बुधवार, 31 मार्च 2010

राष्ट्रीय खेल ऐतिहासिक होंगे

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज दिल्ली में छत्तीसगढ़ सदन में कहा कि 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन जब हमारे राज्य छत्तीसगढ़ में होगा तो मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि यह आयोजन न सिर्फ ऐतिहासिक होगा बल्कि समय पर भी होगा।
मुख्यमंत्री ने ये बातें वहां पर भारतीय ओलंपिक संघ के साथ 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए किए गए होस्ट सिटी कांट्रेक्ट के अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने अब तक खेलों के जितने राष्ट्रीय आयोजन किए हैं सभी ऐतिहासिक रहे हैं। हम जहां राष्ट्रीय खेलों को ऐतिहासिक और यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, वहीं यह भी वादा करते हैं कि हमारे राज्य का आयोजन समय पर होगा। यहां पर यह बताना लीजिमी होगा कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का विलंब से होना आम बात है, अब तक 2007-08 के राष्ट्रीय खेल जो कि झारखंड में होने वाले हैं, नहीं हो सके हैं। लेकिन 2013-14 के 37वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को समय पर करने की बात मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने कह दी है।

इस अवसर पर खेल मंत्री लता उसेंडी ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के साथ छत्तीसगढ़ की खेल बिरादरी की मंशा के अनुरूप हमारे राज्य ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी ली है। इस मेजबानी को लेने के लिए हमारे विभाग ने काफी मेहनत की है और अभी से हमारी सरकार इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए जुट गई है।

प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ। अनिल वर्मा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब भी छत्तीसगढ़ में कोई आयोजन होता है तो वह वास्तव में ऐतिहासिक होता है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ से खिलाड़ी सुखद यादें लेकर लौटते हैं। छत्तीसगढ़ की मिट्टी में ही ऐसी बात है कि इसकी धरा पर जो भी आता है, वह इसका दीवान होकर ही लौटता है। हमारा वादा है कि जब छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होगा तो वह ऐसा होगा जैसे पहले कभी नहीं हुआ है। डॉ. वर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने खेलों के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का काम किया है। इस लेने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल की भी मदद ली गई। उन्होंने कहा कि वैसे भी खेलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए।

राष्ट्रीय खेलों से होता है विकास

भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि ओलंपिक संघ देश के हर राज्य में खेलों का विकास के साथ मैदानों की कमी को दूर करना चाहता है। इसके लिए राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी से अच्छा और कोई रास्ता नहीं हो सकता है। हम चाहते हैं कि हर राज्य इन खेलों की मेजबानी ले और अपने राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदान बनवाने में सफल हो। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भी नया राज्य है। छत्तीसगढ़ ने जिस तरह से राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने के लिए उत्सुकता दिखाई है और जैसा साहस किया है, वह तारीफे काबिल है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि छत्तीसगढ़ ने अगर इन खेलों को समय पर करने की बात की है, तो जरूर वहां के खेल समय पर होंगे। श्री कलमाड़ी ने कहा कि आज दिल्ली में कामनवेल्थ खेलों के कारण इतने ज्यादा मैदान हो गए हैं अब यहां पर किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहेगी। उन्होंने बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए झारखंड के राष्ट्रीय खेलों के बारे में कहा कि वहां के खेल इस साल जरूर हो जाएंगे।

कांट्रेक्ट में हस्ताक्षर से पहले छत्तीसगढ़ में मैदानों की क्या स्थिति है इसके बारे में जानकारी देने के लिए जहां एक डाक्यूमेंट्री प्रस्तुति दिखाई गई। इसी के साथ पावर पाइंट की भी प्रस्तुति दी गई। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि खेल मैदानों की जानकारी देने वाली जो डाक्यूमेंट्री खेल विभाग ने बनाई है, उसे ही दिखाया गया। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ को मेजबानी दिलाने में इस डाक्यूमेंट्री का अहम हाथ रहा है, इस डाक्यूमेंट्री में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के साथ, खेल मंत्री लता उसेंडी, भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल सहित खेलों से जुड़े कई लोगों के विचार मेजबानी लेने के लिए हैं। इसी के साथ इसमें छत्तीसगढ़ के खेल मैदानों की पूरी जानकारी है।

कार्यक्रम के अंत में होस्ट सिटी कांट्रेक्ट पर छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी, खेल सचिव हस्ताक्षर होंगे। इसी के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ की तरफ अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा और महासचिव बशीर अहमद खान, भारतीय ओलंपिक संघ की तरफ से अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और महासचिव राजा रणधीर सिंह हस्ताक्षर हुए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, गृहमंत्री ननकी राम कंवर, कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू, नगरीय निकाय राजेश मूणत, स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल सहित सभी मंत्रियों के साथ छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के विजय पांडे, मो. अकरम खान और सलाम रिजवी, खेल संचालक जीपी सिंह, उपसंचालक ओपी शर्मा उपस्थित थे।

राष्ट्रीय बॉडी बिल्डिंग आज से

बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ एक नया इतिहास रचने जा रहा है। देश में पहली बार 21 साल के युवाओं के लिए आयोजित पहली युवा राष्ट्रीय बॉडी बिल्डिंग स्पर्धा की मेजबानी छत्तीसगढ़ कर रहा है। इसका आयोजन कल से रायगढ़ में होगा। इस स्पर्धा में देश के कई राज्यों के खिलाड़ी शामिल होंगे।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश बॉडी बिल्ंिडग संघ के संजय शर्मा ने बताया कि जब देश में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर 21 साल के युवाओं के लिए बॉडी बिल्डिंग स्पर्धा के आयोजन राष्ट्रीय फेडरेशन के सामने उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय स्पर्धा के दौरान मुंबई में रखा था। इस प्रस्ताव के बाद पहली स्पर्धा के आयोजन का जिम्मा भी छत्तीसगढ़ को दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि अब यह स्पर्धा पहली बार तामनार (रायगढ़) में कल से प्रारंभ हो रही है। स्पर्धा में शामिल होने 8 राज्यों के खिलाड़ी पहुंचे चुके हैं।
युवा भारतश्री के लिए होने वाले मुकाबले से पहले चार वर्गाें टॉल, मीडिल, सुपर टॉल और शार्ट ग्रुप के मुकाबले होंगे। इसके बाद भारतश्री खिताब के लिए अंतिम मुकाबला होगा।

मंगलवार, 30 मार्च 2010

होस्ट सिटी कांट्रेक्ट आज होगा

३७वें राष्ट्रीय खेलों के होस्ट सिटी कांट्रेक्ट पर कल ३० मार्च को दिल्ली के छत्तीसगढ़ सदन में दोपहर एक बजे हस्ताक्षर होंगे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी, सहित कई मंत्री और विधायक मौजूद रहेंगे। इस कांट्रेक्ट के बाद भारतीय ओलंपिक संघ को दो करोड़ का चेक भी दिया जाएगा। होस्ट सिटी कांट्रेक्ट को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। इस कांट्रेक्ट पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी सहित कुल सात लोगों के हस्ताक्षर होंगे।
छत्तीसगढ़ सदन दिल्ली में आज दिन भर ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए होस्ट सिटी कांट्रेक्ट की तैयारी चलती रही। इस तैयारी के बीच में सदन में प्रदेश के ज्यादातर मंत्री भी मौजूद रहे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ सभी मंत्री और विधायक जिसमें कांग्रेस के भी विधायक शामिल हैं, हरिद्वार में कुंभ स्नान के लिए गए थे, वहां से सभी दिल्ली आ गए हैं। ऐसे में जबकि छत्तीसगढ़ को मिली राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का अनुबंध दिल्ली में ३० मार्च को होना है तो इस अनुबंध के अवसर पर होने वाले समारोह में ज्यादातर मंत्री और विधायक भी शामिल होने रूक गए हैं। खेल के इस ऐतिहासिक मौके को कोई छोडऩा नहीं चाहता है।
सात लोगों के होंगे हस्ताक्षर
प्रदेश ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ से छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बाद होस्ट सिटी कांट्रेक्ट का पत्र मिल गया था। छत्तीसगढ़ ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की मंशा के अनुरूप ही ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी ली है।
डॉ. वर्मा ने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ से अनुबंध का एक प्रारूप प्रदेश सरकार को काफी पहले भेजा दिया था। इस प्रारूप को देखने के बाद सरकार ने इसको अंतिम रूप दे दिया है। इसी के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के साथ होस्ट सिटी कांट्रेक्ट को कैबिनेट की बैठक में भी मंजूरी मिल गई है। श्री वर्मा ने बताया कि इस अनुबंध के लिए दिल्ली में एक समारोह का आयोजन कल किया गया है। इस समारोह में ही अनुबंध पर हस्ताक्षर होंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी, खेल सचिव हस्ताक्षर होंगे। इसी के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ की तरफ से मेरे यानी अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा और महासचिव बशीर अहमद खान के भी हस्ताक्षर होंगे। भारतीय ओलंपिक संघ की तरफ से अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और महासचिव राजा रणधीर सिंह हस्ताक्षर करेंगे।
कांट्रेक्ट तैयार है
इधर प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि प्रदेश को ओलंपिक संघ के मिले होस्ट सिटी कांट्रेक्ट को आज दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों से चर्चा करके अंतिम रूप दे दिया गया है। अब यह कांट्रेक्ट पूरी तरह से तैयार है और इस पर कल हस्ताक्षर हो जाएंगे।
खेल मैदानों की देंगे जानकारी
छत्तीसगढ़ में मैदानों की क्या स्थिति है इसके बारे में जानकारी देने के लिए जहां कांट्रेक्ट में हस्ताक्षर से पहले एक प्रस्तुति दी जाएगी, वहीं पावर पाइंट की भी प्रस्तुति होगी। खेल संचालक ने बताया कि खेल मैदानों की जानकारी देने वाली जो डाक्यूमेंट्री खेल विभाग ने बनाई है, उसे दिखाया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ को मेजबानी दिलाने में इस डाक्यूमेंट्री का अहम हाथ रहा है, इस डाक्यूमेंट्री में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ, खेल मंत्री लता उसेंडी, भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल सहित खेलों से जुड़े कई लोगों के विचार मेजबानी लेने के लिए हैं। इसी के साथ इसमें छत्तीसगढ़ के खेल मैदानों की पूरी जानकारी है।
श्री सिंह ने बताया कि इस डाक्यूमेंट्री के साथ जो पावर पाइंट प्रस्तुति होगी उसमें राष्ट्रीय खेलों के लिए क्या-क्या योजना बनाई गई है कितने मैदान कहां बनाए जाएंगे, खेल गांव से लेकर हर वह जानकारी प्रस्तुत की जाएगी जो छत्तीसगढ़ में होने वाले आयोजन को ऐतिहासिक बनाने वाली है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति यहां की खासियत के बारे में भी बताया जाएगा।
अतिथि रखेंगे अपने विचार
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशक खेल मंत्री लता उसेंडी के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, महासचिव राजा रणधीर सिंह के साथ छत्तीसगढ़ शासन के कुछ और मंत्री राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी पर अपने विचार रखेंगे।

मैदान बनाने की सीख रहे हैं कला

पायका योजना के क्रीड़ाश्री को यहां दिए जा रहे प्रशिक्षण में जहां उनको मैदान बनाने की कला सिखाई जा रही है, वहीं खेलों में भी हाथ आजमाने का मौका मिल रहा है।
खेल विभाग द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण के दूसरे चरण में १०० क्रीड़ाश्री ही आ पाए हैं। इस बार परीक्षाओं के कारण इस चरण में कम क्रीड़ाश्री आ पाए हैं। इनको स्पोट्र्स काम्पलेक्स के मैदान में सुबह के सत्र में जहां मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी से व्यायाम की कला से अवगत करवाया, वहीं इनको बताया कि कैसे खुद को और खिलाडिय़ों को फिट रखना है। इसको पुल डाऊन, खेलते हुए थकाने पर कैसे आराम करना है, आधे खेल के बाद कैसे अपने को तरोताजा करना ही इसकी कला सिखाई गई। इसी के साथ इनको मैदान बनाने के बारे में भी जानकारी दी गई है। क्रीड़ाश्री को मैदान बनाने के साथ खेलों में हाथ आजमाने का भी मौका दिया गया। रग्बी फुटबॉल के साथ कबड्डी, फुटबॉल के मैच बी करवाए गए।
फुटबॉल के बारे में जानकारी देने का काम एनआईएस कोच सरिता कुजूर ने किया। इसको बोर्ड पर जहां पहले मैदान बनाने की जानकारी दी गई, वहीं शाम के सत्र में मैदान में क्रीड़ाश्री से मैदान बनवाए गए। कबड्डी के बारे में पूरी जनाकारी देने का काम प्रदेश कबड्डी संघ के महासचिव रामबिसाल साहू ने किया। उन्होंने कबड्डी के बारे में क्रीड़ाश्री को बताया कि इस खेल के लिए कैसे खिलाड़ी तैयार करने हैं। क्रीड़ाश्रीको पंजी तैयार करने की जानकारी खेल विभाग के रामजी देवांगन ने दी।

सोमवार, 29 मार्च 2010

क्रीड़ाश्री का दूसरा चरण प्रारंभ

पायका के लिए प्रदेश के क्रीड़ाश्री को तैयार करने का दूसरा चरण आज से यहां प्रारंभ हुआ। इस चरण में शामिल होने आए प्रदेश के क्रीड़ाश्री का आज यहां पर पंजीयन किया गया। और इनको पायका के बारे में जानकारी देने के साथ खेल मैदान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रदेश के खेल विभाग ने राज्य के ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देकर तैयार करने का काम यहां पर २० मार्च से प्रारंभ किया है। पहले चरण में प्रदेश के २५० क्रीड़ाश्री को निखार कर उनको अपने-अपने गांवों के लिए रवाना कर दिया गया है। एक सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर में क्रीड़ाश्री को कई तरह से निखारने का काम किया गया है। इनको जहां कई खेलों की जानकारी दी गई, वहीं इनको खेलों में हाथ आजमाने का मौका भी दिया गया। इसको मैदान बनाने की जानकारी देने के साथ खिलाडिय़ों को फिट रखने के लिए फिटनेस के गुर भी सिखाए गए हैं।
राजधानी से क्रीड़ाश्री इस तरह निखर कर गए हैं वे अपने गांवों में अब खिलाडिय़ों को निखारने का काम करेंगे। इस शिविर के दूसरे चरण के लिए प्रदेश के सभी जिलों के क्रीड़ाश्री पहुंचे इस चरण में अब तक १०० क्रीड़ाश्री ही आए हैं। इनको आज पायका के बारे में राज्य के खेल अधिकारी अजीत टोपो ने जानकारी दी।
राजतंत्र में आज देखें- भिलाई की बैठक पर मचा बवाल

हॉकी में रायपुर जीता

छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनी मुख्यालय डंगनिया में तीन दिवसीय अंतरक्षेत्रीय हाकी प्रतियोगिता हो गई है। २९ मार्च तक चलने वाली प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक जीएस कलसी मुख्य अतिथि थे। शनिवार को हुए मैचों में कोरबा पूर्व एवं रायपुर क्षेत्र के बीच मैच खेला गया, जिसमें कोरबा पूर्व ३-० से विजयी रही। दूसरा मैच में रायपुर कें्रीय टीम ने राजनांदगांव को ६-० से करारी मात दी।
स्पर्धा में सात क्षेत्रीय टीम, जिसमें रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर एवं राजनांदगांव के खिलाड़ी भागीदारी कर रहे हैं। प्रतियोगिता की मेजबानी इससे पहले सन २००२ में राजधानी को मिली थी। तीन दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता को संचालित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के निर्णायक नजीर अहमद, अब्दुल लतील, मो. अब्दुल एवं देवेश शुक्ला आमंत्रित किए गए हैं। आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता में इसमें कर्मचारी से लेकर अधीक्षण यंत्री स्तर तक के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। प्रतियोगिता के समापन पर २९ मार्च को अखिल भारतीय अंतरराज्यीय प्रतियोगिता में शामिल होने वाले २५ खिलाडिय़ों के नामों की घोषणा की जाएगी।
राजतंत्र में आज देखें- भिलाई की बैठक पर मचा बवाल

