रविवार, 12 जुलाई 2009

कबड्डी के लिए मैट जरूरी-मिट्टी के मैदान में खेलना मजबूरी


मिट्टी के मैदान पर खेल जाने वाले खेल कबड्डी के लिए भी अब मैट जरूरी हो गए हैं। देश के जिन भी राज्यों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन होते हैं, वहां पर मैट हैं। छत्तीसगढ़ मेंमैट न होने के कारण यहां पर सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन में परेशानी होती है। प्रदेश संघ को सीनियर वर्ग के एक गु्रप की मेजबानी मिली है। ऐसे में प्रदेश संघ ने खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी से चैंपियनशिप से पहले दो सेट मैट की मांग की है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की साख को बचाया जा सके। मैट के दो सेट करीब १२ से १३ लाख रुपए के आएंगे। लेकिन एक बार सेट ले लिए गए तो लंबे समय तक प्रदेश के खिलाडिय़ों के काम आएंगे।


आज हर खेल आधुनिक होते जा रहा है, ऐसे में देशी खेल कबड्डी इससे कैसे अछूता रह सकता है। यह खेल भी पिछले कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय के साथ राष्ट्रीय स्तर पर मैट पर खेला जाने लगा है। दोहा एशियाड में कबड्डी चैंपियनशिप मैट पर खेली गई। अपने देश में होने वाली सीनियर वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप को मैट पर करवाया जाता है। जूनियर वर्ग की चैंपियनशिप मैट पर क्यों नहीं हो सकती है, इसका खुलासा करते हुए प्रदेश कबड्डी संघ के महासचिव रामबिसाल साहू बताते हैं कि चूंकि जूनियर वर्ग में बहुत ज्यादा टीमें आती हैं, ऐसे में चैंपियनशिप के लिए ७ से ८ मैदान बनाने पड़ते हैं। इतने मैदानों के लिए किसी भी राज्य के पास मैट नहीं हैं। ऐसे में इस वर्ग की चैंपियनशिप को मैट पर करवा पाना संभव नहीं है। वे मानते हैं कि जूनियर वर्ग में पहले मैट पर चैंपियनशिप होनी चाहिए, क्योंकि जूनियर खिलाडिय़ों को आगे चलकर परेशानी होगी। श्री साहू ने बताया कि सीनियर वर्ग में भी चैंपियनशिप मैट पर इसलिए संभव हो सकी है क्योंकि इस चैंपियनशिप को चार समूहों में बांट दिया गया है और हर समूह में ८ से ९ राज्यों की टीमों को रखा गया है। हर समूह की चैंपियनशिप अलग-अलग राज्यों में होती है। ज्यादातर राज्यों में भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के सेंटर हैं जिनके पास कबड्डी के मैट हैं। ऐसे में उन राज्यों को परेशानी नहीं होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में साई का सेंटर अभी नहीं खुला है, ऐसे में यहां परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को एक समूह की मेजबानी मिली है, इसलिए प्रदेश सरकार से मैट मांगे गए हैं। उन्होंने बताया कि संघ का एक प्रतिनिधि मंडल खेल मंत्री लता उसेंडी से मिला है और उनके सामने दो सेट मैट की मांग रखी है।


दिसंबर में होगी राष्ट्रीय चैंपियनशिप राजधानी में


श्री साहू ने बताया कि दिसंबर में यहां पर राष्ट्रीय जोनल चैंपियनशिप होगी जिसमें मेजबान छत्तीसगढ़ के साथ मप्र, गोवा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, विदर्भ और बीएसएनएल की महिला-पुरुष टीमें शामिल होगीं। इन दो वर्गों के लिए दो मैदान बनाने होंंगे इसलिए मैट के दो सेट जरूरी है। उन्होंंने पूछने पर बताया कि एक मैदान १३ बाई १० मीटर का रहता है। मैदान में ३ से ४ मीटर अतिरिक्त जगह छोडऩी पड़ती है। ऐसे में एक मैदान करीब २० बाई १८ मीटर का बनेगा। एक मैदान के लिए करीब ६ लाख से साढ़े छह लाख का सेट आता है। दो मैदानों के लिए १३ लाख रुपए लग जाएंगे। उन्होंने बताया कि कबड्डी के मैट कराते के मैट से कुछ मिलते जुलते रहते हैं। मैट एक बाई एक मीटर का आता है, जो कराते के मैट से थोड़ी सक्त रहता है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार चाहेगी तो राष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन साई से कुछ रियायती दर पर मैट दिलाने का काम कर सकता है। उन्होंने पूछने पर बताया कि इसके पहले भी उनका संघ एक बार पूर्व खेल मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी मैट की मांग कर चुका है। लेकिन संघ को अब तक शासन ने मैट नहीं दिलवाए हैं। श्री साहू ने कहा कि अगर संघ को मैट मिल जाते हैं तो दिसंबर में होने वाली चैंपियनशिप मैट पर होगी और इससे छत्तीसगढ़ की साख राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी।

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