गुरुवार, 9 जुलाई 2009

पाइका के लिए केन्द्र से तीन करोड़

प्रदेश में पाइका योजना को प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार से पहली किस्त के रूप में करीब तीन करोड़ रुपए मिलने वाले हैं। खेल विभाग को केन्द्र सरकार से तीन करोड़ का बजट जारी करने का पत्र मिल गया है। इसी के साथ खेल विभाग में पाइका के लिए तैयारी जोर-शोर से प्रारंभ हो गई है। पाइका के लिए १७ करोड़ का बजट पहले चरण में रखा गया है। इस बजट में दो करोड़ ६६ लाख की राशि प्रदेश सरकार खर्च करेगी बाकी राशि केन्द्र सरकार से मिलेगी। योजना के पहले चरण की तैयारी खेल विभाग में जोरदार चल रही है। इस पहले चरण में प्रदेश के १८ जिलों के करीब एक हजार गांवों में इस योजना का प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए मैदानों को चिंहित कर लिया गया है।
केन्द्र सरकार ने पूर देश के गांवों को खेलों से जोडऩे के लिए पंचायत स्तर से खेलों के विकास के लिए पाइका योजना प्रारंभ की है। इस योजना के पहले चरण में हर राज्य के सभी जिलों के १० प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। इन सभी गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ खेलों का आगाज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करने के लिए खेल विभाग ने काफी गंभीरता से पहल की है और विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी पास कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अपने बजट में दो करोड़ ६६ लाख रुपए रखे हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार से इसके लिए १४ करोड़ से ज्यादा की राशि मिलनी है। लेनि फिलहाल पहली किस्त के रूप में केन्द्र से करीब तीन करोड़ रुपए की मंजूरी दी है जिसकी जानकारी खेल विभाग को मिल गई है। अब इन पैसों को लेने की कवायद खेल विभाग में प्रारंभ हो गई है। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार से पैसे मिलने में करीब १५ दिनों का समय लग जाएगा। केन्द्र से जो बजट आया है उस बजट में खेल मैदानों के साथ खेल सामान और गांव के साथ विकासखंडों में बनाए जाने वाले क्रीड़ा श्री का मानदेय शामिल है।

इस योजना के लिए रायपुर जिले में १५ विकासखंड़ों में १२ सौ गांव हैं उनमें पहले चरण में १२० मैदानों की जरूरत हैं लेकिन १५८ मैदान चिंहित किए जा चुके हैं। इसी तरह से राजनांदगांव में ९ विकासखंड़ों के ६७१ गांवों में ७३ मैदान, कांकेर के सात विकासखंड़ों के ३८९ गांवों में ३९ मैदान, कबीरधाम के चार विकासखंड़ों के ३७१ गांवों में ४१ मैदान, बिलासपुर के १० विकासखंड़ों के ८६४ गांवों में ७९ मैदान, दंतेवाड़ा के सात विकासखंड़ों के २४९ गांवों में २५ मैदान, बीजापुर के चार विकासखंड़ों के १६० गांवों में १५ मैदान, नारायणपुर के दो विकासखंड़ों के ६९ गांवों में ०७ मैदान, जगदलपुर के १२ विकासखंड़ों के ५८६ गांवों में ५९ मैदान, दुर्ग के १२ विकासखंड़ों के ९९८ गांवों में ९९ मैदान, कोरबा के पांच विकासखंड़ों के ३५४ गांवों में ३१ मैदान और जशपुर के आठ विकासखंड़ों के ४१७ गांवों में ५५ मैदानों को चिंहित किया गया है।

इस योजना के लिए जिन मैदानों का चिंहित किया गया है, उनमें ज्यादातर मैदान स्कूलों के हैं। इन मैदानों का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि मैदानों के लिए केन्द्र सरकार एक लाख की ही राशि दे रही है। इतनी कम राशि में मैदान बनने से रहे। ऐसे में खेल विभाग ने उन मैदानों को चुनने का काम किया है जो पहले से विकसित हैं और जिन पर कम पैसे खर्च करके उनको खेलने के लायक बनाया जा सकता है। ऐसे मैदानों में एक लाख की लागत से गोल पोस्ट, वालीबॉल के लिए नेट आदि लगाने का काम किया जा सकेगा। गांवों में वैसे भी कबड्डी, वालीबॉल, और हॉकी का खेल ज्यादा होता है। कबड्डी के लिए तो ज्यादा सामान लगना नहीं है। वैसे गांवों में हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के खेल को भी विकसित करने का काम किया जा रहा है। इधर खेल विभाग ने गांवों में मैदानों के लिए मिलने वाले पैसों से जिम भी लगाने की तैयारी कर ली है।

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