शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

कामनवेल्थ में खेलने का है सपना

कामनवेल्थ में खेलने वाली भारत की संभावित नेटबॉल टीम के साथ दो साल से प्रशिक्षण ले रहीं रायपुर की नेहा बजाज और प्रीति बंछोर का कहना है कि कामनवेल्थ में खेलने का उनका सपना है और इस सपने को साकार करने के लिए दोनों खिलाड़ी जी जान से मेहनत कर रही हैं। अंतिम प्रशिक्षण शिविर की २२ खिलाडिय़ों में स्थान बनाने वाली इन खिलाडिय़ों को भरोसा है कि उनकी मेहनत से उनको अंतिम १२ की टीम में स्थान मिल जाएगा।
इन दोनों खिलाडिय़ों ने बताया कि गुजरात के गांधीनगर में पिछले दो साल से चल रहे कामनवेल्थ के प्रशिक्षण शिविर में वे शामिल हैं। इस शिविर के साथ आस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण लेने गई भारतीय टीम के साथ भी दोनों खिलाड़ी गई थीं। इन्होंने पूछने पर बताया कि आस्टेलिया में २० दिनों के प्रशिक्षण से हमारी भारतीय नेटबॉल टीम निखरी है और टीम में बहुत बदलाव आया है। अब जरूर हमारी टीम कामनवेल्थ में अच्छा प्रदर्शन करेगी। वैसे टीम का जो पिछले दो साल से ज्यादा समय से देश में प्रशिक्षण शिविर चल रहा है उसका भी फायदा मिलेगा। इन्होंने बताया कि आस्ट्रेलिया में हमारी टीम ने कैनबरा के साथ सिडनी में भी जहां क्लबों से मैचों खेले वहीं वहां पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बारे में इन्होंने बताया कि वहां प्रशिक्षण लेने से पहले हमारी टीम बेसिक रूप से कई बातों से अंजान थी। हमारी टीम की खिलाडिय़ों को वहां पर जाकर मालूम हुआ कि खेल में तेजी लाने के लिए क्या करना चाहिए। इसी के साथ हम लोगों ने वहां जाकर सीखा कि बॉल को पीछे से नहीं आगे से लेना चाहिए। इन्होंने बताया कि वहां पर प्रशिक्षण लेने के बाद हमारी टीम में बहुत बदलाव आया है। एक सवाल के जवाब में इन्होंने बताया कि गांधी नगर में दो साल से प्रशिक्षण शिविर चल रहा था अब यह शिविर कामनवेल्थ के प्रारंभ होने से पहले तक दिल्ली में चलेगा। दिल्ली में शिविर २४ अप्रैल से प्रारंभ होगा। इस शिविर के लिए दोनों खिलाड़ी यहां से २३ अप्रैल को दिल्ली जाएगी। इन्होंने कहा कि कामनवेल्थ में स्वर्ण पदक या फिर किसी भी बात के जीतने का दावा आसान नहीं है क्योंकि स्पर्धा में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमें भी रहेंगी। लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि हमारी टीम का प्रदर्शन निराशाजनकनहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि करीब तीन साल तक प्रशिक्षण दिए जाने का फायदा भी टीम को मिलेगा। पूछने पर इन्होंने कहा कि वैसे तो हम दोनों तीन-तीन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं, हमारा सपना कामनवेल्थ में खेलने का है। इसके लिए हम लोग बहुत मेहनती कर रही हैं और उम्मीद है कि हमको अंतिम १२ की टीम में स्थान मिल जाएगा।
मेजबानी में जीतना है स्वर्ण
दोनों खिलाड़ी यहां पर ५ अपैल से आईं हुईं है और इस बीच इन्होंने राज्य की खिलाडिय़ों को अपने अनुभव बांटने का काम किया है। इन्होंने बताया कि वे रोज राजधानी की खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही है यहां कि खिलाडिय़ों को ये बता रही हैं कि कैसे पास का महत्व होता है। इनका कहना है कि आस्ट्रेलिया में जो सीखा है, उससे राज्य की खिलाडिय़ों को अवगत करवाना चाहती हैं ताकि जब छत्तीसगढ़ की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल हों तो हमारी टीम स्वर्ण पदक जीते। वैसे इसके पहले भी होने वाले राष्ट्रीय खेलों में हम लगातार स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेगी। इन्होंने बताया कि असम के राष्ट्रीय खेलों में हमारी महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। पूछने पर इन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक की व्यवस्था कर देती है तो इससे अच्छी बात हो ही नहीं सकती है, वैसे हमारे राज्य में अच्छे प्रशिक्षकों की कमी नहीं है। इन्होंने बताया कि सुधीर वर्मा और प्रवीण रिछारिया के प्रशिक्षण के साथ नेटबॉल संघ के संजय शर्मा के मार्गदर्शन में हमारी टीम ने असम के राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। हमारा राज्य संघ खिलाडिय़ों की हर तरह से मदद करता है।
खलती है मैदान की कमी
एक सवाल के जवाब में दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि राजधानी में स्थाई मैदान की कमी खलती है। इनका कहना है कि जब बृजमोहन अग्रवाल खेल मंत्री थे तो उन्होंने स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के पास मैदान देने की बात की थी, इस मैदान को नगर निगम ने एमआईसी में मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इसके बाद भी हम लोगों को आज तक मैदान नहीं मिल पाया है। इनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए नेटबॉल के लिए भी एक स्थाई मैदान की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।

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