रविवार, 28 मार्च 2010

रवि कुमार ने जीता एक लाख का खिताब

राष्ट्रीय ओपन शतरंज की अंतिम बाजी में मेजबान छत्तीसगढ़ के रवि कुमार ने रूपेश कांत के साथ २३ चालों में ही बाजी ड्रा खेलकर आधा अंक बटोरा और इसी के साथ खिताब और एक लाख की इनामी राशि पर कब्जा कर लिया। यह पहला मौका है जब रवि कुमार को किसी स्पर्धा में खिताब जीतने का मौका मिला है। स्पर्धा में छत्तीसगढ़ के आनंद अवधिया जहां पांचवें स्थान पर रहे, वहीं दीपक राजपूत को सातवां स्थान मिला। इन दोनों खिलाडिय़ों को चौथे से आठवें स्थान पर रहने के कारण १४-१४ हजार की इनामी राशि मिली। स्पर्धा में कुल ६७ खिलाडिय़ों को पांच लाख की इनामी राशि बांटी गई। पहली वरीयता वाले फीडे मास्टर राधेश्याम गुप्ता को ३२वां स्थान मिला।
निरंजन धर्मशाला में आज सुबह के सत्र में स्पर्धा की ९वीं और अंतिम बाजी खेली गई। आठ में से आठ बाजियां जीतकर पहले स्थान पर चल रहे मेजबान छत्तीसगढ़ के रवि कुमार का मुकाबला अंतिम बाजी में दिल्ली की स्पर्ध में विजेता रहे रूपेशकांत से हुआ। ४० चालों के बाद अंत में रूपेशकांत अंक बांटने सहमत हो गए और इसी के साथ रविकुमार का खिताब के साथ एक लाख की इनामी राशि पर कब्जा हो गया। दूसरे स्थान पर मल्लेश्वर राव के साथ हरीश शर्मा ७.५ अंकों के साथ रहे। जिसके दूसरे और तीसरे स्थान की इनामी राशि को मिलाकर दोनों में बांटा गया। दोनों खिलाडिय़ों को ४२ हजार पांच सौ की राशि मिली। चौथे से आठवें स्थान की सूची में जहां चौथे नंबर पर राहुल वैद्य रहे, वहीं पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़ के आनंद अवाधिया, छठे नंबर पर दिल्ली के रूपेश कांत और सातवें नंबर पर छत्तीसगढ़ के दीपक राजपूत और आठवें नंबर पर शेर सिंग रहे। इन खिलाडिय़ों को १४-१४ हजार की नकद राशि दी गई।

नौवे ने १४वें स्थान के खिलाडिय़ों को ८ हजार, १५वें से ३१वें स्थान पर रहने वालों को पांच हजार पचास रुपए, ३२वें से ४५ स्थान के खिलाडिय़ों को दो हजार पांच सौ पचास रुपए और ४६वें से ६७ स्थान पर रहने वालों को १८-१८ सौ रुपए की राशि दी गई। कुल पांच लाख की इनामी राशि खिलाडिय़ों में बांटी गई। शाम के सत्र में पुरस्कार वितरण विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने किया।

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छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों पर होगी चर्चा

छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों पर प्रदेश ओलंपिक संघ की बैठक में मुख्य रूप से कल यहां पर चर्चा होगी। राष्ट्रीय खेलों में रायपुर, भिलाई और अन्य स्थानों पर कौन-कौन से खेल होंगे,यह भी चर्चा का विषय रहेगा। यह बैठक सुबह को ९.३० बजे ग्रांड होटल में होगी।

छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है। ये खेल यहां पर २०१३-१४ में होने हैं। इन खेलों के लिए जहां सरकार ने पहले ही ५० लाख की राशि भारतीय ओलंपिक संघ को दे दी है, वहीं अब ३० मार्च को नई दिल्ली में होस्ट सिटी कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर होने हैं। इस अनुबंध के बाद भारतीय ओलंपिक संघ को दो करोड़ की रायल्टी राशि दे दी जाएगी। एक तरफ जहां दिल्ली में होने वाले अनुबंध की तैयारी कर ली गई है, वहीं अब २८ मार्च को रायपुर में प्रदेश ओलंपिक संघ की बैठक होने वाली है। इस बैठक के बारे में प्रदेश संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि बैठक का मुख्य मुद्दा ३७वें राष्ट्रीय खेल ही हैं। उन्होंने बताया कि इस पर विस्तार से चर्चा होगी। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इस बैठक से पहले भिलाई में प्रदेश के खेल संघों की एक बैठक हो चुकी है। इस बैठक में किन-किन शहरों में क्या-क्या खेल होंगे, इस पर लंबी चर्चा के बाद एक प्रस्ताव भी बनाया गया है, अब इस प्रस्ताव पर अंतिम चर्चा ओलंपिक संघ की बैठक में होगी। हालांकि भिलाई में जिस तरह से प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसको लेकर सभी खेल संघों में सहमति न होने की बात भी सामने आ रही है। भिलाई में १३ खेल, रायपुर में १६, राजनांदगांव में तीन और बिलासपुर में एक खेल करवाए जाने का प्रस्ताव बनाया गया है। भिलाई में हुई बैठक में रायपुर में राज्य संघों से जुड़े संघों को न बुलाए जाने की बात भी सामने आ रही है, ऐसे में कुछ विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।

बहरहाल प्रदेश संघ के अध्यक्ष डॉ. वर्मा ने बताया कि कल की बैठक में संघ के मुख्य संरक्षक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, खेल मंत्री लता उसेंडी, भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल, खेल सचिव सुब्रत साहू, खेल संचालक जीपी सिंह को भी आमंत्रित किया गया है। बैठक में ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त राज्य के सभी खेल संघों को भी आमंत्रित किया गया है। राष्ट्रीय खेलों के साथ २००८-०९ की वार्षिक बैठक की कार्रवाई की अनुमोदन के साथ अगले साल के वार्षिक बजट पर भी चर्चा की जाएगी।

सभी जिलों में बनेगा ओलंपिक संघ

प्रदेश संघ के डॉ. अनिल वर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी कारणवश प्रदेश ओलंपिक संघ के बनने के कई सालों बाद भी प्रदेश के सभी जिलों में जिला ओलंपिक संघ का गठन नहीं किया जा सका है, लेकिन अब जबकि प्रदेश को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है, तो यह प्रयास किए जाएंगे कि जल्द से जल्द प्रदेश के सभी १८ जिलों में जिला ओलंपिक संघ का गठन कर लिया जाए। जिला ओलंपिक संघ में ऊर्जावान युवाओं को रखा जाएगा ताकि खेलों का काम तेजी से और अच्छी तरह से हो सके।

अनुबंध की तैयारी के लिए उपसंचालक दिल्ली रवाना

दिल्ली में ३० मार्च को ३७वें राष्ट्रीय खेलों के लिए होने वाले अनुबंध की तैयारी के लिए आज यहां से खेल विभाग ने उपसंचालक ओपी शर्मा को दिल्ली भेजा। वे वहां पर अनुबंध की तैयारी करेंगे। अनुबंध के दिन होने वाले कार्यक्रम में एक डाक्यूमेट्री भी दिखाई जाएगी, इसी के साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, खेल मंत्री लता उसेंडी के साथ भारतीय ओलंपिक संघ और प्रदेश ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों के भी उद्बोधन होंगे।

शनिवार, 27 मार्च 2010

प्रदेश के तीन खिलाड़ी जम्प रोप टीम में

विश्व कप जंप रोप में खेलने जाने वाली भारतीय टीम में छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों को चयन किया गया है।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश जंप रोप संघ के सचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि २७ जुलाई से ४ अगस्त तक लॉग बोरोग में विश्व जंप रोप चैंपियनशिप का आयोजन किया गया है। इस स्पर्धा के लिए चुनी गई भारत की १८ सदस्यीय टीम में छत्तीसगढ़ के तीन जंपरों पूजा कौर हरगौत्रा, श्वेता कुर्रे और राजदीप सिंह का चयन किया गया है। यह पहला अवसर है जब छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों को भारतीय टीम में स्थान मिला है।
श्री दुबे ने बताया कि काफी कम समय में ही छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदकों की बारिश कर दी है। राष्ट्रीय स्पर्धा में छत्तीसगढ़ ने १९ पदक जीते थे। रायपुर में हुई राष्ट्रीय सब जूनियर स्पर्धा में छत्तीसगढ़ ने तीसरा स्थान प्राप्त किया था।
राजतंत्र में आज देखें-राष्ट्रीय खेलों का अनुबंध दिल्ली में होगा

छत्तीसगढ़ को मिला स्वर्ण

राष्ट्रीय जोनल साफ्ट टेनिस में छत्तीसगढ़ की महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता। इसी के साथ प्रदेश की पुरुष टीम को एक स्वर्ण के साथ एक कांस्य पदक मिला। यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव प्रमोद सिंह ठाकुर ने बताया कि देवास में हुई स्पर्धा में छत्तीसगढ़ की महिला टीम से महिमा माहेश्वरी, मृदला भट्टाचार्य ने एकल के साथ युगल में जोरदार प्रदर्शन करके प्रदेश को स्वर्ण पदक दिलाया।
पुरुष टीम से खेलते हुए एकल वर्ग में हैनरी सेंटियागों ने महाराष्ट्र के खिलाड़ी को फाइनल में मात देकर स्वर्ण जीता। युगल वर्ग में डेटिस बार्टन और रोहिन सेटिंयागो की जोड़ी ने तीसरा स्थान प्राप्त कर प्रदेश को कांस्य पदक दिलाया। प्रदेश टीम की सफलता पर संघ के राकेश चतुर्वेदी, अनिल पुसदकर, डा. अजय सक्सेना, प्रकाश ठाकुर ने बधाई दी है। राजतंत्र में आज देखें-राष्ट्रीय खेलों का अनुबंध दिल्ली में होगा

शुक्रवार, 26 मार्च 2010

रवि कुमार खिताब के करीब

राष्ट्रीय ओपन शतरंज स्पर्धा में मेजबान छत्तीसगढ़ के रवि कुमार आंठा बाजियां जीतकर आठ अंकों के साथ अकेले शीर्ष पर बने गए हैं। जिस रफ्तार से रवि कुमार खेल रहे हैं, उससे यह तय है कि एक लाख की इनामी राशि के साथ खिताब पर उनका कब्जा हो जाएगा। अब अंतिम बाजी में उनको बस ड्रा खेलने की जरूरत है।
निरंजन धर्मशाला में स्पर्धा के पांचवें दिन शाम के सत्र में खेली गई आठवें चक्र की सबसे महत्वपूर्ण बाजी में सात बाजियों में से सातों जीतकर सात अंक लेकर पहले स्थान पर चल रहे २१८२ रेटिंग वाले रवि कुमार का मुकाबला छह अंकों के साथ दूसरे स्थान पर चल रहे रायपुर के ही आनंद अविधया के बीच हुआ। इसी एक मुकाबले पर सबकी नजरें। इसी मुकाबले से रवि कुमार के विजेता बनने का फैसला होना था। कांटे के मुकाबले में अंतत: रवि ने आनंद को मात देकर अपना आठवां अंक प्राप्त कर लिया।
अन्य बाजियों में पूर्व ओलंपियन रफीक खान को चौथे टेबल पर दिल्ली के हरीश शर्मा ने मात देकर अपने ६.५ कर लिए। तीसरे टेबल पर राहुल वैद्य ने मो. कादिर खान को मात दी और अपने ६.५ कर लिए। दिल्ली की स्पर्धा के विजेता रूपेशकांत के भी ८ बाजियों में ६.५ अंक हो गए और वे खिताब जीतने से वंचित हो गए हैं। उन्होंने आठवीं बाजी में विवेक शुक्ला को मात दी। मल्लेश्वर राव ने आबिद अली को हराया। आठवीं बाजी के बाद रवि कुमार ८ अंकों के साथ पहले स्थान पर मल्लेश्वर राव सात अंकों के साथ दूसरे स्थान पर ६.५ अंकों के साथ राहुल वैद्य, हरीश शर्मा, रूपेश कांत तीसरे स्थान पर चल रहे हैं।
इसके पहले सुबह के सत्र में खेली गई सातवीं बाजी में रायपुर के रवि कुमार फीडे मास्टर छत्तीसगढ़ के राधेश्याम गुप्ता को मात देकर सातवां अंक प्राप्त किया था। अन्य मुकाबलों में २१९७ रेटिंग वाले आनंद अविधया ने सफेद मोहरों से खेलते हुए राजस्थान के संदीप जैन को मात दी। तीसरे बोर्ड पर मुंबई के राहुल वैद्य ने उप्र के विवेक शुक्ला को, मो. रफीक खान ने पीएल शास्त्री को युनूस खान ने पवन थामम को केके खरे ने सुनील सिंहा को, नंद कुमार ने प्रियंका को मात दी। कल सुबह के सत्र में अंतिम बाजी होगी, इसके बाद शाम को होने वाले पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्यअतिथि विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक होंगे।
आज राजतंत्र में देखें- कार को घर का रास्ता कैसे मालूम है?

कई खेलों के गुर सीखे

स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में एक तरफ कबड्डी का खेल चल रहा है तो दूसरी तरफ खिलाड़ी फुटबॉल खेलने में लगे हैं। एक तरफ वालीबॉल का खेल हो रहा है। हर तरफ बस खेल का माहौल है। खिलाड़ी बड़ी गंभीरता से खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कोई बड़े खेल मेले का आयोजन हो रहा है। लेकिन वास्तव में यह खेल मेला नहीं बल्कि क्रीड़ाश्री प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन खेल दिवस पर खेलों का आयोजन है। एक सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर के छठे दिन सभी को मैदान बनाने के साथ कई खेलों में हाथ आजमाने का भी मौका दिया गया।

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को यहां पर प्रशिक्षण देने का काम प्रारंभ किया है। पहले चरण मे २५० क्रीड़ाश्री को निखारने में खेल के जानकार पिछले छह दिनों से लगे हुए हैं। इन छह दिनों में इन क्रीड़ाश्री को इतना तराश दिया गया है कि वे अब अपने-अपने गांव जाकर खिलाडिय़ों की नई पौध तैयार करने के काम में आसानी से जुट सकते हैं। क्रीड़ाश्री को पांच दिनों में जो भी बताया गया उसको आजमाने के लिए जहां आज एक क्वीज स्पर्धा का भी आयोजन किया गया, वहीं इनसे शाम के समय में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में कबड्डी, वालीबॉल, फुटबॉल के मैदान बनवाए गए। हर मैदान में एक ९०अंश का कोण बनता है जो महत्वपूर्ण होता है। मैदान बनाने के बाद क्रीड़ाश्री को समूहों में बांटकर इनके बीच कबड्डी, फुटबॉल और वालीबॉल के मैच भी करवाए गए यह जानने के लिए कि इन्होंने इन खेलों के बारे में क्या सीखा है।

शाम के समय में तो स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में एक अलग तरह का ही माहौल था। यहां सभी तरफ खिलाड़ी खेलते नजर आ रहे थे, दरअसल ये खिलाड़ी न होकर क्रीड़ाश्री थे जिनको खेलों में हाथ आजमाने का मौका दिया गया था। खेलों से जुड़कर क्रीड़ाश्री खुश हैं कि चलो उनको भी अब खिलाड़ी तैयार करने के गुर मालूम हो गए हैं। सभी अब अपने-अपने गांव पहुंच कर खिलाडिय़ों को वो सब बताने के लिए बेकरार हैं जो इन्होंने यहां सीखा है।

खेल विभाग के उपसंचालक ओपी शर्मा ने बताया कि कल समापन से पहले आज क्रीड़ाश्री की एक तरह से परीक्षा ली गई कि उन्होंने पांच दिनों में क्या सीखा है। इसी के साथ विदाई की बेला की पूर्व संध्या पर इनके लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। अब पहले चरण के २५० क्रीड़ाश्री कल यहां से विदा हो जाएंगे और अपने-अपने गांव में जाकर खिलाडिय़ों को तराशने का काम करेंगे। प्रशिक्षण शिविर का दूसरा चरण २७ मार्च से पंजीयन से प्रांरभ होगा। २८ मार्च से क्रीड़ाश्री को फिर से निखारने का काम किया जाएगा। इस चरण में भी करीब २५० क्रीड़ाश्री शामिल होंगे।

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गुरुवार, 25 मार्च 2010

मैदान बनाने की कला सीखी

प्रदेश के २५० कीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर के चौथे दिन जहां मैदान बनाने का कला से अवगत कराया गया, वहीं इनको फुटबॉल और कबड्डी खेलने मैदान में उतारा गया। सुबह के सत्र में योग की जानकारी के साथ सभी को सूर्य नमस्कार करना बताया गया।

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पायका योजना से जुड़े क्रीड़ाश्री को यहां पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस शिविर के चौथे दिन क्रीड़ाश्री को सुबह के सत्र में योग की जानकारी देने का काम राजकुमार द्वारा किया गया। क्रीड़ाश्री को योग में सूर्य नमस्कार करवाया गया और इसके फायदों की जानकारी दी गई। इसी के साथ योग के बारे में और बहुत सी ऐेसी जानकारी से इनको अवगत करवाया गया जिनको वे जाकर अपने गांवों में खिलाडिय़ों को सिखा सकते हैं। सुबह के सत्र में व्यायाम के गुर सिखाने का काम मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी के साथ सरिता कुजूर, वरूण पांडे और ईश्वर प्रसाद ने किया।
दूसरे सत्र में क्रीड़ाश्री को मैदानों के रेखांकन की जानकारी दी गई कि किस खेल के मैदान किस तरीके से बनाए जाते हैं। मैदानों के आकरों का महत्व, इनकी सीमाओं के बारिकी से जानकारी दी गई ताकि गांवों में मैदान बनाते समय कोई गलती न हो। इसी सत्र में लेखापाल रामजी देवांगन ने पंजियों, केश बुक के साथ स्टॉक रजिस्टार को भरने के बारे में पूरी जानकारी दी गई।
शाम के सत्र में सभी क्रीड़ाश्री को स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में ले जाया गया जहां पर इनके बीच टीमें बनाकर इनको फुटबॉल के सथ कबड्डी के मैच खिलाए गए। क्रीड़ाश्री को कम से कम उन खेलों के बारे में जानकारी जरूर दी जाएगी जो खेल पायका में शामिल हैं।
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बुधवार, 24 मार्च 2010

