प्रदेश में पाइका योजना को प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार ने करीब १० करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है। इन पैसों में से आधे यानी करीब पांच करोड़ रुपए पहली किस्त के रूप में मिलेंगे। इन पैसों के उपयोग के लिए खेल विभाग में योजना बनाई जा रही है। पहले चरण में ९८२ गांवों के साथ १४ विकासखंडों को शामिल किया गया है। इधर प्रदेश सरकार पहले ही इस योजना के लिए २ करोड़ ६६ लाख रुपए मंजूर कर चुकी है। वैसे पाइका के लिए पहले चरण में करीब १७ करोड़ का बजट रखा गया है।
केन्द्र सरकार ने पूरे देश के गांवों को खेलों से जोडऩे के लिए पंचायत स्तर से खेलों के विकास के लिए पाइका योजना प्रारंभ की है। इस योजना के पहले चरण में हर राज्य के सभी जिलों के १० प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। इन सभी गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ खेलों का आगाज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करने के लिए खेल विभाग ने काफी गंभीरता से पहल की है और विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी पास कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अपने बजट में करीब १० करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि एक पत्र में ७ करोड़ ८९ लाख की मंजूरी आई है। इस बजट में से ३ करोड़ ९४ लाख ५० हजार की राशि पहले दी जाएगी। इस राशि में ९८२ गांवों के लिए ७५-७५ हजार की राशि रखी गई है। इस तरह से यह राशि ७ करोड़ ३६ लाख ५० हजार होगी। इसके अलावा १४ विकासखंडों के लिए ३ लाख ७५ हजार रुपए प्रति विकासखंड के लिए दिए गए हैं। यह राशि ५२ लाख ५० हजार रुपए की होगी।
इसी तरह से एक और बजट दो करोड़ २२ लाख २० हजार का मंजूर किया गया है। इस बजट की आधी राशि मिलेगी। इस बजट में ९८२ गांवों के लिए वार्षिक अनुदान दिया गया है। इस अनुदान की राशि एक करोड़ १७ लाख ८४ हजार है। इसी तरह से १४ विकासखंडों के लिए दो लाख ८० हजार एक-एक विकासखंड के हिसाब से दी गई है।
केन्द्र ने जो राशि मंजूर की है, अब इन पैसों को लेने की कवायद खेल विभाग में प्रारंभ हो गई है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार से पैसे संभवत: अगले माह तक मिल जाएंगे। केन्द्र से जो बजट आया है उस बजट में खेल मैदानों के साथ खेल सामान और गांव के साथ विकासखंडों में बनाए जाने वाले क्रीड़ा श्री का मानदेय शामिल है।
इस योजना के लिए जिन मैदानों का चिंहित किया गया है, उनमें ज्यादातर मैदान स्कूलों के हैं। इन मैदानों का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि मैदानों के लिए केन्द्र सरकार एक लाख की ही राशि दे रही है। इतनी कम राशि में मैदान बनने से रहे। ऐसे में खेल विभाग ने उन मैदानों को चुनने का काम किया है जो पहले से विकसित हैं और जिन पर कम पैसे खर्च करके उनको खेलने के लायक बनाया जा सकता है। ऐसे मैदानों में एक लाख की लागत से गोल पोस्ट, वालीबॉल के लिए नेट आदि लगाने का काम किया जा सकेगा। गांवों में वैसे भी कबड्डी, वालीबॉल, और हॉकी का खेल ज्यादा होता है। कबड्डी के लिए तो ज्यादा सामान लगना नहीं है। वैसे गांवों में हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के खेल को भी विकसित करने का काम किया जा रहा है। इधर खेल विभाग ने गांवों में मैदानों के लिए मिलने वाले पैसों से जिम भी लगाने की तैयारी कर ली है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें