा १६ अप्रैल से प्रारंभ किए गए शिविर का आज समापन हो गया। शिविर में राजधानी के १०० से ज्यादा खिलाडिय़ों ने टेबल-टेनिस के गुर सीखे। हर खिलाड़ी में एक अलग बात नजर आई। इन खिलाडिय़ों में जहां करीब ६० खिलाड़ी नए थे, वहीं कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर एक बार नहीं कई बार खेल चुके हैं। इन खिलाडिय़ों के साथ नए खिलाडिय़ों को खेलने में मजा आया।
प्रशिक्षक विनय बैसवाड़े ने बताया कि खिलाडिय़ों को सीखने में उनके साथ राष्ट्रीय खिलाड़ी विजय बैसवाड़े, सौरभ मोदी ने भी मदद की। इसी के साथ वरिष्ठ खिलाडिय़ों अमिताभ शुक्ला और संदीप खंडेलवाल का मार्गदर्शन भी मिला। उन्होंने बताया कि खिलाडिय़ों को इस शिविर के बाद एक बार फिर से २० मई से प्रारंभ होने वाले शिविर में तराशने का काम किया जाएगा। यह शिविर खेल एवं युवा कल्याण विभाग की मदद से आयोजित किया जा रहा है।
कमलेश मेहता से प्रशिक्षण लेंगे तीन खिलाड़ी
प्रदेश टेबल टेनिस संघ के अमिताभ शुक्ला ने बताया कि इंदौर में १६ मई से प्रारंभ होने भारतीय टेबल टेनिस संघ के एक प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश के तीन खिलाड़ी सूरज तिवारी, भावेश आप्टे और दिव्यम पेंढऩकर प्रशिक्षण लेने जाएंगे। वहां पर देश के कई राज्यों से आए खिलाडिय़ों को भारतीय टीम के कोच पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कमलेश मेहता प्रशिक्षण देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पूर्व में कमलेश मेहता को रायपुर में प्रदेश के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया गया था, लेकिन टेबल टेनिस संघ के प्रशिक्षण शिविर का जिम्मा उनको मिलने के कारण वे नहीं आ पा रहे हैं। यहां पर बंगाल के कोच सेविक डे को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जा रहा है।

गुरुवार, 13 मई 2010

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों को बनाए लक्ष्य: लता


असम के राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ को स्वर्ण पदक दिलाकर नेटबॉल के खिलाडिय़ों ने राज्य का मान बढ़ाया था। अब जबकि ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी छत्तीसगढ़ को मिली है तो खिलाडिय़ों को अपना सारा ध्यान पदक जीतने पर लगाने की जरूरत है। यह बात नेटबॉल के साथ हर खेल के खिलाडिय़ों के लिए है।
ये बातें आज यहां पर राज्य नेटबॉल स्पर्धा के उद्घाटन अवसर पर खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहीं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि आज नेटबॉल के खिलाडिय़ों ने राज्य का मान देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कामनवेल्थ की बैटन रिले में ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी नेटबॉल के रहेंगे इसका उनको भरोसा है। खेलमंत्री ने खिलाडिय़ों ने आव्हान करते हुए कहा कि खिलाडिय़ों को अब अपना पूरा ध्यान छत्तीसगढ़ में तीन साल बाद होने वाले राष्ट्रीय खेलों पर लगाने की जरूरत है। इसमें स्वर्ण जीतने के लिए अभी से मेहनत करें। खिलाडिय़ों को जिस भी तरह की सुविधाओं की जरूरत होगी, हम देने तैयार हैं।
स्थाई मैदान जल्द मिलेगा
खेलमंत्री ने कहा कि उनके सामने नेटबॉल के लिए स्थाई मैदान की बात आई है। उन्होंने कहा कि यहां पर पूर्व महापौर सुनील सोनी भी बैठे हैं, उनके कार्यकाल में नेटबॉल के लिए मैदान के लिए जो जगह दी गई थी उसको उन्होंने खिलाडिय़ों को दिलाने का वादा किया है। इसके पहले सुनील सोनी ने कहा भी कि उनके कार्यकाल में जो मैदान दिया गया था उसको वे दिलवाने का प्रयास करेंगे। इसी के साथ उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल नेटबॉल के कार्यक्रम में ही यह कहा था कि २०१० का साल खिलाडिय़ों के लिए मैदानों की सौगात वाला होगा। पिछले साल आउटडोर स्टेडियम दिया गया, अब जल्द ही इंडोर स्टेडियम भी दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों को हम मैदान देने में कमी नहीं कर रहे हैं। अब खिलाडिय़ों को अपना सारा ध्यान पदक जीतने पर लगाने की जरूरत है।
सीनियर वर्ग तक खेलें
खेल संचालक जीपी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि खेल विभाग का सब जूनियर वर्ग की स्पर्धाओं को करवाने का मकसद यह है कि विभाग इस स्तर से ही खिलाडिय़ों को तैयार करने का काम करना चाहता है, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि खिलाड़ी सीनियर वर्ग में आते-आते गायब हो जाते हंै। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों को लक्ष्य लेकर चलना चाहिए कि उनको सीनियर वर्ग तक खेलना है। उन्होंने नेटबॉल खिलाडिय़ों की तारीफ करते हुए कहा कि काफी समय में इस खेल ने राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है। राज्य के खेल पुरस्कार पाने वालों में भी ज्यादा खिलाड़ी इस खेल के रहते हैं।
मैदान दें, पदक लें
इसके पहले नेटबॉल संघ के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री विधानमंत्री के साथ संघ के सचिव संजय शर्मा ने एक स्वर में कहा कि हमारे खिलाडिय़ों को एक स्थाई मैदान दें तो हम पदकों की ङाड़़ी लगा देंगे। श्री शर्मा ने कहा कि हमारे खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर सब जूनियर वर्ग के साथ जूनियर, यूथ और सीनियर वर्ग में लगातार पदक जीत रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि मैदान मिलने के बाद असम के राष्ट्रीय खेलों की तरह हर राष्ट्रीय खेल में हमारे खिलाड़ी पदक जीतकर लाएंगे।
८ टीमों में होगा मुकाबला
सब जूनियर वर्ग की इस स्पर्धा में ८ टीमों के बीच बालक और बालिका वर्ग का मुकाबला होगा। खेलने वाली टीमों में मेजबान रायपुर के साथ राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर और भाटापारा की टीमें शामिल हैं। गर्मी को देखते हुए मुकाबले सुबह के सत्र के साथ शाम को फ्लड लाइट में होंगे। फाइनल मुकाबले १४ मई को होंगे।

छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ अध्यक्ष को दे इस्तीफा

छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान के इस्तीफे पर कई खेल संघों के पदाधिकारी बोलने के लिए सामने आ गए हैं। सभी जहां सचिव के बयान और कदम से हैरान हैं, वहीं ओलंपिक संघ के संरक्षक विधान मिश्रा के साथ ज्यादातर का एक स्वर में मानना है कि इस्तीफा भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को भेजने से कोई मतलब नहीं है। यह छत्तीसगढ़ का मामला है तो इस्तीफा छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को भेजना चाहिए।
प्रदेश की खेल बिरादरी ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान के बयान और इस्तीफे से आहत हो गई है। ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारी खुले रूप में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कुछ खेल संघों के पदाधिकारी सामने आ गए हैं और सचिव के कदम को गलत मान रहे हैं। प्रदेश ओलंपिक संघ के संरक्षक और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा का साफ कहना है कि सचिव का कदम बिलकुल गलत है। इस मामले को सबसे पहले प्रदेश ओलंपिक संघ की कार्यकारिणी के सामने रखना था। इसी के साथ उन्होंने कहा कि अगर सचिव को इस्तीफा देना ही है तो प्रदेश संघ के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजते, भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को इस्तीफा भेजने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि सचिव के इस कदम से पूरी खेल बिरादरी हैरान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के मामले में प्रदेश का खेल विभाग और उसके संचालक जीपी सिंह पूरी तरह से सहयोग करके चल रहे हैं, उन पर किसी भी तरह का आरोप लगाना गलत है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा दिया जाता है तो इस मुद्दे पर ओलंपिक संघ की बैठक बुलाकर फैसला किया जाएगा कि क्या करना है।
इधर नेटबॉल के साथ बॉडी बिल्डिंग संघ के हनुमान सिंह पुरस्कार प्राप्त संजय शर्मा का कहना है कि इस्तीफा देने श्री खान का व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, उनके इस निर्णय के साथ हम लोग खड़े नहीं हो सकते हैं। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलना राज्य के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। राज्य की प्रतिष्ठा सबसे पहले है। इसके लिए हम लोग सरकार के साथ खड़े हैं।
टेबल टेनिस संघ के अध्यक्ष शरद शुक्ला भी ओलंपिक संघ के सचिव के फैसले से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब राज्य को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है तो इसको सफल बनाने के लिए किसी भी तरह के विवाद से बचते हुए खेल विभाग के साथ मिलकर काम करना चाहिए। श्री खान के इस्तीफे के बाद ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, सभी को इस बात का डर है कि उनके बोलने से उनके खेलों पर आच आ सकती है।

प्रशिक्षण शिविर १५ से

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में १५ मई से कई खेलों का प्रशिक्षण शिविर लगाया जा रहा है। यह शिविर ४ जून तक चलेगा।
यह जानकारी देते हुए राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द डेकाटे ने बताया कि गीष्मकालीन शिविर के लिए खेलों और मैदानों के साथ प्रशिक्षकों का चयन कर लिया गया है। वालीबॉल, बास्केटबॉल का पुलिस मैदान में, एथलेटिक्स का स्पोट्र्स कॉप्पलेक्स में, फुटबॉल का सप्रे स्कूल में, हैंडबॉल मोवा में, साफ्टबॉल रविवि के मैदान में, हॉकी पुरुष नेताजी स्टेडियम में, महिला हॉकी पुलिस मैदान में, भारोत्तोलन नेताजी स्टेडियम के जिम में, नेटबॉल खालसा स्कूल और सेंटपाल स्कूल में, जूडो बालाजी स्कूल, कराते शीतला मंदिर टिकरापारा में, टेनीक्वाइट आदर्श स्कूल में, टेबल टेनिस, बैडमिंटन सप्रे स्कूल में, वूशू शिवाजी स्कूल में, ताइक्वांडो गंज स्कूल में, कबड्डी पीजी मराठे स्कूल में प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण का समय सुबह को ६ से ८.३० और शाम को ५ से ७ बजे होगा।

बुधवार, 12 मई 2010

कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की प्रारंभिक तैयारी में ही प्रदेश के खेल विभाग और प्रदेश ओलंपिक संघ के बीच खुली जंग प्रारंभ हो गई है। कुर्सी के मोह में फंसे प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने खेल विभाग के साथ प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को यह कहते हुए इस्तीफा भेज दिया है कि राष्ट्रीय खेलों के लिए बनाए जाने वाले सचिवालय में प्रदेश संघ को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। अध्यक्ष से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कहा गया है कि अगर हस्तक्षेप नहीं किया जाता है तो उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए। ऐसी स्थिति में सचिव ने चुनाव कराने की भी चेतावनी दी है।
छत्तीसगढ़ को २०१३-१४ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी दी गई है। इसकी तैयारी करने का काम खेल विभाग ने प्रारंभ कर दिया है। खेल विभाग के संचालक जीपी सिंह ने हर कदम पर प्रदेश ओलंपिक संघ को साथ लेकर काम किया है, इसके बाद भी अचानक आज यहां पर प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने पत्रकारवार्ता लेकर खेल संचालक पर सीधे पर तौर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सचिवालय का प्रस्ताव सरकार को भेजने से पहले ओलंपिक संघ से विचार-विमर्श नहीं किया था। इसी के साथ यह भी आरोप लगाया है कि यह प्रस्ताव होस्ट सिटी कांट्रेक्ट से पहले ही भेज दिया गया था।
इधर इस मामले में खेल विभाग से जुड़े जानकार सूत्रों का दावा है कि खेल विभाग ने जो भी काम किया है उसकी सारी जानकारी ओलंपिक सचिव को दी गई है और उनकी सहमति से ही सारा काम हुआ है। सचिवालय का प्रस्ताव भेजने से पहले भी उनसे बात की गई और उनकी सलाह पर ही इस सचिवालय के लिए ओलंपिक संघ के चार सदस्यों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया गया। कुल मिलाकर सचिवालय में भारतीय ओलंपिक संघ और प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ बाहर से कुल मिलाकर ८ सदस्यों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया गया है। बशीर अहमद खान प्रदेश ओलंपिक संघ को कम प्रतिनिधित्व देने की बात करते हुए कहते हैं कि खेल विभाग ने महज असम के राष्ट्रीय खेलों की तर्ज पर सचिवालय में कम सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया है। उनसे जब पूछा गया कि वे कितने सदस्यों का प्रतिनिधित्व चाहते हैं तो इसका उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया औैर कहा कि हम ज्यादा प्रतिनिधित्व चाहते हैं। इसके पीछे का कारण वे स्पष्ट नहीं कर पाएं।
सुरेश कलमाड़ी से हस्तक्षेप का आग्रह
ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने आज पत्रकारों को बताया कि वे खेल विभाग की कार्यप्रणाली से खफा होकर ही अपना इस्तीफा ९ मई तो भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को भेज चुके हैं और उनसे आग्रह किया है कि इस सारे में मामले में वे हस्तक्षेप करें और खेल विभाग से बात करें, अगर वे ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर भारतीय ओलंपिक संघ इस मामले में कुछ नहीं करता है तो वे प्रदेश ओलंपिक संघ का चुनाव करवा देंगे।

१८ को दिल्ली की बैठक में होगा फैसला
बशीर अहमद खान ने बताया कि १८ मई को दिल्ली में होने वाली भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में जहां उनके इस्तीफे का फैसला होगा, वहीं वहां पर छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों पर भी चर्चा होगी। भारतीय ओलंपिक संघ से प्रदेश के खेल विभाग से जानकारी मांगी है कि यहां पर कितने खेलों के स्टेडियम हैं, कौन से खेलों का आयोजन किया जाएगा, जो स्टेडियम हंै उनकी स्थिति क्या है और कितने और स्टेडियम बनाने पड़ेंगे। ये सारी जानकारी खेल विभाग को १४ मई तक भेजनी है। इसी साथ यह भी जानकारी देनी है कि आयोजन समिति का पंजीयन हुआ है या नहीं।
सचिवालय में ज्यादा प्रतिनिधित्व जरूरी नहीं
ओलंपिक सचिव बशीर अहमद खान द्वारा सचिवालय में ज्यादा प्रतिनिधित्व दिए जाने के सवाल पर खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि यह तो सरकारी स्तर पर काम है, इसमें जितना संभव है ओलंपिक संघ को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसको लेकर बिनावजह विवाद खड़ा करना अच्छी बात नहीं है। हमारा प्रस्ताव कोई अंतिम निर्णय नहीं है, इस पर अंतिम निर्णय सरकार को करना है। ज्यादा प्रतिनिधित्व की बात है तो इस पर आपस में बात करके रास्ता निकाला जा सकता है, इस बात को तूल देने का मलतब नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के खेल संघों को आयोजन समिति में पूरा प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि होस्ट सिटी कांट्रेक्ट में आयोजन समिति में खेल संघों को प्रतिनिधित्व देने की बात है न की सचिवालय में। उन्होंने पूछने पर कहा कि होस्ट सिटी कांट्रेक्ट से पहले सचिवालय का प्रस्ताव भेजना गलत नहीं है। बकौल खेल संचालक पहले प्रस्ताव इसलिए भेजा गया क्योंकि हम लोग जानते हैं कि हमारे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का मंशा है कि कम से कम छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेल ऐतिहासिक हो और समय पर हों। यही वजह रही है कि हमारे विभाग ने समय बचाने के लिए प्रस्ताव पहले भेज दिया था। उन्होंने कहा कि न तो ऐसा कोई नियम है कि प्रस्ताव पहले भेजने में बंदिश हैं और न ही होस्ट सिटी कांट्रेक्ट में सचिवालय को लेकर कोई दिशा निर्देश है। उन्होंने कहा कि क्योंकि सचिवालय के लिए पंजीयन भी करवाना है और यह पंजीयन सोसायटी एक्ट १८६१ के तहत होना है ऐसे में हमने प्रस्ताव पहले ही बनाकर भेजा था। उन्होंने पूछने पर कहा कि इस प्रस्ताव के बारे में ओलंपिक संघ के सचिव को पूरी जानकारी है और उनसे विचार-विमर्श के बाद ही प्रस्ताव भेजा गया है।