राधेश्याम को वीरेश ने ड्रा पर रोका

राष्ट्रीय ओपन शतरंज में शीर्ष वरीयता प्राप्त छत्तीसगढ़ के फीडे मास्टर राधेश्याम गुप्ता को वीरेश चतुर्वेदी ने ड्रा पर रोक दिया। इधर जहां छत्तीसगढ़ के कई खिलाडिय़ों का विजयक्रम जारी है, वहीं १३ खिलाड़ी तीन अंकों के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर हैं।

निरंजन धर्मशाला में चल रही स्पर्धा में आज पहले टेबल पर शीर्ष वरीयता प्राप्त राधेश्याम गुप्ता का तीसरे चक्र में वीरेश चतुर्वेदी से मुकाबला हुआ। काले मोहरों से खेलते हुए श्री गुप्ता ने सिसिलियन डिफेंस अपनाया लेकिन इसके बाद भी वे बाजी नहीं जीत सके और २५वीं चाल में अंतत: उन्होंने वीरेश के साथ अंक बांटने कबूल कर लिए।
इधर छत्तीसगढ़ के आनंद अविधया ने क्वींस इंडियन डिफेंस की बाजी में पीएल शास्त्री को २३वीं चाल में मात देने में सफलता प्राप्त की। छत्तीसगढ़ के एक और खिलाड़ी रवि कुमार ने भी तीसरी बाजी जीत कर पूरे अंक बटोरे। उन्होंने काले मोहरों से खेलते हुए संजय सिंहा को हराया। महाराष्ट्र के विक्रम मालवंकर को दिल्ली के हरीश शर्मा ने रोचक मुकाबले में मात दी। इस बाजी में दो पैदलों की कुर्बानी देकर हरीश ने विक्रम को दबाव में ला दिया और अंत में ३५वीं चाल में बाजी जीतने में सफल रहे।

अन्य मुकाबलों में आन्ध्र प्रदेश के जे.मल्लेश्वर राव ने उप्र के अभिषेक जायलवाल को, रूपेश कांत ने कृष्णप्रसद को, रफीक खान ने सेर सिंह को, आवेद अली ने सीएल शर्मा को, नंदन कुमार ने केवीएल श्रीवास्तव को मात दी। अनिवाश शर्मा और सुनील कुमार सिंहा तथा सुनील कुमार सैनी का संदीप जैन से मुकाबला बराबरी पर छूटा। आज तीसरे चक्र के मुकाबले के बाद आनंद अवधिया, रवि कुमार, हरीश शर्मा, जे. मल्लेश्वर राव, रूपेश कांत, मो. रफीक खान, आबिद अली, राहुल एम वेद, पीवी संतोष नंदन कुमार, कृषक जैन, पवन बाथम, सुब्रा साहा संयुक्त रूप से तीन अंक प्राप्त कर पहले स्थान पर चल रहे हैं।

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क्रीड़ाश्री बन रहे फिटनेस मास्टर मास्टर

प्रदेश भर से आए क्रीड़ाश्री स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के मैदान में लाइन से खड़े हैं और सामने खड़े फिटनेस के मास्टरों द्वारा बताए जा रहे गुर के हिसाब से अभ्यास में जुटे हैं। यह मशक्कत हर क्रीड़ाश्री को फिटनेस मास्टर बनाने के लिए की जा रही है ताकि ये सभी अपने गांव जाकर वहां की प्रतिभाओं को तलाश कर निखारने का काम कर सकें। इन सबको प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज के साथ अयोजन कैसे करवाए जाए इसके बारे में जानकारी देने के अलावा कबड्डी के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के 982 क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम यहां पर आयोजित किया है। इस कार्यक्रम का पहला चरण यहां पर चल रहा है। इस पहले चरण में राज्य के 18 जिलों के 250 क्रीड़ाश्री शामिल हैं। इन सभी को आज सुबह के सत्र में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में फिटनेस के गुर सिखाने का काम किया गया। यहां पर फिटनेस के गुर सिखाने का काम निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, वरूण पांडे, संजय पाल, मुकेश गंभीर और अखिलेश आदित्य कर रहे हैं। जब इनको प्रशिक्षण दिया जा रहा था तो ऐसा लग रहा था कि कहीं पर मार्शल आर्ट में कराते की क्लास चल रही है। सभी क्रीड़ाश्री जिस तरह से हर स्टेप को आसानी से कर रहे थे उससे कहीं से नहीं लग रहा था कि इनके लिए यह काम नया है। वैसे भी ज्यादातर क्रीड़ाश्री खेलों से जुड़े हुए हैं।
क्रीड़ाश्री को इसलिए फिटनेस में मास्टर बनाने की तैयारी है क्योेंकि इनको ही आगे अपने-अपने गांव में जाकर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निखारने का काम करना है। अगर इसको ही यह मालूम नहीं होगा कि खिलाड़ियों को प्रारंभिक तौर पर कैसे तैयार करना है तो खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे। सुबह के सत्र में जहां फिटनेस के गुर बताए गए, वहीं इसके बाद के सत्र में सबसे पहले प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज योजना से क्रीड़ाश्री को अवगत करवाने का काम उपसंचालक ओपी शर्मा ने किया। इन्होंने बताया कि प्रदेश के खेल विभाग ने राज्य के ग्रामीण अंचल के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को एक ंमंच देने के लिए यह योजना बनाई है। इस योजना में पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक खिलाड़ियों का विभिन्न तरीकों से चयन किया जाएगा। राज्य स्तर पर चुने जाने के बाद खिलाड़ियों को सरकार गोद लेकर उनको तैयार करने का काम करेगी।

राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने क्रीड़ाश्री को बताया कि उनको आयोजन करने के लिए क्या-क्या तैयारी करनी है। सभी क्रीड़ाश्री को अपने-अपने गांवों के साथ विकासखंड स्तर पर भी पांच खेलों के आयोजन करने है। आयोजन को सफल बनाने के गुर इनको बताए गए।

प्रदेश कबड्डी संघ के रामबिसाल साहू ने क्रीड़ाश्री को कबड्डी के नियमों से लेकर मैदान और आयोजन के बारे में काफी विस्तार से समझाया। शाम के सत्र में निंगराज रेड्डी ने क्रीड़ाश्री को बताया कि कैसे गांव के एक छोटे से मैदान में कई खेलों के मैदान बनाकर आयोजन किया जा सकता है। फुटबॉल की एनआईएस कोच सरिचा कुजूर ने सभी को फुटबॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी कि कैसे इस खेल का आयोजन करना है।

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मंगलवार, 23 मार्च 2010

छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी छाए पहले दिन

शह और मात के खेल के पहले दिन मेजबान छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी छाए रहे। इसी के साथ वरीयता प्राप्त खिलाड़ी भी पहले दिन आसानी से जीते। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले कुछ खिलाड़ियों को मात भी खानी पड़ी।
निरंजन धर्मशाला में आज से प्रारंभ हुए ग्रांड कप अखिल भारतीय ओपन शतरंज स्पर्धा के पहले दिन शीर्ष वरीयता प्राप्त फीडे मास्टर छत्तीसगढ़ के राधेश्याम गुप्ता ने काले मोहरों से खेलते हुए बिहार के विकेश जायसवाल को आसानी से मात देकर पूरे अंक बटोरे। दूसरे बोर्ड पर छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय खिलाड़ी आनंद अवधिया ने जोरदार खेल दिखाते हुए बृजेश अवधिया को मात दी। छत्तीसगढ़ के एक और खिलाड़ी रविकुमार ने उप्र के देवेश चतुर्वेदी को हराया। अन्य मुकाबलों में दिल्ली के हरीश शर्मा ने हरियाणा के चंदन को, आन्ध्र प्रदेश के जेएम राव ने महाराष्ट्र के चारणी दोषी को मात दी। दिल्ली में 15 लाख की इनामी चैंपियनशिप में विजेता बनने वाले ग्वालियर के रूपेश कांत ने यहां पर अपनी खिताबी दावे को मजबूत साबित करते हुए पहले मैच में ईआर रिक्ता को मात दी। अन्य मुकाबलों में जहां वरीयता प्राप्त खिलाड़ी आसानी से जीत गए, वहीं कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले खिलाड़ियों को मात खानी पड़ी।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले दिल्ली के अविनाश शुक्ला को गैरवरीयता प्राप्त खिलाड़ी कमल कुमार ने राजस्थान के रघुवीर सिंह को उप्र के मोहम्मद हनीफ ने उप्र के केके खरे को छत्तीसगढ़ के प्रमोद सोनी ने और प. बंगाल के शिवेन्दु गोहा को छत्तीसगढ़ के केएस धनंजय ने मात दी।
स्पर्धा में 18 राज्यों के करीब 200 खिलाड़ी मुकाबले में शामिल हैं। इन खिलाड़ियों में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले 53 खिलाड़ी शामिल हैं। स्पर्धा में जूनियर वर्ग के साथ सीनियर वर्ग और महिला वर्ग के साथ वेटरन वर्ग के भी मुकाबले हो रहे हैं। स्पर्धा में विजेता खिलाड़ी को एक लाख की नकद राशि मिलेगी। स्पर्धा में पांच लाख के इनाम बांटे जाएंगे।

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राजधानी में भी हो एक घास वाला मैदान


श्रीलंका में एशियन फुटबॉल कप (अंडर १४ साल) में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम से खेलकर लौटी रायपुर की सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना का कहना है कि अगर राजधानी रायपुर में भी फुटबॉल के लिए एक घास वाला मैदान हो तो यहां से और ज्यादा खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल हो सकती हैं। दोनो खिलाड़ी सब जूनियर टीम से खेलकर इतनी ज्यादा उत्साहित हैं कि अब उनकी नजरें अंडर १७ साल की जूनियर भारतीय टीम पर हैं। इनका कहना है कि हम अभी से इसकी तैयारी में जुट गई हैं।

यहां पर शेरा क्लब में चर्चा करते हुए दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि हमें श्रीलंका में जिस मैदान पर खेलने का मौका मिला वैसे मैदान की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। हमें लगता है कि काश ऐसा ही एक मैदान अपनी राजधानी में भी होता तो जरूर हम जैसी और खिलाडिय़ों को भारतीय टीम से खेलने का मौका मिल जाता। इन्होंने पूछने पर बताया कि एक तो हम लोगों ने रायपुर में जो मेहनत की थी, उसके बाद तिरूअंतपुरम में भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर में हमारी कोच अनिता सरकार ने हम सभी खिलाडिय़ों से जो मेहनत करवाई उसी का नतीजा रहा कि हमारी टीम ने श्रीलंका में स्वर्ण पदक जीता। इन्होंने बताया कि एक जार्डन की टीम ही ऐसी रही जिसके साथ हमने गोलरहित ड्रा खेला। इसके अलावा हमने मेजबान श्रीलंका को १-०, ईरान को २-० और भूटान को ११-२ से मात दी। इन मैचों में जहां सुप्रिया ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए आधा दर्जन गोल दागे, वहीं गोलकीपर निकिता ने एक दर्जन से ज्यादा गोल बचाकर अपनी टीम को स्वर्ण पदक तक पहुंचाने में मदद की।

एक सवाल के जवाब में दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि अब हमारी नजरें जहां सबसे पहले अंडर १७ साल की जूनियर भारतीय टीम पर हैं, वहीं हम सीनियर टीम से भी खेलने का सपना देखती हैं। इसके लिए हमें जितनी मेहनत करनी पड़ेगी हम करेंगी। अपनी सफलता का पहला Ÿोय अपनी कोच सरिता कुजूर के साथ कोच मुश्ताक अली प्रधान को देते हुए दोनों खिलाड़ी कहती हैं कि जहां हमें होलीक्रास कांपा स्कूल में सरिता कुजूर प्रशिक्षण देकर निखाारती हैं, वहीं शेरा क्लब के सप्रे स्कूल के मैदान में हमें मुश्ताक अली से फुटबॉल के विशेष गुर सीखने का मौका मिलता है।

सुप्रिया कुरकेती एवं निकिता स्विसपन्ना ने कहा है कि हमें पहले ही भरोसा था कि हमारा चयन जरूर टीम में हो जाएगा और हमारा चयन ही नहीं हुआ बल्कि हमारी टीम ने स्वर्ण पदक भी जीता। सुप्रिया तीन साल से फुटबॉल खेल रही हैं और अब तक चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। पहली बार वहां २००७ में भुवनेश्वर में खेली थीं, इसके बाद अगले साल २००८ में वह फिर अंडर १३ की राष्ट्रीय स्पर्र्धां में खेलीं। २००९ में राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा और इस साल चेन्नई में वह राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं तो इसी स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन पहले भारत की संभावित टीम में फिर अंतिम टीम में हो गया था। निकिता को अभी एक साल भी नहीं हुआ है खेलते। इस एक साल में वह राष्ट्रीय स्कूली खेलों के साथ चेन्नई की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं और भारत की संभावित टीम में शामिल हो गर्इं थी। इसके बाद उनके खेल ने उनको श्रीलंका में खेली टीम में स्थान दिा दिया था। यह दोनों खिलाड़ी अभी १२ साल की हैं।

लड़कों के साथ मैच का मिला फायदा

सुप्रिया और निकिता की सफलता पर मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि शेरा क्लब के प्रशिक्षण शिविर में लड़कियों को लड़कों के साथ जो मैच खिलाया जाता था, उससे लड़कियों का हौसला बढ़ा और इन्होंने भारतीय टीम में स्थान बनाने का काम किया। वे कहते हैं कि यह सफलता जिला फुटबॉल संघ की सबसे बड़ी सफलता है क्योंकि इसके पहले मप्र के रहते भी मप्र की किसी खिलाड़ी का चयन भारतीय टीम में नहीं हुआ था, ऐसे में यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि दोनों खिलाड़ी सप्रे स्कूल के मैदान में नियमित अभ्यास करती हैं। इन खिलाडिय़ों को उनके साथ एनआईएस कोच सरिता कुजूर भी प्रशिक्षण देती हैं। जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे ने भी कहा कि इन खिलाडिय़ों की सफलता अब राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश की सभी बालिका खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणा का काम करेगी और ज्यादा से ज्यादा लड़कियों फुटबॉल से जुड़ेंगी।

लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा

दोनों खिलाडिय़ों की कोच सरिता कुजूर कहती हैं कि अब इसमें कोई दो मत नहीं है कि हमारे मैदान की दो खिलाड़ी भारतीय टीम से खेली हैं तो राजधानी में ही नहीं बल्कि प्रदेश में लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा। प्रदेश में महिला फुटबॉल खिलाडिय़ों की कमी रही है जो इन खिलाडिय़ों के भारतीय टीम से खेलने से अब नहीं रहेगी और दूसरी लड़कियों भी जरूर इनसे प्रेरणा लेकर फुटबॉल से जुड़ेंगी। सरिता कहती हैं कि उनको अपनी इन खिलाडिय़ों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैंने भी अपनी खिलाडिय़ों के साथ इनके प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले कहा था कि जरूर दोनों भारतीय टीम में स्थान बना लेंगी और इन्होंने ऐसा करके अपने राज्य का नाम रौशन किया है। अब आगे भी जरूर ये खिलाड़ी जूनियर टीम में स्थान बनाने में सफल होंगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि इसके पहले हमारे मैदान की तीन खिलाडिय़ों ज्योति पांडे, कंचन विभार और अभिलाषा मसीह का चयन भी भारतीय टीम में हुआ था, लेकिन इनका पासपोर्ट न बन पाने के कारण ये खिलाड़ी खेलने नहीं जा पाई थी। इन्होंने बताया कि पिछले साल भी हमारे मैदान की एक खिलाड़ी वंदना ध्रुव का चयन संभावित टीम में हुआ था, लेकिन उनको अंतिम टीम में स्थान नहीं मिल पाया था। आने वाले साल में जरूर और ज्यादा खिलाड़ी भारतीय में स्थन बनाने में सफल होंगी।
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सोमवार, 22 मार्च 2010

नशे से मुक्ति दिला सकता है खेल

खेल वह कला है जिसमें खिलाड़ी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने की ही नहीं बल्कि नशे की लत से भी मुक्ति दिलाने की क्षमता है। आज गांव-गांव में छोटे-छोटे बच्चे नशे के आदी होते जा रहे हैं। पायका योजना में बने क्रीड़ाश्री को अब चाहिए कि इन बच्चों को नशे की लत से मुक्ति दिलाने उनको खेलों से जोडऩे का काम करें। यह बात तय है कि जिसे एक बार खेल का नशा लग गया वह और कोई दूसरा नशा नहीं करेगा।

