सोमवार, 26 अप्रैल 2010

सप्रे स्कूल का मैदान होगा गुलजार

सप्रे स्कूल के फुटबॉल में हर तरफ घास की हरियाली। खिलाड़ी घंटों अभ्यास कर रहे हैं और जैसे ही खिलाडिय़ों को लगता है कि वे थक चुके हैं तो वे मैदान की मखमली घास पर ही लेट कर आराम कर लेते हैं। यह कोई सपना नहीं है बल्कि आज से करीब ३६ साल पहले तक सप्रे शाला के मैदान में यही नजारा आम होता था। तब यहां का मैदान देखने और खेलने लायक था। लेकिन आज तो इस मैदान का कोई रखवाला नहीं है। लेकिन अब एक बार फिर से इस मैदान को ३६ साल पुराना बनाने की कवायद प्रारंभ हो गई है। यह कवायद बूढ़ापारा के पार्षद मनोज कंदोई की पहल पर हो रही है। पार्षद के कहने पर शेरा क्लब सप्रे मैदान को मिनी स्टेडियम में तब्दील करने की योजना बना रहा है। इस योजना को महापौर किरणमयी नायक के सामने रखा जाएगा और फिर एमआईएस से मंजूरी लेकर मैदान बनाने की कवायद प्रारंभ होगी।
सप्रे शाला का मैदान आज किसी स्थिति में है बताने की जरूरत है। यहां पर खिलाडिय़ों को खेलने में कितनी परेशानी होती यह सब जानते हैं। एक ेतो मैदान कभी भी किसी भी आयोजन के लिए दे दिया जाता है, फिर मैदान में जहां सुबह के समय में जानवरों का अड्डा रहता है तो शाम के समय में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। कहने को तो नगर निगम ने रात को असामाजिक तत्वों से छुटकारा दिलाने के लिए हाई मास्क लाइट लगा दी है, पर इसके बाद भी मैदान में रात के समय पीने वालों का जमावड़ा कोई नहीं रोक पाया है। पूर्व में मैदान में रात के समय में सुरक्षा व्यवस्था करने की भी बात सामने आई थी, पर आज तक वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है।
बहरहाल मैदान में जब भी कोई खेल का आयोजन करना होता है तो मैदान को ठीक करने के लिए भारी मशक्कत के साथ काफी पैसा भी खर्च करना पड़ता है। मैदान में शेरा क्लब के खिलाड़ी एक किनारे में जरूर पूरे साल भर अभ्यास करते नजर आते हैं जिसके कारण मैदान का यह हिस्सा साफ सुधरा रहता है।
३६ साल पहले घास वाला मैदान था
शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि सप्रे स्कूल का यह मैदान आज से करीब ३६ साल पहले मखमली घास युक्त था। इस मैदान में हम लोग जब खेलते थे और घंटों खेलने के बाद जब थकान लगती थी तो मैदान में ही लेट जाते थे। मैदान की घास में लेटकर ऐसा लगता था कि हम किसी आराम दायक बिस्तर में लेटे हैं। ऐसे में थकान मिनटों में गायब हो जाती थी और हम लोग फिर से अभ्यास करने में जुट जाते थे। मैदान की यह स्थिति १९८० से ८४ तक थी। इसके बाद से मैदान के खराब होने का जो सिलसिला प्रारंभ हुआ तो आज मैदान इतना खराब हो चुका है कि अब खेलने लायक रह ही नहीं गया है, फिर भी शहर में मैदान न होने के कारण हम लोग इसी मैदान में हर साल कई आयोजन शेरा क्लब की तरफ से करवाते हैं।
मैदान को पुराने रूप में लाने की कवायद
सप्रे मैदान को एक बार फिर से ३६ साल पुराने रंग में लाने की कवायद बूढ़ापारा के पार्षद मनोज कंदोई की पहल पर प्रारंभ हो रही है। इस बारे में शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान बताते हैं कि उनके क्लब के फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन के लिए जब मनोज कंदोई को बुलाया गया था तो उन्होंने ही कहा कि अपने वार्ड के इस मैदान को एक बार फिर से वे हरा-भरा देखना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने क्लब को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा है ताकि उसे निगम के सामने रखकर मैदान बनाने की मंजूरी ली जा सके।
२५ लाख में बना जाएगा मिनी स्टेडियम
मुश्ताक अली प्रधान की मानें तो अगर मैदान में महज २५ लाख का ही खर्च कर दिया जाए तो मैदान को एक तरह से मिनी स्टेडियम का रूप दिया जा सकता है। वे कहते हैं कि मैदान में एक फुटबॉल के घास वाले मैदान के साथ हॉकी का मैदान भी निकल सकता है। इसी के साथ मैदान के किनारे से एथलेटिक्स के खिलाडिय़ों के लिए ट्रेक भी बन सकता है। इसी के साथ किनारे में टाइल्स लगाने पर खिलाडिय़ों को वार्मअप के लिए जगह मिल सकती है। उन्होंने बताया कि मैदान के किनारे में टाइल्स लगाने की बात पूर्व सभापति रतन डागा ने की थी पर उनकी घोषणा पर अमल नहीं हो सका है।
मैदान बनाने हुए थे १८ लाख मंजूर
सप्रे स्कूल के इस मैदान को बनाने के लिए आज से करीब ९ साल पहले १८ लाख रुपए नगर निगम ने मंजूर किए थे। उस समय निगम में सोनमणी वोरा आयुक्त थे। उनकी पहल पर ही मैदान के लिए यह बजट रखा गया था। इस बजट में से मैदान में महज एक तरफ गैलरी बन पाई, बाकी दो तरफ न तो गैलरी बनी और न ही मैदान में घास लगाई गई। यह योजना सोनमणी वोरा के निगम के जाते ही खटाई में पड़ गई।
दर-दर भटक रहे हैं खिलाड़ी
सप्रे मैदान में फुटबॉल का प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी पिछले तीन दिनों से मैदान मिल पाने के कारण दर-दर भटक रहे हैं। मैदान में इस समय दूसरे आयोजन के लिए कब्जा है। ऐसे में खिलाड़ी जब कल स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से फुटबॉल मैदान में अभ्यास करने के लिए गए तो उनको वहां भी आसार नहीं मिला, क्योंकि वहां पर फुटबॉल मैदान में क्रिकेट की पिच बनाने का काम चल रहा है। फुटबॉल खिलाड़ी पूछ हैं कि जब निगम ने मैदान को फुटबॉल के लिए बनाया है तो वहां क्रिकेट की पिच बनाने की इजाजत कैसे दी गई। आउटडोर स्टेडियम में भी सहारा न मिलने के कारण खिलाडिय़ों को आज शेरा क्लब के कार्यालय के पास में ही गली में अभ्यास करना पड़ा। क्लब के मुश्ताक अली ने बताया कि खिलाडिय़ों को अब वे अभ्यास करवाने के लिए राजकुमार कॉलेज ले जाएंगे ताकि खिलाडिय़ों का नुकसान न हो।

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