कुश्ती में भारत को एक अलग पहचान देने वाले जालंधर के पद्मश्री करतार सिंह का राजधानी में खेल एवं युवा कल्याण विभाग के साथ प्रदेश के कई संघों द्वारा सम्मान किया जाएगा। वे यहां पर सुबह को सात बजे पहुचेंगे और यहां से जगदलपुर के लिए रवाना हो जाएंगे जहां पर भारत-पाक इंडो कुश्ती का महादंगल होने वाला है।
यह जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि तीन बार ओलंपिक में खेल चुके और १९८७ को पद्मश्री से सम्मानित एस करतार सिंह के छत्तीसगढ़ प्रवास पर आने की जानकारी मिलने पर उनका सम्मान करने का फैसला खेल विभाग ने किया। उन्होंने बताया कि बस्तर ओलंपिक संघ के पदाधिकारी उनके पास आए थे और उन्होंने बताया कि बस्तर में कुश्ती के एक महादंगल भारत-पाक इंडो कुश्ती स्पर्धा का आयोजन ६ मार्च से किया जा रहा है। इस महादंगल में कामननेल्थ में भारतीय टीम से खेलने वाले ८ पहलवानों में से चार पहलवानों के साथ पाकिस्तान के ९ पहलवान आ रहे हैं। इस महादंगल के लिए ही करतार सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के महासचिव होने के नाते आमंत्रित किया गया है। वे यहां पर पांच मार्च की सुबह सात बजे विमान से आएंगे। यहां आने के बाद उनको बस्तर जाना है, ऐसे में पद्मश्री खिलाड़ी का सम्मान करने का फैसला हमारे विभाग ने प्रदेश के कुछ खेल संघों के साथ मिलकर किया है।
पद्मश्री और ओलंपियन करतार सिंह का सुबह को विश्राम गृह में सम्मान किया जाएगा। इस सम्मान समारोह में खेल विभाग के साथ प्रदेश वालीबॉल संघ, बॉडी बिल्डिंग और नेटबॉल संघ, कुश्ती संघ, टेबल टेनिस संघ, कबड्डी संघ के साथ कई संघों के पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। करतार सिंह ने देश के लिए बरसों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के साथ देश को कई पहलवान भी दिए हैं। वे १९७९ के प्रीओलंपिक के साथ १९८० के मास्को, ८४ के लांस एंजिल्स, ८८ के सियोल ओलंपिक में खेले हैं। इसी के साथ उन्होंने तीन विश्व कप खेले हैं। १९८३ के विश्व कप में उन्होंने कांस्य पदक जीता था। एशियन खेलों में चार बार स्वर्ण पदक जीते हैं। इसी के सा उन्होंने कामनवेल्थ में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है। १९७३ से ८८ तक वे राष्ट्रीय चैंपियन रहे हैं। वेटरन विश्व चैंपियनशिप में भी उन्होंने देश के लिए पदकों की बारिश की है। वे भारतीय कुश्ती संघ के महासचिव भी है।
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