ये बातें यहां पर चल रही क्रीड़ाश्री की कार्यशाला में वालीबॉल के पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी और भारतीय टीम के मैनेजर रहे प्रदेश वालीबॉल संघ के महासचिव मो. अकरम खान ने कहीं। उन्होंने कहा कि मुङो खेल से जुड़े आज करीब तीन दशक का समय हो गया है। मुङो यह देखकर हमेशा दुख होता है कि कि आज गांव-गांव में बच्चे तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट और गुडाखु का नशा करते हैं। यह सब इसलिए होता है क्योंकि गांवों में खेलों के लिए न तो मैदान है और न ही उनको खेलों से जोडऩे वाला कोई है। लेकिन आज आप लोगों को क्रीड़ाश्री बनाकर आपके गांव की जिम्मेदारी आपको दी गई है। अब आपके पास एक ऐसा मौका है जैसा मौका हर किसी को नहीं मिलता है। आप अपने गांव और समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। आप लोग अपने गांव के उन बच्चों का जीवन बना सकते हैं जो नशे की लत में जकड़ हुए हैं। आप उनको बस एक बार मैदान में लेकर आए और खेल से जोड़े और फिर देेखें कि कैसे उनमें परिवर्तन आता है। श्री खान ने क्रीड़ाश्री से कहा कि वे अपने गांवों के ऐसे बच्चों को चिंहित करें जिनती लंबाई बहुत ज्यादा है ऐसे बच्चों को वालीबॉल के साथ जोड़ा जाएगा। श्री खान ने क्रीड़ाश्री द्वारा वालीबॉल के संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने बताया कि खिलाड़ी से ज्यादा मेहनत तो उनको सिखाने वाले प्रशिक्षकों को करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी की अहमियत किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री से कम नहीं होती है। आज आप लोग ही कितने राज्यों की मुख्यमंत्री के नाम जानते हैं, लेकिन अपने देश के सचिन तेंदुलकर से लेकर सानिया मिर्जा और साइना नेहवाल के नाम सब जानते हैं।

इसके पहले जहां खिलाडिय़ों को चोट लगने पर प्रारंभिक तौर पर क्या उपचार करने चाहिए इसके बारे में डॉ. उज्जव गोलाडे ने जानकारी दी, वहीं उपसंचालक ओपी शर्मा ने क्रीड़ाश्री के अधिकार और उनके कतव्र्यों के बारे में बताया। सुबह के सत्र में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में क्रीड़ाश्री को व्यायाम के बारे में निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, वरूण पांडे, संजय पाल ने जानकारी दी। इसी के साथ मार्शल आर्ट के बारे में मुकेश गंभीर और अखिलेश आदित्य ने जानकारी दी।

आज राजतंत्र में देखें आस्था के नाम की मची है लूट

राजधानी में आज से शुरू होगा शह और मात का खेल

राजधानी रायपुर में शतरंज की बिसाल सज गई है अब कल से यहां पर देश भर के दिग्गज खिलाड़ी शह और मात का खेल खेलेंगे। आज स्पर्धा का उद्घाटन शाम के सत्र में शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने किया।
लंबे समय बाद राजधानी में हो रही इस ओपन राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने के लिए सभी खिलाड़ी बेताब हैं। स्पर्धा में खेलने के लिए १८ राज्यों के २०० से ज्यादा खिलाड़ी आ गए हैं। इन खिलाडिय़ो में मेजबान छत्तीसगढ़ के जहां ४० खिलाड़ी खेल रहे हैं, वहीं मप्र के २५ खिलाड़ी शामिल हैं। स्पर्धा में ५० से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले खिलाड़ी खेलेंगे। मप्र के पूर्व ओलंपियन रफीक खान के साथ दिल्ली की १५ लाख इनामी राशि वाली स्पर्धा के विजेता रूपेश कांत, के अलावा फीडे मास्टर राधेश्याम गुप्ता स्पर्धा के मुख्य आकर्षण होंगे।
स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए विनोद राठी ने बताया कि स्पर्धा में कल सुबह से मुकाबले प्रारंभ होंगे। हर रोज दो चक्र के मैच होंगे। पहला सत्र सुबह को ९ बजे से और दूसरा सत्र शाम को ४ बजे से खेला जाएगा। स्पर्धा में अंतिम दिन एक चक्र होगा। कुल ९ चक्रों के मुकाबलों के बाद विजेता का फैसला होगा। विजेता को एक लाख का नकद इनाम दिया जाएगा।
स्पर्धा को सफल बनाने के लिए पहली बार शतरंज के साथ दूसरे खेलों से जुड़े कई खेल संघोंके पदाधिकारियों को शामि किया गया है। स्पर्धा का उद्घाटन शाम को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने किया।

छत्तीसगढ़ को मिला दोहरा स्वर्ण

जोनल राष्ट्रीय साफ्ट टेनिस में छत्तीसगढ़ ने टीम मुकाबलों के साथ युगल वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीता।
देवास में चल रही स्पर्धा के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के प्रमोद सिंह ठाकुर ने बताया कि बालिका वर्ग के टीम मुकाबलों में छत्तीसगढ़ ने पहले सेमीफाइनल में राजस्थान को ३-१ से मात दी। फाइनल में छत्तीसगढ़ ने मेजबान मप्र को भी ३-१ से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ की बालिकाओं की जोड़ी महिमा माहेश्वरी और मृदुला भट्टाचार्य ने शानदार खेल दिखाते हुए फाइनल में स्थान बनाया। यहां पर उनका सामना जापान से खेल कर लौटी मप्र की रिया के साथ अमृता की जोड़ी से हुआ। इस जोड़ी को छत्तीसगढ़ की जोड़ी ने ३-१ से मात देकर अपने राज्य को दूसरा स्वर्ण दिलाया। एकल वर्ग के फइनल मुकाबले कल खेले जाएंगे।

रविवार, 21 मार्च 2010

क्रीड़ाश्री होंगे खेल विभाग की जान

प्रदेश के खेल विभाग के साथ आज से आपका नाता जुड़ गया है। अब वह दिन भी दूर नहीं है जब राज्य के क्रीड़ाश्री ही खेल विभाग की जान होंगे। आपके बिना खेलों में विकास की कल्पना नहीं होगी। आज आप सभी पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि आप सब गांवों की खेल प्रतिभाओं को तलाश कर सामने लाएं। इन प्रतिभाओं को जब भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी तो यकीन मानिए ये प्रतिभाएं सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह या फिर खेल मंत्री लता उसेंडी का नहीं बल्कि आपकी नाम लेंगी। ऐसे में सोचिए कि आपका मान कितना बढ़ेगा। दुनिया में प्रतिष्ठा की कीमत कभी भी पैसों से नहीं लगाई जा सकती है।

ये बातें यहां पर प्रदेश की खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी ने प्रदेश भर के क्रीड़ाश्री को संबोधित करते हुए कहीं। प्रदेश के क्रीड़ाश्री की कार्यशाला का आयोजन खेल विभाग ने किया है। खेल मंत्री ने इसमें सबसे पहले सभी क्रीड़ाश्री से सवाल किया कि क्या आप लोगों को लगता है कि आपको कोई नौकरी मिल गई है। सभी ने इस बात को माना कि वे ऐसा नहीं सोचते हैं। तब खेल मंत्री ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि आप लोगों के लिए केन्द्र सरकार ने जो पांच सौ रुपए का मानदेय तय किया है, वह काफी कम है। हमने आप लोगों के लिए केन्द्र सरकार के सामने आवाज उठाई है। हमारी बातों को केन्द्रीय खेल मंत्री ने गंभीरता से सुना भी है। संभव है कि आप लोगों का मानदेय बढ़ भी जाए। लेकिन यहां पर मामला मानदेय का नहीं बल्कि देश और समाज के लिए कुछ करने का है। जब देश में पायका योजना लागू की गई तो हर गांव में एक-एक क्रीड़ाश्री बनाने का फैसला किया गया। ऐसे में जबकि आज आप अपने गांव के क्रीड़ाश्री चुने गए हैं तो यह आपके लिए बड़े सम्मान की बात है। आप सभी पर अब अपने-अपने गांवों की खेल प्रतिभाओं को सामने लाने का जिम्मा है।

खेल प्रतिभाएं लेंगी आपका नाम

खेल मंत्री ने सभी क्रीड़ाश्री को उत्साहित करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने राज्य के ऐसे ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए चुना है जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य और देश का नाम पदक जीतकर रौशन किया है। इन खिलाडिय़ों को सरकार नौकरी देगी। यह सिलसिला हर साल चलेगा। हर साल प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ी चुने जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब आप लोगों को यह देखना है कि आप लोगों के गांवों से भी ऐसे खिलाड़ी निकल सकें जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके और उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होकर नौकरी पाए। यकीन मानिए जब भी किसी गांव का खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी बनेगा और उनको नौकरी मिलेगी तो वह खिलाड़ी सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और मेरा यानी खेल मंत्री लता उसेंडी का नहीं बल्कि आपका नाम लेगा कि सर आज मंै आपकी वजह से यहां तक पहुंचा हूं। सोचिए वह पल कितना सुहाना होगा जब आपको गर्व महसूस होगा। इस गर्व की कीमत किसी भी मानदेय से नहीं लगाई जा सकती है। आज यहां पर सभी संकल्प लें कि हमें अपने देश और समाज के लिए कुछ करना है।

पदको में हों नंबर वन

खेल मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है। इसकी तैयारी के लिए जब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में बैठक ली थी तो उन्होंने साफ कहा है कि अपनी मेजबानी में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की तैयारी अभी से करनी है। उन्होंने कहा कि अभी छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में काफी समय है, ऐसे में हर क्रीड़ाश्री को यह प्रयास करना चाहिए कि उनके गांव के ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में खेल सकें। उन्होंने कहा कि आज समय बदल गया है और गांवों में भी खेलों का पहले जैसा माहौल नहीं है। उन्होंने कहा कि अब गांवों की फिजा को फिर से खेलमय करने का जिम्मा आपका है। सुश्री उसेंडी ने कहा कि आज खेल महंगा भी हो गया है। गांव का एक तीरंदाज सोच भी नहीं सकता है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी के लिए धनुष-बाण की कीमत करीब दो लाख है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य में कम सुविधाओं में भी प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। प्रदेश में हॉकी का एक भी एस्ट्रो टर्फ न होने के बाद भी राजनांदगांव के मृणाल चौबे भारतीय टीम से खेल रहे हैं। यह इस बात का सबूत है कि मन में विश्वास हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती है।

असली प्रतिभाएं गांवों में

इसके पहले खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि खेल की असली प्रतिभाएं गांवों में है। अब इन प्रतिभाओं को सामने लाने का जिम्मा आप सबका है। उन्होंने कहा कि आप सभी को एक सप्ताह में यहां से निखार कर भेजा जाएगा कि आपको गांवों में जाकर क्या करना है। खेल संचालक ने कहा कि पायका योजना तो अभी आई है लेकिन छत्तीसगढ़ की खेल नीति में पहले से ही ग्रामीण स्तर से खेलों के विकास की बात है।

स्वागत गीत ने मन मोहा

कार्यक्रम के प्रारंभ में जशपुर के डीके प्रधान द्वारा लिखित स्वागत गीत गाया गया। यह गीत श्री प्रधान ने खुद गाया और उनका साथ सभी क्रीड़ाश्री ने दिया। इस गीत में उन्होंंने स्वागत करते हुए कहा कि आप हमारे बीच पधारे हम धन्य हुए.. हम खिलाड़ी खेल जाने, खेल को अपना सब कुछ माने, खेल ही जीवन, खेल ही पूजा, खेल ही अपना धर्म है। श्री प्रधान के इस गीत के खेल मंत्री के साथ सभी का मन जीत लिया। उद्घाटन अवसर पर उपसंचालक ओपी शर्मा, राज्य खेल अधिकारी अजीत कुमार टोपो, वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे, संजय पाल, सुशांत पाल, सरिता कुजूर, निंगराज रेड्डी, सुधा कुमार सहित खेल विभाग के आधिकारी और १८ जिलों से आए २५० क्रीड़ाश्री उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में पायका की जानकारी वाले एक ब्रोशर का विमोचन किया गया।

देश के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी राजधानी में

प्रदेश की राजधानी रायपुर में २१ से २६ मार्च तक होने वाली राष्ट्रीय ओपन शतरंज स्पर्धा में देश के दिग्गज खिलाड़ी शिरकत करेंगे। इस स्पर्धा में प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी भाग लेंगे। स्पर्धा में पांच लाख का नकद इनाम दिया जाएगा। विजेता को एक लाख की इनामी राशि मिलेगी।
प्रदेश की राजधानी रायपुर में होने वाली राष्ट्रीय ओपन शतरंज स्पर्धा में खेलने के लिए देश के कई राज्यों के खिलाड़ी यहां पहुंच चुके हैं। स्पर्धा का उद्घाटन निरंजन धर्मशाला में २१ मार्च को शाम ६ बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल करेंगे। विशेष अतिथि खेल मंत्री लती उसेंडी, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे होंगे। काफी समय बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से राष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सहयोग से पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण शतरंज स्पर्धा का आयोजन किया चुका है। इस बार आयोजित स्पर्धा में पांच लाख की नकद राशि दी जाएगी। विजेता को एक लाख, उपविजेता को ५० हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को ३५ हजार की राशि दी जाएगी। कुल ३० वर्गों में ६५ पुरस्कार दिए जाएंगे। स्पर्धा में सौ अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग वाले खिलाडिय़ों सहित कुल ३०० खिलाड़ी भाग लेंगे। स्पर्धा अंतरराष्ट्रीय स्विस पद्धति से खेली जाएगाी। स्पर्धा में मुकाबले १० चक्रों तक होंगे।
चेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने शतरंज को एक बार फिर से आम आदमी से जोडऩे के लिए एक अलग तरह से योजना बनाई है। इसी योजना के तहत पहले दिल्ली में १५ लाख की एक इनामी ओपन राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन किया गया। इस स्पर्धा में छत्तीसगढ़ और मप्र के ८० खिलाड़ी खेले और ५ लाख से ज्यादा की इनामी राशि पर कब्जा जमाया। इस स्पर्धा के बाद अब रायपुर में पांच लाख की इनामी स्पर्धा का आयोजन २१ से २६ मार्च तक किया जा रहा है। इस स्पर्धा में खेलने के लिए प्रदेश के ही नहीं बल्कि पूरे देश के खिलाड़ी बेताब हैं। स्पर्धा में अब तक प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा खिलाडिय़ों ने प्रवेश ले लिया है। चेस फेडरेशन ने यहां की ओपन स्पर्धा में ग्रैंड मास्टर (जीएम) और अंतरराष्ट्रीय मास्टर (आईएम) को प्रवेश नहीं दिया है। यह स्पर्धा नए उभरते खिलाडिय़ों के साथ उन पुराने खिलाडिय़ों के लिए हैं जो जीएम और आईएम के रहने के कारण इनामों तक नहीं पहुंच पाते हैं। यही वजह है फेडरेशन ने एक अलग तरह की योजना बनाकर ऐसी ओपन स्पर्धाओं का पूरे देश में आयोजन करने का फैसला किया है।

शनिवार, 20 मार्च 2010

आस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण से नेटबॉल टीम निखरी

आस्टेलिया में २० दिनों के प्रशिक्षण से हमारी भारतीय नेटबॉल टीम निखरी है और टीम में बहुत बदलाव आया है। अब जरूर हमारी टीम कामनवेल्थ में अच्छा प्रदर्शन करेगी। वैसे टीम का जो पिछले दो साल से ज्यादा समय से देश में प्रशिक्षण शिविर चल रहा है उसका भी फायदा मिलेगा।

ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए भारतीय नेटबॉल टीम की कप्तानी रही और वर्तमान में भारत की संभावित टीम में शामिल रायपुर की प्रीति बंछोर ने कहीं। प्रीति भी भारत की २२ सदस्यीय टीम के साथ आस्ट्रेलिया के २० दिनों के दौरे पर गई थीं। वहां पर टीम ने कैनबरा के साथ सिडनी में जहां क्लबों से मैचों खेले वहीं वहां पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बारे में प्रीति बताती हैं कि वहां प्रशिक्षण लेने से पहले हमारी टीम बेसिक रूप से कई बातों से अंजान थी। हमारी टीम की खिलाडिय़ों को वहां पर जाकर मालूम हुआ कि खेल में तेजी लाने के लिए क्या करना चाहिए। इसी के साथ हम लोगों ने वहां जाकर सीथा बॉल को पीछे से नहीं आगे से लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि वहां पर प्रशिक्षण लेने के बाद हमारी टीम में बहुत बदलाव आया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि गांधी नगर में दो साल से प्रशिक्षण शिविर चल रहा था अब यह शिविर कामनवेल्थ के प्रारंभ होने से पहले तक दिल्ली में चलेगा। पूछने पर प्रीति ने कहां कि कामनवेल्थ में स्वर्ण पदक या फिर किसी भी बात के जीतने का दावा आसान नहीं है क्योंकि स्पर्धा में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमें भी रहेंगी। लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि हमारी टीम का प्रदर्शन निराशाजनकनहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि करीब तीन साल तक प्रशिक्षण दिए जाने का फायदा भी टीम को मिलेगा। उन्होंंने बताया कि वह परीक्षा देने छुट्टी लेकर आई हैं।