नए खिलाडिय़ों में हुए मुकाबले

छत्तीसगढ़ कराते संघ द्वारा चलाए चा रहे प्रशिक्षण शिविर में नए खिलाडिय़ों को स्पर्धाओं का अनुभव देने के लिए उनके बीच मुकाबले करवाए गए।
यह जानकारी देते हुए संघ के अजय साहू ने बताया कि बैरनबाजार में चल रहे शिविर में खिलाडिय़ों के बीच हुए मुकाबलों में ये खिलाड़ी विजेता बने। १० साल बालिका वर्ग में प्रथम पूर्वी साहू, द्वितीय आकांक्षा कर, १० साल से अधिक वर्ग में प्रथम भाविका साहू, द्वितीय रूपल शाह। बालक वर्ग में प्रथम गौरव शर्मा, द्वितीय अंकित कर। १२ साल वर्ग में प्रथम सुयश अग्रवाल, द्वितीय शुभम साहू। काता १५ साल में प्रथम रूबी महानंद, द्वितीय आकाश नेताम। ओपन वर्ग में प्रथम सुरेश धृतलहरे, द्वितीय कुमार डोडवानी।
टीम फाइट में प्रथम दल्ली राजहरा, आयुश शर्मा, रजत तिवारी, अनीश बाग, आदित्य कौशिक, सिद्धार्थ मरकाम। द्वितीय रायपुर- कमल निषाद, आकाश नेताम, शिवम उपासने, शिवम साहू, और सुरेश धृतलहरे। बेल्ट परीक्षा में ३० खिलाड़ी शामिल हुए। स्पर्धा में ७० खिलाडिय़ों ने भाग लिया। स्पर्धा में दल्ली राजहरा के खिलाडिय़ों को बुलाया था ताकि रायपुर के खिलाडिय़ों को सीखने का मौका मिले।

मंगलवार, 11 मई 2010

मुख्यमंत्री की घोषणा पर बजट की मार

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के छह माह बाद भी खेल विभाग बजट के अभाव में राज्य की सीनियर स्पर्धाओं का आयोजन नहीं करवा पा रहा है। खेल संचालक का कहना है कि बजट मिलते हैं स्पर्धाओं का आयोजन करवा जाएगा।
प्रदेश का खेल विभाग राज्य के खेल संघों की मदद से राज्य की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन करवता है। इन दो आयोजनों के होने से खेल संघों के सिर से काफी बोङा हल्का हो गया है। खेल संघों को सबसे ज्यादा परेशानी सीनियर वर्ग की स्पर्धा को करवाने में होती है। ऐसे में खेल संघ लंबे से यह मांग कर रहे थे कि सीनियर स्पर्धाओं का आयोजन भी खेल विभाग अपने बजट से करे। ऐसे में यह मांग जब करीब छह माह पहले पदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सामने रखी गई थी तो उन्होंने राज्य के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र दिए जाने वाले कार्यक्रम में इस स्पर्धा को भी खेल विभाग द्वारा करवाए जाने की घोषणा कर दी थी। इस घोषणा के बाद खेल संघों इस बात को लेकर उत्साह था कि अब उसके सिर से एक और बड़ा बोङा उतर गया है।
खेल विभाग ने अपने खेल कैलेंडर में इस बार राज्य की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं के लिए तो स्थान और तिथि तय कर दी है, पर सीनियर स्पर्धा को कैलेंडर में शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में जब इसका कारण जानने का प्रयास किया गया तो खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि अभी सीनियर वर्ग की स्पर्धाओं के लिए बजट नहीं मिला है, इसका बजट मिलते ही इन स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि संभवत: एक-दो माह में इन स्पर्धाओं के लिए बजट मिल जाएगा।
खेल विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
सीनियर स्पर्धा के लिए बजट का रोना रोने वाले खेल विभाग की कार्यप्रणाली पर कई खेल संघों के पदाधिकारी सवाल उठाते हैं कि कार्यप्रणाली सही न होने का ही यह नतीजा है कि बजट का सवाल आ रहा है। इनका कहना है कि जब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से घोषणा करवाई गई थी उसी समय इसके लिए बजट भी घोषित करवा दिया जाता, या फिर खेल विभाग किसी भी बजट से स्पर्धाओं का आयोन मुख्यमंत्री की घोषणा का हवाला देकर कर सकता है, लेकिन विभाग ऐसा नहीं कर रहा है। खेल के जानकारों का ऐेसा कहना है कि यह बात अलग है कि अभी राष्ट्रीय सीनियर स्पर्धाओं का आयोजन नहीं है, लेकिन इनके आयोजन से पहले अगर बजट नहीं मिला और स्पर्धाओं का आयोजन नहीं हो सका तो खेल संघों को ही अंत में आयोजन करना पड़ेगा क्योंकि राष्ट्रीय स्पर्धाओं की तिथि आने के बाद टीमें भेजनी पड़ेगी।

