कैनाइंग-कयाकिंग की एनआईएस कोच विश्शवरी देवी का कहना है कि बूढ़ातालाब में सिर्फ ५०० मीटर और २०० मीटर का अभ्यास ही संभव है। लेकिन यहां पर १००० मीटर का अभ्यास संभव नहीं है क्योंकि तालाब छोटा है। यह तालाब इस लिहाज से जरूरत उपयुक्त है कि इसके सामने में ही स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स है। ऐसे में बोट रखने के लिए स्थान की भी परेशानी नहीं होगी। इस तालाब के साथ दूधाधारी मठ के पास स्थित एक और बड़ा तालाब है, यहां भी कयाकिंग का अभ्यास किया जा सकता है। लेकिन इन तालाबों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का हो पाना संभव नहीं है। इधर प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू ने भी बूढ़ातालाब को खारिज करते हुए कहा कि कयाकिंग में मुख्यत: १००० मीटर की चैंपियनशिप होती है जिसका अभ्यास यहां संभव ही नहीं है।
यहां पर खेल विभाग के बुलावे पर आई भारतीय खेल प्राधिकरण की इस कोच को खेल संचालक जीपी सिंह ने निर्देश पर कयाकिंग के लिए उपयुक्त स्थान जानने के लिए बूढ़ातालाब के साथ दुधाधारी मठ के तालाब का निरीक्षण करवाया गया। जब विश्शवरी देवी ने बूढ़ातालाब का देखा तो वह इस तालाब पास में स्थित स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के कारण बहुत ज्यादा खुश हो गई। उन्होंने कहा कि इतनी अच्छी लोकेशन के बाद तो यह पूछने की ही किसी से जरूरत नहीं है कि यह स्थान कयाकिंग के लिए उपयुक्त है या नहीं। उन्होंने कहा कि जिस भी स्थान में कयाकिंग जैसा वाटर स्पोट्र्स का खेल होता है, उसके साथ सबसे बड़ी परेशानी बोटों को रखने की आती हैं, लेकिन यहां तो ऐसी कोई समस्या ही नहीं है। सीधे स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से बोट निकालिए और ले जाईए तालाब में और अभ्यास के बाद बोट को सुरक्षित रख दीजिए स्पोट्र्स काम्पलेक्स में। उनको इस तालाब के बाद दूधाधारी मठ से लगे तालाब को दिखाया गया है, विश्शवरी देवी और खुश हो गईं। उन्होंने कहा कि इतने पास-पास में छत्तीसगढ़ की राजधानी में दो बड़े तालाब हैं, इन दोनों तालाबों में ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी अभ्यास कर सकते हैं।
१००० मीटर का अभ्यास संभव नहीं:
फिलहाल तो बूढ़ातालाब में कयाकिंग का अभ्यास नहीं हो रहा है, पर पहले यहीं पर प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू अभ्यास करते थे और साथ ही खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देते थे। लेकिन कुछ समय से वे महादेव घाट में अभ्यास कर रहे हैं। इस बारे में उन्होंने पूछने पर बताया कि हम लोग पहले बूढ़ातालाब में अभ्यास कर रहे थे, पर यह तालाब १००० मीटर के अभ्यास के लिए छोटा पड़ रहा था, ऐसे में हम लोगों को महादेव घाट जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि बूढ़ातालाब में ५०० मीटर के साथ २०० मीटर का अभ्यास ही संभव है। उन्होंने कहा कि बूढ़ातालाब में एक परेशानी यह भी है कि यहां पर घाट नहीं है। घाट न होने के कारण बोट को उतारने में परेशानी होती है। इसी के साथ स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स से अगर बोट को तालाब तक लाते हैं तो ट्रेफिक की वजह के कभी भी कोई घटना हो सकती है। उन्होंंने कहा कि अगर बोट रखने के लिए बूढ़ातालाब में बने पार्क में स्थान मिल जाए तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है।
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