साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले हॉकी के एस्ट्रो टर्फ की योजना खिलाड़ियों की मंशा के अनुरूप बनी है। यहां पर पहले स्टेडियम नहीं बाऊंड्री बनाने के बाद एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा ताकि खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिल सके। यह फैसला खेल विभाग ने जशपुर के स्टेडियम का हश्र देखकर किया है। साइंस कॉलेज में बाऊंड्री बनाने का काम जल्द ही लोक निर्माण विभाग प्रारंभ कर देगा। संभवत: साइंस कॉलेज के मैदान में ही राज्य का पहला एस्ट्रो टर्फ लगेगा।
राजधानी रायपुर में पहला एस्ट्रो टर्फ लगाने का काम जल्द ही साइंस कॉलेज में प्रारंभ होने वाला है। इसकी पूरी योजना बना ली गई है। अब गेंद पूरी तरह से लोक निर्माण विभाग के पाले में है। लेकिन इसके बाद भी यहां पर काम जल्द प्रारंभ हो सके इसके लिए खेल संचालक जीपी सिंह निरंतर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के संपर्क में हैं। साइंस कॉलेज के मैदान में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ के बारे में राजधानी के हॉकी खिलाड़ियों का यही मानना है कि यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अगर पहले स्टेडियम निर्माण करने की तरफ ध्यान दिया जाएगा, तो इस मैदान का भी हाल वही होगा जो जशपुर के मैदान का हुआ है। यहां यह बताना लीजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद सबसे पहले जशपुर में एस्ट्रो टर्फ लगाने की घोषणा प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की थी। लेकिन आज तक वहां पर एस्ट्रो टर्फ नहीं लग पाया। वहां पर सबसे पहले स्टेडियम बनाने का काम किया गया, अब तक स्टेडियम ही पूरा नहीं हो पाया है।
ऐसे में खिलाड़ियों का ऐसा मानना है कि अगर रायपुर में भी स्टेडियम बनाने की योजना बनाई गई तो एस्ट्रो टर्फ खिलाड़ियों को बरसों नसीब नहीं हो पाएगा। खिलाड़ियों की इस भावना से खेल विभाग भी परिचित है और उसने इसीलिए सबसे पहले स्टेडियम के स्थान पर बाऊंड्री बनाकर एस्ट्रो टर्फ लगाने की योजना बनाई है। इसी योजना के तहत ही लोक निर्माण विभाग काम करेगा। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जितने क्षेत्र में मैदान बनाना है, उतने क्षेत्र के हिस्से को घेरकर बाऊंड्री बनाई जाएगी और फिर एस्ट्रो टर्फ लगा दिया जाएगा। एस्ट्रो टर्फ पर करीब चार करोड़ का खर्च आना है।
साइंस कॉलेज के मैदान में जो एस्ट्रो टर्फ लगेगा वह कोटा स्टेडियम में लगने वाले एस्ट्रो टर्फ की योजना वाले बजट से बनेगा। कोटा के लिए 26 करोड़ की योजना बनाई गई थी लेकिन वित्त विभाग से 10 करोड़ 62 लाख ही मंजूर हुए थे। अब इसी राशि से साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगेगा और बाऊंड्री बनाई जाएगी, राशि बचने पर पैवेलियन बनाने का काम होगा।
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