बुधवार, 10 मार्च 2010

एक शर्त पर अटका साई सेंटर

भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई द्वारा राजधानी रायपुर में बनाए जाने वाले साई सेंटर के लिए रखी गई एक नई शर्त के कारण यहां का सेंटर अटक गया है। इस शर्त को लेकर खेलों के जानकार और खेल बिरादरी हैरान है कि आखिर यह शर्त क्यों कर रखी गई है, इसके पहले राजनांदगांव में जब साई सेंटर प्रारंभ किया गया था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी। लेकिन अब यह शर्त रखी गई है। इस शर्त को केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल ने हालांकि महज एक औपचारिकता बताते हुए इसका सरलीकरण भी किया है, पर महापौर किरणमयी नायक का साफतौर पर कहना है कि सरलीकरण लिखित में मिलने के बाद ही स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स साई के हवाले किया जाएगा।
रायपुर के साई सेंटर को प्रारंभ करने का मामला जब केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल के सामने रखा गया तो इसके बाद यह बात सामने आई कि सेंटर को प्रारंभ करने की राह में दो बातें प्रमुख रूप से बाधा हैं। एक तो साई यह चाहता है कि एमओयू में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स को ३० साल की लीज पर दिया जाया। दूसरी अहम शर्त यह है कि साई आज की तारीख में सेंटर के विकास में जो राशि खर्च करेगा वह राशि को नगर निगम को तब देनी पड़ेगी जब साई सेंटर छोड़ेगा। वैसे इस शर्त को केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री पाटिल ने महज औपचारिक बताते हुए यह कहा है कि साई आज की तारीख में अगर चार से पांच करोड़ भी खर्च करता है तो ३० साल बाद निगम को बमुश्किल २० लाख के आस-पास की राशि देनी होगी।
इस संबंध में निगम की महापौर किरणमयी नायक से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि हमें लीज को ३० साल करने में तो कोई आपति नहीं है, लेकिन जिस तरह से श्री पाटिल ने शर्त का सरलीकरण करके बताया है, वह निगम को साई लिखित में दे दे। उनका ऐसा मानना है कि अगर साई करोड़ों खर्च करने के बाद वह राशि निगम से मांगेगा तो निगम कहां से देगा। साई की इस नई शर्त से जहां एक तरफ निगम परेशान है, वहीं प्रदेश की खेल बिरादरी के लोग भी हैरान हैं कि यह शर्त कहां से आ गई। एक खेल अधिकारी ने बताया कि जब राजनांदगांव में साई सेंटर के लिए एमओयू हुआ था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इस बार अचानक यह शर्त कहां से आ गई है। क्या-क्या अलग अलग सेंटर के लिए अलग-अलग शर्त होती है।

सेंटर को अटकाने की साजिश तो नहीं

सेंटर के लिए साई की नए शर्त के बाद अब खेल जगत में इस बात को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं कि कहीं यह केन्द्र सरकार की सेंटर को लटकाने की साजिश तो नहीं है। पहले जब एमओयू किया गया था तो जहां ऐसी कोई शर्त नहीं थी, वहीं साई १० साल की लीज के लिए तैयार हो गया था। खेल जगत से जुड़े खेलों के जानकार और खिलाड़ी इस बात को उचित नहीं मानते हैं कि एक मैदान जो बरसों की तपस्या के बाद मिला है, उसको ३० साल की लीज पर दे दिया जाए, ताकि यहां के खिलाडिय़ों को खेलने के लिए मैदान के लिए एक बार फिर से तरसना पड़े। खिलाड़ी तो ३० साल की लीज देने के पक्ष में भी नहीं है।

क्या पाटिल वादा पूरा कर पाएंगे
राजधानी की खेल बिरादरी में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि क्या केन्द्रीय राज्य खेल मंत्री श्री पाटिल अपना वह वादा पूरा कर पाएंगे जिसमें उन्होंने रायपुर के सेंटर को तीन माह के अंदर प्रारंभ करने की बात कही है। सबका ऐसा मानना है कि अगर साई ने सेंटर के विकास की राशि निगम से बाद में लेने वाली शर्त नहीं हटाई या फिर इसका सरलीकरण लिखित में नहीं दिया तो सेंटर प्रारंभ नहीं हो पाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

हिन्दी में लिखें

खेलगढ़ Headline Animator

खेलगढ़ की चर्चा हिन्दुस्तान में