गुरुवार, 27 मई 2010

बजट कम फिर भी प्रशिक्षण शिविरों में दम

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी रायपुर में २० खेलों का ३२ मैदानों में प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। इन शिविरों में १५ सौ खिलाडिय़ों को निखारने की कवायद चल रही है। रायपुर जिले को प्रशिक्षण शिविर के लिए एक लाख की ही राशि मिली है, इसके बाद भी ज्यादा खेलों के प्रशिक्षण शिविर लगाए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाडिय़ों को इसका लाभ मिल सके।
खेल विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन हर जिले में किया जाता है। रायपुर जिले में हमेशा सबसे ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को निखारने का काम जिला खेल विभाग द्वारा किया जाता है। इस बार भी रायपुर में २० खेलों का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया है। इस खेलों में करीब १५ सौ खिलाड़ी खेल के गुर सीख रहे हैं। वालीबॉल में १५५, फुटबॉल में २०५, एथलेटिक्स में ५०, बास्केटबॉल में १८५, साफ्टबॉल में ११५, हैंडबॉल में ५५, हॉकी में ५७, कराते में १००, भारोत्तोलन में २५, जूडो में ५५, टेनीक्वाइट में ८०, जंपरोप में ४०, म्यूथाई में ४०, नेटबॉल में १००, ताइक्वांडो में ३५, टेबल टेनिस में ९०, कबड्डी में ४०, जिम्नास्टिक में २०, वुशू में ४०, बैडमिंटन में ५० खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं।
वालीबॉल का प्रशिक्षण अजीत कुट्टन, स्मृित साव, अभय गणोरकर, सूरज महाडिक, एथलेटिक्स का रवि धनगर, बास्केटबॉल का उमेश सिंह ठाकुर, गुरचरन रहेजा, भाटापारा में शरद पंसारी, फुटबॉल का मुश्ताल अली प्रधान, सरिता कुजूर, साफ्टबॉल का आलोक मिश्रा, आरिफ खान, निंगराज रेड्डी, संजू शुक्ला, कमलेश कश्यप, हैंडबॉल का सुकचंद वर्मा, कमलेश, सुनील भोई, हॉकी का नजीर अहमद, रश्मि तिर्की, कराते का अजय साहू, तुलसी सपहा, भारोत्तोलन का तेजा साहू, जूडो का नीलम तिवारी, टेनीक्वाइट का प्रियंका साहू, वरूण पांडे, मोहन कुमार, म्यूथाई का अनिस मेमन, नेटबॉल का सुधीर वर्मा, भावा खंडारे, ताइक्वांडो का कुमार विश्वकर्मा, विष्णु साहू, टेबल टेनिस का विनय बैसवाडे, मोहन आप्टे, अरविंद मिश्रा, कबड्डी का पीजी उमाठे, कासीराम ध्रुव, बुद्धेश्वरी, वुशू का सुहैल हैदरी, रेणु तिवारी, बैडमिंटन कविता दीक्षित, जिम्नास्टिक का उदय सिंह ठाकुर दे रहे हैं।
रायपुर में चल रहे प्रशिक्षण शिविरों के लिए विभागों से एक लाख का राशि मिली है। राशि कम होने के बाद भी राजधानी में ज्यादा मैदानों में खिलाडिय़ों को निखारने का काम किया जा रहा है। बजट को लेकर हमेशा परेशानी रही है राजधानी में ज्यादा खिलाड़ी होने के कारण यहां पर हर खेल का प्रशिक्षण शिविर लगाना पड़ता है, जिस खेल का शिविर नहीं लगता है उस खेल के खिलाड़ी नाराज हो जाते हैं। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा खेलों का शिविर लगाना जरूरी हो जाता है, लेकिन इसके लिए उतना बजट विभाग से नहीं मिल पाता है। पिछले साल भी कम बजट के कारण ऐसा लग रहा था कि खेलों का दम न निकल जाए, लेकिन बाद में बजट दे दिया गया था। इस बार पिछली बार से बजट कम मिला है।

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