सोमवार, 10 मई 2010

गांवों में लगेंगे जिम

पायका के पहले चरण के लिए चुने गए प्रदेश के ९८२ गांवों में जिम लगाने का जिम्मा अब खेल विभाग ने जिला पंचायतों को दे दिया है। पूर्व में खेल विभाग ही गांवों में जिम लगाने की तैयारी में था। लेकिन पायका योजना में पंचायतों को जोडऩे के लिए यह पहल की गई है। वैसे भी पायका योजना का नाम ही पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान योजना है। अब पंचायतों को ही हर गांव के लिए सामान खरीदने के लिए राशि भी दी जाएगी।
पायका योजना के लिए पहले चरण में प्रदेश के १८ जिलों के ९८२ गांवों का चयन हो चुका है। इन गांवों में से जिन गांवों में भी स्थान है, वहां पर जिम लगाने की योजना पर खेल विभाग बहुत पहले से काम कर रहा है। खेलों में आज आधुनिक मल्टी जिम का एक अलग स्थान हो गया है। इस जिम के सहारे खिलाड़ी अपने को फिट रखने का काम करते हैं। ये मल्टी जिम अब शहरों के बाद गांवों तक पहुंच गए हैं। वैसे मल्टी जिम इतना महंगा रहता है कि गांवों में लगाना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। ऐसे में प्रदेश के खेल विभाग ने यह फैसला किया है कि पंचायत युवा क्रीड़ा अभियान यानी पायका के तहत केन्द्र सरकार से एक गांव के लिए मिलने वाली एक लाख की राशि ने गांवों में जिम लग दिए जाए। पायका योजना के तहत लगने वाले जिम के लिए खेल संचालक जीपी सिंह ने सभी जिला खेल अधिकारियों को उन गांवों के उन स्कूलों से सहमति पत्र लाने के निर्देश दिए हैं जिन स्कूलों के मैदानों में ये जिम लगने हैं। प्रदेश में करीब दस हजार गांव हैं। इन गांवों में से पहले चरण में १० प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। खेल संचालक ने सभी जिला खेल अधिकारियों को उन सभी गांवों के स्कूलों या फिर पंचायत से सहमति पत्र लाने कहा है जहां पर मल्टी जिम के लिए कमरा दिया जाना है। जिन गांवों से कमरा दिए जाने की सहमति मिलेगी, वहां पर जल्द से जल्द जिम लगाने की तैयारी की जाएगा। गांवों के साथ ब्लाकों में भी जिम लगाए जाएंगे।
पायका योजना में चिंहित हर गांव के लिए केन्द्र सरकार से खेल मैदानों के लिए एक-एक लाख रुपए का अनुदान मिलना है, ऐसे में खेल विभाग यह योजना बनाने में लगा है कि इन पैसों का ज्यादा से ज्यादा अच्छा उपयोग किस तरह से किया जाए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने यह योजना बनाई है कि क्यों ने हर गांव में एक-एक जिम बना दिया जाए। इसके लिए वे लगातार उन चिंहित गांवों के खेलों से जुड़े लोगों से बात भी कर रहे हैं और यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि जिम लगाने से खिलाडिय़ों को कितना फायदा होगा। अब तक जो बातें सामने आईं है उससे यही लगता है कि हर उस गांव के खिलाड़ी और खेल से जुड़े लोग इस बात से खुश है कि उनके गांव में जिम लगने वाला है। ग्रामीण खिलाडिय़ों को जिम देखना तभी नसीब होता है जब उनका शहर आना होता है। ऐसे में ग्रामीण खिलाडिय़ों से हमेशा से मंशा रही है कि काश उनके गांव में भी ऐसा जिम होता। ग्रामीण खिलाडिय़ों की इस मंशा को साकार करने का काम खेल विभाग करने जा रहा है।
वैसे भी पायका के लिए पहले चरण में प्रदेश के १८ जिलों के जिन ९८२ गांवों को चिंहित किया गया है, उन गांवों के मैदानों में ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में यही सोचा गया कि मैदानों में बिना वजह पैसे खर्च करने की बजाए यदि सभी गांवों में जिम लगा दिए जाए तो इसका बहुत ज्यादा फायदा खिलाडिय़ों को मिलेगा। कई गांवों से जिम के लिए स्थान होने के सहमति पत्र भी आ गए हैं।
इधर अब खेल विभाग ने जिम लगाने के लिए जिला पंचायतों को अधिकृत कर दिया है। खेल विभाग के पास जो जानकारी है, उसे पंचायतों को उपलब्ध कराया जाएगा और पंचायत के माध्यम से गांवों में जिम लगाने का काम होगा। इसी के साथ हर गांव के लिए जो खेल सामान खरीदे जाने है उसका जिम्मा भी पंचायतों को दे दिया गया है। पूर्व में खेल विभाग ही हर गांव के लिए सामान खरीदने वाला था।

रविवार, 9 मई 2010

राष्ट्रीय खेलों पर आज होगी खेल संघों से चर्चा

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी को लेकर प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी की अध्यक्षता में मान्यता प्राप्त खेल संघों के पदाधिकारियों की एक बैठक कल यहां पर नए विश्राम गृह में सुबह को ११ बजे होगी। बैठक में कामनवेल्थ की बैटन रिले पर भी चर्चा की जाएगी।
३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी छत्तीसगढ़ को मिली है। इन खेलों को समय पर करवाने की बात प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिल्ली में होस्ट सिटी कांट्रेक्ट के समय कही थी। इसी के साथ प्रदेश का खेल विभाग इन खेलों की तैयारी में अभी से जुट गया है। खेल विभाग ने खेल संघों से चर्चा करने के लिए एक बैठक का आयोजन ९ मई को किया है। इस बैठक में खेलमंत्री लता उसेंडी उपस्थित रहेंगी। बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी की राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए क्या करना है। बैठक में असम के पूर्व खेल सचिव प्रदीप कुमार हजारिका द्वारा दिए गए सुझावों पर भी चर्चा होगी। उनको यहां पर प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ खेल विभाग की पहल पर बुलाया गया था। उन्होंने यहां के मैदानों का अवलोकन करने के बाद खेल विभाग को अपने सुझाव दिए हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ को अभी से तैयारी करने की भी सलाह दी है ताकि छत्तीसगढ़ को पदक तालिका में अहम स्थान मिल सके। छत्तीसगढ़ को ज्यादा से ज्यादा खेलों में पदक मिल सके इस पर भी बैठक में चर्चा होगी। खेल संघों के पदाधिकारी खेल विभाग को सुझाव देंगे कि कैसे उनके खेलों में पदक मिल सकते हैं। खेल संघों को पदक जीतने के लिए किन-किन साधनों की दरकार है, यह भी खेल मंत्री के सामने रखा जाएगा। इसी के साथ कहां-कहां कौन-कौन से खेल हो सकते हैं इस पर भी चर्चा की जाएगी।
बैटन रिले पर भी होगी चर्चा
कामनवेल्थ की बैटन छत्तीसगढ़ में ९ अगस्त को आएगी। इस बैटन रिले को लेकर खेल विभाग खेल संघों के साथ मिलकर तैयारी कर रहा है। इस तैयारी को लेकर कई खेल संघों ने शिकायत की है कि उनके खेलों के साथ उनके खिलाडिय़ों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में सभी खेल संघों से उनकी शिकायतों के साथ सुझाव भी लिए जाएंगे। जिन राष्ट्रीय अंतररराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के नाम छूट गए हैं उनके नामों को जोड़ा जाएगा।

डोंगरगढ़ की बिलासपुर पर खिताबी जीत

अखिल भारतीय रात्रिकालीन सिख क्रिकेट के खिताबी मुकाबले में डोंगरगढ़ ने बिलासपुर को आसानी से ५१ रनों से करारी मात देकर खिताब पर कब्जा कर लिया। मैच के बाद पुरस्कार वितरण में खिलाडिय़ों को दिलीप सिंह होरा ने पुरस्कार बांटे।
नेताजी स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में डोंगरगढ़ ने टॉस जीतकर पहले बल्ले चलाने का फैसला किया। १२ ओवरों के मैच में डोंगरगढ़ ने क्पातन जसमीत सिंह के आतिशी ४४ रनों के साथ गुरिन्दर पाल सिंह के ६३ रनों की मदद से ८ विकेट पर १६४ रनों का विशाल स्केर खड़ा किया। बिलासपुर के एक मात्र सफल गेंदबाज अरिन्द सिंग रहे जिन्होंने तीन विकेट चटकाए। १६४ रनों की चुनौती के सामने बिलासपुर की टीम ११३ रनों पर ही सिमट गई। डोंगरगढ़ के गेंदबाज दीपक सिंग ने सबसे ज्यादा चार विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच रहे।
फाइनल मैच के बाद हुए पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य दिलीप सिंह होरा थे। इसी के साथ समारोह में सांसद प्रतिनिधि गोपाल थवाईत, संजय पाठक, संतोष दुबे आर परिवंदर सिंग भाटिया भी उपस्थित थे। अतिथियों ने विजेता और उपविजेता टीम को पुरस्कार के साथ नकद राशि देकर सम्मानित किया। स्पर्धा में मैन ऑफ द सीरिज डोंगरगढ़ के मलकीत सिंह, बेस्ट विकेट कीपर बिलासपुर के अमरदीप, बेस्ट बल्लेबाज डोंगरगढ़ के जसीमीत सिंग रहे।

