बुधवार, 12 मई 2010

कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की प्रारंभिक तैयारी में ही प्रदेश के खेल विभाग और प्रदेश ओलंपिक संघ के बीच खुली जंग प्रारंभ हो गई है। कुर्सी के मोह में फंसे प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने खेल विभाग के साथ प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को यह कहते हुए इस्तीफा भेज दिया है कि राष्ट्रीय खेलों के लिए बनाए जाने वाले सचिवालय में प्रदेश संघ को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। अध्यक्ष से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कहा गया है कि अगर हस्तक्षेप नहीं किया जाता है तो उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए। ऐसी स्थिति में सचिव ने चुनाव कराने की भी चेतावनी दी है।
छत्तीसगढ़ को २०१३-१४ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी दी गई है। इसकी तैयारी करने का काम खेल विभाग ने प्रारंभ कर दिया है। खेल विभाग के संचालक जीपी सिंह ने हर कदम पर प्रदेश ओलंपिक संघ को साथ लेकर काम किया है, इसके बाद भी अचानक आज यहां पर प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने पत्रकारवार्ता लेकर खेल संचालक पर सीधे पर तौर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सचिवालय का प्रस्ताव सरकार को भेजने से पहले ओलंपिक संघ से विचार-विमर्श नहीं किया था। इसी के साथ यह भी आरोप लगाया है कि यह प्रस्ताव होस्ट सिटी कांट्रेक्ट से पहले ही भेज दिया गया था।
इधर इस मामले में खेल विभाग से जुड़े जानकार सूत्रों का दावा है कि खेल विभाग ने जो भी काम किया है उसकी सारी जानकारी ओलंपिक सचिव को दी गई है और उनकी सहमति से ही सारा काम हुआ है। सचिवालय का प्रस्ताव भेजने से पहले भी उनसे बात की गई और उनकी सलाह पर ही इस सचिवालय के लिए ओलंपिक संघ के चार सदस्यों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया गया। कुल मिलाकर सचिवालय में भारतीय ओलंपिक संघ और प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ बाहर से कुल मिलाकर ८ सदस्यों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया गया है। बशीर अहमद खान प्रदेश ओलंपिक संघ को कम प्रतिनिधित्व देने की बात करते हुए कहते हैं कि खेल विभाग ने महज असम के राष्ट्रीय खेलों की तर्ज पर सचिवालय में कम सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया है। उनसे जब पूछा गया कि वे कितने सदस्यों का प्रतिनिधित्व चाहते हैं तो इसका उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया औैर कहा कि हम ज्यादा प्रतिनिधित्व चाहते हैं। इसके पीछे का कारण वे स्पष्ट नहीं कर पाएं।
सुरेश कलमाड़ी से हस्तक्षेप का आग्रह
ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने आज पत्रकारों को बताया कि वे खेल विभाग की कार्यप्रणाली से खफा होकर ही अपना इस्तीफा ९ मई तो भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को भेज चुके हैं और उनसे आग्रह किया है कि इस सारे में मामले में वे हस्तक्षेप करें और खेल विभाग से बात करें, अगर वे ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर भारतीय ओलंपिक संघ इस मामले में कुछ नहीं करता है तो वे प्रदेश ओलंपिक संघ का चुनाव करवा देंगे।

१८ को दिल्ली की बैठक में होगा फैसला
बशीर अहमद खान ने बताया कि १८ मई को दिल्ली में होने वाली भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में जहां उनके इस्तीफे का फैसला होगा, वहीं वहां पर छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों पर भी चर्चा होगी। भारतीय ओलंपिक संघ से प्रदेश के खेल विभाग से जानकारी मांगी है कि यहां पर कितने खेलों के स्टेडियम हैं, कौन से खेलों का आयोजन किया जाएगा, जो स्टेडियम हंै उनकी स्थिति क्या है और कितने और स्टेडियम बनाने पड़ेंगे। ये सारी जानकारी खेल विभाग को १४ मई तक भेजनी है। इसी साथ यह भी जानकारी देनी है कि आयोजन समिति का पंजीयन हुआ है या नहीं।
सचिवालय में ज्यादा प्रतिनिधित्व जरूरी नहीं
ओलंपिक सचिव बशीर अहमद खान द्वारा सचिवालय में ज्यादा प्रतिनिधित्व दिए जाने के सवाल पर खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि यह तो सरकारी स्तर पर काम है, इसमें जितना संभव है ओलंपिक संघ को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसको लेकर बिनावजह विवाद खड़ा करना अच्छी बात नहीं है। हमारा प्रस्ताव कोई अंतिम निर्णय नहीं है, इस पर अंतिम निर्णय सरकार को करना है। ज्यादा प्रतिनिधित्व की बात है तो इस पर आपस में बात करके रास्ता निकाला जा सकता है, इस बात को तूल देने का मलतब नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के खेल संघों को आयोजन समिति में पूरा प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि होस्ट सिटी कांट्रेक्ट में आयोजन समिति में खेल संघों को प्रतिनिधित्व देने की बात है न की सचिवालय में। उन्होंने पूछने पर कहा कि होस्ट सिटी कांट्रेक्ट से पहले सचिवालय का प्रस्ताव भेजना गलत नहीं है। बकौल खेल संचालक पहले प्रस्ताव इसलिए भेजा गया क्योंकि हम लोग जानते हैं कि हमारे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का मंशा है कि कम से कम छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेल ऐतिहासिक हो और समय पर हों। यही वजह रही है कि हमारे विभाग ने समय बचाने के लिए प्रस्ताव पहले भेज दिया था। उन्होंने कहा कि न तो ऐसा कोई नियम है कि प्रस्ताव पहले भेजने में बंदिश हैं और न ही होस्ट सिटी कांट्रेक्ट में सचिवालय को लेकर कोई दिशा निर्देश है। उन्होंने कहा कि क्योंकि सचिवालय के लिए पंजीयन भी करवाना है और यह पंजीयन सोसायटी एक्ट १८६१ के तहत होना है ऐसे में हमने प्रस्ताव पहले ही बनाकर भेजा था। उन्होंने पूछने पर कहा कि इस प्रस्ताव के बारे में ओलंपिक संघ के सचिव को पूरी जानकारी है और उनसे विचार-विमर्श के बाद ही प्रस्ताव भेजा गया है।

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