खेल विभाग ने पात्र कराते खिलाडिय़ों को किया खेलवृत्ति से वंचित
प्रदेश के ८० से ज्यादा कराते खिलाडिय़ों के साथ खिलवाड़ करते हुए खेल विभाग ने इन पात्र खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित कर दिया है। खेल विभाग ने अपने विभाग के आयोजन में ही पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति का पात्र नहीं माना है। इसके पीछे का कारण कराते संघ का विवाद बताया जा रहा है, लेकिन जिस राज्य कराते स्पर्धा में पदक जीतने के आधार पर खिलाडिय़ों ने खेलवृत्ति के लिए आवेदन किया था, उस समय कराते संघ खेल विभाग से मान्यता प्राप्त था, इसके बाद भी खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने से कराते संघ के साथ खिलाड़ी खफा हैं, और कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल के साथ अजय साहू ने साफ कहा है कि खिलाडिय़ों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा और इस मामले की लिखित शिकायत मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी से की जाएगी।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश के खिलाडिय़ों को दी जाने वाली खेलवृत्ति से कराते खिलाडिय़ों को वंचित कर दिया गया है। इसका कारण जानने का जब प्रयास किया गया तो इसका कोई स्पष्ट कारण खेल विभाग के अधिकारी नहीं बता पाएं और सभी गोल-मोल जवाब दे रहे हैं। खेल विभाग ने २००८-०९ के लिए जब खेलवृत्ति देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, तो प्रदेश के करीब ८० से ज्यादा कराते खिलाडिय़ों ने आवेदन किए थे। ये आवेदन खेल विभाग द्वारा जून २००८ में राजनांदगांव में करवाई गई राज्य स्पर्धा के आधार पर किए गए थे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग हर मान्यता प्राप्त खेल की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धा का आयोजन अपने बजट से करता है। इस आयोजन में खेल संघों को साथ रखा जाता है। राजनांदगांव के आयोजन में उस समय के मान्यता प्राप्त प्रदेश कराते संघ को रखा गया था। इस कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल और सचिव अजय साहू हैं।
खेल विभाग के इस अधिकृत आयोजन में २८ वर्गों में मुकाबले हुए थे। इन वर्गों में ८४ खिलाडिय़ों ने पदक जीते थे। इस आयोजन में प्रदेश के ४०० से ज्यादा खिलाडिय़ों ने भाग लिया था राज्य स्तर पर पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ी खेलवृत्ति के पात्र होते हैं, ऐसे में कराते के सभी खिलाडिय़ों ने खेलवृत्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन खेलवृत्ति की जारी सूची में कराते खिलाडिय़ों को शामिल नहीं किया गया है।
अधिकारियों के पास जवाब ही नहीं
कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने का खेल विभाग के अधिकारियों के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। अधिकारी कहते हैं कि कराते संघ को मान्यता नहीं थी इसलिए खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति नहीं दी जा रही है। अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि जब कराते संघ मान्यता प्राप्त नहीं था तो उसके साथ मिलकर खेल विभाग ने आयोजन कैसे किया। इधर कराते संघ के सचिव अजय साहू साफ कहते हैं कि हमारे संघ को २००८ में मान्यता थी इसीलिए हमारे साथ खेल विभाग ने मिलकर आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कराते महासंघ में २००९ में विवाद होने के बाद हमारे संघ की मान्यता समाप्त हुई है।
खिलाडिय़ों के साथ अन्याय है
प्रदेश कराते संघ के अजय साहू कहते हैं कि यह तो खेल विभाग की मनमर्जी है जिसके कारण खिलाडिय़ों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि जिस स्पर्धा में प्रमाणपत्र खेल विभाग द्वारा दिए गए हैं और जिन प्रमाणपत्रों में खेल विभाग का नाम लिखा है उन्हीं प्रमाणपत्रों को अगर विभाग खेलवृत्ति के लिए पात्र नहीं मानता है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी खेल विभाग को इस बात से मतलब होना चाहिए कि खिलाडिय़ों के पास अधिकृत स्पर्धा के प्रमाणपत्र हैं या नहीं। संघों का क्या है आज संघ इसके पास रहता है कल उसके पास। खिलाडिय़ों का इसमेें क्या कसूर है। खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करना सरासर गलत है।
मुख्यमंत्री-खेलमंत्री से करेंगे शिकायत
प्रदेश कराते संघ के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने कराते खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित करने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह तो सरासर खिलाडिय़ों के साथ खेल विभाग का अन्याय है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर खिलाडिय़ों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेल विभाग का यह कहना गलत है कि मान्यता न होने के कारण खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे संघ को मान्यता नहीं थी तो हमारे साथ खेल विभाग ने मिलकर आयोजन क्यों किया था। उन्होंने कहा कि इस सारे मामले की मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेलमंत्री लता उसेंडी से भी शिकायत की जाएगाी।
हमारा क्या कसूर
खेलवृत्ति से वंचित किए गए राजधानी के आधा दर्जन खिलाडिय़ों के साथ प्रदेश के सभी खिलाडिय़ों का एक ही सवाल है कि आखिर इसमें हमारा क्या कसूर है। अगर कराते संघ में कोई विवाद है तो खिलाड़ी क्या कर सकते हैं। खिलाडिय़ों का कहना है कि जब खेल विभाग के आयोजन में मिले प्रमाणपत्र को ही विभाग पात्र नहीं मानता है तो हम क्या कर सकते हैं।
मामले की जांच करेंगे: संचालक
इस सारे मामले के बारे में जानने के बाद खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि कराते खिलाडिय़ों को किस कारण से वंचित किया गया है इसकी वे जांच करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर खिलाड़ी वास्तव में पात्र हैं तो उनको खेलवृत्ति जरूर दी जाएगी।
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