शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

रोप स्किपिंग के गुर सिखाए

सरस्वती स्कूल में आए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी-रेफरी
छत्तीसगढ़ में होने वाली रोप स्किपिंग की राष्ट्रीय स्कूली चैंपियनशिप से खिलाडिय़ों को इस नए खेल की जानकारी देने के लिए विद्या भारती के साथ प्रदेश संघ की पहल पर यहां आए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और अंतरराष्ट्रीय रेफरी दिल्ली के निर्देश शर्मा ने सरस्वती स्कूल रोहिणीपुरम में खिलाडिय़ों को इस खेल के बारे में जानकारी दी। इसी के साथ वहां पर उपस्थित स्कूल के खेल शिक्षकों को भी इस खेल की बारीकियां बताईं ताकि वे खिलाडिय़ों को तैयार कर सकें। दूसरी तरफ स्कूली शिक्षा विभाग में जानकारी देने के बाद भी विभाग ने किसी भी खेल शिक्षक को इस प्रशिक्षण शिविर में भेजना जरूरी नहीं समझा।
स्कूली खेलों में शामिल रोप स्किपिंग की मेजबानी इस बार छत्तीसगढ़ को मिली है। ऐसे में इस खेल से जुड़े अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और रेफरी दिल्ली के निर्देश शर्मा को यहां पर बुलाने का काम विद्या भारती संस्था के साथ प्रदेश संघ के अध्यक्ष वीजी भिसे की पहल पर किया गया। यहां आने के बाद श्री शर्मा ने जहां बिलासपुर में दो दिनों तक विद्या भारती से जुड़े छत्तीसगढ़ के ३५ शिक्षकों को इस खेल के बारे में जानकारी दी, वहीं इस प्रशिक्षण शिविर में महाकौशल के साथ मध्य भारत के भी खेल शिक्षक शामिल हुए। बिलासपुर के आयोजन के बाद एक दिन के लिए श्री शर्मा को रायपुर बुलाकर सरस्वती स्कूल में उनसे रायपुर के खेल शिक्षकों के साथ खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिलाने का काम किया गया। इस कार्यक्रम में सरस्वती स्कूल के खिलाडिय़ों के साथ खेल शिक्षकों को श्री शर्मा ने गंभीरता से इस खेल के हर पहलू के बारे में जानकारी दी। उन्होंने खेल के सारे एवेंट के साथ खेल में किसी तरह की रस्सी का प्रयोग होता है उसके बारे में भी बताया।

एशिया में भारत पांचवें स्थान पर

निर्देश शर्मा ने प्रशिक्षण शिविर के बाद चर्चा करते हुए बताया कि रोप स्किपिंग भारत में पिछले ९ सालों से खेला जा रहा है और एशिया में इस समय भारत का स्थान पांचवां है। उन्होंने बताया कि वे २००४ में मलेशिया में एशियन चैंपियनशिप में खेले थे, इसी के साथ २००६ में वे नेपाल में एक अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी खेले हैं। रस्सी कूद के इस खेल के बारे में वे बताते हैं इस खेल में भारत बहुत आगे जा सकता है। दिल्ली में हुई एक एशियन चैंपियनशिप में भारत ने दो दर्जन से ज्यादा स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने कहा कि इस खेल की राष्ट्रीय स्कूली चैंपियनशिप का आयोजन छत्तीसगढ़ जैसे नए राज्य में करना अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि वे यहां पर खेल शिक्षकों को जानकारी देकर जा रहे हैं, अब उनका काम है कि वे राष्ट्रीय चैंपियनशिप से पहले खिलाडिय़ों को तैयार करे।

शिक्षा विभाग ने नहीं भेजा खेल शिक्षकों को

राष्ट्रीय स्कूली रोप स्किपिंग की मेजबानी छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा विभाग ने ले तो ली है, पर इस खेल के प्रति विभाग के अधिकारी गंभीर ही नहीं है। उनको इस बात की चिंता ही नहीं है कि इस नए खेल में आखिर प्रदेश के खिलाड़ी कैसे खेलेंगे। ऐसे समय में जबकि खेल की जानकारी देने के लिए प्रदेश संघ ने एक अंतरराष्ट्रीय रेफरी को बुलाया था, और राजधानी में एक आयोजन भी किया तो जानकारी भेजने के बाद शिक्षा विभाग ने किसी भी खेल शिक्षकों को आयोजन में नहीं भेजा। प्रदेश संघ के अध्यक्ष वीजी भिसे ने बताया कि उन्होंने बकायदा लिखित में इसकी सूचना सहायक संचालक खेल एसआर कर्ष को दी थी। इस बारे में संपर्क करने पर श्री कर्ष ने यह तो माना कि उनको सूचना मिली थी। उन्होंने बताया कि उन्हों जिले के स्कूली खेल अधिकारी सीएल बघेल को वहां खेल शिक्षकों को भेजने के लिए कहा था। इस संबंध में श्री बघेल ने बताया कि उनको फोन से सूचना दो दिन पहले दी गई थी, पर बैकुंठ में संभाग की फुटबॉल चैंपियनशिप होने के कारण किसी भी खेल शिक्षक को भेजना संभव नहीं था। कुल मिलाकर शिक्षा विभाग को इस बात की चिंता ही नहीं है उनकी मेजबानी में होने वाले इस नए खेल में कैसे खिलाड़ी शामिल होंगे जबकि उनको इस खेल के बारे में जानकारी ही नहीं रहेगी।

गोलों की ङाड़ी-मिली जीत बड़ी

अंतर स्कूल सेवन-ए-साइड वीके चौबे स्मृति फुटबॉल चैंपियनशिप में खेले गए दो मैचों में गोलों की ङाड़ी लगाते हुए वामनराव लाखे स्कूल की अंडर १४ और होलीक्रास बैरन बाजार की अंडर १९ की टीम ने बड़ी जीत प्राप्त की। लाखे स्कूल ने मॉडल स्कूल को ७-० से रौंदा तो होलीक्रास ने खालसा स्कूल को ४-० से पीटा। चैंपियनशिप में शुक्रवार को चार मैच खेले जाएंगे।

शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा सप्रे स्कूल में आयोजित स्पर्धा में पहला मैच अंडर १४ साल में वामनराव लाखे और मॉडल स्कूल के बीच खेला गया। इस मैच में प्रारंभ से ही लाखे स्कूल की टीम हावी रही। मैच का पहला गोल खेल के ५वें मिनट में बंटी बघेल ने किया। इस गोल के दो मिनट बाद ही बंटी ने एक और गोल दाग दिया। बंटी के पास हैट्रिक बनाने का मौका था, पर इसके पहले ही रजत ने १२वें मिनट में अपना पहला और मैच का तीसार गोल कर दिया। बंटी ने मैच का चौथा गोल १५वें और पांचवां १६वें मिनट में किया। इसके चार मिनट बाद बंटी ने अपना पांचवां और मैच का छठा गोल २२ वें मिनट में किया। मैच का अंतिम और सातवां गोल ३५वें मिनट में रजत ने किया।

चैंपियनशिप में अंडर १७ का मैच तो नहीं हो सका, पर अंडर १९ का मैच होलीक्रास स्कूल बैरन बाजार की बी टीम का खालसा स्कूल के साथ हुआ। यह मैच भी पहले मैच की तरह ही एकतरफा रहा। मैच में शुरू से होलीक्रास की टीम हावी रही। मैच में पहला गोल चौथे मिनट में समीर ने किया। इसके बाद १४वें और १५वें मिनट में रोहित रौशन ने दो गोल किए। मैच का चौथा गोल समीर ने २३वें मिनट में किया। मैचों के रेफरी अमित यदु, विनोद, प्रेम तांडी, सतीश दीप और नीलकंठ जगत थे।

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

दीपिका के तीर स्वर्ण के पार


अमेरिका में आयोजित 11 वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर स्वदेश लौटने पर दीपिका कुमारी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। दीपिका टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रशिक्षण रत्त है।


जमशेदपुर की 15 वर्षीय दीपिका शिवनारायण महतो की पुत्री है, महतो आटो रिक्शा चालक है और दीपिका की माता सरकारी अस्पताल में नर्स है। ग्यारहवीं की छात्रा ने शुरूआती दौर में कुछ अरसे तक सरायकेला खरसवां आर्चरी एसोसिएशन के मार्गदर्शन में तीरदांजी का प्रशिक्षण प्राप्त किया और वे मई 2007 में सरायकेला खरसवां आर्चरी एकेडमी दुगनी से जुड़ गयी। 9 मई 2008 को उसने टाटा आर्चरी एकेडमी में दाखिला लिया था, जहां अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सबको आकर्षित किया। उसी साल में सब जूनियर चैंपियनशिप और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया। इसी क्रम में सीनियर तीरदांज डोला बनर्जी को भी पराजित किया। दीपिका को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोहरत तब हासिल हुई जब उन्होने 2008 में टर्की में आयोजित कैडेट जूनियर वल्र्ड आर्चरी चैंपिंयनशिप में भारतका प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद इन्होने बैंकाक में आयोजित एशियन आर्चरी ग्रां प्री में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया और रजत पदक हासिल की। दीपिका अकेले ऐसे भारतीय है जिन्होने ओग्डेन (यूटा), यूएस में 16 जुलाई को विश्व तीरदांजी के कैडेट रिकर्व वीमेन्स इवेंट के अंतिम चक्र में प्रवेश किया था। जब तक उन्होने 28 अंक हासिल किए तब तक 6 अंकों की बढ़त (86-80) मिल चुकी थी। अंतिम दौर में 9,10,10 अंक लेकर स्वर्ण पदक हासिल कर ली। एकेडमी के ही एक अन्य बेहद प्रतिभाशाली प्रशिक्षु अतनु दास को जूनियर केटेगरी के क्वार्टर फाइनल में पराजय मिली। उन्हे कोरियाई तीरदांज किम वूजिन ने 28-24,57-52,85-80 व 114-109 से पराजित किया।

मंगलवार, 28 जुलाई 2009

विवेकानंद स्कूल जीता

वीके चौबे स्मृति अंतर शालेय फुटबॉल शुरू

सप्रे स्कूल के भीड़ भरे मैदान में १४ साल के फुटबॉलर खेल रहे हैं, उनके गोल पर खिलाडिय़ों के साथ दर्शक लगातार तालियां बजा रहे हैं। पिछले साल की विजेता विवेकानंद विद्या पीठ के खिलाड़ी गोल पर गोल किए जा रहे हैं। सामने होलीक्रास स्कूल के खिलाड़ी उनको रोक नहीं पा रहे हैं। अंत में विवेकानंद की टीम ४-० से मैच डीत जाती है। अन्य मैचों में अंडर १७ साल में होलीक्रास ने बाजी मारी। महिला टीमों के बीच खेला गया प्रदर्शन मैच ड्रा रहा। शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा मदनवाड़ा की नक्सली घटना में मारे गए पुलिस अधीक्षक वीके चौबे सहित अन्य शहीदों की याद में आयोजित सेवन-ए- साइड फुटबॉल चैंपियनशिप का पहला मैच अंडर १४ साल वर्ग में विवेकानंद विद्या पीठ और होलीक्रास स्कूल बैरन बाजार के बीच खेला गया। इस मैच में शुरू से ही मौजूदा चैंपियन विवेकानंद स्कूल ने चैंपियन की तरह खेल दिखाया। मैच का पहला गोल खेल के तीसरे ही मिनट में याकेश ने किया। इस गोल के एक मिनट बाद ही फिर से याकेश ने गोल कर दिया। दूसरे गोल के दो मिनट के अंतराल के बाद छठे और आठवें मिनट में भानुप्रताप ने दो गोल करके अपनी टीम को ४-० से आगे कर दिया। पहले हॉफ में यही चार गोल हुए। दूसरे हॉफ में कोई टीम गोल नहीं कर सकी और मैच विवेकानंद ने ४-० से जीत लिया।
पहले मैच के बाद महिला खिलाडिय़ों का एक प्रदर्शन मैच खेला गया। यह मैच गोलरहित बराबर रहा। स्पर्धा में दूसरा मैच अंडर १७ का होलीक्रास स्कूल और रेडियंड वे के बीच खेला गया। बहुत ही रोमांचक मुकाबले में कोई टीम गोल नहीं कर पाई तो मैच का फैसला टाईब्रेकर में किया गया जिसमें होलीक्रास की टीम २-१ से जीती।

शहीदों के नाम स्पर्धा को सबने सराहा

मैचों से पहले चैंपियनशिप का उद्घाटन नगर निगम के सभापति रतनडागा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने की। इस मौके पर मुख्यअतिथियों ने शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा मदनवाड़ा में मारे गए पुलिस के जवानों की याद में स्पर्धा आयोजित करने के फैसले को सराहा गया। रतन डागा के साथ अमित कुमार ने वीके चौबे को याद करते हुए उनके संस्मरण सुनाए। अतिथियों ने खिलाडिय़ों से खेल भावना से खेलने का आव्हान करने के साथ स्पर्धा को अगले साल और भव्य बनाने की बात की। शेरा समिति से मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि अब यह स्पर्धा हर साल वीके चौबे के साथ सभी शहीदों के नाम से ही आयोजित की जाएगी। उद्घाटन अवसर पर उपस्थित छत्तीसगढ़ ट्रक एसोसिएशन के राजेन्द्र सिंह बेनीपाल ने स्पर्धा में सभी वर्गों के लिए ट्राफी देने की बात कही। इस अवसर पर वीके चौबे के परिजनों के साथ हज कमेटी के डॉ। सलीम राज सहित और कई अतिथि और सभी स्कूलों के खेल शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थित थे। सभी शहीदों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्वांजलि दी गई।

आज के मैच
राष्ट्रीय विद्यालय बनाम हरिनाथ अकादमी (अंडर १४ साल), इंडियन कावेंट बनाम लिटिल फ्लावर (अंडर १७), सेंट जोसेंफ बनाम संत ज्ञानेश्वर (अंडर १९)।

सोमवार, 27 जुलाई 2009

पाइका के दूसरे चरण के लिए कवायद शुरू

पाइका के पहले चरण को केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने और इसके लिए बजट मिलने के बाद अब दूसरे चरण के लिए प्रदेश के खेल विभाग ने कवायद प्रारंभ कर दी है। खेल संचालक जीपी सिंह ने सोमवार को सभी जिलों के खेल अधिकारियों की क्लास लेकर उनको पाइका के बारे में प्रशिक्षण दिया। इधर खेल अधिकारियों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनको पाइका योजना के लिए गांव-गांव भाग दौड़ करनी पड़ रही है और इसके लिए भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है।

केन्द्र सरकार की गांव-गांव में खेलों को पहुंचाने की योजना के लिए प्रदेश के ९८२ गांवों का चयन पहले चरण के लिए कर लिया गया है। इसके लिए जहां केन्द सरकार से करीब १० करोड़ का बजट पास हो गया है, वहीं प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए २ करोड़ ६६ लाख की राशि दे दी है। इस योजना में ग्रामीण खेलों को भी शामिल किया गया है। साथ ही योजना में किए गए कुछ बदलावों के बारे में जानकारी देने के लिए मंगलवार को खेल संचालक जीपी सिंह ने सभी जिलों के खेल अधिकारियों की क्लास ली, उनको पाइका पर गंभीरता से काम करने के लिए कहा। सभी खेल अधिकारियों को पाइका में किस तरह से काम करना है और कैसे ग्रामीण खेलों को विकासखंड स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर पर आयोजन करना है, सके बारे में जानकारी दी। इसी के साथ पाइका के दूसरे चरण की तैयारी करने के भी निर्देश दिए।

भत्ता दिया जाए

सभी जिलों से आए खेल अधिकारियों को इस बात की शिकायत है कि पाइका को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी एकत्रित करने का काम संचालनालय द्वारा दिया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया गया है। इनका एक स्वर में कहना है कि बिना भत्ते के काम कैसे किया जा सकता है। जिलों से काफी दूर-दूर गांवों में जानकारी लेने जाना बिना साधन के संभव नहीं है। साधन और भत्ता दोनों देने की बात इन अधिकारियों ने कही है।

सजा मैदान-आज से फुटबॉल का घमासान

शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा राजधानी रायपुर में आयोजित की गई चार वर्गों की अंतर स्कूल फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन मदनवाड़ा की नक्सली घटना में मारे गए एसपी वीके चौबे सहित सभी शहीदों के नाम से किया जा रहा है। इस चैंपियनशिप में रिकॉर्ड १२० से ज्यादा टीमें खेल रही हैं। पहले दिन तीन मैच खेले जाएंगे, इसी के साथ महिला वर्ग का एक प्रदर्शन मैच होगा। चैंपियनशिप के लिए सप्रे स्कूल के मैदान को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है।

यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने प्रयोग के तौर पर सेवन-ए-साइड फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन किया था। इस चैंपियनशिप पहले साल ही मिली सफलता के बाद इसको नियमित कर दिया गया है। अब इस चैंपियनशिप को चौथे साल में और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी की गई है। उन्होंने बताया कि चैंपियनशि में ४२ से ज्यादा स्कूलों की १२० से ज्यादा टीमें खेलेंगी। हर स्कूल से कम से कम तीन टीमें खेलेंगी ही। उन्होंने बताया कि चैंपियनशिप अंडर १४ साल, १७ साल और १९ साल के वर्ग समहू में होगी। अंडर १४ साल वर्ग में ४५ टीमें, अंडर १७ साल में ४० टीमें और अंडर १९ साल मे १९ टीमों को अब तक प्रवेश दिया गया है। अब भी कई स्कूलों की टीमें प्रवेश लेने के लिए बेताब हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार महिला टीमों के लिए भी चैंपियनशिप करवाई जा रही है। चैंपियनशिप पहले लाकआउट होगी, इसके बाद हर वर्ग की ६-६ टीमों के बीच लीग मुकाबलों के बाद सेमीफाइनल और फाइनल मैच खेले जाएंगे। पिछले साल १४ साल वर्ग में विवेकानंद विद्या पीठ विजेता और राजकुमार कॉलेज की टीम उपविजेता बनी थी। इसी तरह से १७ साल वर्ग में वामनराव लाखे स्कूल विजेता और विवेकानंद विद्या पीठ की टीम उपविजेता बनी थी। सीनियर वर्ग में बैरनबाजार होलीक्रास स्कूल की ही टीमें विजेता और उपविजेता बनी थी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर स्कूली की टीमों तीन वर्गों में प्रवेश ले रही हैं। नए स्कूलों की टीमों में ज्यादा उत्साह है। उन्होंने पूछने पर मिक्स फुटबॉल चैंपियनशिप सबसे अंत में करवाई जाएगी। इसके लिए अंडर १४ साल के लड़कों की चैंपियनशिप में सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीमों को रखा जाएगा। लड़कियों की टीमें चूंकि कम हैं ऐसे में इसके लिए तय की गई चार टीमों में अंडर १४ और इससे ज्यादा उम्र की लड़कियों को भी खेलने की इजाजत रहेगी।

