शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

आयुशी को दोहरा खिताब

अखिल भारतीय लॉन टेनिस के खिताबी मुकाबले में छत्तीसगढ़ की आयुशी चौहान ने अंडर १४ में एकल और अंडर १६ में युगल खिताब जीतकर दोहरी खिताबी जीत प्राप्त की। छत्तीसगढ़ के लिए खिताब जीतने वाली आयुशी पहली खिलाड़ी हैं।
इलाहाबाद में खेली गई इस स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए आयुशी के कोच और पिता रूपेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि अंडर १४ साल के खिताबी मुकाबले में आयुशी ने श्वेता को आसानी से ६-४, ६-१ से मात देकर खिताब जीता। अंडर १६ के युगल फाइनल में आयुशी ने अपनी साथ खिलाड़ी राग्या सिंहा के साथ मिलकर ए. यादव और इना सिंह की जोड़ी को कड़े मुकाबले में ७-६ (७-५) ६-४ से हराकर खिताब जीता।

टीम में स्थान पाने जुटे खिलाड़ी

राज्य जूनियर फुटबॉल स्पर्धा के लिए रायपुर जिले की टीम में स्थान पाने के लिए आज शाम से ही सप्रे स्कूल के मैदान में ४० से ज्यादा खिलाड़ी जुटे। राजधानी के खिलाडिय़ों का दो दिनों तक ट्रायल होगा इसके बाद जिले के दूसरे स्थानों के खिलाडिय़ों को ट्रायल एक और दो मई को होगी। अंतिम टीम तीन मई को तय होगी।
सप्रे स्कूल के मैदान में एक तरफ जहां शेरा क्लब द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविर में खिलाड़ी अभ्यास में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ आज जिले की टीम में स्थान पाने की उम्मीद के साथ आए खिलाड़ी आए हैं। इन खिलाडिय़ों को आते सथ अपनी फिटनेस साबित करने के लिए पहले तो मैदान के चक्कर लगाने के लिए प्रशिक्षक मुश्ताक अली प्रधान ने कहा। इसके बाद इनको अभ्यास में लगाया गया। जिला की टीम में स्थान बनाने के लिए राजधानी के ४० से ज्यादा खिलाड़ी जुटे हैं। मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि आज तो ट्रायल का पहला ही दिन है। कल दूसरे दिन और खिलाडिय़ों के आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि राजधानी के खिलाडिय़ों का ट्रायल दो गिन चलेगा। इनके ट्रायल के बाद रायपुर जिले के बलौदाबाजार, तिल्दा, गरियाबंद के खिलाडिय़ों को बुलाया जाएगा। इसका ट्रायल दो दिनों तक एक और दो मई को होगा। इनके ट्रायल के बाद ही अंतिम संभावित टीम का चयन किया जाएगा।
इस टीम का इसके बाद प्रशिक्षण सप्रे मैदान में लगेगा। उन्होंने बताया कि हमारे जिला संघ की सोच है कि ग्रामीण खिलाडिय़ों को जिले की टीम में मौका देना चाहिए, यही वजह है कि राजधानी के साथ आस-पास के विकासखंडों के खिलाडिय़ों को भी ट्रायल में बुलाया गया है। ट्रायल में उन्हीं खिलाडिय़ों को शामिल किया गया है जिनकी जन्मतिथि एत जनवरी १९९३ के बाद की है। राज्य स्पर्धा का आयोजन बिलासपुर में १० मई से किया गया है। इस स्पर्धा में प्रदेश के सभी जिलों की टीमें भाग लेंगी।

सिख क्रिकेट एक से

अखिल भारतीय सिख क्रिकेट का आयोजन राजधानी रायपुर में एक मई से किया गया है। इस स्पर्धा में प्रदेश की ११ टीमों के साथ बाहर की पांच टीमें को स्थान दिया गया है।
यह जानकारी पत्रकार वार्ता में देते हुए आयोजक छत्तीसगढ़ सिख संगठन के दिलीप सिंह होरा. जगजीत सिंह ने बताया कि एक मई से सात मई तक सुभाष स्टेडियम में रात्रिकालीन टेनिस बॉल क्रिकेट का आयोजन किया गया है। स्पर्धा में प्रदेश की ११ टीमों के साथ नागपुर, हैदराबाद, जबलपुपर, संबलपुर और गोंदिया की टीमों को स्थान दिया गया है। स्पर्धा में रोज तीन मैच खेले जाएंगे। हर मैच १२-१२ ओवर का होगा। स्पर्धा आयोजन करने का मकसद सिख युवकों को समाज से जोडऩे है। स्पर्धा से पहले खिलाडिय़ों को सिर के बॉल न कटवाने की शपथ दिलाएंगे।

गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

खेलमंत्री से मांगी मदद

विश्व कप जंप रोप में खेलने जाने के लिए छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों ने आज खेलमंत्री लता उसेंडी से मुलाकात करके उनसे मदद मांगी। इन खिलाडिय़ों को इंग्लैंड जाने के लिए चार लाख २० हजार रुपए की दरकार है।
जुलाई में इंग्लैंड में होने वाली विश्व स्पर्धा के लिए छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों राजदीप सिंह हरगोत्रा, पूजा हरगोत्रा और श्वेता कुर्रे का चयन भारतीय टीम में हुआ है। चंकि जंप रोप को भारत सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है ऐसे में खिलाडिय़ों को खेलने जाने के लिए खुद खर्च करना पड़ रहा है। यही वजह है कि छत्तीसगगढ़ के खिलाड़ी भटक रहे हैं। कुछ संघों से खिलाडिय़ों की मदद की है। आज खिलाडिय़ों ने खेलमंत्री से मिलकर उनसे मदद की मांग की ताकि प्रदेश के खिलाड़ी विश्व कप में खेल सके। खेल मंत्री ने मदद करने का आश्वासन दिया है।

आयुशी दोहरे खिताब के करीब

अखिल भारतीय लॉन टेनिस के अंडर १४ के साथ अंडर १६ साल के फाइनल में छत्तीसगढ़ की आयुशी चौहान ने स्थान बना लिया है।
यह जानकारी देते प्रदेश संघ के गुरुचरण सिंह होरा ने बताया कि यह स्पर्धा इलाबाबाद में २६ अप्रैल से चल रही है। इसमें अंडर १४ साल के सेमीफाइनल में आयुशी चौहान ने बंगाल की मरियम जावेद को सीधे सेटों में ६-१, ६-१ से परास्त कर फाइनल में स्थान बनाया। इसी के साथ आयुशी ने अंडर १६ के युगल सेमीफाइनल में अपनी साथी प्रज्ञा सिंहा के साथ मिलकर मेजबान उप की जोड़ी महक पंडया और श्रेया पांड को ७-२ से परास्त कर फाइनल में स्थान बनाया।

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

आज लगेंगे पदकों पर निशाने

पहली बार चार जिलों के निशानेबाज तीन वर्गों के लिए कल से होने वाले मुकाबलों में पदकों के लिए निशाने लगाएंगे। दो दिनों के अभ्यास के बाद अब खिलाड़ी तैयार हो गए मुख्य मुकाबलों के लिए।
प्रदेश रायफल संघ ने पहली बार जिला स्तर की स्पर्धा का आयोजन किया है। इस स्पर्धा को दो हिस्सों में बांटकर रायपुर और रायगढ़ में करवाया जा रहा है। रायपुर की स्पर्धा यहां पर २६ अप्रैल से प्रारंभ हो गई है। पहले दिन के बाद दूसरे दिन भी खिलाडिय़ों को माना की शूटिंग रेंज में सुबह से लेकर शाम तक कड़ा अभ्यास करवाया गया। स्पर्धा पहली बार खुली की गई है। ऐसे में स्पर्धा में स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ घरेलू महिलाएं भी निशाने लगाने आर्ईं हैं।
कोच दुर्गेश वशिष्ठ ने बताया कि चूंकि निशानेबाजी का खेल आसान नहीं होता है, ऐसे में सबसे पहले खिलाडिय़ों को दो दिन अभ्यास करवाया जाता है ताकि वे ठीक से खेल सकें। स्पर्धा में चार जिलों के रिकॉर्ड २५० से ज्यादा खिलाड़ी मैदान में हैं। स्पर्धा में रायपुर के साथ बिलासपुर, दुर्ग और दंतेवाड़ा के खिलाड़ी खेलने आए हैं। दो दिनों के अभ्यास सत्र के बाद २८ अप्रैल को पदकों के लिए मुकाबले होंगे। उन्होंने बताया कि हर जिले के लिए अलग-अलग मुकाबलों के साथ पुरस्कार भी अलग दिए जाएँगे। इस स्पर्धा में चुने गए खिलाडिय़ों को राज्य स्पर्धा में खेलने का मौका मिला। यह स्पर्धा जून में होगी।
स्पर्धा में ५० मीटर रायफल के साथ १० मीटर रायफल और १० मीटर पिस्टल के मुकाबले होंगे। मुकाबले कल सुबह को ७.३० बजे से होंगे। ये मुकाबले ११ बजे तक चलेंगे। इसके बाद शाम के सत्र में मुकाबले चार बजे से प्रांरभ होंगे। मुकाबलों के लिए खिलाडिय़ों के तैयार होने के बाद अब खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि वे मुख्य मुकाबलों में निशाने लगाकर जहां पदक जीतने में सफल हों, वहीं उनको पहले राज्य स्पर्धा में खेलने का मौका मिला। कई खिलाड़ी अभी से राज्य स्पर्धा के बाद राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने के बात कर रहे हैं।

पदक जीतने की तैयारी करें

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने के लिए अभी से योजना बनाकर काम करना चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षण देने क्या-क्या सुविधाएं चाहिए इसकी पूरी योजना बनाकर खेल विभाग के सामने संघ को रखनी चाहिए।
ये बातें यहां पर चार जिलों की राज्य जिला निशानेबाजी स्पर्धा के उद्घाटन अवसर पर खेल संचालक जीपी सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में २०१३-१४ में राष्ट्रीय खेल होंगे। इन खेलों में छत्तीसगढ़ को पदक तालिका में नंबर वन बनाने के लिए अभी से प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि निशानेबाजी में भी पदक जीतने की तैयारी की जाए। निशानेबाजी में राज्य के खिलाडिय़ों को पदक कैसे मिल सकते हैं इसकी योजना बनाने का काम प्रदेश संघ को करना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि उनका विभाग हर खेल संघ से अपनी योजना बनाकर देने की बात कह रहा है। उन्होंने कहा कि मेजबान को पदक तालिका में अगर अहम स्थान पाना है तो यह बात तय है कि इसके लिए अभी से प्रयास करने होंगे।
खेल संचालक ने कहा कि उनको इस बात की खुशी है कि निशानेबाजी संघ ने उनके सुझाव पर अमल करते हुए पहली बार जिला स्तर पर स्पर्धा का आयोजन किया है। मैं जब यहां पर पिछले साल राज्य स्पर्धा के समापन में आया था तो मैंने कुछ सुझाव दिए थे, उन सुझावों में सबसे अहम सुझाव जिला स्तर पर स्पर्धा के आयोजन का था और अब पहली बार जिला स्तर की स्पर्धा हो रही है।
कोच दुर्गेश वशिष्ठ ने बताया कि स्पर्धा में रायपुर के साथ बिलासपुर, दुर्ग और दंतेवाड़ा के खिलाड़ी खेलने आए हैं। दो दिनों के अभ्यास सत्र के बाद २८ अप्रैल को पदकों के लिए मुकाबले होंगे। उन्होंने बताया कि हर जिले के लिए अलग-अलग मुकाबलों के साथ पुरस्कार भी अलग दिए जाएँगे। इस स्पर्धा में चुने गए खिलाडिय़ों को राज्य स्पर्धा में खेलने का मौका मिला। यह स्पर्धा जून में होगी।

रायपुर ब्लूज की जीत में धवल चमके

रियाज प्रीमियर लीग में रायपुर ब्लूज ने धवल कुलश्रेष्ठ के शतक की मदद से रायपुर रेड को रोमांचक मुकाबले में १० रनों से परास्त कर दिया।
रियाज क्रिकेट अकादमी द्वारा आयोजित इस प्रीमियर लीग में दूसरा मैच रायपुर ब्लूज और रायपुर रेड के बीच खेला गया। इस मैच में रायपुर ब्लूज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए २८ ओवरों में १८४ रन बनाए। इन रनों में धवल कुलŸोष्ठ के आतिशी ११४ रन शामिल हैं। धवल ने ये रन महज ७३ गेंदों पर बनाए। यह लीग का पहला शतक है। रायपुर रेड की तरफ ने अजितेष भट्टाचार्य ने चार ओवरों में ३१ रन देकर दो विकेट और सतनाम सिंह ने २५ रन देकर तीन विकेट लिए।
१८५ रनों की चुनौती के सामने रायपुर रेड की टीम २८.३ ओवरों में १७४ रनों पर ह आउट हो गई। प्रांकुर ने ३४ और सौरभ घाडगे ने २९ तथा मोहतसिन हसन ने २७ रनों की पारी खेली। रायपुर ब्लूज के लिए शतक बनाने वाले धवल ने गेंदबाजी में जोरदार हथ दिखाते हुए ७ ओवरों में २१ रन देकर तीन् विकेट चटकाए। इसके अलावा जितेन्द्र सिंह ने २८ रन देकर दो, अंकित मित्तल ने १५ रन और सुभोजित भट्टाचार्य ने २१ रन देकर दो विकेट लिए।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

