रविवार, 7 मार्च 2010
राजीव की नजरें स्वर्ण पर
बीजिंग ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाले पहलवान राजीव तोमर की नजरें अब कामनवेल्थ के स्वर्ण पर है। वे पूछने पर बताते हैं कि उनको ओलंपिक में पदक न जीतने का मलाल तो है, पर इसका क्या किया जाए कि भारतीय पहलवानों के पास वैसी सुविधाओं की कमी है जैसी सुविधाएं विदेशी पहलवानों के पास हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने २००७ और २००९ के कामनवेल्थ में स्वर्ण पदक जीता था, और अब इस बार भारत में इस साल होने वाले कामनवेल्थ में भी जरूर स्वर्ण जीतेंगे। राजीव को इस बात का अफसोस है कि कुश्ती में प्रायोजक सामने नहीं आते हैं। उनको मीडिया से भी शिकायत है कि कुश्ती को जैसा प्रचार मिलना चाहिए, नहीं मिल पाता है। वे कहते हैं कि सानिया मिर्जा या साइना नेहवाल कोई पदक नहीं जीत जाती है जो मीडिया उनको इतना ज्यादा कवरेज देता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब सुविधाओं में इजाफा हो रहा है। राजीव ने भी कहा कि कामनवेल्थ के लिए सरकार ने जिस तरह से लंबे प्रशिक्षण शिविर की योजना बनाई है, वह योजना ओलंपिक में भी लागू होनी चाहिए।
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