गुरुवार, 25 मार्च 2010

मैदान बनाने की कला सीखी

प्रदेश के २५० कीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर के चौथे दिन जहां मैदान बनाने का कला से अवगत कराया गया, वहीं इनको फुटबॉल और कबड्डी खेलने मैदान में उतारा गया। सुबह के सत्र में योग की जानकारी के साथ सभी को सूर्य नमस्कार करना बताया गया।

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पायका योजना से जुड़े क्रीड़ाश्री को यहां पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस शिविर के चौथे दिन क्रीड़ाश्री को सुबह के सत्र में योग की जानकारी देने का काम राजकुमार द्वारा किया गया। क्रीड़ाश्री को योग में सूर्य नमस्कार करवाया गया और इसके फायदों की जानकारी दी गई। इसी के साथ योग के बारे में और बहुत सी ऐेसी जानकारी से इनको अवगत करवाया गया जिनको वे जाकर अपने गांवों में खिलाडिय़ों को सिखा सकते हैं। सुबह के सत्र में व्यायाम के गुर सिखाने का काम मास्टर ट्रेनर निंगराज रेड्डी के साथ सरिता कुजूर, वरूण पांडे और ईश्वर प्रसाद ने किया।
दूसरे सत्र में क्रीड़ाश्री को मैदानों के रेखांकन की जानकारी दी गई कि किस खेल के मैदान किस तरीके से बनाए जाते हैं। मैदानों के आकरों का महत्व, इनकी सीमाओं के बारिकी से जानकारी दी गई ताकि गांवों में मैदान बनाते समय कोई गलती न हो। इसी सत्र में लेखापाल रामजी देवांगन ने पंजियों, केश बुक के साथ स्टॉक रजिस्टार को भरने के बारे में पूरी जानकारी दी गई।
शाम के सत्र में सभी क्रीड़ाश्री को स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में ले जाया गया जहां पर इनके बीच टीमें बनाकर इनको फुटबॉल के सथ कबड्डी के मैच खिलाए गए। क्रीड़ाश्री को कम से कम उन खेलों के बारे में जानकारी जरूर दी जाएगी जो खेल पायका में शामिल हैं।
आज राजतंत्र में देखें- अपने राज्य की सफलता बताना क्या क्षेत्रवाद है?

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