ओलंपिक कार्यालय के लिए खींचतान

प्रदेश ओलंपिक संघ के कार्यालय को लेकर रायपुर और भिलाई के खेल संघों के बीच में खींचतान प्रारंभ हो गई है। ओलंपिक संघ की बैठक में एक माह पहले कार्यालय को रायपुर लाने का फैसला होने के बाद अब तक कार्यालय रायपुर नहीं ला जा सका है। भिलाई के खेल संघ कार्यालय रायपुर लाने के पक्ष में नहीं है।
प्रदेश ओलंपिक संघ का कार्यालय राजधानी में रखने की मांग काफी समय से की जा रही थी। ऐसे में जबकि छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है तो और जरूरी हो गया है कि अब कार्यालय रायपुर में ही रहे। ऐसे में पिछले माह जब यहां पर ओलंपिक संघ की बैठक हुई तो इस बैठक में तय किया गया कि १५ दिनों के अंदर ही कार्यालय रायपुर में खोल दिया जाएगा। इसके लिए यह भी तय कर दिया गया कि यहां पर कार्यालय का काम कौन देखेगा। इसी के साथ प्रदेश संघ के सचिव बशीर अहमद खान से सप्ताह में तीन दिन यहां रहने के लिए कहा गया। बैठक में कार्यालय को रायपुर लाने का फैसला तो कर लिया गया, लेकिन बैठक होने के बाद एक बार फिर से रायपुर और भिलाई के खेल संघों में ठन गई है। जानकारों की मानें तो संघ के सचिव सहित भिलाई के खेल संघों के पदाधिकारी चाहते ही नहीं हैं कि कार्यालय रायपुर लाया जाए। यही वजह है कि अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हो सका है।
प्रदेश संघ के एक बड़े पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यहां तक कहा है कि भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल ने तो भिलाई के खेल संघों के तेवर देखते हुए बैठक के मिनट बुक में फेरबदल करके मुख्य कार्यालय रायपुर में और इसकी एक शाखा संघ के सचिव बशीर अहमद खान के घर में रखने की बात कही है। अब तक संघ का कार्यालय भिलाई में सचिव बशीर अहमद खान के घर से संचालित हो रहा है। इसी के साथ इस पदाधिकारी का कहना है कि श्री शुक्ल ने संघ के खातों को भी भिलाई में रखने की बात कही है। लेकिन श्री शुक्ल के इश फैसले से कम से कम रायपुर के खेल संघ सहमत नहीं है। कहा तो यह भी जा रहा है कि भिलाई के खेल संघ कार्यालय की शाखा नहीं बल्कि मुख्य कार्यालय को भिलाई में ही बनाए रखना चाहते हैं।
भिलाई-रायपुर का ङागड़ा पुराना है
प्रदेश ओलंपिक संघ के करीब एक दशक पुराने इतिहास पर नजरें डाले ता मालूम होता है कि संघ में भिलाई और रायपुर का ङागड़ा पुराना है। जब पहली बार प्रदेश संघ बना था और इसका अध्यक्ष अजीत जोगी को बनाने का प्रस्ताव सामने आया था, उसी समय एक महत्वपूर्ण पद के लिए रायपुर और भिलाई में ठन गई थी। बशीर अहमद खान को संघ का सचिव बनाने के बाद ही भिलाई के खेल संघ माने थे। प्रदेश संघ को लेकर उस समय काफी विवाद हुआ था और अजीत जोगी को संघ का अध्यक्ष बनने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी थी। अब तक संघ के अध्यक्ष तो लगातार बदलते रहे हैं, लेकिन महासचिव बशीर अहमद खान ही हैं। यही वजह है कि संघ का कार्यालय शुरू से भिलाई में है। एक तरह से देखा जाए तो ओलंपिक संघ में भिलाई के खेल संघों की दादगिरी चल रही है। रायपुर के खेल संघों को महत्व ही नहीं दिया जाता है। यही वजह रही कि राष्ट्रीय खेलों के लिए जब भिलाई में बैठक रायपुर के खेल संघों को बताए बिना पिछले माह की गई थी तो इस बैठक की बात को लेकर ही ओलंपिक संघ की बैठक में बवाल मच गया था। इस बवाल के चलते ही सचिव बशीर अहमद खान ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। इस बवाल के कारण ही भिलाई ही खेल संघ एक हो गए हैं और चाहते हैं कि ओलंपिक संघ का कार्यालय भिलाई में ही बना रहे। इसको लेकर राजनीति चल रही है जिसके कारण कार्यालय रायपुर नहीं लाया जा रहा है।

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

सप्रे स्कूल का मैदान होगा गुलजार

सप्रे स्कूल के फुटबॉल में हर तरफ घास की हरियाली। खिलाड़ी घंटों अभ्यास कर रहे हैं और जैसे ही खिलाडिय़ों को लगता है कि वे थक चुके हैं तो वे मैदान की मखमली घास पर ही लेट कर आराम कर लेते हैं। यह कोई सपना नहीं है बल्कि आज से करीब ३६ साल पहले तक सप्रे शाला के मैदान में यही नजारा आम होता था। तब यहां का मैदान देखने और खेलने लायक था। लेकिन आज तो इस मैदान का कोई रखवाला नहीं है। लेकिन अब एक बार फिर से इस मैदान को ३६ साल पुराना बनाने की कवायद प्रारंभ हो गई है। यह कवायद बूढ़ापारा के पार्षद मनोज कंदोई की पहल पर हो रही है। पार्षद के कहने पर शेरा क्लब सप्रे मैदान को मिनी स्टेडियम में तब्दील करने की योजना बना रहा है। इस योजना को महापौर किरणमयी नायक के सामने रखा जाएगा और फिर एमआईएस से मंजूरी लेकर मैदान बनाने की कवायद प्रारंभ होगी।
सप्रे शाला का मैदान आज किसी स्थिति में है बताने की जरूरत है। यहां पर खिलाडिय़ों को खेलने में कितनी परेशानी होती यह सब जानते हैं। एक ेतो मैदान कभी भी किसी भी आयोजन के लिए दे दिया जाता है, फिर मैदान में जहां सुबह के समय में जानवरों का अड्डा रहता है तो शाम के समय में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। कहने को तो नगर निगम ने रात को असामाजिक तत्वों से छुटकारा दिलाने के लिए हाई मास्क लाइट लगा दी है, पर इसके बाद भी मैदान में रात के समय पीने वालों का जमावड़ा कोई नहीं रोक पाया है। पूर्व में मैदान में रात के समय में सुरक्षा व्यवस्था करने की भी बात सामने आई थी, पर आज तक वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है।
बहरहाल मैदान में जब भी कोई खेल का आयोजन करना होता है तो मैदान को ठीक करने के लिए भारी मशक्कत के साथ काफी पैसा भी खर्च करना पड़ता है। मैदान में शेरा क्लब के खिलाड़ी एक किनारे में जरूर पूरे साल भर अभ्यास करते नजर आते हैं जिसके कारण मैदान का यह हिस्सा साफ सुधरा रहता है।
३६ साल पहले घास वाला मैदान था
शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि सप्रे स्कूल का यह मैदान आज से करीब ३६ साल पहले मखमली घास युक्त था। इस मैदान में हम लोग जब खेलते थे और घंटों खेलने के बाद जब थकान लगती थी तो मैदान में ही लेट जाते थे। मैदान की घास में लेटकर ऐसा लगता था कि हम किसी आराम दायक बिस्तर में लेटे हैं। ऐसे में थकान मिनटों में गायब हो जाती थी और हम लोग फिर से अभ्यास करने में जुट जाते थे। मैदान की यह स्थिति १९८० से ८४ तक थी। इसके बाद से मैदान के खराब होने का जो सिलसिला प्रारंभ हुआ तो आज मैदान इतना खराब हो चुका है कि अब खेलने लायक रह ही नहीं गया है, फिर भी शहर में मैदान न होने के कारण हम लोग इसी मैदान में हर साल कई आयोजन शेरा क्लब की तरफ से करवाते हैं।
मैदान को पुराने रूप में लाने की कवायद
सप्रे मैदान को एक बार फिर से ३६ साल पुराने रंग में लाने की कवायद बूढ़ापारा के पार्षद मनोज कंदोई की पहल पर प्रारंभ हो रही है। इस बारे में शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि उनके क्लब के फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन के लिए जब मनोज कंदोई को बुलाया गया था तो उन्होंने ही कहा कि अपने वार्ड के इस मैदान को एक बार फिर से वे हरा-भरा देखना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने क्लब को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा है ताकि उसे निगम के सामने रखकर मैदान बनाने की मंजूरी ली जा सके।
२५ लाख में बना जाएगा मिनी स्टेडियम
मुश्ताक अली प्रधान की मानें तो अगर मैदान में महज २५ लाख का ही खर्च कर दिया जाए तो मैदान को एक तरह से मिनी स्टेडियम का रूप दिया जा सकता है। वे कहते हैं कि मैदान में एक फुटबॉल के घास वाले मैदान के साथ हॉकी का मैदान भी निकल सकता है। इसी के साथ मैदान के किनारे से एथलेटिक्स के खिलाडिय़ों के लिए ट्रेक भी बन सकता है। इसी के साथ किनारे में टाइल्स लगाने पर खिलाडिय़ों को वार्मअप के लिए जगह मिल सकती है। उन्होंने बताया कि मैदान के किनारे में टाइल्स लगाने की बात पूर्व सभापति रतन डागा ने की थी पर उनकी घोषणा पर अमल नहीं हो सका है।
मैदान बनाने हुए थे १८ लाख मंजूर
सप्रे स्कूल के इस मैदान को बनाने के लिए आज से करीब ९ साल पहले १८ लाख रुपए नगर निगम ने मंजूर किए थे। उस समय निगम में सोनमणी वोरा आयुक्त थे। उनकी पहल पर ही मैदान के लिए यह बजट रखा गया था। इस बजट में से मैदान में महज एक तरफ गैलरी बन पाई, बाकी दो तरफ न तो गैलरी बनी और न ही मैदान में घास लगाई गई। यह योजना सोनमणी वोरा के निगम के जाते ही खटाई में पड़ गई।
दर-दर भटक रहे हैं खिलाड़ी
सप्रे मैदान में फुटबॉल का प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी पिछले तीन दिनों से मैदान मिल पाने के कारण दर-दर भटक रहे हैं। मैदान में इस समय दूसरे आयोजन के लिए कब्जा है। ऐसे में खिलाड़ी जब कल स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से फुटबॉल मैदान में अभ्यास करने के लिए गए तो उनको वहां भी आसार नहीं मिला, क्योंकि वहां पर फुटबॉल मैदान में क्रिकेट की पिच बनाने का काम चल रहा है। फुटबॉल खिलाड़ी पूछ हैं कि जब निगम ने मैदान को फुटबॉल के लिए बनाया है तो वहां क्रिकेट की पिच बनाने की इजाजत कैसे दी गई। आउटडोर स्टेडियम में भी सहारा न मिलने के कारण खिलाडिय़ों को आज शेरा क्लब के कार्यालय के पास में ही गली में अभ्यास करना पड़ा। क्लब के मुश्ताक अली ने बताया कि खिलाडिय़ों को अब वे अभ्यास करवाने के लिए राजकुमार कॉलेज ले जाएंगे ताकि खिलाडिय़ों का नुकसान न हो।

रविवार, 25 अप्रैल 2010

खेल के सही गुर तो कोच ही बताएंगे: चौहान

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सितारे राजेश चौहान ने आज यहां पर सेकरसा के क्रिकेट प्रशिक्षण शिविर में खिलाडिय़ों से कहा कि मैं तो आप लोगों के बीच कुछ समय के लिए ही आया हूं। मैं आप लोगों को ज्यादा क्या बता पाऊंगा। आप लोगों को खेल के सही गुर तो आपके कोच ही बताएंगे। प्रशिक्षण शिविर में इस पूर्व अंतररराष्ट्रीय खिलाड़ी को अपने बीच पाकर छोटे-बड़े खिलाड़ी बहुत ज्यादा खुश हुए और इन्होंने आटोग्राफ भी लिए।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे खेल संघ द्वारा रेलवे के मैदान में क्रिकेट का प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। इस शिविर में खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान को बुलाया गया। श्री चौहान ने खिलाडिय़ों के बीच एक घंटे के समय में कुछ तकनीकी जानकारी देने के साथ खिलाडिय़ों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने खिलाडिय़ों से साफ शब्दों में कहा कि मैं तो आप लोगों का यहां पर उत्साह बढ़ाने के लिए आया हूं। मुङो मालूम है कि आप लोगों मुङासे एक घंटे के समय में ज्यादा कुछ नहीं सीख सकते हैं। आपको अपने कोच के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। आपके कोच ही आप लोगों को सही तरीके से निखारने का काम कर सकते हैं। एक छोटे से खिलाड़ी ने श्री चौहान से पूछा कि वे स्पिन गेंदबाजी करें या मध्यम तेज गति की गेंदबाजी करें। श्री चौहान ने इस खिलाड़ी से दोनों तरह की गेंदबाजी करवाने के बाद उसको सलाह दी कि तुम्हारे लिए मध्यम तेज गेंदबाजी ही ठीक रहेगी। स्पिन गेंदबाजी तो तुम बाद में भी कर सकते हो। इसी के साथ श्री चौहाने ने खिलाडिय़ों की और समस्याओं का समाधान किया।
शिविर के छोटे-बड़े खिलाड़ी श्री चौहान को अपने बीच पाकर काफी खुश हुए। कई खिलाडिय़ों ने उनसे आटोग्राफ भी लिए। खिलाडिय़ों ने श्री चौहान से कहा भी कि वे भी उनकी तरह अपने देश के लिए खेलना चाहते हैं।
शिविर के प्रशिक्षक स्वर्ण सिंह कलसी ने बताया कि शिविर में इस समय ७० खिलाड़ी आ रहे हैं जिनमें ८ बालिका खिलाड़ी भी हैं। इसी के साथ ५ बच्चे धरसीवां, दो माना के भी हैं। उन्होंने बताया कि शिविर में राजेश चौहान के बाद आईपीएल में खेलने वाले दल्ली राजहरा के हरप्रीत सिंह भाटिया को बुलाया जाएगा। इसी के साथ समापन में रेलवे टीम के कप्तान रणजी खिलाड़ी संजय बागर को बुलाने की योजना है। शिविर में खिलाडिय़ों को निखारने का काम स्वर्ण सिंह कलसी के साथ विजय नायडु, मुजाहिक हक के शांतुन घोष कर रहे हैं।