पहले दिन होंगे तीन मैच - चैंपियनशिप के पहले दिन तीन मैच करवाए जाएँगे। उद्घाटन दोपहर को ३ बजे डीजीपी विश्वरंजन करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नदर निगम के सभापति रतन डागा करेंगे। विशेष अतिथि हज कमेटी के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज, कलेक्टर संजय गर्ग, रायपुर एसपी अमित कुमार, सीएसपी शशि मोहन सिंह एवं रजनीश सिंह होंगे। उद्घाटन के बाद पहले महिला टीमों के बीच प्रदर्शन मैच खेला जाएगा। इसके बाद पहला मैच अंडर १४ वर्ग में पिछली विजेता विवेकानंद विद्या पीठ और होलीक्रास बैरन बाजार सी, दूसरा मैच अंडर १७ साल में होलीक्रास बैरन बाजार ए बनाम रेडियंट वे स्कूल, तीसरा मैच अंडर १९ साल में सेंट जेवियर बनाम माता सुंदरी स्कूल के बीच खेला जाएगा।

साई सेंटर को एमआईसी की मंजूरी

खेल विभाग की पहल पर रायपुर नगर निगम की एमआईसी ने भी मंगलवार को स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में साई के ट्रेनिंग सेंटर को मंजूरी दे दी है। अब बहुत जल्द एमओयू को अंतिम रूप दिया जाएगा। एमओयू होते ही यहां पर साई सेंटर जल्द प्रारंभ कर देगा। इस सेंटर में छह खेलों का समावेश किया गया है।

निगम द्वारा साई सेंटर को एमआईसी में अनुमोदित करने के बारे में जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि निगम ने इस सेंटर को पहले ही अनुमोदित कर दिया था, पर एमओयू से पहले इसको एमआईसी में रखा गया जहां से इसको मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि उनकी इस बारे में क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु से बात भी हुई है और उन्होंने यहां साई के अधिकारियों को भेजने की बात कही है। अधिकारियों के आने के बाद उनकी निगम के अधिकारियों के साथ बैठक होगी और एमओयू को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया की जाएगी। एमओयू होते ही यहां पर साई का काम संभवत: अगले माह प्रारंभ हो जाएगा। साई ने इस सेंटर के लिए छह खेलों को शामिल करते हुए पहले ही केन्द्र सरकार को इसका प्रस्ताव भेज दिया है। इस सेंटर में ६ खेलों को शामिल किया गया है। सेंटर में एथलेटिक्स के लिए १० बालक १० बालिकाएं, वालीबॉल के लिए १२ बालक १२ बालिकाएं, हॉकी के लिए भी १२-१२, हैंडबॉल में १२-१२, कबड्डी में १८ बालक, भारोत्तोलन में १० बालक और १० बालिकाओं का चयन करके इनको प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर यहां पर डे-बोर्डिंग सेंटर प्रारंभ किया जाएगा। बाद में यहां पर भी हास्टल की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

थांग ता-जाएगा छा


छत्तीसगढ़ में एक और नए खेल थांग ता ने दस्तक दी है। इस खेल के गुर सिखाने के लिए प्रदेश के खिलाडिय़ों को राजधानी में एकत्रित किया गया है। करीब १५० खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय फेडेरशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंग दो प्रशिक्षकों के साथ राजधानी में हैं। वे यहां पर खिलाडिय़ों को इस खेल की बारीकियों की जानकारी देकर जाएंगे, ताकि यह खेल छत्तीसगढ़ में भी छा जाए। वैसे यह खेल देश के २७ राज्यों में खेला जा रहा है। यह खेल मुख्यत: मणिपुर का पारंपरिक खेल है।


प्रदेश के थांग ता संघ ने मार्शल आर्ट ने इस नए खेल से छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों को जोडऩे की पहल की है। इस खेल की जानकारी देने के लिए रविशंकर विवि के पास एक हॉल में चार दिनों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है। इस शिविर में प्रदेश के पांच जिलों रायपुर सहित बिलासपुर, भिलाई, महासमुन्द, दुर्ग और कोरबा के १५० खिलाड़ी प्रशिक्षण लेने आए हैं। इन खिलाडिय़ों में ३० महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इस नए खेल के बारे में प्रदेश संघ के सचिव गोविंद रावत ने बताया कि यह मुख्यत: मणिपुर का पारंपरिक खेल हैं। इस खेल में खिलाडिय़ों के हाथ में लकड़ी का बना तलवार नुमा हथियार होता है। इस हथियार को चइवी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रशिक्षक खिलाडिय़ों को २९ जुलाई तक प्रशिक्षण देंगे। इसके बाद जो खिलाड़ी यहां से प्रशिक्षण लेकर जाएंगे, वे अपने-अपने जिलों में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण शिविर रोज सुबह को ७ से १० बजे और शाम को ४ से ६ बजे तक दिया जाएगा। प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन आज शिविर का उद् घाटन कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने किया। इसके बाद शाम के सत्र में खिलाडिय़ों को खेल के बारे में जानकारी दी गई।

३० ने दी अंपायरिंग परीक्षा

छत्तीसगढ़ के ३० खिलाडिय़ों ने लेबल वन अंपायर बनने के िएळ यहां पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा दी। तीन घंटे के पेपर के बाद पेपरों को सील करके मुंबई भेज दिया गया है। अब परीक्षा के परिणाम करीब एक माह बाद आएंगे। परीक्षा के पहले अंपायरों को तीन दिनों तक नियमों के बारे में बीसीसीआई से आए प्रशिक्षकों ने जानकारी दी।

छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने यहां पर लेबल वन अंपायरों की परीक्षा के साथ सेमिनार आयोजित किया है। इस चार दिनों के सेमिनार के तीसरे दिन प्रदेश के अंपयारों को नियमों की जानकारी देने के बाद रविवार को अंतिम दिन उनकी परीक्षा ली गई। परीक्षा में पास होने वालों को लेबल दो में जाने का मौका मिलेगा। यह परीक्षा लेने के लिए बीसीसीआई के स्पेनिंल सांडल आने वाले थे, पर वे तो नहीं आ पाएं लेकिन बीसीसीआई से आज पेपर आने के बाद दोपहर २ बजे से शाम ५ बजे तक परीक्षा हुई। इस परीक्षा में रायपुर के साथ बिलासपुर, महासमुन्द, कोरबा, भिलाई सहित प्रदेश भर के ३० वरिष्ठ खिलाडिय़ों ने भाग लिया। परीक्षा से पहले सेमिनार में बीसीसीाई से आये नरेन्द्र मेमन और राजीव रिसोड़कर ने क्रिकेट पिच, क्रीज,प्लेइंग एरिया,लाईनिंग के संबंध में जानकारी दी। इसके अलावा अंपारिंग के लॉ के तहत बाल बैट और विकेट के बारे में जानकारी दी। अंपायरिंग लॉ के स्कोरर, प्लेयर, विकेट कीपर, क्षेत्ररक्षक के बारे में जानकारी दी। भावी अंपायरों को मैच की विडियो रिकार्डिंग दिखाकर भी जानकारी दी गई। लेबल वन परीक्षा अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनने की पहली सीढ़ी है। इस परीक्षा को पास करने वालों का तीन साल के अनुभव के बाद लेबल दो की परीक्षा देने का मौका मिलेगा।

रविवार, 26 जुलाई 2009

मेजबानी के लिए मिले ५० लाख

छत्तीसगढ़ करेगा अब २०१४ के राष्ट्रीय खेलों का दावा
छत्तीसगढ़ में अब बहुत जल्द राष्ट्रीय खेलों का महाकुंभ होने वाला है। इसके लिए खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी की मांग पर विधानसभा में मेजबानी लेने के लिए लगने वाला ५० लाख का बजट खेल विभाग को देने की सहमति दे दी गई है। अब विभाग को यह बजट मिलते ही विभाग मेजबानी का दावा भारतीय ओलंपिक संघ के सामने करेगा। यह दावा अक्टूबर में किया जाएगा, इसके पहले खेल विभाग दावेदारी के लिए पूरी तैयारी करेगा। मेजबानी लेने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पहले ही सहमति जता चुके हैं।

राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की पहल करने वाली खेल मंत्री लता उसेंडी की मांग पर अब उनके विभाग को प्रदेश सरकार ने ५० लाख का बजट देने का फैसला कर लिया है। इस बारे में खेल मंत्री ने बताया कि अनपूरक बजट में मेजबानी के लिए मांग गए ५० लाख को मंजूरी मिल गई है। अब यह बजट जल्द ही खेल विभाग को दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेकर प्रदेश में खेलों का विकास करने के प्रयास में है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खेलों का विकास ही हमारी पहली प्राथमिकता है। यही वजह है कि खेल विभाग लगातार इस प्रयास में है कि किस तरह से प्रदेश के खेलों को आगे बढ़ाने का काम किया जाए। उन्होंने कहा कि यह बात तय है कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने से जहां छत्तीसगढ़ का नाम राष्ट्रीय नक्शे पर आएगा वहीं खेलों के लिए मैदानों की कमी पूरी हो जाएगी। वैसे हमारी सरकार लगातार खेल मैदानों पर ध्यान दे रही है और ज्यादा से ज्यादा मैदान बनाने का काम प्रदेश में किया जा रहा है।

उन्होंने पूछने पर कहा कि अब खेल विभाग २०१४ के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की तैयारी में जुट गया है। जल्द ही इसका प्रस्ताव बनाकर भारतीय ओलंपिक संघ के पास भेजा जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में लगातार कई खेलों की राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई है और यहां पर जिस तरह की सुविधाएं हैं उसको देखते हुए छत्तीसगढ़ को मेजबानी मिल ही जाएगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने खेल विभाग को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने के लिए एक योजना बनाने के निर्देश दिए थे जिसके बाद इसकी योजना बनाई गई।

यह यह बताना लाजिमी होगा कि खेल मंत्री ने निर्देश के बाद ही प्रदेश के खेल विभाग ने छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के साथ बात करके राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की दिशा में काम किया और इसके लिए सारी जानकारी एकत्रित करके मुख्यमंत्री डॉ . रमन सिंह के सामने विभाग ने अपनी विभागीय मंत्री सुश्री लता उसेंडी के माध्यम से पूरी योजना रखी थी और उनसे इसके लिए मंजूरी मांगी। खेलों में विशेष रूचि लेने वाले मुख्यमंत्री ने योजना की जानकारी होने पर मेजबानी लेने के लिए मंजूरी दे दी थी। तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि खेलों के लिए विकास के लिए कुछ भी करें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि मेजबानी जरूर लें। यहां पर यह बताना लाजिमी है कि बिना प्रदेश सरकार की सहमति के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी नहीं मिलती है। भारतीय ओलंपिक संघ के पास जो प्रस्ताव भेजा जाता है, वह प्रस्ताव प्रदेश सरकार के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ का संयुक्त प्रस्ताव रहता है। प्रदेश सरकार की अनुमति इसलिए जरूरी होती है क्योंकि प्रस्ताव के साथ ५० लाख रुपए की राशि भी भेजनी पड़ती है और यह राशि प्रदेश सरकार देती है। मेजबानी मिलने के बाद एक करोड़ ५० लाख रुपए और देने पड़ते हैं। पहले चरण में मेजबानी के लिए दिए जाने वाले ५० लाख की राशि मिलने के बाद अब मेजबानी मिलने का भरोसा हो गया है।

अक्टूबर में भेजा जाएगा प्रस्ताव: सिंह

खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि विभाग तो मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद ही २०१४ के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की दिशा में गंभीरता से जुट गया और प्रस्ताव भेजने की दिशा में काम प्रारंभ हो गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव अक्टूबर में भारतीय ओलंपकि संघ के सामने रखा जाएगा। विभाग को प्रदेश ओलंपिक संघ ने बताया है कि अक्टूबर में ही ओलंपिक संघ की बैठक में मेजबानी तय होगी। उन्होंने बताया कि वे लगातार ऐसे राज्यों से संपर्क कर रहे हैं जहां पर राष्ट्रीय खेल होने हैं। उन्होंने बताया कि एक पूरी योजना बनाकर प्रस्ताव भेजा जाएगा। हम चाहते हैं कि हमें किसी भी हालत में मेजबानी मिल जाए। मेजबानी मिलने से प्रदेश में खेलों के मैदानों का अंबार हो जाएगा जो जीवन भर काम आएगा।

आज होगी अंपायरों की परीक्षा

छत्तीसगढ़ के अंपायरों को भी तीन दिनों तक अंपायरिंग के नियमों की जानकारी देने के बाद अब उनकी रविवार को दोपहर २ बजे लिखित परीक्षा ली जाएगी। इस लेबल वन अंपायर की परीक्षा के लिए पर्चा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से आएगा। छत्तीसगढ़ के लिए ३० अंपायरों का कोटा दिया गया है और इतने ही अंपायर यहां पर परीक्षा देंगे। परीक्षा का परिणाम करीब एक माह बाद आएगा।
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने यहां पर लेबल वन अंपायरों की परीक्षा के साथ सेमिनार आयोजित किया है। इस चार दिनों के सेमिनार के तीसरे दिन प्रदेश के अंपयारों को नियमों की जानकारी देने के बाद अंतिम दिन उनकी परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा में पास होने वालों को लेबल दो में जाने का मौका मिलेगा। यह परीक्षा लेने के लिए बीसीसीआई के स्पेनिंल सांडल आने वाले थे, पर वे तो नहीं आ पाएं लेकिन बीसीसीआई के कल पेपर आएंगे इसके बाद दोपहर २ बजे से शाम ५ बजे तक परीक्षा होगी। इस परीक्षा में रायपुर के साथ बिलासपुर, महासमुन्द, कोरबा, भिलाई सहित प्रदेश भर के ३० वरिष्ठ खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। श्री दवे ने बताया कि सेमिनार के बीसीसीाई से आये नरेन्द्र मेमन और राजीव रिसोड़कर ने क्रिकेट पिच, क्रीज,प्लेइंग एरिया,लाईनिंग के संबंध में जानकारी दी। इसके अलावा अंपारिंग के लॉ के तहत बाल बैट और विकेट के बारे में जानकारी दी। अंपायरिंग लॉ के स्कोरर, प्लेयर, विकेट कीपर, क्षेत्ररक्षक के बारे में जानकारी दी। भावी अंपायरों को मैच की विडियो रिकार्डिंग दिखाकर भी जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि लेबल वन परीक्षा अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनने की पहली सीढ़ी है। इस परीक्षा को पास करने वालों का तीन साल के अनुभव के बाद लेबल दो की परीक्षा देने का मौका मिलेगा।

शनिवार, 25 जुलाई 2009

पुरस्कारों के नियम शिथिल किए जाएं

प्रदेश के खेल पुरस्कारों की विसंगतियों को दूर करने के साथ ही पुरस्कारों के नियमों को शिथिल करने की मांग शुक्रवार को खेल संचालक जीपी सिंह के सामने रखी गई। यह मांग प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने की है। खासकर हनुमान सिंह पुरस्कार को लेकर खेल संघों के पदाधिकारी परेशान हैं।
खेल भवन में सुबह प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान के नेतृत्व में कई खेल संघों के पदाधिकारी वालीबॉल संघ के मो. अकरम खान, जूडो संघ के अरूण द्विवेदी, ट्रायथलान संघ के विष्णु श्रीवास्तव, महिला हॉकी संघ की नीता डुमरे, कबड्डी संघ के रामबिसाल साहू के साथ नेटबॉल संघ के संजय शर्मा ने खेल संचालक जीपी सिंह से मुलाकात करके उनके सामने खेल पुरस्कारों की विसंगतियों के साथ हुनमान सिंह पुरस्कार में निर्णायकों के लिए रखे गए कड़े नियमों पर चर्चा करते हुए इनको शिथिल करने की मांग की। इन पदाधिकारियों ने बताया कि निर्णायकों के लिए यह नियम रखा गया है कि ऐसे निर्णायकों को पुरस्कार का पात्र माना जाएगा, जो तीन बार विदेश में जाकर अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशप में निर्णायक रहेंगे। पदाधिकारियों का साफ कहना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारतीय निर्णायकों का एक बार ही बड़ी मुश्किल से चयन होता है ऐसे में तीन बार का नियम रखा गया है तो किसी को यह पुरस्कार मिल ही नहीं पाएगा। इन्होंने पिछले साल का उदाहरण दिया कि इसी नियम के कारण पिछले साल किसी भी निर्णायक को पुरस्कार नहीं मिल सका था। इसी के साथ प्रशिक्षकों के लिए खेल संघ का अध्यक्ष या सचिव न रहने का जो नियम है, उनको भी पूर्णत: समाप्त करने की मांग रखी गई। पूर्व में इस नियम को शिथिल करके पिछले साल बास्केटबॉल के कोच राजेश पटेल को पुरस्कार दिया गया था।

राजीव पांडे पुरस्कार के बारे में चर्चा करते हुए मांग की गई कि यह पुरस्कार यदि किसी टीम को दिया जाए तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि पुरस्कार की राशि में उस तरह से कटौती न हो जिस तरह से पिछले साल हैंडबॉल की टीम के साथ हुआ था। तब हैंडबॉल टीम के चार खिलाडिय़ों की राशि में यह कहते हुए कटौती कर दी गई थी कि उनको पहले ही पुरस्कार मिल चुका है। संघों ने कहा कि चार खिलाडिय़ों को अगर पुरस्कार से अलग किया गया था तो पुरस्कार की राशि को १२ खिलाडिय़ों में बांटनी थी, लेकिन १६ खिलाडिय़ों में राशि को बांटकर ४ खिलाडिय़ों की राशि शासन को वापस भेज दी गई थी। पिछले साल इसी पुरस्कार में नियमों को शिथिल करके छत्तीसगढ़ की टीम से न खेल पाने वाले लेकिन छत्तीसगढ़ के रहने वाले मृणाल चौबे के साथ सबा अंजुम को भी पुरस्कार दिया गया था। नियमों को दूसरे खिलाडिय़ों के लिए भी शिथिल करने की मांग की गई ताकि छत्तीसगढ़ के रहने वाले दूसरे खिलाडिय़ों को भी इस नियम का लाभ मिल सके।

खेल प्रमोटरों को पुरस्कार दें

खेल संचालक के सामने खेल प्रमोटरों को भी एक पुरस्कार देने की मांग रखी गई। प्रदेश में कई लोग ऐसे हंै जिनके कारण कई खेल नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं। लेकिन ये चूंकि न तो प्रशिक्षक हैं और न ही निर्णायक और न ही खिलाड़ी जिनके कारण इनको पुरस्कारों मिल ही नहीं सकते हैं। ऐसे में इनके लिए एक पुरस्कार देने की मांग की गई। ऐसी ही मांग एक बार तब भी की गई थी जब राजीव श्रीवास्तव खेल आयुक्त थे। तब उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किए थे। खेल संचालक को बताया गया कि खेल प्रमोटर के लिए महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार देती है। महाराष्ट्र में विधायकों द्वारा विधायक निधि से खेलों की चैंपियनशिप में दिए जाने वाले एक लाख के अनुदान के बारे में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ में भी ऐसे नियम बनाने की मांग की गई।

मांगों पर विचार करेंगे: सिंह

खेल संघों द्वारा की गई मांगों पर खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि जो भी नियमानुसार होगा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों में जो भी विसंगतियां हैं, या फिर नियमों को शिथिल करने की बात है तो इसके लिए खेल संचालनालय अपनी तरफ से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज देगा। जो भी निर्णय होगा शासन स्तर पर होगा।

पाइका के लिए १० करोड़ मंजूर

प्रदेश में पाइका योजना को प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार ने करीब १० करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है। इन पैसों में से आधे यानी करीब पांच करोड़ रुपए पहली किस्त के रूप में मिलेंगे। इन पैसों के उपयोग के लिए खेल विभाग में योजना बनाई जा रही है। पहले चरण में ९८२ गांवों के साथ १४ विकासखंडों को शामिल किया गया है। इधर प्रदेश सरकार पहले ही इस योजना के लिए २ करोड़ ६६ लाख रुपए मंजूर कर चुकी है। वैसे पाइका के लिए पहले चरण में करीब १७ करोड़ का बजट रखा गया है।

केन्द्र सरकार ने पूरे देश के गांवों को खेलों से जोडऩे के लिए पंचायत स्तर से खेलों के विकास के लिए पाइका योजना प्रारंभ की है। इस योजना के पहले चरण में हर राज्य के सभी जिलों के १० प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। इन सभी गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ खेलों का आगाज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करने के लिए खेल विभाग ने काफी गंभीरता से पहल की है और विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी पास कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अपने बजट में करीब १० करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक पत्र में ७ करोड़ ८९ लाख की मंजूरी आई है। इस बजट में से ३ करोड़ ९४ लाख ५० हजार की राशि पहले दी जाएगी। इस राशि में ९८२ गांवों के लिए ७५-७५ हजार की राशि रखी गई है। इस तरह से यह राशि ७ करोड़ ३६ लाख ५० हजार होगी। इसके अलावा १४ विकासखंडों के लिए ३ लाख ७५ हजार रुपए प्रति विकासखंड के लिए दिए गए हैं। यह राशि ५२ लाख ५० हजार रुपए की होगी।

इसी तरह से एक और बजट दो करोड़ २२ लाख २० हजार का मंजूर किया गया है। इस बजट की आधी राशि मिलेगी। इस बजट में ९८२ गांवों के लिए वार्षिक अनुदान दिया गया है। इस अनुदान की राशि एक करोड़ १७ लाख ८४ हजार है। इसी तरह से १४ विकासखंडों के लिए दो लाख ८० हजार एक-एक विकासखंड के हिसाब से दी गई है।

केन्द्र ने जो राशि मंजूर की है, अब इन पैसों को लेने की कवायद खेल विभाग में प्रारंभ हो गई है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार से पैसे संभवत: अगले माह तक मिल जाएंगे। केन्द्र से जो बजट आया है उस बजट में खेल मैदानों के साथ खेल सामान और गांव के साथ विकासखंडों में बनाए जाने वाले क्रीड़ा श्री का मानदेय शामिल है।

इस योजना के लिए जिन मैदानों का चिंहित किया गया है, उनमें ज्यादातर मैदान स्कूलों के हैं। इन मैदानों का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि मैदानों के लिए केन्द्र सरकार एक लाख की ही राशि दे रही है। इतनी कम राशि में मैदान बनने से रहे। ऐसे में खेल विभाग ने उन मैदानों को चुनने का काम किया है जो पहले से विकसित हैं और जिन पर कम पैसे खर्च करके उनको खेलने के लायक बनाया जा सकता है। ऐसे मैदानों में एक लाख की लागत से गोल पोस्ट, वालीबॉल के लिए नेट आदि लगाने का काम किया जा सकेगा। गांवों में वैसे भी कबड्डी, वालीबॉल, और हॉकी का खेल ज्यादा होता है। कबड्डी के लिए तो ज्यादा सामान लगना नहीं है। वैसे गांवों में हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के खेल को भी विकसित करने का काम किया जा रहा है। इधर खेल विभाग ने गांवों में मैदानों के लिए मिलने वाले पैसों से जिम भी लगाने की तैयारी कर ली है।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भी बनेंगे अंतररराष्ट्रीय अंपायर!


छत्तीसगढ़ के अंपायरों को भी अब अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनाने की राह दिखाते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने यहां पर लेबल वन अंपायरों की परीक्षा के साथ सेमिनार आयोजित किया है। इस चार दिनों के सेमिनार के पहले दिन प्रदेश के अंपयारों को नियमों की जानकारी देने के बाद अंतिम दिन उनकी परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा में पास होने वालों को लेबल दो में जाने का मौका मिलेगा। सेमिनार का उद्घाटन प्रदेश संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने किया।


भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मान्यता मिलने के बाद प्रदेश संघ ने राज्य क्रिकेट के विकास के लिए काम करना प्रारंभ किया है। इस परिपेक्ष में यहां पर लेबल वन अंपायर परीक्षा सेमिनार का आयोजन किया गया है। बीसीसीआई के निर्देशों पर चार दिवसीय लेवल वन अंपायरिंग परीक्षा सेमिनार का उद्घाटन स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को अपने कैलेन्डर में शामिल किया है उससे यहां के खिलाडिय़ों को अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इसी के साथ लेवल वन अंपायरिंग परीक्षा सेमिनार का आयोजन किया गया उससे आने वाले समय में अंपायरिंग के क्षेत्र में भी लोगों के लिये आगे बढऩे की अच्छी संभावनाएं हैं।


संघ के सचिव राजेश दवे ने बताया कि चार दिनों तक चलने वाले इस सेमिनार के अंतिम दिन २६ जुलाई को परीक्षा आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा लेने के लिए बीसीसीआई के स्पेनिंल सांडल आएंगे। इस सेमिनार में रायपुर के साथ बिलासपुर, महासमुन्द, कोरबा, भिलाई सहित प्रदेश भर के ३० वरिष्ठ खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। श्री दवे ने बताया कि सेमिनार के पहले दिन बीसीसी से आये नरेन्द्र मेमन और राजीव रिसोड़कर ने क्रिकेट पिच, क्रीज,प्लेइंग एरिया,लाईनिंग के संबंध में जानकारी दी। इसके अलावा अंपारिंग के लॉ ५,६,८ के तहत बाल बैट और विकेट के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा १,४,४०,४१ अंपायरिंग लॉ के तहत स्कोरर, प्लेयर, विकेट कीपर, क्षेत्ररक्षक के बारे में जानकारी दी।


उन्होंने बताया कि लेबल वन परीक्षा अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनने की पहली सीढ़ी है। इस परीक्षा को पास करने वालों का तीन साल के अनुभव के बाद लेबल दो की परीक्षा देने का मौका मिलेगा। इस परीक्षा के बाद अंपायरों को दिलीप और रणजी ट्राफी जैसी चैंपियनशिप में अंपारिंग करने का मौका मिलेगा। यहां के बाद जब अंपायर लेबल तीन की पराक्षी पाश करेंगे तो वे अंतरराष्ट्रीय अंपायर बन जाएंगे।

गुरुवार, 23 जुलाई 2009

राज्य पुरस्कारों के ९८ दावेदार

प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के जूनियर, सीनियर खिलाडिय़ों के साथ प्रशिक्षकों और निर्णायकों को दिए जाने वाले पुरस्कारों के लिए ९८ दावेदारों से आवेदन किए हैं। आवेदन खेल संघों की अनुशंसा पर लिए गए हैं। अब आवेदन की तिथि समाप्त होने के बाद एक सप्ताह के अंदर ऐसे खिलाड़ी और प्रशिक्षक खेल विभाग में सीधे आवेदन कर सकते हैं जिनके आवेदन खेल संघों ने नहीं भेजे हैं।

खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रदेश के जूनियर खिलाडिय़ों को एक लाख का शहीद कौशल यादव पुरस्कार, सीनियर खिलाडिय़ों को दो लाख पच्चीस हजार का शहीद राजीव पांडे पुरस्कार, प्रशिक्षकों और निर्णायकों को एक-एक लाख का हुनमान सिंह पुरस्कार देता है। इसी के साथ ऐसे खेलों में जिनमें पदक नहीं मिल पाते हैं लेकिन इन खेलों के खिलाड़ी लगातार पांच साल से राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल रहे हैं, उनको २५ हजार की राशि का शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार और खेलों को जीवन समर्पित करने वालों को २५ हजार का खेल विभूति पुरस्कार दिया जाता है। इन पुरस्कारों के लिए खेल विभाग ने २० जुलाई तक आवेदन मंगाए थे। अब निर्धारित तिथि निकलने के बाद यह नियम है कि ऐसे खिलाड़ी और प्रशिक्षक और कोच जिनको यह मालूम होता है कि उनके आवेदन खेल संघ ने जमा नहीं किए हैं, वे अपने आवेदन एक सप्ताह के अंदर सीधे खेल विभाग में जमा कर सकते हैं। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया चल रही है और पात्र आवेदनों को जांचा जा रहा है। चुने गए खिलाडिय़ों को २९ अगस्त को सम्मानित किया जाएगा।
राज्य के पुरस्कारों के लिए खेल विभाग में कुल ९८ आवेदन आए हैं। जिन खिलाडिय़ों और प्रशिक्षकों-निर्णायकों के आवेदन आएं हैं, वे इस प्रकार हैं।

शहीद राजीव पांडे पुरस्कार- सीमा सिंह (बास्केटबॉल), शीतल मवार, रक्षा घोष, कल्याणी देवी मरकाम (कराते), अजय दीप सारंग (भारोत्तोतलन), कुमारी आसु (पावरलिफ्टिंग), सत्यनारायण, अशोक कुमार पटेल (एथलेटिक्स), ए।संतोष (टेबल टेनिस), ओमप्रकाश सिंह (हैंडबॉल), नेटबॉल टीम के सदस्य- ऐशवर्य पाठक, अमर पिल्ले, अंकित पाठक, कैलास रेड्डी, निमिष जैन, गिरशकांत, रशीद खान, जानकीशरण कुशवाहा, जागेश्वर सिंह, अंशुल शर्मा (सभी नेटबॉल), सायकल पोलो दल- एमएस करिश्मा, स्मृति कनेरिया, शुभांगी दुबे, सोनाली साव, मृदुला साहू।

शहीद कौशल यादव- पुरनम गेहलोत (कराते), सूर्या ठाकुर (फुटबॉल), शैला आलम (क्रिकेट), छायारानी, अमनदीप सिंग (पावरलिफ्टिंग), अंकित पाणिग्रही, कविता। किरण पाल सिंह, शुंभागी सिंह , तृप्ति सिंह राठौर, एल. दीपा (सभी बास्केबॉल), अजय दीप सारंग (भारोत्तोलन), शारदा (मुक्केबाजी), शिवम (कबड्डी), साक्षी राजपूत (बेसबॉल), सिद्धार्थ मिश्रा (वेटलिफ्टिंग), पी. कामराजू (थ्रोबाल), कमलेश निषाद (विकलांग क्रिकेट) विनोद उरांव (एथलेटिक्स), संतोष कुमार (वालीबॉल), जूबेर खान (शरीर सौष्ठव), सायकल पोलो टीम- एम. एस. करिश्मा, स्मृति कनेरिया, सुदीप्ति केशरिया, प्रीति यादव, काजल उइके। बालक दल प्रतीक कृष्णणन, संकल्प वर्मा, चन्द्रकांत साहू, एस. संतोष राव एवं निखिल जायसवाल।

हनुमान सिंह पुरस्कार- हरीनाथ, केएस अनिल जीत (पावरलिफ्टिंग), नीता डुमरे (हॉकी), पी। रत्नाकर (भारोत्तोलन), विजय कुमार (कैरम) , सुधीर वर्मा (नेटबॉल), जी रवि राजा (महिला क्रिकेट), अम्लेन्द तालुकदार (कराते), अरूण द्विवेदी (जूडो), विनोद नायर (वालीबॉल), शेख मौला (हैंडबॉल), टीकम दास अंदानी।

खेल विभूति सम्मान- संसार चंद, बाबूलाल राय (एथलेटिक्स), आरआर शुक्ला (हॉकी), गौरव कुमार चंदा (तीरंदाजी), राम बिसाल साहू (कबड्डी), गुलाब महबूब हसन (हॉकी, फुटबॉल, हैंडबॉल), अब्दुल सईद खान (कराते), एके श्रीवास्तव, एसएन नेमा (वालीबॉल), आजाद अहमद खान (टेनिस बॉल क्रिकेट)।
शहीद पंकज विक्रम- दुर्गा प्रसाद जंघेल (भारोत्तोलन), रंजना मांडले (तीरंदाजी), आनंद कुमार चंदलिया (रग्बी), प्रकाश दास मानिकपुरी (कुश्ती), डाली क्षत्रीय, प्रेरणा मिश्रा (फुटबॉल), लाखन सोनी (कैरम), पी। किशोर, शेख शरीफ (जूडो), रेखा पद्म, सचिन गुमास्ता (वालीबॉल), प्रमोद फरीकार (कयाकिंग), दीपिका वैरागड़े (हॉकी), चितेश्वरी ध्रुव (हैंडबॉल), प्रदीप साहू, टी। निंगराज रेड्डी (साफ्टबॉल), वरूण , धनराज यादव, गौरव दीवान (सभी टेनीक्वाइट)।

शहीद पंकज विक्रम- दुर्गा प्रसाद जंघेल (भारोत्तोलन), रंजना मांडले (तीरंदाजी), आनंद कुमार चंदलिया (रग्बी), प्रकाश दास मानिकपुरी (कुश्ती), डाली क्षत्रीय, प्रेरणा मिश्रा (फुटबॉल), लाखन सोनी (कैरम), पी. किशोर, शेख शरीफ (जूडो), रेखा पद्म, सचिन गुमास्ता (वालीबॉल), प्रमोद फरीकार (कयाकिंग), दीपिका वैरागड़े (हॉकी), चितेश्वरी ध्रुव (हैंडबॉल), प्रदीप साहू, टी. निंगराज रेड्डी (साफ्टबॉल), वरूण ङाा, धनराज यादव, गौरव दीवान (सभी टेनीक्वाइट)।

बूढ़ातालाब में कयाकिंग का अभ्यास ही संभव

कैनाइंग-कयाकिंग की एनआईएस कोच विश्शवरी देवी का कहना है कि बूढ़ातालाब में सिर्फ ५०० मीटर और २०० मीटर का अभ्यास ही संभव है। लेकिन यहां पर १००० मीटर का अभ्यास संभव नहीं है क्योंकि तालाब छोटा है। यह तालाब इस लिहाज से जरूरत उपयुक्त है कि इसके सामने में ही स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स है। ऐसे में बोट रखने के लिए स्थान की भी परेशानी नहीं होगी। इस तालाब के साथ दूधाधारी मठ के पास स्थित एक और बड़ा तालाब है, यहां भी कयाकिंग का अभ्यास किया जा सकता है। लेकिन इन तालाबों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का हो पाना संभव नहीं है। इधर प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू ने भी बूढ़ातालाब को खारिज करते हुए कहा कि कयाकिंग में मुख्यत: १००० मीटर की चैंपियनशिप होती है जिसका अभ्यास यहां संभव ही नहीं है।
यहां पर खेल विभाग के बुलावे पर आई भारतीय खेल प्राधिकरण की इस कोच को खेल संचालक जीपी सिंह ने निर्देश पर कयाकिंग के लिए उपयुक्त स्थान जानने के लिए बूढ़ातालाब के साथ दुधाधारी मठ के तालाब का निरीक्षण करवाया गया। जब विश्शवरी देवी ने बूढ़ातालाब का देखा तो वह इस तालाब पास में स्थित स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के कारण बहुत ज्यादा खुश हो गई। उन्होंने कहा कि इतनी अच्छी लोकेशन के बाद तो यह पूछने की ही किसी से जरूरत नहीं है कि यह स्थान कयाकिंग के लिए उपयुक्त है या नहीं। उन्होंने कहा कि जिस भी स्थान में कयाकिंग जैसा वाटर स्पोट्र्स का खेल होता है, उसके साथ सबसे बड़ी परेशानी बोटों को रखने की आती हैं, लेकिन यहां तो ऐसी कोई समस्या ही नहीं है। सीधे स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से बोट निकालिए और ले जाईए तालाब में और अभ्यास के बाद बोट को सुरक्षित रख दीजिए स्पोट्र्स काम्पलेक्स में। उनको इस तालाब के बाद दूधाधारी मठ से लगे तालाब को दिखाया गया है, विश्शवरी देवी और खुश हो गईं। उन्होंने कहा कि इतने पास-पास में छत्तीसगढ़ की राजधानी में दो बड़े तालाब हैं, इन दोनों तालाबों में ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी अभ्यास कर सकते हैं।

