रविवार, 21 मार्च 2010

क्रीड़ाश्री होंगे खेल विभाग की जान

प्रदेश के खेल विभाग के साथ आज से आपका नाता जुड़ गया है। अब वह दिन भी दूर नहीं है जब राज्य के क्रीड़ाश्री ही खेल विभाग की जान होंगे। आपके बिना खेलों में विकास की कल्पना नहीं होगी। आज आप सभी पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि आप सब गांवों की खेल प्रतिभाओं को तलाश कर सामने लाएं। इन प्रतिभाओं को जब भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी तो यकीन मानिए ये प्रतिभाएं सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह या फिर खेल मंत्री लता उसेंडी का नहीं बल्कि आपकी नाम लेंगी। ऐसे में सोचिए कि आपका मान कितना बढ़ेगा। दुनिया में प्रतिष्ठा की कीमत कभी भी पैसों से नहीं लगाई जा सकती है।

ये बातें यहां पर प्रदेश की खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी ने प्रदेश भर के क्रीड़ाश्री को संबोधित करते हुए कहीं। प्रदेश के क्रीड़ाश्री की कार्यशाला का आयोजन खेल विभाग ने किया है। खेल मंत्री ने इसमें सबसे पहले सभी क्रीड़ाश्री से सवाल किया कि क्या आप लोगों को लगता है कि आपको कोई नौकरी मिल गई है। सभी ने इस बात को माना कि वे ऐसा नहीं सोचते हैं। तब खेल मंत्री ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि आप लोगों के लिए केन्द्र सरकार ने जो पांच सौ रुपए का मानदेय तय किया है, वह काफी कम है। हमने आप लोगों के लिए केन्द्र सरकार के सामने आवाज उठाई है। हमारी बातों को केन्द्रीय खेल मंत्री ने गंभीरता से सुना भी है। संभव है कि आप लोगों का मानदेय बढ़ भी जाए। लेकिन यहां पर मामला मानदेय का नहीं बल्कि देश और समाज के लिए कुछ करने का है। जब देश में पायका योजना लागू की गई तो हर गांव में एक-एक क्रीड़ाश्री बनाने का फैसला किया गया। ऐसे में जबकि आज आप अपने गांव के क्रीड़ाश्री चुने गए हैं तो यह आपके लिए बड़े सम्मान की बात है। आप सभी पर अब अपने-अपने गांवों की खेल प्रतिभाओं को सामने लाने का जिम्मा है।

खेल प्रतिभाएं लेंगी आपका नाम

खेल मंत्री ने सभी क्रीड़ाश्री को उत्साहित करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने राज्य के ऐसे ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए चुना है जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य और देश का नाम पदक जीतकर रौशन किया है। इन खिलाडिय़ों को सरकार नौकरी देगी। यह सिलसिला हर साल चलेगा। हर साल प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ी चुने जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब आप लोगों को यह देखना है कि आप लोगों के गांवों से भी ऐसे खिलाड़ी निकल सकें जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके और उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होकर नौकरी पाए। यकीन मानिए जब भी किसी गांव का खिलाड़ी उत्कृष्ट खिलाड़ी बनेगा और उनको नौकरी मिलेगी तो वह खिलाड़ी सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और मेरा यानी खेल मंत्री लता उसेंडी का नहीं बल्कि आपका नाम लेगा कि सर आज मंै आपकी वजह से यहां तक पहुंचा हूं। सोचिए वह पल कितना सुहाना होगा जब आपको गर्व महसूस होगा। इस गर्व की कीमत किसी भी मानदेय से नहीं लगाई जा सकती है। आज यहां पर सभी संकल्प लें कि हमें अपने देश और समाज के लिए कुछ करना है।

पदको में हों नंबर वन

खेल मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है। इसकी तैयारी के लिए जब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में बैठक ली थी तो उन्होंने साफ कहा है कि अपनी मेजबानी में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की तैयारी अभी से करनी है। उन्होंने कहा कि अभी छत्तीसगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में काफी समय है, ऐसे में हर क्रीड़ाश्री को यह प्रयास करना चाहिए कि उनके गांव के ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में खेल सकें। उन्होंने कहा कि आज समय बदल गया है और गांवों में भी खेलों का पहले जैसा माहौल नहीं है। उन्होंने कहा कि अब गांवों की फिजा को फिर से खेलमय करने का जिम्मा आपका है। सुश्री उसेंडी ने कहा कि आज खेल महंगा भी हो गया है। गांव का एक तीरंदाज सोच भी नहीं सकता है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी के लिए धनुष-बाण की कीमत करीब दो लाख है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य में कम सुविधाओं में भी प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। प्रदेश में हॉकी का एक भी एस्ट्रो टर्फ न होने के बाद भी राजनांदगांव के मृणाल चौबे भारतीय टीम से खेल रहे हैं। यह इस बात का सबूत है कि मन में विश्वास हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती है।

असली प्रतिभाएं गांवों में

इसके पहले खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि खेल की असली प्रतिभाएं गांवों में है। अब इन प्रतिभाओं को सामने लाने का जिम्मा आप सबका है। उन्होंने कहा कि आप सभी को एक सप्ताह में यहां से निखार कर भेजा जाएगा कि आपको गांवों में जाकर क्या करना है। खेल संचालक ने कहा कि पायका योजना तो अभी आई है लेकिन छत्तीसगढ़ की खेल नीति में पहले से ही ग्रामीण स्तर से खेलों के विकास की बात है।

स्वागत गीत ने मन मोहा

कार्यक्रम के प्रारंभ में जशपुर के डीके प्रधान द्वारा लिखित स्वागत गीत गाया गया। यह गीत श्री प्रधान ने खुद गाया और उनका साथ सभी क्रीड़ाश्री ने दिया। इस गीत में उन्होंंने स्वागत करते हुए कहा कि आप हमारे बीच पधारे हम धन्य हुए.. हम खिलाड़ी खेल जाने, खेल को अपना सब कुछ माने, खेल ही जीवन, खेल ही पूजा, खेल ही अपना धर्म है। श्री प्रधान के इस गीत के खेल मंत्री के साथ सभी का मन जीत लिया। उद्घाटन अवसर पर उपसंचालक ओपी शर्मा, राज्य खेल अधिकारी अजीत कुमार टोपो, वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे, संजय पाल, सुशांत पाल, सरिता कुजूर, निंगराज रेड्डी, सुधा कुमार सहित खेल विभाग के आधिकारी और १८ जिलों से आए २५० क्रीड़ाश्री उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में पायका की जानकारी वाले एक ब्रोशर का विमोचन किया गया।

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