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

साई सेंटर की राह का रोड़ा हटा

भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई द्वारा राजधानी रायपुर में बनाए जाने वाले साई सेंटर के लिए रखी गई एक नई शर्त को नगर निगम ने समङाने के बाद इसको मंजूरी दे दी है। इसी के साथ निगम ने साई सेटर के लिए स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स को ३० साल की लीज पर भी देने की मंजूरी दे दी है। निगम की सहमति के बाद अब राजधानी में साई सेंटर के खुलने का रास्ता साफ हो गया है। निगम ने सेंटर को मंजूरी देने के बाद अंतिम मंजूरी के लिए सरकार के पास भेज दिया है। वहां से मंजूरी मिलते हैं साई सेंटर जल्द प्रारंभ हो जाएगा।
राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश की खेल बिरादरी के लिए खुशी की खबर है कि नगर निगम ने रायपुर स्पोट्र्स काम्पलेक्स के साई सेंटर को मंजूरी दे दी है। इस सेंटर के लिए रखी गई दो शर्तों पर निगम को पहले आपत्ति थी। पहली शर्त ३० साल की लीज पर तो फिर भी निगम की महापौर सहमत थीं, पर एक दूसरी शर्त पर पहले महापौर से आपत्ति जताई थी। रायपुर के साई सेंटर को प्रारंभ करने का मामला जब केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल के सामने रखा गया था तो इसके बाद यह बात सामने आई थी कि सेंटर को प्रारंभ करने की राह में दो बातें प्रमुख रूप से बाधा हैं। एक तो साई यह चाहता है कि एमओयू में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स को ३० साल की लीज पर दिया जाया। दूसरी अहम शर्त यह है कि साई आज की तारीख में सेंटर के विकास में जो राशि खर्च करेगा उस राशि का कुछ हिस्सा नगर निगम को तब देना पड़ेगा जब साई सेंटर छोड़ेगा। वैसे इस शर्त को केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री पाटिल ने महज औपचारिक बताते हुए यह कहा था कि साई आज की तारीख में अगर चार से पांच करोड़ भी खर्च करता है तो ३० साल बाद निगम को बमुश्किल २० लाख के आस-पास की राशि देनी होगी।
इस संबंध में निगम की महापौर किरणमयी नायक ने तब कहा था कि हमें लीज को ३० साल करने में तो कोई आपति नहीं है, लेकिन जिस तरह से श्री पाटिल ने शर्त का सरलीकरण करके बताया है, वह निगम को साई लिखित में दे दे। उनका ऐसा मानना था कि अगर साई करोड़ों खर्च करने के बाद वह राशि निगम से मांगेगा तो निगम कहां से देगा। साई की इस नई के बारे में तब एक खेल अधिकारी ने बताया था कि जब राजनांदगांव में साई सेंटर के लिए एमओयू हुआ था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इस बार अचानक यह शर्त कहां से आ गई है। क्या-क्या अलग अलग सेंटर के लिए अलग-अलग शर्त होती है।
बहरहाल निगम की महापौर को जब इस शर्त के बारे में समङााया गया तो उनकी समङा में बात आ गई, और एमआईसी में अंतत: साई सेंटर के लिए स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स की लीज ३० साल करने के साथ साई की ३० साल बाद पैसे लागत के कुछ पैसे वापस देने की भी शर्त को मंजूरी दे दी गई है।
गेंद अब मंत्रालय के पाले में
निगम की एमआईसी में साई सेंटर को मंजूरी मिलने के बाद अब गेंद प्रदेश सरकार के नगरीय निकाय मंत्रालय के पाले में है। निगम से मंजूरी के बाद फाइल को अंतिम मंजूरी के लिए नगरीय निकाय मंत्रालय भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद साई को जानकारी भेजी जाएगी और फिर साई सेंटर प्रारंभ करने की कवायद करेगा। वैसे निगम द्वारा साई की शर्त को मंजूर किए जाने के जानकारी खेल विभाग को भेजने के बाद खेल विभाग ने इस बारे में साई के भोपाल कार्यालय को अवगत करवा दिया है। इस संबंध में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि निगम से उनके विभाग के पास एमआईसी में साई की बची दोनों शर्तों को पास करने की जानकारी आने के बाद हमने आज ही उस पत्र के साथ अपना एक पत्र बनाकर भोपाल के साई कार्यालय को जानकारी भेज दी है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए किया गया है ताकि साई सेंटर को प्रारंभ करने की अपनी कार्रवाई लें और मंत्रालय से सेंटर को शर्तों पर अंतिम मुहर लगने के बाद सेंटर के प्रारंभ होने में विलंब न हो।
खेल बिरादरी में खुशी
साई सेंटर की राह में आए रोड़े दूर होने के बाद अब प्रदेश की खेल बिरादरी में खुशी है। सभी का ऐसा मानना है कि साई सेंटर प्रारंभ होने से प्रदेश की प्रतिभाओं को अपना खेल कौशल दिखाने का मौका मिलेगा। प्रदेश वालीबॉल संघ के मो. अकरम खान, शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान, ट्रायथलान संघ के विष्णु श्रीवास्तव, नेटबॉल संघ के संजय शर्मा, कराते संघ के अजय साहू, कबड्डी संघ के रामबिसाल साहू, जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे, जंप रोप संघ के अखिलेश दुबे कहते हैं कि राजधानी में साई सेंटर का खुलना खिलाडिय़ों के लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा। इस सेंटर के प्रांरभ होने से छत्तीसगढ़ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए भी मदद मिलेगी। इन्होंने एक स्वर में कहा सभी को काफी पहले से इस सेंटर के खुलने का इंतजार है, अब जबकि सब काम हो गए हैं तो सेंटर को जल्द खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए।
पाटिल का वादा आया याद
खेल बिरादरी को केन्द्रीय खेल राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल का वह वादा भी याद आया जिसमें उन्होंने साई सेंटर को तीन माह में प्रारंभ करने की बात कही थी। उन्होंने तब रायपुर प्रवास पर कहा था कि साई की दो छोटी शर्तें निगम द्वारा पूरी करने के बाद सेंटर खोल देंगे। लेकिन पाटिल के इस वादे पर सभी को उस समय संदेह हो गया था जब निगम एक शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन अब निगम के मानने के बाद श्री पाटिल के वादे को खेल बिरादरी से आज याद किया और उनको इस बात की खुशी है किश्री पाटिल के वादे के मुताबिक यहां पर अब जल्द साई का सेंटर प्रारंभ हो जाएगा।

रायपुर में जुटेंगे निशानेबाज

प्रदेश की स्पर्धा में निशाने लगाने की पात्रता पाने के लिए तीन जिलो के निशानेबजों का जमावड़ा माना शूटिंग रेंज में २६ अप्रैल से लगेगा। इसकी जोरदार तैयारी प्रदेश रायफल संघ कर रहा है।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के राकेश गुप्ता ने बताया कि पहली बार जिला स्तर पर स्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है। रायपुर में होने वाली स्पर्धा में रायपुर के साथ दुर्ग और बिलासपुर के निशानेबाजी भी हिस्सा लेंगे। इसी के साथ अगर और किसी जिले के खिलाड़ी खेलना चाहते हैं खेल सकते हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर के बाद रायगढ़ में चांपा, कोरबा और रायगढ़ के निशानेबाजों के लिए स्पर्धा का आयोजन होगा। इन स्पर्धाओं में चुने गए खिलाड़ी जून में राजधानी में होने वाली राज्य स्पर्धा में भाग लेंगे। कोच दुर्गेश वशिष्ठ ने बताया कि पहली बार जिला स्तर पर आयोजन करने का मकसद नए खिलाडिय़ों को सामने लाना है। उन्हांने कहा कि लंबे समय से वही पुराने चेहरे नजर आते हैं, इसी के साथ निशोनबाजों को सीदे राज्य स्पर्धा में खेलने में परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि २६ और २७ को खिलाडिय़ों के लिए अभ्यास सत्र होगा। मुकाबले २८ से प्रारंभ होंगे। सभी जिलों के लिए अलग-अलग मुकाबलों का आयोजन होगा। विजेताओं को पुरस्कार दिया जाएगा।

प्रदेश की टीम रवाना

राष्ट्रीय सब जूनियर साफ्ट टेनिस में खेलने के लिए प्रदेश की टीम आज यहां से चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गई। टीम में ८बालक और बालिका खिलाड़ी हैं।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के प्रमोद सिंग ठाकुर ने बताया कि चंडीगढ़ में २५ अप्रैल से राष्ट्रीय स्पर्धा हो रही है। इस स्पर्धा में खेलने वाली टीम का चयन यहां पर हुई राज्य स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर किया गया है। टीम के खिलाडिय़ों को चंडीगढ़ रवाना होने से पहले खेल एवंयुवा कल्याण विभाग द्वारा ट्रेक शूट दिए गए। इनका वितरण संघ के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने किया
टीम इस प्रकार है- बालक टीम आकाश पाटिल, नीलू शुक्ला, आदित्य, वुंदन आहूजा, अक्षत तीसवुले,अभय बक्शी, टीम की कोच कौशल्या ठाकुर और मैनेजर मुकुंद सिंह हैं। बालिका टीम एसलीन, वैष्णवी, शांभवी ठाकुर, बर्नाली दास, रेणुका साहू, साक्षी वर्मा, प्रीति माहेश्वरी, , गीतांजली। टीम की कोच रंजीता दास और मैजेनर राकेश प्रधान हैं।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

कामनवेल्थ में खेलने का है सपना

कामनवेल्थ में खेलने वाली भारत की संभावित नेटबॉल टीम के साथ दो साल से प्रशिक्षण ले रहीं रायपुर की नेहा बजाज और प्रीति बंछोर का कहना है कि कामनवेल्थ में खेलने का उनका सपना है और इस सपने को साकार करने के लिए दोनों खिलाड़ी जी जान से मेहनत कर रही हैं। अंतिम प्रशिक्षण शिविर की २२ खिलाडिय़ों में स्थान बनाने वाली इन खिलाडिय़ों को भरोसा है कि उनकी मेहनत से उनको अंतिम १२ की टीम में स्थान मिल जाएगा।
इन दोनों खिलाडिय़ों ने बताया कि गुजरात के गांधीनगर में पिछले दो साल से चल रहे कामनवेल्थ के प्रशिक्षण शिविर में वे शामिल हैं। इस शिविर के साथ आस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण लेने गई भारतीय टीम के साथ भी दोनों खिलाड़ी गई थीं। इन्होंने पूछने पर बताया कि आस्टेलिया में २० दिनों के प्रशिक्षण से हमारी भारतीय नेटबॉल टीम निखरी है और टीम में बहुत बदलाव आया है। अब जरूर हमारी टीम कामनवेल्थ में अच्छा प्रदर्शन करेगी। वैसे टीम का जो पिछले दो साल से ज्यादा समय से देश में प्रशिक्षण शिविर चल रहा है उसका भी फायदा मिलेगा। इन्होंने बताया कि आस्ट्रेलिया में हमारी टीम ने कैनबरा के साथ सिडनी में भी जहां क्लबों से मैचों खेले वहीं वहां पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बारे में इन्होंने बताया कि वहां प्रशिक्षण लेने से पहले हमारी टीम बेसिक रूप से कई बातों से अंजान थी। हमारी टीम की खिलाडिय़ों को वहां पर जाकर मालूम हुआ कि खेल में तेजी लाने के लिए क्या करना चाहिए। इसी के साथ हम लोगों ने वहां जाकर सीखा कि बॉल को पीछे से नहीं आगे से लेना चाहिए। इन्होंने बताया कि वहां पर प्रशिक्षण लेने के बाद हमारी टीम में बहुत बदलाव आया है। एक सवाल के जवाब में इन्होंने बताया कि गांधी नगर में दो साल से प्रशिक्षण शिविर चल रहा था अब यह शिविर कामनवेल्थ के प्रारंभ होने से पहले तक दिल्ली में चलेगा। दिल्ली में शिविर २४ अप्रैल से प्रारंभ होगा। इस शिविर के लिए दोनों खिलाड़ी यहां से २३ अप्रैल को दिल्ली जाएगी। इन्होंने कहा कि कामनवेल्थ में स्वर्ण पदक या फिर किसी भी बात के जीतने का दावा आसान नहीं है क्योंकि स्पर्धा में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमें भी रहेंगी। लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि हमारी टीम का प्रदर्शन निराशाजनकनहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि करीब तीन साल तक प्रशिक्षण दिए जाने का फायदा भी टीम को मिलेगा। पूछने पर इन्होंने कहा कि वैसे तो हम दोनों तीन-तीन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं, हमारा सपना कामनवेल्थ में खेलने का है। इसके लिए हम लोग बहुत मेहनती कर रही हैं और उम्मीद है कि हमको अंतिम १२ की टीम में स्थान मिल जाएगा।
मेजबानी में जीतना है स्वर्ण
दोनों खिलाड़ी यहां पर ५ अपैल से आईं हुईं है और इस बीच इन्होंने राज्य की खिलाडिय़ों को अपने अनुभव बांटने का काम किया है। इन्होंने बताया कि वे रोज राजधानी की खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही है यहां कि खिलाडिय़ों को ये बता रही हैं कि कैसे पास का महत्व होता है। इनका कहना है कि आस्ट्रेलिया में जो सीखा है, उससे राज्य की खिलाडिय़ों को अवगत करवाना चाहती हैं ताकि जब छत्तीसगढ़ की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल हों तो हमारी टीम स्वर्ण पदक जीते। वैसे इसके पहले भी होने वाले राष्ट्रीय खेलों में हम लगातार स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेगी। इन्होंने बताया कि असम के राष्ट्रीय खेलों में हमारी महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। पूछने पर इन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक की व्यवस्था कर देती है तो इससे अच्छी बात हो ही नहीं सकती है, वैसे हमारे राज्य में अच्छे प्रशिक्षकों की कमी नहीं है। इन्होंने बताया कि सुधीर वर्मा और प्रवीण रिछारिया के प्रशिक्षण के साथ नेटबॉल संघ के संजय शर्मा के मार्गदर्शन में हमारी टीम ने असम के राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। हमारा राज्य संघ खिलाडिय़ों की हर तरह से मदद करता है।
खलती है मैदान की कमी
एक सवाल के जवाब में दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि राजधानी में स्थाई मैदान की कमी खलती है। इनका कहना है कि जब बृजमोहन अग्रवाल खेल मंत्री थे तो उन्होंने स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के पास मैदान देने की बात की थी, इस मैदान को नगर निगम ने एमआईसी में मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इसके बाद भी हम लोगों को आज तक मैदान नहीं मिल पाया है। इनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए नेटबॉल के लिए भी एक स्थाई मैदान की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

