प्रदेश के खेल विभाग के जिला कार्यालयों में स्टेशनरी के कम बजट के बीच पायका का काम करने में आ रही परेशानी को देखते हुए अब पायका के पहले चरण के लिए चुने गए हर गांव के लिए दो-दो हजार की राशि देने का फैसला किया गया है। यह राशि केन्द्र सरकार से ही मिलेगी। पूर्व में यह राशि गांवों को दी जानी थी, लेकिन अब इस राशि को खर्च करने का अधिकारी जिला कार्यालय को दिया गया है।
पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान योजना यानी पायका के लिए गांव-गांव से जानकारी जुटने में खेल अधिकारियों की हालत पलती हो रही है। इस मामले का खुलासा खेल अधिकारियों द्वारा एक बैठक करने के बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जानकारी जुटाने में आ रही परेशानियों को देखते हुए केन्द्र सरकार से विशेष आग्रह करके हर गांव के लिए दो-दो की राशि मंजूर करवा ली गई है। अब किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में कुछ समय पहले जब सभी जिलों के खेल अधिकारियों की बैठक हुई तो इस बैठक में कुछ खेल अधिकारियों ने यह मामला रखा कि पायका के लिए जानकारी जुटाने में उनको भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस योजना में क्योंकि जमीनी स्तर पर जानकारी एकत्रित करनी है, ऐसे में न तो गांवों तक जाने कोई साधन है, और न ही जिला कार्यालयों में फोन और फैक्स के साथ किसी भी तरह के वाहनों की व्यवस्था है। जिन जिलों में कम्प्यूटर हैं वहां पर इनको चलाने वाले आपरेटर ही नहीं हैं। एक-एक जिले को कम से कम २०० से २५० पृष्ठों की जानकारी बनानी पड़ रही है। इतनी जानकारी को टाइप करने के लिए बाहर भी कोई तैयार नहीं हो रहा। सबसे बड़ी बात यह कि जानकारी एकत्रित करने के लिए किसी भी तरह का बजट नहीं है। जिला के कार्यालयों को साल भर के लिए महज दो हजार का ही बजट दिया जाता है।
श्री सिंह ने इस बारे में बताया कि उनके पास पहले से ही यह जानकारी रही है कि जानकारी जुटाने के लिए अलग से बजट न होने के कारण परेशानी हो रही है। ऐसे में दिल्ली में जब पायका की बैठक हुई थी तो हमने इन परेशानियों को केन्द्रीय खेल मंत्रालय के सामने रखा और सारी जानकारी से अवगत होने के बाद केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने पायका के लिए जो पहले से बजट दिया है, उसी बजट में से हर गांव के लिए दो-दो हजार की राशि खर्च करने की मंजूरी दे दी है। इस राशि से ही अब गांवों की जानकारी एकत्रित करने का खर्च करने के लिए सारी कागजी कार्रवाई भी करनी है।
खेल संचालक ने बताया कि पायका के पहले चरण में ९८२ गांवों को खेलों से जोड़ा गया है। इन गांवों के साथ प्रदेश के १४६ ब्लाकों के १० प्रतिशत ब्लाकों को भी शामिल किया गया है। केन्द्र सरकार ने एक ब्लाक के लिए पांच-पांच लाख रुपए की राशि दी है। इस राशि में से एक लाख का एक जिम लगाया जा रहा है, बाकी राशि का उपयोग किस तरह से करना है, इस मुद्दे पर भी जिला पंचायतों से चर्चा की जाएगाी। अब सारी राशि पंचायतों के माध्यम से खर्च होगी। उन्होंने बताया कि जिन ९८२ गांवों में क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं उसमें से ६६७ को राजधानी में प्रशिक्षण देकर संवार दिया गया है, अब ये सभी क्रीड़ाश्री अपने -अपने गांवों में जाकर खिलाड़ी तैयार करने का काम कर रहे हैं।
खेल संचालक ने बताया कि केन्द्र सरकार को २००८-०९ और २०१०-११ की जानकारी भेज दी गई है। इन दो साल की योजनाओं के लिए जानकारी जुटाने का काम सभी जिले कर रहे हैं। कई जिलों से जानकारी दे दी है, बाकी जिलों से जानकारी जल्द देने कहा गया है।
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खेल के पीछे जो कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार है उसे सबसे पहले प्रबल इक्षा शक्ति से दूर करने की जरूरत है /
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