१००० मीटर का अभ्यास संभव नहीं:

फिलहाल तो बूढ़ातालाब में कयाकिंग का अभ्यास नहीं हो रहा है, पर पहले यहीं पर प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू अभ्यास करते थे और साथ ही खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देते थे। लेकिन कुछ समय से वे महादेव घाट में अभ्यास कर रहे हैं। इस बारे में उन्होंने पूछने पर बताया कि हम लोग पहले बूढ़ातालाब में अभ्यास कर रहे थे, पर यह तालाब १००० मीटर के अभ्यास के लिए छोटा पड़ रहा था, ऐसे में हम लोगों को महादेव घाट जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि बूढ़ातालाब में ५०० मीटर के साथ २०० मीटर का अभ्यास ही संभव है। उन्होंने कहा कि बूढ़ातालाब में एक परेशानी यह भी है कि यहां पर घाट नहीं है। घाट न होने के कारण बोट को उतारने में परेशानी होती है। इसी के साथ स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से अगर बोट को तालाब तक लाते हैं तो ट्रेफिक की वजह के कभी भी कोई घटना हो सकती है। उन्होंंने कहा कि अगर बोट रखने के लिए बूढ़ातालाब में बने पार्क में स्थान मिल जाए तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है।

बुधवार, 22 जुलाई 2009

जूनियर ही दिला सकते हैं रणजी में स्थान

प्रदेश की क्रिकेट टीम को अगर रणजी ट्राफी में खेलना है तो अब जूनियर खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करके दिखाना होगा। छत्तीसगढ़ को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने पहली बार जूनियर वर्ग में खेलने की पात्रता दी है। प्रदेश के खिलाडिय़ों को पांच वर्गों में खेलने का मौका मिलेगा।
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद हली बार छत्तीसगढ़ के जूनियर क्रिकेटरों को राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिलने वाला है। यह एक ऐसा मौका है जो छत्तीसगढ़ को रणजी ट्रॉफी के नक्शे में शामिल करवा सकता है। प्रदेश संघ के महासचिव राजेश दवे साफ कहते हैं कि रणजी का रास्ता तो जूनियरों के प्रदर्शन से होकर ही जाता है। अगर हमारे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो बहुत जल्द प्रदेश की रणजी टीम को बीसीसीआई से मौका मिल सकता है।


बीसीसीआई द्वारा घरेलु क्रिकेट में छत्तीसगढ़ को खेलने की मान्यता दिये जाने का संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आने समय में अब यहां पर राष्ट्रीय और अंतररष्ट्रीय स्तर के मैच भी होने लगेंगे। उन्होंने कहा कि विगत ९ वर्षों से छत्तीसगढ़ के क्रिकेट खिलाड़ी किसी भी घरेलु क्रिकेट स्पर्धा में खेलने से वंचित थे और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने कहा कि एक वर्ष पूर्व ही छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ को मान्यता मिली और उसके बाद से राज्य में क्रिकेट गतिविधियां शुरू हो गर्इं जिसके परिणाम स्वरूप अनेक कार्यक्रम हुए। उन्होंने छत्तीसगढ़ की टीम को जूनियर क्रिकेट स्पर्धाओं में खेलने की अनुमति दिये जाने पर बीसीसीआई को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह दिन अब दूर नहीं जब रणजी प्रतियोगिता में भी छत्तीसगढ़ की टीम खेलते हुए नजर आएगी।
संघ के सचिव राजेश दवे ने बताया कि हाल ही में बीसीसीआई तकनीकी समिति की बैठक अध्यक्ष सुनील गावस्कर की अध्यक्षता में मुंबई में संपन्न हुई जिसमें पहले एलिट व प्लेट ग्रुप दो ग्रुप होते थे लेकिन इस बार तीन ग्रुप कर दिए गए हैं। तीसरे ग्रुप में एक टीम एसोसिएशन की और एफिलेटेड होगी जिसमें १६, १९ और २२ वर्ष आयुवर्ग की टीमें शिरकत करेगी । इसमें लगभग ९ राज्यों की टीमें भाग ले सकेंगी।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष होने वाली सी.के.नायडु अंडर-२२, कूच बिहार ट्रॉफी अंडर-१९,वीनु मंकड़ ट्रॉफी अंडर-१९ विजय मर्चेंट ट्रॉफी अंडर-१६ और अखिल भारतीय पॉली उमरीगर शालेय क्रिकेट स्पर्घा में छत्तीसगढ़ की टीम शिरकत करेगी। इसी के साथ अंडर-१९ महिला क्रिकेट स्पर्धा में भी छत्तीसगढ़ की टीम भाग लेगी। राजेश दवे ने कहा कि बीसीसीआई से खेल कैलन्डर प्राप्त होते ही छत्तीसगढ़ क्रिकेट खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण की तैयारियां भी अगले माह से शुरू हो जाएंगी जिसमें पहले अगस्त माह के अंतिम सप्ताह से फिटनेस शिविर प्रारंभ किया जाएगा। उसके बाद बैटिंग और बॉलिंग का शिविर प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि लेवल वन अंपायरिंग की परीक्षा भी इसी माह २३,२४,२५ व २६ जुलाई को रायपुर में ही आयोजित की गई है। दवे ने बताया कि छत्तीसगढ़ की अंडर-१९ टीम का प्रस्तावित बिहार दौरा भी इसी माह के अंत में प्रारंभ हो रहा है।

मंगलवार, 21 जुलाई 2009

विशेषज्ञों के परखने के बाद ही खरीदेंगे खेल सामान

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा खेल सामानों की खरीदी में पारदर्शिता लाने के साथ सही गुणवत्ता के सामान खरीदने के लिए विशेषज्ञों से सामानों की जांच कराने के बाद ही खरीदने का फैसला किया गया है। तीन खेलों भारोत्तोतलन, तलवारबाजी और कैनोइंग-कयाकिंग के साथ जिम और ट्रेक शूट की खरीदी के लिए बुलाए गए टेंडर के सोमवार को खुलने के समय साई के विशेषज्ञों को विशेष रूप से भोपाल से बुलाया गया था। खेल संचालक जीपी सिंह का साफ तौर पर कहना है कि खिलाडिय़ों को अच्छे सामान उपलब्ध कराना ही विभाग का लक्ष्य है।

खेल विभाग के साइंस कॉलेज के खेल भवन में भारी गहमागहमी थी। खेल सामान बेचने वाली फर्मों के कई लोग यहां एकत्रित थे और अपने टेंडर जमा कर रहे थे। टेंडरों को जमा करने के बाद शाम को टेंडर खोले भी गए। अभी टेंडर में किस कंपनी को सफलता मिली है, इसका खुलासा तो खेल विभाग ने नहीं किया है, पर खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि पहली बार खेल विभाग में खेल मंत्री लता उसेंडी के निर्देश पर खिलाडिय़ों को उच्च गुणवत्ता वाले सामान दिलाने के मकसद से राष्ट्रीय स्तर पर टेंडर बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग को भारोत्तोलन के जहां पांच सेट लेने हैं, वहीं इसके लिए पांच वूडन प्लेटफार्म भी खरीदने हैं। इसी के साथ १२ स्टेशन वाले १० जिम, तलवारबाजी के लिए अलग-अलग तरह के करीब दो दर्जन उपकरण, कैनोइंग-कयाकिंग के लिए ९ तरह से उपकरण के साथ दो हजार ट्रेक शूट लेने हैं।

श्री सिंह ने बताया कि उनके पहले विभाग में किस तरह से खरीदी होती थी, उस पर मैं नहीं जाना चाहता, पर इस बार जहां राष्ट्रीय स्तर का टेंडर बुलाया गया है, वहीं विभाग ने भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई को एक पत्र लिखकर जिन खेलों के सामान लिए जाने हैं, उनके विशेषज्ञों को भेजने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि भोपाल साई सेंटर के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु ने उनके आग्रह पर यहां पर कयाकिंग की एनआईएस कोच विश्ेसवरी देवी के साथ भारोत्तोलन के विशेषज्ञ अरविंद कुशवाहा हो भेजा है। इसी के साथ यहां पर भारोत्तोलन के वरिष्ठ कोच गजेन्द्र पांडे भी हैं। उन्होंने बताया कि विभाग ने तो जिन खेलों के सामान लेने हैं, उनके फेडरेशन को भी पत्र लिखकर विशेषज्ञ भेजने के लिए कहा था।

दो दर्जन से ज्यादा फर्मों ने भरे टेंडर

खेल विभाग में पहली बार ऐसा हुआ है कि राष्ट्रीय स्तर पर बुलाए गए टेंडर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानीय और राष्ट्रीय कंपनियों ने टेंडर भरे हैं। कुल ६ तरह के सामानों के लिए ९८ टेंडर जमा हुए हैं। इनमें तलवारबाजी के सामानों के लिए १० फर्मों, कयाकिंग के लिए १२ फर्मों, भारोत्तोलन के वूडन प्लेटफार्म के लिए भी १२ फर्मों , भारोत्तोलन के सेट के लिए १३ फर्मों, ट्रेक शूट के लिए २१ फर्मों और जिम के लिए रिकॉर्ड २४ फर्मों ने टेंडर जमा किए हैं। खेल संचालक श्री सिंह ने पूछने पर बताया कि टेंडर के बाद रेट के हिसाब से जिनको भी आर्डर दिया जाएगा, उस आर्डर से पहले विशेषज्ञ सामानों की गुणवत्ता को परखेगे। उन्होंने बताया कि इस बात का भी विशेष ध्यान रखा गया है कि सामानों की सप्लाई करने वाली फर्में कैसी हैं। विभाग को जिस कंपनी के सामान चाहिए, उसका फर्मों को प्रजेंटेशन भी देना होगा। बकौल श्री सिंह पूर्व में ऐसा होता रहा है कि खेल सामानों से जिनका दूर-दूर तक नाता नहीं है, ऐसे लोग भी टेंडर भर देते थे।

कमीशनखोरों में हड़कंप

खेल विभाग ने जिस तरह से इस बार राष्ट्रीय स्तर का टेंडर बुलाया है, उसके बाद से जहां विभाग में कमीशन का खेल खेलने वालों में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं कमीशन देकर अपने सामान सप्लाई करवाने वाले भी परेशानी में है। खासकर स्थानीय फर्मों के लोग ज्यादा परेशान हैं। एक तो राष्ट्रीय स्तर का टेंडर होने के कारण सीधे कई कंपनियों ने टेंडर भरे हैं, ऊपर से यह कि अब उनकी सेटिंग कहीं होने वाली नहीं है, क्योंकि खरीदी में सीधे तौर पर संचालक का दखल हो गया है। इसके बाद भी खेल भवन में कई फर्मों के संचालक इस जुगत में लगे नजर आए कि किसी भी तरह से कोई सेटिंग हो जाए और किसी एक सामान का ही सप्लाई करने का आर्डर उनके हाथ लग जाए। टेंडर भरने वाली फर्मों में रायपुर, भिलाई, धमतरी, बिलासपुर, के साथ मेरठ, ग्वालियर, पटियाला, जालंधर, हरियाणा, महाराष्ट्र, जयपुर, की फर्मे शामिल हैं। अब इनमें किसको क्या आर्डर मिल सका है इस बात का खुलासा बाद में होगा। कई फर्मों के लोग यह भी चर्चा करते रहे कि टेंडर के बाद सामान सप्लाई करने का आर्डर मिलेगा या नहीं।

१० मिनट का फाइनल होने से हारा रायपुर

राज्य सब जूनियर और जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप में मेजबान रायपुर के हाथ बालिका जूनियर वर्ग चौथा खिताब इसलिए नहीं लग सका क्योंकि आयोजकों ने अचानक मैच को ४० मिनट के स्थान पर महज १० मिनट का कर दिया था। मैच हारने के बाद रायपुर खिलाड़ी रो भी पड़ी थी। लेकिन तब लगा था कि हारने के कारण उनके आंसू निकले थे। लेकिन आज जानकारों ने इस बात का खुलासा किया है कि जिस रायपुर की टीम ने लीग मैचों में दुर्ग को १३-५ से मात दी थी, वह उससे ४-७ से हारी तो इसके पीछे दुर्ग टीम का अच्छा खेल नहीं बल्कि मैच क वह समय था जो कम करके मात्र १० मिनट कर दिया गया था। इस बारे में आयोजक खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि आयोजकों को समय कम करने का अधिकारी होता है। इधर जानकार कहते हैं कि फाइनल मैच में समय करने का अधिकार किसी भी खेल में आयोजकों को नहीं होता है।

सोमवार, 20 जुलाई 2009

रायपुर को तिहरा खिताब

राज्य सब जूनियर और जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप में पूरी तरह से मेजबान रायपुर का दबदबा रहा। रायपुर ने जहां चार वर्गों में से तीन के खिताब जीते, वहीं सभी चारों वर्गों में रायपुर की टीमें ही उपविजेता बनीं। विजेता टीमों को १०-१० हजार के नकद इनाम दिए गए।

खेल एवं युवा कल्याण विभाग के साथ प्रदेश नेटबॉल संघ द्वारा आयोजित इस चैंपियनशिप में रविवार को सब जूनियर बालिका वर्ग के फाइनल में रायपुर जिले की टीम ने रायपुर निगम की टीम को ८-५ से परास्त कर खिताब जीता। इसके पहले सेमीफाइनल मैचों में रायपुर ने राजनांदगांव को १३-१० और रायपुर निगम ने दुर्ग को ६-४ से हराया था। सब जूनियर बालक वर्ग के फाइनल में रायपुर जिले की टीम ने रायपुर निगम की टीम को ५-२ से मात दी। सेमीफाइनल मैचों में रायपुर निगम ने भाटापारा को ४-३, रायपुर ने दुर्ग को ११-१० से हराया।

जूनियर बालक वर्ग में रायपुर जिले की टीम ने रायपुर निगम की टीम को ११-४ से परास्त कर खिताब जीता। सेमीफाइनल मैचों में रायपुर ने भाटापारा को ९-५ और रायपुर निगम ने दुर्ग को ६-३ से हराया। बालिका वर्ग में रायपुर की टीम दुर्ग से फाइनल में ४-७ से मात का गई। सेमीफाइनल मैचों में रायपुर ने बिलासपुर को ११-६ और दुर्ग ने भाटापारा को १९-१ से हराया।

फाइनल मैचों के बाद हुए पुरस्कार वितरण समरोह में स्कूली शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पुरस्कार बांटे। विजेता टीमों को १०-१० हजार और उपविजेता टीमों को सात हजार पांच सौ का नगद इनाम दिया गया।

रायपुर में महिला फुटबॉलरों का टोटा

राज्य स्कूली खेलों के लिए रायपुर जिले की टीम बनाने के लिए आयोजित की गई जिला स्तरीय स्कूली फुटबॉल चैंपियनशिप में दो स्कूलों की टीमें भी नहीं आाई। दो स्कूलों की खिलाडिय़ों के बीच चयन ट्रायल करके रायपुर की टीम बनाने का काम किया गया है। अब यही टीम क्षेत्रीय चैंपियनशिप में खेलेगी। क्षेत्रीय चैंपियनशिप में रायपुर के साथ बलौदाबाजार, धमतरी और महासमुनद जिले शामिल हैं, लेकिन इस चैंपियनशिप में भी बाहर से किसी टीम के आने की संभावना नहीं है। ऐसे में रायपुर की टीम को ही सीधे राज्य चैंपियनशिप में खेलने की पात्रता मिल जाएगी। रायपुर जिले की टीम के लिए दानी स्कूल में किए गए चयन ट्रायल में दानी स्कूल की ९ और सस्वती स्कूल की सात खिलाड़ी आईं। इसके अलावा शंकर नगर और निवेदिता स्कूल की एक-एक खिलाड़ी ट्रायल देनी पहुंची। रायपुर जिले के स्कूली खेल अधिकारी सीएल बघेल ने बताया रायपुर जिले में करीब १०० स्कूल हैं. लेकिन महिला फुटबाल टीम बनती ही नहीं है।

रविवार, 19 जुलाई 2009

राजतंत्र में भी खेल की बातें

हमारे दूसरे ब्लाग राजतंत्र में खेलों के बारे में कभी-कभी लिखने की सलाह हमारे मित्र लगातार देते रहे हैं। उनका कहना है कि जब कोई खेल की अच्छी खबर हो तो उसको राजतंत्र पर देना चाहिए। इसके पीछे का तर्क यह है कि राजतंत्र कम से कम खेलों की खबरों और अच्छी जानकारी से अछूता न रहे। खेलगढ़ में तो हम नियमित रूप से एक से ज्यादा खबरें देते ही हैं ऐसे में हमने आज सोचा की चलों मित्रों की सलाह पर एक अच्छी खबर राजतंत्र में दे दी जाए। हमने आज वहां पर पाइका से निखारेंगे खेलों को वाली खबर दी है। वैसे हम पहले भी राजतंत्र में खेलों पर जानकारी देते रहे हैं।

