शनिवार, 25 जुलाई 2009

पुरस्कारों के नियम शिथिल किए जाएं

प्रदेश के खेल पुरस्कारों की विसंगतियों को दूर करने के साथ ही पुरस्कारों के नियमों को शिथिल करने की मांग शुक्रवार को खेल संचालक जीपी सिंह के सामने रखी गई। यह मांग प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने की है। खासकर हनुमान सिंह पुरस्कार को लेकर खेल संघों के पदाधिकारी परेशान हैं।
खेल भवन में सुबह प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान के नेतृत्व में कई खेल संघों के पदाधिकारी वालीबॉल संघ के मो. अकरम खान, जूडो संघ के अरूण द्विवेदी, ट्रायथलान संघ के विष्णु श्रीवास्तव, महिला हॉकी संघ की नीता डुमरे, कबड्डी संघ के रामबिसाल साहू के साथ नेटबॉल संघ के संजय शर्मा ने खेल संचालक जीपी सिंह से मुलाकात करके उनके सामने खेल पुरस्कारों की विसंगतियों के साथ हुनमान सिंह पुरस्कार में निर्णायकों के लिए रखे गए कड़े नियमों पर चर्चा करते हुए इनको शिथिल करने की मांग की। इन पदाधिकारियों ने बताया कि निर्णायकों के लिए यह नियम रखा गया है कि ऐसे निर्णायकों को पुरस्कार का पात्र माना जाएगा, जो तीन बार विदेश में जाकर अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशप में निर्णायक रहेंगे। पदाधिकारियों का साफ कहना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारतीय निर्णायकों का एक बार ही बड़ी मुश्किल से चयन होता है ऐसे में तीन बार का नियम रखा गया है तो किसी को यह पुरस्कार मिल ही नहीं पाएगा। इन्होंने पिछले साल का उदाहरण दिया कि इसी नियम के कारण पिछले साल किसी भी निर्णायक को पुरस्कार नहीं मिल सका था। इसी के साथ प्रशिक्षकों के लिए खेल संघ का अध्यक्ष या सचिव न रहने का जो नियम है, उनको भी पूर्णत: समाप्त करने की मांग रखी गई। पूर्व में इस नियम को शिथिल करके पिछले साल बास्केटबॉल के कोच राजेश पटेल को पुरस्कार दिया गया था।

राजीव पांडे पुरस्कार के बारे में चर्चा करते हुए मांग की गई कि यह पुरस्कार यदि किसी टीम को दिया जाए तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि पुरस्कार की राशि में उस तरह से कटौती न हो जिस तरह से पिछले साल हैंडबॉल की टीम के साथ हुआ था। तब हैंडबॉल टीम के चार खिलाडिय़ों की राशि में यह कहते हुए कटौती कर दी गई थी कि उनको पहले ही पुरस्कार मिल चुका है। संघों ने कहा कि चार खिलाडिय़ों को अगर पुरस्कार से अलग किया गया था तो पुरस्कार की राशि को १२ खिलाडिय़ों में बांटनी थी, लेकिन १६ खिलाडिय़ों में राशि को बांटकर ४ खिलाडिय़ों की राशि शासन को वापस भेज दी गई थी। पिछले साल इसी पुरस्कार में नियमों को शिथिल करके छत्तीसगढ़ की टीम से न खेल पाने वाले लेकिन छत्तीसगढ़ के रहने वाले मृणाल चौबे के साथ सबा अंजुम को भी पुरस्कार दिया गया था। नियमों को दूसरे खिलाडिय़ों के लिए भी शिथिल करने की मांग की गई ताकि छत्तीसगढ़ के रहने वाले दूसरे खिलाडिय़ों को भी इस नियम का लाभ मिल सके।

खेल प्रमोटरों को पुरस्कार दें

खेल संचालक के सामने खेल प्रमोटरों को भी एक पुरस्कार देने की मांग रखी गई। प्रदेश में कई लोग ऐसे हंै जिनके कारण कई खेल नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं। लेकिन ये चूंकि न तो प्रशिक्षक हैं और न ही निर्णायक और न ही खिलाड़ी जिनके कारण इनको पुरस्कारों मिल ही नहीं सकते हैं। ऐसे में इनके लिए एक पुरस्कार देने की मांग की गई। ऐसी ही मांग एक बार तब भी की गई थी जब राजीव श्रीवास्तव खेल आयुक्त थे। तब उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किए थे। खेल संचालक को बताया गया कि खेल प्रमोटर के लिए महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार देती है। महाराष्ट्र में विधायकों द्वारा विधायक निधि से खेलों की चैंपियनशिप में दिए जाने वाले एक लाख के अनुदान के बारे में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ में भी ऐसे नियम बनाने की मांग की गई।

मांगों पर विचार करेंगे: सिंह

खेल संघों द्वारा की गई मांगों पर खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि जो भी नियमानुसार होगा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों में जो भी विसंगतियां हैं, या फिर नियमों को शिथिल करने की बात है तो इसके लिए खेल संचालनालय अपनी तरफ से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज देगा। जो भी निर्णय होगा शासन स्तर पर होगा।

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