क्रीड़ाश्री का एक चरण और होगा

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा राज्य के ९८२ क्रीड़ाश्री के लिए लगाए गए प्रशिक्षण शिविर के चार चरणों के बाद भी ३२५ क्रीड़ाश्री बच गए हैं। अब इनको प्रशिक्षण देने के लिए एक चरण का आयोजन औैर किया जाएगा। इसके पहले जिन गांवों से क्रीड़ाश्री नहीं आए हैं उसकी वजह जानने के बाद जहां पर क्रीड़ाश्री काम करने के इच्छुक नहीं हैं, वहां पर दूसरे क्रीड़ाश्री रखे जाएंगे।
केन्द्र सरकार की पंचायत एवं युवा ग्रामीण अभियान योजना यानी पायका के तहत पहले साल में प्रदेश के ९८२ गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में खेलों के विकास के लिए क्रीड़ाश्री की नियुक्ति की गई है। प्रदेश के सभी १८ जिलों के १० प्रतिशत चयनित गांवों में क्रीड़ाश्री की नियुक्ति करने के बाद इन सभी को प्रशिक्षण देने के लिए यहां पर एक माह का एक कार्यक्रम बनाया गया और क्रीड़ाश्री को चार चरणों में बांट कर प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यक्रम राजधानी रायपुर में २० मार्च से १६ अप्रैल तक चला। हर चरण में २५० के आस-पास क्रीड़ाश्री रखने की योजना खेल विभाग ने बनाई थी। पहले चरण में तो २५४ क्रीड़ाश्री आए, लेकिन अगले चरण से सारा गणित फेल हो गया। दूसरे चरण में महज ११८ क्रीड़ाश्री आए। ऐसे में कहा गया कि अगले दो चरणों में बाकी को शामिल कर लिया जाएगा। तीसरे चरण में भी जब १२७ ही क्रीड़ाश्री शामिल हुए तो कहा गया कि अंतिम चरण में सभी शामिल होंगे। अंतिम चरण में बमुश्किल यह आंकड़ा १६८ तक पहुंचा। कुल मिलाकर चार चरणों में ६६७ क्रीड़ाश्री ही तराशे जा सके। बाकी के ३२५ क्रीड़ाश्री क्यों नहीं आए पाए इसका कारण जानने पर मालूम हुआ कि कई तो अपने व्यक्तिगत कारणों से नहीं आ सके तो कई को इसमें रूचि नहीं है। ऐसे में अब खेल विभाग ने तय किया है कि सबसे पहले जिन गांवों के क्रीड़ाश्री नहीं आ पाए हैं उसका सही कारण जाना जाएगा। सही कारण होने पर उन क्रीड़ाश्री की नियुक्ति कायम रहेगी, कारण सही न होने पर या फिर जो क्रीड़ाश्री काम करने के इच्छुक नहीं हैं, उनके स्थान पर नई नियुक्ति की जाएगी। जब यह लगेगा कि अब बचे सभी क्रीड़ाश्री आ सकते हैं तो ऐसे में एक और चरण का आयोजन करके उनको प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस बारे में उपसंचालक ओपी शर्मा जो कि पायका के राज्य प्रभारी हैं, कहते हैं कि सभी जिलों में क्रीड़ाश्री की नियुक्ति उनकी मर्जी से की गई थी, हो सकता है कोई किसी कारणवश काम करना न चाहते हों, ऐसे में उनके स्थान पर दूसरी नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि वैसे भी यह एक तरह से जनसेवा का काम है। इसमें मानदेय पांच सौ रुपए ही हैं। संभव है कि किसी को मानदेय के कारण परेशानी हो रही हो, ऐसे में ऐसे युवाओं की तलाश की जाएगी जो राज्य और देश के साथ खेलों के लिए कुछ करना चाहते हैं। पूछने पर श्री शर्मा ने बताया कि अंतिम चरण का आयोजन भी संभवत: राजधानी में किया जाएगा। यह आयोजन अगले माह करने योजना है।

फुटबॉल सीखने का जुनून

राजधानी रायपुर के बच्चों, किशोर और युवाओं में फुटबॉल सीखने का जुनून है। यह जुनून सप्रे स्कूल के मैदान में साफ नजर आ रहा है जहां पर इस समय १७० खिलाड़ी फुटबॉल के गुर सीखने के लिए आ रहे हैं। शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा आयोजित इस शिविर का आज शाम को विधिवत उद्घाटन वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने किया।
राजधानी रायपुर में एक मात्र नि:शुल्क फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा किया जाता है। इस राज्य के सबसे लंबे ८२ दिनों के प्रशिक्षण शिविर में हर साल २०० से ज्यादा खिलाडिय़ों को निखारा जाता है। इस बार १० अप्रैल से प्रारंभ हुए शिविर में अब तक १५५ खिलाड़ी आ गए हैं। इन खिलाडिय़ों में १०० से ज्यादा खिलाड़ी नए हैं। शिविर का आज यहां पर औपचारिक उद्घाटन वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने किया। इस अवसर पर पार्षद मनोज कंदोई, शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान के साथ दिवाकर थिटे भी उपस्थित थे। शिविर में अब कल से खिलाडिय़ों को टाइट भी दी जाएगी। इसका खर्च समिति ही करेगी।

मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

अभी से करनी होगी राष्ट्रीय खेलों की तैयारी

छत्तीसगढ़ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों में अगर मेजबान छत्तीसगढ़ को पदक तालिका में अहम स्थान प्राप्त करना है तो उसे अभी से तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिए। हमारे राज्य में हुए राष्ट्रीय खेलों के लिए हमने चार साल पहले तैयारी प्रारंभ की थी तो असम को पदक तालिका में तीसरा स्थान मिला था। हमारी राज्य सरकार ने जहां विदेशी कोच बुलाए थे, वहीं खेल संघों को भी तैयारी के लिए दो-दो लाख की मदद की थी। छत्तीसगढ़ में खेल मैदानों के बारे में उन्होंने कहा कि यहां पर काफी अच्छे मैदान हैं बाकी बनाए जाने हैं। यहां की सरकार खेलों के प्रति गंभीर नजर आती है, ऐसे में कोई काम मुश्किल होगा ऐसा लगता नहीं है।
प्रदेश के खेल विभाग और प्रदेश ओलंपिक संघ के खास बुलावे पर यहां आए श्री हजारिका ने चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलना किसी भी राज्य के लिए सौभाग्य की बात होती है। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने से राज्य में खेलों का विकास हो जाता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में २०१३-१४ के राष्ट्रीय खेल होने हैं। अगर समय को देखा जाए तो आपके पास समय बहुत कम है और काम बहुत ज्यादा करने हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि मुङो मालूम हुआ है कि यहां के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पहले ही कह दिया है कि राष्ट्रीय खेल ऐतिहासिक होंगे और समय पर होंगे। ऐसे में यह बात तय है कि अगर वास्तव में छत्तीसगढ़ में ३७वें राष्ट्रीय खेल समय पर होते हैं तो आपके पास तीन से चार साल का ही समय है। इतने कम समय में आपको पदक तालिका में अहम स्थान पाने की तैयारी अभी से करनी होगी।
विदेशी कोच बुलाने होंगे
असम के खेल सचिव रहे श्री हजारिका से साफ शब्दों में कहा कि अगर मेजबान छत्तीसगढ़ को पदक तालिका में नंबर वन बनने के बारे में सोचना है तो उसे तो पहले ज्यादा से ज्यादा खेलों के लिए विदेशी कोच बुलाने की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि हमारे राज्य असम ने आस्ट्रेलिया के कोच बुलाए थे जिसका फायदा यह मिला कि हमारे राज्य को पदक तालिका में तीसरा स्थान मिला। हमारे राज्य में २००७ के राष्ट्रीय खेलों के लिए २००३ से तैयारी प्रारंभ की गई थी। छत्तीसगढ़ के पास भी इतना ही समय है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ हमारी सरकार ने राज्य से हर खेल संघ को तैयारी के लिए दो-दो लाख की मदद की थी।
भिलाई, राजनांदगांव, रायपुर के मैदान देखे
श्री हजारिका ने बताया कि वे यहां पर शनिवार की रात को आए और रविवार को सुबह से भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव के मैदान देखने गए। उन्होंने बताया कि भिलाई के मैदानों में उनको एक मैदान पंत स्टेडियम का ठीक लगा जहां पर महिला फुटबॉल हो सकता है। इसी के साथ जयंती स्टेडियम में पुरुष फुटबॉल करवाया जा सकता है। अन्य मैदानों में भिलाई में भिलाई होटल के पास वाले मैदान में घुड़सवारी हो सकती है। भिलाई में हैंडबॉल, बास्केटबॉल और वालीबॉल के जो मैदान हैं उन मैदानों में अस्थाई तौर पर शेड डालकर इनको अभ्यास के लिए इंडोर का रूप दिया जा सकता है। बकौल श्री हजारिका राजनांदगांव के दिग्विजय सिंह स्टेडियम में अगर एस्ट्रो टर्फ लगा दिया जो तो वहां पर हॉकी के मैच हो सकते हैं।
स्पोट्र्स काम्पलेक्स पर हुए फिदा
श्री हजारिका ने पूछने पर बताया कि उनको छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा पसंद राजधानी रायपुर का स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स आया। ऐसा स्टेडियम तो असम में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर यहां पर पार्किंग की व्यवस्था होती तो यहां पर उद्घाटन और समापन का कार्यक्रम हो जाता। उन्होंने कहा कि इसके लिए वैसे भी सरकार जो खेल गांव बनाने वाली है, वहीं पर उद्घाटन और समापन होगा। उन्होंने स्पोट्र्स काम्पलेेक्स के आउटडोर स्टेडियम को भी पसंद किया और कहा कि यहां पर कुछ खेलों का अभ्यास हो सकता है। उन्होंने राजधानी के नेताजी स्टेडियम को भी देखा, लेकिन यह किसी खेल के लायक उपयुक्त नहीं लगा। श्री हजारिका परसदा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को भी देखने गए थे, उन्होंने इस स्टेडियम की भी तारीफ करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने क्रिकेट के लिए एक अच्छा और बड़ा स्टेडियम बनाया है। उन्होंने सरकार को सुङााव दिया कि खेलगांव में बनने वाले एथलेटिक्स के मैदान में ८ ट्रैक होने चाहिए। इसी के साथ उन्होंने कहा कि राजधानी के साथ भिलाई में दो और राजनांदगांव में एक इंडोर स्टेडियम बनाना चाहिए। उन्होंने साइंस कॉलेज के बारे में कहा कि यहां पर एक इंडोर स्टेडियम स्टेडियम बनाया जा सकता है। श्री हजारिका ने धमतरी के गंगरेल को वाटर स्पोट्र्स के लिए उपयुक्त बताया है।
१० हजार खिलाड़ी आएंगे
श्री हजारिका ने कहा कि यह बात तय है कि राष्ट्रीय खेलों में कम से कम १० हजार खिलाड़ी और चार हजार अधिकारी आएंगे। इनके रहने और खाने की समुचित व्यवस्था सरकार को करनी पड़ेगी। खिलाडिय़ों के रहने के लिए जहां खेल गांव जरूरी है, वहीं सरकार को यह भी देखना होगा कि खेलों के जो भी आयोजन हों वो आयोजन ५० से ६० किलो मीटर के दायरे में हों। ज्यादा दूरी होने से खिलाडिय़ों का खेल प्रभावित होता है। श्री हजारिका को खेल मैदानों का भ्रमण करवाते समय उनके साथ प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान, विष्णु श्रीवास्तव के साथ कई खेल संघों के पदाधिकारी और खेल विभाग के अधिकारी साथ थे। वे आज शाम को असम के लिए इस वादे के लौट गए कि उनको मदद के लिए जब भी छत्तीसगढ़ बुलाया जाएगा वे जरूर आएंगे।

छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी भारतीय टीम में

विश्व जूनियर भारोत्तोलन चैंपियनशिप के लिए चुनी गई भारतीय टीम में छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों का चयन किया गया है। इन खिलाडिय़ों में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अजयदीप सारंग भी शामिल हैं। अजय दीप अंतरराष्ट्रीय पर पहले भी पदक जीत चुके हैं।
यह जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ भारोत्तोलन संघ के सचिव सुखलाल जंघेल ने बताया कि सोफिया बुलगारिया में ११ से २० जून तक विश्व जूनियर चैंपियनशिप का आयोजन किया गया है। इसमें खेलने के लिए भारत की जो टीम जाएगी, उस टीम में छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अजय दीप सारंग (७७ किलोग्राम) के साथ केशव साहू (६२ किलोग्राम) एवं मधुसुदन जंघेल (५६ किलोग्राम) का चयन किया गया है।
छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों के भारतीय टीम में चुने जाने पर संघ के अध्यक्ष बीपी भदारिया के साथ रज्जन श्रीवास्तव, पी. रत्नाकर, सुखलाल जघेंल, केपीचाको, तेजासिंह साहू, बुधराम सारंग, राजेन्द्र सिंह यादव,, घनश्याम जंघेल, माघोसिंग, दीनदयाल चंदेल और नंदू जंघेल, सुशांत शील, ने बधाई दी है। भारतीय टीम में चुने गए तीनों खिलाड़ी राजघानी रायपुर के हैं।

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

नौकरी के लिए अभी इंतजार

प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सामान्य प्रशासन विभाग इसके लिए नियम बनाने में लगा हुआ है। नियम बनने के बाद है जिन विभागों में पद खाली होंगे उन विभागों में इनकी भर्ती की जाएगी। खेल विभाग ने अपने विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की भर्ती करने की मांग शासन के सामने रखी है। इस समय खेल विभाग में कई पद खाली हैं।
प्रदेश सरकार ने राज्य के ७० खिलाडिय़ों को करीब पांच माह पहले उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने के बाद खिलाडिय़ों को उम्मीद थी कि अब उनको नौकरी मिल जाएगी और उनका लंबा इंतजार समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और खिलाड़ी लगातार खेल विभाग में फोन करके यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। खिलाड़ी मीडिया से भी लगातार पूछ रहे हैं कि उनकी नौकरी का क्या हुआ। कई खिलाड़ी निरंतर जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनको नौकरी कब मिलेगी। ऐसे में जब इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा विभाग तो लगातार इस प्रयास में है कि खिलाडिय़ों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाए। इसके लिए विभाग सामान्य प्रशासन के साथ मिलकर नौकरी के नियम बनाने में लगा है। विभाग चाहता है कि एक बार ऐसे नियम बन जाए जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन में नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि नियम बनते ही सारे जिलों के जिलाधीशों को इसकी जानकारी भेजी जाएगी और उनके पूछा जाएगा कि कौन से विभाग में पद खाली हैं। खेल संचालक ने बताया कि सभी उत्कृष्ट खिलाड़ी की पहली प्र्राथमिकता अपने जिले में नौकरी करना है। ऐसे में जिलों के बारे में जानकारी देने का जिम्मा जिलाधीशों को दिया जाएगा।
खेल विभाग में भर्ती हो
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक तो खिलाड़ी भी चाहते हैं कि उनकी भर्ती खेल विभाग में हो विभाग भी चाहता है कि खिलाडिय़ों की भर्ती इस विभाग में हो। इस समय खेल विभाग ही ऐसा विभाग है जिसमें सबसे कम स्टाप है। ऐसे में विभाग ने शासन को इस विभाग में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को भी भर्ती करने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और आदिम जाति और कल्याण विभाग में भी खिलाडिय़ों को भर्ती करने की मांग रखी गई है। उन्होंने बताया कि तृतीय वर्ग के लिए हर विभाग में भर्ती होगी, लेकिन द्वितीय वर्ग के लिए कुछ चुने गए विभाग ही रखे गए हैं। इसी के साथ इसके लिए पीएससी से भी अनुमति लेनी पड़ेगी।

पुरस्कारों के लिए आवेदन आमंत्रित


राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए भारत सरकार ने आवेदन आमंत्रित किए हैं। इसी के साथ अर्जुन पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार के लिए भी आवेदन मंगाए गए हैं।
यह जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि भारत सरकार द्वारा खेलों को प्रोत्साहित करने वालों को हर साल पुरस्कार दिया जाता है। इस बार आवेदन के लिए अंतिम तिथि ५ मई तक की गई है। इस तिथि में राज्य के किसी भी जिले के औद्योगिक संस्थान, खेल संघ जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यलय या फिर खेल संचालनालय ने आवेदन का प्रारूप लेकर अपने आवेदन भेज सकते हैं। पुरस्कार उनको दिया जाएगा जिन्होंने अपने संस्थान की वार्षिक आय का दो प्रतिशत या फिर दो करोड़ रुपए से ज्यादा खेलों के विकास पर खर्च किया हो। इसी के साथ ऐसे संस्थान भी पात्र होंगे जिन्होंने उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी दी हो, या इनके लिए अकादमी चला रहे हों,या इनको आर्थिक सहायत दी हो।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से दिए जाने लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड के लिए भी आवेदन मंगाए गए हैं। यह पुरस्कार उन खिलाडिय़ों को मिलता है जिन्होंने तान या इससे अधिक सालों तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त की हो। इसी के साथ यह पुरस्कार उस खिलाड़ी और खेल संघ को भी मिल सकता है जिन्होंने २० साल या इससे अधिक तक खेलों के विकास के लिए काम किया है। प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करने वाले खिलाड़ी इस पुरस्कार के लिए पात्र नहीं होंगे। इस पुरस्कार के साथ पांच लाख की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह दिया जाता है। इसके लिए पात्र खिलाड़ी प्रदेश ओलंपिक संघ के माध्यम से ३१ मई २०१० तक आवेदन कर सकते हैं।
इसके अलावा भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अर्जुन पुरस्कार के लिए भी आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। यह पुरस्कार ओलंपिक, कामनवेल्थ, एशियाई खेल, विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वालों के साथ क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वालों को दिया जाता है। इस पुरस्कार के लिए भी आवेदन करने की अंतिम तिथि ३१ मई है।

रविवार, 18 अप्रैल 2010

खेलों के गुर सीखकर लौटें

स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में एक तरफ कबड्डी का खेल चल रहा है तो दूसरी तरफ खिलाड़ी फुटबॉल खेलने में लगे हैं। एक तरफ वालीबॉल का खेल हो रहा है। हर तरफ बस खेल का माहौल है। खिलाड़ी बड़ी गंभीरता से खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कोई बड़े खेल मेले का आयोजन हो रहा है। ऐसा माहौल यहां पर करीब छह दिनों तक रहा। प्रदेश के १६८ क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर के अंतिम चरण में तराश कर उनके गांव भेजा गया। अंतिम दिन सभी को परसदा के अंतरराष्र्टीय क्रिकेट स्टेडियम का भ्रमण कराया गया।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को यहां पर प्रशिक्षण देने का काम किया है। अंतिम चरण में १६८ क्रीड़ाश्री को निखारने में खेल के जानकारों छह दिनों तक मेहनत की। छह दिनों में इन क्रीड़ाश्री को इतना तराश दिया गया है कि वे अब अपने-अपने गांव जाकर खिलाडिय़ों की नई पौध तैयार करने के काम में आसानी से जुट सकते हैं। क्रीड़ाश्री को पांच दिनों में जो भी बताया गया उसको आजमाने के लिए अंतिम दिन शाम के समय में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में कबड्डी, वालीबॉल, फुटबॉल के मैदान बनवाए गए। हर मैदान में एक ९०अंश का कोण बनता है जो महत्वपूर्ण होता है। मैदान बनाने के बाद क्रीड़ाश्री को समूहों में बांटकर इनके बीच कबड्डी, फुटबॉल और वालीबॉल के मैच भी करवाए गए यह जानने के लिए कि इन्होंने इन खेलों के बारे में क्या सीखा है।
शाम के समय में तो स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में एक अलग तरह का ही माहौल नजर आता था। यहां सभी तरफ खिलाड़ी खेलते नजर आ रहे थे, दरअसल ये खिलाड़ी न होकर क्रीड़ाश्री थे जिनको खेलों में हाथ आजमाने का मौका दिया गया था। खेलों से जुड़कर क्रीड़ाश्री खुश हैं कि चलो उनको भी अब खिलाड़ी तैयार करने के गुर मालूम हो गए हैं। सभी अब अपने-अपने गांव पहुंच कर खिलाडिय़ों को वो सब बताने के लिए बेकरार हैं जो इन्होंने यहां सीखा है।
खेल विभाग के उपसंचालक ओपी शर्मा ने बताया कि समापन से पहले क्रीड़ाश्री की एक तरह से परीक्षा ली गई कि उन्होंने पांच दिनों में क्या सीखा है। इसी के साथ विदाई की बेला की पूर्व संध्या पर इनको परसदा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का भ्रमण करवाया गया। अंतिम चरण में शामिल कई क्रीड़ाश्री ऐसे थे जो पहली बार राजधानी आए थे। इसी के साथ ज्यादातर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम देखा। सभी को शाम को यहां से विदाई दे दी गई इस सकंल्प के साथ कि वे अपने-अपने गांव जाकर खिलाड़ी तैयार करने के काम में जुट जाएंगे। क्रीड़ाश्री को खेल के गुर सिखाने के साथ फिटनेस में मास्टर बनाने का काम मास्टर ट्रेनरों निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, सालिक राम, दीपिका मजूमदार, दीपक खाका, अरविंद खलको, सुरेश कुमार हंस, ईश्वर प्रसाद, वरूण पांडे और संजील कुमार यादव ने किया। इस पूरे आयोजन के प्रभारी राज्य खेल अधिकारी अजीत कुमार टोपो थे। इनको खेल संचालक जीपी सिंह के साथ उपसंचालक ओपी शर्मा का मार्गदर्शन मिला।

सीएम के निर्देश पर दे देंगे खेलवृत्ति

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अगर निर्देश देंगे कि कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति देनी चाहिए तो हमारा विभाग जरूर दे देगा। वैसे हम लोग इस मामले की पूरी तरह से जांच कर रहे हैं। प्रारंभिक जांच में हमारे सामने जो नतीजा आए हैं उसके हिसाब से कराते खिलाड़ी खेलवृत्ति के पात्र नहीं है।
ये बातें यहां पर हरिभूमि से खेल संचालक जीपी सिंह ने कराते खिलाडिय़ों की खेलवृत्ति के मामले में पूछने पर कहीं। उन्होंने कहा कि कराते खिलाड़ी स्वतंत्र हैं वे अपने पालकों के साथ जरूर मुख्यमंत्री और खेल मंत्री से मिलने जाए। अगर मुख्यमंत्री इस मामले में रूचि लेते हुए कोई निर्देश देते हैं तो उनका पालना किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी हमारा विभाग अंतिम चरण में इस मामले को शासन के पास बी भेजना वाला है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग के अधिकारी जहां कराते खिलाडिय़ों को पात्र नहीं मान रहे हैं, वहीं कराते खिलाडिय़ों के साथ कराते संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जब खेल विभाग को यह मालूम था कि हमारा संघ मान्यता प्राप्त नहीं है तो हमारे साथ मिलकर आयोजन कैसे किया गया। जब आयोजन किया गया है तो आयोजन के प्रमाणपत्रों को मानते हुए खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति देनी चाहिए। लेकिन विभाग तो अपने आयोजन के प्रमाणपत्रों को ही नकारा रहा है।

निशानेबाजी २६ से

राज्य निशानेबाजी में खेलने वाले खिलाडिय़ों को चयन करने के लिए जिला स्तरीय निशानेबाजी का आयोजन २६ अप्रैल से माना में किया गया है।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश रायफल संघ के सचिव राकेश पांडे ने बताया कि प्रदेश संघ राज्य स्पर्धा का आयोजन माना में करता है। इस बार इस स्पर्धा से पहले जिला स्तर की स्पर्धा का आयोजन जहां माना में किया गया है,वहीं रायगढ़ में भी किया गया है। रायपुर जिले के खिलाड़ी माना में और रायगढ़ जिले के खिलाड़ी रायगढ़ में स्पर्धा में भाग लेंगे। रायपुर की स्पर्धा माना शूंटिंग रेंज में २६ से प्रारंभ होकर २९ अप्रैल तक चलेगी। इसमें १० और ५० मीटर रायफल के साथ १० मीटर पिस्टल के मुकाबले होंगे।

राजधानी में अब हॉकी स्कूल भी

राजधानी रायपुर की सबसे पुरानी शेरा क्रीड़ा समिति ने एक और पहल करते हुए यहां पर हॉकी स्कूल प्रारंभ करने की योजना बनाई है। इस योजना को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इस योजना को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के जन्मदिन २९ अगस्त को खेल दिवस के दिन प्रारंभ करने की तैयारी है।
यह जानकारी देते हुए समिति के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश के साथ रायपुर में हॉकी की खबर स्थिति को देखते हुए हमारी समिति से फैसला किया है कि फुटबॉल स्कूल की तरह अब हम हॉकी स्कूल प्रारंभ करके राजधानी के कम से कम तीन दर्जन खिलाडिय़ों का प्रारंभिक तौर पर चयन करके उनको साल भर प्रशिक्षण देने का काम करेंगे। इसके लिए चयन ट्रायल का आयोजन जल्द किया जाएगा। श्री प्रधान ने बताया कि खिलाडिय़ों का चयन करने के बाद इनको प्रशिक्षण देने का सिलसिला २९ अगस्त से प्रारंभ किया जाएगा। इसी दिन हॉकी के जादूगर मेजय ध्यानचंद का जन्म दिन पड़ता है और इसे पूरे देश में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
श्री प्रधान ने बताया कि इसके पहले समिति ने पिछले साल ही फुटबॉल स्कूल प्रारंभ किया है जिसमें ७० खिलाड़ी नियमित रूप से प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस साल इसके लिए और खिलाडिय़ों का भी चयन किया जाएगा। खिलाडिय़ों का यह चयन फुटबॉल के ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर के दौरा प्रदर्शन के आधार पर होगा।