नहीं रहेगी प्रशिक्षकों की कमी

खेल विभाग साई की मदद से करवाएगा एनआईएस कोर्स
प्रदेश में प्रशिक्षकों की कमी से जूङा रहे सभी खेलों के लिए एक बड़ी खबर यह है कि अब उनके खेलों को प्रशिक्षकों की कमी से मुक्ति मिल जाएगी। खेल विभाग ने भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि वह छत्तीसगढ़ में ६ सप्ताह के एनआएईएस प्रमाणपत्र कोर्स को संचालित करेगा। इस कोर्स के बाद भी प्रशिक्षकों को जरूरी हुआ तो साई के प्रमुख सेंटर पटियाला भी प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाने का सारा खर्च खेल विभग करेगा।
यह जानकारी देते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक जीपी सिंह ने बताया कि जब प्रदेश में खेलों के विकास के लिए योजना बनाने का काम प्रारंभ किया गया है तो यह बात सामने आई है कि ज्यादातर खेलों में प्रशिक्षकों की कमी है। अच्छे प्रशिक्षक न होने के कारण ही प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पदकों से वंचित रह जाते हैं। प्रदेश को ज्यादा से ज्यादा खेलों में पदक दिलाने के लिए क्या किया जाए इस पर खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी की पहल पर खेल संघों की एक बैठक भी हो चुकी है। इसी बैठक में यह बात भी सामने आई थी कि प्रशिक्षक न होने के कारण परेशानी हो रही है। ऐसे में विभाग ने ही यह तय किया कि ज्यादा से ज्यादा खेलों के प्रशिक्षक तैयार करने का काम खेल विभाग करेगा। इसके लिए एनआईएस कोर्स करवाने वाली देश की एक मात्र संस्था साई से बात की गई कि क्या किया जा सकता है। श्री सिंह ने बताया कि साई के सामने छत्तीसगढ़ में ही ६ सप्तह का प्रमाणपत्र कोर्स संचालित करने की बात की गई ताकि ज्यादा खेलों के प्रशिक्षकों को यह कोर्स करवाया जा सके।
उन्होंने बताया कि इस कोर्स को छत्तीसगढ़ में संचालित करने का एक प्रस्ताव खेल मंत्री लता उसेंडी ने केन्द्रीय खेल मंत्री एमएल गिल के सामने भी रखा था। उनके सामने प्रस्ताव के बाद ही साई से चर्चा की गई। श्री सिंह ने बताया कि भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक आरके नायडू जो चर्चा की गई है, उसमें वे छत्तीसगढ़ में इस कोर्स को संचालित करने के लिए राजी हो गए हैं। यहां पर जिन भी खेलों के लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देकर एनआईएस कोर्स करवाने के चुना जाएगा, उसके बाद साई का एक दल यहां आएगा और उनको प्रशिक्षण देगा। श्री सिंह ने बताया कि साई के अधिकारियों को इस बात के लिए भी सहमत कर लिया गया है कि अगर प्रमाणपत्र कोर्स के बाद ऐसा लगता है कि प्रशिक्षकों को और ज्यादा प्रशिक्षण की जरूरत है तो उनको पटियाला भी प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि प्रशिक्षकों को कोर्स करवाने का सारा खर्च खेल विभाग करेगा।

खेल विभाग में संविदा नियुक्ति भी होगी

खेल संचालक श्री सिंह ने बताया कि खेल विभाग में भी प्रशिक्षकों की भारी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए विभाग ने अब एक रणनीति बनाई है जिसके तहत विभाग में प्रशिक्षकों की संविदा नियुक्ति होगी। यह नियुक्ति स्थाई नहीं होगी और जो अच्छे प्रशिक्षक होंगे उन्हीं को एक तरह से अनुबंध के आधार पर रखा जाएगा। यह अनुबंध चार माह का भी हो सकता है, छह माह या फिर साल भर का भी हो सकता है। विभाग को अगर लगेगा कि जिन प्रशिक्षकों को रखा गया है, उनसे कोई ज्यादा अच्छा प्रशिक्षक है तो उसको हटाने से विभाग परहेज नहीं करेगा। विभाग की सोच खेलों के लिए ज्यादा अच्छे प्रशिक्षक उपलब्ध कराना है ताकि खेलमंत्री की मंशा के अनुरूप राष्ट्र्रीय स्तर पर ज्यादा खेलों में पदक मिल सकें।

साई के सेंटर को निगम की मंजूरी

खेल विभाग की पहल पर रायपुर नगर निगम ने अंतत: स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में साई के ट्रेनिंग सेंटर को मंजूरी दे दी है। अब साई की टीम यहां पर सोमवार आएगी और निगम के अधिकारियों के साथ उनकी बैठक के बाद एमओयू को अंतिम रूप दिया जाएगा। एमओयू होते ही यहां पर साई सेंटर जल्द प्रारंभ कर देगा। इस सेंटर में छह खेलों का समावेश किया गया है।

निगम द्वारा साई सेंटर को अनुमोदित करने के बारे में जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि निगम ने इस सेंटर को अनुमोदित करने की जानकारी खेल विभाग को पत्र लिखकर शुक्रवार की शाम को दी है। इस पत्र के आते ही इस पत्र को साई के भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी इस बारे में क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु से बात भी हुई है और उन्होंने यहां पर सोमवार को साई के अधिकारियों को भेजने की बात कही है। अधिकारियों के आने के बाद उनकी निगम के अधिकारियों के साथ बैठक होगी और एमओयू को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया की जाएगी। एमओयू होते ही यहां पर साई का काम संभवत: अगले माह प्रारंभ हो जाएगा। साई ने इस सेंटर के लिए छह खेलों को शामिल करते हुए पहले ही केन्द्र सरकार को इसका प्रस्ताव भेज दिया है। इस सेंटर में ६ खेलों को शामिल किया गया है। सेंटर में एथलेटिक्स के लिए १० बालक १० बालिकाएं, वालीबॉल के लिए १२ बालक १२ बालिकाएं, हॉकी के लिए भी १२-१२, हैंडबॉल में १२-१२, कबड्डी में १८ बालक, भारोत्तोलन में १० बालक और १० बालिकाओं का चयन करके इनको प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर यहां पर डे-बोर्डिंग सेंटर प्रारंभ किया जाएगा। बाद में यहां पर भी हास्टल की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

शनिवार, 18 जुलाई 2009

स्वर्ण विजेता का जोशीला स्वागत


राष्ट्रीय सब जूनियर चैंपियनशिप में पहली बार छत्तीसगढ़ को स्वर्ण पदक दिलाने वाले भाटापारा के खिलाड़ी भीष्म वर्मा के साथ टीम के सदस्यों का यहां रायपुर के स्टेशन में जोशीला स्वागत खेल विभाग के अधिकारियों के साथ रायपुर जूडो संघ के सदस्यों ने किया।
इंदौर में खेली गई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रदेश के लिए एक मात्र स्वर्ण पदक जीतने वाले भीष्म वर्मा के साथ प्रदेश की टीम शुक्रवार को इंदौर से लौटी। खिलाडिय़ों के स्टेशन पर पहुंचते ही उनका स्वागत बाजे-गाजे के साथ किया गया। खेल अधिकारियों के साथ जूडो संघ के सदस्यों ने स्वर्ण विजेता भीष्म को फुल मालाओं से लाद दिया। इसी के साथ जिन खिलाडिय़ों ने चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन किया उनका भी स्वागत किया गया।
खिलाडिय़ों का स्वागत करने के लिए खेल विभाग के उपसंचाक ओपी शर्मा के साथ वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे, के साथ खेल संघ के अनीस मेमन, श्वेता यादव, विनय तिवारी, कमलेश देवांगन, राजकुमार जायसवाल, एके मिश्रा, हेमंत कुमार, अनिल कुमार सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे।


मेहनत का फल मिला: भीष्म


स्वर्ण विजेता भीष्म स्वागत से बहुत ज्यादा खुश नजर आए। उनसे जब पूछा गया कि कैसा लग रहा है तो इस छोटे से खिलाड़ी ने कहा कि उनको उम्मीद नहीं थी कि उनका ऐसा स्वागत होगा। उन्होंने बताया कि उनका रायपुर से पहले डोंगरगढ़, राजनांदगांव और दुर्ग में भी जोरदार स्वागत किया। इसी के साथ भाटापारा में उनको लेकर एक रैली निकाली गई और स्वर्ण विजेता को नगर भ्रमण करवाया गया। भीष्म ने बताया कि वे भाटापारा में सुरेश राव से प्रशिक्षण लेते हैं। इसी के साथ उनको समय-समय पर एनआईएस कोच नरेन्द्र कम्बोज के साथ राष्ट्रीय खिलाड़ी रीना साहू से भी मार्गदर्शन मिलता है। भीष्म ने बताया कि उन्होंने जो लगातार मेहनत की है उनकी नजीता है कि उनको स्वर्ण पदक मिला है। उन्होंने बताया कि इसके पहले वे हरिद्वारा में भी पदक के करीब पहुंचे थे, पर एक अंक से चूक गए थे। उन्होंने बताया कि इस बार उनको पदक की उम्मीद तो थी, पर स्वर्ण पदक मिल जाएगा, ऐेसा नहीं सोचा था। उन्होंने बताया कि भाटापारा में अभ्यास करने के लिए तो गद्दे भी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी भीष्म ने मेहनत करके प्रदेश को स्वर्ण पदक दिलाने का काम किया है। उनकी सफलता से प्रदेश की जूडो बिरादरी भी बहुत ज्यादा खुशी है।

शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

राजनांदगांव में ८ खेलों का साई का सेंटर बनेगा

भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई द्वारा राजनांदगांव में प्रारंभ किए जाने वाले साई के सबसे बड़े खेल परिसर में ८ खेलों का प्रशिक्षण केन्द्र खुलेगा। जिन खेलों का यहां पर प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा, उनको अंतिम रूप दे दिया गया है। इसी के साथ इन खेलों के लिए खिलाडिय़ों की संख्या भी तय कर दी गई है। इसी के साथ रायपुर में स्पोट्र्स काम्पलेक्स में खोले जाने वाले सेंटर में ६ खेलों को रखा गया है। इन खेलों के बारे में प्रस्ताव बनाकर साई के भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय के केन्द्र सरकार को भेज दिए हैं।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक जीपी सिंह ने बताया कि पिछले दिनों केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल से प्रदेश की खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी से दिल्ली में जो चर्चा हुई थी, उसी के बाद भोपाल को जो पत्र केन्द्रीय खेल मंत्रालय से भेजा गया था, उसी पत्र के संदर्भ में चर्चा करने के लिए वे भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय गए थे। वहां पर श्री सिंह की क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु से लंबी चर्चा हुई है, उसी के बाद यह मालूम हुआ है कि राजनांदगांव के लिए साई ने ८ खेलों और रायपुर के लिए ६ खेलों के सेंटर के प्रस्ताव बनाकर केन्द्र को भेजे हैं।

राजनांदगांव में साई जो करीब ४० करोड़ की लागत से १५ एकड़ में खेल परिसर बना रहा है, उसी परिसर में ८ खेलों को शामिल किया गया है। इन ८ खेलों में ११५ बालक और इतने ही बालिका खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए चुना जाएगा। विभिन्न खेलों में खिलाडिय़ों की संख्या इस प्रकार रहेगी। तीरंदाजी में १२-१२, एथलेटिक्स में १०-१०, बास्केटबॉल में १२-१२, तलवारबाजी में १५-१५, हॉकी में १६-१६, कबड्डी में २४-२४, वालीबॉल में १६-१६, वुशू में १०-१० बालक-बालिका खिलाडिय़ों का चयन होगा। कुल मिलाकर २३० खिलाडिय़ों को प्राथमिक तौर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस सेंटर में हॉकी के दो मैदान बनाए जाएंगे। एक मैदान ग्रास वाला होगा, जबकि दूसरा एस्ट्रो टर्फ वाला होगा। इसी के साथ वालीबॉल, बास्केटबॉल के लिए इंडोर कोर्ट होंगे। एथटेटिक्स के लिए सिंडेर ट्रैक बनाया जाएगा। तीरंदाजी के लिए अलग से मैदान होगा। इन के अलावा एक मल्टी इंडोर हॉल भी बनेगा। खिलाडिय़ों के रहने के लिए जो हास्टल बनेगा उनमें ५० बालक और ५० बालिका खिलाडिय़ों को रखा जाएगा। इस सेंटर के बारे में पहले ही क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु बता चुके हैं कि इसका काम जल्द प्रारंभ किया जाएगा। सेंटर के उद्घाटन के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी ने केन्द्रीय खेलमंत्री एमएस गिल को आमंत्रित भी किया है।

रायपुर में ६ खेलों का सेंटर

भोपाल में जहां राजनांदगांव के सेंटर को लेकर संचालक जीपी सिंह और क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडू में चर्चा हुई, वहीं रायपुर के डे बोर्डिंग सेंटर को अंतिम रूप दिया गया और यहां के लिए ६ खेलों का प्रस्ताव बनाकर केन्द्र सरकार को भेजा गया। रायपुर में एथलेटिक्स के लिए १० बालक १० बालिकाएं, वालीबॉल के लिए १२ बालक १२ बालिकाएं, हॉकी के लिए भी १२-१२, हैंडबॉल में १२-१२, कबड्डी में १८ बालक, भारोत्तोलन में १० बालक और १० बालिकाओं का चयन करके इनको प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर यहां पर डे-बोर्डिंग सेंटर प्रारंभ किया जाएगा। बाद में यहां पर भी हास्टल की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। रायपुर के इस सेंटर के लिए अभी साई और रायपुर नगर निगम के बीच में एमओयू होना बचा है। इसके पूरा होते ही यहां के सेंटर का काम प्रारंभ हो जाएगा।

गुरुवार, 16 जुलाई 2009

फारूख बने उपविजेता, रवि सोनी को चौथा स्थान

ईस्ट जोन राष्ट्रीय कैरम चैंपियनशिप में पहली बार छत्तीसगढञ के मो। फारूख को उपविजेता का खिताब मिला। इसी के साथ रकवि सोनी ने चैंपियनशिप में चौथा स्थान प्राप्त किया।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश कैरम संघ के महासचिव विजय कुमार ने बताया कि ९वीं ईस्ट जोन चैंपियनशिप का आयोजन सिलिगुड़ी में ९ से ११ जुलाई तक किया गया। यहां पर खेलने गई प्रदेश टीम के नंबर वन और देश के छठे नंबर के खिलाड़ी मो. फारूख ने चैंपियनशिप में पहली बार फाइनल में स्थान बनाया और उपविजेता रहे। फारख को उप्र के मो. ओबेस से फाइनल में तीसरे सेट में हार का सामना करा पड़ा। एक तरफ जहां फारूख ने शानदार खेल दिखाया वहीं छत्तीसगढ़ के रवि सोनी ने भी जोरदार खेल दिखाते हुए चैंपियनशिप में चौथा स्थान बनाया। रवि सोनी को सेमीफाइनल में बिहार के जलज कुमार ने मात दी। महिला वर्ग में छत्तीसगढ़ की खिलाड़ी कोई कमाल नहीं दिखा सकीं।
प्रदेश के खिलाडिय़ों के शारदार प्रदर्शन करके यहां लौटने पर उनका स्टेशन में संघ के पदाधिकारियों के साथ खिलाडिय़ों ने जोरदार स्वागत किया। खिलाडिय़ों की सफलता पर खुशी जाहिर करते संघ के अध्यक्ष संदीप वर्मा ने अब खिलाडिय़ों को फेडरेशन कप के लिए तैयारी करने की सलाह दी है।

बुधवार, 15 जुलाई 2009

भीषम को स्वर्ण

राष्ट्रीय सब जूनियर चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ ने भीषम वर्मा ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार प्रदेश को जूडो में स्वर्ण पदक मिला है। इंदौर में चल रही चैंपियनशिप के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के महासचिव अरूण द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश संघ ने जो अंतरराष्ट्रीय कोच बुलाकर प्रदेश के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिलाया उसका ही नतीजा है कि भाटापारा जैसे छोटी जगह के खिलाड़ी भीषम वर्मा ने १० से १२ साल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा सापेक्षा पाटिल, प्रियंका बाकुरे, रक्षा ओक्षा और अंकुश ठाकुर ने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया और यहां पर हार गए। बुधवार को चार और खिलाडिय़ों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

मंगलवार, 14 जुलाई 2009

राष्ट्रीय जूडो छत्तीसगढ़ में

छत्तीसगढ़ को दो साल पहले राष्ट्रीय जूनियर जूडो चैंपियनशिप की सफल मेजबानी ने एक बार फिर से राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी दिलाने का काम किया है। मेजबानी के छह दावेदारों में से छत्तीसगढ़ को ज्यादा राज्यों ने पसंद किया और राष्ट्रीय फेडरेशन ने अगले साल सब जूनियर चैंपियनशिप करवाने का जिम्मा छत्तीसगढ़ को दे दिया। अब प्रदेश संघ इस राष्ट्रीय आयोजन को प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग की मदद से करेगा।

इस समय इंदौर में राष्ट्रीय सब जूनियर चैंपियनशिप चल रही है। इस चैंपियनशिप के दौरान ही पहले दिन राष्ट्रीय फेडरेशन संघ के चुनाव के साथ राष्ट्रीय चैंपियनशिप के सभी वर्गों की मेजबानी का भी फैसला किया गया। छत्तीसगढ़ ने २००७ में भिलाई में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप का आयोजन किया था। ऐसे में इस बार प्रदेश संघ ने सब जूनियर चैंपियनशिप की मेजबानी मांगी। छत्तीसगढ़ के साथ मेजबानी की दौड़ में केरल, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और असम भी थे। इतने दिग्गज राज्यों के होने के बाद भी बाजी छत्तीसगढ़ के हाथ लगी। छत्तीसगढ़ को मेजबानी मिलने का सबसे बड़ा कारण छत्तीसगढ़ की वह सफल मेजबानी है जिसको सभी राज्यों ने पसंद किया था। भिलाई में दो साल पहले हुए आयोजन में सभी राज्यों के खिलाडिय़ों के लिए जिस तरह से रहने और खाने की व्यवस्था की गई थी, उसने सभी राज्यों के अधिकारियों के साथ खिलाडिय़ों को काफी प्रभावित किया था। यही कारण रहा कि जब मेजबानी के लिए मतदान का समय आया तो छत्तीसगढ़ को सबसे ज्यादा ३२ मत मिले और मेजबानी उसके हिस्से में आ गई। प्रदेश संघ के महासचिव अरूण द्विवेदी बताया कि ज्यादातर राज्यों के अध्यक्ष और महासचिवों ने इस बात को काफी गंभीरता से राष्ट्रीय फेडरेशन के सामने रखा कि छत्तीसगढ़ में पिछला आयोजन दूसरे राज्यों से बहुत ज्यादा बेहतर था। ऐसे में आयोजन तो छत्तीसगढ़ में ही होना चाहिए।