क्रीड़ाश्री को दिया जाएगा प्रशिक्षण

प्रदेश का खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश ने ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को राजधानी में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसकी तैयारी खेल विभाग कने पूरी कर ली है। राजधानी में होने वाला यह शिविर स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में होगा। पहले चरण में २५० क्रीड़ाश्री शामिल किए हैं। इनको एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएग।

केन्द्र सरकार की योजना पायका में देश के हर राज्य के सभी गांवों को खेलों से जोडऩे की पहल की गई है। इस योजना में हर राज्य से पहले चरण में १० प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पहले साल में इस योजना के लिए ९८२ गांवों का चयन किया गया है। पहले चरण में प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने राज्य के सभी जिलों के चिन्हित गांवों में क्रीड़ाश्री भी तय कर दिए हैं। अब इन क्रीड़ाश्री का काम क्या होगा, इनको गांवों में खेलों के विकास के लिए क्या करना है, इसके लिए इनको प्रशिक्षण देने की योजना खेल विभाग ने बनाई है। इस योजना के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हर गांवों में जो क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं, वे ऐसे लोग हैं जिनका जुड़ाव खेलों से है। इनमें से ज्यादातर गांवों के खेल शिक्षकों के साथ खेल संघों से जुड़े लोग या फिर नए या पुराने खिलाडिय़ों को क्रीड़ाश्री बनाया गया है। ऐसे लोगों का चयन इसलिए किया गया है ताकि ये खेलों के विकास में अहम भूमिका निभा सके। इसी के साथ एक बात यह भी है कि क्रीड़ाश्री का मानदेय बहुत कम है ऐसे में खेलों से जुड़े लोग ही खेलों के विकास में गंभीरता से साथ दे सकते हैं।

श्री सिंह ने बताया कि राजधानी में २० मार्च से होने वाले क्रीड़ाश्री के प्रशिक्षण शिविर की जो योजना है कि उसे चार चरणों में किया जाएगा। एक चरण में २५० के आस-पास क्रीड़ाश्री रखे जाएंगे। ९८२ क्रीड़ाश्री को चार हिस्सों में बांटकर इसको केन्द्र सरकार द्वारा क्रीड़ाश्री के लिए तय किए कामों के बारे में एक-एक सप्ताह तक जानकारी दी जाएगी। पहले चरण के लिए तय किए २५० क्रीड़ाश्री कल से राजधानी में आने लगेंगे। इनके रहने और खाने की पूरी व्यवस्था स्पोट्र्स काम्पलेक्स के साथ बूढ़ेश्वर मंदिर परिसर में की गई है। तैयारियों के आज अंतिम रूप दे दिया गया है। प्रशिक्षण शिविर में योग के साथ कई तरह के खेलों को भी शामिल किया गया है ताकि क्रीड़ाश्री को ज्यादा से ज्यादा खेलों के बारे में जानकारी हो सके।

शुक्रवार, 19 मार्च 2010

मशाल अब विमान से आएगी

कामनवेल्थ की मशाल यानी बैटन अब छत्तीसगढ़ की घरा पर उड़ीसा के रास्ते न आकर सीधे विमान से यहां ८ अगस्त को आएगी और तीन दिनों तक यहां रहने के लिए बाद यहां से ११ अगस्त को हैदराबाद के लिए रवाना होगी।

दिल्ली में इस साल होने वाले कामनवेल्थ खेलों की बैटन भारत भ्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ में पहले उड़ीसा के रास्ते ९ अगस्त को आने वाली थी। यहां पर एक दिन रहने के बाद इसको ११ अगस्त को जगदलपुर के रास्ते आन्ध्र प्रदेश जाना था। लेकिन अब बैटन का जहां मार्ग बदल दिया गया है, वहीं अब बैटन सड़क मार्ग से न आकर छत्तीसगढ़ में विमान से आएगी। इसके बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि पूर्व में बैटन को उड़ीसा से सरायपाली होते हुए आना था। लेकिन बाद में दिल्ली में हुई बैठक के बाद यह तय किया गया कि छत्तीसगढ़ में बैटन को उड़ीसा से विमान द्वारा भेजा जाएगा। अब यह बैटन भुवनेश्वर से ८ अगस्त को रायपुर पहुंचेगी। यहां पर ८ और ९ अगस्त को रहेगी। इन दो दिनों में बैटन को राजधानी का भ्रमण करवा जाएगा। बैटन लेकर दौडऩे वाले खिलाडिय़ों का चयन करने में भी खेल विभाग लगा है। बैटन लेकर दौडऩे वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय होंगे। इसी के साथ कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करने की योजना है।

भिलाई-राजनांदगांव भी जाएगी बैटन

पूर्व में जब बैटन को सड़क मार्ग से आना था तो ऐसे में भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव को इस बैटन से वंचित होना पड़ा था। लेकिन अब चूंकि बैटन को विमान से लाया जा रहा है तो ८ और ९ अगस्त को रायपुर में रहने के बाद इसे १० अगस्त को भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव भेजा जाएगा। राजनांदगांव से बैटन भिलाई आएगी और वहां पर रात्रि में कार्यक्रम होंगे। ११ अगस्त को बैटन भिलाई से सीधे माना विमानतल जाएगी जहां से उसे हैदराबाद के लिए रवाना किया जाएगा। बैटन रिले के संबंध में रायपुर में जिलाधीश द्वारा १९ मार्च को एक बैठक भी रखी गई है।

गुरुवार, 18 मार्च 2010

ओपन राष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा राजधानी में २१ से

प्रदेश की राजधानी रायपुर में २१ से २६ मार्च तक होने वाली राष्ट्रीय ओपन शतरंज स्पर्धा से प्रदेश के खिलाडिय़ों को बहुत फायदा होगा। इसके पहले दिल्ली में हुई १५ लाख की इनामी स्पर्धा में छत्तीसगढ़ और मप्र के खिलाडिय़ों ने मिलकर पांच लाख से ज्यादा का इनाम जीता है। यहां की स्पर्धा में प्रदेश के ५० खिलाडिय़ों के खेलने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में लंबे समय बाद होने वाली स्पर्धा में खेलने आने के लिए देश भर के खिलाड़ी बेताब हैं।

चेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने शतरंज को एक बार फिर से आम आदमी से जोडऩे के लिए एक अलग तरह से योजना बनाई है। इसी योजना के तहत पहले दिल्ली में १५ लाख की एक इनामी ओपन राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन किया गया। इस स्पर्धा में छत्तीसगढ़ और मप्र के ८० खिलाड़ी खेले और ५ लाख से ज्यादा की इनामी राशि पर कब्जा जमाया। इस स्पर्धा के बाद अब रायपुर में पांच लाख की इनामी स्पर्धा का आयोजन २१ से २६ मार्च तक किया जा रहा है। इस स्पर्धा में खेलने के लिए प्रदेश के ही नहीं बल्कि पूरे देश के खिलाड़ी बेताब हैं। स्पर्धा में अब तक प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा खिलाडिय़ों ने प्रवेश ले लिया है। छत्तीसगढ़ के करीब ५० खिलाडिय़ों के स्पर्धा में खेलने की संभावना जताई जा रही है। इसी के साथ यह भी उम्मीद है कि इस स्पर्धा में भी प्रदेश के खिलाड़ी जोरदार प्रदर्शन करेंगे।

जीएम-आईएम के न होने का फायदा मिलेगा

चेस फेडरेशन ने यहां की ओपन स्पर्धा में ग्रैंड मास्टर (जीएम) और अंतरराष्ट्रीय मास्टर (आईएम) को प्रवेश नहीं दिया है। यह स्पर्धा नए उभरते खिलाडिय़ों के साथ उन पुराने खिलाडिय़ों के लिए हैं जो जीएम और आईएम के रहने के कारण इनामों तक नहीं पहुंच पाते हैं। यही वजह है फेडरेशन ने एक अलग तरह की योजना बनाकर ऐसी ओपन स्पर्धाओं का पूरे देश में आयोजन करने का फैसला किया है।

रायपुर की अलग साख है

आयोजन के मामले में रायपुर की अपनी एक अलग साख है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां पर पहली बार २००१ में सब जूनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में जो कमाल हुआ उसने छत्तीसगढ़ को एक सफल मेजबान के रूप में स्थापित कर दिया। इसी आयोजन में बाहर से आए खिलाडिय़ों के साथ उनके परिजनों ने रायपुर को एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन देने की सिफारिश की थी। यही वजह रही कि इसके बाद रायपुर में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुख्यमंत्री ट्रॉफी जीएम चैंपियनशिप हुई। इस चैंपियनशिप में कई देशों के ग्रैंड मास्टर खेलने आए। इस स्पर्धा के बाद छत्तीसगढ़ का नाम पूरे विश्व में हुआ। यहां पर एक राष्ट्रीय स्पर्धा भी हुई। रायपुर में कुल चार बड़े आयोजन हुए। २००४ के बाद यहां पर आयोजन नहीं हो सका और अब लंबे अंतराल के बाद फिर से राष्ट्रीय स्पर्धा का आयोजन होने जा रहा है। ऐसे में देश भर के शतरंज खिलाड़ी एक बार फिर से छत्तीसगढ़ आने को बेताब हैं। इस बार स्पर्धा में १०० अंतरराष्ट्रीय रेटिंग वाले खिलाड़ी आएंगे। स्पर्धा करीब ४०० खिलाडिय़ों के आने की संभावना है। स्पर्धा में कुछ फीडे मास्टर जरूर खेलेंगे।

राजतंत्र में आज देखें-भक्त से श्रापित चंडिका देव की पीठ की होती है पूजा

बुधवार, 17 मार्च 2010

नौकरी कब मिलेगी?

प्रदेश के ७० खिलाडिय़ों को नौकरी का पात्र मानते हुए सरकार ने उत्कृष्ट खिलाड़ी तो घोषित कर दिए हंै, पर किसी भी खिलाड़ी को अब तक नौकरी नहीं दी गई है। हर खिलाड़ी बस एक ही सवाल कर रहा है कि आखिर उनको नौकरी कब मिलेगी। उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का मामला अब विधानसभा में भी गूंजने वाला है।
प्रदेश के खिलाडिय़ों को लंबे इंतजार के बाद अंतत: पिछले साल १६ नवंबर को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र दे कर उनको नौकरी का पात्र घोषित कर दिया गया है। खिलाडिय़ों को खेल विभाग ने एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रमाणपत्र दिलवाए थे। प्रमाणपत्र पाकर खिलाडिय़ों के चेहरे खिल उठे थे कि चलो अब उनकी बेरोजगारी के दिन दूर हो गए हैं। लेकिन उनका भ्रम बहुत जल्दी ही टूट गया। आज करीब चार माह बाद भी किसी खिलाड़ी को नौकरी नहीं मिल पाई है। खिलाडिय़ों का एक स्वर में कहना है कि आखिर हमें कब नौकरी दी जाएगी। इनका कहना है कि उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने के बाद सरकार को तत्काल नौकरी देने की दिशा में काम करना था।
इधर जानकार कहते हैं कि खेल विभाग तो इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन नौकरी देने का काम सामान्य प्रशासन विभाग के हाथों में है ऐसे में खेल विभाग की दाल नहीं गल रही है। खेल विभाग में भी रोज उत्कृष्ट खिलाड़ी फोन करके वहां के अधिकारियों से सवाल करते हैं कि सर हमें नौकरी कब मिलेगी? कब होंगे हमारे बेरोजगारी के दिन दूर। खेल विभाग के अधिकारी भी इस बात से परेशान हैं कि आखिर वे करें तो क्या करें। उनके हाथ में बस इतना है कि वे खिलाडिय़ों की व्यथा को सामान्य प्रशासन विभाग तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
खेल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को नौकरी देने के नियमों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इसके पूर्ण होने पर ही बात आगे बढ़ेगी। खिलाडिय़ों को कब तक नौकरी मिलेगी, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

विधानसभा में भी लगा है सवाल

उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने अपने व्यथा से अपने-अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवाया है। ऐसे में विधानसभा में भी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की नौकरी का मामला गूंजने वाला है। एक प्रश्न वहां लगाया गया है जिसका जवाब तैयार करने का काम खेल विभाग में किया जा रहा है।

नए आवदेन भी मंगवाए गए हैं

एक तरफ जहां प्रदेश के जिन ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया है, वे नौकरी की राह देख रहे हैं तो दूसरी तरफ खेल विभाग ने २००९-१० के लिए खिलाडिय़ों से आवेदन मंगवाएं हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि को अब ३१ मार्च तक बढ़ा भी दिया गया है। यहां पर खेलों से जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पहले चरण के खिलाडिय़ों को ही नौकरी नहीं दी गई है तो फिर दूसरे चरण के लिए आवेदन मंगाने का क्या मतलब है।

मंगलवार, 16 मार्च 2010

एस्ट्रो टर्फ पहले लगेगा

साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले हॉकी के एस्ट्रो टर्फ की योजना खिलाड़ियों की मंशा के अनुरूप बनी है। यहां पर पहले स्टेडियम नहीं बाऊंड्री बनाने के बाद एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा ताकि खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल सके। यह फैसला खेल विभाग ने जशपुर के स्टेडियम का हश्र देखकर किया है। साइंस कॉलेज में बाऊंड्री बनाने का काम जल्द ही लोक निर्माण विभाग प्रारंभ कर देगा। संभवत: साइंस कॉलेज के मैदान में ही राज्य का पहला एस्ट्रो टर्फ लगेगा।
राजधानी रायपुर में पहला एस्ट्रो टर्फ लगाने का काम जल्द ही साइंस कॉलेज में प्रारंभ होने वाला है। इसकी पूरी योजना बना ली गई है। अब गेंद पूरी तरह से लोक निर्माण विभाग के पाले में है। लेकिन इसके बाद भी यहां पर काम जल्द प्रारंभ हो सके इसके लिए खेल संचालक जीपी सिंह निरंतर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के संपर्क में हैं। साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ के बारे में राजधानी के हॉकी खिलाड़ियों का यही मानना है कि यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अगर पहले स्टेडियम निर्माण करने की तरफ ध्यान दिया जाएगा, तो इस मैदान का भी हाल वही होगा जो जशपुर के मैदान का हुआ है। यहां यह बताना लीजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद सबसे पहले जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की थी। लेकिन आज तक वहां पर एस्ट्रो टर्फ नहीं लग पाया। वहां पर सबसे पहले स्टेडियम बनाने का काम किया गया, अब तक स्टेडियम ही पूरा नहीं हो पाया है।
ऐसे में खिलाड़ियों का ऐसा मानना है कि अगर रायपुर में भी स्टेडियम बनाने की योजना बनाई गई तो एस्ट्रो टर्फ खिलाड़ियों को बरसों नसीब नहीं हो पाएगा। खिलाड़ियों की इस भावना से खेल विभाग भी परिचित है और उसने इसीलिए सबसे पहले स्टेडियम के स्थान पर बाऊंड्री बनाकर एस्ट्रो टर्फ लगाने की योजना बनाई है। इसी योजना के तहत ही लोक निर्माण विभाग काम करेगा। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जितने क्षेत्र में मैदान बनाना है, उतने क्षेत्र के हिस्से को घेरकर बाऊंड्री बनाई जाएगी और फिर एस्ट्रो टर्फ लगा दिया जाएगा। एस्ट्रो टर्फ पर करीब चार करोड़ का खर्च आना है।
साइंस कॉलेज के मैदान में जो एस्ट्रो टर्फ लगेगा वह कोटा स्टेडियम में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ की योजना वाले बजट से बनेगा। कोटा के लिए 26 करोड़ की योजना बनाई गई थी लेकिन वित्त विभाग से 10 करोड़ 62 लाख ही मंजूर हुए थे। अब इसी राशि से साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगेगा और बाऊंड्री बनाई जाएगी, राशि बचने पर पैवेलियन बनाने का काम होगा।

9 जिलों की मिली बाइक

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने 9 जिलों के जिला खेल ेकार्यालय के लिए 10 मोटर सायकलें दे दी हैं। अब इन बाइक के मिलने के बाद पायका के काम में तेजी आएगी ऐसा माना जा रहा है।
प्रदेश के सभी जिला कार्यालयों को विभाग ने एक-एक बाइक देने की योजना बनाई थी। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। शासन से मंजूरी मिलने के बाद विभाग ने 10 मोटर सायकलें खरीदी हैं। अब इनको 9 जिलों में दिया गया है। रायपुर जिले के साथ एक बाइक खेल संचालनालय के लिए रखी गई है ऐसे में रायपुर जिले को दो बाइक मिली है। एक बाइक खेल संचालनालय के लेखा विभाग को एक बाइक जिला खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे को दी गई है। इसके अलावा दुर्ग के ए. एक्का, बिलासपुर के भी ए. एक्का, कांकेर की प्रतिमा सागर, सरगुजा के देनवाथ एक्का, जशपुर के पीके प्रधान, जांजगीर चांपा के एसएन बघेल, दंतेवाड़ा के रविन्द्र झा, जगदलपुर के अशोक राय को बाइक दी गई है। सभी जिलों को बाइक देने से पहले सभी जिला खेल अधिकारियों के डाइविंग लायसेंस की फोटो कापी मंगाई गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बाइक चलाने के पात्र हैं।
जिन जिलों को बाइक मिली है, उनके बारे में अब ऐेसा माना जा रहा है कि वहां पर पायका के काम में तेजी आएगी। पायका के लिए जानकारी जुटाने सभी जिला खेल कार्यालयों को किसी तरह के वाहन के अभाव में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। अब वाहन मिलने से दूर-दूर गांवों में जाकर पायका के लिए जानकारी जुटाने में परेशानी नहीं होगी।

