शनिवार, 17 अप्रैल 2010

प्रतिभाओं को तराशने का जिम्मा क्रीड़ाश्री पर

खेल की असली प्रतिभाएं गांवों में रहती हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने पायका योजना बनाई है। इस योजना से जुड़े प्रदेश के सभी क्रीड़ाश्री की अब यह जिम्मेदारी है कि गांवों की प्रतिभाओं को तराश कर सामने लाने का काम करें। आज यहां से सभी क्रीड़ाश्री ये संकल्प लेकर अपने-अपने गांव लौटे कि उनको अपने गांवों में जाकर पायका को सफल बनाने के लिए ही काम करना है।
ये बातें यहां पर प्रदेश के क्रीड़ाश्री को संबोधित करते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब देश की ८० प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है तो गांवों में ही खेलों की असली प्रतिभाएं हैं। इन प्रतिभाओं को सामने आने का पूरा मौका नहीं मिल पाता है। ऐसे में भारत सरकार ने पायका नाम से एक योजना बनाकर देश के सभी गांवों में १० साल में खेलों से जोडऩे का संकल्प लिया है। इसी योजना के तहत हर साल हर राज्य के १० प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ा जा रहा है। पहले साल में छत्तीसगढ़ के ९८२ गांवों को खेलों से जुडऩे का मौका मिला है। इन सभी गांवों में क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं ताकि गांवों की प्रतिभाओं को वे तलाश कर तराशें और देश और दुनिया के सामने लाएं। हमारे खेल विभाग ने क्रीड़ाश्री को उनके काम से अवगत करवाने के लिए ही यहां पर एक माह का क्रीड़ाश्री प्रशिक्षण शिविर लगाया है ताकि आप लोगों को इस बात का ज्ञान हो सके कि आप लोगों को गांवों में जाकर क्या करना है। उन्होंने कहा कि चार चरणों के इस शिविर के अंतिम चरण में शामिल आप सभी को एक सप्ताह में बता दिया गया है कि आपको क्या करना है।
छत्तीसगढ़ की खेलनीति है सूत्रधार
खेल संचालक ने कहा कि भारत सरकार ने आज जिस पायका योजना को प्रारंभ किया है, उसके बारे में मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार की इस सोच से काफी पहले ही छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्तर से खेलों को बढ़ाने के लिए खेल नीति में प्रावधान किया गया है। श्री सिंह ने कहा कि अगर यह कहा जाए कि पायका की सूत्रधार छत्तीसगढ़ की खेल नीति है तो गलत नहीं होगा।
गांव में सभी को जोड़ें पायका से
खेल संचालक ने क्रीड़ाश्री से कहा कि किसी भी गांव के क्रीड़ाश्री के लिए अकेले के दम पर पायका योजना पर काम करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आपको गांवों में एक तरह की सोच रखने वाले सभी को साथ जोडऩा होगा। उन्होंने बताया कि कई क्रीड़ाश्री ने बताया कि गांवों में स्कूलों के प्राचार्य बच्चों को खेल के लिए भेजते नहीं है। हमारा विभाग सभी क्रीड़ाश्री को प्राचार्यों के नाम एक-एक पत्र देगा ताकि परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों के प्राचार्यों को आपको यह समझाना होगा कि पायका योजना में उनके जुड़े बिना सफलता नहीं मिल सकती है। इसी के साथ गांवों के सरपंचों, पंचायत सदस्यों को भी योजना से जोडऩा होगा। उन्होंने कहा कि सभी क्रीड़ाश्री को भी सुङााव देने चाहिए कि क्या अच्छा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी यहां से जब जाएं तो पायका के अंतर्गत होने वाले सभी खेलों के बारे में जानकारी लेकर जाएं कि कब कौन से स्तर के खेल होने हैं। शाम के सत्र में खेल संचालक के इस अंतिम व्याख्यान के अवसर पर उपसंचालक ओपी शर्मा, राज्य खेल अधिकारी अजीत टोपो, जेपी नापित, वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में उपसंचालक ओपी शर्मा ने कहा कि आप सभी क्रीड़ाश्री को अपने गांवों से ऐसी प्रतिभाओं को सामने लाना है जो खेल में राज्य और देश का नाम कर सकें। जिस दिन भी किस गांव का खिलाड़ी एशियाड या ओलंपिक में पदक जीतने में सफल होगा उस दिन छत्तीसगढ़ के साथ आपके नाम का भी खेल जगत के इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
क्रीड़ाश्री-मास्टर ट्रेनर सम्मानित
अंतिम व्याख्यान के बाद शिविर के क्रीड़ाश्री जितेन्द्र सिंह (कोरिया, जयराम मंडावी (नारायणपुर), शिवनंदन सिंह (जशपुर), मदन मिश्रा (रायपुर), श्रीमती दुर्गा देवांगन (राजनांदगांव), अथनस तिर्की (जशपुर), गणेश विश्वकर्मा (धमतरी), सबरी नारायण (सरगुजा), अवध चन्द्राकर (बिलासपुर), राजेश प्रताप सिंह (कोरिया), संतोष वर्मा (रायपुर), लालचंद साकेल (जशपुर), सेलयेस्तर लकड़ा (सरगुजा), नारायण गवेल (आमनदुला), जावधर सिंह मरकाम (सरगुजा) का सम्मान किया गया। इन क्रीड़ाश्री का चयन अनुशासित, लगनशील और समय के पाबंद होने की वजह से किया गया। क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने वाले मास्टर ट्रेनरों में निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, सालिक राम, दीपिका मजूमदार, दीपक खाका, अरविंद खलको, सुरेश कुमार हंस, ईश्वर प्रसाद, वरूण पांडे और संजील कुमार यादव का भी सम्मान किया गया।
एथलेटिक्स की जानकारी दी
प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन क्रीड़ाश्री को एथलेटिक्स के बारे में जानकारी देने का काम मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी ने किया। उन्होंने मैदान बनाने से लेकर खेल की सभी बारीकियों के बारे में अवगत करवाया। शिविर के अंतिम दिन कल क्रीड़ाश्री को परसदा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडिमय का भ्रमण करवाया जाएगा।

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