राज्यों के बहुमत के बाद वैसे भी कुछ नहीं बच जाता है। आज अगर छत्तीसगढ़ का दूसरे राज्यों ने मेजबानी के लिए सपोट किया है तो उसके पीछे कारण भी है कि वास्तव में छत्तीसगढ़ में जब भी कोई राष्ट्रीय आयोजन होता है तो उसमें इतनी अच्छी व्यवस्था होती है कि किसी भी राज्य के खिलाड़ी और अधिकारियों को किसी भी तरह की शिकायत नहीं होती है। आज तक छत्तीसगढ़ में जितने भी आयोजन हुए हैं, सभी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने सराहा ही है। चैंपियनशिप के बारे में पूछे जाने पर महासचिव अरूण द्विवेदी ने बताया कि यह चैंपियनशिप अगले साल जुलाई के बाद संभावित है। उन्होंने स्थान के बारे में पूछने पर बताया कि अभी स्थान तय नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग की मदद से करवाया जाएगा। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि राज्य में सब जूनियर के साथ जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन खेल विभाग ही करता है। श्री द्विवेदी ने कहा कि अपने संघ के साथ खेल विभाग के अधिकारियों से बात करने के बाद स्थान तय किया जाएगा। आयोजन के दावेदारों में रायपुर और भिलाई ही प्रमुख नाम है। रायपुर में खिलाडिय़ों के ठहरने के स्थान की एक परेशानी को छोड़कर बाकी सब ठीक है। भिलाई में खिलाडिय़ों के ठहराने के स्थान की कमी नहीं है। किसी भी राष्ट्रीय आयोजन में भिलाई स्टील प्लांट का पूरा सहयोग मिलता है। भिलाई ने तो राष्ट्रीय वालीबॉल की मेजबानी लेने के लिए २५ लाख की बजट भी दे दिया है।

राजधानी में अंतर स्कूल फुटबॉल अगले माह

शेरा क्रीड़ा समिति द्वारा राजधानी में २८ जुलाई से करवाई जाने वाली सेवन-ए-साइड फुटबॉल चैंपियनशिप के बार अंतर स्कूल राज्य चैंपियनशिप का आयोजन खेल दिवस २९ अगस्त से किया जाएगा। इसी के साथ क्लब ने अपने साल भर के आयोजन का कैलेंडर भी जारी किया है।

यह जानकारी देते हुए क्लब के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने इस साल के खेल कैलंडर में सबसे पहले २८जुलाई से सेवन-ए-साइड चैंपियनशिप का आयोजन होगा। इस आयोजन के बाद १५ अगस्त से फुटबॉल स्कूल शुरू होगा। २९ अगस्त से २० सिंतबर तक राज्य स्तरीय अंतर स्कूल के साथ अंतर कॉलेज चैंपियनशिप का आयोजन किया जाएगा। २० अगस्त को खेल दिवस के दिन एक प्रदर्शन मैच मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर होगा। २० सिंतबर को जिस दिन फुटबॉल चैंपियनशिप का समापन होगा, उसी दिन से ३१ दिसंबर तक क्लब की टीम प्रदेश भर में होने वाली चैंपियनशिप में खेलने जाएगी। इसी के साथ क्लब के खिलाड़ी जिले की टीमों के ट्रायस में भी शामिल होंगे। २५ सिंतबर से ८ अक्टूबर तक सेवन -ए-साइड नगर स्तरीय ओपन चैंपियनशिप एवं अंतप विभागीय फुटबॉल चैंपियनशिप का भी आयोजन किया जाएगा।

श्री प्रधान ने बताया कि एक जनवरी से फरवरी तक प्रदेश में होने वाली फुटबॉल की अखिल भारतीय स्पर्धाओं में भी क्लब की टीम खेलने जाएगी। उन्होंने बताया कि फिर से अगले साल १० अप्रैल से लेकर ३० जून तक ८२ दिनों का प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा। अगले साल एक बार फिर से ज्यादा खिलाडिय़ों को रखने का लक्ष्य रखेंगे।

सोमवार, 13 जुलाई 2009

फुटबॉल खेलने मची होड़

राजधानी रायपुर में होने वाली अंतर स्कूल फुटबॉल चैंपियनशिप में खेलने के लिए स्कूली टीमों में होड़ मची हुई है। अब तक २० स्कूलों की ६० टीमों ने पंजीयन करवा लिया है। स्कूली टीमों का उत्साह देखते हुए आयोजक शेरा क्रीड़ा समिति ने चैंपियनशिप की तिथि २० से बढ़ाकर २८ जुलाई कर दी है। आयोजकों का ऐसा मानना है कि ज्यादा टीमें होने की वजह से तैयारी भी वैसी करनी होगी। चैंपियनशिप में करीब ४० स्कूलों की १२० से ज्यादा टीमों के शामिल होने की संभावना है।

यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने प्रयोग के तौर पर सेवन-ए-साइड फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन किया था। इस चैंपियनशिप पहले साल ही मिली सफलता के बाद इसको नियमित कर दिया गया है। अब इस चैंपियनशिप को चौथे साल में और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि चैंपियनशि में ४० से ज्यादा स्कूलों की १२० से ज्यादा टीमें खेलेंगी। हर स्कूल से कम से कम तीन टीमें खेलेंगी ही। उन्होंने बताया कि चैंपियनशिप अंडर १४ साल, १७ साल और १९ साल के वर्ग समहू में होगी। उन्होंने बताया कि पहली बार महिला टीमों के लिए भी चैंपियनशिप करवाई जा रही है। चैंपियनशिप पहले लाकआउट होगी, इसके बाद हर वर्ग की ६-६ टीमों के बीच लीग मुकाबलों के बाद सेमीफाइनल और फाइनल मैच खेले जाएंगे। पिछले साल १४ साल वर्ग में विवेकानंद विद्या पीठ विजेता और राजकुमार कॉलेज की टीम उपविजेता बनी थी। इसी तरह से १७ साल वर्ग में वामनराव लाखे स्कूल विजेता और विवेकानंद विद्या पीठ की टीम उपविजेता बनी थी। सीनियर वर्ग में बैरनबाजार होलीक्रास स्कूल की ही टीमें विजेता और उपविजेता बनी थी।
श्री प्रधान ने बताया कि अब तक चैंपियनशिप के लिए २० स्कूलों की ६० टीमों ने पंजीयन करवा लिया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर स्कूली की टीमों तीन वर्गों में प्रवेश ले रही हैं। नए स्कूलों की टीमों में ज्यादा उत्साह है। उन्होंने बताया कि टीमों के उत्साह को देखते हुए ही अब चैंपियनशिप को २० जुलाई के स्थान पर २८ जुलाई से प्रारंभ करवा जाएगा। उन्होंने बताया कि एक तो ज्यादा टीमों के हिसाब से तैयारी करनी पड़ेगी फिर बजट भी बढ़ जाएगा, ऐसे में उसकी भी व्यवस्था करनी पड़ेग।

उन्होंने पूछने पर मिक्स फुटबॉल चैंपियनशिप सबसे अंत में करवाई जाएगी। इसके लिए अंडर १४ साल के लड़कों की चैंपियनशिप में सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीमों को रखा जाएगा। लड़कियों की टीमें चूंकि कम हैं ऐसे में इसके लिए तय की गई चार टीमों में अंडर १४ और इससे ज्यादा उम्र की लड़कियों को भी खेलने की इजजात रहेगी।

रविवार, 12 जुलाई 2009

कबड्डी के लिए मैट जरूरी-मिट्टी के मैदान में खेलना मजबूरी


मिट्टी के मैदान पर खेल जाने वाले खेल कबड्डी के लिए भी अब मैट जरूरी हो गए हैं। देश के जिन भी राज्यों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन होते हैं, वहां पर मैट हैं। छत्तीसगढ़ मेंमैट न होने के कारण यहां पर सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन में परेशानी होती है। प्रदेश संघ को सीनियर वर्ग के एक गु्रप की मेजबानी मिली है। ऐसे में प्रदेश संघ ने खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी से चैंपियनशिप से पहले दो सेट मैट की मांग की है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की साख को बचाया जा सके। मैट के दो सेट करीब १२ से १३ लाख रुपए के आएंगे। लेकिन एक बार सेट ले लिए गए तो लंबे समय तक प्रदेश के खिलाडिय़ों के काम आएंगे।


आज हर खेल आधुनिक होते जा रहा है, ऐसे में देशी खेल कबड्डी इससे कैसे अछूता रह सकता है। यह खेल भी पिछले कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय के साथ राष्ट्रीय स्तर पर मैट पर खेला जाने लगा है। दोहा एशियाड में कबड्डी चैंपियनशिप मैट पर खेली गई। अपने देश में होने वाली सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप को मैट पर करवाया जाता है। जूनियर वर्ग की चैंपियनशिप मैट पर क्यों नहीं हो सकती है, इसका खुलासा करते हुए प्रदेश कबड्डी संघ के महासचिव रामबिसाल साहू बताते हैं कि चूंकि जूनियर वर्ग में बहुत ज्यादा टीमें आती हैं, ऐसे में चैंपियनशिप के लिए ७ से ८ मैदान बनाने पड़ते हैं। इतने मैदानों के लिए किसी भी राज्य के पास मैट नहीं हैं। ऐसे में इस वर्ग की चैंपियनशिप को मैट पर करवा पाना संभव नहीं है। वे मानते हैं कि जूनियर वर्ग में पहले मैट पर चैंपियनशिप होनी चाहिए, क्योंकि जूनियर खिलाडिय़ों को आगे चलकर परेशानी होगी। श्री साहू ने बताया कि सीनियर वर्ग में भी चैंपियनशिप मैट पर इसलिए संभव हो सकी है क्योंकि इस चैंपियनशिप को चार समूहों में बांट दिया गया है और हर समूह में ८ से ९ राज्यों की टीमों को रखा गया है। हर समूह की चैंपियनशिप अलग-अलग राज्यों में होती है। ज्यादातर राज्यों में भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के सेंटर हैं जिनके पास कबड्डी के मैट हैं। ऐसे में उन राज्यों को परेशानी नहीं होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में साई का सेंटर अभी नहीं खुला है, ऐसे में यहां परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को एक समूह की मेजबानी मिली है, इसलिए प्रदेश सरकार से मैट मांगे गए हैं। उन्होंने बताया कि संघ का एक प्रतिनिधि मंडल खेल मंत्री लता उसेंडी से मिला है और उनके सामने दो सेट मैट की मांग रखी है।


दिसंबर में होगी राष्ट्रीय चैंपियनशिप राजधानी में


श्री साहू ने बताया कि दिसंबर में यहां पर राष्ट्रीय जोनल चैंपियनशिप होगी जिसमें मेजबान छत्तीसगढ़ के साथ मप्र, गोवा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, विदर्भ और बीएसएनएल की महिला-पुरुष टीमें शामिल होगीं। इन दो वर्गों के लिए दो मैदान बनाने होंंगे इसलिए मैट के दो सेट जरूरी है। उन्होंंने पूछने पर बताया कि एक मैदान १३ बाई १० मीटर का रहता है। मैदान में ३ से ४ मीटर अतिरिक्त जगह छोडऩी पड़ती है। ऐसे में एक मैदान करीब २० बाई १८ मीटर का बनेगा। एक मैदान के लिए करीब ६ लाख से साढ़े छह लाख का सेट आता है। दो मैदानों के लिए १३ लाख रुपए लग जाएंगे। उन्होंने बताया कि कबड्डी के मैट कराते के मैट से कुछ मिलते जुलते रहते हैं। मैट एक बाई एक मीटर का आता है, जो कराते के मैट से थोड़ी सक्त रहता है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार चाहेगी तो राष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन साई से कुछ रियायती दर पर मैट दिलाने का काम कर सकता है। उन्होंने पूछने पर बताया कि इसके पहले भी उनका संघ एक बार पूर्व खेल मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी मैट की मांग कर चुका है। लेकिन संघ को अब तक शासन ने मैट नहीं दिलवाए हैं। श्री साहू ने कहा कि अगर संघ को मैट मिल जाते हैं तो दिसंबर में होने वाली चैंपियनशिप मैट पर होगी और इससे छत्तीसगढ़ की साख राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी।

पहली बार मिक्स फुटबॉल स्पर्धा

राजधानी रायपुर में पहली बार लड़के और लड़कियों की मिक्स चैंपियनशिप का आयोजन शेरा क्लब कर रहा है। इस चैंपियनशिप के साथ कुल पांच वर्गों की चैंपियनशिप का आयोजन सप्रे शाला मैदान में २० जुलाई से किया गया है। बालक वर्ग में तीन वर्गों की फुटबॉल चैंपियनशिप के साथ बालिका फुटबॉल चैंपियनशिप की भी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। इस सेवन-ए-साइड वाली चैंपियनशिप का आयोजन शेरा क्लब करेगा।

यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने प्रशिक्षण शिविर में बालिका खिलाडिय़ों का खेल निखारने के लिए उनका लड़कों के साथ मैच करवाना प्रारंभ किया है। वैसे तो यह आयोजन साल भर चलेगा, लेकिन क्लब सेवन-ए-साइड की जो चैंपियनशिप २० जुलाई से करवा रहा है, उसमें लड़के लड़कियों की चैंपियनशिप को भी शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि वैसे प्रयोग के तौर पर सेवन-ए-साइड फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन किया था। इस चैंपियनशिप पहले साल ही मिली सफलता के बाद इसको नियमित कर दिया गया है। अब इस चैंपियनशिप को चौथे साल में और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि चैंपियनशि में ४० से ज्यादा स्कूलों की १०० से ज्यादा टीमें खेलेंगी। हर स्कूल से कम से कम तीन टीमें खेलेंगी ही। उन्होंने बताया कि चैंपियनशिप अंडर १४ साल, १७ साल और १९ साल के वर्ग समहू में होगी। उन्होंने बताया कि पहली बार महिला टीमों के लिए भी चैंपियनशिप करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इस बार चैंपियनशिप में खिलाडिय़ों को ज्यादा इनाम देने की भी योजना है। उन्होंने पूछने पर बताया कि इस चैंपियनशिप का मकसद सब जूनियर और जूनियर खिलाडिय़ों को प्रतिस्पर्धा देना है। इन वर्ग के खिलाडिय़ों को खेलने के मौके बहुत कम मिलते हैं।

शनिवार, 11 जुलाई 2009

ब्लागरों की महफिल


छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मप्र के जाने-माने ब्लागर रवि शंकर श्रीवास्तव यानी रवि रतलामी का आना हुआ तो इसी बहाने रायपुर के प्रेस क्लब में उनके साथ ब्लागरों की एक छोटी सी महफिल सजी। इस महिफल में शिरकत करने वाले हमारे यानी राजतंत्र और खेलगढ़ के ब्लागर राजकुमार ग्वालानी , प्रेस क्लब के अध्यक्ष और अमीर धरती-गरीब लोग के ब्लागर भाई अनिल पुसदकर , भिलाई के जाने-माने ब्लागर बीएस पाबला और हमर छत्तीसगढ़ के ब्लागर संजीव तिवारी के साथ आवारा-बंजारा के ब्लागर संजीत त्रिपाठी के साथ एक और ब्लागर मित्र सचिन भी शामिल हुए। इस महफिल में लंबे समय तक ब्लागर मित्रों ने एक-दूसरे से जानकारियों का आदन-प्रदान किया। इस अवसर पर एक बार फिर से रायपुर में छत्तीसगढ़ और मप्र के ब्लागरों का एक परिचय सम्मेलन कराने पर चर्चा की गई। इस सम्मेलन का आयोजन जल्द किया जाएगा।

प्रदेश की जूडो टीम आज जाएगी इंदौर

राष्ट्रीय सब जूनियर चैंपियनशिप में खेलने के लिए प्रदेश की टीम ११ जुलाई को इंदौर के लिए रवाना होगी। वहां पर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन १२ जुलाई से किया गया है।

यह जानकारी देते हुए प्रदेश जूडो संघ के सचिव अरूण द्विवेदी ने बताया कि राज्य चैंपियनशिप में प्रदर्शन के आधार पर चुनी गई प्रदेश की टीम का एक प्रशिक्षण शिविर भिलाई में २० जून ने १० जुलाई तक लगाया गया। इस शिविर के बाद अब टीम ११ जुलाई को यहां से रवाना हो रही है।
टीम इस प्रकार है- रक्षा ओङाा, रुपांजलि साहू, जमुना, रेशमा बोए, पुनिता चौहान, सुधा नेताम, सापेक्षा पाटिल, प्रियंका बांकुरे, दीक्षा शुक्ला, रूपाली पांडेय, संजय ध्रुव, राजेश सोनी, राजा शर्मा,आकाश त्रिपाठी, भीष्म वर्मा, अजय तिवारी, गणेश यादव, अंकुश ठाकुर, अजय राय, विजेन्द्र पाल, टीम की कोच नरेन्द्र कम्बोज, रीना साहू, प्रबंधक जय यादव यादव और शेख शरीफ।

जंप रोप पर फैसला १५ को

राज्य के स्कूली खेलों में जंप रोप को शामिल करने पर फैसला १५ जुलाई को होने वाली शिक्षा विभाग की बैठक में होगा। इस बैठक में शिक्षा मंत्री के सामने यह प्रस्ताव रखा जाएगा। उनकी अनुमति मिलने पर इसी सत्र में इस खेल को स्कूली खेलों में शामिल कर लिया जाएगा। वैसे यह खेल अन्य राज्यों में स्कूली खेलों में शामिल है और इसकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप का भी आयोजन होता है। इस खेल को राज्य के स्कूली खेलों में शामिल करने के लिए प्रदेश के संघ ने मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह के साथ शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी मांग की है।