बॉडी बिल्डिंग गांवों की और

बॉडी बिल्डिंग को अब गांवों में लोकप्रिय करने के लिए प्रदेश संघ ने आयोजन ग्रामीण क्षेत्र में करवाने की योजना पर काम करना प्रारंभ किया है। इस कड़ी में पहली बार बागबाहरा में राज्य स्पर्धा का आयोजन किया गया। वहां पर स्पर्धा को बहुत ज्यादा पसंद किया गया। स्पर्धा में पहली बार महासमुन्द के एक दर्जन खिलाड़ियों से हिस्सा लिया और कुछ खिलाड़ियों ने पदक भी जीते।
प्रदेश संघ के संजय शर्मा ने बताया कि यह पहला ही मौका था जब राज्य स्पर्धा का आयोजन बागबाहरा में किया गया था। वहां पर स्पर्धा का प्रारंभ तीन बजे होना था, लेकिन मैदान में काफी पहले से ही दर्शक आ गए थे। उन्होंने बताया कि वहां पर उम्मीद से ज्यादा सफतला मिली है। श्री शर्मा ने बताया कि अब तो गांव-गांव में जिम हो गए हैं। ऐसे में हमारे संघ ने फैसला किया कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी स्पर्धाओं का आयोजन होगा तो खिलाड़ी इसकी तरफ आकर्षित होंगे। उन्हांने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ कि महासमुन्द जिले के एक दर्जन खिलाड़ियों ने स्पर्धा में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि कुछ खिलाड़ियों ने पदक जीतने में भी सफलता प्राप्त की। उन्होंने बताया कि बागबाहरा में ही तीन जिम हैं। इसी के साथ पिथौरा में भी जिम है।अ ब तो खेल विभाग भी पायका योजना के तहत गांव-गांव में जिम लगाने जा रहा है, ऐसे में यह बात तय है कि अब गांवों से भी बॉडी बिल्डिंग के अच्छे खिलाड़ी जरूर निकलेंगे।

सोमवार, 15 मार्च 2010

पायका में होगा छत्तीसगढ़ नंबर वन



पंचायत युवा क्रीड़ा खेल अभियान यानी पायका में भी छत्तीसगढ़ नंबर वन होगा इस बात के संकेत यहां पर राजधानी रायपुर में जिले के क्रीड़ाश्री की कार्यशाला में सभी ने दिए हैं। खेल संचालक जीपी सिंह, उपसंचालक ओपी शर्मा, जिले के खेल प्रभारी पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे के साथ रायपुर के सभी क्रीड़ाश्री ने जहां रायपुर को नंबर बनाने का संकल्प लिया है, वहीं छत्तीसगढ़ को भी पायका में नंबर बन बनाने की बात कही है।

केन्द्र सरकार की पायका योजना को लागू करने में वास्तव में छत्तीसगढ़ इस समय नंबर वन पर चल रहा है। इसी के साथ रायपुर जिला देश का ऐसा पहला जिला भी बन गया है जिसने पहले चरण के सभी क्रीड़ाश्री को एक स्थान पर एकत्रित करने का काम किया है। पहले चरण के १२३ गांवों में क्रीड़ाश्री बनाकर वहां पर पायका के सेंटर भी बना दिए गए हैं। इन सभी सेंटरों के लिए आज सभी को सामान भी दिए गए। ये सामान अतिथियों ने दिए।

देश के लिए कुछ करने के जज्बे से काम करें

पायका की पहली बैठक में खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि क्रीड़ाश्री को केन्द्र सरकार द्वारा दिए जाने वाला ५०० रुपए का मानदेय बहुत कम है। हमने केन्द्र सरकार के खेल मंत्रालय के साथ हुई बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। हमारे साथ और कई राज्यों ने यह मुद्दा उठाया है। हमने मानदेय दो हजार करने की मांग रखी थी, हम जानते हैं कि यह इतना हो पाना तो संभव नहीं है, पर एक हजार होने की जरूर संभावना है। उन्होंने कहा कि मानदेय को अगर छोड़ दिया जाए तो आपको गांवों में जो प्रतिष्ठा मिलेगी उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता है। इसी के साथ देश प्रेम के जज्बे के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आप में से ज्यादातर लोग खेलों से जुड़े हैं और खिलाडिय़ों का काम ही होता है देश की सेवा करने का।

खेल का माहौल बनाना मकसद है

खेल संचालक ने कहा कि पायका का मकसद गांवों में खेलों का माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि आपको यह जानकर खुशी होगी कि केन्द्र सरकार की पायका योजना से काफी पहले राज्य की खेलनीति में खेलों का विकास ग्रामीण स्तर से करने की बात है। छत्तीसगढ़ की खेल नीति को देखकर केन्द्र सरकार ने योजना बनाई है कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

शहरी खिलाडिय़ों को न रखें

खेल संचालक ने क्रीड़ाश्री को साफ शब्दों में कहा कि सभी को इस बात का बहुत ज्यादा ध्यान रखना है पायका योजना शुद्ध रूप से गांव के खिलाडिय़ों के लिए है। ऐसे में यह जरूरी है कि आप लोग इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि किसी भी स्पर्धा में शहरी खिलाड़ी फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे न खेल पाएं। इसी के साथ ओवरएज की भी शिकायतें बहुत आती हैं, इस पर भी गंभीरता से ध्यान देना है। गांव स्तर पर तो हर वर्ग के खिलाडिय़ों को खेलने की पात्रता है, लेकिन इसके बाद ब्लाक स्तर पर १८ साल से ज्यादा उम्र के खिलाडिय़ों का खेलना प्रतिबंधित है।

क्रीड़ाश्री बनेंगे पुलिस मित्र

जिले के खेल प्रभारी पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने कहा कि उनकी योजना अब हर गांव के क्रीड़ाश्री को पुलिस मित्र बनाने की है, ताकि आप लोग किसी भी बड़ी घटना को रोकने में पुलिस के मददगार साबित हो सके। उन्होंने कहा कि पायका योजना में हमारा जिले देश में नंबर होगा वह इस बात से ही साबित होता है कि देश में सबसे पहले रायपुर जिले में ही
क्रीड़ाश्री की नियुक्ति की गई है।

असली प्रतिभाएं गांवों में हैं

उपसंचालक और पायका के राज्य तकनीकी संचालक ओपी शर्मा ने कहा कि इसमें दो कोई दो मत नहीं है कि खेल की असली प्रतिभाएं गांवों में रहती हैं। शहरों में खिलाड़ी हैं, उनके पास सुविधाएं भी ज्यादा हैं, लेकिन इनके पास खेलने के लिए समय नहीं है। उन्होंने कहा कि आपको अब गांवों की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का मौका मिला है तो इस मौके का फायदा उठाए और अपने गांव का नाम खेल जगत में दर्ज करवाने आगे आएं।

पायका ने दिलाई आस्टे्रलिया की याद

एनआईएस कोच गजेन्द्र पांडे ने कहा कि भारत सरकार की पायका योजना ने उनको आस्ट्रेलिया की याद दिला दी। उन्होंने बताया कि २००३ में पटियाला में जब भारत और आस्टेलिया के खिलाडिय़ों की एक कार्यशाला हुई थी तो वहां पर आस्ट्रेलिया के खेल मंत्री आए थे, उन्होंने बताया था कि उनके मंत्रालय द्वारा हर गांव में एक-एक आदमी को नियुक्ति किया गया है जो खेल प्रतिभाओं को पहचान कर आगे भेजने का काम करते हैं। इन आदमियों को कोई पैसा नहीं दिया जाता है, ये सब देश सेवा के भाव से ऐसा काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आज आस्ट्रेलिया खेलों में कहां है बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनको यह बात इसलिए भी याद आ गई क्योंकि आस्ट्र्रेलिया ने विश्व कप हॉकी का खिताब जीता है।

गांवों में मैदानों की कमी

कार्यशाला में आए १२३ क्रीड़ाश्री में से ज्यादातर एक स्वर में कहा कि गांवो में खेल मैदानों की कमी है। इन्होंने यह भी बताया कई गांवों में पंचायत भवन और स्कूलों में कमरों की कमी है ऐसे में वहां पर जिम लगाने में परेशानी हो सकती है। एक क्रीड़ाश्री ने सुङााव दिया कि गांवों में भी शहरों की तरह ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएं क्योंकि गांवों में लोग कबड्डी और खो-खो के अलावा दूसरे खेलों से अंजान है। कार्यशाला में जो क्रीड़ाश्री शामिल हुए उनमें ज्यादातर शिक्षा कर्मी, बीपीएड और एमपीएड के पूर्व विद्यार्थी, हैंडमास्टर, सरपंच भी शामिल हैं। कार्यशाला में वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि सभी क्रीड़ाश्री को पायका सेंटर चलाने के लिए १४ तरह के सामान दिए जा रहे हैं।

रविवार, 14 मार्च 2010

रायपुर में १२३ पायका सेंटर

भारत सरकार की पंचायत एवं युवा क्रीड़ा अभियान योजना में रायपुर जिले में पायका के १२३ सेंटर खोले गए हैं। अब इन सेंटरों को चलाने वाले क्रीड़ाश्री को मार्गदर्शन देने के साथ इनको सेंटर के लिए सामान देने राजधानी में एक कार्यशाला का आयोजन १४ मार्च को किया गया है।

यह जानकारी देते हुए राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने बताया कि पायका योजना के पहले चरण में रायपुर जिले के १२३ गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों में खेल विभाग के निर्देश पर क्रीड़ाश्री भी बना दिए गए हैं। सभी क्रीड़ाश्री फरवरी से ही अपने-अपने गांवों में काम करने लगे हैं। गांवों में खेलों के विकास के लिए पायका सेंटर भी बनाया गया है। जिन गांवों को पहले चरण के लिए चुना गया है, वहां पर पायका सेंटर प्रारंभ कर दिया गया है। लेकिन इस सेंटर को संचालित करने के लिए क्रीड़ाश्री को स्टेशनरी देने का काम कल यहां पर किया जाएगा। सभी सेंटरों के लिए १४ सामान देने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि संभवत: रायपुर जिला अपने राज्य का ही नहीं बल्कि देश का ऐसा पहला जिला होगा जहां पर पायका को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए एक अलग तरह की योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हम सभी क्रीड़ाश्री को एक-एक पंजीयन रजिस्टर के साथ खिलाडिय़ों के पंजीयन के लिए २००-२०० फार्म दे रहे हैं। इसी के साथ सभी को वो सारा सामान दिया जा रहा है जिसकी जरूरत पडऩी है। सभी क्रीड़ाश्री को पहचान पत्र भी जारी किए जा रहे हैं। इनको मानदेय भी दिया जाएगा।

खिलाडिय़ों का पंजीयन होगा

श्री डेकाटे ने बताया कि खेल विभाग की खिलाडिय़ों के आनलाइन पंजीयन की शुरुआत होने से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन करने का काम क्रीड़ाश्री को दिया गया है। हर गांव में स्पर्धाओं से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन होगा, पंजीयन में खिलाडिय़ों की पूरी जानकारी के साथ उनका फोटो भी लगेगा। पंजीकृत खिलाडिय़ों की जानकारी एक रजिस्टर में दर्ज की जाएगी ताकि स्थाई जानकारी रखी जा सके। गांवों के बाद खिलाड़ी जब ब्लाक स्तर पर खेलेंगे तो पंजीयन फार्म पहले ब्लाक फिर जिला और फिर राज्य स्तर तक आएगा। पंजीयन होने से कई तरह की गड़बडिय़ों पर अंकुश लग सकेगा। एक बार खिलाड़ी पंजीकृत होने के बाद अपनी जानकारी बदल नहीं पाएगा।

पुलिस अधीक्षक देंगे मार्गदर्शन

रायपुर जिले के १२३ क्रीड़ाश्री १४ मार्च को सुबह ११।३० बजे नेताजी स्टेडियम में जुटेंगे। इन सभी को रायपुर जिले के खेल प्रभारी होने के नाते पुलिस अधीक्षक अमित कुमार पायका के बारे में मार्गदर्शन देंगे कि क्रीड़ाश्री को किस तरह से काम करना है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इधर खेल विभाग ने भी प्रदेश के सभी ९८२ क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण देने के लिए राजधानी में २० मार्च से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है। इस शिविर में एक-एक सप्ताह तक २५०-२५० क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

एनवायके चाहता है पायका में भागीदारी

प्रदेश में चल रही केन्द्र सरकार की पायका योजना में नेहरू युवा केन्द्र भी भागीदारी चाहता है। इस भागीदारी के लिए एनवायके द्वारा केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल को प्रस्ताव भी दिया जा चुका है।
यह जानकारी देते नेहरू युवा केन्द्र के उपसंचालक उपेन्द ठाकुर ने बताया कि जब यहां पर श्री पाटिल ने हमारे केन्द्र के अधिकारियों की बैठक ली थी तो उनके सामने हमने यह प्रस्ताव रखा था कि पायका से हमारे केन्द्र से जुड़े लोगों को भी जोड़ा जाए, वैसे भी खेल विभाग के साथ गांव-गांव में जो क्रीड़ाश्री जुड़ रहे हैं वे हमारे केन्द्र से जुड़े युवा ही हैं। ऐसे में खेल विभाग के साथ पायका योजना में हमारे केन्द्र को भी भागीदारी दी जाए।
श्री ठाकुर ने बताया कि वैसे भी केन्द्र सरकार नेहरू युवा केन्द्र को मजबूत करने की दिशा में गंभीर है। केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल का छत्तीसगढ़ दौरा भी इसी वजह से हुआ था। उन्होंने बताया कि श्री पाटिल से मिले निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ में सभी १८ जिलों केन्द्र के विस्तार का काम किया जा रहा है। इस समय राज्य में ८ जिलों में ही नेहरू युवा केन्द्र का संचालन हो रहा है। बाकी जिलों की जिम्मेदारी भी ८ जिलों के आधिकारियों को देकर नेहरू युवा केन्द्र का विकास किया जाएगा।

शनिवार, 13 मार्च 2010

खिलाडिय़ों के साथ खिलवाड़

खेल विभाग ने पात्र कराते खिलाडिय़ों को किया खेलवृत्ति से वंचित


प्रदेश के ८० से ज्यादा कराते खिलाडिय़ों के साथ खिलवाड़ करते हुए खेल विभाग ने इन पात्र खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित कर दिया है। खेल विभाग ने अपने विभाग के आयोजन में ही पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति का पात्र नहीं माना है। इसके पीछे का कारण कराते संघ का विवाद बताया जा रहा है, लेकिन जिस राज्य कराते स्पर्धा में पदक जीतने के आधार पर खिलाडिय़ों ने खेलवृत्ति के लिए आवेदन किया था, उस समय कराते संघ खेल विभाग से मान्यता प्राप्त था, इसके बाद भी खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने से कराते संघ के साथ खिलाड़ी खफा हैं, और कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल के साथ अजय साहू ने साफ कहा है कि खिलाडिय़ों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा और इस मामले की लिखित शिकायत मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी से की जाएगी।

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश के खिलाडिय़ों को दी जाने वाली खेलवृत्ति से कराते खिलाडिय़ों को वंचित कर दिया गया है। इसका कारण जानने का जब प्रयास किया गया तो इसका कोई स्पष्ट कारण खेल विभाग के अधिकारी नहीं बता पाएं और सभी गोल-मोल जवाब दे रहे हैं। खेल विभाग ने २००८-०९ के लिए जब खेलवृत्ति देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, तो प्रदेश के करीब ८० से ज्यादा कराते खिलाडिय़ों ने आवेदन किए थे। ये आवेदन खेल विभाग द्वारा जून २००८ में राजनांदगांव में करवाई गई राज्य स्पर्धा के आधार पर किए गए थे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग हर मान्यता प्राप्त खेल की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धा का आयोजन अपने बजट से करता है। इस आयोजन में खेल संघों को साथ रखा जाता है। राजनांदगांव के आयोजन में उस समय के मान्यता प्राप्त प्रदेश कराते संघ को रखा गया था। इस कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल और सचिव अजय साहू हैं।

खेल विभाग के इस अधिकृत आयोजन में २८ वर्गों में मुकाबले हुए थे। इन वर्गों में ८४ खिलाडिय़ों ने पदक जीते थे। इस आयोजन में प्रदेश के ४०० से ज्यादा खिलाडिय़ों ने भाग लिया था राज्य स्तर पर पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ी खेलवृत्ति के पात्र होते हैं, ऐसे में कराते के सभी खिलाडिय़ों ने खेलवृत्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन खेलवृत्ति की जारी सूची में कराते खिलाडिय़ों को शामिल नहीं किया गया है।