शनिवार, 8 मई 2010

हर गांव के लिए दो हजार

प्रदेश के खेल विभाग के जिला कार्यालयों में स्टेशनरी के कम बजट के बीच पायका का काम करने में आ रही परेशानी को देखते हुए अब पायका के पहले चरण के लिए चुने गए हर गांव के लिए दो-दो हजार की राशि देने का फैसला किया गया है। यह राशि केन्द्र सरकार से ही मिलेगी। पूर्व में यह राशि गांवों को दी जानी थी, लेकिन अब इस राशि को खर्च करने का अधिकारी जिला कार्यालय को दिया गया है।
पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान योजना यानी पायका के लिए गांव-गांव से जानकारी जुटने में खेल अधिकारियों की हालत पलती हो रही है। इस मामले का खुलासा खेल अधिकारियों द्वारा एक बैठक करने के बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जानकारी जुटाने में आ रही परेशानियों को देखते हुए केन्द्र सरकार से विशेष आग्रह करके हर गांव के लिए दो-दो की राशि मंजूर करवा ली गई है। अब किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में कुछ समय पहले जब सभी जिलों के खेल अधिकारियों की बैठक हुई तो इस बैठक में कुछ खेल अधिकारियों ने यह मामला रखा कि पायका के लिए जानकारी जुटाने में उनको भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस योजना में क्योंकि जमीनी स्तर पर जानकारी एकत्रित करनी है, ऐसे में न तो गांवों तक जाने कोई साधन है, और न ही जिला कार्यालयों में फोन और फैक्स के साथ किसी भी तरह के वाहनों की व्यवस्था है। जिन जिलों में कम्प्यूटर हैं वहां पर इनको चलाने वाले आपरेटर ही नहीं हैं। एक-एक जिले को कम से कम २०० से २५० पृष्ठों की जानकारी बनानी पड़ रही है। इतनी जानकारी को टाइप करने के लिए बाहर भी कोई तैयार नहीं हो रहा। सबसे बड़ी बात यह कि जानकारी एकत्रित करने के लिए किसी भी तरह का बजट नहीं है। जिला के कार्यालयों को साल भर के लिए महज दो हजार का ही बजट दिया जाता है।
श्री सिंह ने इस बारे में बताया कि उनके पास पहले से ही यह जानकारी रही है कि जानकारी जुटाने के लिए अलग से बजट न होने के कारण परेशानी हो रही है। ऐसे में दिल्ली में जब पायका की बैठक हुई थी तो हमने इन परेशानियों को केन्द्रीय खेल मंत्रालय के सामने रखा और सारी जानकारी से अवगत होने के बाद केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने पायका के लिए जो पहले से बजट दिया है, उसी बजट में से हर गांव के लिए दो-दो हजार की राशि खर्च करने की मंजूरी दे दी है। इस राशि से ही अब गांवों की जानकारी एकत्रित करने का खर्च करने के लिए सारी कागजी कार्रवाई भी करनी है।
खेल संचालक ने बताया कि पायका के पहले चरण में ९८२ गांवों को खेलों से जोड़ा गया है। इन गांवों के साथ प्रदेश के १४६ ब्लाकों के १० प्रतिशत ब्लाकों को भी शामिल किया गया है। केन्द्र सरकार ने एक ब्लाक के लिए पांच-पांच लाख रुपए की राशि दी है। इस राशि में से एक लाख का एक जिम लगाया जा रहा है, बाकी राशि का उपयोग किस तरह से करना है, इस मुद्दे पर भी जिला पंचायतों से चर्चा की जाएगाी। अब सारी राशि पंचायतों के माध्यम से खर्च होगी। उन्होंने बताया कि जिन ९८२ गांवों में क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं उसमें से ६६७ को राजधानी में प्रशिक्षण देकर संवार दिया गया है, अब ये सभी क्रीड़ाश्री अपने -अपने गांवों में जाकर खिलाड़ी तैयार करने का काम कर रहे हैं।
खेल संचालक ने बताया कि केन्द्र सरकार को २००८-०९ और २०१०-११ की जानकारी भेज दी गई है। इन दो साल की योजनाओं के लिए जानकारी जुटाने का काम सभी जिले कर रहे हैं। कई जिलों से जानकारी दे दी है, बाकी जिलों से जानकारी जल्द देने कहा गया है।

डोंगरगढ़-बिलासपुर में होगी खिताबी भिंड़त

अखिल भारतीय रात्रिकालीन सिख क्रिकेट के सेमीफाइनल में मेजबान दशमेश इलेवन रायपुर को ४६ रनों से मात खाकर खिताबी दौड़ से बाहर होना पड़ा। डोंगरगढ़ ने यह मैच जीतकर फाइनल में स्थान बनाया। दूसरे सेमीफाइनल में खालसा इलेवन ने बिलासपुर को मात देकर फाइनल में स्थान बनाया।
नेताजी स्टेडियम में आज शाम को पहला सेमीफाइनल मैच मेजबान दशमेश इलेवन रायपुर और डोंगरगढ़ के बीच खेला गया। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए डोंगरगढ़ ने दीपक सिंग के आतिशी ७३ रनों की मदद से १२६ रन बनाए। इसके जवाव में दशमेश इलेवन की टीम ८० रनों पर ही सिमट गई। रायपुर की पारी में दीपक सिंग ने धातक गेंदबाजी करते हुए चार खिलाडिय़ों को पैवेलियन का रास्ता दिखाया। दीपक ीक धातक गेंदबाजी के सामने रायपुर के बल्लेबाज ठहर ही नहीं सके। हरफनमौला प्रदर्शन करने वाले दीपक सिंग मैन ऑफ द मैच रहे।
दूसरे सेमीफाइनल में खालसा इलेवन का मुकाबला बिलासपुर एकादश से हुआ। इस मैच में पहले खेलते हुए खालसा इलेवन ने १२३ रन बनाए। १२४ रनों का लक्ष्य बिलासपुर ने ७ विकेट खोकर प्राप्त कर लिया और फाइनल में स्थान बना लिया।