राज्य के स्कूली खेलों में शामिल होने के लिए इस समय प्रदेश में दो खेल मुख्य रूप से कतार में हैं। पहला खेल जंप रोप और दूसरा स्केटिंग है। जंप रोप को स्कूली खेलों में शामिल करवाने के लिए तो इसके प्रदेश संघ के कमर कस ली है और इसके लिए संघ अपने खिलाडिय़ों के साथ मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने भी मिल चुका है। मुख्यमंत्री को जहां यह जानकारी दी गई है, कि यह खेल राष्ट्रीय स्कूली खेलों में शामिल हैं, वहीं उनको उन राज्यों के बारे में भी बताया गया है जिन राज्यों में यह खेल शामिल है। मुख्यमंत्री को प्रदेश के खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय स्तर पर लगातार मिल रही सफलता से भी अवगत करा दिया गया है। मुख्यमंत्री के साथ शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भी संघ ने पूरी जानकारी देते हुए इस खेल को स्कूली अविलंब शामिल करने की मांग की है। संघ ने नियमानुसार शिक्षा विभाग के पास एक प्रस्ताव भी भेजा है।

शिक्षा विभाग के सहायक संचालक एसआर कर्ष ने बताया कि विभाग के पास जंप रोप संघ का प्रस्ताव आया है। उन्होंने बताया कि राज्य के खेलों की मेजबानी तय करने के लिए १५ जुलाई को शिक्षा मंत्री के साथ होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री की सहमति बनते ही इसको स्कूली खेलों में शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर शिक्षा मंत्री की सहमति मिल गई कि इसी सत्र से यह खेल स्कूली खेलों में शामिल हो जाएगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि स्केटिंग का चूंकि विभाग के पास अब तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है ऐसे में इस खेल के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है हां अगर १५ जुलाई से पहले ऐसा कोई प्रस्ताव आ जाता है तो एक बार विचार किया जा सकता है।

शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

छत्तीसगढ़ को चार खेलों की मेजबानी

छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय शालेय खेलों में चार खेलों कबड्डी, नेटबॉल, हॉकी के साथ नए खेल रोप स्कीपिंग की मेजबानी मिली है। इन खेलों में से तीन खेल नवबंर में होंगे।

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस बार जो अपना सालाना खेल कैलेंडर जारी किया है, उसमें चार खेलों का मेजबान छत्तीसगढ़ को बनाया है। वैसे स्कूली खेलों की राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आगाज सिंतबर में १६ साल के क्रिकेट से होगा। इसकी चैंपियनशिप श्रीनगर में सितंबर के अंतिम सप्ताह में होगी। यहां से शालेय खेलों का कारंवा प्रारंभ होगा। अब जहां तक छत्तीसगढ़ को मिली मेजबानी का सवाल है तो छत्तीसगढ़ को कबड्डी में सब जूनियर वर्ग यानी अंडर १४ साल की बालक-बालिका वर्ग की मेजबानी मिली है। यह चैंपियनशिप राजनांदगांव में नवंबर के दूसरे सप्ताह में होगी। अंडर १४ साल की ही हॉकी चैंपियनशिप भी मिली है। यह चैंपियनशिप भी नवंबर के अंतिम सप्ताह में होगी। अभी इसका स्थान तय नहीं किया गया है। इस चैंपियनशिप को राजधानी में करवाए जाने की ज्यादा संभावना है। लेकिन अंतिम फैसला शिक्षा मंत्री के साथ १५ जुलाई को होने वाली बैठक में होने की संभावना शिक्षा विभाग के सूत्रों से जताई है।
दो अन्य चैंपियनशिप में नेटबॉल की एक चैंपियनशिप अंडर १७ साल बालक-बालिका मिली है। इसका स्थान भी राजनांदगांव रखा गया है। यह चैंपियनशिप दिसंबर के पहले सप्ताह में ही होगी। एक नए खेल रोप स्कीपिंग की मेजबानी भी मिली है। यह चैंपियनशिप बिलासपुर में नवंबर के अंतिम सप्ताह में होगी। स्कूली के राष्ट्रीय खेलों में इस बार कुछ नए खेलों को भी शामिल किया गया है।

गुरुवार, 9 जुलाई 2009

मृणाल को सीनियर टीम से बुलावा

जूनियर विश्व कप हॉकी में जोरदार प्रदर्शन करने वाले राजनांदगांव के मृणाल चौबे को भारत की सीनियर टीम से बुलावा आया है। उनको पूणे में संभावित टीम के प्रशिक्षण शिविर में पहुंचने के लिए कहा गया है। यह शिविर वहां पर १२ जुलाई से प्रारंभ होगा।

सीनियर टीम के संभावितों में शामिल होने से उत्साहित मृणाल ने बताया कि अंतत: उनका वह सपना साकार होता नजर आ रहा है जो उन्होंने देखा है। मृणाल ने बताया कि उनको काफी समय से इसी दिन का इंतजार था कि कब उनको भारत की सीनियर टीम से बुलावा आए। उन्होंने बताया कि जूनियर विश्व कप के कारण ही जूनियर खिलाडिय़ों को सीनियर टीम में नहीं रखा जा रहा था। लेकिन अब जैसे ही यह विश्व कप समाप्त हुआ है तो उनके साथ कुछ और खिलाडिय़ों को सीनियर टीम के संभावित खिलाडिय़ों में शामिल किया गया है। उन्होंने पूछने पर बताया कि उनको यह तो नहीं मालूम है कि कितने जूनियर खिलाडिय़ों को रखा गया है, पर कुछ खिलाडिय़ों को रखे जाने की जानकारी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल उनको पूणे के शिविर में पहुंचने के लिए कहा गया है, अभी यह तय नहीं है कि भारतीय टीम कहां खेलने जाएगी।


मृणाल ने कहा कि अब उनका मकसद संभावित खिलाडिय़ों की सूची से निकल कर अंतिम एकादश में शामिल होने का रहेगा। इसके लिए जितनी भी मेहनत करनी पड़ेगी मैं करूंगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि जूनियर विश्व कप के साथ और जो भी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप खेली है उसका फायदा मिलेगा। छत्तीसगढ़ से विश्व कप में खेलने वाले इस पहले खिलाड़ी मृणाल चौबे ने पूछने पर बताया कि वे अब तक आठ अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं जिसमें इस विश्व कप को छोड़कर बाकी सभी में टीम ने पदक जीते हैं। उन्होंने बताया कि सिंगापुर में तीन,मलेशिया में दो, आस्ट्रेलिया में एक और भारत में एक एशियन चैंपियनशिप में पदक जीते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पिछले साल हुई एशियन चैंपियनशिप में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने बताया कि इस चैंपियनशिप में उनके नाम एक रिकॉर्ड यह बना कि वे गोलकीपर के साथ फारवर्ड के रूप में भी फाइनल मैच में खेले।

सुरभि को तिहरा खिताब

राष्ट्रीय खिलाड़ी सुरभि मोदी ने पहली राज्य रैंकिंग टेबल टेनिस में सीनियर वर्ग के साथ यूथ और जूनियर वर्ग का खिताब जीतकर तिहरा खिताब अपने नाम कर लिया। पुरुष वर्ग में राष्ट्रीय खिलाड़ी विनय बैसवाड़े ने खिताब उड़ाया।

धमतरी में खेली गई पहली राज्य रैंकिंग टेबल टेनिस के महिला वर्ग के फाइनल में सुरभि मोदी ने बिलासपुर की प्रियल गोरे को ४-१ से मात देकर पहला खिताब जीता। इसके बाद यूथ में सुरभि ने बिलासपुर की पायल हंसापुरे को ४-१ से हराया। तीसरी खिताब जीत सुरभि को जूनियर वर्ग में मिली। यहां पर उसने बस्तर की प्रतीक्षा जैन को सीधे सेटों में ४-० से हराया।


पुरुष वग में विनय बैसवाड़े ने रायपुर के ही संदप खंडेवाल को कड़े मुकाबले में ४-२ से मात दी। अन्य वर्गों में यूथ बालक वर्ग में अंशुमन राय ने रायपुर के ही सागर घाटगे को ४-०, जूनियर बालक वर्ग में दुर्ग के सौमित्र तिवारी ने बिलासपुर के साई प्रशांत को ४-२ से हराया। सब जूनियर बालिका वर्ग में दुर्ग की रेणुका साहू ने बिलासपुर की ध्वनि केडिया को ३-०, बालक वर्ग में बिलासपुर के केशव साहा ने बिलासपुर के ही मेहुल सिंग को ३-२ से हराया। कैडेट वर्ग में बालक वर्ग में बिलासपुर के रोनित सरकार ने धमतरी के आदित्य रायचुरा को ३-१ और बालिका वर्ग में बिलासपुर की गार्गी मुखर्जी ने बिलासपुर की ही ध्वनि केडिया को ३-० से मात दी। फाइनल मुकाबलों के बाद हुए पुरस्कार वितरण समरोह के मुख्यअतिथि कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू थे।

पाइका के लिए केन्द्र से तीन करोड़

प्रदेश में पाइका योजना को प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार से पहली किस्त के रूप में करीब तीन करोड़ रुपए मिलने वाले हैं। खेल विभाग को केन्द्र सरकार से तीन करोड़ का बजट जारी करने का पत्र मिल गया है। इसी के साथ खेल विभाग में पाइका के लिए तैयारी जोर-शोर से प्रारंभ हो गई है। पाइका के लिए १७ करोड़ का बजट पहले चरण में रखा गया है। इस बजट में दो करोड़ ६६ लाख की राशि प्रदेश सरकार खर्च करेगी बाकी राशि केन्द्र सरकार से मिलेगी। योजना के पहले चरण की तैयारी खेल विभाग में जोरदार चल रही है। इस पहले चरण में प्रदेश के १८ जिलों के करीब एक हजार गांवों में इस योजना का प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए मैदानों को चिंहित कर लिया गया है।
केन्द्र सरकार ने पूर देश के गांवों को खेलों से जोडऩे के लिए पंचायत स्तर से खेलों के विकास के लिए पाइका योजना प्रारंभ की है। इस योजना के पहले चरण में हर राज्य के सभी जिलों के १० प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। इन सभी गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ खेलों का आगाज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करने के लिए खेल विभाग ने काफी गंभीरता से पहल की है और विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी पास कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अपने बजट में दो करोड़ ६६ लाख रुपए रखे हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार से इसके लिए १४ करोड़ से ज्यादा की राशि मिलनी है। लेनि फिलहाल पहली किस्त के रूप में केन्द्र से करीब तीन करोड़ रुपए की मंजूरी दी है जिसकी जानकारी खेल विभाग को मिल गई है। अब इन पैसों को लेने की कवायद खेल विभाग में प्रारंभ हो गई है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार से पैसे मिलने में करीब १५ दिनों का समय लग जाएगा। केन्द्र से जो बजट आया है उस बजट में खेल मैदानों के साथ खेल सामान और गांव के साथ विकासखंडों में बनाए जाने वाले क्रीड़ा श्री का मानदेय शामिल है।

इस योजना के लिए रायपुर जिले में १५ विकासखंड़ों में १२ सौ गांव हैं उनमें पहले चरण में १२० मैदानों की जरूरत हैं लेकिन १५८ मैदान चिंहित किए जा चुके हैं। इसी तरह से राजनांदगांव में ९ विकासखंड़ों के ६७१ गांवों में ७३ मैदान, कांकेर के सात विकासखंड़ों के ३८९ गांवों में ३९ मैदान, कबीरधाम के चार विकासखंड़ों के ३७१ गांवों में ४१ मैदान, बिलासपुर के १० विकासखंड़ों के ८६४ गांवों में ७९ मैदान, दंतेवाड़ा के सात विकासखंड़ों के २४९ गांवों में २५ मैदान, बीजापुर के चार विकासखंड़ों के १६० गांवों में १५ मैदान, नारायणपुर के दो विकासखंड़ों के ६९ गांवों में ०७ मैदान, जगदलपुर के १२ विकासखंड़ों के ५८६ गांवों में ५९ मैदान, दुर्ग के १२ विकासखंड़ों के ९९८ गांवों में ९९ मैदान, कोरबा के पांच विकासखंड़ों के ३५४ गांवों में ३१ मैदान और जशपुर के आठ विकासखंड़ों के ४१७ गांवों में ५५ मैदानों को चिंहित किया गया है।

इस योजना के लिए जिन मैदानों का चिंहित किया गया है, उनमें ज्यादातर मैदान स्कूलों के हैं। इन मैदानों का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि मैदानों के लिए केन्द्र सरकार एक लाख की ही राशि दे रही है। इतनी कम राशि में मैदान बनने से रहे। ऐसे में खेल विभाग ने उन मैदानों को चुनने का काम किया है जो पहले से विकसित हैं और जिन पर कम पैसे खर्च करके उनको खेलने के लायक बनाया जा सकता है। ऐसे मैदानों में एक लाख की लागत से गोल पोस्ट, वालीबॉल के लिए नेट आदि लगाने का काम किया जा सकेगा। गांवों में वैसे भी कबड्डी, वालीबॉल, और हॉकी का खेल ज्यादा होता है। कबड्डी के लिए तो ज्यादा सामान लगना नहीं है। वैसे गांवों में हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के खेल को भी विकसित करने का काम किया जा रहा है। इधर खेल विभाग ने गांवों में मैदानों के लिए मिलने वाले पैसों से जिम भी लगाने की तैयारी कर ली है।

बुधवार, 8 जुलाई 2009

फुटबॉल से शुरुआत होगी स्कूली खेलों की

प्रदेश में रायपुर जिले के स्कूली खेलों की शुरुआत तीन दिनों बाद ही सुब्रतो कप फुटबॉल से होने वाली है। इसका आयोजन ९ जुलाई से बैकुंठ में किया जाएगा। जिला शिक्षा विभाग ने अपने जिले के साथ क्षेत्रीय खेल कैलेंडर भी जारी कर दिया है।

जिला शिक्षा विभाग के जिला खेल प्रभारी सीएस बघेल ने बताया कि जिला और क्षेत्रीय शालेय क्रीड़ा समिति की बैठक में खेल कैलेंडर को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस कैलेंडर के मुताबिक सुब्रतो मुखर्जी कप फुटबॉल अंडर १४ और १७ साल बालक वर्ग की स्पर्धा ९ एवं १० जुलाई को बैकुंठ में होगी। यहां पर क्षेत्रीय प्रतियोगिता ११ से १२ जुलाई तक होगी। बैकुंठ में ही अंडर १४ और १७ साल की फुटबॉल स्पर्धा २४ एवं २५ जुलाई को होगी। इसके बाद २८ एवं २९ को क्षेत्रीय चैंपियनशिप होगी। बालिका फुटबॉल १९ साल का आयोजन १९ जुलाई को दानी स्कूल में होगा। यहीं पर २० जुलाई को क्षेत्रीय चैंपियनशिप भी होगी। जिमनास्टिक अंडर १४, १७, १९ बालक-बालिका वर्ग में जिले और क्षेत्रीय स्पर्धा की जिम्मेदारी राष्ट्रीय विद्यालय रायपुर को दी गई है। कबड्डी और खो-खो बालक-बालिका २४-२५ जुलाई को जिला स्तर और २८ एवं २९ जुलाई को क्षेत्रीय स्तर की सारागांव में होगी। थ्रोबॉल अंडर १४, १७, १९ साल की बालक-बालिका चैंपियनशिप जिले के साथ क्षेत्रीय स्तर पर द्रोणाचार्य विद्यालय रायपुर में २४ जुलाई से होगी। क्रिकेट बालक १४ साल ६-७ अगस्त एवं ११-१२ अगस्त को सारागांव में। क्रिकेट बालिका १९ साल महावीर स्कूल रायपुर में ८ से १३ अगस्त। नेहरू हॉकी बालक १५ एवं १७ कटोरा तालाब स्कूल रायपुर में ६ से १२ अगस्त तक। बालिका हॉकी १७ साल कटोरा तालाब स्कूल में १७ अगस्त से। हैंडबॉल १४, १७, १९ साल बालक-बालिका जिला और क्षेत्रीय स्पर्धा आरगं में २० से २५ अगस्त तक।

बास्केटबॉल बालक-बालिका १७ साल, १२ अगस्त से बालाजी स्कूल में। शतरंज बालक-बालका अंडर १४, १७, १९ १७ अगस्त से आदर्श विद्यालय में और योगा बालक-बालिका तीनों वर्गों में १७ अगस्त से राष्ट्र्रीय विद्यालय में। टेबल-टेनिस तीनों वर्गों में २० अगस्त से आर्दश विद्यालय में। तैराकी के साथ वाटरपोलो तीनों वर्गों में १९ अगस्त से यूनियन क्लब में। नेटबॉल अंडर १७, १९ बालक-बालिका बालाजी स्कूल में २१ अगस्त से। बेसबॉल तीनों वर्गों में २२ अगस्त से चौबे कालोनी स्कूल में। कबड्डी-खो-खो अंडर १७ बालक-बालिका २६ अगस्त से खरोरा में। बैडमिंटन बालक-बालिका तीनों वर्गों में २९ अगस्त से सप्रे स्कूल में। फुटबॉल अंडर १७ साल २९ अगस्त से दानी स्कूल में। हॉकी बालक-बालिका तीनों वर्गों में २९ अगस्त से राजकुमार कॉलेज में। साफ्टबॉल तीनों वर्गों में १ सितंबर से चौबे कालोनी में। वालीबॉल तीनों वर्गों में सितंबर से खरोरा में। क्रिकेट बालक अंडर १७ एवं १९ साल ७ सितंबर से सारागांव में क्षेत्रीय १० सितंबर से धमतरी में। लॉन टेनिस तीनों वर्ग ७ सितंबर से चौबे कालोनी में। भारोत्तोलन बालक अंडर १७ एवं १९ ८ सितंबर से बीरगांव में। बास्केटबॉल बालक-बालिका अंडर १४एवं १९ ११ सितंबर से बालाजी में। टेनीक्वाइट १९ साल १० सितंबर से बालाजी स्कूल में। स्कीपिंग रोप १९ साल, १४ सिंतर से आदर्श स्कूल में। फुटबॉल बालक १९ साल १४ सिंतबर से गरियाबंद में।

कबड्डी-खोखो १९ साल १६ सितंबर से खरोरा में। तीरंदाजी तीनों वर्ग १६ सितंबर से राजकुमार कॉलेज में। सायकल पोलो अंडर १९ १६ सितंबर से राष्ट्रीय विद्यालय में। मुक्केबाजी बालक अंडर १९ साल २२ सितंबर से बालाजी स्कूल में। जूडो तीनों वर्ग २४ सितंबर से उपरवारा विद्यालय में। कुश्ती उपरवारा स्कूल में २४ सितंबर से।