अधिकारियों के पास जवाब ही नहीं


कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने का खेल विभाग के अधिकारियों के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। अधिकारी कहते हैं कि कराते संघ को मान्यता नहीं थी इसलिए खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति नहीं दी जा रही है। अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि जब कराते संघ मान्यता प्राप्त नहीं था तो उसके साथ मिलकर खेल विभाग ने आयोजन कैसे किया। इधर कराते संघ के सचिव अजय साहू साफ कहते हैं कि हमारे संघ को २००८ में मान्यता थी इसीलिए हमारे साथ खेल विभाग ने मिलकर आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कराते महासंघ में २००९ में विवाद होने के बाद हमारे संघ की मान्यता समाप्त हुई है।

खिलाडिय़ों के साथ अन्याय है

प्रदेश कराते संघ के अजय साहू कहते हैं कि यह तो खेल विभाग की मनमर्जी है जिसके कारण खिलाडिय़ों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि जिस स्पर्धा में प्रमाणपत्र खेल विभाग द्वारा दिए गए हैं और जिन प्रमाणपत्रों में खेल विभाग का नाम लिखा है उन्हीं प्रमाणपत्रों को अगर विभाग खेलवृत्ति के लिए पात्र नहीं मानता है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी खेल विभाग को इस बात से मतलब होना चाहिए कि खिलाडिय़ों के पास अधिकृत स्पर्धा के प्रमाणपत्र हैं या नहीं। संघों का क्या है आज संघ इसके पास रहता है कल उसके पास। खिलाडिय़ों का इसमेें क्या कसूर है। खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करना सरासर गलत है।

मुख्यमंत्री-खेलमंत्री से करेंगे शिकायत

प्रदेश कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह तो सरासर खिलाडिय़ों के साथ खेल विभाग का अन्याय है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर खिलाडिय़ों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेल विभाग का यह कहना गलत है कि मान्यता न होने के कारण खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे संघ को मान्यता नहीं थी तो हमारे साथ खेल विभाग ने मिलकर आयोजन क्यों किया था। उन्होंने कहा कि इस सारे मामले की मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेलमंत्री लता उसेंडी से भी शिकायत की जाएगाी।

हमारा क्या कसूर

खेलवृत्ति से वंचित किए गए राजधानी के आधा दर्जन खिलाडिय़ों के साथ प्रदेश के सभी खिलाडिय़ों का एक ही सवाल है कि आखिर इसमें हमारा क्या कसूर है। अगर कराते संघ में कोई विवाद है तो खिलाड़ी क्या कर सकते हैं। खिलाडिय़ों का कहना है कि जब खेल विभाग के आयोजन में मिले प्रमाणपत्र को ही विभाग पात्र नहीं मानता है तो हम क्या कर सकते हैं।

मामले की जांच करेंगे: संचालक

इस सारे मामले के बारे में जानने के बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि कराते खिलाडिय़ों को किस कारण से वंचित किया गया है इसकी वे जांच करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर खिलाड़ी वास्तव में पात्र हैं तो उनको खेलवृत्ति जरूर दी जाएगी।

राष्ट्रीय शतरंज की तैयारी जोरों पर

प्रदेश की राजधानी रायपुर में २१ मार्च से होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा की तैयारी जोरों पर हैं। स्पर्धा के सफल आयोजन के लिए आज एक बैठक में समितियों का गठन किया गया।
यह जानकारी देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह होरा ने बताया कि रायपुर में लंबे समय बाद पांच लाख की इनामी राशि वाली शतरंज स्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है। इस स्पर्धा में देश के ३०० दिग्गज खिलाड़ी खेलने आएंगे। उन्होंने बताया कि आयोजन को सफल बनाने के लिए एक बैठक का आयोजन आज शाम को किया गया। बैठक में सबसे पहले मुख्य संरक्षक के रूप में शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पंचायत मंत्री रामविचार नेताम, खेल मंत्री लता उसेंडी की स्वीकृति मिलने की जानकारी दी गई। इसके बाद आयोजन समिति का गठन किया गया। इसमें उपाध्यक्ष विजय अग्रवाल, धरमपाल कलश, रवि वासवानी, अनूप अग्रवाल, आकाश विग, मुख्य कन्वेनर वीके राठी, आयोजन सचिव विष्णु श्रीवास्तव, सह सचिव कैप्टन डीएस मिश्रा, मनोज गंगवानी, मोहन मंधान, रूपेन्द्र चौहान, डॉ. प्रमोद मैने के साथ कायकारिणी में सुरेन्द्र दुबे, आलोक दुबे, प्रियतोष शर्मा, अमिताभ शुक्ला, सलील चांडक, संदीप गोविलकर, संदीप खंडेलवाल, विनय बैसवाड़े, रश्मि शर्मा, आरबी सिंह, अभिषेक शर्मा और संजयय शुक्ला को रखा गया है। पंजीयन समिति के संचालक विनोद राठी होंगे।

एस्ट्रो टर्फ लगाने की कवायद शुरू

राजधानी के हॉकी खिलाडिय़ों को एस्ट्रो टर्फ की सुविधा दिलाने की कवायद खेल विभाग ने तेजी से प्रारंभ कर दी है। विभाग की पहल पर जल्द ही अब लोक निर्माण विभाग साइंस कॉलेज में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ के लिए टेंडर बुलाने वाला है।
साइंस कॉलेज के मैदान में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से अनुमति लेकर एस्ट्रो टर्फ लगाने की तैयारी खेल विभाग कर रहा है। पूर्व में मुख्यमंत्री को घोषणा के अनुरूप कोटा स्टेडियम के साथ नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाना था, लेकिन दोनों स्थानों पर परेशानी होने के कारण एक नई योजना बनाकर एस्ट्रो टर्फ साइंस कॉलेज में लगाने की मंजूरी मुख्यमंत्री से ली गई है। इस मंजूरी के बाद खेल विभाग की पहल पर लोक निर्माण विभाग ने साइंस कॉलेज में उस स्थान का निरीक्षण कर लिया है जहां पर एस्ट्रो टर्फ लगना है। अब लोक निर्माण विभाग से इसकी पूरी योजना बनाकर टेंडर बुलाने की तैयारी कर ली है।
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हमारे विभाग ने अपना काम कर दिया है और लोकनिर्माण विभाग द्वारा जल्द टेंडर आमंत्रित करके पहले स्टेडियम बनाए जाएगा इसके बाद एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा।

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

सुप्रिया-निकिता भारतीय टीम में

एशियन फुटबॉल कप में खेलने जाने वाली सब जूनियर भारतीय फुटबॉल टीम में पहली बार छत्तीसगढ़ की दो खिलाड़ियों सुप्रिया कुकरेती और निकिता पन्ना का चयन किया गया है। दोनों खिलाड़ी रायपुर की हैं। दोनों के चयन से जिला फुटबॉल संघ बहुत खुश है क्योंकि इसके पहले मप्र के रहते भी किसी खिलाड़ी का भारतीय टीम में चयन नहीं हुआ था। दोनों खिलाड़ियों ने भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले कहा भी था कि टीम में स्थान पाना उनका मकसद होगा और दोनों अपने मकसद में कामयाब भी हो गईं।
जिला फुटबॉल संघ के मुश्ताक अली प्रधान के साथ दिवाकर थिटे ने बताया कि श्रीलंका में होने वाले एशियन फुटबॉल कप के लिए भारतीय टीम की घोषणा तिरूअंतपुरम में भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर के बाद आज की गई। भारतीय टीम में रायपुर की दो खिलाड़ियों सुप्रिया कुकरेती और निकिता पन्ना का भी चयन किया गया है। शिविर में छत्तीसगढ़ की तीन खिलाड़ी गर्इं थीं एक खिलाड़ी कोरबा की आस्टीन मदान भी थीं, उनका चयन नहीं हो पाया।
श्री प्रधान ने बताया कि यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ की दो खिलाड़ियों को भारतीय टीम में स्थान मिला है। फुटबॉल से करीब से चार दशक से जुड़े श्री प्रधान ने बताया कि इसके पहले मप्र के रहते भी मप्र की किसी खिलाड़ी का चयन भारतीय टीम में नहीं हुआ था, ऐसे में यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि दोनों खिलाड़ी सप्रे स्कूल के मैदान में नियमित अभ्यास करती हैं। इन खिलाड़ियों को उनके साथ एनआईएस कोच सरिता कुजूर भी प्रशिक्षण देती हैं। यह हमारे जिला फुटबॉल संघ के लिए भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

आत्मविश्वास आया काम

तिरूअंतपुरम के प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले चर्चा करते हुए सुप्रिया कुरकेती एवं निकिता स्विसपन्ना ने काफी आत्मविश्वास के साथ कहा था कि उनको अपने खेल पर भरोसा है और उनका चयन जरूर टीम में हो जाएगा। इनके आत्मविश्वास के साथ मेहनत ने रंग दिखाया और दोनों खिलाड़ियों का चयन भारतीय टीम में हो गया है। सुप्रिया तीन साल से फुटबॉल खेल रही हैं और अब तक चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। पहली बार वहां 2007 में भुवनेश्वर में खेली थीं, इसके बाद अगले साल 2008 में वह फिर अंडर 13 की राष्ट्रीय स्पर्र्धां में खेलीं। 2009 में राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा और इस साल चेन्नई में वह राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं तो इसी स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन भारत की संभावित टीम में हो गया था। निकिता को अभी एक साल भी नहीं हुआ है खेलते। इस एक साल में वह राष्ट्रीय स्कूली खेलों के साथ चेन्नई की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं और भारत की संभावित टीम में शामिल हो गर्इं थी। यह दोनों 12 साल की खिलाड़ी हैं।

लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा

फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि अब इसमें कोई दो मत नहीं है कि हमारे मैदान की दो खिलाड़ियों का चयन भारतीय टीम में होने से राजधानी में नहीं बल्कि प्रदेश में लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा। प्रदेश में महिला फुटबॉल खिलाड़ियों की कमी रही है जो इन खिलाड़ियों के भारतीय टीम में आने से अब नहीं रहेगी और दूसरी लड़कियों भी जरूर इनसे प्रेरणा लेकर फुटबॉल से जुड़ेंगी।

अपनी खिलाड़ियों पर गर्व है

सप्रिया और निकिता की एनआईएस कोच सरिता कुजूर कहती हैं कि उनको अपनी इन खिलाड़ियों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैंने भी अपनी खिलाड़ियों के साथ इनके प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले कहा था कि जरूर दोनों भारतीय टीम में स्थान बना लेंगी और इन्होंने ऐसा करके अपने राज्य का नाम रौशन किया है।
राजतंत्र में आज- पैरा नेशनल गेम्स का आगाज हो छत्तीसगढ़ से

राज्य बॉडी बिल्डिंग आज से

राज्य बॉडी बिल्डिंग स्पर्धा का आयोजन कल से बागबाहरा में किया गया है। वहां पर पांच खिताबों के लिए मुकाबले होंगे। स्पर्धा के लिए रायपुर जिले की टीम घोषित कर दी गई है।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के संजय शर्मा के साथ मेघेष तिवारी ने बताया कि पहली बार राज्य स्पर्धा का आयोजन बागबाहरा में किया गया है। राज्य स्पर्धा में पहली बार खेलने वालों के लिए छत्तीसगढ़ उदय, २१ साल से कम के लिए छत्तीसगढ़ किशोर, २५ साल से कम के लिए छत्तीसगढ़ कुमार, ४० साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए छत्तीसगढ़ केसरी और सभी वर्गों के लिए ओपन स्पर्धा छत्तीसगढ़ श्री होगी। स्पर्धा में चार वर्ग के मुकाबले होंगे। ये वर्ग होंगे शार्ट, मीडिल, टॉल और सुपर टॉल ग्रुप। इस स्पर्धा में चुने गए खिलाड़ी ५७वीं राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लेंगे। यह स्पर्धा भी छत्तीसगढ़ में होने वाली है।
श्री तिवारी ने बताया कि स्पर्धा के लिए रायपुर जिले की टीम यहां पर जिला स्पर्धा के बाद घोषित कर दी गई है। छत्तीसगढ़ कुमार खिताब के लिए- प्रथम समूह में सुमीत राय चौधरी, ताम्बी स्वामी चतुभुर्ज सोनी, दूसरे समूह में मो. इमजाज, केतन बहादुर, दीपक निर्मलकर, तीसरे समूह में टोनी जार्ज, प्रदीप साहू, निनाज अमरावत। चौथे समूह में राजेन्द्र कोसले, सिद्धार्थ पंडित, संतोष यादव रखे गए हैं।
छत्तीसगढ़श्री के प्रथम समूह में सूरज यादव, संजय पटेल। दूसरे समूह में राजकिशोर, दीपक सोनकर, सुनील नायक। तीसरे समूह में राजेश श्रीवास, होरीलाल पटेल, विवेक पटेल, चौथे समूह में सचिन मिश्रा, उमेश यादव, वीरेन्द्र सेंदरे रखे गए हैं। खिलाड़ी यहां से आज बागबाहरा के लिए रवाना हो गए हैं।

गुरुवार, 11 मार्च 2010

रायपुर में खेलने आएंगे देश के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी

प्रदेश की राजधानी रायपुर में एक बार फिर से देश के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी खेलने आएंगे। पांच लाख की नकद इनामी राशि वाली यह स्पर्धा यहां पर 21 से 26 मार्च तक निरंजन धर्मशाला में होगी।
यह जानकारी पत्रकार वार्ता में देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष गुरूचरण सिंह होरा ने बताया कि काफी समय बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से राष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सहयोग से पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण शतरंज स्पर्धा का आयोजन किया चुका है। इस बार आयोजित स्पर्धा में पांच लाख की नकद राशि दी जाएगी। विजेता को एक लाख, उपविजेता को 50 हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाले िखिलाड़ी को 35 हजार की राशि दी जाएगी। कुल 30 वर्गों में 65 पुरस्कार दिए जाएंगे। स्पर्धा में सौ अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग वाले खिलाड़ियों सहित कुल 300 खिलाड़ी भाग लेंगे। स्पर्धा अंतरराष्ट्रीय स्विस पद्धति से खेली जाएगाी। स्पर्धा में मुकाबले 10 चक्रों तक होंगे।
श्री होरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पहली बार 1977 में भीलवाड़ा , 1982 में राष्ट्रीय महिला शतरंज, 1987 में भिलाई में राष्ट्रीय ए, एशियन महिला शतरंज स्पर्धा का आयोजन हो चुका है। उन्हांने बताया कि छत्तीसगढ़ में खेली गई हर स्पर्धा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने सराहा है।

राजधानी में जुटेंगे क्रीड़ाश्री

प्रदेश का खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश ने 982 गांवों के क्रीड़ाश्री को राजधानी में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसकी तैयारी खेल विभाग कर रहा है। राजधानी में होने वाले इस शिविर के लिए स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम को चुना गया है। वहां पर चार चरणों में यह आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ केन्द्र सरकार की पायका योजना के पहले चरण में प्रदेश के 982 गांवों को खेलों से जोड़ा जा रहा है।
केन्द्र सरकार की योजना पायका में देश के हर राज्य के सभी गांवों को खेलों से जोड़ने की पहल की गई है। इस योजना में हर राज्य से पहले चरण में 10 प्रतिशत गांवों को खेलों से जोड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पहले साल में इस योजना के लिए 982 गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में खेलों के विकास के लिए केन्द्र सरकार से करोड़ों की राशि भी मिली है। इस राशि में हर गांव के क्रीड़ाश्री के लिए भी मानदेय रखा गया है।
पहले चरण में प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने राज्य के सभी जिलों के चिन्हित गांवों में क्रीड़ाश्री भी तय कर दिए हैं। अब इन क्रीड़ाश्री का काम क्या होगा, इनको गांवों में खेलों के विकास के लिए क्या करना है, इसके लिए इनको प्रशिक्षण देने की योजना खेल विभाग ने बनाई है। इस योजना के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि हर गांवों में जो क्रीड़ाश्री बनाए गए हैं, वे ऐसे लोग हैं जिनका जुड़ाव खेलों से है। ज्यादातर गांवों के खेल शिक्षकों के साथ खेल संघों से जुड़े लोग या फिर नए या पुराने खिलाड़ियों को क्रीड़ाश्री बनाया गया है। ऐसे लोगों का चयन इसलिए किया गया है ताकि ये खेलों के विकास में अहम भूमिका निभा सके। इसी के साथ एक बात यह भी है कि क्रीड़ाश्री का मानदेय बहुत कम है ऐसे में खेलों से जुड़े लोग ही खेलों के विकास में गंभीरता से साथ दे सकते हैं।
श्री सिंह ने बताया कि राजधानी में 20 मार्च से होने वाले क्रीड़ाश्री के प्रशिक्षण शिविर की जो योजना है कि उसे चार चरणों में किया जाएगा। एक चरण में 250 के आस-पाल क्रीड़ाश्री रखे जाएंगे। 982 क्रीड़ाश्री को चार हिस्सों में बांटकर इसको केन्द्र सरकार द्वारा क्रीड़ाश्री के लिए तय किए कामों के बारे में एक-एक सप्ताह तक जानकारी दी जाएगी। श्री सिंह ने पूछने पर बताया कि छत्तीसगढ़ को जहां पहले चरण के लिए केन्द्र सरकार से मदद मिल गई है, वहीं प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए बजट दिया है। प्रदेश सरकार का बजट पहले ही मिल गया था। उन्होंने बताया कि क्रीड़ाश्री को मानदेय की राशि देने के लिए जिलों को भुगतान कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पायका के लिए अगले दो सालों की और योजना बनाकर केन्द्र सरकार को भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के लिए स्पोर्ट्स काम्पलेक्स का आउटडोर स्टेडियम उपयुक्त स्थान है। यहां पर क्रीड़ाश्री को ठहराने की भी व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि वे आउटडोर स्टेडियम का निरीक्षण भी कर चुके हैं, इससे ज्यादा उपयुक्त स्थान और कोई राजधानी में नजर नहीं आता है।