शुक्रवार, 7 मई 2010

खिलाडिय़ों का बीमा कराने में रूचि ही नहीं

प्रदेश के खिलाडिय़ों का यात्रा बीमा कराने में खेल संघों की रूचि ही नहीं है। इस दिशा में हाल ही में एक पहल नेटबॉल संघ ने की थी। वैसे प्रदेश में सबसे पहली पहल करने का Ÿोय कराते संघ को जाता है। अब इधर नेटबॉल संघ ने जहां यह तय किया है कि उनकी कोई भी टीम खिलाडिय़ों के बीमे के बिना नहीं जाएगी, वहीं वालीबॉल संघ ने भी खिलाडिय़ों का बीमा करवाने की बात की है। खिलाडिय़ों को सुरक्षित रखने के लिए खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का बीमा करवाने वाले संघों को ५० प्रतिशत अनुदान देने की भी प्रावधान रखा है, लेकिन इसके बाद भी खिलाडिय़ों का बीमा नहीं करवाया जाता है।
प्रदेश में इस समय ३३ मान्यता प्राप्त खेल संघों के साथ करीब एक दर्जन और ऐसे खेल संघ हैं जो मान्यता न होने के बाद भी अपनी टीम को खेलने के लिए राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भेजते हैं। वैसे तो अब तक राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने जाने वाली किसी टीम के साथ कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन आगे भी कोई हादसा नहीं होगा यह नहीं कहा जा सकता है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद जब प्रदेश के खेल विभाग में खेल नीति बनी थी तो इस नीति के तहत इस बात का भी ध्यान रखा गया था कि प्रदेश की टीम से खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों को सुरक्षित रखने के लिए खिलाडिय़ों का बीमा करवाया जाए। इसके लिए खेल विभाग ने खेल संघों को प्रोत्साहन देने के लिए बीमे की ५० प्रतिशत राशि का अनुदान देने का भी प्रावधान रखा है। इस प्रावधान के बाद भी कोई खेल संघ खिलाडिय़ों का बीमा करवाने में रूचि नहीं लेता है। खेल संघों के पदाधिकारी खिलाडिय़ों से राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने जाने का किराया तो जरूर वसूल लेते हैं, पर खिलाडिय़ों के साथ कोई हादसा न हो इसका ध्यान नहीं रखा जाता है। कई खेलों के खिलाड़ी साफ कहते हैं कि उनका राष्ट्रीय स्पर्धा में जाने से पहले बीमा होना चाहिए। इनका कहना है कि जब हमारे परिजन हमारे आने-जाने का खर्च दे सकते हैं तो बीमे की छोटी सी राशि भी दे सकते हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि एक खिलाड़ी के लिए बमुश्किल ५० से १०० की राशि खर्च होती है और हर खिलाड़ी का एक लाख का बीमा हो जाता है।
कराते संघ ने की थी पहली पहल
प्रदेश के खिलाडिय़ों का बीमा करवाने के लिए पहली पहल की जहां तक बात है तो यह पहल करने का काम कराते संघ से करीब पांच साल पहले किया था। इसके बाद इस दिशा में लंबे समय तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन इधर प्रदेश नेटबॉल संघ ने एक बार फिर से पहल करते हुए इस साल राष्ट्रीय स्पर्धा में खेले गई अपनी एक टीम के खिलाडिय़ों का बीमा करवाया। इस पहल के बाद जब नेटबॉल संघ की सामान्य सभा की बैठक हुई तो इसमें तय किया गया कि अब प्रदेश की जो भी नेटबॉल टीम राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने जाएगी उस टीम के खिलाडिय़ों का बीमा जरूर करवाया जाएगा। नेटबॉल संघ के बाद वालीबॉल संघ ने भी यह तय किया है कि अब उनकी कोई भी टीम बिना बीमे के खेलने नहीं जाएगी। इस बारे में संघ के सचिव मो. अकरम खान कहते हैं कि खिलाडिय़ों की बीमा जरूरी है।
जिले की टीमों का भी बीमा जरूरी
खेल विभाग ने प्रदेश की टीम के खिलाडिय़ों का बीमा करवाने के लिए अनुदान देने का प्रावधान रखा है, लेकिन राज्य स्पर्धा में खेलने जाने वाली जिले की टीमों के लिए बीमा करवाने का प्रावधान नहीं है। पिछले साल ही ग्रामीण खेलों में खेलने जा रही बस्तर की एक टीम के पांच खिलाडिय़ों की मौत सड़क हादसे में हो गई थी। इस मौत के बाद खिलाडिय़ों को बहुत मुश्किल से मुख्यमंत्री सहायत कोष से २५-२५ हजार की राशि मिली थी। ऐसे में खेलों के जानकारों का ऐेसा सोचना है कि राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों के साथ राज्य स्पर्धा में खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों का बीमा होना चाहिए।
स्कूली खिलाडिय़ों का भी हो बीमा
खेलों के जानकारों का कहना है कि सबसे ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर खेलने के लिए स्कूली शिक्षा विभाग के जाते हैं। एक बार में तीन सौ से ज्यादा खिलाडिय़ों का दल जाता है। स्कूल के राष्ट्रीय खेलों में जहां एक साथ कई खेलों की स्पर्धाएं होती हैं, वहीं स्कूली खेलों में अंडर १४, १७ और अंडर १९ साल की स्पर्धाएं होने के कारण हमेशा खिलाडिय़ों का दल बड़ा होता है। ऐसे में इनके लिए बीमा जरूरी है।

डोंगरगढ़ सेमीफाइनल में

अखिल भारतीय रात्रिकालीन टेनिस बॉल सिख क्रिकेट के सेमीफाइनल में डोंगरगढ़ के साथ दशमेश बिलासपुर ने अपने-अपने मैच जीतकर सेमीफाइनल में स्थान बना लिया।
पहले क्वार्टर फाइनल में डोंगरगढ़ ने पहले खेलते हुए १२ ओवरों में १३२ रन बनाए। इसमे मनजीत सिंग के ४० रनों के साथ दीपक सिंह के ३२ रन शामिल हैं। १३३ रनों की चुनौती के सामने सिख इलेवन श्याम नगर की टीम १०९ रनों ही बना सकी और मैच २३ रनों से हार गई। डोंगरगढ़ के मलकीत सिंग ने ४ विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच रहे।
दूसरे मैच में दुर्ग की टीम बिलासपुर के बलवीर सिंह की घातक गेंदबाजी के सामने ९९ न बी बना सकी। बलवीर सिंग ने ५ विकेट चटकाए। १०० रनों के लक्ष्य को बिलासपुर की टीम ने ८ ओवरों में ही प्राप्त कर लिया। इस मैच के मैन ऑफ द मैच बलवीर सिंग रहे

रायपुर के खिलाडिय़ों ने उड़ाए १६ स्वर्ण

राज्य म्यूथाई चैंपियनशिप में रायपुर के खिलाडिय़ों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए १६ स्वर्ण पदकों के साथ ३५ पदक जीतकर स्पर्धा में दूसरा स्थान प्र्राप्त किया।
दल्ली में खेली गई इस स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव अनीस मेमन ने बताया कि रायपुर के लिए रितेश चौहान, रोहित यश सलूजा, गोपाल साहू, हितेश परमार, नवनीत तिवारी, मो. अकरम रजा, मो. अकरम अंसारी, डिकेश कुमार, गुरुवचन सिंह, शुभम गुरलवार, अनिता चौहान, आकांक्षा गोते, वैशाली सिंह, भारती साहू, रचना शुक्ला और आशाना मेमन ने स्वर्ण जीते। विशाल हियाल, मो. आसिफ अंसारी, चंदन निषाद, अविश तलमले, रविकांत साहू, अखिलेश गोते, राहुल परमार, संदीप सोनवाने, कागज यादव निरंजना और भूमिका गुप्ता ने रजत पदक और मयंक शिव, प्रियदर्शी जैन, संजय सिंह चौहान, शुभम बख्शी, सचिन पंडया, साश्वत मिश्रा, नाजिश मेमन और चुम्मन निषाद ने कांस्य पदक जीते। स्पर्धा में खेल विभाग की तरफ से स्वर्ण विजेताओं को एक हजार, रजत विजेताओं को सात सौ पचास और कांस्य विजेताओं को पांच-पांच सौ रुपए दिए गए।

नन्हें धावक सोनू को आर्थिक प्रोत्साहन

जिन्दल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड के सामाजिक विभाग द्वारा खेलों को प्रारंभ से ही प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी तारतम्य में रायगढ़ के किरोड़ीमल निवासी ५ साल सोनू बैष्णव जो कि जिन्दल आदर्र्श ग्राम्य भारती विद्यालय का छात्र है एवं कुशल धावक भी है। जिन्दल द्वारा सोनू बैष्णव को पूर्व में प्रोत्साहित करते हुए सायकिल तथा खेल सामग्री प्रदान की गई हैं। इसी के साथ उसको प्रतिमाह एक हाजर रुपए की राशि उसके भोजन व्यवस्था हेतु दिये जाने का निर्णय लिया गया था। इस परिप्रेक्ष्य में नन्हे धावक सोनू को ११ हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है।