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

प्रतिभाओं को तराशने का जिम्मा क्रीड़ाश्री पर

खेल की असली प्रतिभाएं गांवों में रहती हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने पायका योजना बनाई है। इस योजना से जुड़े प्रदेश के सभी क्रीड़ाश्री की अब यह जिम्मेदारी है कि गांवों की प्रतिभाओं को तराश कर सामने लाने का काम करें। आज यहां से सभी क्रीड़ाश्री ये संकल्प लेकर अपने-अपने गांव लौटे कि उनको अपने गांवों में जाकर पायका को सफल बनाने के लिए ही काम करना है।
ये बातें यहां पर प्रदेश के क्रीड़ाश्री को संबोधित करते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब देश की ८० प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है तो गांवों में ही खेलों की असली प्रतिभाएं हैं। इन प्रतिभाओं को सामने आने का पूरा मौका नहीं मिल पाता है। ऐसे में भारत सरकार ने पायका नाम से एक योजना बनाकर देश के सभी गांवों में १० साल में खेलों से जोडऩे का संकल्प लिया है। इसी योजना के तहत हर साल हर राज्य के १० प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ा जा रहा है। पहले साल में छत्तीसगढ़ के ९८२ गांवों को खेलों से जुडऩे का मौका मिला है। इन सभी गांवों में क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं ताकि गांवों की प्रतिभाओं को वे तलाश कर तराशें और देश और दुनिया के सामने लाएं। हमारे खेल विभाग ने क्रीड़ाश्री को उनके काम से अवगत करवाने के लिए ही यहां पर एक माह का क्रीड़ाश्री प्रशिक्षण शिविर लगाया है ताकि आप लोगों को इस बात का ज्ञान हो सके कि आप लोगों को गांवों में जाकर क्या करना है। उन्होंने कहा कि चार चरणों के इस शिविर के अंतिम चरण में शामिल आप सभी को एक सप्ताह में बता दिया गया है कि आपको क्या करना है।
छत्तीसगढ़ की खेलनीति है सूत्रधार
खेल संचालक ने कहा कि भारत सरकार ने आज जिस पायका योजना को प्रारंभ किया है, उसके बारे में मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार की इस सोच से काफी पहले ही छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्तर से खेलों को बढ़ाने के लिए खेल नीति में प्रावधान किया गया है। श्री सिंह ने कहा कि अगर यह कहा जाए कि पायका की सूत्रधार छत्तीसगढ़ की खेल नीति है तो गलत नहीं होगा।
गांव में सभी को जोड़ें पायका से
खेल संचालक ने क्रीड़ाश्री से कहा कि किसी भी गांव के क्रीड़ाश्री के लिए अकेले के दम पर पायका योजना पर काम करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आपको गांवों में एक तरह की सोच रखने वाले सभी को साथ जोडऩा होगा। उन्होंने बताया कि कई क्रीड़ाश्री ने बताया कि गांवों में स्कूलों के प्राचार्य बच्चों को खेल के लिए भेजते नहीं है। हमारा विभाग सभी क्रीड़ाश्री को प्राचार्यों के नाम एक-एक पत्र देगा ताकि परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों के प्राचार्यों को आपको यह समझाना होगा कि पायका योजना में उनके जुड़े बिना सफलता नहीं मिल सकती है। इसी के साथ गांवों के सरपंचों, पंचायत सदस्यों को भी योजना से जोडऩा होगा। उन्होंने कहा कि सभी क्रीड़ाश्री को भी सुङााव देने चाहिए कि क्या अच्छा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी यहां से जब जाएं तो पायका के अंतर्गत होने वाले सभी खेलों के बारे में जानकारी लेकर जाएं कि कब कौन से स्तर के खेल होने हैं। शाम के सत्र में खेल संचालक के इस अंतिम व्याख्यान के अवसर पर उपसंचालक ओपी शर्मा, राज्य खेल अधिकारी अजीत टोपो, जेपी नापित, वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में उपसंचालक ओपी शर्मा ने कहा कि आप सभी क्रीड़ाश्री को अपने गांवों से ऐसी प्रतिभाओं को सामने लाना है जो खेल में राज्य और देश का नाम कर सकें। जिस दिन भी किस गांव का खिलाड़ी एशियाड या ओलंपिक में पदक जीतने में सफल होगा उस दिन छत्तीसगढ़ के साथ आपके नाम का भी खेल जगत के इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
क्रीड़ाश्री-मास्टर ट्रेनर सम्मानित
अंतिम व्याख्यान के बाद शिविर के क्रीड़ाश्री जितेन्द्र सिंह (कोरिया, जयराम मंडावी (नारायणपुर), शिवनंदन सिंह (जशपुर), मदन मिश्रा (रायपुर), श्रीमती दुर्गा देवांगन (राजनांदगांव), अथनस तिर्की (जशपुर), गणेश विश्वकर्मा (धमतरी), सबरी नारायण (सरगुजा), अवध चन्द्राकर (बिलासपुर), राजेश प्रताप सिंह (कोरिया), संतोष वर्मा (रायपुर), लालचंद साकेल (जशपुर), सेलयेस्तर लकड़ा (सरगुजा), नारायण गवेल (आमनदुला), जावधर सिंह मरकाम (सरगुजा) का सम्मान किया गया। इन क्रीड़ाश्री का चयन अनुशासित, लगनशील और समय के पाबंद होने की वजह से किया गया। क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने वाले मास्टर ट्रेनरों में निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, सालिक राम, दीपिका मजूमदार, दीपक खाका, अरविंद खलको, सुरेश कुमार हंस, ईश्वर प्रसाद, वरूण पांडे और संजील कुमार यादव का भी सम्मान किया गया।
एथलेटिक्स की जानकारी दी
प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन क्रीड़ाश्री को एथलेटिक्स के बारे में जानकारी देने का काम मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी ने किया। उन्होंने मैदान बनाने से लेकर खेल की सभी बारीकियों के बारे में अवगत करवाया। शिविर के अंतिम दिन कल क्रीड़ाश्री को परसदा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडिमय का भ्रमण करवाया जाएगा।

राष्ट्रीय खेलों में असम की मदद लेंगे

छत्तीसगढ़ में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों को ऐतिहासिक बनाने के लिए खेल विभाग ने असम की मदद लेने का फैसला किया है। असम में हुए राष्ट्रीय खेलों में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व खेल सचिव प्रदीप हजारिका कल यहां आ रहे हैं, वे यहां पर मैदानों की स्थिति का अवलोकन करने के बाद अपने सुझाव देंगे।
छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है। इन खेलों को ऐतिहासिक बनाने की बात मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की है। ऐसे में अब खेल विभाग भी इन खेलों को ऐतिहासिक बनाने की दिशा में अभी से पहल कर रहा है। खेल विभाग यह देखने में लगा है कि खेलों को ऐतिहासिक बनाने की दिशा में क्या-क्या किया जा सकता है। खेल संचलाक जीपी सिंह कहते हैं कि हमारा विभाग इस प्रयास में है कि जहां से जिस तरह की मदद और सुझाव मिल सकते हैं, लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि असम के राष्ट्रीय खेलों का अपना अलग ही नाम है। वहां के राष्ट्रीय खेलों को यादगार बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाने का काम उस समय के खेल सचिव प्रदीप हजारिका ने किया था। इनसे जब छत्तीसगढ़ आने का आग्रह किया गया तो उन्होंने हमारे आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है और वे यहां पर कल आ रहे हैं। यहां आने के बाद श्री हजारिका को प्रदेश के सारे मैदान दिखाए जाएंगे और उनसे सुङााव लिए जाएंगे कि कौन से खेल कहां करवाने उपयुक्त होंगे। वैसे विभाग के साथ खेल संघों ने एक तरह से यह तय कर रखा है कि रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव और बिलासपुर में मुख्यत खेलों का आयोजन किया जाएगा। राजधानी में २०० एकड़ में एक खेल गांव भी बनेगा। उद्घाटन और समापन का कार्यक्रम भी राजधानी में करवाने की मंशा है। श्री हजारिका से सलाह ली जाएगी कि कहां पर कैसे मैदान बनाए जा सकते हैं और जो मैदान पहले से उपलब्ध हैं उनका किस तरह से उपयोग किया जा सकता है।

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

निशाने सही नहीं लगे तो टीम ही नहीं भेजेंगे

प्रदेश तीरंदाजी संघ ने एक कड़ा फैसला करते हुए अपने खिलाडिय़ों को चेताया है कि अगर उनके निशाने राष्ट्रीय स्पर्धा में क्वालीफाई करने के लायक नहीं होंगे तो अगली बार से टीम ही नहीं भेजी जाएगी। तीरंदाजी संघ ने इस बार काफी विचार-विमर्श के बाद टीम को राष्ट्रीय स्पर्धा में भेजने का फैसला किया है। यह खिलाडिय़ों के लिए एक तरह से अंतिम मौका है। इसके बाद खिलाडिय़ों ने मेहनत नहीं की तो उनको राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने से वंचित होना पड़ेगा।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव कैलाश मुरारका ने बताया कि राष्ट्रीय सीनियर तीरंदाजी का आयोजन गुवाहाटी में २३ से २७ अप्रैल तक किया गया है। इसमें खेलने जाने वाली प्रदेश की टीम बना ली गई है जिसका प्रशिक्षण शिविर भी यहां ११ अप्रैल से चल रहा है। शिविर में जितने भी खिलाड़ी शामिल हैं उनमें से किसी भी खिलाड़ी की क्षमता उतने अंक बनाने की नहीं है जितने अंकों से क्वालीफाइंग होता है। उन्होंने बताया कि हमारे खिलाड़ी ११५० अंक ही बना पा रहे हैं जबकि क्वालीफाई करने के लिए १२०० अंकों की जरूरत होती है और पदक तक पहुंचने के लिए १३०० से १४०० अंक बनाने होते हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारे खिलाड़ी क्वालीफाइंग चक्र ही पार नहीं कर पाएंगे तो ऐसे में टीम को भेजने का औचित्य नहीं है। यही सोचते हुए हमने राष्ट्रीय फेडरेशन के सहायक सचिव गुंजन एम्बराल से बात की तो उन्होंने कहा कि टीम को भेजने में बुराई नहीं है, टीम को भेजने से खिलाडिय़ों को अनुभव मिलता है। श्री मुरारका ने कहा कि टीम को तो १० साल से भेज ही रहे हैं, महज अनुभव के लिए बार-बार टीम को भेजना ठीक नहीं लगता है।
उन्होंने बताया कि टीम को भेजा जाए या नहीं इसके बारे में कोलकाता के अंतरराष्ट्रीय कोच रूपेश कर से भी चर्चा की तो उन्होंने सुङााव दिया कि खिलाडिय़ों से स्पर्धा के लिए बचे समय में ज्यादा से मेहनत करने के लिए कहा जाए और उनको सुबह के समय में दो घंटे अभ्यास करवाया जाए तो ५० अंकों की खाई को भरा जा सकता है। श्री मुरारका ने बताया कि इसी के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों के अलावा कई खेल संघों के पदाधिकारियों से भी चर्चा करने के बाद अंत में यह फैसला किया गया है कि इस बार तो टीम को भेजा जाए, लेकिन अगली बार खिलाडिय़ों ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो टीम को भेजा नहीं जाएगा।

फुटबॉल के गुर सीखने उमड़े खिलाड़ी

सप्रे स्कूल के मैदान में शाम के समय चारों तरफ खिलाडिय़ों का जमावड़ा लगा है और एक तरफ जहां खिलाड़ी रनिंग में जुटे हैं तो दूसरी तरफ खिलाड़ी बॉल से एक-दूसरे को पास देने का काम कर रहे हैं। हर खिलाड़ी भरपूर मेहनत कर रहा है और एक अच्छा खिलाड़ी बनने की ललक लिए हुए हैं।
राजधानी के फुटबॉल खिलाडिय़ों को यहां पर तराशने का काम शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान कर रहे हैं। वे बताते हैं कि १० अप्रैल से प्रशिक्षण देने का सिलसिला प्रारंभ किया गया है और अभी करीब ८० बालक खिलाड़ी और १० बालिका खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में हैं। ये सभी खिलाड़ी नए हैं। उन्होंने बताया कि इन खिलाडिय़ों को फुटबॉल की बेसिक जानकारी देने के साथ फिटनेस के लिए सबसे पहले रनिंग करवाई जा रही है। इसी के साथ खिलाडिय़ों को एक-दूसरे को पास देने के गुर बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शाम के अंतिम सत्र में खिलाडिय़ों की टीमें बनाकर मैच भी करवाए जाते हैं।
श्री प्रधान ने बताया कि १६ अप्रैल के बाद खिलाडिय़ों की संख्या २०० के करीब पहुंचने की संभावना है। उन्होंने बताया कि पिछले साल २१६ खिलाडिय़ों को तैयार किया गया था। प्रशिक्षण शिविर सिर्फ शाम के सत्र में चलाया जा रहा है। सुबह के सत्र में प्रशिक्षण देना संभव नहीं है क्योंकि दोनों सत्र में अगर प्रशिक्षण देंगे तो खिलाडिय़ों पर सही तरीके से ध्यान देना संभव नहीं होगा। इसी के साथ हमारा यह प्रशिक्षण शिविर पूरी तरह से नि:शुल्क है जिसका खर्च हमारा क्लब उठाता है। उन्होंने बताया कि २० अप्रैल से खिलाडिय़ों को डाइट देने का भी काम किया जाएगा। इसके लिए भी कोई शुल्क नहीं लेंगे। शिविर ३० जून तक चलेगा।