बुधवार, 10 मार्च 2010

एक शर्त पर अटका साई सेंटर

भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई द्वारा राजधानी रायपुर में बनाए जाने वाले साई सेंटर के लिए रखी गई एक नई शर्त के कारण यहां का सेंटर अटक गया है। इस शर्त को लेकर खेलों के जानकार और खेल बिरादरी हैरान है कि आखिर यह शर्त क्यों कर रखी गई है, इसके पहले राजनांदगांव में जब साई सेंटर प्रारंभ किया गया था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी। लेकिन अब यह शर्त रखी गई है। इस शर्त को केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने हालांकि महज एक औपचारिकता बताते हुए इसका सरलीकरण भी किया है, पर महापौर किरणमयी नायक का साफतौर पर कहना है कि सरलीकरण लिखित में मिलने के बाद ही स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स साई के हवाले किया जाएगा।
रायपुर के साई सेंटर को प्रारंभ करने का मामला जब केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल के सामने रखा गया तो इसके बाद यह बात सामने आई कि सेंटर को प्रारंभ करने की राह में दो बातें प्रमुख रूप से बाधा हैं। एक तो साई यह चाहता है कि एमओयू में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स को ३० साल की लीज पर दिया जाया। दूसरी अहम शर्त यह है कि साई आज की तारीख में सेंटर के विकास में जो राशि खर्च करेगा वह राशि को नगर निगम को तब देनी पड़ेगी जब साई सेंटर छोड़ेगा। वैसे इस शर्त को केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री पाटिल ने महज औपचारिक बताते हुए यह कहा है कि साई आज की तारीख में अगर चार से पांच करोड़ भी खर्च करता है तो ३० साल बाद निगम को बमुश्किल २० लाख के आस-पास की राशि देनी होगी।
इस संबंध में निगम की महापौर किरणमयी नायक से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि हमें लीज को ३० साल करने में तो कोई आपति नहीं है, लेकिन जिस तरह से श्री पाटिल ने शर्त का सरलीकरण करके बताया है, वह निगम को साई लिखित में दे दे। उनका ऐसा मानना है कि अगर साई करोड़ों खर्च करने के बाद वह राशि निगम से मांगेगा तो निगम कहां से देगा। साई की इस नई शर्त से जहां एक तरफ निगम परेशान है, वहीं प्रदेश की खेल बिरादरी के लोग भी हैरान हैं कि यह शर्त कहां से आ गई। एक खेल अधिकारी ने बताया कि जब राजनांदगांव में साई सेंटर के लिए एमओयू हुआ था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इस बार अचानक यह शर्त कहां से आ गई है। क्या-क्या अलग अलग सेंटर के लिए अलग-अलग शर्त होती है।

सेंटर को अटकाने की साजिश तो नहीं

सेंटर के लिए साई की नए शर्त के बाद अब खेल जगत में इस बात को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं कि कहीं यह केन्द्र सरकार की सेंटर को लटकाने की साजिश तो नहीं है। पहले जब एमओयू किया गया था तो जहां ऐसी कोई शर्त नहीं थी, वहीं साई १० साल की लीज के लिए तैयार हो गया था। खेल जगत से जुड़े खेलों के जानकार और खिलाड़ी इस बात को उचित नहीं मानते हैं कि एक मैदान जो बरसों की तपस्या के बाद मिला है, उसको ३० साल की लीज पर दे दिया जाए, ताकि यहां के खिलाडिय़ों को खेलने के लिए मैदान के लिए एक बार फिर से तरसना पड़े। खिलाड़ी तो ३० साल की लीज देने के पक्ष में भी नहीं है।

क्या पाटिल वादा पूरा कर पाएंगे
राजधानी की खेल बिरादरी में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि क्या केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री श्री पाटिल अपना वह वादा पूरा कर पाएंगे जिसमें उन्होंने रायपुर के सेंटर को तीन माह के अंदर प्रारंभ करने की बात कही है। सबका ऐसा मानना है कि अगर साई ने सेंटर के विकास की राशि निगम से बाद में लेने वाली शर्त नहीं हटाई या फिर इसका सरलीकरण लिखित में नहीं दिया तो सेंटर प्रारंभ नहीं हो पाएगा।

मंगलवार, 9 मार्च 2010

छत्तीसगढ़ को मिले ८ पदक

राष्ट्रीय जंप रोप स्पर्धा में छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने तीन स्वर्ण सहित आठ पदक जीते। यह स्पर्धा नासिक में खेली गई।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश जंप रोप संघ के अखिलेश दुबे ने बताया कि नासिक में खेली गई राष्ट्रीय सीनियर स्पर्धा में राजदीप सिंग ने ३० सेकेंड स्पीड में स्वर्ण पदक जीता। राजदीप ने ही दो और स्वर्ण ट्रिपल अंडर एवं फ्री स्टाइल में जीते। पूजा हरगोत्रा ने डबल अंडर ३० सेकेंड में रजत पदक जीता। उन्होंने फ्री स्टाइल में भी रजत पदक पर कब्जा जमाया। डेमो कप स्पर्धा में छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने ८ कांस्य पदक जीते। विजेता खिलाडिय़ों का रायपुर लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया। इस अवसर पर राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे, उमेश सिंह ठाकुर, संजय शुक्ला, सुधीर पिल्ले, कन्हैया लाल यादव और अमित तिवारी उपस्थित थे।

सचिन मिश्रा रायपुरश्री

जिला स्तरीय शरीर सौष्ठव में रायपुरश्री का खिताब सचिन मिश्रा ने जीता। रायपुर कुमार के खिताब पर सुमीत राय चौधरी ने कब्जा किया।
विजेताओं को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पुरस्कार बांटे।
राज्य स्पर्धा में खेलने जाने वाली रायपुर जिले की टीम का चयन करने के लिए विप्र भवन में जिला स्तरीय शरीर सौष्ठव स्पर्धा का आयोजन किया गया। यहां पर स्पर्धा का उद्घाटन प्रोफेसर केके पांडेय ने किया। स्पर्धा में हुए मुकाबलों के बाद रायपुर कुमार के लिए - प्रथम समूह में पहले स्थान पर सुमीत राय चौधरी, दूसरे स्थान पर ताम्बी स्वामी और तीसरे स्थान पर चतुभुर्ज सोनी रहे। दूसरे समूह में पहले स्थान पर मो। इमजाज, दूसरे स्थान पर केतन बहादुर और तीसरे स्थान पर दीपक निर्मलकर रहे। तीसरे समूह में प्रथम टोनी जार्ज, द्वितीय प्रदीप साहू, तृतीय निनाज अमरावत। चौथे समूह में प्रथम राजेन्द्र कोसले, द्वितीय सिद्धार्थ पंडित, तृतीय संतोष यादव रहे।

रायपुरश्री के प्रमथ समूह में प्रथम सूरज यादव, द्वितीय संजय पटेल। दूसरे समूह में प्रथम राजकिशोर, द्वितीय दीपक सोनकर, तृतीय सुनील नायक। तीसरे समूह में प्रथम राजेश श्रीवास, द्वितीय होरीलाल पटेल, तृतीय विवेक पटेल, चौते समूह में प्रथम सचिन मिश्रा, द्वितीय उमेश यादव, तृतीय वीरेन्द्र सेंदरे।
४० साल से ज्यादा के समूह में जवाहर लाल सोनी, अशोक पिल्लई, दिनेश मिश्रा ने भाग लिया। स्पर्धा में हुए मुकाबलों के बाद शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विजेता खिलाडिय़ों को पुरस्कार बांटे। इस स्पर्धा के बाद चुने गए खिलाड़ी बागबाहरा में १२ मार्च को होने वाली राज्य स्पर्धा में भाग लेंगे।

नेहरू युवा केन्द्र को मजबूत करेंगे

विश्राम गृह में नेहरू युवा केन्द्र के साथ साई के अधिकारियों की बैठक में केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने कहा कि वे यहां पर इसलिए आए हैं क्योंकि उनको ऐसा मानना है कि नेहरू युवा केन्द्र को मजबूत करके भारत सरकार की योजनाओं को गांव-गांव के युवाओं तक पहुंचाया जा सकता है। बैठक में साई के अधिकारियों से साई सेंटर के बारे ेभी उन्होंने चर्चा की। बैठक के बाद उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस समय १८ में से ८ जिलों में ही नेहरू युवा केन्द्र का संचालन हो रहा है। बाकी जिलों की जिम्मेदारी भी ८ जिलों के आधिकारियों को देकर नेहरू युवा केन्द्र का विकास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैठक में नेहरू युवा केन्द्र के समन्यवकों को पायका से जोडऩे की मांग आई है, इस पर भी विचार किया जाएगा। इसी के साथ बैठक में नेहरू युवा केन्द्र का बजट भी बढ़ाने की मांग रखी गई। बैठक में साई के राजेश्वर राव, एनआईएस कोच गजेन्द्र पांडे, नेहरू युवा केन्द्र के उपसंचालक उपेन्द ठाकुर के साथ कई समन्यवक उपस्थिति थे।

सोमवार, 8 मार्च 2010

साई सेंटर की सौगात जल्द देंगे: पाटिल



केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने कहा कि राजधानी रायपुर के साई सेंटर में आ रही अड़चनों को जल्द दूर करके इस सेंटर को अगले सत्र से प्रारंभ कर दिया जाएगा।
श्री पाटिल ने ये बातें यहां पर स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि उनको यहां आने पर मालूम हुआ कि रायपुर के साई सेंटर को लेकर साई और रायपुर नगर निगम के बीच में कुछ मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने यहां पर साई से जुड़े अधिकारयों के साथ बैठक करने के बाद साई के डीजी से बात की तो मालूम हुआ कि साई ३० साल की लीज चाहता है जबकि नगर निगम ने अभी १० साल की लीज पर एमओयू किया है। इसी के साथ साई के एमओयू में एक शर्त यह है कि ३० साल बाद अगर वह साई सेंटर निगम के हवाले करता है तो साई सेंटर मैं मैदान बनवाने पर जो खर्च करेगास निगम को देना होगा। साई की यही शर्त सबसे बड़ी अड़चन मानी जा रही है।
इस शर्त के बारे में श्री पाटिल ने नगर निगम के अधिकारियों को जानकारी दी है कि इसको समङाने में गलती हो रही है। साई अगर आज की तारीख में सेंटर में चार-पांच करोड़ भी खर्च करता है तो आज से ३० साल बाद वह सेंटर छोड़ेगा तो निगम को बमुश्किल २० लाख के आस-पास की राशि देनी पड़ेगी। वैसे इस बात की संभावना ही नहीं है कि साई सेंटर छोड़ेगा। सेंटर तब की स्थिति में छोड़ा जाता है, जब कोई नया सेंटर बनाया जाता है। यहां पर ऐसे किसी नए सेंटर की संभावना नजर नहीं आती है। श्री पाटिल ने इस शर्त को महज औपचारिक बताते हुए निगम के अधिकारियों से एमओयू करने के लिए कहा है ताकि एमओयू के बाद साई सेंटर जल्द प्रारंभ किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही सेंटर खुलने की राह में आ रही अड़चनों का समाधान करके नए सत्र में अप्रैल या फिर इसके अलग माह यह सेंटर प्रारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट की कमी जैसी कोई बात नहीं है।


स्पोट्र्स काम्पलेक्स देखकर हुए खुश

विश्राम गृह में साई अधिकारियों और नेहरू युवा केन्द्र के अधिकारियों की बैठक लेने के बाद श्री पाटिल अपने काफिले के साथ साई सेंटर के लिए दिए गए स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में पहुंचे। वहां पर आउटडोर स्टेडियम देखने के साथ वहां पर खिलाडिय़ों के रहने के लिए बनाए गए कमरों का निरीक्षण करने के बाद वे इंडोर स्टेडियम देखने पहुंचे। स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स का पूरा भ्रमण करने के बाद खुश हुए कि इतना बना बनाया मैदान साई सेंटर के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनको इस बात का अंदाज ही नहीं था कि यहां पर मैदान इतना बना हुआ होगा। यहीं पर उन्होंने निगम के अधिकारियों को साई की उस शर्त के बारे में पूरी जानकारी दी जिसमें निगम से साई सेंटर छोडऩे के बाद पैसे देने की बात कही गई है। श्री पाटिल ने यहीं पर खेल संघों के पदाधिकारियों को यह आश्वासन दिया कि सारी अड़चनों का दूर करके सेंटर जल्द प्रारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ज्यादा से ज्यादा तीन माह का समय लगेगा।



राजतंत्र में देखें- मैदान बनाने केन्द्र सरकार से मिलेगी मदद

रविवार, 7 मार्च 2010

खिलाडिय़ों का होगा आनलाइन पंजीयन

प्रदेश के खिलाडिय़ों का अब आनलाइन पंजीयन करने की योजना खेल विभाग ने बनाई है। इसके लिए जहां फार्म डिजाइन कर लिया गया है, वहीं इस फार्म को खेल विभाग की वेबसाइड में अपलोड करने की प्रक्रिया चल रही है। इस पंजीयन फार्म के भर जाने से जहां ओवरएज खिलाडिय़ों पर अंकुश लगेगा, वहीं ग्रामीण खेलों में शहरी खिलाड़ी भी नहीं खेल पाएंगे।
प्रदेश में किस खेल में कितने खिलाड़ी हैं, इसकी जानकारी अब तक न तो किसी भी खेल संघ के पास है और न ही खेल विभाग के पास। इसी के साथ यदा-कदा खेल विभाग के बाद इस बात की भी शिकायत आती है कि ओवरएज खिलाड़ी खेल रहे हैं। एक और शिकायत जो आम है वह ग्रामीण खेलों में शहरी खिलाडिय़ों के खेलने की। ऐसे में खेल संचालक जीपी सिंह ने सोचा कि क्यों न खिलाडिय़ों का पंजीयन करवाया जाए जिससे विभाग के पास हर खेल के खिलाडिय़ों की जानकारी हो सके। खिलाडिय़ों को अपना पंजीयन करवाने के लिए विभाग के पास आने की भी जरूरत न पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए खिलाडिय़ों का पंजीयन आन लाइन करने की योजना बनाई गई। इस योजना को अब अमीलीजाम पहनाने का काम विभाग कर रहा है। इसके लिए फार्म का डिजाइन बना लिया गया है और इसे अब खेल विभाग की वेवसाइड में अपलोड किया जाएगा। इसके लिए हालांकि अभी समय लगेगा, लेकिन इस फार्म के वेबसाइड में अपलोड होने के बाद इस फार्म को खिलाड़ी अपने शहर और गांव में बैठकर ही भर लेंगे।
फार्म की डिजाइन के बारे में राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे बताते हैं कि इसे उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद बनाया है। यह फार्म खिलाडिय़ों से तब भरवाया जाएगा जब खिलाड़ी विभाग की किसी स्पर्धा में खेलेंगे। खिलाडिय़ों का पंजीयन विकासखंड स्तर से होगा। फार्म में खिलाडिय़ों का अपना पूरा लेखा-जोखा देना होगा।

ओवरएज पर लगेगा अंकुश

खिलाडिय़ों के पंजीयन से एक फायदा यह होगा कि ओवरएज पर अंकुश लग सकेगा। जानकारों का कहना है कि एक बार किसी भी खिलाड़ी द्वारा आनलाइन जानकारी देने के बाद उसको दूसरी बार में बदलना संभव नहीं होगा। अभी तो खिलाड़ी किसी स्पर्धा में कुछ तो किसी और स्पर्धा में कुछ और जानकारी देकर खेल लेते हैं। प्रदेश में ओवरएज खिलाडिय़ों पर आज तक अंकुश लगाने में न तो खेल संघ, खेल विभाग और स्कूली शिक्षा शिक्षा विभाग सफल हो सका है। सबसे ज्यादा ओवरएज खिलाड़ी स्कूली खेलों खेलते हैं।

ग्रामीण खेलों में नहीं खेल पाएंगे शहरी खिलाड़ी

प्रदेश में अक्सर ग्रामीण खेलों में शहरी खिलाडिय़ों के खेलने की शिकायत मिलती है, लेकिन अब तक इस कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। खिलाडिय़ों का पंजीयन होने से शहरी खिलाडिय़ों को ग्रामीण खेलों में खेलने का मौका नहीं मिल पाएगा। शिकायत होने पर पंजीयन फार्म देखने से मालूम हो जाएगा कि कौन शहरी खिलाड़ी है और ग्रामीण खिलाड़ी।

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