गुरुवार, 6 मई 2010

कराते खिलाड़ी फिर भंवर में

प्रदेश के कराते खिलाड़ी एक बार फिर से भंवर में फंस गए हैं। प्रदेश में इस समय जिस कराते संघ को खेल विभाग से मान्यता है उस संघ से जुड़े राष्ट्रीय संघ पर बेंगलोर हाई कोर्ट ने दूसरे संघ की अपील पर प्रतिबंध लगा दिया है और उसके राष्ट्रीय टीम के चयन पर भी रोक लगा दी है।
राष्ट्रीय स्तर पर अब तक चेन्नई के त्यागराजन की अध्यक्षता वाले आल इंडिया कराते डू फेडरेशन का मान्यता प्राप्त थी। इस फेडरेशन द्वारा भारतीय टीम का चयन करने के लिए ८ मई को बेंगलोर में चयन ट्रायल का आयोजन किया गया था। इस आयोजन से पहले ही इस फेडरेशन के खिलाफ दूसरे फेडरेशन के सचिव आरपी रमेश ने हाई कोर्ट में अपील कर दी। इस अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जहां चयन ट्रायल पर रोक लगा दी है, वहीं अब त्यागराजन के फेडरेशन को आल इंडिया कराते डू फेडरेशन का नाम भी उपयोग न करने के लिए कहा है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बारे में छत्तीसगढ़ के कराते खिलाडिय़ों को खबर लग गई है। इस फैसले के बाद यहां के खिलाड़ी एक बार फिर से परेशानी में हैं कि उनका क्या होगा। कराते संघ राष्ट्रीय स्तर पर लगातार कई सालों से विवाद चल रहा है जिसके कारण छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भी फुटबॉल बन गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जिस फेडरेशन को मान्यता मिल जाती है, उससे जुड़े लोग यहां पर सक्रिय होते ही दूसरे फेडरेशन से जुड़े खिलाडिय़ों के साथ पक्षपात करने लगते हैं। राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्पर्धा में इसी वजह से कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी खेल नहीं पाते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर ही तीन संघ
राष्ट्रीय स्तर पर ही इस समय कराते के तीन संघ काम कर रहे हैं। हर संघ अपने को सही साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। इन संघों में दो संघ दक्षिण के हैं। एक संघ के कमान त्यागराजन के हाथों में है जिनको भारत सरकार से मान्यता मिली हुई है तो दूसरा संघ त्यागराजन के साथ पहले सचिव रहे आरपी रमेश का है। श्री रमेश ने त्यागराजन के स्थान पर डॉ. संजय सिंग को अध्यक्ष बना दिया है। इस फेडरेशन ने बेंगलोर हाई कोर्ट में अपील लगाई थी और फैसला इनका पक्ष में हुआ है। तीसरा संघ मुंबई के रामेश्वर निर्वाण और सुरेन्द्र सिंह का है। इसी संघ को कराते से जुड़े लोग सही संघ मानते हैं। इस संघ का मामला मुंबई में पंजीयन रजिस्टार के कार्यालय में चल रहा है। इस संघ से जुड़े प्रदेश संघ के लोग बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जिसे पंजीयन रजिस्टार सही मानते हैं और पंजीयन विभाग में जिनके कागकाज सही है वहीं संघ सही मानास जाएगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस संघ से जुड़े लोगों ने अपना मामला मुंबई पंजीयक दफ्तर में लगा रखा है।

रेफरी सेमिनार के लिए प्रदेश की टीम हैदराबाद रवाना

भारतीय थांग ता फेडरेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रेफरी सेमिनार में शामिल होने के लिए प्रदेश की टीम हैदराबाद रवाना हुई। इस टीम ने रवाना होने से पहले शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से मुलाकात की। प्रदेश संघ के अध्यक्ष कैलाश मुरारकका ने बताया कि हैदराबाद में ८ मई से सेमिनार आयोजित है। इस सेमिनार में प्रदेश के कौशिक साहू, शिवचरण साहू, दीनदयाल साहू, राहुल साहू, ओमप्रकाश जंघेल, रामनारायण साहू, राजकुमार, जितेन्द्र साहू, संतमणि कौशल,टी. शंकर राव, दिलाप राव, सियाराम निषाद, पुष्पराज देवांगन शामिल होने के लिए गए हैं।

रायपुर सेमीफाइनल में

अखिल भारतीय रात्रिकालीन टेनिस बॉल सिख क्रिकेट में मेजबान रायपुर की टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई है।
नेताजी स्टेडियम में चल रही स्पर्धा में खालसा रायपुर ने पहले बल्लेबाजी करते हुए १२ ओवरों में १४८ रन बनाए। इसमें जसपाल सिंग के आतिश ८२ रन शामिल है। १४९ रनों की चुनौती के सामने पंजाबी रायल की टीम १४० रन बनाकर आउट हो गई। मनजीत ने ६८ रनों की पारी खेली , लेकिन यह पारी उनकी टीम के काम न आई।
दूसरे मैच में रायपुर की एक और टीम दशमेश इलेवन ने पहले खेलते हुए गुरदीप सिंग के ६१ रनों की मदद से १०४ रन बनाए। इसके बाद रायपुर के गेंदबाजों ने अम्बिकापुर की टीम को ८५ रनों पर समेट कर मैच १९ रनों से जीतकर सेमीफाइनल में स्थान बना लिया।

बुधवार, 5 मई 2010

संभावित टीम में प्रदेश के आठ खिलाड़ी

भारत की संभावित सब जूनियर बास्केटबॉल टीम में प्रदेश के ८ खिलाडिय़ों का चयन किया गया है। इनमें पांच बालिका खिलाड़ी और ती बालक खिलाड़ी शामिल हैं। इसी के साथ प्रदेश के आरएस गौर को बालक टीम का कोच बनाया गया है।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव राजेश पटेल ने बताया कि चितौरगढ़ में आयोजित ३७वीं राष्ट्रीय सब जूनियर स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश की बालिका टीम की पांच खिलाडिय़ों संगीता कौर, कविता, शरणजीत कौर, संगीता दास और पूजा का चयन भारत की २० सदस्यीय संभावित टीम में किया गया है। इसी तरह से बालकों की टीम के लिए दिनेश मिश्रा, तारेन्द्र यादव और संजीव कुमार का चयन किया गया है। ये सभी खिलाड़ी मुंबई में एक मई से प्रारंभ हुए प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने के लिए चले गए हैं। वहां पर २१ मई तक प्रशिक्षण शिविर चलेगा इसक बाद दूसरे प्रशिक्षण शिविर के लिए १६-१६ खिलाडिय़ों का चयन किया जाएगा। इनका प्रशिक्षण शिविर १० जून से २ जुलाई तक मुंबई में ही लगेगा।