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

कराते खिलाड़ी सीएम से करेंगे शिकायत

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति न देने की शिकायक अब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी से करने का मन प्रदेश के कराते खिलाडिय़ों ने बनाया है। ये खिलाड़ी अपने पालकों को साथ कराते संघ की अगुवाई में मुख्यमंत्री से मिलेंगे।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश कराते संघ के अजय साहू ने बताया कि प्रदेश के खेल विभाग ने कराते संघ के विवाद का हवाला देते हुए प्रदेश के कराते खिलाडिय़ों की खेलवृत्ति रोक दी है। उन्होंने बताया कि जब खेल विभाग ने हमारे संघ के साथ मिलकर आयोजन करवाया था तो वह आयोजन गलत कैसे हो सकता है। खेल विभाग ने अपने विभाग के आयोजन के प्रमाणपत्रों को ही नकार दिया है। पूर्व में खेल विभाग के संचालक जीपी सिंह ने कहा था कि खिलाडिय़ों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा, लेकिन खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति नहीं दी जा रही है। ऐसे में अब संघ ने फैसला किया है कि खिलाडिय़ों और उनके पालकों के साथ मिलकर इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी से भी शिकायत की जाएगी।

क्रीड़ाश्री सीख़ रहे हैं फिट रहने की कला

प्रदेश १८ जिलों से आए १६८ से ज्यादा क्रीड़ाश्री को यहां पर फिटनेस के गुर सिखाते हुए इनको खिलाडिय़ों को हिट करने की कला सिखाई जा रही है। इनको तराशकर ठीक उसी तरह से इनके गांव भेजा जाएगा जिस तरह से पहले तीन चरणों के क्रीड़ाश्री को भेजा गया है। क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज के साथ आयोजन कैसे करवाए जाए इसके बारे में जानकारी दी जा रही है।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के ९८२ क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम यहां पर आयोजित किया है। इस कार्यक्रम का चौथा औैर अंतिम चरण चल रहा है। चौथे चरण में शामिल क्रीड़ाश्री को सुबह के सत्र में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में फिटनेस के गुर सिखाने का काम किया जा रहा है। यहां पर फिटनेस के गुर सिखाने का काम निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, ईश्वर प्रसाद, प्रसाद सिंग, दीपक खाका, अरविंद खाका, सालिकराम और सुरेश हंस कर रहे हैं। सुबह के सत्र में आज योग के साथ क्रीड़ाश्री को बताया गया कि खेल के दौरान खिलाडिय़ों के थकने पर उनको शरीर को किस तरह से आराम देना चाहिए।
मास्टर टे्रनर निंग राज रेड्डी कहते हैं कि क्रीड़ाश्री को इसलिए फिटनेस में मास्टर बनाने की तैयारी है क्योंकि इनको ही आगे अपने-अपने गांव में जाकर प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को निखारने का काम करना है। अगर इसको ही यह मालूम नहीं होगा कि खिलाडिय़ों को प्रारंभिक तौर पर कैसे तैयार करना है तो खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे। सुबह के सत्र में जहां फिटनेस के गुर बताए गए, वहीं इनको कबड्डी के बारे में प्रदेश कबड्डी संघ के रामबिसाल साहू ने जानकारी दी। भारोत्तोलन के बारे में एनआईएस कोच गजेन्द्र पांडे से जानकारी देते हुए वजन के महत्व के बारे में बताया कि कैसे ५० से ५५ किलो वजन समूह में कम वजन और ज्यादा होने का फायदा होता है। नियमित अभ्यास के बारे में जूडो की एनआईएस कोच नरेन्द्र कम्बोज ने जानकारी दी।

क्रिकेट का प्रशिक्षण १८ से

दक्षिण पूर्व मध्यम रेलवे क्रिकेट संघ (सिरसा) द्वारा राजधानी के क्रिकेटरों को तराशने के लिए सेरसा के क्रिकेट मैदान में १८ अप्रैल से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है।
यह जानकारी देते हुए संघ के संभागीय खेल अधिकारी अमरजीत सिंह कलसी ने बताया कि खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने का काम बीसीसीआई से लेबल वन परीक्षा पास करने वाले प्रशिक्षक विजय नायडु, मुजाहिद हक, स्वर्ण सिंह कलसी, मो. तसलीम, जसविंदर सिंह और सांतुन घोष देंगे। सहायक प्रशिक्षक के रूप में मनीष राठौर, श्रीधर अय्यर, , अभिषेक जैन, पंकज नायडु, राहुल कुमार की सेवाएं ली जाएगी। शिविर सुबह से सत्र में ६ से ८ और शाम के सत्र में ५ से ६.३० बजे तक लगेगा। खिलाडिय़ों को फिटनेस के गुर बताने के लिए राहुल पांडे को बुलाया गया है।

शनिवार, 10 अप्रैल 2010

अब टेटे की तीन राज्य रैंकिंग स्पर्धाएं होंगी

प्रदेश में टेबल टेनिस का विकास करने और राज्य से अच्छे खिलाड़ी निकालने के लिए प्रदेश संघ ने फैसला किया है कि अब साल में दो के स्थान पर तीन राज्य रैंकिंग स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। इन तीनों स्पर्धाओं की मेजबानी भी तय कर दी गई है। इसी के साथ हर जिले में दो अंतर संस्थान स्पर्धाओं के आयोजन का भी निर्णय लिया गया है। राजधानी में साल में चार वेटरन स्पर्धाएं होंगी।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के महासचिव अमिताभ शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ टेबल टेनिस संघ की सामान्य सभा यहां पर मयूरा होटल में संघ के अध्यक्ष शरद शुक्ला की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में मुख्य रूप से यह फैसला किया गया कि ऐेसे में जबकि छत्तीसगढ़ में ३७वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है तो इस आयोजन से पहले प्रदेश के खिलाडिय़ों को निखारने के लिए अब राज्य में दो के स्थान पर तीन राज्य रैंकिंग स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। इन तीनों राज्यों स्पर्धाओं के लिए मेजबान भी तय कर दिए हैं। पहली स्पर्धा महासमुन्द, दूसरी कोंडागांव और तीसरी दुर्ग में होगी। इस एक निर्णय के साथ यह भी फैसला किया गया कि जिलों में खिलाडिय़ों को निखारने के लिए हर जिले में दो अंतर संस्थान स्पर्धाओं का भी आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा पुराने खिलाडिय़ों को खेल से जोड़ रखने के लिए राजधानी में चार वेटरन स्पर्धाओं का आयोजन हर साल किया जाएगा।

कमलेश मेहता देंगे प्रशिक्षण

बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह भी लिया गया कि इस बार मई में खिलाडिय़ों को निखारने के लिए आठ बार के राष्ट्रीय चैंपियन पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अर्जुन पुरस्कार प्राप्त कमलेश मेहता को बुलाकर खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि जब रायपुर में राष्ट्रीय जूनियर और यूथ स्पर्धा का आयोजन हुआ था तो इस स्पर्धा में शामिल होने आए कमलेश मेहता से छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने की सहमति ले ली गई थी। प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश के कई जिलों से चुने हुए खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश संघ वैसे भी हर साल किसी न किसी राष्ट्रीय कोच को बुलाकर यहां पर खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिलाने का काम कर रहा है।

अनिल वर्मा चेयरमैन

बैठक में ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा को टेबल टेनिस संघ का चेयरमैन बनाने का फैसला किया गया। इसी के साथ अमिताभ शुक्ला जहां महासचिव बने रहेंगे, वहीं रूपेन्द्र चौहान को कार्यकारी सचिव बनाया गया है। बैठक में इस कार्यकारिणी द्वारा महज डेढ़ साल के कार्यकाल में दो राष्ट्रीय स्पर्धाओं के आयोजन पर कार्यकारिणी को सभी ने बधाई दी। बैठक में वेटरन संघ के अध्यक्ष भरत अग्रवाल के साथ छत्तीसगढ़ टेबल टेनिस संघ के संदीप खंडेलवाल, एचके ओबेराय, आरके जैन, एश्वर्या तिवारी, राकेश, उमेश गोवस्वामी, विनय बैसवाड़े, प्रेमराज जांचक, अतुल चांडक एवं पीके जोशी उपस्थित थे।

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

साल भार में जीते सात स्वर्ण

प्रदेश की बास्केटबॉल टीमों ने राष्ट्र्रीय स्तर पर कमाल करते हुए एक साल में ही सात स्वर्ण पदक जीत लिए। प्रदेश की बालिका टीमों का दबदबा काफी समय से राष्ट्रीय स्तर पर कायम है। प्रदेश की बालिकाओं ने जहां स्वर्ण पदक बरसाए, वहीं बालकों की टीमों ने तीन रजत पदक जीते। इसी के साथ प्रदेश के ८ खिलाड़ी भारतीय टीम से खेले।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश बास्केटबॉल संघ के सचिव राजेश पटेल ने बताया कि प्रदेश की बालिका टीमों ने २००९-१० के सत्र में ८ राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लिया और सात स्वर्ण के साथ एक कांस्य पदक जीता। प्रदेश की टीम को पहला स्वर्ण मुंबई में खेली गई राष्ट्रीय यूथ स्पर्धा में मिला। ९ से १६ मई तक खेली गई इस स्पर्धा में बालकों की टीम ने रजत पदक जीता। छत्तीसगढ़ की बालिका टीम को दूसरा स्वर्ण २० से २२ अगस्त तक दिल्ली में खेली गई अखिल भारतीय राजीव गांधी स्वर्ण कप स्पर्धा में मिला। छत्तीसगढ़ ने तीसरा स्वर्ण भोपाल में अक्टूबर में राष्ट्रीय महिला खेलों में जीता। चौथा स्वर्ण नवंबर में मुंबई में खेली गई अखिल भारतीय रामु मेमोरियल स्पर्धा में पांचवां स्वर्ण राजनांदगांव में २ दिसंबर से ५ दिसंबर तक खेली गई राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा में स्वर्ण जीता। यहां पर बालकों की टीम ने रजक पदक जीता। छठा स्वर्ण चित्तोडग़ढ़ में १७ से २३ जनवरी २०१० में खेली गई राष्ट्रीय सब जूनियर स्पर्धा में मिला। सातवां और अंतिम स्वर्ण इंदौर में १७ से २४ जनवरी २०१० तक खेली गई राष्ट्रीय जूनियर स्पर्धा में मिला। इसी स्पर्धा में बालकों की टीम ने रजत पदक जीता।

श्री पटेल ने बताया कि प्रदेश की टीमों को मिली इस सफलता का फायदा यह मिला कि प्रदेश के ८ खिलाड़ी किरण पाल सिंह, अंजू लकड़ा, रंजीता कौर, ए. कविता, पुष्पा निषाद, श्याम सुंदर, अजय प्रताप सिंह और अंकित पाणिग्रही को भारतीय टीम ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिला।

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

१० से तराशे जाएंगे राजधानी में फुटबॉलर

राजधानी रायपुर के सबसे पुराने शेरा क्लब द्वारा १० अप्रैल से ८२ दिनों का फुटबॉल का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया ज रहा है।
यह जानकारी देते हुए क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि हमारे क्लब द्वारा हर साल अप्रैल माह से प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है। इस शिविर के लिए पंजीयन प्रारंभ हो गया है। उन्होंने बताया कि इस बार भी करीब १५० खिलाडिय़ों के आने की संभावना है। पिछले साल १३५ खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन खिलाडिय़ों में रायपुर जिले के कई विकासखंडों के भी खिलाड़ी शामिल थे। प्रशिक्षण शिविर के बाद ५० खिलाडिय़ों का चयन करके उनको फुटबॉल स्कूल में रखा गया था। इन खिलाडिय़ों को साल भर प्रशिक्षण दिया गया है।
श्री प्रधान ने बताया कि इस साल भी प्रशिक्षण शिविर में से करीब २० खिलाडिय़ों का चयन करके उनको फुटबॉल स्कूल में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारा क्लब जो फुटबॉल स्कूल चल रहा है उसके खिलाडिय़ों को गोद दिलाकर सारा खर्च किया जा रहा है। श्री प्रधान ने बताया कि हमारे ८२ दिनों के प्रशिक्षण शिविर का सारा खर्च क्लब उठाता है किसी भी खिलाड़ी से पैसे नहीं लिए जाते हैं। क्लब की तरफ से ही खिलाडिय़ों के लिए डाइट की भी व्यवस्था की जाती है।

अभ्यास के फायदे बताए

पायका के लिए क्रीड़ाश्री को दिए जा रहे प्रशिक्षण शिविर के तीसरे चरण आए क्रीड़ाश्री को जूडो की एनआईएस कोच नरेन्द्र कम्बोज ने अभ्यास को नियमित अभ्यास के फायदों की जानकारी दी।
ग्रामीण खेलों में हालांकि जूडो शामिल नहीं है, लेकिन जूडो के खेल का शरीर के वजन से बहुत नाता है, ऐसे में जूडो की कोच नरेन्द्र कम्बोज ने क्रीड़ाश्री को बताया कि कैसे वजन का किसी भी खेल में महत्व होता है। इसी के साथ उन्होंने इनको जानकारी दी कि नियमित अभ्यास के क्या-क्या फायदे होते हैं।
क्रीड़ाश्री को एनआईएस कोच गजेन्द्र पांडे ने भारोत्तोलन के बारे में पूरी जानकारी दी। इनको बताया गया कि कैसे भारोत्तोलन के लिए खिलाड़ी तैयार करने हैं।
शाम के सत्र में फुटबॉल की एनआईएस कोच सरिता कुजूर ने फुटबॉल की जानकारी दी और स्पोट्र्स काम्पलेक्स के मैदान में सभी को मैदान बनाने की जानकारी देने के बाद सभी को फुटबॉल और खो-खो से अवगत कराने के लिए मैच भी करवाए गए।