कैरम अंडर १७, ९ साल बालक-बालिका ५ अक्टूबर से एमजीएम स्कूल में। ताइक्वांडो बालक-बालिका अंडर १७, १९ ५ अक्टूबर से चौबे कालोनी स्कूल में। बॉल बैडमिंटन १९ साल ५ अक्टूबर से एमजीएम स्कूल रायपुर, क्षेत्रीय स्पर्धा ९ अक्टूबर से महासमुन्द में। एथलेटिक्स तीनों वर्ग २७ अकटूबर से सुंदर लाल शर्मा स्कूल रायपुर। क्षेत्रीय प्रतियोगिता ३० अक्टूबर से बलौदाबाजार में होगी।

१५ को तय होगी राज्य शालेय खेलों की मेजबानी

राज्य के शालेय खेलों की मेजबानी १५ जुलाई को यहां पर शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में तय होगी। अभी आधे जिलों से ही मेजबानी के दावे आए हैं। बाकी जिलों से मेजबानी के दावे आने के बाद खेलों के हिसाब से उनको अंतिम रूप देकर बैठक में रखा जाएगा। अभी ज्यादातर जिलों ने अपनी मेजबानी तय करके अपने जिलों के खेल कैलेंडर जारी भी कर दिया है।

प्रदेश में स्कूलों खेलों का आगाज सुब्रतो कप फुटबॉल से ९ जुलाई से हो रहा है। ऐसे में जबकि जिलों में खेल कैलेंडर बन गए हैं तो राज्य चैंपियनशिप का कैलेंडर बनाने की भी कवायद शिक्षा विभाग में चल रही है। इस बारे में सहायक संचालक (खेल) एसआर कर्ष ने बताया कि विभाग से २६ जून को ही सभी जिलों को पत्र भेज दिए थे कि वे जिन भी खेलों की मेजबानी चाहते हैं उनके बारे में जानकारी दें। ऐसे में अब तक उनके पास ९ जिलों रायपुर के साथ जगदलपुर, अम्बिकापुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, रायगढ़, दुर्ग और कांकेर की जानकारी आ गई है कि वे कौन से खेलों की मेजबानी चाहते हैं। लेकिन अब तक कोरिया, महासमुन्द, धमतरी, बलौदा बाजार, जशपुर, कोरबा, जांजगीर, बेमेतरा, दंतेवाड़ा, सूरजपुर और रामानुजगंज की जानकारी नहीं आई है। उन्होंने बताया कि सभी जिलों से जानकारी आने के बाद ही अंतिम फैसला किया जाएगा कि कौन सा खेल कहां होगा। उन्होंने बताया कि कई जिलों से एक ही खेल की मेजबानी का दावा आया है। जैसे जगदलपुर, अम्बिकापुर और राजनांदगांव वालीबॉल की मेजबानी चाहते हैं। कांकेर ने बैडमिंटन की मेजबानी मांगी है। अब देखना यह है कि कांकेर में राज्य स्तर की चैंपियनशिप करवाने के लायक कोर्ट हैं भी या नहीं। इन सभी बातों को देखने के बाद ही तय किया जाएगा कि किसको किस खेल की मेजबानी देनी है। उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र के पहले संभवत: १५ जुलाई को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में सभी खेलों की मेजबानी तय हो जाएगी।

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

राष्ट्रीय वालीबॉल की मेजबानी मांगी छत्तीसगढ़ ने

भिलाई २२ साल बाद राष्ट्रीय चैंपियनशिप करवाने बेताब
भिलाई स्टील प्लांट २२ साल बाद राष्ट्रीय वालीबॉल चैंपियनशिप कराने के लिए बेताब हो गया है। ऐसे में उसने सारी सुविधाओं के साथ चैंपियनशिप के लिए २५ लाख खर्च करने का भी वादा करते हुए मेजबानी लेने के लिए प्रदेश संघ को कहा है। अब प्रदेश संघ के प्रयास से राष्ट्रीय फेडरेशन से दो पर्यवेक्षक यहां आ रहे हैं जो भिलाई का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट देंगे इसके बाद मेजबानी तय होगी। वैसे छत्तीसगढ़ को मेजबानी मिलने का पूरा भरोसा है क्योंकि राज्य बनने के बाद प्रदेश संघ यहां पर दो राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन कर चुका है।

बीएसपी ने एक बार फिर से राष्ट्रीय वालीबॉल चैंपियनशिप करवाने के लिए कमर कस ली है। भिलाई में इसके पहले राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन १९८७ में हुआ था। इसके बाद से वहां पर वालीबॉल की राष्ट्रीय चैंपियनशिप नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद दो बार राष्ट्रीय सीनियर चैंपियनशिप का आयोजन किया गया है। पहली बार २००१ में हुई चैंपियनशिप राजधानी रायपुर के नेताजी स्टेडियम में हुई थी। उस समय छत्तीसगढ़ के अलग होने का पहला ही साल था। इस चैंपियनशिप में जिस तरह से दर्शक आए और जैसा माहौल यहां पर खिलाडिय़ों के साथ अधिकारियों को मिला उससे सभी खुश होकर लौटे। इसके पांच साल बाद फिर से २००६ में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन राजधानी रायपुर में ही किया गया। इस बार भी यह आयोजन जोरदार रहा। राजधानी में इन दो सफल आयोजनों के बाद अचानक भिलाई ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप करवाने का दावा किया है। उसके प्रबंधन ने बकायदा छत्तीसगढ़ वालीबॉल संघ को एक पत्र लिखा कर सूचित किया है कि वह मेजबानी लेने का इच्छुक है और इसके लिए सारी सुविधाएं भी देने तैयार हैं।

इस बारे में भिलाई के खेल एवं सांस्कृति विभाग के एजीएम पूर्व रणजी खिलाड़ी महमूद हसन ने पूछने पर बताया कि बीएसपी मेजबानी लेने के लिए तैयार है और इसके लिए करीब २५ लाख रुपए का बजट भी तय किया गया है। इसी के साथ खिलाडिय़ों के रहने और खाने की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है। यहां पर मैच दो स्टेडियमों पंत स्टेडियम के साथ बॉल बैडमिंटन के स्टेडियम में मैच करवाने की योजना है। उन्होंने बताया कि उनको प्रदेश संघ से जानकारी मिली है कि १० जुलाई को राष्ट्रीय फेडरेशन के दो सदस्य आरआर पटेल (अहमदाबाद) जो कि फेडरेशन में संयुक्त सचिव हैं, इसी के साथ फेडरेशन के तकनीकी अधिकारी डी. मुखर्जी जो कि कोलकाता के हैं, वे यहां पर्यवेक्षक बनकर आ रहे हैं। ये दोनों अधिकारी यहां पर मैदानों के साथ रहने की व्यवस्था का जायजा लेंगे और बीएसपी प्रबंधन से बात करेंगे। इनकी रिपोर्ट के बाद ही मेजबानी तय होगी।

मेजबानी मिलने का भरोसा

प्रदेश संघ से जुड़े अधिकारियों को मेजबानी मिलने का भरोसा है। इनका कहना है कि जिस तरह से संघ ने यहां पर दो सफल आयोजन किए हैं उसके बाद लगता नहीं है कि मेजबानी नहीं मिलेगी। मेजबानी में सीनियर चैंपियनशिप को प्राथमिकता में रखा गया है। अगर सीनियर चैंपियनशिप नहीं मिलती है तो यूथ या फिर जूनियर चैंपियनशिप भी करवाने के लिए भिलाई तैयार है। मेजबानी के अन्य दावेदारों में मदुराई और ग्वालियर का भी नाम है। ऐसे में थोड़ा सा मुकाबला कड़ा है। इसलिए कोई भी चैंपियनशिप कराने के लिए भिलाई तैयार है।

रविवि को राष्ट्रीय महिला वालीबॉल चैंपियनशिप की मेजबानी

एक तरफ जहां भिलाई ओपन राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी मांग रहा है, वहीं दूसरी तरफ रविशंकर विश्व विद्यालय को महिला वालीबॉल की उत्तर-पूर्वी चैंपियनशिप के साथ अखिल भारतीय चैंपियनशिप की भी मेजबानी मिल गई है। यह पहला मौका है जब रविवि को महिला वालीबॉल की मेजबानी मिली है। इसके पहले बिलासपुर में जरूर यह चैंपियनशिप हो चुकी है। रविवि को एक बार छत्तीसगढ़ बनने के बाद पुरुष वर्ग राष्ट्रीय वालीबॉल चैंपियनशिप की मेजबानी मिल चुकी है। इस बार महिला वालीबॉल का आयोजन करने का जिम्मा दिया गया है। इस चैंपियनशिप में पहले उत्तर-पूर्वी चैंपियनशिप का आयोजन होगा इसके बाद अखिल भारतीय चैंपियनशिप होगी। यह चैंपियनशिप जनवरी २०१० में होगी। यही एक चैंपियनशिप है जो इस बार रविवि के हिस्से में आई है।

सोमवार, 6 जुलाई 2009

खिलाडिय़ों को नौकरी दिलाने वालीबॉल संघ पहल करेगा

प्रदेश वालीबॉल संघ की सालाना बैठक में खिलाडिय़ों को नौकरी दिलाने की अहम पहल करने का फैसला किया गया है। इसके लिए रेलवे और पुलिस विभाग से बात की जाएगी। बैठक में सब जूनियर और जूनियर चैंपियनशिप के लिए मेजबान भी तय किए गए।

संघ की बैठक के बारे में जानकारी देते हुए महासचिव मो। अकरम खान ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष गजराज पगारिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया कि खिलाडिय़ों को नौकरी दिलाने के लिए संघ का एक प्रतिनिधि मंडल रेलवे के डीआरएम के साथ पुलिस के डीजी विश्वरंजन से मुलाकात करके वालीबॉल के खिलाडिय़ों को रेलवे और पुलिस में नौकरी देने की मांग करेगा। उन्होंने बताया कि नौकरी के अभाव में प्रदेश की प्रतिभाएं दम तोड़ रही है। अगर इनको नौकरी नहीं मिली तो खेल भी प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि वालीबॉल के लिए भी प्रायोजक तलाश करने का काम किया जाएगा। सरकार के सामने मांग रखी जाएगी कि वालीबॉल को भी किसी उद्योग को गोद दिलाने का काम किया जाए। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि एक बार एक उद्योगपति को वालीबॉल को गोद दिलाने का काम किया गया था, उन्होंने आज तक वालीबॉल को कोई मदद नहीं की है।


श्री खान ने बताया कि जब तक वालीबॉल को भी बास्केटबॉल और हैडबॉल की तरह कोई गोद नहीं लेगा, सफलता मिलनी संभव नहीं है। उन्होंने कहा खिलाडिय़ों को जब तक लगातार एक स्थान पर अभ्यास करने का मौका नहीं मिलेगा खेल कैसे आगे बढ़ेगा। यह तो तभी संभव होगा जब खेल को कोई गोद लेगा। जब पैसे मिलेंगे तो पूरे प्रदेश के खिलाडिय़ों को एक स्थान पर रखकर उनको अभ्यास करवाया जाएगा।


राजनांदगांव में जूनियर चैंपियनशिप


बैठक में राज्य चैंपियनशिप के लिए मेजबान भी तय किए गए। जूनियर वर्ग की चैंपियनशिप का मेजबानी राजनांदगांव और सब जूनियर वर्ग की कोरबा को दी गई है। सीनियर वर्ग का फैसला अभी नहीं किया गया है। उन्होंने पूछने पर बताया कि भिलाई द्वारा राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी मांग जाने का प्रस्ताव राष्ट्रीय फेडरेशन को भेजा गया है, वहां से मेजबानी मिलने पर संघ चैंपियनशिप करवाने के लिए तैयार बैठा है।

रविवार, 5 जुलाई 2009

राजधानी में मचेगा फुटबॉल का घमासान

राजधानी रायपुर में बालक वर्ग में तीन वर्गों की फुटबॉल चैंपियनशिप के साथ बालिका फुटबॉल चैंपियनशिप की भी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। इस सेवन-ए-साइड वाली चैंपियनशिप का आयोजन शेरा क्लब करेगा। इस चैंपियनशिप में ४० से ज्यादा स्कूलों की १०० टीमें भाग लेंगी। चैंपियनशिप का यह चौथा साल है और इस बार चैंपियनशिप को और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी है।
यह जानकारी देते हुए शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि क्लब ने प्रयोग के तौर पर सेवन-ए-साइड फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन किया था। इस चैंपियनशिप पहले साल ही मिली सफलता के बाद इसको नियमित कर दिया गया है। अब इस चैंपियनशिप को चौथे साल में और ज्यादा भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि चैंपियनशि में ४० से ज्यादा स्कूलों की १०० से ज्यादा टीमें खेलेंगी। हर स्कूल से कम से कम तीन टीमें खेलेंगी ही। उन्होंने बताया कि चैंपियनशिप अंडर १४ साल, १७ साल और १९ साल के वर्ग समहू में होगी। उन्होंने बताया कि पहली बार महिला टीमों के लिए भी चैंपियनशिप करवाई जा रही है। चैंपियनशिप पहले लाकआउट होगी, इसके बाद हर वर्ग की ६-६ टीमों के बीच लीग मुकाबलों के बाद सेमीफाइनल और फाइनल मैच खेले जाएंगे। पिछले साल १४ साल वर्ग में विवेकानंद विद्या पीठ विजेता और राजकुमार कॉलेज की टीम उपविजेता बनी थी। इसी तरह से १७ साल वर्ग में वामनराव लाखे स्कूल विजेता और विवेकानंद विद्या पीठ की टीम उपविजेता बनी थी। सीनियर वर्ग में बैरनबाजार होलीक्रास स्कूल की ही टीमें विजेता और उपविजेता बनी थी।
उन्होंने बताया कि इस बार चैंपियनशिप में खिलाडिय़ों को ज्यादा इनाम देने की भी योजना है। उन्होंने पूछने पर बताया कि इस चैंपियनशिप का मकसद सब जूनियर और जूनियर खिलाडिय़ों को प्रतिस्पर्धा देना है। इन वर्ग के खिलाडिय़ों को खेलने के मौके बहुत कम मिलते हैं।

शनिवार, 4 जुलाई 2009

खेलों के विकास के लिए केन्द्र करेगा मदद


केन्द्रीय खेलमंत्री गिल से लता उसेंडी की लंबी चर्चा
छत्तीसगढ़ को खेलों में जिस तरह की भी मदद की जरूरत है उसके लिए केन्द्र सरकार तैयार है। छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण की योजनाओं का पूरा लाभ दिलाया जाएगा। यह आश्वासन केन्द्रीय खेलमंत्री एमएस गिल से प्रदेश की खेलमंत्री सुश्री लता उसेंडी को दिया। दोनों मंत्रियों के बीच एक घंटे से भी ज्यादा समय तक हुई चर्चा में केन्द्रीय मंत्री ने एक-एक बिन्दु पर गंभीरता से चर्चा की है। राजनांदगांव के साई सेंटर को भी जल्द प्रारंभ करने का आश्वासन दिया है।
दिल्ली में केन्द्रीय खेलमंत्री से चर्चा करने के बाद सुश्री उसेंडी ने दूरभाष पर चर्चा करते हुए बताया कि वह जिस उम्मीद के साथ केन्द्रीय खेलमंत्री के पास मदद के लिए आई थीं, वह उम्मीद पूरी हुई है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में साई द्वारा राजनांदगांव में जो ४० करोड़ की लागत से सेंटर बनाया जा रहा है, मुख्य रूप से उसको जल्द प्रारंभ करवाना लक्ष्य था। इसमें सफलता मिली है। केन्द्रीय खेलमंत्री ने इसके लिए जल्द बजट देने की बात की है और कहा है कि इसके अलावा साई की जितनी भी योजनाएं छत्तीसगढ़ में प्रारंभ करवाई जाएंगी, उनमें मदद करेंगे। श्री गिल के कहने पर ही योजनाओं के बारे में साई के निदेशक सयान चटर्जी से खेल संचालक जीपी सिंह ने लंबी चर्चा की।

सुश्री उसेंडी ने बताया कि श्री गिल के साथ उनकी एक-एक बिंदु पर चर्चा हुई है। श्री गिल को यह जानने में विशेष रूचि थी कि छत्तीसगढ़ खेलों के विकास के लिए क्या कर रहा है। उनको प्रदेश सरकार की प्रतिभा खोज योजना के बारे में विस्तार के बताया गया कि किस तरह से सरकार प्रतिभावान खिलाडिय़ों की खोज करके उनको गोद लेने की योजना पर काम कर रही है। श्री गिल से इन खिलाडिय़ों के लिए साई के सेंटरों में प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की भी चर्चा की गई। इस योजना के लिए उन्होंने साई से मदद दिलाने की बात कही। श्री गिल के सामने छत्तीसगढ़ में साई का एनआईएस कोच का प्रमाणपत्र कोर्स भी प्रारंभ करवाने का एक प्रस्ताव रखा गया।

उन्होंने सारे प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार करके मदद करने की बात कही है। सुश्री उसेंडी ने बताया कि राजनांदगांव के सेंटर की आधारशिला रखने का न्यौता भी श्री गिल को दिया गया है। केन्द्र सरकार की पाइका योजना पर भी चर्चा की गई। इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने अपना बजट दे दिया है। अब केन्द्र सरकार ने भी पहले चरण के लिए कुछ बजट छत्तीसगढ़ को भेज दिया है। प्रदेश सरकार राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का भी प्रस्ताव भारतीय ओलंपिक संघ के पास भेजने वाली है, ऐसे में राष्ट्रीय खेलों के लिए केन्द्र से क्या-क्या मदद मिल सकती है इस पर भी चर्चा की गई। सुश्री उसेंडी ने बताया कि कुल मिलाकर श्री गिल का रूख छत्तीसगढ़ के प्रति काफी सकारात्मक है और वे केन्द्र से हर संभव मदद दिलाने को तैयार हैं।

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