खेलवृत्ति न देने की सीएम से शिकायत

राजधानी रायपुर के कराते खिलाडिय़ों ने अंतत: खेल विभाग की मनमर्जी से परेशान होकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दरबार में जाकर खेलवृत्ति ने देने की शिकायत की और मुख्यमंत्री को बताया कि पात्र होने के बाद भी खिलाडिय़ों के साथ खेल विभाग खिलवाड़ कर रहा है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों के साथ अन्याय न होने का आश्वासन दिया है।
रायपुर के करीब एक दर्जन खिलाडिय़ों ने कराते की कोच हर्षा साहू के नेतृत्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मिलकर उनसे खिलाडिय़ों की खेलवृत्ति रोकने की शिकायत की। मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन में सारी जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों को आश्वासन दिया है कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा। खिलाडिय़ों ने अपने ज्ञापन में मुख्यमंत्री को बताया है कि खेलवृत्ति देने के लिए खेल विभाग ने जो मापदंड तय किए हैं उस पर सारे खिलाड़ी खरे उतरते हैं इसके बाद भी खेल विभाग ने राष्ट्रीय कराते संघ में हुए फेरबदल का हवाला देते हुए खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित कर दिया है।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि राजनांदगांव में जब खेल विभाग ने प्रदेश कराते संघ के साथ मिलकर जून २००८ में राज्य स्पर्धा का आयोजन किया था तो उस समय कराते संघ मान्यता प्राप्त था। ऐसे में इस स्पर्धा के पदक पाने वाले सभी ८८ खिलाड़ी खेलवृत्ति के पात्र हैं। इनके आवेदनों पर विचार किए बिना ही इनको खेलवृत्ति से यह कहते हुए वंचित कर दिया गया है कि उस समय कराते संघ मान्यता प्राप्त ही नहीं था। खिलाडिय़ों ने मुख्यमंत्री से कहा है कि जब कराते संघ मान्यता प्राप्त नहीं था तो खेल विभाग ने संघ के साथ मिलकर आयोजन कैसे किया। खेल विभाग ने एक तरह से अपने विभाग के आयोजनों के प्रमाणपत्रों को ही नकारा दिया है जबकि खेलवृत्ति के लिए पदक जीतने वाले प्रमाणपत्र ही अहम होते हैं।

दुर्ग क्वार्टर फाइनल में

अखिल भारतीय सिख रात्रिकालीन टेनिस बॉल क्रिकेट में डोंगरगढ़ ने बेमेतरा पर आसान जीत प्राप्त की। एक अन्य मैच में दुर्ग ने जीत प्राप्त कर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया।
यहां पर नेताजी स्टेडियम में चल रही स्पर्धा में पहला मैच डोंगरगढ़ बॉय और खालसा बॉय बेमेतरा के बीच खेला गया। इस मैच में डोंगरगढ़ ने पहले खेलते हुए गुरुदीप सिंग के ४१ रनों के साथ मलकीत सिंग के २७ रनों की मदद की १५५ रन बनाए। इसके जवाब में बेमेतरा की टीम ९७ रनों पर ही सिमट गई। दूसरे मैच में दशमेश इलेवन गोंदिया ने पहले खेलते हुए ११० रन बनाए। इसमें जसबीर सिंग रे २२ और राबिन सिंग रे ४२ रन शामिल हैं। दुर्ग ने जीत के ११२ रनों का लक्ष्य प्राप्त कर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया।

प्रदेश में पैरालंपिक संघ बना

प्रदेश के विकलांग खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल सके इसके लिए प्रदेश में पैरालंपिक एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ का गठन किया गया है।
यह जानकारी पत्रकारों को देते हुए संघ के सचिन आरसी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के कई विकलांग उनके पास आकर खेलने की इच्छा जताते थे, ऐसे में हम लोग काफी समय से इस प्रयस में थे कि यहां के खिलाडिय़ों को खेल का एक मंच दिया जा सके। ऐसे मे हमारा संपर्क बेंगलोर के डॉ. शिवाजी कुमार से हुआ। वे नार्थ इस्ट पैरालंपिक कनिटि ऑफ इंडिया से जुड़े हुए हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रदेश में अब संघ बना दिया गया है। इस संघ के माध्यम से यहां के खिलाडिय़ों को अब राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का पूरा मौका मिलेगा। श्री मिश्रा ने जून के अंतिम सप्ताह में राज्य स्तर की स्पर्धा का आयोजन यहां पर किया जाएगा। इनमें चुने जाने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलेंगे।

मंगलवार, 4 मई 2010

रफीक-पवन भारतीय टीम में

एशियन मास्टर एथलेटिक्स में खेलने जाने वाली भारतीय टीम में छत्तीसगढ़ के दो खिलाडिय़ों मो. रफीक और पवन धनगर का चयन हुआ है। यह जानकारी देते हुए लखवंत सिंह ने बताया कि स्पर्धा ६ से १२ दिसंबर को क्वालालम्पुर में होगी। इसमें रफीक ७५ साल से ज्यादा के वर्ग में १००, २०० और ४०० मीटर दौड़ में भाग लेंगे। रफीक ने ६८ पदक जीते हैं। वे देश में शीर्ष पर हैं। पवन धनगर का चयन ४५ साल से ज्यादा उम्र के लिए १०, ००० मीटर दौड़ के लिए किया गया है।

पंजाबी रायल की जीत में मनजीत का शतक

अखिल भारतीय टेनिस बॉल सिख क्रिकेट में पंजाबी रायल ने मनजीत सिंग के शतक की मदद से जीत प्राप्त की।
नेताजी स्टेडियम में चल रही इस रात्रिकालीन स्पर्धा के पहले मैच में पंजाबी रायल रायपुर ने मनजीत सिंग के (११० नाबाद) शतक की मदद से ७ विकेट पर १६८ रन बनाए। इसके जवाब में खालसा एकदाश की टीम ८ विकेट पर २१९ रन ही बना सकी।
दूसरे मैच में बिलासपुर ने टॉस जीतकर पहले खेलते हुए १३३ रन बनो। इसमें जस्सू सिंह के ३५ गेंदों में बनाए गए ७७ आतिशी रन शामिल हैं। इसके जवाब में श्याम नगर रायपुर की टीम ने ४ विकेट खोकर जीत का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। प्रभजोत सिंग ने ४२ रनों की पारी खेली। तीसरे मैच में रायपुर ने ६६ रनों ने जीत प्राप्त कर क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाया। इस मैच में रायपुर ने पहले खेलते हुए ५ विकेट के नुकसान पर १७१ रन बनाए। गुरदीप सिंह ने ७८ रनों की पारी खेली। १७२ रनों की चुनौती के सामने सिख मिशनरी देवपुरी की टीम १०५ रनों पर आउट हो गई।

सोमवार, 3 मई 2010

प्रदेश के लिए खेलेंगी

राजधानी का लड़कियों में भी फुटबॉल का क्रेज बढ़ रहा है। सप्रे स्कूल के मैदान में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में एक दर्जन बालिका खिलाड़ी भी प्रशिक्षण ले रही हैं। इनका कहना है कि वे महज गर्मियों में समय काटने के लिए नहीं आई हैं, बल्कि उनकी तमन्ना अपने राज्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खेलने की हैं।
सप्रे स्कूल के मैदान में चर्चा करते हुए कॉलॅज की छात्रा प्रियंका यादव के साथ स्कूली छात्राओं साक्षा व्यास, प्राची यादव, परिणीता गेडाम, ईशा अतुलकर, मुस्कान चौटेल, आदित्या सिंग एवं निधि चन्द्राकर ने पूछने पर एख स्वर में कहा कि वे सभी यहां भी फुटबॉल की बेसिक जानकारी लेकर आगे पहले जिले की टीम से राज्य स्पर्धा में और फिर राज्य की टीम में स्थान बनाकर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने की तमन्ना रखती हैं। इन्होंने पूछने पर कहा कि फुटबॉल का खेल इन्होंने अपनी इच्छा से चुना है। इन खिलाडिय़ों में शामिल मुस्कान स्कैटिंग में तीन स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। ईशा बास्केटबॉल भी खेलती हैं।
इन खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाले मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि सभी बालिका खिलाड़ी अनुशासित हैं और समय पर आने के साथ सीखने के लिए मेहनत भी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी इसी तरह से मेहनत करेंगी तो इनको जरूर जल्द ही जिले के साथ प्रदेश की टीम में स्थान मिल जाएगा।

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