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

जल्द मैदान बनाने की कला सीखी

पायका के लिए क्रीड़ाश्री को दिए जा रहे प्रशिक्षण शिविर के तीसरे चरण आए क्रीड़ाश्री को आज मैदान को जल्द बनाने की कला सिखाई गई। इसी के साथ इनको आयोजनों के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी गई।

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राजधानी में चलाए जा रहे इस प्रशिक्षण शिविर के तीसरे चरण में शामिल होने के लिए १२३ क्रीड़ाश्री आए हैं। इनको आज यहां पर निंगराज रेड्डी ने गणित के हिसाब से बहुत जल्द कैसे मैदान बनाए जा सकते हैं इसकी जानकारी दी। इसी के साथ इनको सुबह के सत्र में मास्टर ट्रेनर सुरेश कुमार हंस और प्रसाद सिंह ने वार्मअप स्टेटिंग और पुल डाऊन के बारे में पूरी जानकारी दी।
दोपहर के सत्र में वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि आयोजन को सफल बनाने के लिए क्या-क्या जरूरी है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि सभी क्रीड़ाश्री को अपने-अपने गांवों में खेलों का आयोजन भी करवाया है। श्री डेकाटे ने इसको बताया कि किस तरह से आयोजन की तैयारी करनी चाहिए। शाम के सत्र में एनआईएस कोच सरिता कुजूर ने फुटबॉल के बारे में जानकारी दी।

सोमवार, 5 अप्रैल 2010

बालकृष्णा युवा भारतश्री



भारत युवाश्री बॉडी बिल्डिंग का खिताब कर्नाटक जी. बालकृष्णा ने जीता। पं. बंगाल के सुभाशीष पांडेय बेस्ट मसकुलर और महाराष्ट्र के अमित प्रमोद रावत को बेस्ट पोजर का खिताब मिला। मेजबान छत्तीसगढ़ के एक खिलाड़ी को ही पदक मिला।
रायगढ़ में हुई इस स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए संजय शर्मा ने बताया कि शॉट ग्रुप में प्रथम सुभाशीष पांडेय (बंगाल), द्वितीय मो. रतीक (कर्नाटक), तृतीय नरेस एस. चौहान (महाराष्ट्र)। मिडियम क्लास प्रथम अमित प्रमोद (महाराष्ट्र), द्वितीय आर. हरबा (कर्नाटक), तृतीय आलेख शर्मा (मप्र)। टॉल क्लास- प्रथम रविकृपा तिवारी (महाराष्ट्र), द्वितीय ङाानेश श्रीवास्तव (मप्र), तृतीय श्याम लाल (मप्र), चतुर्थ तेजलाला यादव (छत्तीसगढ़)। स्माल टॉल क्लास प्रथम जी. बालकृष्णा (कर्नाटक), द्वितीय सिद्धार्थ पंडित (छत्तीसगढ़), तृतीय अमित रमेश (महाराष्ट्र), चतुर्थ राजेन्द्र कोराती (छत्तीसगढ़)।
स्पर्धा में देश के कई राज्यों के ४० खिलाडिय़ों ने भाग लिया। विजेता खिलाडिय़ों को प्रदेश भाजपाध्यक्ष विष्णु देव साय ने पुरस्कार बांटे। इस अवसर पर पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया, विधायक हृदय राम राठिया, जिंदल परिवार के ईडी एके मुखर्जी, उपस्थित थे। कार्यक्रम में संजय शर्मा, पी. सालोमन, मेघेश तिवारी, राजेश जाधव, सुमित चौधरी, पी. गांगोली, एके कपूर, बीके शर्मा, पीएसबी नायडु , पीएच अजमानी का शाल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मेघेश तिवारी और सीपी पांडेय ने किया।

रविवार, 4 अप्रैल 2010

बैटन रिले में नाम न होने से नाराजगी

कामनवेल्थ की मशाल यानी बैटन को लेकर दौडऩे वालों के नामों को लेकर शिकायतों का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। जो नाम सामने आए हैं, उनमें कई नाम छोड़ दिए गए हैं। जो नाम छूट गए हैं उन नामों को जोडऩे में कोई परेशानी न होने की बात जहां राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे कह रहे हैं, वहीं उनका कहना है कि अंतिम नाम तो राज्य स्तर पर बनी समिति को तय करने हैं, हम तो केवल संभावित नाम लिखकर भेजेंगे।
्दिल्ली में इस साल होने वाले कामनवेल्थ खेलों की बैटन भारत भ्रमण के दौरान ८ अगस्त को रायपुर आएगी। इस बैटन को लेकर दौडऩे वालों की जो सूची खेल विभाग ने तैयार की है, उस सूची को लेकर शिकायतों को सिलसिला प्रारंभ हो गया है। खेल विभाग ने प्रारंभिक तौर पर जो नाम तय किए हैं, उनमें कुछ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाडिय़ों के साथ कुछ पुराने खिलाडिय़ों के नाम भी छोड़ दिए गए हैं। सूची में अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलक रूस्तम सारंग और उनके भाई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अजय दीप सारंग का नाम तो है पर इनके कोच और विक्रम पुरस्कार प्राप्त बुधराम सारंग का नाम छोड़ दिया गया है। इसी तरह से नेटबॉल की दो अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों प्रीति बंछोर और नेहा बजाज का तो नाम लिखा गया है, पर एक और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और राजीव पांडे पुरस्कार प्राप्त भावना खंडारे का नाम भी छोड़ दिया गया है। पहली बार मप्र और छत्तीसगढ़ के इतिहास में श्रीलंका में सब जूनियर फुटबॉल में खेलने वाली निकिता स्विसपन्ना और सुप्रिया कुकरेती का नाम भी नहीं है। राज्य के मैराथन विजेता और सैफ खेलों की मैराथन में शामिल अरविंद कुमार, कैनोइंग कयाकिंग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू, ओलंपियन विल्सेंट लकड़ा, ओलंपियन मुक्केबाज दिवाकर नेताम के साथ बिलासपुर और बस्तर संभाग के कई खिलाडिय़ों के नाम भी सूची में नहीं हैं। इसके अलावा और कई राष्ट्रीय खिलाडिय़ों के नाम सूची में न होने की बात सामने आ रही है। अब बैटन को भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव भी जाना है, ऐसे में वहां के खिलाडिय़ों को राजधानी की बैटन रिले में शामिल नहीं किया गया है। यहां तक तो ठीक है लेकिन बिलासपुर और बस्तर संभाग के खिलाडिय़ों को शामिल किए जाने की बात खेल संघों के पदाधिकारी कर रहे हैं।
खिलाडिय़ों के नाम सूची में छूटने के संबंध में जानकारी लेने जब राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि जो नाम सूची में हैं, वे नाम अंतिम नहीं है। सूची में और नाम जोडऩे पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन खेल संघों को लगता है कि उनके खिलाडिय़ों के नाम छूट गए हैं तो वे नाम जुड़वा सकते हैं। वैसे भी अंतिम नाम तय करना हमारे हाथ में नहीं है। हम संभावित नामों की सूची राज्य स्तरीय समिति के सामने रखेंगे, यही समिति कार्यक्रम को देखकर अंतिम नाम तय करेगी।

इधर बैटन के बारे में बताया जा रहा है यह बैटन भुवनेश्वर से ८ अगस्त को रायपुर पहुंचेगी। यहां पर ८ और ९ अगस्त को रहेगी। इन दो दिनों में बैटन को राजधानी का भ्रमण करवा जाएगा। पूर्व में जब बैटन को सड़क मार्ग से आना था तो ऐसे में भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव को इस बैटन से वंचित होना पड़ा था। लेकिन अब चूंकि बैटन को विमान से लाया जा रहा है तो ८ और ९ अगस्त को रायपुर में रहने के बाद इसे १० अगस्त को भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव भेजा जाएगा। राजनांदगांव से बैटन भिलाई आएगी और वहां पर रात्रि में कार्यक्रम होंगे। ११ अगस्त को बैटन भिलाई से सीधे माना विमानतल जाएगी जहां से उसे हैदराबाद के लिए रवाना किया जाएगा।

शनिवार, 3 अप्रैल 2010

क्रीड़ाश्री का तीसरा चरण आज से

पायका के लिए क्रीड़ाश्री को दिए जा रहे प्रशिक्षण शिविर के दूसरे चरण का समापन आज यहां हो गया। इस चरण में १०० क्रीड़ाश्री को निखार कर तैयार किया गया है। सभी क्रीड़ाश्री यहां से इस संकल्प के साथ लौटे हैं कि उनको अपने-अपने गांवों जाकर खिलाड़ी तैयार करने हैं। खिलाडिय़ों को तैयार करने की कला सिखकर ही ये यहां से लौटे हैं।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को यहां पर प्रशिक्षण देने का काम प्रारंभ किया है। दूसरे चरण में १०० क्रीड़ाश्री को निखारने में खेल के जानकार एक सप्ताह तक पसीना बहाया। इन दिनों में इन क्रीड़ाश्री को इतना तराश दिया गया है कि वे अब अपने-अपने गांव जाकर खिलाडिय़ों की नई पौध तैयार करने के काम में आसानी से जुट सकते हैं। क्रीड़ाश्री को छह दिनों में जो भी बताया गया उसको आजमाने के लिए एक क्वीज स्पर्धा का भी आयोजन किया गया, इनसे स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में कबड्डी, वालीबॉल, फुटबॉल के मैदान बनवाए गए। हर मैदान में एक ९०अंश का कोण बनता है जो महत्वपूर्ण होता है। मैदान बनाने के बाद क्रीड़ाश्री को समूहों में बांटकर इनके बीच कबड्डी, फुटबॉल और वालीबॉल के मैच भी करवाए गए यह जानने के लिए कि इन्होंने इन खेलों के बारे में क्या सीखा है। खेलों से जुड़कर क्रीड़ाश्री खुश हैं कि चलो उनको भी अब खिलाड़ी तैयार करने के गुर मालूम हो गए हैं। सभी अब अपने-अपने गांव पहुंच कर खिलाडिय़ों को वो सब बताने के लिए बेकरार हैं जो इन्होंने यहां सीखा है।
प्रशिक्षण शिविर का तीसरा चरण तीन अपै्रल को पंजीयन से प्रांरभ होगा। चार अप्रैल से क्रीड़ाश्री को फिर से निखारने का काम किया जाएगा। इस चरण में २५० से ज्यादा क्रीड़ाश्री के शामिल होने की संभावना है। दूसरे चरण में महज १०० क्रीड़ाश्री आए थे। दो चरणो में ३५० क्रीड़ाश्री ही शामिल हो सके हैं, ऐेसे में बचे हुए दो चरणों में ६३२ क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देना है।

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

क्रीड़ाश्री होंगे फिट तो खिलाड़ी होंगे हिट होंगे फिट तो खिलाड़ी होंगे हिट

प्रदेश 18 जिलों से आए 100 से ज्यादा क्रीड़ाश्री को यहां पर फिटनेस के गुर सिखाते हुए इनको खिलाड़ियों को हिट करने की कला सिखाई जा रही है। इस दूसरे चरण में परीक्षाओं के कारण कम क्रीड़ाश्री आ सके हैं। इनको तराशकर ठीक उसी तरह से इनके गांव भेजा जाएगा जिस तरह से पहले चरण के 250 क्रीड़ाश्री को भेजा गया है। क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज के साथ अयोजन कैसे करवाए जाए इसके बारे में जानकारी दी जा रही है।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के 982 क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम यहां पर आयोजित किया है। इस कार्यक्रम के पहले चरण में 250 क्रीड़ाश्री को तराशने के बाद अब दूसरे चरण में 100 क्रीड़ाश्री को तराशने का काम चल रहा है। इन सभी को सुबह के सत्र में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में फिटनेस के गुर सिखाने का काम किया जा रहा है। यहां पर फिटनेस के गुर सिखाने का काम निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, वरूण पांडे, संजय पाल, मुकेश गंभीर और अखिलेश आदित्य कर रहे हैं। सभी क्रीड़ाश्री जिस तरह से हर स्टेप को आसानी से कर रहे हैं उससे कहीं से नहीं लगता है कि इनके लिए यह काम नया है। वैसे भी ज्यादातर क्रीड़ाश्री खेलों से जुड़े हुए हैं।
मास्टर टेÑनर निंग राज रेड्डी कहते हैं कि क्रीड़ाश्री को इसलिए फिटनेस में मास्टर बनाने की तैयारी है क्योेंकि इनको ही आगे अपने-अपने गांव में जाकर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निखारने का काम करना है। अगर इसको ही यह मालूम नहीं होगा कि खिलाड़ियों को प्रारंभिक तौर पर कैसे तैयार करना है तो खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे। सुबह के सत्र में जहां फिटनेस के गुर बताए गए, वहीं इनको प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज योजना से क्रीड़ाश्री को अवगत कराया गया। इस योजना में पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक खिलाड़ियों का विभिन्न तरीकों से चयन किया जाएगा। राज्य स्तर पर चुने जाने के बाद खिलाड़ियों को सरकार गोद लेकर उनको तैयार करने का काम करेगी। क्रीड़ाश्री को बताया कि उनको आयोजन करने के लिए क्या-क्या तैयारी करनी है। सभी क्रीड़ाश्री को अपने-अपने गांवों के साथ विकासखंड स्तर पर भी पांच खेलों के आयोजन करने है। आयोजन को सफल बनाने के गुर इनको बताए गए। शाम के सत्र में निंगराज रेड्डी ने क्रीड़ाश्री को बताया कि कैसे गांव के एक छोटे से मैदान में कई खेलों के मैदान बनाकर आयोजन किया जा सकता है। फुटबॉल की एनआईएस कोच सरिचा कुजूर ने सभी को फुटबॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी कि कैसे इस खेल का आयोजन करना है।

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